biography helen keller story in hindi

हेलन केलर जीवन परिचय

अमेरिका में जन्मी हेलन केलर एक महान और विलक्षण महिलाओं में से एक थी, जिन्होंने अपने जीवन के कुछ सिद्धांतों और नेक इरादों के दम पर मानवता की एक अनूठी मिसाल कायम की है।

उनका जीवन हर किसी के लिए प्रेरणादायक है, हेलन केलर ने अपने कामों से यह साबित कर दिखाया था कि शरीर की अपंगता किसी व्यक्ति की पढ़ाई-लिखाई, बोलने और खेलने में बाधा पैदा नहीं कर सकती है, बल्कि अपने जीवन के लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत, सच्ची लगन, ईमानदारी, साहस और अटूट दृढ़संकल्प की जरुरत होती है।

शारीरिक अक्षमताओं के बाबजूद भी हेलन केलर हमेशा अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने का जज्बा लिए आगे बढ़ती रहीं और न सिर्फ सफलता के मुकाम को हासिल किया, बल्कि खुद को पूरी तरह समाज सेवा में भी समर्पित कर दिया, जिसके बारे में शायद कोई नॉर्मल व्यक्ति सोच भी नहीं सकता है।

हेलन केलर एक मशहूर लेखिका भी थीं, जिन्होंने अपनी रचनाओं और महान विचारों के माध्यम से लोगों के अंदर सकारात्मक सोच विकसित करने में मद्द की एवं उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

अपने संकल्पों के प्रति अडिग रहने वाली  हेलन केलर का मानना था कि ”लक्ष्यहीन होना दृष्टिहीन होने से बुरा होता है”, अर्थात जिस व्यक्ति का उसके जीवन में कुछ लक्ष्य नहीं होता है, ऐसे व्यक्ति किसी अंधे व्यक्ति से भी गरे-गुजरे होते हैं।

लेखक होने के साथ-साथ हेलन केलर एक कुशल और सक्रीय राजनीतिक एवं शिक्षिका भी थीं, जो कि जितनी आर्कषक और सुंदर बाहर से दिखती थीं, उतने ही दरियादिल और नेक इंसान अंदर से थी।

समाजवादी नाम के दल में एक सदस्य के रूप में उन्होंने महिलाओं और मजदूरों के हक के लिए अपनी आवाज बुलंद की। इसके साथ ही समाजवाद एवं  कट्टरपंथी शक्तियों के खिलाफ अभियान चलाया था। इसके अलावा उन्होंने समाज के लिए कई परोपकार के काम किए और लोगों के अंदर जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित किया। हेलन केलर का कहना था कि-

 “जीवन या तो एक साहसिक जोखिम है या फिर कुछ भी नहीं।”

हेलन केलर की महान सोच एवं उनका जीवन आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणादायक हैं, आइए जानते हैं, हेलन केलर की जिंदगी से जुड़े कुछ अहम एवं रोचक तथ्यों के बारे में –

हेलन केलर जीवन परिचय – Helen Keller Biography in Hindi

Helen Keller

हेलन केलर
27 जून 1880, अलबामा, अमेरिका
अर्थर हेनले केलर (Arthur Henley Keller)
केट एडम्स केलर
बीए (हॉवर्ड यूनिवर्सिटी)
1 जून, 1968

जन्म एवं परिवार –

अपनी दरियादिली के लिए पहचानी जानी वाली हेलन केलर 27 जून साल 1880 में अमेरिका के एक अलबामा परिवार में जन्मी थी। इनके पिता जी आर्थर हेनले केलर (Arthur Henley Keller) ने कई साल तक समाचार पत्र के एडिटर के तौर पर काम किया था।

इसके साथ ही उन्होंने आर्मी के कप्तान के रुप में भी अपनी सेवाएं दी थी। उनकी माता कैथरीन एवरेट (एडम्स) केलर, जो कि “केट” के नाम से मशहूर थी, वो एक घरेलू काम-काजी गृहिणी थी जो हेलन से बेहद प्यार करती थी।

हेलन की बोलने, देखने और सुनने की शक्ति छिन जाना –

हेलेन केलर जब महज 19 महीने के थी। तभी वे किसी भयंकर बीमारी की चपेट में आ गईं, जिसके चलते हेलन की बोलने, देखने,और सुनने की शक्ति नष्ट हो गईं। जिसके बाद उनके परिवार में दुखों का पहाड़ टूट पड़े, हंसती-खेलती हेलन को इस अवस्था में देख उनके माता-पिता टूट गए, हालांकि उन्हें कहीं न कहीं इस बात का अंदाजा था कि, उनकी बेटी शारीरिक अक्षमताओं से लड़ने की ताकत रखती है।

हेलन बचपन से ही अन्य बच्चों की तुलना में कहीं ज्यादा होश्यार और बुद्धिमान थी, लेकिन शारीरिक अपंगता के कारण हेलन अन्य बच्चों के साथ बाहर खेल नहीं सकतीं थी। हेलन अपनें सूंघने और छू कर पहचान लेने की शक्ति का इस्तेमाल करनें लगी, तो कई लोगों को वह उनकी गंध से पहचान जाती थी। वहीं हेलन अपने परिवार में सांकेतिक भाषा का इस्तेमाल कर इशारों में अपनी बात समझा देती हैं।

हालांकि इस दौरान कभी-कभी हेलन अपने अपंगता पर झुंझला उठती थी, और इसी के कारण वे जिद्दी स्वभाव की भी बन गईं थी। कभी- कभी तो वे अपने छोटे भाई-बहने को पीटकर या फिर खुद को नुकसान पहुंचाकर अपनी खींज और झुंझलाहट को कम करती थीं।

वहीं हेलन को इस तरह परेशान देखकर उनके माता-पिता व्याकुल हो उठते थे, और अपनी लाडली बिटिया के इलाज के लिए कई डॉक्टर के पास भी गए, लेकिन कोई भी डॉ़क्टर, हेलन केलर की न तो आंखों की रोश्नी लौटा पाए और न ही कोई सुनने और बोलने की शक्ति वापस दे पाए।

इसके बाद हेलन केलर के माता-पिता अपने बच्ची हेलन के शारीरिक रुप से अक्षम होने के बाबजूद भी उन्होंने हेलन की पढ़ाई के बारे में सोचा। इस दौरान हैलन की मां को एक ऐसी चैरिटी संस्था के बारे में पता चला जो शारीरिक रुप से अक्षम व्यक्तियों के जिंदगी में सुधार लाने के लिए काम करती थी, जिसके बाद उनकी मां ने उस संस्था के पास मद्द के लिए गई।

फिर इस संस्था ने उनके घर में हेलन केलर को पढ़ाने के लिए एनि सेलविन नाम की एक टीचर भेजी, जो मूक-बधिर बच्चों को पढ़ाती थीं। और फिर बाद में इसी टीचर ने हेलन केलर को उच्च शिक्षा हासिल करवा कर उसकी जिंदगी को सही दिशा देने की कोशिश की।

पढ़ाई –

जब टीचर एनी सेलविन हेलन के घर पहुंची तब हेलन की मां को उसे देखकर हैरानी हुई और वे इस बात को लेकर चिंता करने लगीं कि यह नई टीचर उनकी जिद्दी और चिड़चिड़े स्वभाव की बेटी हेलन केलर को कैसे पढ़ा पाएंगी। लेकिन एनी सेलविन न सिर्फ एक शिक्षिका के तौर पर हेलन केलर की पढ़ाई में मद्द की, बल्कि उन्होंने हेलन के अंदर सीखने और काम करने की ललक पैदा की और उन्हें शिक्षित कर हेनरी केलर के स्वाभिमान और आत्मविश्वास को जगाने में उसका साथ दिया।

इसके साथ ही हेलन की टीचर ने उनके माता-पिता से हेलन को लाचार, असहाय न समझने के लिए कहा ताकि वे एक सामान्य व्यक्ति की तरह हेलन को आगे बढ़ने में उनकी मद्द कर सकें, हालांकि इसके लिए उन्होंने हेलन को उनके माता-पिता से उन्हें दूर ले जाने की भी इजाजत मांगी ताकि वे एकांत में हेलन कें अंदर सीखने-समझने की अद्भुत शक्ति विकसित कर सकें। जिसके बाद हेलन के परिवार वालों ने उनकी टीचर की इस बात को मांगते हुए अपनी बेटी को उनके साथ रहने की इजाजत दे दी।

वहीं अपनी टीचर के साथ रहते-रहते हेलन केलर के जिद्दी, चिड़िचिड़े और झुंझलाहट वाले स्वभाव में परिवर्तन आया और वे एक सरल, विनम्र और हंसमुख और सभी से प्रेम करने वाली हेलन केलर बन गईं। आपको बता दें कि, हेलन केलर की टीचर भी हेलन की तरह ही दृष्टिहीन थी, जिससे वह हेलर की पीड़ा को बेहद अच्छे से समझती थी, इसलिए उन्होंने हेलन की पढ़ाई की जिम्मेदारी एक आदर्श गुरु के रुप में ली और वे जब तक मेहनत करती रहती थीं, जब तक कि हेलन को पूरी तरह से समझ में नहीं आ जाता था।

हेलन की टीचर एनी ने सबसे पहले उन्हें मॅन्युअल अल्फाबेट’ एवं नई तकनीक की मद्द से उन्हें अक्षर का ज्ञान दिया। वहीं हेलन भी शुरु से ही विलक्षण प्रतिभा की काफी बुद्धिमान छात्रा थी, इसलिए उन्होंने बेहद कम समय में ही अपनी टीचर से कई जर्मन, फ्रेंच, ग्रीक, अंग्रेजी, लैटिन समेत कई भाषाओं का ज्ञान अर्जित कर लिया।

लेकिन, हेलन केलर हमेशा से ही सामान्य बच्चों की तरह शिक्षा ग्रहण करना चाहती थी, इसलिए हेलन को उनकी आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए उनका एडमिशन हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में करवा दिया दिया, जहां से उन्होंने बीए कर आर्ट्स में अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। हालांकि, हेलन ने अपनी बीए की पढ़ाई के दौरान तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।

दरअसल, ब्रेल लिपी में सभी किताबें उपलब्ध नहीं होना, डायाग्राम नहीं दिखने की वजह से हेलन को अपनी पढ़ाई के दौरान काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा था, उन्हें टॉपिक समझने में काफी परेशानी होती थी, लेकिन हेलन के अंदर सीखने की चाहत इस कदर थी कि ये सारी मुसीबतों उनके रास्ता नहीं रोक पाईं और उन्होंने सफलता पूर्वक अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की।

और वे ऐसा करने वाली दुनिया की पहली मूक-बधिर महिला बन गईं। इसके बाद उन्होंने कई दुनिया भर में कई यात्राएं भी की थीं।

दूसरों की सेवा के लिए पूरी तरह समर्पित थी –

अपने जीवन में जिन मुसीबतों का हेलन ने सामना किया था, वे ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थीं कि कोई अन्य कोई दृष्टिहीन और मूक-बधिर व्यक्ति इस तरह की मुसीबतों का सामना करें। वे हमेशा ही मूक-बधिर बच्चों को शिक्षित करने के लिए कहती थी, उनका मानना था कि किसी भी व्यक्ति का आत्मसात शिक्षा से ही हो सकता है, और शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम से जिसके माध्यम से वो आत्मनिर्भर बन सकता है।

इसलिए उन्होंने अपनी कई प्रेरणात्मक लेखन, रचनाओं, भाषण आदि के माध्यम से नेत्रहीन लोगों के कई सवालों के जवाब दिए एवं उन्हें जागृत किया। साथ ही उनके अंदर अपनी जिंदगी में रोशनी भरने का जज्बा कायम किया। इसके अलावा हेलन केलर ने मूक-बधिर बच्चों की मद्द के लिए मिल्टन अंध सोसाइटी स्थापित कर बेल लिपि में उपयोगी साहित्य प्रकाशित करवाया।

यही नहीं हेलन केलर ने शारीरिक रुप से अपंग बच्चों के लिए करोड़ों रुपए इकट्ठे कर कई अनाथालयों एवं संस्थानों का निर्माण करवाया एवं ऐसे बच्चों की सेवा के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया एवं उन्होंने समाज के हित में काम करने के लिए अ्विवाहित रहकर पूरी जिंदगी गुजारने का फैसला किया।

आपको बता दें कि हेलन केलर एक ऐसी महिला थी, जो दान की राशि का एक रुपया भी खुद पर कभी खर्च नहीं करती थी। इसके अलावा शारीरिक रुप से अपंग बच्चों के जीवन में नई आशा, उम्मीद और चेतना जगाने के लिए उन्होंने दक्षिण अफ्रीका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप समेत दुनिया के कई अलग-अलग हिस्सों में यात्राएं भी कीं और प्रेरणात्मक भाषण देकर लोगों के अंदर सकारात्मक जीवन जीने एवं आगे बढ़ने की अलख जगाई।

इसके साथ ही उन्होंने समाज में महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाने एवं उनके अधिकारों के लिए एवं मजदूरों को उनका हक दिलवाने के लिए अपनी आवाज बुलंद की। इसके अलावा हेलन केलर ने लोगों को अपने संघर्षमय जीवन के बारे में भी बताया ताकि लोग उनसे प्रेरणा लेकर अपने जीवन के लक्ष्यों को पाने में सफलता हासिल कर सकें और अपनी शारीरिक अपंगता को अपनी कमजोरी नहीं बल्कि अपनी शक्ति बनाएं।

शारीरिक रुप से अक्षम हेलन केलर ने जिस तरह समाज के हित के लिए काम किए और समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाए ऐसा शायद कोई सामान्य व्यक्ति भी करने का हिम्मत नहीं रखता है। हेलन केलर का साहसी व्यक्तित्व अत्यंत प्रेरणादायी है।

लेखन कार्य –

साहसी और निडर स्वभाव की हेलन केलर ने अपने महान विचारों और जिंदगी के अनुभवों से ब्रेल लिपि में करीब 9 किताबें लिखीं। उनके द्धारा लिखी गईं किताबें दुनिया भर में काफी पसंद भी की गईं। महान समाजसेविका हेलन केलन के द्धारा लिखी गई पुस्तक आत्मकथा ‘मेरी जीवन कहानी’ (The Story of My Life) उनकी मशहूर किताबों में से एक थी, उनकी इस किताब को 50 से ज्यादा भाषाओं में प्रकाशित भी किया जा चुका है।

इसके साथ ही उनकी यह किताब दुनिया भर में सबसे ज्यादा बिकने वाली किताब भी साबित हुई थी, इस पुस्तक से हुई आय से हेलन ने अपने लिए एक घर भी खरीदा था।

इसके साथ ही आपको बता दें कि हेलन केलर प्रकृति के बेहद करीब थीं, वे प्राकृतिक सुंदरतो को अपनी आंखों से भले ही नहीं देख सकती थी, लेकिन उन्होंने लहरों पर थिरकती चांदनी, पहाड़ों से झरती बर्फ, सुंदर वादियों, लहलहराते बाग एवं बसंत के खिले फूलों का अपनी मन की आंखों से बेहद अद्भुत एहसास किया था और बेहद शानदार ढंग से इसका उल्लेख अपनी पुस्तकों में भी किया है।

इसके साथ ही हेलन केलर ने अपने जीवन की मार्गदर्शिका एवं टीचर एनी सेलविन की मद्द से कई महान लेखक जैसे कार्लमार्क्स , टालस्टाय, अरस्तू , रवीन्द्रनाथ टैगोर , नीत्शे, महात्मा गांधी आदि के साहित्य को पढ़ा और उसकी गहराइयों को समझा एवं उनकी कई किताबों का ब्रेल लिपि में अनुवाद भी किया।

इसके अलावा हेलन केलर ने कई मौलिक ग्रंथ भी लिखे। इसके साथ ही हेलन केलर ने अपनी किताबों में यह भी लिखा है कि अपंग बच्चों को दूसरों पर निर्भर नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें अपने गुणों को पहचानकर खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए तभी वे एक सार्थक जिंदगी जी सकते हैं।

मृत्यु –

1 जून साल 1968 को हार्ट अटैक की वजह से वे इस दुनिया से चल बसी। लेकिन उनके महान कामों के लिए उन्हें हमेशा य़ाद किया जाएगा। वहीं आज भी उनका महान व्यक्तित्व लोगों के अंदर नई उमंग एवं चेतना पैदा करता है और आगे बढ़ने का जोश भरता है।

फिल्म –

हेलन केलर एक दूरगामी सोच वाली अद्भुत महिला थी, जिनके प्रेरणादायी जीवन पर हिन्दी फिल्म “ब्लैक” भी बन चुकी हैं। इस फिल्म को हिन्दी सिनेमा के प्रख्यात डायरेक्टर संजय लीला भंसाली ने डायरेक्ट किया था। वहीं अभिनेत्री रानी मुखर्जी ने इस फिल्म में विलेन का किरदार निभाया था, जबकि बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन भी इस फिल्म में मुख्य रोल में थे।

विचार –

  • दुनिया की सबसे खूबसूरत एवं सुन्दर चीजें न कभी देखी जा सकती है और न ही छुई जा सकती है। वो तो सिर्फ और सिर्फ दिल से महसूस की जा सकती हैं।
  • हेलेन केलर शिक्षा का सबसे बेहतरीन और उत्तम ज्ञान हमें सहिष्णु होना सिखाना ही है।
  • हम वह सबकुछ कर सकते हैं, जिसे करने की हम इच्छा रखते हैं, लेकिन इसके लिए शर्त सिर्फ यह है कि जो करें उसमें तन्मयता से लगे रहें।
  • “खुद की तुलना ज्यादा भाग्यशाली लोगों से करने की बजाय हमें अपने साथ के ज्यादातर लोगों से अपनी तुलना करनी चाहिए और तभी हमें लगेगा कि हम कितने भाग्यशाली हैं।”

इस तरह कई और महान विचारों के माध्यम से उन्होंने लोगों के अंदर जीवन के प्रति सकारात्मक भाव विकसित किया।

हेलन केलर इस दुनिया की एक ऐसी महान हस्ती थी, जिन्होंने अपने पूरे जीवन भर भलाई के काम किए और वे कई लोगों की प्रेरणा भी बनी।

हेलन केलर नेत्रहीन होने के बाबजूद भी वे अपने मन की आंखों से सब कुछ देख सकती थीं और बाधिर होते हुए भी संगीत के मधुर धुन सुन सकती थी। हेलन केलर का हर सपना रंगीन था और उनकी कल्पना अद्धितीय थी। ऐसी महान हस्ति को पूरी ज्ञानी पंडित की टीम की तरफ से शत-शत नमन!

12 thoughts on “हेलन केलर जीवन परिचय”

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Aapne Kaafi acchi jankari di..

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There is not full about Hellen Keller

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Helen Keller was really a good lady

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Helen kelar had a strong willpower. We have also learn them.

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She is good. very nice biography of Helen Keller

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हेलन केलर का जीवन परिचय | Biography of Helen Keller in Hindi

  • Post author: HariOm
  • Post published: October 20, 2020
  • Post category: Hindi Biographies

थोड़ी देर के लिए मान लीजिए कि जिस घर में आप रह रहे हैं वहाँ की लाइट चली जाए या फिर आप जिस कमरे मैं आप हो वहाँ बिलकुल भी रोशनी ना हो। मतलब अँधेरा ही अँधेरा हो और यह अँधेर कुछ ही देर के लिए तो आप कैसा महसूस करोगे?

सोचिए कि जिस इन्सान की ज़िन्दगी में अँधेरा हमेशा के लिए हो गया हो और वह कुछ देख ही नहीं सकता हो तो यह कोई छोटी सी समस्या तो बिलकुल भी नहीं है वल्कि बहुत ही बड़ी समस्या है। ठीक यही संघर्ष हम हेलन केलर का जीवन परिचय | Biography of Helen Keller in Hindi को पढ़कर जानेंगे। हेलेन ने जीवनभर कभी भी हार नहीं मानी और पूरी दुनिया में प्रेरणा की स्रोत बनीं।

चलिए जानते हैं कि हेलन केलर (Helen Keller) ने ऐसा क्या हासिल (Achieve) किया था जोकि यह पूरी दुनिया के लिए इंस्पपिरेशन बनी तो हम आशा करते हैं कि आप हेलन (Helen Keller in hindi) के बारे में सब कुछ आसान और कम शब्दों में इस लेख के अंत तक जरूर पढेंगे जोकि शायद पहले आप नहीं जानते हो।

बता दें कि हेलन हमेश कहती थीं कि इससे भी ज्यादा बुरा क्या है जोकि अँधेरे से भी गहरा काला है वो वह यह है कि ‘आपके पास आँखे तो हैं लेकिन कोई वीजन (Vision) नहीं है।’ तो आप सच में अंधे हो।

हेलन की यही विचार-धारा पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा स्रोत बनी क्योंकि हेलन सुन और देख नहीं सकती थीं और किसी आम इंसान की तरह बोल भी नहीं सकती थी। फिर भी हेलन ने साबित कर के दिखा दिया कि यदि आप अपने लक्ष्य के प्रति कठिन परिश्रम पूरी ईमानदारी से करते हो तो निश्चित ही सफलता मिलती है। इसके साथ-साथ हेलन मरते दम तक दरियादिल इंसान भी रही।

हेलन केलर का जीवन परिचय | Biography of Helen Keller Hindi

हेलन केलर
हेलन ऐडम्स केलर
27 जून, 1880
तस्कम्बिया, अलबामा, सयुंक्त राज्य अमेरिका
अर्थर हेनले केलर
केट ऐडम्स केलर
बी.ए. – रेडक्लिफ़ कॉलेज (हार्वर्ड यूनिवर्सिटी)
1 जून, 1968 (87 वर्ष)
डेप्थ-ब्लाइंड (अंधी-बहरी)
एन सेलविन
समाज-सेविका, मोटिवेशनल स्पीकर, लेखिका और लेक्चरार

हेलन केलर का जन्म 27 जून, 1880 को तस्कम्बिया, अलबामा, यूनाइटेड स्टेट ऑफ़ अमेरिका में हुआ था। हेलन केलर का पूरा नाम ‘हेलन ऐडम्स केलर’ था। पिता का नाम अर्थर हेनले केलर (Arthur Henley Keller) था जोकि सेना में कैप्टन के रूप में कार्यरत रह चुके थे और माँ का नाम केट ऐडम्स केलर (Kate Adams Keller) था जोकि एक गृहणी थीं और हेलन से बेहद प्यार करती थी।

हेलन जोकि डेप्थ-ब्लाइंड ( Depth blind ) मतलब ‘अंधी और बहरी’ थीं। लेकिन उन्होंने टच करने के फील हो इतना विकसित कर लिया कि उन्होंने पूरी दुनिया को प्रेरित करते हुए 28 जून,1904 को रेडक्लिफ कॉलेज (Redcliffe college), हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ़ आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया। और अपनी 87 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को बहुत कुछ सिखाया। जिनकी म्रत्यु 1 जून, 1968 को अपने वेस्टपोर्ट (Westport) स्थित घर हुई।

हेलन जब पैदा हुई थीं तब वह सभी बच्चों की तरह सामान्य थीं। लेकिन 19 महीनों की आयु में उनको तेज बुखार (ब्रेन फीवर) हुआ। जिसके कारण वो डेप्थ-ब्लाइंड हो गई। जिसमे उन्होंने देखने और सुनने की शक्ति/क्षमता को खो दिया और आपको बता दें जो लोग सुन और देख नहीं सकते वह लोग बोलते भी बहुत कम हैं। इसी कारण हेलन कभी सामान्य इन्सान की तरह जीवन भर न बोल सकी।

इस समस्या के पश्चात हेलेन के परिवार ने काफी कोशिश करी और बहुत डॉक्टर्स से मिले कि उनकी बेटी सामान्य बच्चों की तरह देख, सुन और बोल सके लेकिन यह परेशानी कोई भी डॉक्टर सही नहीं कर पाया। और जीवन-भर हेलन सामान्य इन्सान की तरह देख और सुन नहीं पायी।

हेलन केलर का परिवार ऐसी जगह रहता था जहाँ से विकलांग लोगों का स्कूल या संस्था बहुत दूर थे। जिससे कि हेलन कुछ सीख सके। इसी कारण हेलन के परिवार को काफी चिंता थी कि उनकी बेटी सामान्य बच्चों की तरह ज़िन्दगी जिये क्योंकि आप कल्पना करके देखिये। जिस व्यक्ति को इस संसार में किसी भी चीज का मतलब ही नहीं पता हो। उसके जीने का क्या ही फायदा है। इन्ही कारणों के चलते हेलन के परिवार को एक ट्यूटर की जरूरत थी। जो उनके घर आकर उनकी बेटी को कुछ सिखा सके। जिससे वो चीजों को समझ सके।

हेलन केलर जब 6 वर्ष की थीं तब उनके संपर्क में उनकी टीचर आयी और वही हेलन की लाइफ का टर्निंग पॉइंट था। जहाँ से उनकी पूरे जीवन को एक नई दिशा मिल गई।

आपको बता दे कि हेलन की सफलता और उपलब्धियों मे जितनी भूमिका उनकी खुद की है; उससे कहीं ज्यादा भूमिका उनकी टीचर एन सेलिवन ( Anne Sullivan) की है। क्योंकि जो कभी ना हार मानने वाला जज्बा, हेलन में उनकी टीचर एन सेलिवन से आया था। जब एन सेलिवन ने उनको सिखाना शुरू किया। तो उस समय हेलन और एन के लिए सबसे बड़ा चैलेंज ये नहीं था कि उनको शब्द कैसे सिखाये जाएँ? बल्कि चैलेंज ये था कि उस शब्द का एक्चुअल मतलब क्या है? मतलब उस शब्द का किस ऑब्जेक्ट से सम्बन्ध है। क्योंकि वो देख नहीं सकती थी और सुन नहीं सकती थी। तो उनको कैसे बताया जाये कि वह टच करती है। उसको क्या कहते है? मतलब इसको पानी कहते है, टेबल कहते है, कुर्शी कहते है, यह सबसे बड़ा चैलेंज था।

हेलन केलर की फिल्म – Movie on helen Keller in hindi

हेलन केलर के जीवन पर आधारित कई मूवी बनीं। जिसमे एक मूवी बॉलीवुड में संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित ब्लैक (Black) बनी जो 2005 में प्रदर्शित हुई थी। जिसमे अमिताभ बच्चन और रानी मुखर्जी ने काम किया था। ये मूवी पूरी तरह से हेलन के जीवन पर आधारित नहीं थी। लेकिन The Miracle Worker मूवी जो कि पूरी तरह से हेलन के जीवन पर आधारित है। वो मूवी आपको जरूर देखनी चाहिए। जिससे आप हेलन के जीवन के बारे में और अच्छे से जान पाओगे। क्योंकि आप प्रेक्टिकली देखोगे कि ये चमत्कार (Miracle) कैसे हुआ था?

दी मिरेकल वर्कर (The miracle worker) मूवी के मुताबिक ‘एन सेलिवन’ जो हेलन की टीचर थी। वो हेलन की माँ से बोलती हैं कि मेरी सबसे बड़ी चुनौती यह कि मैं हेलन से कम्यूनिकेट कैसे करूँ? मतलब मैं कैसे बताऊँ कि इस शब्द का मतलब यह होता है मतलब यह पानी है, खिलौना है, टेबल है, मेरा सबसे बड़ी चुनौती यही है। तो हेलन की माँ ने बोला तो आप यह कैसे करोगी? तो उनकी टीचर ने जबाब दिया की मुझे नहीं पता कि ये कैसे होगा? लेकिन यह होगा। जब हेलन सभी से कम्यूनिकेट कर पायेगी। पर कब होगा? ये कोई नहीं बता सकता। लेकिन ये होगा जरूर। और जब हेलन ने पहला शब्द अपने मुंह से बोला था। वो water (पानी) था। उसके बाद हेलन माँ के पास गई, पिता के पास गई। उनको टच किया फिर टीचर के पास गई उनसे पूछा कि इसका क्या मतलब है? उन्होंने हाथों पर लिख कर बताया कि इस का मतलब यह है, इसका मतलब यह है। मतलब एन हेलन के हाथों पर ही अक्षर की आकृति बना कर के समझाया करती थीं। फिर ये सिलसिला शुरू हुआ और उसके बाद हेलन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आपको यह और अच्छे से समझाना है तो आपको The miracle worker मूवी जरूर देखनी चाहिए। जिसमे हेलन के बचपन के जीवन (Biography of Helen Keller in hindi) को बहुत अच्छे से फिल्माया गया है।

हेलन केलर की कहानी | Helen Keller story in hindi

Anne sullivan and helen keller

जैसे कि आप उपर्युक्त पढ चुके हैं कि यह कहानी हेलन केलर की अकेले की नहीं है। वल्कि एन सेलिवन और हेलन दोनों की है। क्योंकि मरते दम तक एन ने हेलन का साथ नहीं छोड़ा क्योंकि यह टीचर और स्टूडेंट का सम्बन्ध नहीं था वल्कि एक दोस्ती की भी कहानी बनी। और हेलन ने अपनी ऑटोबायोग्राफी ( story of my life ) में भी बार-बार जिक्र किया है कि मैं अपने टीचर की बिना इतना सब सोच भी नहीं सकती थी। तो हम इस कहानी से सिर्फ ये नहीं सीखते की इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है। बल्कि ये भी सीखते हैं कि रिलेशनशिप क्या होती है? मतलब दो लोग साथ में मिलकर कुछ भी कर सकते हैं। चमत्कार कर सकते है।

हेलन केलर इसके बाद सीखती चली गई। उन्होंने सबसे पहले शब्द सीखे, शब्द से बने वाक्य, ग्रामर और फिर लिप्स और थ्रोट को टच करके बोलना भी सीख गई। वो दुनिया की पहली इंसान बनी जिन्होंने  डेप्थ ब्लाइंड होने के बाबजूद भी बैचलर ऑफ़ आर्ट्स में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। लेकिन वह यहीं नहीं रुकी क्योंकि उन्हें दुनिया के लिए इन्सपिरेसन बनाना था। तो उन्होंने पड़ा, बोला और लिखना भी शुर कर दिया। किताबे (books) भी लिखीं। जिसमे स्टोरी ऑफ़ माय लाइफ काफी पोपुलर रही क्योंकि वो उनकी ऑटोबायोग्राफी थी। हेलन यही नहीं रुकी। उन्होंने पूरे वर्ल्ड में ट्रेवल किया और एक वक्ता (Lecturer) के तौर पर। जिसमे उन्होंने कई देशों में प्रेरणात्मक भाषण दिए।

जो लड़की देख, सुन और बोल नहीं सकती थी। वो एक लेखिका, लेक्चरार और ग्रेजुएट हुई। समाज में महिलाओ को बराबरी का दर्जा दिलवाने के लिए अपनी आबाज बुलंद की। सोचो विकलांग शारीरिक अवस्था में लोग अपने लिए कुछ नहीं कर पाते लेकिन उन्होंने पूरी दुनिया से कहा –

“कभी भी सर झुकाकर मत जीयो, सर उठा कर जीयो”

यही सब हेलन की उपलब्धि (अचीवमेंट) थीं। और कौन जो बचपन से ही न देख सकती थी और ना ही सुन सकती थी। इस असंभव (impossible) काम को हेलन और एन (उनकी अध्यापिका) ने मिलकर पूरा किया और पूरी दुनिया से कहा कि इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं है।

तो हम हेलन केलर का जीवन परिचय | Biography of Helen Keller Hindi से यह सीख सकते हैं कि हमें किसी भी छोटी सी छोटी परेशानी के कारण बस रोते नहीं रहना है। जैसे हम ज्यादातर करते हैं। हमें लड़ना है जैसे की हेलन ने लड़ा और बहुत ही बखूबी लड़ा और लड़ा ही नहीं लाखों लोगों को अपने इस अंदाज से प्रेरित भी किया।

इसे भी पढ़ें: महान दार्शनिक सुकरात कौन थे?

हेलन केलर के विचार | Helen Keller quotes in Hindi | Helen Keller thinking

“अँधेरे में एक दोस्त के साथ चलाना, प्रकाश में अकेले चलने से बेहतर है। “
“जीवन में कोई विज़न (लक्ष्य) ना होने से अंधा होना बेहतर है।”
“दुनिया में सबसे अच्छी और सबसे सुंदर चीजों को देखा या स्पर्श नहीं किया जा सकता, उन्हें सिर्फ दिल से महसूस किया जा सकता है।”
“यदि संसार में केवल ख़ुशी होती तो हम बहादुर और धेर्यवान होना कभी नहीं सीखते।”
“जीवन पाठों का उत्तराधिकारी है, जिसे समझने के लिए जीना बहुत जरूरी है।”
“हम जीवन में कुछ भी कर सकते हैं, यदि हम उससे जीवन भर जुड़कर रहना चाहते है।”
“ज्ञान और प्रेम प्रकाश की द्रष्टि है।”
“मैं शांति नहीं चाहती। जो समझ में आता है वो समझ चाहिए जो शांति खुद लाती है।”
“जीवन एक रोमांचक यात्रा है, और सबसे रोमांचक ये तब है जब ये किसी दुसरे के लिए जी जाये।”
“अपने सर को कभी ना झुकाए, उसे ऊँचा रखे और दुनिया को सीधे आखों से देखें।”

मतलब आपके अंदर दुनिया की आँख में आँख डालकर चलने का दम होना चाहिए। और दोस्तों मजे की बात तो यह है कि ये सोच किसकी है? जो कभी देख ही ना सकी। तो मतलब साफ़ है, यदि आप देख नहीं सकते तो क्या हुआ? तब भी दुनिया की आँख में आँख डालकर के बात करो।

FAQs: बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न

Ans. हेलेन केलर का जन्म 27 जून, 1880 को हुआ था।

Ans. हेलेन केलर का जन्म यूनाइटेड स्टेट के तस्कम्बिया (अलबामा) में हुआ था।

Ans. हेलेन केलर को डेप्थ-ब्लाइंड नामक बीमारी थी जिस कारण वह पूरी तरह से अंधी और बहरी थी। इसके अलावा अपने शुरआती समय तक बोलने में भी सक्षम नहीं थी।

Ans. हेलेन केलर ने देखने और सुनने की शक्ति मात्र 19 महीनों की आयु में खो दी थी।

Ans. हेलेन एक लेक्चरर और लेखिका होने के साथ समाज में महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलवाने के लिए आगे आयीं और समाज को मोटीवेट किया।

Ans. हेलेन ने वर्ष 1904 में  रेडक्लिफ़ कॉलेज (हारवर्ड विश्वविद्यालय) से बैचलर ऑफ़ आर्ट्स में ग्रेजुएशन (स्नातक) किया था।

निष्कर्ष: The Conclusion

इस मोटिवेशनल जीवनी को यहाँ तक पढने के बाद आपको भी लग रहा होगा कि सफल वही होता है जो बिना हार माने लगातार महनत करता रहता है। तो दोस्तों इस लेख में इतना ही जिसमे हमने हेलन केलर का जीवन परिचय | Biography of Helen Keller Hindi के अलावा हेलेन केलर की स्टोरी मतलब हेलन केलर की पूरी कहानी ( Helen Keller story in hindi ) और About helen keller in hindi को बहुत ही सरल रूप में समझाने का प्रयास किया है।

यदि आप हेलन केलर (Helen keller in hindi) के बारे में पढकर प्रेरित हुए हो और आपको यह जानकारी पसंद आयी हो तो इसे अपने दोस्तों से साथ सभी सोशल मीडिया हेंडल्स पर जरूर शेयर करें।

यदि आपका इस लेख या आर्टिकल से सम्बन्धित कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें नीचे कमेन्ट करके जरूर बताये। हम आपकी टिप्पणी की सदैव सराहना करते हैं।

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हेलन केलर - Helen Keller Biography in Hindi

हेलन केलर – Helen Keller Biography in Hindi

Table of Contents

हेलन केलर के जीवन के अनछुए पहलू- Life story of Helen Keller

हेलन केलर एक अद्भुत और विलक्षण महिला थीं, जिन्होंने अंधता और बधिरता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया और अपनी स्पर्श इंद्रिय को ही पढ़ने और समझने का माध्यम बनाया. शिक्षाविद, समाजवादी और समाजसेवी के रूप में विख्यात हुई हेलन केलर को 20वीं सदी की महानतम महिलाओं में शामिल किया जाता है.

संक्षिप्त जीवनी Brief Biography

हेलन केलर का जन्म 27 जून, 1880 को अमेरिका में एला के तुसकुम्बिया के एक सम्पन्न परिवार में हुआ. 1882 में एक गम्भीर बीमारी से उनकी आंखों की रोशनी और सुनने की क्षमता जाती रही.

1887 में एक शिक्षिका एनी  सुलिवान की मदद से हेलन केलर को अपनी कम्युनिकेशन की क्षमता सुधारने में काफी मदद मिली. इसके बाद, केलर ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और 1904 में स्नातक तक शिक्षा प्राप्त की.

1920 में केलर ने अमेरिकन सिविल लिबर्टी यूनियन (एसीएलयू ) की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया. हेलन केलर को उनके जीवनकाल में उनकी उपलब्धियों के लिए कई सम्मानों से नवाजा गया.

हेलन केलर का आरम्भिक जीवन – Early Life of Helen Keller

हेलन केलर अपने पिता आर्थर एच. केलर और मां कैथरीन एडम्स केलर की दोनों बेटियों में बड़ी थीं. उनके दो सौतेले भाई भी थे. बालिका हेलन के पिता सेना में अधिकारी थे.

परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य थी और आय का मुख्य स्रोत कपास की खेती थी. आगे चलकर, आर्थर एक अखबार नॉर्थ अलबामियन के संपादक बन गए. बालिका हेलन बहुत सुन्दर और आकर्षक थी.

छह माह की उम्र में ही उसने बोलना और एक वर्ष की उम्र में चलना सीख लिया था. डेढ़ वर्ष की आयु तक वह अन्य बच्चों की तरह देख व सुन सकती थी और कुछ-कुछ बोलना भी सीख रही थी.

हेलन की देखने और सुनने की क्षमता जाना – Helen’s loss of vision and hearing

हेलन एक गंभीर रोग (संभवतः मेनिन्जाइटिस या स्कारलेट फीवर)  से पीड़ित हुईं. बुखार आने के कुछ दिन बाद बालिका हेलन की मां ने महसूस किया कि जब खाने की घंटी बजती है या उसके चेहरे के सामने हाथ हिलाया जाए, तब हेलन कुछ प्रतिक्रिया नहीं देती.  बीमारी से 19 माह की अल्प आयु में ही हेलन केलर की देखने और सुनने की क्षमता चली गई.

हेलन का संघर्ष – Helen’s Struggle

हेलन शीघ्र ही समझ गई कि अन्य बच्चों से उसका जीवन भिन्न है. वह उनकी भांति देख-सुन व खेल नहीं सकती. यदि कोई उसके संकेतों को समझने में गलती करता तो वह क्रोध में उसके कपड़े फाड़ देती और बाल नोच लेती.

हेलन को अपनी गुड़िया से बहुत प्यार था. वह दिन भर उसे अपने गले से लगाए रहती थी. किन्तु वह अपनी छोटी बहिन को बहुत नापसंद करती थी, क्योंकि कोई भी उसे उससे खेलने नहीं देता था. एक दिन उसने अपनी छोटी बहिन को गुड़िया के पालने में सोते पाया.

वह चिढ़ गई और उसने क्रोध में पालना उलट दिया. मां ने भाग कर गिरती हुई बच्ची की रक्षा की. हेलन अक्सर दूसरों को ही नहीं, वरन अपने को भी हानि पहुंचाती थी. अपने शरीर पर दूध, पानी आदि गिरा लेती थी. एक दिन वह खुद जलते-जलते बच्ची.

हेलन की शिक्षिका एनी सुलिवान – Helen’s teacher Annie Sullivan

हेलन के माता-पिता हर तरह से हताश हो चुके थे. 1886 में हेलन की मां ने चार्ल्स डिकेन्स की ट्रेवल डायरी अमेरिकन नोट्स पढ़ी, जिसमें एक अंध-बधिर बालिका लॉरा ब्रिजमन की सफलापूर्वक शिक्षा का उल्लेख था.

जिसके बाद, उन्होंने हेलर और उसके पिता को बाल्टीमोर में डॉ. जे. जूलियन चिसोम के पास भेजा. डॉ. चिसोम ने उन्हें टेलीफोन के आविष्कारक एलेक्जेंडर ग्राहम बेल के पास भेजा, जो उन दिनों बधिर बच्चों के साथ काम कर रहे थे.

बेल ने हेलन और उसके माता-पिता से मुलाकात के बाद उन्हें बोस्टन नगर के पर्किन्स अंधविद्यालय जाने की सलाह दी. वहां उनकी भेंट एक शिक्षिका एनी सुलिवान से हुई.

एनी सुलिवान हेलन के अंधेरे जीवन में रोशनी की किरण सी बनकर आईं. सुलिवान स्वयं अत्यंत निर्धन थीं और 18 वर्ष की आयु में दृष्टिहीनता के रोग से पीड़ित हो चुकी थीं, किन्तु एक सफल ऑपरेशन से 20 वर्ष की आयु तक उनकी आंखों की रोशनी में काफी सुधार आ गया था.

एनी सुलिवान के स्नेह एवं सहानुभूति भरे व्यवहार ने हेलन के जीवन में चमत्कारिक बदलाव लाया. एनी ने हेलन की हथेली मे डॉल शब्द लिखा. हेलन को यह अच्छा लगा, हालांकि उस समय उसे यह पता नहीं था कि उसकी प्यारी गुड़िया को वास्तव में डॉल कहते हैं.

कुछ दिन के प्रयत्न से ही वह समझ गई कि प्रत्येक वस्तु का एक नाम होता है और धीरे-धीरे वह बहुत-से शब्द सीख गई. अब तक वह सदैव कुछ न कुछ नया ज्ञान, नई जानकारी चाहती और उसकी शिक्षिका एनी उसे सिखाते न थकती.

इस प्रकार एनी सुलिवान ने उसके लिए नया खजाना खोल दिया था.  ब्रेल लिपि( अंध लिपि) में लिखी हुई पुस्तकें वह हेलन को पढ़ने के लिए देती थीं.

हेलन केलर की शिक्षा – Helen Keller’s Education

एनी सुलिवान ने कितने कष्ट, परिश्रम और अध्यवसाय से हेलन को पढ़ाया, उसका वर्णन करना असम्भव है. कई बार उन्हें असफलता मिलती थी, तो भी वे धैर्य और साहस से प्रयत्न करती रहीं.

करीब 6 वर्ष की आयु में ही हेलन ने वस्तु-ज्ञान प्राप्त कर लिया था. 9 वर्ष की आयु में उसकी अटकी हुई जवान खुल गई और 10वें वर्ष में उसने सभी अक्षरों और बहुत से शब्दों का ज्ञान प्राप्त कर लिया था.

वर्ष 1896 में हेलन ने एनी सुलिवान के साथ कैम्ब्रिज-स्कूल में प्रवेश किया. एनी क्लास में जरूरी नोट्स लेती थीं और अपनी संकेत भाषा में हेलन को समझाती थीं. दो वर्षो में ही हेलन ने अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, लैटिन आदि भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया था.

बीस वर्ष की आयु तक वे इतनी सुयोग्य हो चुकी थीं कि कॉलेज में प्रवेश कर सकें. वर्ष 1904 में उन्होंने विश्वविद्यालय की बी. ए. परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास की. उन्होंने शेक्सपीयर और अन्य महाकवियों का अध्ययन किया.

हेलन केलर का समाज सेवा करियर – Helen Keller’s career as a social worker

हेलन केलर ने अपने एक प्रोफेसर के प्रोत्साहन पर लिखना शुरू किया और सात पुस्तकें लिखी, जिनमें उनकी आत्मकथा The Story of My Life  अमूल्य निधि है. इस पुस्तक में हेलन केलर के बचपन से लेकर 21 वर्ष की उम्र में कॉलेज पहुंचने तक के सफर को लिखा गया है.

कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद हेलन केलर ने अपना पूरा समय समाज सेवा के लिए देना शुरू किया.  केलर जगह-जगह जाकर व्याख्यान देने लगीं और दूसरों के जीवन में बदलाव लाने का प्रयास करने लगीं.

1915 में उन्होंने विख्यात सिटी प्लानर जॉर्ज केसलर के साथ मिलकर अंधता और कुपोषण के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए समर्पित संस्था हेलन केलर इंटरनेशनल की स्थापना की.  1920 में उनके सहयोग से अमेरिकन सिविल लिबर्टी यूनियन की स्थापना हुई. केलर ने समाजवादी पार्टी में शामिल होकर समाजवाद के बारे में भी कई लेख लिखे.

यात्राएं Helen Keller’s Travels

1946 से 1957 के बीच हेलन केलर ने 5 महाद्वीपों के 35 से अधिक देशों की यात्रा की. 1955 में 75 वर्ष की आयु में अपने जीवन के सबसे लम्बे और कठिन सफर पर निकल पड़ीं. इसमें उन्होंने एशिया में 40 हजार मील की यात्रा 5 महीने में पूरी करते हुए अपने भाषणों औऱ मुलाकातों के माध्यम से लाखों लोगों को प्रेरणा दी.

1961 में हेलन केलर को एक के बाद एक कई स्ट्रोक आए और उन्होंने बाकी का अपना जीवन कनेक्टिकट स्थित अपने घर पर ही गुजारा.

हेलन केलर का निधन – Helen Keller’s death

हेलर केलर का उनके 88वें जन्मदिन से कुछ सप्ताह पहले 1 जून, 1968 को निधन हो गया. हेलन केलर ने संकल्प, कड़ी मेहनत और अपनी कल्पनाशीलता से अपनी कमजोरियों को अपनी ताकत बना लिया और पूरी दुनिया के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया.

हेलन केलर से जुड़े रोचक तथ्य – Interesting facts about Helen Keller

हेलन केलर तैरना, घुड़सवारी करना और नाव खेना भी जानती थीं. वे शतरंज और ताश भी कभी-कभी खेलती थीं. वे  ब्रेल-लिपि में बनाए टाइपर-राइटर द्वारा लेख, पुस्तकें आदि लिखती थीं.

हेलन केलर की स्पर्श इंद्रिय इतनी संवदनशील थीं कि गाने वाले के कण्ठ को छूकर ही वे सुरीले गीत का आनंद ले लेती थीं. रेडियो को छूकर उसके कम्पन से ही सब कुछ सुनती थीं. हेलन हाथ मिलाते ही परिचितों को पहचान लेती थीं और यह भी बता सकती थीं कि वे इस समय क्रोध में हैं अथवा आनन्द में.

हेलन केलर को मिले पुरस्कार एवं सम्मान – Awards and honours received by Helen Keller

  • 1936 में थियोडोर रूजवेल्ट विशिष्ट सेवा पदक
  • 1964 में राष्ट्रपति स्वतंत्रता पदक
  • 1965 में वीमन हॉल ऑफ फेम में चुना गया
  • स्कॉटलैंड की ग्लासगो यूनिवर्सिटी, जर्मनी की बर्लिन यूनिवर्सिटी और भारत के दिल्ली विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट की उपाधि
  • एजूकेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्कॉटलैंड की मानद फैलो

हेलन केलर के कथन- Helen Keller quotes

” मैंने समाचार-पत्रों से सबसे पहले जाना कि मैं अन्धी, बहरी और गूंगी थी. मैंने प्रयत्न और परिश्रम से अपने को शिक्षित बनाया. अब मैं पढ़ सकती हूं, बोल सकती हूं, रंगों में भेद बता सकती हूं, टेलीफोन के संदेशों को सुन सकती हूं. मुझमें दैवी शक्ति है. मैं कभी दुखी, चिन्तित और निराश नहीं होती तथा सदैव प्रसन्न और संतुष्ट रहती हूं.’’

‘‘अनन्त काल क्षेत्र में, चिरन्तन, दिव्य, रहस्यमयी शक्तियों के प्रति कौन अन्धा और बहरा नहीं है. मैं अन्तर्दृष्टि से परम प्रभु की अनन्त विभूतियों का दर्शन करती हूं और उसके अमर संगीत को सुनती और अनुभव करती हूं.’’

‘‘यह सत्य है कि मैं वृक्षों के झुरमुट में से झांकते हुए चन्द्रमा को नहीं देख सकती, किन्तु मेरी उंगलियाँ जल की हिलोरों में अठखेलियां करती हुई चांदनी की झलमलाहट को स्पर्श करती हुई-सी प्रतीत होती हैं.’’

‘‘मृत्यु के पश्चात ही मुझे वास्तविक दृष्टि-लाभ होगा, अतएव चिरन्तन सत्य के दर्शन करने में मैं तब तक तत्पर रहूंगी जब तक कि मुझमें इतनी अंतश्चेतना जागृत न होगी कि जीवन और मृत्यु समान हैं.’’

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Helen Keller Biography in Hindi | हेलन केलर का जीवन परिचय

Helen Keller Biography in Hindi | हेलेन केलर Helen Keller एक अमेरिकी लेखक, राजनीतिक कार्यकर्ता और आचार्य थी। बचपन में बीमारी के वजह से अपनी देखने और सुनने की शक्ति खोने के बाद भी उन्होंने दुनिया में मिशाल पेश की।

Helen Keller Biography in Hindi |  हेलन केलर का जीवन परिचय

  • पूरा नाम हेलेन एडम्स केलर
  • जन्म 27 जून 1880
  • जन्मस्थान अलाबामा
  • पिता एडम्स केलर
  • माता केट एडम्स केलर
  • पति पीटर फगन
  • शिक्षा बी.ए
  • व्यवसाय लेखक, राजनीतिक कार्यकर्ता
  • नागरिकता/राष्ट्रीयता अमेरिकी

लेखक हेलन केलर (Helen Keller Biography in Hindi)

Helen Keller Biography in Hindi | हेलेन केलर Helen Keller एक अमेरिकी लेखक, राजनीतिक कार्यकर्ता और आचार्य थी। बचपन में बीमारी के वजह से अपनी देखने और सुनने की शक्ति खोने के बाद भी उन्होंने दुनिया में मिशाल पेश की। समाजवादी नाम के दल मे एक सदस्य के रूप में उन्होंने दुनिया भर के श्रमिकों और महिलाओं के मताधिकार, श्रम अधिकार, समाजवाद और कट्टरपंथी शक्तियों के खिलाफ अभियान चलाया नारी जाति का गौरव हेलेन केलर शरीर से अपंग पर मन से समर्थ महिला थीं।

प्रारंभिक जीवन (Helen Keller Early Life)

हेलन केलर का जन्म 27 जून 1880 को अलबामा में हुआ। उनके पिता शहर के समाचार-पत्र के सफल सम्पादक और माँ एक गृहिणी थी। हेलन को छोटी सी उम्र में ही तेज बुखार ने जकड़ लिया।अधिकतर मामलो में ऐसे रोगी की मृत्यु हो जाती हे। लेकिन हेलन बच गयी बाद में पता चला कि उनकी देखने और सुनने की शक्ति जा चुकी थी। माता-पिता बहुत चिंता करने लगे। किन्तु वे जानते थे कि उनकी पुत्री सब संघर्षों का सामना करने की ताकत रखती है।

शिक्षा (Education)

हेलन केलर की नजर, जबान और सुनने की शक्तीचली गयी। पर उनके माता पिता ने उन्हें पढ़ाने का निश्चय किया और शिक्षक ढूढने लगे और नशिब से इस सुलिव्हान टिचर ने उन्हें शिक्षा दी। पहले 'मॅन्युअल अल्फाबेट' के तरीके से अक्षर पढ़ने लगी। आगे जाकर वो ब्रेल पढ़ने लगी। उन्होंने बेहद कम समय में ही अपनी टीचर से जर्मन, फ्रेंच, ग्रीक, अंग्रेजी, लैटिन जैसे कई भाषाओं का ज्ञान अर्जित कर लिया।

हेलन केलर को बाकी बच्चों के साथ पढ़ने की इच्छा थी। उस वजह से उच्च पढाई के लिये उन्होंने विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। बोर्ड के उपर की डायग्राम नहीं दिखना, ब्रेल लिपी में सभी किताबे नहीं होना इन जैसे कठिनाई को पार करके उन्होंने अपनी पढाई जारी रखी और वो स्नातक हुयी।

सामाजिक कार्य (Helen Keller Social Work)

हेलन केलर ने शारीरिक रुप से अपंग बच्चों के लिए करोड़ों रुपए इकट्ठे किये और कई अनाथालयों और संस्थानों का निर्माण करवाया। ऐसे बच्चों की सेवा के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया उन्होंने समाज के हित में काम करने के लिए अ्विवाहित रहकर पूरी जिंदगी गुजारने का फैसला किया।

हेलन केलर एक ऐसी महिला थी। जो दान की राशि का एक रुपया भी खुद पर कभी खर्च नहीं करती थी। इसके अलावा शारीरिक रुप से अपंग बच्चों के जीवन में नई आशा, उम्मीद और चेतना जगाने के लिए उन्होंने दक्षिण अफ्रीका, केनेडा, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप समेत दुनिया के कई अलग-अलग हिस्सों में यात्राएं भी कीं और प्रेरणात्मक भाषण देकर लोगों के अंदर सकारात्मक जीवन जीने और आगे बढ़ने की अलख जगाई।

उन्होंने समाज में महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाने उनके अधिकारों के लिए और मजदूरों को उनका हक दिलवाने के लिए अपनी आवाज बुलंद की। इसके अलावा हेलन केलर ने लोगों को अपने संघर्षमय जीवन के बारे में भी बताया। ताकि लोग उनसे प्रेरणा लेकर अपने जीवन के लक्ष्यों को पाने में सफलता हासिल कर सकें। और अपनी शारीरिक अपंगता को अपनी कमजोरी नहीं बल्कि अपनी ताकत समझे।

1946 में 'अमेरीकन ब्रेल प्रेस' को 'द अमेरीकन फाउनडेशन फॉर ओवरसीज ब्लाइंड' नाम दिया गया। जो आज 'हेलेन केलर इंटरनेशनल' के नाम से जाना जाता है।

लेखन कार्य (Helen Keller Books)

हेलन केलर ने अपने महान विचारों और जिंदगी के अनुभवों से ब्रेल लिपि में करीब 9 किताबें लिखीं। उनके द्धारा लिखी गईं किताबें दुनिया भर में काफी पसंद भी की गईं। और वो पुस्तक आत्मकथा 'मेरी जीवन कहानी' उनकी मशहूर किताबों में से एक थी। उनकी इस किताब को 50 से ज्यादा भाषाओं में प्रकाशित भी किया जा चुका है।

हेलन केलर प्रकृति के बेहद करीब थीं। वे प्राकृतिक सुंदरतो को अपनी आंखों से भले ही नहीं देख सकती थी, लेकिन उन्होंने लहरों पर थिरकती चांदनी, पहाड़ों से झरती बर्फ, सुंदर वादियों, लहलहराते बाग, बसंत के खिले फूलों को अपनी मन की आंखों से बेहद अद्भुत एहसास किया था। और बेहद शानदार ढंग से इसका उल्लेख अपनी पुस्तकों में भी किया है।

हेलन केलर ने अपने टीचर एनी सेलविन की मुद्दे से कई महान लेखक जैसे कार्लमार्क्स, टालस्टाय, अरस्तू, रवीन्द्रनाथ टैगोर, नीत्शे, महात्मा गांधी आदि के साहित्य को पढ़ा। और उसकी गहराइयों को समझा उनकी कई किताबों का ब्रेल लिपि में अनुवाद भी किया। और इसके अलावा उन्हों ने कई मौलिक ग्रंथ भी लिखे थे।

हेलन केलर के विचार (Helen Keller Thought)

  • दुनिया की सबसे खूबसूरत चीजें न कभी देखी जा सकती है।और न ही छुई जा सकती है। वो तो सिर्फ और सिर्फ दिल से महसूस की जा सकती हैं।
  • हम वह सबकुछ कर सकते हैं, जिसे करने की हम इच्छा रखते हैं। लेकिन इसके लिए शर्त सिर्फ यह है, कि जो करें उसमें तन्मयता से लगे रहें।
  • खुद की तुलना ज्यादा भाग्यशाली लोगों से करने की बजाये हमें अपने साथ के ज्यादातर लोगों से अपनी तुलना करनी चाहिए,और तभी हमें लगेगा कि हम कितने भाग्यशाली हैं।

म्रुत्यु (Helen Keller Death)

1 जून 1968 को हेलन हेलेन केलर इस दुनिया से चली गयी। उन्होंने अपने कार्यो से इस संसार में नाम कमाया। उन्होंने अपंगो को सहारा दिया जिससे उनके अंदर आशा और विश्वास जगी रही थी। सारा संसार आज भी उन्हें याद करता है।

Jan Shakti Bureau

Jan Shakti Bureau

biography helen keller story in hindi

achhigyan.com

हेलेन केलर की प्रेरणादायी जीवनी | Helen Keller Biography in Hindi

Helen Keller / हेलेन केलर एक अमेरिकी लेखक, राजनीतिक कार्यकर्ता एवं शिक्षक थी। बचपन में बीमारी के वजह से अपनी देखने और सुनने की शक्ति खोने के बाद भी उन्होंने दुनिया में मिशाल पेश की। समाजवादी नाम के दल मे एक सदस्य के रूप में उन्होंने दुनिया भर के श्रमिकों और महिलाओं के मताधिकार, श्रम अधिकार, समाजवाद और कट्टरपंथी शक्तियों के खिलाफ अभियान चलाया। अनगिनत लोगों की प्रेरणा स्रोत, नारी जाति का गौरव मिस हेलेन केलर शरीर से अपंग पर मन से समर्थ महिला थीं। 

हेलेन केलर की प्रेरणादायी जीवनी | Helen Keller Biography in Hindi

हेलेन केलर – Helen Keller Biography & Life History in Hindi

हेलेन केलर जिनका पूरा नाम हेलेन एडम्स केलर (Helen Adams Keller) हैं का पूरा नाम 27 जून 1880 को अमेरिका के टस्कंबिया, अलबामा में हुवा था। इनके पिता शहर के समाचार-पत्र के सफल सम्पादक थे और माँ एक गृहिणी थी। जन्म के कुछ महीनों बाद ही वो बिमार हो गये और उस बिमारी में उनकी नजर, जबान और सुनने की शक्ती चली गयी।

उनकी माँ ने उन्हें कई डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन कोई लाभ नही हुआ। अचानक एक दिन हेलन की माँ की मुलाक़ात डा. माइकल अनेग्नस से हुयी। उस डॉक्टर ने एक कुशल अध्यापिका एनी सलिवन को हेलन की सहायता के लिए भेज दिया। एनी सेलविन जब हेलन के घर पहुची तो हेलन की माँ ने सोचा कि यह कम उम्र की लडकी उसके जिद्दी, अपंग और क्रोधी बेटी को कैसे पढ़ा पायेगी? पर सलिवन ने हेलन के साथ समय बिताकर अपनी कुशलता दिखाई।

यहीं से हेलेन केलर की जिंदगी में परिर्वन शुरु हुआ। केलर की अध्यापिका सुलीवान बहुत मुश्किलों से उन्हे वर्णमाला का ज्ञान करा सकीं। एक-एक अक्षर को केलर कई-कई घंटो दोहराती थीं, तब कहीं जाकर वे याद होते थे। धीरे -धीरे वे बोलने का भी अभ्यास करने लगीं जिसमें उन्हें आंशिक सफलता प्राप्त हुई।

कुछ दिनों में क्रोधी और जिद्दी और हर बात में झुंझलाने वाली हेलन हंसमुख, नम्र और सरल बन गयी। उनमे सीखने तथा काम करने की ललक पैदा होती चली गयी। इसी बगीचे में उन्होंने पानी को छुकर “Water” कहा था। उसका गुंगापन तो मिट गया था। एनी ने परिश्रम और हेलन के मन की इच्छा के कारण ऐसा सम्भव हो सका था। 12 वर्ष की उम्र में वो बोलने लग गयी थी। उन्होंने अनेक भाषाए सीखी जैसे ग्रीक, फ्रेंच, अंग्रेजी, जर्मन और लैटिन।

पहले ‘मॅन्युअल अल्फाबेट’ के तरीके से हेलन केलर अक्षर पढ़ने लगी। आगे हेलन ब्रेल पढ़ने लगी। लेकीन उनकी चाहत इतनीही नहीं थी। उन्हें बाकी के सामान्य बच्चों के साथ पढ़ने की इच्छा थी। उस वजह से उच्च पढाई के लिये उन्होंने विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। बोर्ड के उपर की Diagram नहीं दिखना, ब्रेल लिपी में सभी किताबे नहीं होना इन जैसे कठिनाई को पार करके उन्होंने अपनी पढाई जारी रखी और वो स्नातक पूरा की।

8 वर्षों के घोर परिश्रम से ही उन्होने स्नातक की डिग्री प्राप्त कर ली थी। उन्हे सारे संसार में लोग जानने लगे थे। आत्मा के प्रकाश से वे सब देख सकती थीं तथा बधिर होते हुए भी संगीत की धुन सुन सकती थीं। उनका हर सपना रंगीन था और कल्पना र्स्वणिम थी।

सुलिवान उनकी शिक्षिका ही नही, वरन् जीवन संगनी जैसे थीं। उनकी सहायता से ही हेलेन केलर ने टालस्टाय, कार्लमार्क्स, नीत्शे, रविन्द्रनाथ टैगोर , महात्मा गाँधी और अरस्तू जैसे विचारकों के साहित्य को पढा। हेलेन केलर ने ब्रेल लिपि में कई पुस्तकों का अनुवाद किया और मौलिक ग्रंथ भी लिखे। उनके द्वारा लिखित आत्मकथा ‘मेरी जीवन कहानी’ संसार की 50 भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है।

हेलेन केलर पूरे विश्व में 6 बार घूमीं और विकलांग व्यक्तियों के प्रति सहानुभूतिपूर्ण वातावरण का निर्माण किया। उन्होने करोङों रूपये की धन राशि एकत्र करके विकलांगो के लिए अनेक संस्थानो का निर्माण करवाया। दान की राशि का एक रुपया भी वे अपने लिए खर्च नही करती थीं।

हेलन केलर इनको लगता था की, विकलांग बच्चों को दुसरो पर डेपेंडेंट न रखके उन्हें शिक्षा देनी चाहिये। हाथो के उंगली में भी कितना कौशल होता है, इसकी पहचान उन्हें होनी चाहिये। प्रकृति की खूबसूरती, जीवन का वैभव, और जीने की मिठास उन्हें महसूस करानी होगी। यही सोच हेलन केलर इन्होंने अपने लेखन में हमेशा लिखा है। और उसके लिये उन्होंने आखिर तक कोशिश की है।

विज्ञान ने आज भले ही बहुत उन्नति कर ली हो, लगभग सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर ली हो किन्तु वे अभी भी सबसे खतरनाक शत्रु पर विजय पाने में असर्मथ है, वह शत्रु है मनुष्य की उदासीनता। विकलांग लोगों के प्रति जन साधारण की उदासीनता से हेलेन केलर बहुत दुःखी रहती थीं।

एक बार हेलेन केलर ने एक चाय पार्टी का आयोजन रखा, वहाँ उपस्थित लोगों को उन्होने विकलांग लोगों की मदद की बात समझाई। चन्द मिनटों में हजारों डॉलर सेवा के लिए एकत्र हो गया। हेलेन केलर इस धन को लेकर साहित्यकार विचारक मार्कट्वेन के पास गईं और कहा कि इस धन को भी आप सहायता कोष में जमा कर लिजीए। इतना सुनते ही मार्कट्वेन के मुख से निकला, संसार का अद्भुत आश्चर्य। ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि हेलेन केलर संसार का महानतम आश्चर्य हैं।

1 जून 1968 को हेलन हेलेन केलर इस दुनिया से चली गयी। उन्होंने अपने कार्यो से इस संसार में नाम कमाया। उन्होंने अपंगो को सहारा दिया जिससे उनके अंदर आशा और विश्वास जगी रही थी। सारा संसार आज भी उन्हें याद करता है। हेलन से एक बार पूछा गया कि “नेत्रहीन होने से भी बड़ा बुरा क्या हो सकता है” तब उन्होंने कहा था “लक्ष्यहीन होना दृष्टिहीन होने से बुरा है यदि आपको लक्ष्य का पता नही है तो आप कुछ नही कर सकते है”।

वे कहती थी “जब सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं तो भगवान एक खिड़की खोल देता है, लेकिन अक्सर हम बंद हुए दरवाजे की ओर इतनी देर तक देखते रह जाते हैं कि खुली हुई खिड़की की ओर हमारी दृष्टी भी नही जाती। ऐसी परिस्थिति में जो अपनी दृण इच्छाशक्ति से असंभव को संभव बना देते हैं, वो अमर हो जाते हैं।दृण संकल्प वह महान शक्ति है जो मानव की आंतरिक शक्तियों को विकसित कर प्रगति पथ पर सफलता की इबारत लिखती है। मनुष्य के मजबूत इरादे दृष्टीदोष, मूक तथा बधिरता को भी परास्त कर देते हैं।”

और अधिक लेख –

  • मैडम क्यूरी की जीवनी, निबंध
  • कैलाश सत्यार्थी जीवनी
  • वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन जीवनी

Please Note : – Helen Keller Biography & Life History In Hindi मे दी गयी Information अच्छी लगी हो तो कृपया हमारा  फ़ेसबुक ( Facebook)   पेज लाइक करे या कोई टिप्पणी (Comments) हो तो नीचे करे.

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हेलेन केलर की जीवनी

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Table of Contents

हेलेन केलर की जीवनी | Biography of Helen Keller in Hindi

दुनिया भर के लिए एक प्रेरणा बनने वाली हेलेन केलर मानवता और साहस की सबसे बड़ी मिसाल है। बचपन से ही शरीर से अपंग होने के पश्चात भी उन्होंने कुछ ऐसा किया जो शायद एक सक्षम व्यक्ति भी न कर सके।

समाज के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाली हेलेन केलर एक महान लेखिका, शिक्षिका और एक राजनीतिक थीं।

वे हमेशा सकारात्मक विचारों से परिपूर्ण और लोगों के लिए दिल में प्रेम रखा करती थीं। उनका मानना था कि लक्ष्य हीन व्यक्ति दृष्टिहीन व्यक्ति से बुरा होता है, अर्थात जिस व्यक्ति के जीवन में कोई लक्ष्य नहीं होता उस व्यक्ति का जीवन शरीर से अपंग व्यक्ति से भी बुरा होता है। 

अपनी रचनाओं के माध्यम से उन्होंने समाज में फैली कट्टरपंथी मानसिकता और बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई।

biography helen keller story in hindi

जन्म एवं परिवार (Birth & Family)

हेलेन केलर का जन्म 27 जून 1880 में अमेरिका के अलबामा में हुआ था। उनके पिता का नाम आर्थर हेनली केलर और माता का नाम कैथरीन ऐडम्स केलर था।

हेलेन की एक बहन और दो भाई थे। हेलन के पिता एक समाचार पत्र में एडिटर के रूप में कार्य करते थे। साथ ही उन्होंने आर्मी में कप्तान के रूप में भी कार्य किया था। उनकी माता कैथरीन ऐडम्स केलर, जिनको सब केट के नाम से जानते थे, एक गृहणी थीं।

हेलेन का जब जन्म हुआ तो वह पूरी तरह स्वस्थ थी, परंतु उनके जन्म के 19 महीने बाद उनको एक बीमारी हो गई जिसके कारण उन्होंने अपनी बोलने, देखने और सुनने की क्षमता खो दी। उनकी इस बीमारी के कारण उनके घर में सभी परेशान और दुखी हो गए थे। 

प्रारंभिक जीवन (Early Life)

हेलेन बचपन से ही होशियार और तेज दिमाग की थी। भले ही वह सुनने, बोलने और देखने की क्षमता खो चुकी थी परंतु उन्होंने लोगों को छूकर और उनकी महक से उनको पहचाना शुरू कर दिया था।

इसके साथ ही वे अपनी बात दूसरों को इशारों के द्वारा समझाती थीं। कभी-कभी हेलन अपनी बीमारी से झुंझला भी जाती थी और खुद को या अपने भाई बहनों को नुकसान पहुंचा देती थी। हेलन केलर के माता-पिता ने उन्हें बहुत से अच्छे डॉक्टरों को दिखाया, परंतु वे उनकी सुनने, बोलने और देखने की क्षमता को वापस लाने में सफल न हो सके।

फिर उसके बाद हेलेन केलर के माता एवं पिता ने उन्हें शिक्षा दिलाने की सोची और एक ऐसी संस्था में गए जहां शरीर से अक्षम लोगों को शिक्षा ढ़ी जाती थी और बहुत सी अन्य चीजें सिखाई जाती थी। इस संस्था की एक एनी सुलिवान नामक टीचर उनको पढ़ाने उनके घर आया करती थी, जिन्होंने हेलन की जिंदगी में बहुत से बदलाव लाए और उन्हें सही मार्गदर्शन प्रदान किया।

हेलेन केलर की शिक्षा (Helen Keller’s Education)

हेलेन केलर की टीचर एनी सुलिवान भी दृष्टिहीन थी इसलिए वह हेलन की पीड़ा को अच्छी तरह से समझ सकती थी। एनी ने न केवल हेलन की शिक्षिका बल्कि उनकी मार्गदर्शक का किरदार भी निभाया। एनी ने हेलेन केलर को उनके माता-पिता की अनुमति से दूर और एकांत जगह पर ले जाकर शिक्षा देने का निर्णय लिया। 

एनी की संगति में हेलेन का जिद्दी और चिड़चिड़ा स्वभाव शांत सरल और विनम्र होने लगा। एनी ने हेलेन केलर के माता-पिता से उनको बाकी सामान्य बच्चों की तरह ही समझने के लिए कहा ताकि हेलेन खुद को दूसरों से अलग न महसूस करें। 

हेलन ने अपनी टीचर की सहायता से मैनुअल अल्फाबेट और अक्षरों को सीखना शुरू किया। हेलेन काफी तेज बुद्धि की थी, वे न सिर्फ एक ही बार में चीजें सीख जाया करती थीं बल्कि आगे जाकर उन्होंने एनी से बहुत सी भाषाएं जैसे अंग्रेजी, फ्रेंच, ग्रीक, जर्मन आदि सीखीं। 

 आगे जाकर हेलन ने रेडक्लिफ यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया और वहां से आर्ट्स में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। अपनी शिक्षा के दौरान उन्हें बहुत ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वे ब्रेल लिपि पुस्तकों के द्वारा पढ़ा करती थीं परंतु उनके हौसले और मजबूत इरादों ने उनको सभी कठिनाइयों को पार करने की शक्ति दी। अपनी डिग्री प्राप्त करने के बाद वह दुनिया की पहली मूक बधिर महिला बनी जिसने स्नातक की डिग्री हासिल की हो।

हेलन केलर ने बहुत सारे देशों की यात्राएं भी की। इसके साथ ही वे दूसरों की सहायता करने के लिए तत्पर रहती थीं। वे चाहती थीं कि जो भी बच्चे उनकी तरह दृष्टिहीन या किसी भी तरह सक्षम नहीं है उनको शिक्षा दिलाई जाए और आत्मनिर्भर बनाया जाए। 

इसीलिए उन्होंने मूक-बधिर बच्चों के लिए मिल्टन अंध सोसाइटी स्थापित की थी और ब्रेल लिपि में उपयोगी साहित्य भी प्रकाशित करवाया था। हेलेन केलर ने बहुत से संस्थानों और अनाथालय का भी निर्माण करवाया जहां शारीरिक रूप से अपंग बच्चों की सेवा की जाती थी। उन्होंने इधर उधर से बहुत से रुपए अपने संस्थानों और अनाथालय के लिए जमा कर दी थी परंतु वे उसका एक भी रुपया अपने ऊपर खर्च नहीं करती थीं। 

 उन्होंने देश विदेश में जाकर अपने भाषणों के द्वारा महिलाओं और मजदूर वर्ग के लोगों को उनका हक और बराबरी दिलाने के लिए आवाज उठाई।

लेखक के रूप में हेलेन केलर ने ब्रेल लिपि में लगभग 12 किताबें लिखी जिसमें द स्टोरी ऑफ माय लाइफ सबसे प्रसिद्ध किताब रही। इस किताब से मिली धनराशि से उन्होंने अपने लिए एक घर खरीदा। हेलन केलर ने अपनी किताबों में प्रकृति का अत्यंत सुंदर वर्णन किया है। इसके साथ ही हेलेन केलर ने बहुत से महान लेखक जैसे रविंद्र नाथ टैगोर, टॉलस्टॉय, महात्मा गांधी, काल्स मार्क्स आदि के साहित्य को पढ़ा और उनका अनुवाद ब्रेल लिपि में भी किया। 

हेलेन केलर के ऊपर बहुत सी फिल्में भी बनी जिसमे बॉलीवुड की ब्लैक फिल्म उन पर आधारित थी, जिसमें रानी मुखर्जी और अमिताभ बच्चन मुख्य अभिनय में थे। 

हेलेन केलर की मृत्यु  (Helen Keller’s Death)

हेलेन केलर की मृत्यु हार्टअटैक के कारण 1 जून 1968 को हुई थी।

हेलन केलर की किताबों के नाम  (Names of Helen Keller books)

  • द स्टोरी ऑफ माय लाइफ 1902
  • द वर्ल्ड आई लिव इन 1908
  • ऑप्टिमिसम 1903
  • लाइट इन माय डार्कनेस 1927
  • आउट ऑफ द डार्क 1913
  • द सॉन्ग ऑफ द स्टोन वॉल 1910
  • हाउ आई वुड हेल्प द वर्ल्ड 1935
  • मिड स्ट्रीम: माय लेटर लाइव 1929
  • टीचर: एनी सुलिवान मेसी 1955
  • हेलेन केलर जरनल 1938
  • हेलेन केलर: हर सोशलिस्ट इयर्स 1967

हेलेन केलर की जीवन की कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं (Some Important Events in the life of Helen Keller in Hindi)

  • हेलेन केलर का जन्म 27 जून 1880 में आलाबामा में हुआ था।
  •  कुछ बीमारी के चलते 1882 में जब वह 19 महीने की थी तो उन्होंने अपने देखने, सुनने और बोलने की क्षमता को खो दिया
  • 1887 अप्रैल को हेलेन ने अपना पहला शब्द वाटर सीखा
  • 1891 में उन्होंने अपनी पहली कहानी फ्रोस्टविंग लिखी जिस पर बाद में चोरी करने का इल्जाम लगा था
  • 1904 में हेलेन ने रेडक्लिफ कॉलेज से अपनी स्नातक की डिग्री प्राप्त की।
  • हेलेन केलर दुनिया की पहली डेफ-ब्लाइंड स्नातक की डिग्री प्राप्त करने वाली महिला थी। 
  • हेलन के पिता की मृत्यु 1896 और माता की मृत्यु 1921 में हुई।
  • 1 जून 1968 को हेलेन का अपने घर में 87 बरस की उम्र में देहांत हुआ था।

biography helen keller story in hindi

आयशा जाफ़री, प्रयागराज

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Biography :

Published By : Jivani.org
    
 

पेट और मस्तिष्क की यह बीमारी स्कार्लेट ज्वर या मैनिंजाइटिस रही होगी। उस समय वह इशारों के सहारे कुछ बातें कहने में सक्षम थी। परिवार के रसोइए की ६ वर्षीया बेटी उसके इशारे समझती थी। ७ साल की उम्र तक घर की चीजों और आम व्यवहार से संबंधित उसके पास ६० संकेत थे। १९८६ में उसकी माँ ने चार्ल्स डिकेंस के नोट्स में एक और बधिर-दृष्टिबाधित स्त्री लौरा ब्रिजमैन की सफल शिक्षा के संबंध में पढ़ा। इस संबंध में हेलेन के माता पिता ने और सूचनाएं जुटानी शुरु की। वे बधिर बालकों से संबंधित स्कूलों में जाने और चिकित्सकों से मिलने लगे।

हेलन केलर एक लेखक, सक्रीय राजनीतिक और आचार्य भी थीं । समाजवादी नाम के दल मे एक सदस्य के रूप में उन्होंने दुनिया भर के श्रमिकों और महिलाओं के मताधिकार, श्रम अधिकार, समाजवाद और कट्टरपंथी शक्तियों के खिलाफ अभियान चलाया। हेलन केलर जन्म के कुछ महीनों बाद ही वो बिमार हो गये और उस बिमारी में उनकी नजर, जबान और सुनने की शक्ती गयी. पर उनके माता पिता ने उन्हें पढ़नें का निश्चय किया और शिक्षक ढूढने लगे और नशिब से अॅनी सुलिव्हान इस टिचर ने हेलन केलर इन्हें शिक्षा दी. पहले ‘मॅन्युअल अल्फाबेट’ के तरीके से हेलन केलर अक्षर पढ़ने लगी. आगे हेलन ब्रेल पढ़ने लगी.

लेकीन उनकी चाहत इतनीही नहीं थी. उन्हें बाकी के सामान्य बच्चों के साथ पढ़ने की इच्छा थी. उस वजह से उच्च पढाई के लिये उन्होंने विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. बोर्ड के उपर की Diagram नहीं दिखना, ब्रेल लिपी में सभी किताबे नहीं होना इन जैसे कठिनाई को पार करके उन्होंने अपनी पढाई जारी रखी और वो स्नातक हुयी.

आगे समाज सेवा का व्रत आत्मसात करके खुद पर आये वैसी कठिनाईयी बाकी के स्नातक व्यक्ती के सामने न आ सके इसलिये हेलन केलर हमेशा प्रयोगशील और कोशिश में रहे. लिखाण और भाषण के माध्यम से दृष्टिहीन लोगो के सवालो के लिये लोकमत जागृत करने का उन्होंने हमेशा प्रयास किया. हेलन केलर  इनको लगता था की, विकलांग बच्चों को दुसरो पर Dependant न रखके उन्हें शिक्षा देनी चाहिये. हात के उंगली में भी कितना कौशल होता है, इसकी पहचान उन्हें होनी चाहिये.

माँ ने हेलन केलर Helen Keller  को कई डॉक्टरों को दिखाया , लेकिन कोई लाभ नही हुआ | अचानक एक दिन हेलन की माँ की मुलाक़ात डा. माइकल अनेग्नस से हुयी | उस डॉक्टर ने एक कुशल अध्यापिका एनी सलिवन को हेलन की सहायता के लिए भेज दिया | एनी सेलविन जब हेलन के घर पहुची तो हेलन की माँ ने सोचा कि यह कम उम्र की लडकी उसके जिद्दी ,अपंग और क्रोधी बेटी को कैसे पढ़ा पायेगी ? पर सलिवन ने हेलन के साथ समय बिताकर अपनी कुशलता दिखाई |

उसने Helen Keller हेलेन के माता पिता से विनती की कि वह उसे लाचार और असहाय समझकर बेकार में दया ना दिखाए | वह हेलन को माता पिता से दूर ले जाना चाहती थी | माता पिता ने एनी की बात को समझा और उसकी बात मान ली | एनी हेलन को परिवार से दूर बगीचे के बीच बने घर में लेकर रहने लगी | उसने जल्द जी बच्ची का विश्वास और स्नेह जीत लिया और उसे बताया कि “मनुष्य जो चाहता है उसके लिए सही ढंग से परिश्रम करना पड़ता है ” | कुछ दिनों में क्रोधी और जिद्दी और हर बात में झुंझलाने वाली हेलन हंसमुख ,नम्र और सरल बन गयी | उनमे सीखने तथा काम करने की ललक पैदा होती चली गयी |

महत्वापूर्ण घटनाएं :

1. 27 जून, 1880  को टुस्कुम्बिया, अलाबामा में जन्म

2. 1882 में उन्नीस महीने की उम्र में गंभीर बीमारी के कारण हेलेन की सुनने और देखने की शक्ति जाती रही।

3. 1887 में 3 मार्च को ऐन मैन्सीफील्डक सुलिवन हेलेन की टीचर बनीं।

4. 5 अप्रैल 1887  को हेलेन ने पहला शब्द वाटर सीखा।

5. 1890 में हेलेन ने बोलना सीखा।

6. 1891 में हेलेन ने अपनी कहानी फ्रास्ट किंग लिखी जिस पर चोरी का इल्जाम लगा।

7. 1889 में हेलेन के पिता की मृत्यु हुई।

8. 1890 में हेलेन ने रैडक्लिफ कॉलेज में दाखिला लिया।

9. 1903 में हेलेन की आत्मॉकथा – अ स्टोरी ऑफ माइ लाइफ का प्रकाशन

10. 1904 में हेलेन ने रैडक्लिफ कॉलेज से स्नालतक की डिग्री ली। वे विश्व  की पहली बहरी-दृष्टिहीन स्नातक बनीं।

11. 1913 में प्राध्यापिका के रूप में कैरियर की शुरुआत।

12. 1916 में पीटर फागान से सगाई लेकिन मां के दबाव में सगाई तोड़नी पड़ी।

13. 1921 में हेलेन की मां की मृत्यु।

14. 1924 में अमेरिकन फाउंडेशन फॅार द ब्लायइंड के लिए काम करना शुरू किया।

15. 1927 में माय रिलीजन का प्रकाशन।

16. 1936 में ऐन मैन्साफील्डद सुलिवन की मृत्यु।

17. 1943 में घायलों से मिलने मिलीटरी अस्पताल गयीं।

18. 1946 में दृष्टिहीनों के कल्याण के लिए दुनिया भर के दौरे शुरू किये।

19. 1955 में टीचर, ऐन सुलिवन की जीवनी प्रकाशित।

20. 1957 में ऐन मैन्सलफील्ड  सुलिवन के त्यागमय अध्यापकीय जीवन पर आधारित मिरैकल वर्कर का टेलिविजन पर नाट्य रूप में सीधा प्रसारण, बाद में 1962 में इसी नाम से फिल्म का निर्माण।

21. 1 जून 1968  को आर्कान रिज, कनेक्टिकट में अपने घर में सत्तासी बरस की उम्र में देहांत।


  ( 6 )
  • महिला ( 38 )
  • कलाकार ( 127 )
  • वैज्ञानिक ( 540 )
  • लेखक ( 312 )
  • प्रेरणादायक ( 51 )
  • राजा ( 37 )
  • राजनेता ( 161 )
  • व्यवसायी ( 53 )
  • रानी ( 18 )
  • मानवतावादि ( 34 )
  • प्रसिद्ध ( 80 )
  • अभिनेता ( 84 )
  • राज-वंश्य ( 7 )
  • अन्य ( 102 )
  • धार्मिक नेता ( 21 )
  • संगीतकार ( 13 )

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Helen Keller in Hindi

हेलेन केलर का जीवन परिचय | Helen Keller in Hindi

नमस्कार , आज हम जानने वाले हैं Helen Keller के बारे में। हमारे कई मित्रों को हेलेन केलर के बारे में जानकारी चाहिए थी। तो चलिए ज्यादा देर न करते हुए Helen Keller Ki Biography के बारे में विस्तार से जानते हैं।

Table of Contents

हेलन केलर का जीवन परिचय | helen keller in hindi.

Helen Keller उन महान महिलाओं में से थी जिन्होंने अपने कार्यों और सिद्धांत के बल पर दुनिया में एक अनूठी मिसाल कायम करी। Helen Keller के जीवन में आने वाली मुश्किलों ने उनके हिम्मत और मेहनत के आगे घुटने टेक दिए। जिस प्रकार की परिस्थितियों के बारे में हम सोचकर ही खौफ से भर जाते हैं उन परिस्थितियों में Helen Keller ने अपना जीवन जिया और हिम्मत की एक मिसाल खड़ी की।

Helen Keller का जीवन हर एक व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है, Helen Keller ने यह साबित करके दिखाया कि अगर आप अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदारी, दृढ़ संकल्प, कठिन परिश्रम और मेहनत करते हैं तो आपको निश्चित ही अपने लक्ष्य तक पहुंचने से कोई भी नहीं रोक सकता।

हेलेन केलर का जन्म | Helen Keller Born

Helen Keller का जन्म 27 जून 1880 को टस्कम्बिया,अलाबामा, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था। Helen Keller का पूरा नाम हेलेन ऐडम्स केलर था। Helen Keller के पिता का नाम आर्थर एच. केलर था और मां का नाम कैथरीन एडम्स केलर था।

Helen Keller के पिता सेना में अधिकारी के रूप में कार्यरत थे। जब Helen Keller का जन्म हुआ तब वह बिल्कुल स्वस्थ थी। लेकिन समय बीतता गया और लगभग 19 महीनों के बाद हेलेन केलर बीमार हो गई, उन्हें तेज बुखार ने जकड़ लिया।

काफी मुश्किलों के बाद तीन से चार दिन में हेलन केलर  का बुखार उतर गया। उन्हें ऐसा बुखार था कि ज्यादातर मामलों में ऐसे रोगी की मृत्यु हो जाती थी लेकिन Helen Keller बच गई।

कुछ समय बाद पता चला कि उस बीमारी के कारण Helen Keller अपनी सुनने, बोलने और देखने की शक्ति खो चुकी हैं। अब हेलन केलर के माता-पिता के सामने एक चुनौती थी कि उनको शिक्षा कैसे दी जाएगी, कौन ऐसा शिक्षक होगा जो हेलन केलर को अच्छी शिक्षा दे पाएगा और हेलन केलर उसे समझ पाए।  यह चुनौती इसलिए थी कि Helen Keller सामान्य बच्चों से अलग थी क्योंकि अब वह बोलने सुनने और देखने में असमर्थ थी।

 जिसके कारण Helen Keller दूसरे बच्चों के साथ बैठ कर पढ़ नहीं सकती थी, उनके साथ खेल नहीं सकती थी और उनसे बातें नहीं कर सकती थी।

लेकिन हेलेन केलर के माता-पिता यह जानते थे कि उनकी पुत्री में इन सभी मुश्किलों का सामना करने की हिम्मत है। हेलन केलर की मां ने उन्हें कई डॉक्टरों को दिखाया लेकिन इससे कोई भी लाभ नहीं हुआ फिर कुछ समय बाद, एक दिन Helen Keller की मां की मुलाकात डॉ. माइकल अनेग्रस से हुई। और डॉक्टर माइकल अनेग्रस ने उन्हें एक कुशल अध्यापिका से मिलाया और फिर Helen Keller के माता पिता की चुनौती जो उनके लिए एक शिक्षक ढूंढने की थी वह खत्म हो गई।

Helen Keller के माता-पिता के कई प्रयासों के बाद अंत में उन्हें Helen Keller के लिए एक अध्यापिका मिल गई जिनका नाम “एनि सुलिव्हान” था। एनि हेलन केलर को पढ़ाने के लिए उनके घर पहुंची, उस समय Helen Keller बहुत क्रोधित और जिद्दी लड़की थी लेकिन एनि उसे समझती थी और वह जानती थी कि वह जिस परिस्थिति में है उसका ऐसा करना भी एक प्रकार से सही है।

एनि Helen Keller को उनके माता-पिता से दूर ले जाना चाहती थी और इसी विषय में एनि ने Helen Keller के माता पिता से बात करी और उन्हें समझाया कि उसे असहाय और लाचार ना समझे और उसे सीखने के लिए मेरे साथ छोड़ दे।

Helen Keller के माता पिता ने एनि की बात समझी और Helen Keller को परिवार से दूर ले जाने की मंजूरी दे दी। अब एनि Helen Keller को उसके परिवार से दूर बगीचे के बीच में बने एक घर में लेकर रहने लगी।

अब एनि Helen Keller को अपने तरीके से शिक्षा देने लगी और हेलन केलर भी धीरे धीरे उन्हें समझने लग गई कुछ दिनों बाद Helen Keller का स्वभाव पहले से काफी ज्यादा बदल गया अब वह हंसमुख, नम्र और सरल स्वभाव की हो चुकी थी।

हेलेन केलर की शिक्षा :

एनि ने Helen Keller को अनेक तरीकों से शिक्षा दी। Helen Keller को सिखाने के लिए एनि ने मैनुअली अल्फाबेट (manually alphabet) यानी एनि ने अपने हाथ पर पानी का संकेत बनाया फिर उसका हाथ पानी के नीचे ले गई। इसी प्रकार एनि ने हेलन केलर को पूर्ण वाक्य में बात करने योग्य बना दिया।

Helen keller and ani

इन सबके बाद एनि ने Helen Keller के माता-पिता से बात की और उन्हें यह सुझाव दिया कि अब हेलन केलर को नेत्रहीनों के पार्किंन इंस्टिट्यूट में भेज दिया जाए और उन्हें इस शिक्षा से भी अवगत कराया जाए। एनी का सुझाव सुनने के बाद Helen Keller के माता-पिता ने उन्हें वहां भेज दिया। Helen Keller ने वहां 6 साल तक ब्रेल लिपि सीखी।

Helen Keller अब एक बुद्धिमान युवती बन गई थी हेलन केलर में सीखने और काम करने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई। 12 वर्ष की उम्र में वह बोलने लग गई थी। हेलन केलर में अब सोचने और समझने का एक विशेष गुण उत्पन्न हो चुका था। अब उन्होंने अपने जीवन के लिए अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया था। हेलन केलर ने न्यूयॉर्क के राइट – Hamsan School for Deep में संकेत भाषा सीखी।

सन् 1904 में Helen Keller ने रेडक्लिफ कॉलेज से स्नातक की उपाधि हासिल की। हेलन केलर यहां सामान्य छात्रों के साथ पढ़ती थी यहां पढ़ते पढ़ते ही उनमें लिखने का शौख बढ़ने लगा और वह लिखने लगी। Helen Keller ने अनेक भाषाएं भी सीखी। जैसे— फ्रेंच, अंग्रेजी, लैटिन, ग्रीक और जर्मन। 

अब धीरे-धीरे हेलन केलर की रूचि लिखने में और ज्यादा गहरी होती गई और हेलन केलर  ने ब्रेल लिपि में अनेक पुस्तकें लिखी और कई पुस्तकों का अनुवाद भी किया। हेलन केलर ने एक पुस्तक लिखी जिसका नाम “The Story Of My Life” था इनकी यह पुस्तक इतनी प्रसिद्ध और चर्चित रही की उन्होंने उस पुस्तक की आय से एक घर खरीद लिया।

हेलन केलर के संघर्षों का दौर :

अपने जीवन में हेलन केलर ने संघर्षों का ऐसा दौर पार किया था जो असहनीय था हेलन केलर ने यह समझ लिया था कि अगर संघर्ष किया जाए तो कोई भी कार्य ऐसा नहीं है जिसे हम कर नहीं सकते। इसी सोच के दम पर हेलेन केलर ने समाज के हित के लिए अनेक कदम उठाएं और वह लोगों को जागरूक करने के लिए निकल पड़ी।

उन्होंने पूरे देश में घूम कर लोगों को अपनी कहानी बताई ताकि वे भी दुखों से लड़ने की प्रेरणा पा सकें उन्होंने महिलाओं के समान अधिकारों के लिए भी आवाज उठाई।

हेलन केलर ने यह सिद्ध कर दिखाया था कि शरीर की अपंगता किसी व्यक्ति को पढ़ने-लिखने, बोलने और खेलने में बाधा उत्पन्न नहीं कर सकती। आलस्य और निराशा के कारण ही कोई व्यक्ति आगे नहीं बढ़ पाता है।

हर एक व्यक्ति जीवन में परिश्रम, लगन और साहस से सफलता प्राप्त कर सकता है। अब Helen Keller अमेरिकी लेखक थी और उसके साथ शिक्षक और राजनीतिक कार्यकर्ता भी थी।

पुरस्कार एवं सम्मान | Awards and Honors

  • हेलेन केलर को सन् 1936 में थियोडोर रूजवेल्ट विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया।
  • सन् 1964 में उन्हें राष्ट्रपति स्वतंत्रता पदक से सम्मानित किया गया।
  • सन् 1965 में उन्हें वीमन हॉल ऑफ फेम में चुना गया।
  • उन्हें स्कॉटलैंड की ग्लासगो यूनिवर्सिटी और जर्मनी की बर्लिन यूनिवर्सिटी और उसके साथ ही भारत के दिल्ली विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट की उपाधि भी दी गई।

हेलेन केलर के सुविचार | Helen Keller quotes in Hindi

  • कभी भी अपने सर को झुकाओ मत। इसे ऊंचा रखो, दुनिया को सीधी आंखों से देखो।
  • यदि हम अपने कार्य में पर्याप्त समय देते हैं तो, हम जो चाहे वह कर सकते हैं।
  • दुनिया में सबसे दयनीय व्यक्ति वह है, जिसकी दृष्टि तो है लेकिन कोई लक्ष्य नहीं है।
  • चरित्र का विकास आसानी से नहीं किया जा सकता।
  • केवल परिश्रम और पीड़ा के अनुभव से आत्मा को मजबूत,महत्वाकांक्षा को प्रेरित करके ही सफलता को हासिल किया जा सकता है।
  • जीवन या तो एक साहसिक जोखिम है, या फिर कुछ भी नहीं।
  • मैंने शायद ही कभी अपनी कमियों के बारे में सोचा, इसलिए उन्होंने मुझे कभी दुखी नहीं किया।
  • शायद एक आध बार थोड़ी पीड़ा हुई लेकिन वह फूलों के बीच में हवा के झोंके जैसी अस्पष्ट थी।
  • विश्वास वह ताकत है जिससे बिखरे हुई अंधकार दुनिया में भी रोशनी लाई जा सकती है।
  • यदि आप अपना चेहरा सूर्य की तरफ रहेंगे तो आप छाया कभी नहीं देख पाएंगे।
  • जब खुशी का एक दरवाजा बंद हो जाता है तो दूसरा खुलता है लेकिन हम उस बंद दरवाजे की तरफ इतने लंबे समय तक देखते हैं कि जो हमारे लिए दूसरा दरवाजा खोला गया है वह नहीं दिखाई देता।
  • आज की विफलताओं के बारे में मत सोचो बल्कि उस सफलता के बारे में सोचो जो कल आ सकती है।
  • मैं महान और अच्छे काम करना चाहती हूं, लेकिन मेरा यह परम कर्तव्य है कि मैं उन छोटे कार्यों को भी ऐसे करूं, जैसे वह महान और नेक हों।
  • विज्ञान में सभी बुराइयों का इलाज हो सकता है लेकिन उनमें जो सबसे बुरा है, उसका कोई इलाज नहीं है वह है— मनुष्य की उदासीनता।
  • लोगों को सोचना पसंद नहीं है, अगर वह सोचते तो परिणाम जरूर मिलता। लेकिन परिणाम हमेशा सुखद नहीं होते।
  • खुद की तुलना ज्यादा भाग्यशाली लोगों से करने कि बजाये, हमें अपने साथ के ज्यादातर लोगों से करनी चाहिए। और तब हमें लगेगा कि हम कितने भाग्यवान हैं।
  • अगर दुनिया में केवल खुशी होती, तो हम बहादुर और सहनशील होना कभी नहीं सीख पाते।
  • आशावाद वह विश्वास है जिससे हमे सफलता मिलती है। उम्मीद और आत्मविश्वास के बिना कुछ भी नहीं किया जा सकता।
  • कोई भी प्रयास जो हम कुछ अच्छा प्राप्त करने के लिए करते हैं, वह कभी खोता नही है।

Short Biography of Helen Keller in hindi

पूरा नामहेलेन ऐडम्स केलर
जन्म27 जून 1880
जन्म स्थानटस्कम्बिया,अलाबामा, संयुक्त राज्य अमेरिका
शिक्षाB.A (हावर्ड यूनिवर्सिटी)
पिता का नामअर्थर हेनले केलर
माता का नामकेट एडम्स केलर
प्रसिद्ध पुस्तकThe Story Of My Life
व्यवसायलेखक, राजनीतिक कार्यकर्ता, समाजसेवी
मृत्यु1 जून 1968
मृत्यु स्थानईस्टन (कनेक्टिकट)

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल :

हेलेन केलर ने क्या-क्या किया.

हेलेन केलर ने समाज के हित के लिए अनेक कदम उठाएं और वह लोगों को जागरूक करने के लिए निकल पड़ी। हेलेन केलर ने अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन (ACLU) की स्थापना की।

हेलेन केलर अंधी और बहरी क्यों थी?

जब Helen Keller का जन्म हुआ तब वह बिल्कुल स्वस्थ थी। लेकिन समय बीतता गया और लगभग 19 महीनों के बाद हेलेन केलर बीमार हो गई, उन्हें तेज बुखार ने जकड़ लिया। उस बीमारी के कारण Helen Keller अपनी सुनने, बोलने और देखने की शक्ति खो चुकी थीं।

क्या हेलेन केलर के बच्चे थे?

हेलेन केलर के बच्चे नहीं थे। उन्होंने समाज के हित में अपना सम्पूर्ण जीवन लगा दिया।

हेलेन केलर की आत्मकथा का क्या नाम है?

हेलन केलर की आत्मकथा स्टोरी ऑफ माई लाइफ के नाम से प्रकाशित हुई।

हेलेन का जीवन सबको क्या प्रेरणा देता है?

हेलेन के जीवन से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि चाहे मनुष्य किसी भी स्थिति में क्यों न रहें अपने जीवन को मिसाल के रूप में प्रस्तुत कर दिखाने की क्षमता उसके अंदर ही रहती है, जरूरत है तो सिर्फ प्रबल इच्छा की।

हेलेन केलर का जन्म कहाँ हुआ था?

हेलेन केलर का जन्म यूनाइटेड स्टेट के तस्कम्बिया (अलबामा) में हुआ था।

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हेलेन केलर पर निबंध (Helen Keller Essay In Hindi)

हमे अपने छोटे छोटे दिक्कतों को अपने काम में रूकावट नहीं बनने देना चाहिए, क्योकि इससे हमें बाद में पछताने के अलावा कुछ नहीं मिलता हैं। हम छोटी – छोटी टास्क का बहाना बना लेते हैं जो हमारी बहुत बड़ी कमजोरी होती हैं।

मगर ये दोनों तरीको से हेलेन नहीं सिख सकती थी। बोलने पे वो सुन नहीं पाति और लिखने पे वो देख नहीं पाति। ऐसे ही अनेक प्रकार की चुनौतीया आयी, लेकिन सब का सामना करते हुए ऐनी सुवेलिन ने हेलेन के साथ दोस्ती की।

हेलेन विकलांगो को जानकारी दिलाने की हमेशा कोशिश करती थी, वो चाहती थी की सभी के पास शिक्षा हो सब पढ़ लिख सके।

हेलेन केलर के कहानी से सिख 

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Helen Keller Biography

  • Helen Keller Early Childhood
  • Meeting Anne Sullivan
  • Helen Keller's First Words
  • Education and Literary Career
  • Political and Social Activism
  • Worldwide Celebrity

Where Was Helen Keller Born?

Portrait: Helen Keller

Helen Adams Keller was born a healthy child in Tuscumbia, Alabama, on June 27, 1880. Her parents were Kate Adams Keller and Colonel Arthur Keller .

On her father's side she was descended from Colonel Alexander Spottswood, a colonial governor of Virginia, and on her mother's side, she was related to a number of prominent New England families. Helen's father, Arthur Keller, was a captain in the Confederate army. The family lost most of its wealth during the Civil War and lived modestly.

After the war, Captain Keller edited a local newspaper, the North Alabamian, and in 1885, under the Cleveland administration, he was appointed Marshal of North Alabama.

At the age of 19 months, Helen became deaf and blind as a result of an unknown illness, perhaps rubella or scarlet fever. As Helen grew from infancy into childhood, she became wild and unruly.

When Did Helen Keller Meet Anne Sullivan?

As she so often remarked as an adult, her life changed on March 3, 1887. On that day, Anne Mansfield Sullivan came to Tuscumbia to be her teacher.

Annie Sullivan, 1887

She was just 14 years older than her pupil Helen, and she too suffered from serious vision problems. Anne underwent many botched operations at a young age before her sight was partially restored.

Anne's success with Helen remains an extraordinary and remarkable story and is best known to people because of the film The Miracle Worker. The film correctly depicted Helen as an unruly, spoiled—but very bright—child who tyrannized the household with her temper tantrums.

Anne believed that the key to reaching Helen was to teach her obedience and love. She saw the need to discipline, but not crush, the spirit of her young charge. As a result, within a week of her arrival, she had gained permission to remove Helen from the main house and live alone with her in the nearby cottage. They remained there for two weeks.

Anne began her task of teaching Helen by manually signing into the child's hand. Anne had brought a doll that the children at Perkins had made for her to take to Helen. By spelling "d-o-l-l" into the child's hand, she hoped to teach her to connect objects with letters.

Helen quickly learned to form the letters correctly and in the correct order, but did not know she was spelling a word, or even that words existed. In the days that followed, she learned to spell a great many more words in this uncomprehending way.

What Were Helen Keller's First Words?

On April 5, 1887, less than a month after her arrival in Tuscumbia, Anne sought to resolve the confusion her pupil was having between the nouns "mug" and "milk," which Helen confused with the verb "drink."

Anne took Helen to the water pump outside and put Helen's hand under the spout. As the cool water gushed over one hand, she spelled into the other hand the word "w-a-t-e-r" first slowly, then rapidly. Suddenly, the signals had meaning in Helen's mind. She knew that "water" meant the wonderful cool substance flowing over her hand.

Quickly, she stopped and touched the earth and demanded its letter name and by nightfall she had learned 30 words.

Helen's early writing, which includes words like cold, catch, latch, load, lord, coal, doll, hat, bad, and good-by.

Helen quickly proceeded to master the alphabet, both manual and in raised print for blind readers, and gained facility in reading and writing. In Helen's handwriting, many round letters look square, but you can easily read everything.

In 1890, when she was just 10, she expressed a desire to learn to speak; Anne took Helen to see Sarah Fuller at the Horace Mann School for the Deaf and Hard of Hearing in Boston. Fuller gave Helen 11 lessons, after which Anne taught Helen.

Throughout her life, however, Helen remained dissatisfied with her spoken voice, which was hard to understand.

Helen's extraordinary abilities and her teacher's unique skills were noticed by Alexander Graham Bell and Mark Twain, two giants of American culture. Twain declared, "The two most interesting characters of the 19th century are Napoleon and Helen Keller."

The closeness of Helen and Anne's relationship led to accusations that Helen's ideas were not her own. Famously, at the age of 11, Helen was accused of plagiarism. Both Bell and Twain, who were friends and supporters of Helen and Anne, flew to the defense of both pupil and teacher and mocked their detractors. Read a letter from Mark Twain to Helen lamenting "that 'plagiarism' farce."

Helen Keller's Education and Literary Career

From a very young age, Helen was determined to go to college. In 1898, she entered the Cambridge School for Young Ladies to prepare for Radcliffe College. She entered Radcliffe in the fall of 1900 and received a Bachelor of Arts degree cum laude in 1904, the first deafblind person to do so.

The achievement was as much Anne's as it was Helen's. Anne's eyes suffered immensely from reading everything that she then signed into her pupil's hand. Anne continued to labor by her pupil's side until her death in 1936, at which time Polly Thomson took over the task. Polly had joined Helen and Anne in 1914 as a secretary.

While still a student at Radcliffe, Helen began a writing career that was to continue throughout her life. In 1903, her autobiography, The Story of My Life , was published. This had appeared in serial form the previous year in Ladies' Home Journal magazine.

Her autobiography has been translated into 50 languages and remains in print to this day. Helen's other published works include Optimism , an essay; The World I Live In; The Song of the Stone Wall ; Out of the Dark; My Religion; Midstream—My Later Life; Peace at Eventide; Helen Keller in Scotland; Helen Keller's Journal; Let Us Have Faith; Teacher, Anne Sullivan Macy; and The Open Door . In addition, she was a frequent contributor to magazines and newspapers.

The Helen Keller Archives contain over 475 speeches and essays that she wrote on topics such as faith, blindness prevention, birth control, the rise of fascism in Europe, and atomic energy. Helen used a braille typewriter to prepare her manuscripts and then copied them on a regular typewriter.

Helen Keller's Political and Social Activism

Helen saw herself as a writer first—her passport listed her profession as "author." It was through the medium of the typewritten word that Helen communicated with Americans and ultimately with thousands across the globe.

From an early age, she championed the rights of the underdog and used her skills as a writer to speak truth to power. A pacifist, she protested U.S. involvement in World War I. A committed socialist, she took up the cause of workers' rights. She was also a tireless advocate for women's suffrage and an early member of the American Civil Liberties Union.

Helen's ideals found their purest, most lasting expression in her work for the American Foundation for the Blind (AFB) . Helen joined AFB in 1924 and worked for the organization for over 40 years.

The foundation provided her with a global platform to advocate for the needs of people with vision loss and she wasted no opportunity. As a result of her travels across the United States, state commissions for the blind were created, rehabilitation centers were built, and education was made accessible to those with vision loss.

Helen Keller walking with a wounded soldier

Helen's optimism and courage were keenly felt at a personal level on many occasions, but perhaps never more so than during her visits to veteran's hospitals for soldiers returning from duty during World War II.

Helen was very proud of her assistance in the formation in 1946 of a special service for deaf-blind persons. Her message of faith and strength through adversity resonated with those returning from war injured and maimed.

Helen Keller was as interested in the welfare of blind persons in other countries as she was for those in her own country; conditions in poor and war-ravaged nations were of particular concern.

Helen's ability to empathize with the individual citizen in need as well as her ability to work with world leaders to shape global policy on vision loss made her a supremely effective ambassador for disabled persons worldwide. Her active participation in this area began as early as 1915, when the Permanent Blind War Relief Fund, later called the American Braille Press, was founded. She was a member of its first board of directors.

In 1946, when the American Braille Press became the American Foundation for Overseas Blind (now Helen Keller International), Helen was appointed counselor on international relations. It was then that she began her globe-circling tours on behalf of those with vision loss.

Helen Keller's Worldwide Celebrity

During seven trips between 1946 and 1957, she visited 35 countries on five continents. She met with world leaders such as Winston Churchill, Jawaharlal Nehru, and Golda Meir.

A group of schoolchildren in Kobe, Japan wave white flags with messages of welcome for Helen Keller and Polly Thomson, who are visiting in 1948

In 1948, she was sent to Japan as America's first Goodwill Ambassador by General Douglas MacArthur. Her visit was a huge success; up to two million Japanese came out to see her and her appearance drew considerable attention to the plight of Japan's blind and disabled population.

In 1955, when she was 75 years old, she embarked on one of her longest and most grueling journeys: a 40,000-mile, five-month-long tour through Asia.

Wherever she traveled, she brought encouragement to millions of blind people, and many of the efforts to improve conditions for those with vision loss outside the United States can be traced directly to her visits.

Helen was famous from the age of 8 until her death in 1968. Her wide range of political, cultural, and intellectual interests and activities ensured that she knew people in all spheres of life.

She counted leading personalities of the late nineteenth and early twentieth centuries among her friends and acquaintances. These included Eleanor Roosevelt, Will Rogers, Albert Einstein, Emma Goldman, Eugene Debs, Charlie Chaplin, John F. Kennedy, Andrew Carnegie, Henry Ford, Franklin D. Roosevelt, Dwight D. Eisenhower, Katharine Cornell, and Jo Davidson to name but a few.

She was honored around the globe and garnered many awards. She received honorary doctoral degrees from Temple and Harvard Universities in the United States; Glasgow and Berlin Universities in Europe; Delhi University in India; and Witwatersrand University in South Africa. She also received an honorary Academy Award in 1955 as the inspiration for the documentary about her life, Helen Keller in Her Story.

Helen Keller's Later Life

Helen Keller, beaming, at 80 years old

Helen suffered a stroke in 1960, and from 1961 onwards, she lived quietly at Arcan Ridge, her home in Westport, Connecticut, one of the four main places she lived during her lifetime. (The others were Tuscumbia, Alabama; Wrentham, Massachusetts; and Forest Hills, New York).

She made her last major public appearance in 1961 at a Washington, D.C., Lions Clubs International Foundation meeting. At that meeting, she received the Lions Humanitarian Award for her lifetime of service to humanity and for providing the inspiration for the adoption by Lions Clubs International Foundation of their sight conservation and aid to blind programs.

During that visit to Washington, she also called on President John F. Kennedy at the White House. President Kennedy was just one in a long line of presidents Helen had met. In her lifetime, she had met all of the presidents since Grover Cleveland.

Helen Keller died on June 1, 1968, at Arcan Ridge, a few weeks short of her 88th birthday. Her ashes were placed next to her companions, Anne Sullivan Macy and Polly Thomson, in St. Joseph's Chapel of Washington Cathedral.

Senator Lister Hill of Alabama gave a eulogy during the public memorial service. He said, "She will live on, one of the few, the immortal names not born to die. Her spirit will endure as long as man can read and stories can be told of the woman who showed the world there are no boundaries to courage and faith."

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biography helen keller story in hindi

Helen Keller Biography in Hindi

अगर हम कुछ देर तक देख या सुन न पाए तो वे चंद पल हमें कई घंटे के बराबर प्रतीत होंगें, कुछ लोग तो इतने निराश हो जाएंगे कि उनके दिमाग में आत्महत्या के ख्याल भी आने लगेंगे। देखने और सुनने में असमर्थ होना मृत्यु से कम नहीं है, लेकिन आज हम एक ऐसी शख्सियत के बारे में जानेंगे, जिन्होंने अंधी और बहरी होते हुए भी अपने जीवन में एक महान मुकाम हासिल किया, आज हम हेलेन केलर के जीवन के बारे में जानेंगे जो कला में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने वाली पहली अंधी और बहरी व्यक्ति थीं। 

Helen Keller Biography in Hindi

इसलिए आज हम  हेलेन केलर की जीवनी, हेलेन केलर स्टोरी, और उनके संघर्ष के बारे में जानेंगे। हेलेन केलर कौन थीं? हेलेन केलर एक अमेरिकी लेखक, व्याख्याता, समाजवादी और कार्यकर्ता थी. अंधे और बहरे होने के बावजूद भी, हेलेन केलर ने अपनी पढ़ाई पूरी की और सर्वश्रेष्ठ विक्रेता पुस्तक “द स्टोरी ऑफ माय लाइफ” लिखी. हेलेन केलर का पूरा जीवन हमारे लिए प्रेरणादायक है।

हेलेन केलर का जीवन परिचय 

जन्म 27 जून 1880
जन्म स्थान टस्कम्बिया, अल्बामा,
संयुक्त राज्य अमेरिका
निधन 1 जून 1968
(87 वर्ष की आयु में)
मृत्यु का
स्थान
ईस्टन, कनेक्टिकट
संयुक्त राज्य अमेरिका
माता-पिता आर्थर हेनले केलर और
कैथरीन एवरेट (एडम्स) केलर
को “केट” के नाम से भी
जाना जाता है।
पुरस्कार स्वतंत्रता का राष्ट्रपति पदक
{Presidential Medal
Of Freedom}
नागरिकता संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
पुस्तकें उन्होंने अपने पूरे जीवन में
प्रसिद्ध पुस्तक “द स्टोरी ऑफ
माय लाइफ” सहित 14
पुस्तकें लिखीं।
हेलेन केलर
के भाई-बहन
मिल्ड्रेड कैम्पबेल केलर
और फिलिप ब्रुक्स केलर।
दो पूर्व विवाह से जेम्स केलर
और विलियम केलर।

हेलेन का जन्म 27 जून 1880 को उत्तरी अलबामा के एक छोटे से शहर टस्कम्बिया में हुआ था। उनके पिता का नाम आर्थर केलर था, जो कन्फेडरेट सेना में एक कप्तान थे। और उनके पिता जी ने कुछ वर्षों तक टस्कम्बिया के एक स्थानीय समाचार पत्र में एक संपादक के रूप में काम किया था और उनकी माँ का नाम केट एडम्स था जो आर्थर केलर की दूसरी पत्नी थीं।

हेलेन का परिवार बहुत ज्यादा अमीर तो नहीं था; लेकिन उन्हें कपास की खेती से पैसे आते थे। हेलेन का जन्म एक साधारण लड़की के रूप में हुआ था, वह भी सामान्य बच्चों की तरह देख और सुन सकती थी। 6 महीने की उम्र से, हेलेन ने बोलना शुरू कर दिया और जब हेलेन 1 साल की हुई, तो उसने चलना भी शुरू कर दिया। हेलेन को पाकर उसका परिवार भी बहुत खुश था, आखिरकार हेलेन उनकी पहली बेटी थी।

दो इन्द्रीयों का नुकसान

1882 में हेलेन के लिए सब कुछ बदल गया, उस समय हेलेन सिर्फ 19 महीने की थी, जब वह एक अज्ञात बीमारी की चपेट में आ गई। डॉक्टर ने हेलेन के पेट और मस्तिष्क में तीव्र कांजेसशन बताया। यह बीमारी आज भी एक अनसुलझी पहेली है।

कुछ समय बाद, यह बीमारी अपने आप ठीक हो गई। इस बीमारी ने हेलेन से दो सबसे महत्वपूर्ण इन्द्रियां छीन ली। हेलेन ने देखने और सुनने की क्षमता खो दी उसका जीवन अंधकार और सन्नाटे से भर गया। 

जब हेलेन थोड़ा बड़ी हुई, तब उसकी एक नई दोस्त बनी जिसका नाम मार्था था जो परिवार के रसोइये की बेटी थी। मार्था से बात करने के लिए हेलन ने 60 से अधिक संकेतों को विकसित किया था।

समय के गुजरने के साथ हेलेन के अंदर गुस्सा बढ़ता जा रहा था। जब हेलेन किसी को अपनी बात समझाने में आपने आप को अक्षम पाती तो वो बहुत हताश हो जाती थी। उसका व्यवहार समय के साथ अप्रत्याशित होता जा रहा था। जब हेलन खुश होती तो उसे कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता था लेकिन जब उसे गुस्सा आता तो वो लात भी मारती थी।

एक बार हेलेन ने अपनी छोटी बहन मिल्ड्रेड (Mildred) को पालने से गिरा दिया था। उसे लगता था कि मिल्ड्रेड के आ जाने से उसके माता-पिता का प्यार उसके लिए कम हो गया है। एक दिन हेलेन ने अपनी माँ को एक कमरे में लॉक कर दिया।

हेलेन के इस व्यवहार को देखते हुए उसके माता-पिता ने उसके लिए एक शिक्षक ढूंढना शुरू कर दिया। सन 1886 में, हेलेन केलर की माँ ने एक लेख पढ़ा, जो कि एक अंधी और बेहरी लेडी, लौरा ब्रिजमैन (Laura Bridgman) की सफलतापूर्वक शिक्षा के बारे में था। इस लेख को चार्ल्स डिकेन्स (Charles Dickens) ने लिखा था। 

इस लेख को पढ़कर उनकी माँ में आशा की एक किरण जागी। सुबह होते ही, हेलेन और उसके पिता बाल्टीमोर (Baltimore) के लिए रवाना हुए। ताकि वह आंख और कान के विशेषज्ञ डॉ जे. जूलियन चिसोलम (Dr. J. Julian Chisolm)  से परामर्श कर सकें।

हेलेन को देखने के बाद, डॉ जे जूलियन चिसोलम (Dr. J. Julian Chisolm) ने उन्हें टेलीफोन के आविष्कारक अलेक्जेंडर ग्राहम बेल से मिलने की सलाह दी। वह उस समय अंधे और बहरे बच्चों के लिए काम करते थे।

हेलन और उनके पिता अलेक्जेंडर ग्राहम बेल से मिले। बेल ने उन्हें बोस्टन, मैसाचुसेट्स (Boston, Massachusetts) के पर्किन्स इंस्टीट्यूट जाने को कहा। वहां उनकी मुलाकात पर्किन्स इंस्टीट्यूट के निदेशक अनागनोस (Anagnos) से हुई। अनागनोस (Anagnos) ने उन्हें पर्किन्स इंस्टीट्यूट की नई ग्रेजुएट ऐनी सुलिवन के बारे में बताया। वह हेलेन को पढ़ा सकती

हेलेन केलर और ऐनी सुलिवन

3 मार्च, 1887 हेलेन केलर के जीवन का सबसे बड़ा दिन। 3 मार्च को ऐनी सुलिवन हेलेन के घर आई और उसके लिए एक गुड़िया ले आई। ऐनी सुलिवन ने हेलेन को डॉल देकर उसके हाथ पर D-O-L-L लिखा, लेकिन हेलेन को कुछ भी समझ में नहीं आया क्योंकि हेलेन शब्दों और वस्तुओं के बीच संबंध को समझ नहीं पाई।

जब हेलेन अपनी भावनाओं को दूसरों को बताने में असमर्थ पाती, तो वह निराश हो जाती थी। यही कारण है कि ऐनी सुलिवन ने कुछ दिनों के लिए परिवार से अलग होने की मांग की। हेलेन और ऐनी सुलिवन कॉटेज स्थानांतरित हो गए।

वहां, हेलेन ने पहला शब्द “वाटर” सीखा। ऐनी सुलिवन ने हेलेन का हाथ पानी की टोटी के नीचे रखा और उसके हाथ पर कई बार W-A-T-E-R लिखा। तब हेलेन ने पहली बार समझा कि इस दुनिया में हर वस्तु का एक नाम है। वहाँ हेलेन ने 30 शब्द सीखे और अब वह समझ गई कि हर शब्द का एक अर्थ होता है।

एक बार ऐनी सुलिवन हेलेन को बगीचे में ले गई, वहाँ हेलेन ने प्रकृति के बारे में जाना। खराब मौसम के कारण, बहुत तेज हवाएं चलने लगी। उसे पहली बार पता चला कि, प्रकृति जिनती प्यारी है उससे कई गुना कठोर है।

1905 में, ऐनी सुलिवन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शिक्षक जॉन मैसी (John Macy) से शादी की। वे समाजवादी विचारधारा के व्यक्ति थे। हालांकि जॉन मैसी और ऐनी सुलिवन कुछ मतभेदों के कारण कई वर्षों के बाद एक-दूसरे से अलग हो गए, लेकिन उन्होंने कभी तलाक नहीं लिया।

1932 में, ऐनी सुलिवन ने बीमारी के कारण देखने की अपनी क्षमता खो दी और कुछ साल बाद 1936 में ऐनी सुलिवन की मृत्यु हो गई। ऐनी सुलिवन हेलेन के साथ 49 साल तक रहीं जब तक वह मर नहीं गई।

हेलेन केलर की शिक्षा

मई 1880 से, हेलेन केलर की औपचारिक शिक्षा शुरू हुई। हेलेन ने पर्किन्स इंस्टीट्यूट जाना शुरू कर दिया। 1994 से 1996 के बीच हेलन ने राईट-ह्यूमसन स्कूल में पढ़ाई की। वहाँ हेलेन ने संचार कौशल में सुधार किया और ऐकडेमिक विषयों को भी पढ़ा।

इसके बाद 1896 में हेलेन ने कैम्ब्रिज स्कूल (Cambridge School) भी ज्वाइन किया जो कि युवतियों के लिए था। 

जब हेलेन केलर के संघर्ष की स्टोरी लोगों को पता चली तब बहुत से लोग उन से प्रभावित हुए। उनमें मार्क ट्वेन (Mark Twain) भी शामिल थे जो की एक लेखक थे। वह हेलेन केलर के दोस्त बन गए। ट्वैन ने अपने एक मित्र हेनरी एच रोजर्स (Henry H. Rogers) से हेलेन को मिलवाया, जो एक तेल कार्यकारी था।

रोजर्स हेलेन केलर की लगन और प्रतिभा से बहुत प्रभावित हुए। इसीलिए उन्होंने हेलेन की उच्च शिक्षा के लिए रेडक्लिफ कॉलेज (Radcliffe College) की फीस का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की।

बेस्ट सेलर बुक “द स्टोरी ऑफ माय लाइफ”

1903 में हेलन केलर ने “द स्टोरी ऑफ़ माय लाइफ” को प्रकाशित किया जो एक बेस्ट सेलर बुक बनी। इस पुस्तक को लिखने में, ऐनी सुलिवन और जॉन मैसी ने हेलेन की बहुत मदद की। 

हेलेन ने 1904 में 24 साल की उम्र में ग्रेजुएशन पूरा किया। इस समय तक, हेलेन केलर ने संचार के विभिन्न तरीकों जैसे कि टाइपिंग, होंठों को पढ़ना (स्पर्श करके) और भाषण में महारत हासिल कर ली थी।

राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियाँ।

ग्रेज्यूशन के बाद, हेलेन केलर ने लोगों के लिए काम करना शुरू कर दिया। हेलेन केलर उस समय तक एक प्रसिद्ध हस्ती बन गई थी। हेलेन ने हजारों लोगों को संबोधित किया, उन्हें अपने संघर्षों और अनुभवों के बारे में बताया।

ग्रेजुएशन के कुछ समय बाद ही हेलेन केलर सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गईं। यहां तक ​​कि हेलन ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन भी किया। 1909 से 1921 के दौरान, उन्होंने समाजवाद पर कई लेख लिखे।

1915 में, हेलेन ने जॉर्ज केसलर के साथ अमेरिकन फाउंडेशन फॉर ओवरसीज ब्लाइंड की सह-स्थापना की, जिसे आज हम हेलेन केलर इंटरनेशनल के नाम से जानते हैं। जो बच्चों के स्वास्थ्य और नेत्रहीन लोगों के लिए काम करता है। 1920 में, हेलेन केलर ने अमेरिका सिविल लिबर्टीज यूनियन (ACLU) की स्थापना में मदद की।

1924 में हेलेन अमेरिकन फेडरेशन फॉर द ब्लाइंड की एक सक्रिय सदस्य बन गई। वह अपनी मृत्यु तक इस फाउंडेशन की सक्रिय सदस्य बनी रहीं।  हेलेन ने अपने जीवनकाल में 35 देशों की यात्रा की।

पुरस्कार और सम्मान

सन 1964 में हेलेन केलर को स्वतंत्रता का राष्ट्रपति पुरस्कार (Presidential Award For Freedom) मिला। हेलेन को कई विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की उपाधि भी मिली।

मृत्यु  1961 में गंभीर स्ट्रोक के बाद, हेलेन ने सामाजिक गतिविधियों को छोड़ दिया। 1 जून 1968 को सोते समय हेलेन की मृत्यु हो गई।  हेलेन ने एक उदाहरण स्थापित किया कि कड़ी मेहनत, विश्वास और धैर्य के साथ इंसान कुछ भी हासिल कर सकता है। हेलेन केलर की जीवनी हम सब के लिए प्रेणना का स्रोत है।  द मिरेकल वर्कर मूवी {The Miracle Worker} मिरेकल वर्कर हेलेन केलर की आत्मकथा पर आधारित है, साल 1957 में रिलीज़ हुई ये फिल्म एक पुरस्कार विजेता फिल्म है।

हेलेन केलर से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?

4 चीजें जो आप हेलेन केलर से सीख सकते हैं।

“असंभव” संभव हो सकता है।

हेलेन केलर ने साबित कर दिया कि इंसान धैर्य और निरंतरता से असंभव को भी संभव कर सकता है. हेलेन इस बात का प्रतीक है कि कैसे एक व्यक्ति असंभव को संभव कर सकता है और पीढ़ियों को उसे एक आदर्श के रूप में देखने के लिए प्रेरित कर सकता है।

आपका भविष्य आप पर निर्भर है।

कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो इंसान के हाथ में नहीं होती हैं लेकिन हमारी जिंदगी वास्तव में हमारे ही हाथों में होती है, हम उसे बना भी सकते हैं या बिगाड़ भी सकते हैं. अपनी कमियों और असफलताओं के लिए दूसरों को दोष देना आसान है, लेकिन हर चीज के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराना मुश्किल है।

सकारात्मकता पर ध्यान दें और खुश रहें।

हेलेन केलर ने उन चुनौतियों का सामना किया जो शायद ही हममें से किसी ने की हों, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने जीवन वह मुकाम हासिल किया जो पांच इंद्रियों से परिपूर्ण इंसानों के लिए भी कठिन है. हेलेन को उनकी लगातार सकारात्मकता के लिए जाना जाता था. हेलेन ने एक बार कहा था कि आप अपना चेहरा धूप में रखो और तुम कभी छाया नहीं देखगें।

आपके पास एक लक्ष्य होना चाहिए।

भले ही हेलेन के पास देखने और सुनने की शक्ति नहीं थी, लेकिन उसका एक लक्ष्य था कि वह दूसरों के जीवन को कैसे बेहतर बना सकती हैं. यदि व्यक्ति अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित है और खुद पर विश्वास रखता है, तो वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।

हेलेन केलर के जीवन में ऐनी सुलिवन का महत्व

ऐनी सुलिवन एक गॉड गिफ्टेड शिक्षक थीं, ऐसा शिक्षक आज के समय में मिलना असंभव है। हेलेन केलर के जीवन में ऐनी सुलिवन की भूमिका एक शिक्षक, रक्षक और जीवन भर के मित्र की थी। ऐनी ने हेलेन को सांकेतिक भाषा का उपयोग करके संवाद करना सिखाया। जिस दिन ऐनी सुलिवन हेलेन को पढ़ाने के लिए हेलेन के घर आई थी, उस दिन को हेलेन ने अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण दिन बताया था।

हेलेन केलर की पुस्तकें

“द स्टोरी ऑफ माय लाइफ”

  • द वर्ल्ड आई लिव इन
  • द सांग ऑफ द स्टोन वॉल
  • आउट ऑफ द डार्क
  • लाइट इन माय डार्कनेस
  • द वर्ल्ड आई लिव इन और ऑप्टिमिसम
  • टू लव दिस लाइफ
  • टू लव दिस लाइफ, कोटेशन बाय हेलेन केलर
  • हाऊ वॉल्द आई हेल्प द वर्ल्ड
  • द की ऑफ माय लाइफ, ऑप्टिमिसम
  • मिडस्ट्रीममी लेटर लाइफ
  • ऑप्टिमिसम, एन एस्से
  • द स्टोरी ऑफ माय लाइफ विथ हर लेटर्स
  • द फेथ ऑफ हेलेन केलर
  • द स्टोरी ऑफ माय लाइफ एंड ऑप्टिमिसम
  • द ओपेन डोर एंड आवर मार्क ट्वेन
  • लेट अस बिलीव

हेलेन केलर मैगज़ीन

टीचर ऐनी सुलिवन

माय लाइफ स्टोरी हेलेन केलर

आवर ड्यूटी टू द ब्लाइंड

हेलेन केलर जर्नल, 1936-1937

Facts About Helen Keller In Hindi 

हेलेन ने अपने पूरे जीवन में 500 से अधिक निबंध और लेख लिखे।

हेलन की समाजवादी विचारधारा के कारण घरेलू खुफिया एजेंसी एफबीआई (FBI) ने कई वर्षों तक हेलेन केलर की निगरानी की।

हेलेन ने सिर्फ 19 महीने की उम्र में देखने और सुनने की क्षमता खो दी थीं।

हेलेन ने “द स्टोरी ऑफ माय लाइफ” सहित 12 पुस्तकें प्रकाशित कीं।

ऐनी सुलिवन अपनी मृत्यु तक हेलेन के साथ रहीं।

हेलेन केलर कला में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने वाली पहली बधिर-अंधा व्यक्ति थीं।

Helen Keller Quotes In Hindi (हेलेन केलर के विचार)

“मैं जो खोज रही हूं, वह बाहर नहीं है, वह मुझमें है।”

जीवन एक साहसी रोमांच है या कुछ भी नहीं है

हम इस दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकते हैं, अगर हम लंबे समय तक अपने फैसले पर अडिग रहें।

हम बहुत कम अकेले हासिल कर सकते हैं, लेकिन एक साथ बहुत कुछ।

निष्कर्ष (Conclusion)

हम उम्मीद करते है, आपको  Helen Keller Biography In Hindi और Helen Keller Story In Hindi पसंद आई होगी।

लगातार पूछे जाने वाले प्रश्न

हेलन केलर का जन्म कब और कहां हुआ था?

हेलेन केलर का जन्म 27 जून 1880 को उत्तरी अलबामा के एक छोटे से शहर टस्कम्बिया में हुआ था।

हेलेन केलर की आत्मकथा का क्या नाम है?

हेलेन केलर की विकलांगता क्या था.

हेलेन केलर देखने और सुनने के में असमर्थ थी।

हेलेन केलर ने किस उम्र में अपनी देखने और सुनने की शक्ति खो दिया था?

जब वह 19 महीने की थीं, तब एक रहस्यमय बीमारी के कारण उनकी देखने और सुनने की शक्ति चली गई थी।

हेलेन केलर ने भारत की यात्रा कब की थी?

1955 में हेलेन केलर ने भारत का दौरा किया। उन्होंने भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से भी मुलाकात की।

हेलेन केलर को कौन सी बीमारी थी?

हेलेन केलर की बीमारी आज भी एक अनसुलझी पहेली है, कोई नहीं जानता कि हेलेन केलर किस बीमारी से प्रभावित थी।

क्या हेलेन केलर बोल सकती थी?

हेलेन केलर के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है.

हेलेन केलर ने साबित कर दिया कि इंसान धैर्य और निरंतरता से असंभव को भी संभव कर सकता है। हेलेन इस बात का प्रतीक है कि कैसे एक व्यक्ति असंभव को संभव कर सकता है और पीढ़ियों को उसे एक आदर्श के रूप में देखने के लिए प्रेरित कर सकता है।

हेलेन केलर ने सबसे पहला शब्द क्या सीखा था?

हेलेन केलर के माता-पिता का क्या नाम था.

हेलेन केलर के पिता का नाम आर्थर हेनले केलर और माता का नाम केट एडम्स केलर था।

हेलेन केलर ने कितनी पुस्तकें प्रकाशित कीं?

हेलेन ने अपने जीवन में 14 पुस्तकें प्रकाशित कीं।

हेलेन केलर से हम क्या सीख सकते हैं?

1- धैर्य 2- सीखने की इच्छा (जिज्ञासा) 3- इंद्रियों का उचित उपयोग 4- कड़ी मेहनत 5- समर्पण 6- लगातार सीखना

क्या हेलेन केलर होंठ पढ़ सकती है?

हां, हेलेन को होठों को छूकर, होठों को पढ़ने में महारत हासिल थी।

हेलेन केलर की बहन का क्या नाम था?

मिल्ड्रेड केलर

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Summary of Novel The Story of My Life Summary by Helen Keller in hindi

कहानी एक अंधी और बहरी लड़की की दुनिया का एक प्रेरणादायक वृत्तांत है, और वह अपनी विकलांगताओं पर कैसे विजय प्राप्त करती है, स्कूल और कॉलेज जाती है, परीक्षा का सामना करती है और जीवन में सरल चीजों का आनंद लेना सीखती है। उसकी कुछ चिंताएं उसकी उम्र के सभी युवाओं के लिए आम हैं, लेकिन अन्य चिंताएं उसकी विकलांगता पर विजय पाने की उसकी इच्छा के कारण उत्पन्न हुई हैं। किताब हमें एक ऐसे व्यक्ति की धारणा दिखाती है जिसे दृष्टि और ध्वनि से वंचित किया गया है और दुनिया को समझने और उसके आसपास के लोगों के साथ बातचीत करने के लिए संघर्ष करता है। यह हमें यह भी दिखाता है कि सामान्य लोग विकलांग लोगों की सहायता करने में कैसे मदद कर सकते हैं।

हेलेन एडम्स केलर का जन्म 27 जून 1880 को, तुस्कुम्बिया के उत्तर-पश्चिम अलबामा शहर में हुआ था। उनके पिता एक सेवानिवृत्त संघचालक सेना के कप्तान और एक स्थानीय समाचार पत्र द नॉर्थ अलबामा के संपादक थे, जबकि उनकी मां केट मेम्फिस की एक शिक्षित युवा महिला थीं। हेलेन का एक छोटा भाई, फिलिप्स ब्रूक्स और एक बहन, मिल्ड्रेड था।

जब हेलेन उन्नीस महीने की थी, तब वह एक अज्ञात बीमारी से पीड़ित थी, संभवतः स्कार्लेट ज्वर या मेनिन्जाइटिस, जिससे उसका बहरा और अंधा हो गया था। हेलेन, जो एक अत्यंत बुद्धिमान बच्चा था, ने स्पर्श, गंध और स्वाद के माध्यम से अपने परिवेश को समझने की कोशिश की; और सात साल की उम्र तक, हेलेन ने अपने माता-पिता के साथ संवाद करने और चीजों के लिए पूछने के लिए लगभग साठ हाथ इशारों को विकसित किया था।

हालांकि, वह अक्सर खुद को व्यक्त करने में असमर्थता से निराश थी। अपने शिक्षक, ऐनी सुलिवन की मदद से, हेलेन ने मैनुअल वर्णमाला सीखी और उंगली की वर्तनी द्वारा संचार करना शुरू कर दिया। ऐनी के साथ काम करने के कुछ महीनों के भीतर, हेलेन की शब्दावली सैकड़ों शब्दों और सरल वाक्यों तक बढ़ गई। ऐनी ने हेलेन को ब्रेल और उठे हुए टाइप को पढ़ने और ब्लॉक लेटर्स को प्रिंट करने का तरीका भी सिखाया। नौ साल की उम्र तक, हेलेन ने बोलना और होंठों को पढ़ना सीखना शुरू कर दिया।

हेलेन ने चार साल तक ब्लाइंड के लिए पर्किन्स स्कूल में पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने रेडक्लिफ कॉलेज की तैयारी के लिए एक वर्ष कैम्ब्रिज स्कूल में यंग लेडीज के लिए बिताया। 1904 में, उन्होंने रेडक्लिफ से सह प्रशंसा प्राप्त की और बैचलर ऑफ आर्ट्स की डिग्री हासिल करने वाली पहली बधिर-नेत्रहीन व्यक्ति बनीं।

कॉलेज में रहते हुए, केलर ने 1903 में अपनी आत्मकथा द स्टोरी ऑफ़ माय लाइफ का एक निबंध असाइनमेंट लिया। इस पुस्तक में, हेलेन ने अपनी शिक्षा और अपने शिक्षक और मित्र के साथ तेईस साल की उम्र में, ऐनी सुलिवन को पूरक प्रदान किया। शिक्षण प्रक्रिया के खाते। आत्मकथा कई भाषाओं में लगभग अद्वितीय बेस्टसेलर बन गई और केलर के साहित्यिक करियर की नींव रखी।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Helen Keller

What were Helen Keller’s accomplishments?

What was helen keller’s relationship with anne sullivan, why is helen keller important.

  • What was education like in ancient Athens?
  • How does social class affect education attainment?

Still from the film Deliverance, 1919. The story of Helen Keller and Anne Sullivan. View shows Keller in the cockpit/front seat of an airplane.

Helen Keller

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  • HistoryNet - Helen Keller
  • Social Welfare History Project - Biography of Helen Keller
  • American Foundation for the Blind - Helen Keller
  • Encyclopedia of Alabama - Helen Keller
  • National Park Service - Helen Keller
  • Spartacus Educational - Biography of Helen Keller
  • National Women's History Museum - Biography of Helen Keller
  • Helen Keller - Children's Encyclopedia (Ages 8-11)
  • Helen Keller - Student Encyclopedia (Ages 11 and up)

Helen Keller

Who was Helen Keller?

Helen Keller was an American author and educator who was blind and deaf . Her education and training represent an extraordinary accomplishment in the education of persons with these disabilities.

Helen Keller’s personal accomplishment was developing skills never previously approached by any similarly disabled person. She also lectured on behalf of the American Foundation for the Blind, for which she later established a $2 million endowment fund. She then cofounded the American Civil Liberties Union with American civil rights activist Roger Nash Baldwin and others in 1920.

What books did Helen Keller write?

Helen Keller wrote about her life in several books, including The Story of My Life (1903), Optimism (1903), The World I Live In (1908), My Religion (1927), Helen Keller’s Journal (1938), and The Open Door (1957).

When did Helen Keller die?

Helen Keller died on June 1, 1968, in Easton, Connecticut, at the age of 87. She had bought her home in Easton in 1936 and called it Arcan Ridge, and it remained her permanent residence until her death.

Anne Sullivan became governess to six-year-old Helen Keller in March 1887. In 1888 the two began spending periods at the Perkins Institution, and Sullivan subsequently accompanied Keller to the Wright-Humason School in New York City , the Cambridge School for Young Ladies, and Radcliffe College . Sullivan was Keller’s constant companion at home and on lecture tours until Sullivan’s death in 1936.

Helen Keller was an author, activist, and educator whose lifetime of public advocacy for many communities and causes had lasting global impact. Keller, who became blind and deaf as a result of a childhood illness, learned to communicate with hearing people by having signals pressed into her palm, reading lips by way of touch, reading and writing Braille , and eventually speaking audibly. She helped to change perceptions of the deaf community and the blind community.

Helen Keller (born June 27, 1880, Tuscumbia , Alabama , U.S.—died June 1, 1968, Westport, Connecticut) was an American author and educator who was blind and deaf . Her education and training represent an extraordinary accomplishment in the education of persons with these disabilities.

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Keller was afflicted at the age of 19 months with an illness (possibly scarlet fever ) that left her blind and deaf. She was examined by Alexander Graham Bell at the age of 6. As a result, he sent to her a 20-year-old teacher, Anne Sullivan (Macy) from the Perkins Institution for the Blind in Boston, which Bell’s son-in-law directed. Sullivan, a remarkable teacher, remained with Keller from March 1887 until her own death in October 1936.

Within months Keller had learned to feel objects and associate them with words spelled out by finger signals on her palm, to read sentences by feeling raised words on cardboard, and to make her own sentences by arranging words in a frame. During 1888–90 she spent winters at the Perkins Institution learning Braille . Then she began a slow process of learning to speak under Sarah Fuller of the Horace Mann School for the Deaf, also in Boston. She also learned to lip-read by placing her fingers on the lips and throat of the speaker while the words were simultaneously spelled out for her. At age 14 she enrolled in the Wright-Humason School for the Deaf in New York City , and at 16 she entered the Cambridge School for Young Ladies in Massachusetts. She won admission to Radcliffe College in 1900 and graduated cum laude in 1904.

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Having developed skills never approached by any similarly disabled person, Keller began to write of blindness, a subject then taboo in women’s magazines because of the relationship of many cases to venereal disease . Edward W. Bok accepted her articles for the Ladies’ Home Journal , and other major magazines— The Century , McClure’s , and The Atlantic Monthly —followed suit.

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She wrote of her life in several books, including The Story of My Life (1903), Optimism (1903), The World I Live In (1908), Light in My Darkness and My Religion (1927), Helen Keller’s Journal (1938), and The Open Door (1957). In 1913 she began lecturing (with the aid of an interpreter), primarily on behalf of the American Foundation for the Blind, for which she later established a $2 million endowment fund, and her lecture tours took her several times around the world. She cofounded the American Civil Liberties Union with American civil rights activist Roger Nash Baldwin and others in 1920. Her efforts to improve treatment of the deaf and the blind were influential in removing the disabled from asylums. She also prompted the organization of commissions for the blind in 30 states by 1937.

Keller’s childhood training with Sullivan was depicted in William Gibson’s play The Miracle Worker (1959), which won the Pulitzer Prize in 1960 and was subsequently made into a motion picture (1962), starring Anne Bancroft as Sullivan and Patty Duke as Keller, that won two Academy Awards .

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COMMENTS

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    Fiji Hindi; Hrvatski; Magyar ... Helen and Teacher: The Story of Helen Keller and Anne Sullivan Macy . न्यूयॉर्क: डेलाकोर्टे प्रेस, ISBN 978--440-03654-8; हर्मन, डोरोथी (1998) Helen Keller: A Life. न्यूयॉर्क: क्नॉफ़. ISBN 978--679-44354-4 ...

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