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ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है,फायदे,नुकसान निबंध | Greenhouse harmful effects and facts in hindi [विश्व मौसम विज्ञान दिवस World Meteorological Day 2024]

ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है व इसके फायदे व नुकसान निबंध Greenhouse harmful effects and facts in hindi

Table of Contents

ग्रीन हाउस प्रभाव पर निबंध

पृथ्वी पर मौजूद वातावरण ग्रीनहाउस की सतह के रूप में कार्य करता है. सूर्य की ओर से आने वाली प्रकाश किरणों का 31 प्रतिशत भाग पृथ्वी की सतह से पुनः परवर्तित होकर स्पेस में  चला जाता है और 20 प्रतिशत भाग वातावरण के द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है. सूर्य से आई ऊर्जा का बचा हुआ भाग, पृथ्वी पर मौजूद समुद्र और सतह पर मौजूद तथ्यों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है. फिर इसे ऊष्मा (heat) में परिवर्तित किया जाता है जो पृथ्वी कि सतह और उपर मौजूद हवाओ को गर्म बनाये रखने में मदत करती है. पृथ्वी के वातावरण में मौजूद कुछ खास गैसें ग्रीनहाउस की सतह के रूप में कार्य करती है, और ऊष्मा को पृथ्वी पर बांधे रखती है.

ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है

ग्रीनहाउस प्रभाव एक प्राकृतिक घटना है, जो पृथ्वी की सतह को गर्म बनाये रखने में मदद करती है और इसी कारण पृथ्वी पर जीवन संभव है. ग्रीनहाउस में सूर्य की ओर से आने वाली ऊर्जा प्रकाश किरणों के रूप में एक सतह को पार करके ग्रीनहाउस तक आती है. इस सूर्य की ओर से आने वाली ऊर्जा का कुछ भाग मिट्टी, पेड़ पौधों और ग्रीनहाउस के अन्य साधनों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है. इस अवशोषित ऊर्जा का अधिक्तर भाग ऊष्मा(heat) में परिवर्तित हो जाता है, जो ग्रीनहाउस को गर्म बनाये रखता है. ग्रीनहाउस में  मौजूद सतह इस ऊष्मा को बांधे रखती है, और ग्रीनहाउस का तापमान निश्चित बनाये रखने में मदत करती है. 

ग्रीनहाउस में उपस्थित गैसें ऊष्मा को अवशोषित करती है, जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है, और अन्य ग्रहों की तुलना में पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाता है. सबसे जरूरी ग्रीनहाउस गैस पानी से उत्पन्न वाष्प है और ग्रीनहाउस प्रभाव में यह बहुत अधिक उपयोगी है. अन्य गैसें जिसमें कार्बन डाई ऑक्साइड, मेंथेन और नाइट्रस ऑक्साइड आदि शामिल है, वो भी ग्रीनहाउस प्रभाव में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, हालाँकि इसके शामिल होने का प्रतिशत बहुत ही कम होता है.

अगर पृथ्वी पर ग्रीनहाउस प्रभाव नहीं होता तो, पृथ्वी अभी से कहीं ज्यादा ठंडी होती और पृथ्वी का तापमान 18 C होता. पृथ्वी पर जलवायु में गर्माहट बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्यूकी हमारी पृथ्वी के तीन चौथाई भाग पर पानी है और यह पानी बर्फ, तरल और वाष्प तीन रूपों में पृथ्वी पर मौजूद है. पृथ्वी पर मौजूद जल चक्र के कारण पानी एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होता रहता है, और हमें अपने जीवन को नियमित बनाये रखने के लिए पीने योग्य पानी मिलता है.  यह पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

ग्रीनहाउस गैसों के संदर्भ में जानकारी :

ग्रीनहाउस प्रभाव में वृद्धि (greenhouse effect increase):  .

पिछले कुछ वर्षो से विश्व के तापमान में लगातार वृद्धि देखी जा रही है इसका मुख्य कारण ग्रीनहाउस गैसों की वृद्धि है. इन ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि और पृथ्वी के तापमान में वृद्धि के मुख्य कारण मानव द्वारा निर्मित किए हुये है. मनुष्य ने अपनी सुख सुविधाओ के लिए पेड़ो और वनों को नष्ट करते जा रहा है. जीवाष्म इंधनों का अंधाधुन रूप से प्रयोग हो रहा है, इसके परिणाम स्वरूप पृथ्वी का तापमान अब पहले से 11 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है और कहा जा रहा है सन 2030 तक यह तापमान 5 डिग्री सेल्सियस और बढ़ जायेगा. इसके कई दुष्परिणाम भी हमें देखने मिल रहे है, जैसे रेगिस्तान में बाढ़ का आना, अतिवर्षा वाले क्षेत्रों में वर्षा कि कमी होना तथा ग्लेशियर पर मौजूद बर्फ भी पिघलने लगी है. और यदि आगे भी यह सब ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन भी दूर नहीं जब पृथ्वी अपने विनाश की ओर अग्रसर होगी. कहा जाता है कि अगर पृथ्वी का तापमान इसी तरह बढ़ता रहा तो कई जगह गर्म हवाओ के तूफान उठेंगे तो कही  समुद्र का जलस्तर भी बढ़ जायेगा और निचले हिस्से में मौजूद देश जलमग्न हो जायेंगें. पीने और सिचाई के लिए भी पानी मौजूद नहीं होगा, वन और पेड़ पोधे भी नष्ट होने लगेंगे. इसलिए आज जरूरत है कि हम बढ़ते हुये प्रदूषण को नियंत्रित करे और अपनी पृथ्वी के अस्तित्व को खोने से बचाये.    

 ग्रीनहाउस प्रभाव की प्रक्रिया (Greenhouse effect process in hindi):

नीचे कुछ स्टेप्स में हम ग्रीनहाउस प्रभाव को आपको समझाने कि कोशिश कर रहे है, जिससे आप इसे सरलता से समझ सकते है.

Greenhouse effect

पर्यावरण / जलवायु में परिवर्तन के कारण  (Greenhouse effect is caused ):

मौसम और जलवायु दोनों एक दूसरे से बहुत अलग है, मौसम में परिवर्तन आम बात और हम साल में तीन मौसम ठंड, गर्मी और बारिश का अनुभव भी करते है. इस मौसम में हुये परिवर्तन को हम आसानी से समझ लेते है परंतु जलवायु में परिवर्तन अत्यंत धीमा होता है और हम इस धीमी प्रक्रिया में हम सामंजस्य  भी आसानी से बैठा लेते है और इस परिवर्तन को समझ नहीं पाते. परंतु यह जलवायु में हुआ परिवर्तन पृथ्वी और इस पर उपस्थित जीवो के लिए अत्यंत खतरनाक है. जलवायु में परिवर्तन के कारण प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों ही है. प्राक्रतिक कारणों पर तो हमारा कोई नियंत्रण नहीं है परंतु मानव द्वारा निर्मित कारणों को नियंत्रित करके हम पृथ्वी के अस्तित्व और भविष्य में होने वाली कठिनाइयों से खुद को बचा सकते है. इसके लिए हुमें जलवायु परिवर्तन के करणों पर गौर करना पड़ेगा .

जलवायु परिवर्तन के कारण :

  • प्राक्रतिक कारण :
  • महाद्वीपों का खिसकना
  • समुद्री तरंगे
  • धरती का घुमाव
  • मानवीय कारण : कई ऐसे मानवीय कारण है, जिसके फलस्वरूप पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैसों का स्तर बढ़ रहा है जिसके फलस्वरूप जलवायु में भी परिवर्तन हुये है और वो ग्लोबल वार्मिंग का बहुत बड़ा कारण है,
  • जीवाष्म इंधनों जैसे कोला, पेट्रोल, प्राक्रतिक गैसे आदि के प्रयोग से अधिक मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड पर्यावरण में मुक्त हो रही है.
  • वनों के लगातार कटाव से उनके द्वारा अवशोषित की जाने वाली कार्बनडाई ऑक्साइड का स्तर पर्यावरण में बढ़ रहा है.
  • औद्योगीकरण के चलते नवीन ग्रीनहाउस गैसे भी पर्यावरण में आवश्यकता से अधिक मात्रा में शामिल हो रही है जिससे तापमान लगातार बढ़ रहा है.
  • जल्द अपघटित न हो सकने वाले समान जैसे प्लास्टिक आदि के प्रयोग से.
  • खेती में उर्वरक कीटनाशको के छिड़काव से भी पर्यावरण प्रदूषण बढ़ा है.
  • घर बनाने और ओद्योगीकरन के लिए जमीन प्राप्त करने के उद्देश्य से पेड़ो की कटाई के चलते भी पर्यावरण प्रदूषण बढ़ा है.

यह सभी कारण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हमारे पर्यावरण को प्रभावित करते है. हम सभी को इन सभी कारणों को नियंत्रित करने के लिए प्रयास करके अपने भविष्य को बचाने की ओर कदम बढ़ाना चाहिए और अपने आगे वाली पीढ़ी को भी इस दिशा में शिक्षित करना चाहिए.  

जलवायु परिवर्तन में सुधार कैसे लाया जा सकता है

यदि जलवायु परिवर्तन होने से पृथ्वी पर अनेक तरह के बदलाव हो रहे हैं, अगर ग्रीनहाउस के प्रभाव में बदलाव आता है तो एक समय ऐसा आएगा की पृथ्वी पर मानव जीवन मुश्किल हो सकता है. जलवायु परिवर्तन में सुधार के लिए हमें यह प्रयास करने होंगे.

  • अपने आस-पास के क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगायें.
  • इंधन से चलने वाले वाहनों का उपयोग कम करना होगा.
  • समुन्द्र एंव नदियों को साफ़ रखना होगा.
  • कारखानों से निकलने वाले कचरे को दुबारा उपयोग में लाना होगा.

विश्व मौसम विज्ञान दिवस World Meteorological Day 2024

विश्व मौसम विज्ञान दिवस हर साल 23 मार्च को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिवस की शुरूआत सन् 1950 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन की स्थापना के दौरान की गई। इस साल इस दिन को 73 साल पूरे हो जाएगे। आपको पता है कि, ये दिन क्यों मनाते हैं। इस दिन को मनाने के पीछे का मुख्य कारण है लोगों को मौसम विज्ञान और इसमें हो रहे बदलावों के बारे में लोगों को जागरूक कराना। क्योंकि पता नहीं कि, कब कौनसी आपदा आपके सामने आ जाए। जिससे आपको खुद बचना पड़ सके। जैसे- भूकंप, प्राकृतिक आपदा, चक्रवात आदि। इनसे सुरक्षित रखने के लिए आपको इस दिन कुछ खास बातें वैज्ञानिकों द्वारा बताई जाती हैं। जिसका आपको ध्यान रखना होता है। आपको बता दें कि, हर साल इस दिन को अलग-अलग थीम के अनुसार मनाया जाता है। जैसे साल 2022 में इसे ‘प्रारंभिक चेतावनी और प्रारंभिक कार्रवाई’ थीम के हिसाब से मनाया था। साल 2023 में इसे ‘पीढ़ियों तक मौसम, जलवायु और पानी का भविष्य’ थीम के अनुसार मनाया गया था. ऐसे ही इस साल भी इसकी थीम चुनी गई है। जिसका चुनाव मौसम विज्ञान विभाग में काम कर रहे लोगों द्वारा किया गया है। इस साल 2024 की थीम ‘On the Front Lines of #ClimateAction’ है.

Ans- ग्रीनहाउस प्रभाव पृथ्वी की सतह के तापमान स्तर को बेहतर बनाने में मदद करता है।

Ans- ग्रीनहाउस के चार नुकसान होते हैं।

Ans- ग्रीनहाउस के प्रभाव अच्छे होते हैं।

Ans- ग्रीनहाउस प्रभाव से अवशोषित गैस पुन विकसित होते हैं।

Ans- ग्रीनहाउस का अर्थ है बाग बगीचे और पार्क होता है।

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green house essay in hindi

ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है, निबंध, फायदे, नुकसान | Greenhouse Effect Essay in Hindi

ग्रीनहाउस प्रभाव (ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट) क्या है, निबंध, परिभाषा, फायदे, नुकसान (Greenhouse Effect Essay in Hindi)

Greenhouse Effect In Hindi Essay

Table of Contents

ग्रीनहाउस प्रभाव पर निबंध (Greenhouse Effect Essay)

हमारे पर्यावरण का वर्तमान तापमान 15 डिग्री सेल्सियस होता है इसके पीछे का कारण ग्रीन हाउस प्रभाव है जो तापमान को बनाये रखता है यदि ग्रीन हाउस प्रभाव नहीं होता तो हमारे पर्यावरण का तापमान -18 डिग्री सेल्सियस रहता जिसमें पेड़ पौधों और मनुष्य का जीवन संभव नहीं था। ग्रीन हाउस प्रभाव एक प्राकृतिक क्रिया होती है इसके अंदर कुछ ऐसी प्राकृतिक गैस मौजूद होती हैं जो पर्यावरण के तापमान को संतुलन बनाये रखती हैं। जहां एक तरफ ग्रीन हाउस प्रभाव पर्यावरण के लिए आवश्यक है तो दूसरी तरफ इसके बहुत से नुकसान भी हैं।  आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे कि ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है, निबंध,फायदे, नुकसान (Greenhouse Effect Essay in Hindi)

ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है (what Is Greenhouse Effect)

ग्रीन हाउस प्रभाव मुख्य रूप से एक प्राकृतिक घटना है जब सूर्य की किरणें पृथ्वी पर पड़ती हैं तो कुछ किरणे तो अवशोषित हो जाती है लेकिन कुछ किरणों को ग्रीन हाउस गैसों के द्वारा सोख लिया जाता है जिसकी वजह से पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है। जब यह प्रक्रिया अधिक मात्रा में होने लगती है तो उसे ग्रीन हाउस प्रभाव कहा जाता है।

ग्रीन हाउस प्रभाव दो तरीको का होता है एक तो यह प्राकृतिक रूप से होता है दूसरा मानव द्वारा कि गई किर्यो की वजह से भी ग्रीन हाउस प्रभाव देखने को मिलता है।

प्राकृतिक ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण ( Natural Greenhouse Effect)

इसके तहत जो सूर्य की किरणें पृथ्वी पर पड़ती है तो कुछ किरणे सौरमंडल में वापस लौट जाती हैं लेकिन कुछ किरणे होती है जो पृथ्वी पर ही मौजूद रहती हैं और यह वातावरण में ताप में वृद्धि करने में सहायक होती है यह क्रिया पृथ्वी पर जीवित रहने के लिए आवश्यक है।

मानवीय प्रभाव के कारण ग्रीनहाउस ( Human Enhanced Greenhouse Effect)

मनुष्य के द्वारा किए गए क्रियाकलापों की वजह से पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है इसके पीछे का कारण है कि ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करने वाली गैसो में लगातार वृद्धि हो रही है। यह हमारे पर्यावरण के लिए चिंता का विषय बन चुकी है दिन प्रतिदिन इसकी परतें मोटी होती जा रही है जिसके चलते सूर्य की किरणे  सौरमंडल तक नहीं पहुंच रही हैं। जिसके चलते ओजोन परत (जो कि हमारी सूर्य से पड़ने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों से हमारी रक्षा करता है) में दिन प्रतिदिन छेद होता जा रहा है जो कि काफी चिंता का विषय है।

ग्रीन हाउस गैस ( Greenhouse Effect Gases)

ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करने में मुख्य रूप से सहायक गैसे कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), जलवाष्प (H2O), नाइट्रस ऑक्साइड(N2O), मीथेन (CH4) है। इन गैसों को ग्रीनहाउस गैस के नाम से भी जाना जाता है इन्हीं गैसों की वजह से पर्यावरण का संतुलन बना रहता है। यदि पृथ्वी पर ग्रीनहाउस गैसे नहीं होती तो वायुमंडल का चक्कर अनियंत्रित हो जाता है क्योंकि दिन के समय में तापमान बहुत अधिक होता और रात्रि के समय में पृथ्वी का तापमान बिल्कुल ही कम हो जाता इस तापमान में पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं हो पाता। ग्रीन हाउस गैसें दिन के तापमान और रात्रि के तापमान के अंतर को बराबर करके रखती है।

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ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण

जैसा कि हम सभी जानते हैं पेड़ पौधे ऑक्सीजन तो छोड़ते हैं और CO2 ग्रहण करते हैं पेड़ पौधे अपना भोजन CO2 के माध्यम से ही बनाते हैं।  लेकिन वर्तमान समय में मनुष्य द्वारा अपने स्वार्थ को पूरा करते हुए लगातार जंगलों की कटाई की जा रही है।  जिसका परिणाम यह हो रहा है कि वायुमंडल में CO2 की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है जिससे ग्रीन हाउस प्रभाव बढ़ रहा है।

  • जिस तरीके से पृथ्वी पर आबादी की संख्या बढ़ रही है उसी तरीके से औद्योगीकरण भी लगातार बढ़ रहा है जिससे पृथ्वी पर CO2 की मात्रा बहुत अधिक बढ़ चुकी है इसका असर यह हो रहा है कि सूर्य की उष्मा धरती की सतह पर आने के बाद परावर्तित नहीं हो रही है जिस वजह से पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है।
  • दूसरा सबसे बड़ा कारण यह है कि लगातार मीथेन गैस की मात्रा बढ़ रही है जिसके परिणाम स्वरूप पर्यावरण में मवेशियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है पेड़ पौधों में लगातार कमी होती जा रही है।
  • ग्रीन हाउस प्रभाव में वृद्धि करने वाले कारकों में क्लोरोफ्लोरोकार्बन भी शामिल है क्योंकि यह कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में 14000 गुना गर्मी पैदा करने की क्षमता रखता है इसलिए यह कहा जा सकता है कि क्लोरोफ्लोरोकार्बन लगातार बढ़ रहे तापमान में सहायक है।

  ग्रीन हाउस गैसों का नाम ( Name of Green House Gases)

ग्रीन हाउस प्रभाव से फायदे ( benefits of greenhouse effect).

  • ग्रीन हाउस प्रभाव का सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि इसकी वजह से ही पृथ्वी पर जीवन संभव है इससे पृथ्वी का तापमान नियंत्रित रहता है।
  • ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करने वाली गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड और ओजोन जैसी गैसे शामिल हैं जो हमारे पर्यावरण के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है इनकी सहायता से पर्यावरणीय जीवन चक्र सही तरीके से नियंत्रित रहता है।
  • जिस तरह पानी से गंदगी को फिल्टर की सहायता से हटा दिया जाता है उसी तरीके से ग्रीन हाउस प्रभाव पर्यावरण के लिए एक फिल्टर की भांति कार्य करता है क्योंकि यह सूर्य की हानिकारक किरणों को सौरमंडल में वापस भेजने का काम करता है।
  • पर्यावरण में सभी जीवित प्राणियों को दूषित हवा से बचाने का काम भी ग्रीन हाउस प्रभाव करता है।
  • ग्रीन हाउस प्रभाव सूर्य की पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी की रक्षा करता है क्योंकि ग्रीन हाउस प्रभाव में ओजोन गैस मौजूद होती है जो पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती है।
  • हमें बर्फ की बहुत बड़ी-बड़ी चट्टानें देखने को मिलती है इसके पीछे ग्रीन हाउस प्रभाव ही है क्योंकि जब जल के स्तर को संतुलन में रखता है जिसकी सहायता से बर्फ पिघलती नहीं है।

ग्रीन हाउस प्रभाव के दुष्परिणाम ( Disadvantages Of Greenhouse Effect)

जिस तरह से ग्रीन हाउस प्रभाव के फायदे हैं तो दूसरी तरफ इसके नुकसान भी बहुत ज्यादा हैं क्योंकि कोई भी चीज अधिकता में हो जाए तो वह नुकसानदायक होती है ऐसा ही कुछ ग्रीन हाउस प्रभाव में हो रहा है।

  • ग्रीन हाउस प्रभाव का सबसे बड़ा असर अर्थव्यवस्था में  देखने को मिल सकता है क्योंकि लगातार तापमान बढ़ रहा है जिसकी वजह से वैश्विक उत्पादन में लगभग 4% से अधिक कमी होने की संभावना है। जब उत्पादन में कमी आएगी तो खाने पीने की चीजों में भी कमी आना तय है जिसके चलते विश्व भर में भुखमरी देखने को मिल सकती हैं।
  • ग्रीन हाउस प्रभाव की वजह से लगातार पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है जो कि ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा कारक है इसके तहत ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ पिघलने लगी है जो कि बाढ़ जैसे हालात पैदा कर सकते है।
  • CO2 जो की ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करने में सहायक गैस है इसकी पृथ्वी पर लगातार मात्रा बढ़ रही है जो पेड़-पौधों कि प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में लगातार बाधा उत्पन्न कर रही है और लगातार पृथ्वी पर ऑक्सीजन की मात्रा में कमी आने के पीछे का यही कारण है।
  • ग्रीन हाउस प्रभाव के चलते बढ़ते तापमान का सीधा असर मौसम पर देखने को मिलता है कुछ जगह ऐसी होती हैं जहां पर कई वर्षों से बारिश तक नहीं होती है इसके साथ ही बिना मौसम की बारिश होना और अचानक आंधी तूफान और मूसलाधार बारिश होना यह सब ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण ही होता है।
  • ग्रीन हाउस प्रभाव की वजह से पृथ्वी का तापमान 3 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ रहा है जिसने पिछले तापमान के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए है।
  • ग्रीन हाउस प्रभाव की वजह से लगातार जल स्तर में वृद्धि हो रही है जिससे बाढ़ जैसी स्थितियां विश्व भर में देखने को मिल रही है।

हरित गृह प्रभाव को नियंत्रित करने के उपाय

ग्रीन हाउस प्रभाव को नियंत्रित करने के बहुत से उपाय हैं जिनको करके आप काफी हद तक इसे नियंत्रित कर सकते हैं-

  • सबसे पहला उपाय यह है कि जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाई जाये इससे यह फायदा होगा कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कम होगा जिससे पर्यावरण में संतुलन की अवस्था बनी रहेगी।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाएं और वनों का संरक्षण करें इससे ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करने वाली गैसों का ज्यादा से ज्यादा अवशोषण होगा।
  • रसायनिक खाद भी ग्रीन हाउस प्रभाव उत्पन्न करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं इसलिए ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद का ही उपयोग करें।

Conclusion – लगातार पृथ्वी का बढ़ता तापमान हमारे लिए एक चिंता का विषय है यदि इस पर अभी से ध्यान नहीं दिया गया तो यह आने वाले समय में बहुत बड़ी मुसीबत खड़ा कर सकता है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ पौधे लगाए जो पर्यावरण संतुलन के लिए सहायक है। उम्मीद करते हैं दोस्तों आपको हमारे द्वारा बताई गई जानकारी ग्रीनहाउस प्रभाव (ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट) क्या है, निबंध, परिभाषा, फायदे, नुकसान (Greenhouse Effect Essay in Hindi)  अच्छी लगी होगी। ग्रीन हाउस प्रभाव से जुड़ी सभी जानकारी हमने इस पोस्ट के माध्यम से आप तक शेयर की है फिर भी यदि आपको इससे जुड़ी कोई समस्या है तो आप कमेंट बॉक्स के माध्यम से हमें बता सकते हैं।

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ग्रीन हाउस प्रभाव पर निबंध

green house essay in hindi

By विकास सिंह

essay on greenhouse effect in hindi

ग्रीन हाउस प्रभाव पृथ्वी के तापमान को कम करने वाले निचले वातावरण में विकिरण का फंसना है। पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए प्राकृतिक ग्रीनहाउस प्रभाव आवश्यक है। मानव जाति द्वारा वातावरण में इन हानिकारक गैसों के उत्सर्जन के कारण वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों का प्रभाव तेज है। यह ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी के तापमान को गर्म करता है।

ग्रीन हाउस प्रभाव पर निबंध, short essay on greenhouse effect in hindi (200 शब्द)

ग्रीनहाउस प्रभाव का तात्पर्य वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की उपस्थिति के कारण पृथ्वी की सतह के गर्म होने से है। वायुमंडल में सक्रिय रूप से सक्रिय गैसों की उपस्थिति सभी दिशाओं में अपनी ऊर्जा फैलाती है और इन गैसों का एक हिस्सा ग्रह की सतह को गर्म बनाने की दिशा में भी निर्देशित होता है। विकिरण की तीव्रता वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा और पृथ्वी के वायुमंडल के तापमान पर निर्भर करती है। प्राथमिक ग्रीनहाउस गैसें कार्बन डाइऑक्साइड, जल वाष्प, ओजोन, नाइट्रस ऑक्साइड और मीथेन हैं।

Essay on solution of global warming in hindi

ग्रीनहाउस प्रभाव स्वाभाविक रूप से होता है, लेकिन मुख्य रूप से मानव गतिविधियों जैसे जंगलों को साफ करने, जीवाश्म ईंधन को जलाने और इस तरह ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप वृद्धि हुई है। औद्योगिक क्रांति की शुरुआत के बाद से, वातावरण में मीथेन की मात्रा दोगुनी हो गई है और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा भी लगभग 30 प्रतिशत बढ़ गई है।

वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि ने हमारे ग्रह की जलवायु को बदल दिया है और इसे आगे भी बदल सकता है। इससे अत्यधिक सूखा और वर्षा होगी जो विभिन्न क्षेत्रों में भोजन के उत्पादन को बाधित करेगा। ग्रीनहाउस गैसों के कारण ग्लोबल वार्मिंग के कारण जैव विविधता , पारिस्थितिकी तंत्र और लोगों का जीवन प्रतिकूल रूप से प्रभावित होता है। ग्लोबल वार्मिंग दुनिया भर में एक प्रमुख मुद्दा है जिसे गंभीर उपाय करने से रोकने की आवश्यकता है।

ग्रीन हाउस प्रभाव पर निबंध, 300 शब्द:

प्रस्तावना:.

ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी और उसके महासागरों के तापमान में वृद्धि है। ग्रीनहाउस गैसें अवरक्त विकिरण को अवशोषित और उत्सर्जित करती हैं और गर्मी के रूप में वातावरण में विकिरण को फँसाती हैं जिससे पृथ्वी का तापमान गर्म होकर ग्रीनहाउस प्रभाव पैदा करता है।

ग्रीनहाउस प्रभाव और ग्लोबल वार्मिंग:

वायुमंडल में प्राथमिक ग्रीनहाउस गैसें कार्बन डाइऑक्साइड (CO,), जल वाष्प (HhouseO), मीथेन (CHone), ओजोन (O₃), नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O) हैं जो गर्मी को अधिक बनाए रखती हैं। पृथ्वी के वायुमंडल का औसत तापमान 15⁰c (59 )F) है, जबकि ग्रीनहाउस प्रभाव के बिना तापमान – 1 डिग्री सेल्सियस होगा।

जीवाश्म ईंधन, कृषि, वनों की कटाई और अन्य मानवीय गतिविधियों को जलाने से जारी ग्रीनहाउस गैसों का बढ़ता उत्सर्जन पिछले कुछ दशकों में ग्लोबल वार्मिंग के प्राथमिक कारण हैं। यह बर्फ की चादर और ग्लेशियरों के पिघलने के परिणामस्वरूप होता है जो समुद्र के स्तर में वृद्धि का कारण बनता है। गर्म जलवायु से संभवतः वर्षा और वाष्पीकरण हो सकता है। ग्लोबल वार्मिंग से मौसम के मिजाज बदलने के साथ कुछ स्थानों को ड्रायर और अन्य स्थानों को गीला बना दिया जाता है।

यह सूखे, बाढ़ और तूफान जैसी लगातार प्राकृतिक आपदाओं का परिणाम हो सकता है। जलवायु परिवर्तन प्रकृति और मानव जीवन को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है और हम भविष्य में इसके बुरे प्रभाव देख सकते हैं यदि ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम तटीय क्षेत्रों के लिए विनाशकारी होंगे। समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण तापमान बढ़ने से ध्रुव पिघलने लगेंगे, जिससे तटीय शहर जलमग्न हो सकते हैं।

निष्कर्ष:

दुनिया का कोई भी देश ऐसा नहीं है जो ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभावों से प्रभावित न हो। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी ग्लोबल वार्मिंग के प्रतिकूल प्रभावों को रोक सकती है। वातावरण में जहरीली गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा उपाय किए जाने की आवश्यकता है। वनों की कटाई के बजाय नवीकरणीय ऊर्जा और वनस्पतियों के अधिक से अधिक उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

ग्रीनहाउस प्रभाव का निबंध, essay on greenhouse effect in hindi (400 शब्द)

वायुमंडल में फंसी गैसों द्वारा पृथ्वी के तापमान को गर्म करने को ग्रीनहाउस प्रभाव के रूप में जाना जाता है। यह स्वाभाविक है और पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। दुर्भाग्य से औद्योगिक क्रांति के बाद से वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में अत्यधिक वृद्धि हुई है। मानवीय गतिविधियों के कारण यह कई गुना बढ़ गया है। इसने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग में योगदान दिया है।

ग्रीनहाउस प्रभाव के प्रमुख कारण:

ग्रीनहाउस प्रभाव के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:

प्रकति के कारण:

पृथ्वी पर कुछ प्राकृतिक रूप से मौजूद तत्व ग्रीनहाउस गैसों का उत्पादन करते हैं जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड, जो महासागरों में पाया जा सकता है, मीथेन जो प्राकृतिक वन की आग और नाइट्रोजन ऑक्साइड के कारण पौधों के क्षय से उत्पन्न होता है जो मिट्टी और पानी में कम मात्रा में मौजूद होता है। केवल द्रवित गैसें मनुष्यों द्वारा निर्मित होती हैं और प्रकृति में मौजूद नहीं होती हैं।

ग्रीनहाउस प्रभाव में जल वाष्प भी महत्वपूर्ण है। जल वाष्प थर्मल ऊर्जा को अवशोषित करता है, ज्यादातर जब हवा में नमी बढ़ जाती है। इससे वातावरण में तापमान बढ़ जाता है। जानवर वायुमंडल से ऑक्सीजन की सांस लेते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन गैसों को छोड़ते हैं। यह ग्रीनहाउस प्रभाव के प्राकृतिक कारणों में से एक है।

मानव निर्मित कारण:

तेल और कोयले जैसे जीवाश्म ईंधन को जलाना ग्रीनहाउस प्रभाव का सबसे बड़ा योगदान है। जीवाश्म ईंधन जलाने से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है जो ग्रीनहाउस प्रभाव का कारण है। इसके अलावा, गैस, कोयला खदानों या तेल के कुओं को खोदने पर पृथ्वी से मीथेन गैस के निकलने से वातावरण प्रदूषित होता है।

वनों की कटाई ग्रीनहाउस प्रभाव का एक और प्रमुख कारण है। पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने और ऑक्सीजन का उत्पादन करने में मदद करते हैं। जंगलों और पेड़ों को हटाकर वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का बढ़ना जारी है। कृत्रिम नाइट्रोजन का उपयोग फसलों के निषेचन के लिए किया जाता है, जिसे वायुमंडल में नाइट्रोजन ऑक्साइड के रूप में छोड़ा जाता है। वायुमंडल में नाइट्रोजन ऑक्साइड ग्रीनहाउस प्रभाव को बढ़ाता है।

औद्योगिक गैस दुनिया भर में बहुत अधिक दर पर वायुमंडल में जारी की जाती है। औद्योगिक गैसों में मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड और फ्लोरीन गैस जैसी गैसें शामिल हैं। फार्म जानवर जैसे बकरी, सूअर, गाय भी ग्रीनहाउस गैसों में योगदान करते हैं। मीथेन उनके पेट में उत्पन्न होता है जब वे अपने भोजन को पचाते हैं और वातावरण में उनकी खाद के माध्यम से जारी होते हैं। खेत जानवरों को बढ़ाने के लिए खेत का विस्तार करने के लिए दूर जंगल को साफ करना ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को बढ़ाता है।

इसलिए, मानव गतिविधियां ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि का प्रमुख कारण हैं। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है जो मानव जीवन और हमारी प्रकृति पर कई प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

ग्रीन हाउस प्रभाव पर निबंध, 500 शब्द:

ग्रीनहाउस गैसें विकिरण को बाहरी स्थान पर भागने से रोकती हैं जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी की सतह के तापमान में धीरे-धीरे वार्मिंग होती है। विकिरण पृथ्वी का संतुलन प्राप्त करता है और विकिरण जो अंतरिक्ष में वापस परिलक्षित होता है, पृथ्वी को मनुष्यों के लिए रहने योग्य बनाता है, औसत तापमान 15⁰C (59 डिग्री) के साथ, नासा के अनुसार।

इस संतुलन के बिना हमारा ग्रह या तो बहुत ठंडा होगा या बहुत गर्म होगा। हमारे ग्रह के तापमान को गर्म करने वाले सूर्य के विकिरण के आदान-प्रदान को ग्रीनहाउस प्रभाव कहा जाता है क्योंकि ग्रीनहाउस भी इसी तरह से काम करता है।

जलवायु पर ग्रीनहाउस प्रभाव:

वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से जलवायु नाटकीय रूप से प्रभावित होती है। औद्योगीकरण के बाद से वातावरण में विभिन्न ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन काफी बढ़ गया है। जीवाश्म ईंधन को जलाकर ग्रीनहाउस गैसों का उत्पादन किया जाता है। ग्रीनहाउस प्रभाव में जो गैसें शामिल हैं, वे हैं कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂), जल वाष्प (H MetO), मीथेन (CH₄), ओजोन (O₃) और नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O)।

CO ग्रीनहाउस गैसों में प्रमुख योगदान देता है और औद्योगिकीकरण के बाद से इसमें 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्राकृतिक प्रक्रियाएं वायुमंडल में गैसों को अवशोषित कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर सकती है, लेकिन गैसों का उत्सर्जन धीरे-धीरे प्राकृतिक प्रक्रिया के माध्यम से ग्रीनहाउस गैसों को अवशोषित करने की क्षमता से अधिक होने लगा।

गैसों को अवशोषित करने और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की प्राकृतिक प्रक्रियाओं की क्षमता के बीच इस असंतुलन ने वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की तीव्रता में वृद्धि की है। हमने बड़ी मात्रा में जीवाश्म ईंधन को जलाया है, जंगलों के विशाल क्षेत्रों में कटौती की है, बड़ी मात्रा में मीथेन का उत्पादन करने वाले पशुधन और जहरीली गैसों से हमारे वातावरण को दूषित किया है।

ग्रीनहाउस गैसें जो विकिरण को अवशोषित करती हैं, वायुमंडल में अत्यधिक मात्रा में होती हैं और जलवायु परिवर्तन को मजबूर कर सकती हैं। ग्लोबल वार्मिंग वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती है।

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव:

ग्लोबल वार्मिंग के लिए प्रमुख रूप से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में वन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पेड़ों को नष्ट करने से वातावरण में ग्रीनहाउस गैस में कार्बन डाइऑक्साइड को जोड़ने और ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है।

जलवायु परिवर्तन जल प्रणालियों को प्रभावित करता है और परिणामस्वरूप बाढ़ और सूखे अधिक बार आ सकते हैं। दुनिया भर में जल निकाय भी दूषित हैं और वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के अत्यधिक प्रदूषण और उपस्थिति के कारण पानी की गुणवत्ता में गिरावट आई है। ग्लेशियर पिघल रहे हैं जो मीठे पानी के पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करते हैं। महासागरों का बढ़ता अम्लीयकरण समुद्री वन्यजीवों के लिए खतरा है।

जलवायु परिवर्तन कई प्रजातियों के लिए खतरा है। यह विभिन्न प्रजातियों के विलुप्त होने का कारण है। प्रजातियां जो जलवायु परिवर्तन से अत्यधिक प्रभावित क्षेत्रों में रहती हैं, वे जलवायु में तेजी से परिवर्तन के अनुकूल नहीं हो पाती हैं। पृथ्वी के तापमान में वृद्धि के परिणामस्वरूप बेहद खतरनाक जलवायु परिवर्तन हो सकता है।

पृथ्वी के वायुमंडल और जलवायु को पहले से हुई क्षति गंभीर है और इसे बदला नहीं जा सकता। हम या तो जलवायु परिवर्तन के अनुकूल हो सकते हैं और बाढ़ और बढ़ते समुद्र के स्तर जैसे दुष्परिणामों के साथ रह सकते हैं या वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों की एकाग्रता को कम करने वाली नीतियों को लागू करके ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम कर सकते हैं।

ग्रीनहाउस प्रभाव पर निबंध, long essay on greenhouse effect in hindi (600 शब्द)

ग्रीनहाउस कांच से बना है और अंदर गर्मी को फंसाने के लिए बनाया गया है। ठंड के दिनों में भी ग्रीनहाउस के अंदर गर्मी होती है। ग्रीनहाउस की तरह पृथ्वी पर वायुमंडल भी सूरज से प्रवेश करने वाली कुछ ऊर्जा को फँसाता है और इसे पृथ्वी से वापस भागने से रोकता है। पृथ्वी के वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के अणु होते हैं जो गर्मी का जाल बनाते हैं।

ग्रीनहाउस प्रभाव महत्वपूर्ण है क्योंकि ऊर्जा को अवशोषित करने से पृथ्वी का तापमान गर्म रहता है और रहने के लिए उपयुक्त है। समस्या यह है कि ग्रीनहाउस प्रभाव तेजी से गर्म हो रहा है क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण हमारे वायुमंडल में अत्यधिक ग्रीनहाउस गैसें जारी हैं। ग्रीनहाउस गैसें वायुमंडल में स्वाभाविक रूप से होती हैं और मानव गतिविधियों के कारण भी होती हैं।

ग्रीनहाउस गैस और उनके प्रभाव:

हमारे वातावरण में मौजूद सबसे प्रमुख गैसें इस प्रकार हैं:

कार्बन डाइऑक्साइड (CO2): सभी ग्रीनहाउस गैसों में सबसे प्रमुख कार्बन डाइऑक्साइड है। वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड के मुख्य स्रोतों में मानव निर्मित गतिविधियाँ शामिल हैं जैसे भूमि की सफाई, जीवाश्म ईंधन का जलना और सीमेंट का उत्पादन और प्राकृतिक स्रोत जैसे ज्वालामुखी, ऑक्सीजन का उपयोग करने वाले जीवों द्वारा श्वसन, दहन और कार्बनिक पदार्थों का क्षय।

वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने वाले प्राकृतिक सिंक में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया शामिल है जो बहुत महत्वपूर्ण है। समुद्री जीवन भी महासागरों में घुले कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है। लेकिन नए वृक्षारोपण के बिना विशाल स्तर पर पौधों की कटाई और कटाई पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा रही है।

जल वाष्प (H2O): जल वाष्प हमारे ग्रह के वातावरण में सबसे शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसों में से एक है। पृथ्वी पर जलवायु गर्म है, पृथ्वी की सतह से पानी का वाष्पीकरण अधिक है। वाष्पीकरण जितना अधिक होगा, इस शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस की एकाग्रता उतनी ही अधिक होगी।

मीथेन: मीथेन पृथ्वी के वायुमंडल में कम सांद्रता में मौजूद है। मीथेन भी कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में कम अवधि के लिए वातावरण में रहता है। मीथेन के स्रोतों में ज्वालामुखी, वेटलैंड्स, सीपेज वेंट्स, मीथेन ऑक्सीडाइजिंग बैक्टीरिया, पशुधन खेती, प्राकृतिक गैसों और कोयले को जलाना, लैंडफिल में अपघटन, बायोमास दहन आदि शामिल हैं। इस गैस के लिए प्राकृतिक सिंक मिट्टी और वातावरण है।

नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O) और फ्लोराइज्ड गैसें: औद्योगिक गतिविधियों के कारण उत्पन्न ग्रीनहाउस गैसों में फ़्लोराइड गैसें और नाइट्रस ऑक्साइड शामिल हैं। तीन मुख्य फ़्लोराइड गैसें हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC,), सल्फर हेक्स फ़्लोरोकार्बन (SF₆) और पेरफ़्लोरोकार्बन (PFCꜱ) हैं। द्रवित गैसें मानव निर्मित होती हैं न कि प्राकृतिक। ये ज्यादातर औद्योगिक प्रक्रियाओं के कारण मानवीय गतिविधियों द्वारा बनाई गई हैं। नाइट्रस ऑक्साइड के स्रोतों में मिट्टी में बैक्टीरिया, पशुधन अपशिष्ट प्रबंधन और कृषि में उर्वरकों का उपयोग शामिल है।

सरफेस लेवल ओजोन (O₃): सरफेस ओजोन वायुमंडल में सबसे महत्वपूर्ण ग्रीनहाउस गैस है। यह वायु प्रदूषण के कारण होता है और पृथ्वी पर विकिरण को संतुलित करने में इसकी बहुत अलग भूमिका होती है। ओजोन पृथ्वी के ऊपरी और जमीनी स्तर के वातावरण दोनों में होता है। ओजोन एक हानिकारक वायु प्रदूषक है जो वायुमंडल में उत्पन्न होता है जब वाहन, बिजली संयंत्र, रासायनिक संयंत्र, औद्योगिक बॉयलर, रिफाइनर और अन्य ऐसे स्रोतों से प्रदूषण निकलता है जो सूर्य विकिरण की उपस्थिति में रासायनिक रूप से प्रतिक्रिया करते हैं।

ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन, वायुमंडल में सांद्रता को अधिक से अधिक करना। प्रत्येक गैस अलग-अलग समय अवधि यानी कुछ वर्षों से लेकर हजारों वर्षों तक ग्रह के वातावरण में रहती है। प्रत्येक गैस अलग-अलग प्रभाव डालती है, कुछ अन्य पृथ्वी को गर्म बनाने की तुलना में अधिक प्रभावी होती हैं।

जलवायु परिवर्तन यानी गर्म जलवायु, बढ़ते समुद्र के स्तर, सूखे आदि के कारण पर्यावरण के कई पहलू बदल रहे हैं। यह सदियों तक पृथ्वी को प्रभावित करेगा और हमें भविष्य में जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के लिए तैयार रहना चाहिए अगर हम अभी भी इससे होने वाले नुकसान की सीमा की अनदेखी करते हैं। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को रोकने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए और ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के अधिक उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम पर निबंध (Consequences of Global Warming Essay in Hindi)

ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम

ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी के सतही तापमान में निरंतर वृद्धि हो रही है जिससे धरातल की जलवायु पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। पृथ्वी के वातावरण पर ग्लोबल वार्मिंग ने बुरा असर डाला है। ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने से तापमान में अत्यधिक बढ़ोतरी हुई है जिससे पृथ्वी पर जीवन खतरे में पड़ गया है। ग्लोबल वार्मिंग, जिसकी उत्पत्ति कार्बन और मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसों के कारण होती है, ने पृथ्वी पर अप्रत्यक्ष रूप से नकारात्मक प्रभाव डाला है जिसमें समुद्र-तल के स्तर में बढ़ोतरी होना, वायु प्रदूषण में वृद्धि तथा अलग-अलग क्षेत्रों के मौसम में भयंकर बदलाव की स्थिति का पैदा होना शामिल है।

ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Consequences of Global Warming in Hindi, Global Warming ke Parinam par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द) – global warming ke parinam par nibandh hindi.

न्यू जर्सी के साइंटिस्ट वैली ब्रोएक्केर ने सबसे पहले ग्लोबल वार्मिंग को परिभाषित किया था जिसका अर्थ था ग्रीनहाउस गैसों (कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन) के कारण पृथ्वी के औसत तापमान में बढ़ोतरी होना। ये गैसें वाहनों, कारखानों और अन्य कई स्रोतों से उत्सर्जित होतीं हैं। ये खतरनाक गैसें गर्मी को गायब करने की बजाए पृथ्वी के वातावरण में मिल जाती है जिससे तापमान में वृद्धि होती है।

ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम स्वरूप पृथ्वी पर जलवायु गर्म हो रही है और यह पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों से जुड़े हुए कुछ बिन्दुओं पर विस्तृत वर्णन इस प्रकार है:-

वायु पर प्रभाव

पृथ्वी के सतही तापमान में वृद्धि के कारण वायु प्रदूषण में भी इज़ाफा हो रहा है। इसका कारण यह है कि तापमान में वृद्धि से पृथ्वी के वायुमंडल में ओजोन गैस का स्तर बढ़ जाता है जो की कार्बन गैसों और सूरज की रोशनी की गर्मी के साथ प्रतिक्रिया करने पर पैदा होती है। वायु प्रदूषण के स्तर में होती वृद्धि ने कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को जन्म दिया है। खासकर श्वास की समस्याएं और फेफड़ों के संक्रमण के मामलों में काफी बढ़ोतरी हुई है। इससे अस्थमा के रोगी सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।

जल पर प्रभाव

बढती ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर गल रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप महासागर का पानी दिन प्रतिदिन गर्म हो रहा है। इन दोनों के चलते समुद्र में पानी का स्तर बढ़ गया है। इससे आने वाले समय में तापमान में वृद्धि के साथ समुद्र के पानी के स्तर में और ज्यादा वृद्धि होने की उम्मीद है।

यह चिंता का एक कारण है क्योंकि इससे तटीय और निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाएगी जिससे मनुष्य जीवन के सामने बड़ा मसला खड़ा हो जाएगा। इसके अलावा महासागर का पानी भी अम्लीय हो गया है जिसके कारण जलीय जीवन खतरे में है।

भूमि पर प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग के कारण कई जगहों के मौसम में भयंकर बदलाव हो रहे हैं। कई जगहों में बार-बार भारी बारिश तथा बाढ़ के हालत बन रहे हैं जबकि कुछ क्षेत्रों को अत्यधिक सूखा का सामना करना पड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग ने न केवल लोगों के जीवन को प्रभावित किया है बल्कि कई क्षेत्रों में भूमि की उपजाऊ शक्ति को भी कम कर दिया है। इसी वजह से कृषि भूमि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

इसे यूट्यूब पर देखें – Essay on Consequences of Global Warming in Hindi

निबंध 2 (400 शब्द)

कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की वजह से पृथ्वी के औसत सतह तापमान में वृद्धि हुई है जिसे हम ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं। वाहनों, कारखानों और विभिन्न अन्य स्रोतों द्वारा उत्सर्जित ये गैसें उस गर्मी को अपने अन्दर खपा लेती हैं जिसे पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर चले जाना चाहिए। ग्लोबल वार्मिंग ने पृथ्वी के वायुमंडल पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और आने वाले समय में वह इसे और भी प्रभावित कर सकती है। नीचे दिए गए निम्नलिखित बिन्दुओं में ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों की व्याख्या की गयी है:-

  • वर्षा के स्वरुप में बदलाव

पिछले कुछ दशकों से बरसात होने के तरीके में बहुत बदलाव आया है। कई क्षेत्रों में लगातार भारी वर्षा होने के कारण वहां बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो जाती है जबकि अन्य क्षेत्रों को सूखा का सामना करना पड़ता है। इस वजह से उन क्षेत्रों में लोगों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

  • गर्म लहरों का बढ़ता प्रभाव

पृथ्वी की सतह के तापमान में वृद्धि के कारण गर्म तरंगों की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हुई है। इसने सिरदर्द, लू लगने से बेहोश होना, चक्कर आना और यहां तक ​​कि शरीर के प्रमुख अंगों को नुकसान पहुँचाने वाली जैसी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दिया है।

  • महासागरों पर प्रभाव और समुद्र के स्तर में वृद्धि

ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियरों की बर्फ पिघल रही है तथा महासागरों के पानी भी गरम हो रहा है जिससे समुद्र के पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है। इससे अप्रत्यक्ष रूप से तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए खतरा पैदा हो गया है। दूसरी तरफ, इन गैसों के अवशोषण के कारण महासागर अम्लीय होते जा रहे हैं और यह जलीय जीवन को बड़ा परेशान कर रहा है।

  • बढ़ती स्वास्थ्य समस्याएं

ग्लोबल वार्मिंग के कारण स्वास्थ्य समस्याओं में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। हवा में प्रदूषण के बढ़ते स्तर से साँस लेने की समस्याएं और फेफड़े के संक्रमण जैसी बीमारियाँ पनप रही है। इससे अस्थमा के रोगियों के लिए समस्या पैदा हो गई है। तेज़ गर्म हवाएं और बाढ़ भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में इज़ाफे का एक कारण है। बाढ़ के कारण अलग-अलग क्षेत्रों में जमा हुए पानी मच्छरों, मक्खियों और अन्य कीड़ों के लिए आदर्श प्रजनन स्थल है और इनके कारण होने वाले संक्रमणों से हम अच्छी तरह परिचित है।

  • फसल का नुकसान

वर्षा होने के पैटर्न में गड़बड़ होने से न केवल लोगों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है बल्कि उन क्षेत्रों में उगाई गई फसलों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सूखा और भारी बारिश दोनों ही फसलों को नुकसान पहुँचा रहे हैं। ऐसी जलवायु परिस्थितियों के कारण कृषि भूमि बुरी तरह प्रभावित हुई है।

  • जानवरों के विलुप्त होने का खतरा

ग्लोबल वार्मिंग के कारण न केवल मनुष्यों के जीवन में कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं बल्कि इसने विभिन्न जानवरों के लिए भी जीवन कठिन बना दिया है। मौसम की स्थितियों में होते परिवर्तन ने पशुओं की कई प्रजातियों का धरती पर अस्तित्व मुश्किल बना दिया है। कई पशुओं की प्रजातियाँ या तो विलुप्त हो चुकी है या फिर विलुप्त होने की क़गार पर खड़ी हैं।

  • मौसम में होते बदलाव

ग्लोबल वार्मिंग से विभिन्न क्षेत्रों के मौसम में भारी बदलाव होने लगा है। भयंकर गर्मी पड़ना, तेज़ गति का तूफ़ान, तीव्र चक्रवात, सूखा, बेमौसम बरसात, बाढ़ आदि सब ग्लोबल वार्मिंग का ही परिणाम है।

ग्लोबल वार्मिंग बड़ी चिंता का विषय बन चुका है। अब सही समय आ चुका है कि मानव जाति इस तरफ ध्यान दे तथा इस मुद्दे को गंभीरता से ले। कार्बन उत्सर्जन में कमी से ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों को कम किया जा सकता है। इसलिए हम में से हर एक को अपने स्तर पर कार्य करने की जरुरत है जिससे ग्लोबल वार्मिंग के दुष्परिणामों पर क़ाबू पाया जा सके।

निबंध 4 (600 शब्द)

ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी के सतही तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। इस वृद्धि के पीछे ग्रीन हाउस गैसों (कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन) का बड़ी मात्रा में उत्सर्जन होता है। वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए कई सबूत साबित करते हैं कि 1950 के बाद से पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है। पिछले कुछ दशकों में मानव गतिविधियों ने पृथ्वी पर जलवायु प्रणाली को गर्म करने के लिए प्रेरित किया है और यह भविष्यवाणी की जा रही है कि 21 वीं सदी में वैश्विक सतह का तापमान और ज्यादा बढ़ सकता है। बढ़ते तापमान से पृथ्वी पर कई तरह के बुरे हालात पैदा हो गये हैं। यहाँ नीचे उन्हीं बुरे हालातों पर एक विस्तृत नज़र डाली गई है:-

जलवायु की स्थितियों पर प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग ने दुनिया भर के विभिन्न क्षेत्रों में वर्षा के पैटर्न में बदलाव ला दिया है। इसके परिणामस्वरूप, जबकि कुछ क्षेत्रों में सूखे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जबकि अन्य क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। जिन इलाकों में ज्यादा बरसात होती है वहां और ज्यादा बारिश होने लग गई है और सूखे क्षेत्रों में और ज्यादा सूखा पड़ने लगा है। बढ़ते तापमान से तूफ़ान, चक्रवात, तेज़ गरम हवाएं और जंगल में आग जैसी आपदाएं आम बात हो गई है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी पर कई क्षेत्र मौसम की स्थिति में भारी गड़बड़ी का अनुभव कर रहे हैं और भविष्य में ऐसी समस्यों के बढ़ने की संभावना है।

समुद्र पर प्रभाव

20वीं शताब्दी से वैश्विक समुद्र का स्तर लगातार बढ़ रहा है। समुद्र के स्तर बढ़ने के पीछे दो कारण है जिसमें पहला है महासागर के पानी का गरम होना जिससे पानी का थर्मल विस्तार हो रहा है तथा दूसरा कारण है ग्लेशियर पर बर्फ का लगातार पिघलना। यह भविष्यवाणी की जा रही है कि आने वाले समय में समुद्र के स्तर में और भी वृद्धि देखने को मिल सकती है। समुद्र के स्तर में होती निरंतर वृद्धि ने तटीय और निचले इलाकों में जीवन के लिए एक बड़ा खतरा उत्पन्न कर दिया है।

वातावरण पर प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी के वातावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। तापमान में होती यह वृद्धि वायु प्रदूषण के स्तर को और ज्यादा बढ़ा रही है। मूलतः कारखानों, कारों और अन्य स्रोतों द्वारा उत्सर्जित धुआं गर्मी और सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आकर पृथ्वी पर ओजोन के स्तर को बढ़ा देती है जिससे वायु प्रदूषण में भारी मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है। वायु प्रदूषण में होती बढ़ोतरी ने विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दिया है और इससे दिन प्रतिदिन मानव जीवन के लिए हालात खराब हो रहें है।

पृथ्वी पर जीवन पर प्रभाव

तापमान में वृद्धि, अनिश्चित जलवायु की स्थिति और वायु तथा जल प्रदूषण में वृद्धि ने पृथ्वी पर जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। बार-बार आती बाढ़, सूखे और चक्रवातों ने कई जिंदगियां खत्म कर दीं तथा प्रदूषण के बढ़ते स्तर से कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो गयी हैं। मनुष्यों की तरह पशुओं की कई अलग-अलग प्रजातियां और पेड़ पौधें बदलते मौसम का सामना करने में असमर्थ हैं। जलवायु परिस्थितियों में होते तेजी से बदलाव के कारण भूमि के साथ ही समुद्र पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जानवरों और पौधों की विलुप्त होने की दर भी बढ़ गई है। शोधकर्ताओं के अनुसार जलवायु में प्रदूषण और परिवर्तन के बढ़ते स्तर की वजह से पक्षियों, स्तनधारियों, सरीसृप, मछलियों और उभयचर की कई प्रजातियों गायब हो गई हैं।

कृषि पर प्रभाव

ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप होती अनियमित वर्षा पैटर्न के कारण कृषि पर सबसे ज्यादा असर हुआ है। कई क्षेत्रों में अक्सर सूखे, अकाल जैसी स्थिति बन गयी है जबकि अन्य इलाकों में भारी वर्षा और बाढ़ ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। इससे न केवल उन क्षेत्रों में रहने वाले लोग प्रभावित हो रहे है बल्कि इसका फसलों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। कृषि भूमि अपनी प्रजनन क्षमता खो रही है और फसल क्षतिग्रस्त हो रही है।

ग्लोबल वार्मिंग एक गंभीर मुद्दा है। इसके नतीजे भयानक तथा विनाशकारी हैं। ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों को कम करने के लिए सबसे पहले कार्बन उत्सर्जन करने वाले साधनों को तुरंत नियंत्रित किया जाना चाहिए। यह केवल तभी किया जा सकता है जब प्रत्येक व्यक्ति अपनी ओर से इस मानव कल्याणकारी कार्य के लिए अपना योगदान दे।

Consequences of Global Warming Essay

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जलवायु परिवर्तन पर निबंध (Essay on Climate Change in Hindi)

धरती पर जीवन के अनुकूल जलवायु के कारण ही यहां जीवन संभव है, लेकिन हाल के वर्षों में इसमें लगातार हो रहे परिवर्तन ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ाई है। जीवाश्म ईंधन जैसे, कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस आदि को जलाने के कारण पृथ्वी के वातावरण में तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। औसत मौसम में लगातार हो रहे परिवर्तन को जलवायु परिवर्तन या क्लाइमेट चेंज (Climate change) कहा जाता है। दशकों, सदियों या उससे अधिक समय में जलवायु में बड़े स्तर पर हो रहे परिवर्तन से जीवन पर प्रभाव पड़ता है। इन दिनों उद्योग और शहरीकरण से इस परिवर्तन में तेजी देखी गई है।

जलवायु परिवर्तन पर लेख (Essay on climate change in hindi) - जलवायु क्या है?

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जलवायु परिवर्तन पर निबंध (Essay on Climate Change in Hindi)

सामान्यतः जलवायु का मतलब किसी क्षेत्र में लंबे समय तक औसत मौसम से होता है। अतः जब किसी क्षेत्र विशेष के औसत मौसम में परिवर्तन आता है तो उसे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) कहते हैं। जलवायु एक ऐसा पहलू है जो दुनिया के हर इंसान के जीवन से जुड़ा हुआ है। जलवायु की दशा हमारे जीवन को बहुत प्रभावित करती है। मानवीय तथा कुछ प्राकृतिक गतिविधियों के कारण जलवायु की दशा बदल रही है। हाल के वर्षों और दशकों में गर्मी के कई रिकॉर्ड टूट गए हैं: यूएन जलवायु रिपोर्ट 2019 इस बात की पुष्टि करती है कि 2010-2019 सबसे गर्म दशक था। वर्ष 2019 में वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) तथा अन्य ग्रीनहाउस गैसें नए रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गई थी।

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इन सब वजहों से जलवायु में परिवर्तन आ रहा है, जिसे जलवायु परिवर्तन की संज्ञा दी जा रही है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि जलवायु में हो रहे नकारात्मक परिवर्तन (Negative changes in climate) पृथ्वी पर रहने वाले जीवों के लिए बहुत ही खतरनाक सिद्ध होंगे। हालांकि जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरों के प्रति सरकारें जागरूक हो रही हैं और लोगों को भी जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरों के प्रति आगाह करने की जरूरत है। हमारे देश भारत के लिए राहत की बात है कि वर्ष 2024 में जलवायु प्रदर्शन सूचकांक में सातवें स्थान पर रहा जो बीते वर्ष 2023 में 8वें नंबर पर था। हालांकि इसमें अभी काफी सुधार की जरूरत है।

जलवायु परिवर्तन पर निबंध (jalvayu parivartan par nibandh) से इस विषय के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी मिलेगी। जलवायु परिवर्तन वैश्विक स्तर पर एक बेहद गंभीर मुद्दा है जिससे अवगत करवाने के लिए विद्यालयों में छात्रों को भी जलवायु परिवर्तन पर निबंध (Essay on Climate Change in hindi) लिखने का कार्य दे दिया जाता है या फिर कभी-कभी परीक्षा में अच्छे अंकों के लिए जलवायु परिवर्तन पर निबंध (climate change par nibandh) लिखने से संबंधित प्रश्न पूछ लिए जाते हैं।

हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें

जलवायु परिवर्तन पर लेख (jalvayu parivartan par lekh) के प्रारंभ में जलवायु क्या है, पहले इस बात को समझने की जरूरत है। एक बड़े भू-क्षेत्र में लंबे समय तक रहने वाले मौसम की औसत स्थिति को जलवायु की संज्ञा दी जाती है। किसी भू-भाग की जलवायु पर उसकी भौगोलिक स्थिति का सर्वाधिक असर पड़ता है। यूरोपीय देशों में जहां गर्मी की ऋतु छोटी होती है और कड़ाके की ठंड पड़ती है, जबकि भारत में अधिक गर्मी वाले मौसम की प्रधानता रहती है। सर्दियों के 2-3 महीनों को छोड़ दिया जाए, तो शेष समय जलवायु गर्म ही रहता है। भारत के समुद्र तटीय क्षेत्रों में, तो सर्दियों की ऋतु का तापमान औसत स्तर का रहता है। इस तरह किसी क्षेत्र की जलवायु उसकी स्थिति पर निर्भर करती है।

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किसी क्षेत्र विशेष की परंपरागत जलवायु में समय के साथ होने वाले बदलाव को जलवायु परिवर्तन कहा जाता है। जलवायु में आने वाले परिवर्तन के प्रभाव को एक सीमित क्षेत्र में अनुभव किया जा सकता है तथा पूरी दुनिया में भी इसके प्रभाव दिखने लगे हैं। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन की स्थिति गंभीर दशा में पहुँच रही है और पूरे विश्व पर इसका असर देखने को मिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र की जलवायु रिपोर्ट (climate report) में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन का पर्यावरण के सभी पहलुओं के साथ-साथ वैश्विक आबादी के स्वास्थ्य और कल्याण पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन की अगुवाई में तैयार रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के भौतिक संकेतों - जैसे भूमि और समुद्र के तापमान में वृद्धि, समुद्र के जल स्तर में वृद्धि और बर्फ के पिघलने के अलावा सामाजिक-आर्थिक विकास, मानव स्वास्थ्य, प्रवास और विस्थापन, खाद्य सुरक्षा और भूमि तथा समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र पर प्रभाव का दस्तावेजीकरण किया गया है।

बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण भी पृथ्वी के तापमान में लगातर बढ़ोतरी हो रही है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण बढ़ते तापमान ने जलवायु परिवर्तन की स्थिति को और गंभीर बनाने का कार्य किया है। जलवायु रिपोर्ट के अनुसार 1980 के दशक के बाद आगामी प्रत्येक दशक, 1850 से किसी भी दशक की तुलना में अधिक गर्म रहा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव पेटेरी टालस के इस कथन से भी यह बात समझी जा सकती है - अब तक का सबसे गर्म साल 2016 था, लेकिन जल्द ही इससे अधिक गर्म वर्ष देखने को मिल सकते हैं। यह देखते हुए कि ग्रीनहाउस गैसों के स्तर में वृद्धि जारी है, तापमान में वृद्धि (global warming) जारी रहेगी। आगामी दशकों के लिए लगाए जाने एक हालिया पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि आने वाले पांच वर्षों में एक नया वार्षिक वैश्विक तापमान रिकॉर्ड मिलने की आशंका है।

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जिसके कारण के कारणों को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है- प्राकृतिक और मानवीय। जलवायु परिवर्तन के प्राकृतिक कारणों में ज्वालामुखी, महासागरीय धाराओं, महाद्वीपों के अलगाव आदि प्रमुख हैं।

ज्वालामुखी- ज्वालामुखी की सक्रियता बड़ी मात्रा में सल्फर डाइऑक्साइड, जलवाष्प, धूल कण तथा राख को वायुमण्डल में फैलाने के लिए जिम्मेदार है। हालांकि, ज्वालामुखी की सक्रियता कुछ दिनों की ही हो सकती हैं, लेकिन भारी मात्रा में निकलने वाली गैसें तथा राख लंबे समय तक जलवायु के पैटर्न को प्रभावित करती है।

महासागरीय धाराएं- महासागरों की जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका है। वायुमंडल या भू-सतह की तुलना में दुगुना तापमान इनके द्वारा अवशोषित किया जाता है। महासागरीय प्रवाह चारों ओर तापमान के स्थानांतरण के लिए जिम्मेदार है। इनकी वजह से हवाओं की दिशा परिवर्तित कर तापमान को प्रभावित किया जाता है। तापमान को अवशोषित करने वाली ग्रीनहाउस गैस का एक अहम हिस्सा समुद्रों जलवाष्प होती है जो कि वायुमंडल में तापमान को अवशोषित करने का काम करती है।

मिथेन गैस का भंडार- आर्कटिक महासागर की बर्फ के नीचे अतल गहराइयों में मेथेन हाइड्रेट के रूप में ग्रीनहाउस गैस मेथेन का विशाल भंडार है जो विशिष्ट ताप और दाब में हाइड्राइट रूप में रहता है। ताप और दाब में परिवर्तन होने पर यह मिथेन मुक्त होती है और वायुमंडल में घुल जाती है। अपने गैसीय रूप में, मिथेन सबसे शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसों में से एक है, जो कार्बन डाइऑक्साइड की तुलना में पृथ्वी को बहुत अधिक गर्म करती है।

ग्रीनहाउस प्रभाव गैसें- वायुमंडल में विद्यमान कार्बन डाईऑक्साइड, मेथेन, जलवाष्प आदि के द्वारा सूर्य के प्रकाश की ऊष्मा के एक भाग को अवशोषित कर लिया जाता है, इस घटना को ग्रीनहाउस प्रभाव कहा जाता है।

जीवाश्म ईंधन का प्रयोग- जीवाश्म ईँधन के प्रयोग के कारण ग्रीनहाउस गैसों खासकर कार्बन डाईऑक्साइड का स्तर वायुमंडल में बढ़ता जा रहा है। लगभग 33% कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन के लिए जीवाश्म ईँधनों के प्रयोग को माना जाता है।

जलवायु परिवर्तन के कारण पूरी दुनिया पर आपदाओं के बादल मँडरा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन के कुछ परिणाम निम्नलिखित हैं-

जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में बहुत ही जल्दी-जल्दी और घातक बदलाव होने लगे हैं।

साल 2019 दूसरा सबसे गर्म साल रिकॉर्ड किया गया।

अब तक का सबसे गर्म दशक 2010- 2019 रिकॉर्ड किया गया।

वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का स्तर 2019 में नए रिकॉर्ड तक पहुंच गया।

बाढ़, सूखा, झुलसा देने वाली लू, जंगल की आग और क्षेत्रीय चक्रवातों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर में समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में जमी बर्फ के पिघलने की दर बढ़ती जा रही है जिससे समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है।

मालदीव की समुद्र तल से ऊंचाई कम होने के कारण यह द्वीपीय राष्ट्र विशेष खतरे में है। इस देश का उच्चतम स्थान समुद्र तल से लगभग 7.5 फीट ऊँचा है जिससे मालदीव के समुद्र में डूबने का खतरे बढ़ता जा रहा है।

दक्षिण अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ओशिनिया सहित अधिकांश भू-क्षेत्र हालिया औसत से अधिक गर्म रहे। अमेरिकी राज्य अलास्का भी तुलानात्मक रूप से गर्म था वहीं इसके विपरीत उत्तरी अमेरिका का एक बड़ा क्षेत्र हाल के औसत से अधिक ठंडा रहा।

वर्ष 2019 जुलाई के अंत में आए लू के थपेड़ों से मध्य और पश्चिमी यूरोप का अधिकांश भाग प्रभावित हुआ। इस दौरान नीदरलैंड में 2964 मौतें लू से जुड़ी पाई गईं जो कि गर्मी के सप्ताह में औसतन होने वाली मौतों की तुलना में लगभग 400 अधिक थीं।

लंबे समय तक तापमान अधिक रहने के कारण मौसम के स्वभाव में बदलाव आ रहा है जिसके चलते प्रकृति में मौजूद सामान्य संतुलन की स्थिति बिगड़ती जा रही है। इससे मनुष्यों के साथ ही पृथ्वी पर जीवन के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है।

जलवायु परिवर्तन तथा ग्लोबल वार्मिंग के चलते उपजे खतरों को देखते हुए ग्लोबल वार्मिंग कारण और निवारण पर साल 2015 में ऐतिहासिक पेरिस समझौते को अपनाया गया जिसका लक्ष्य इस सदी में वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक काल के तापमान से 2 डिग्री सेल्सियस अधिक होने के स्तर से नीचे रखना है। समझौते का उद्देश्य उपयुक्त वित्तीय प्रवाह, नए प्रौद्योगिकी ढांचे और उन्नत क्षमता निर्माण ढांचे के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए देशों की क्षमता में वृद्धि करना भी है। जलवायु परिवर्तन के खतरे के लिए दुनिया भर में उठाए जा रहे कदमों को मजबूत करने और तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस से घटाकर 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के प्रयासों की रूपरेखा के साथ 4 नवंबर, 2016 को जलवाय परिवर्तन पर पेरिस समझौते को क्रियान्वित किया गया।

जीवन और आजीविका बचाने के लिए महामारी और जलवायु आपातकाल दोनों को संबोधित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। हमारे ग्रह पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। सरकारों को इसमें नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त व मजबूत कदम उठाने होंगे। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को सतत विकास के उपायों में निवेश करने, ग्रीन जॉब, हरित अर्थव्यवस्था के निर्माण की ओर आगे बढ़ने की जरूरत है। पृथ्वी पर जीवन को बचाए रखने, पृथ्वी को स्वस्थ रखने और ग्लोबल वार्मिंग के खतरों से निपटने के लिए विश्व के सभी देशों को एकजुट होकर व पूरी ईमानदारी के साथ काम करना होगा। यह बात ज्ञात हो कि कोई देश अकेले ही ग्लोबल वार्मिंग के खतरे से निपटने में सक्षम नहीं है। इस खतरे को सभी मिलकर ही दूर कर सकते हैं।

Frequently Asked Question (FAQs)

एक बड़े भू-क्षेत्र में लंबे समय तक रहने वाले मौसम की औसत स्थिति को जलवायु की संज्ञा दी जाती है। किसी भू-भाग की जलवायु पर उसकी भौगोलिक स्थिति का सर्वाधिक असर पड़ता है। 

किसी क्षेत्र विशेष की परंपरागत जलवायु में समय के साथ होने वाले बदलाव को जलवायु परिवर्तन कहा जाता है। जलवायु में आने वाले परिवर्तन के प्रभाव को एक सीमित क्षेत्र में अनुभव किया जा सकता है और पूरी दुनिया में भी। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन की स्थिति गंभीर दिशा में पहुँच रही है और पूरे विश्व में इसका असर देखने को मिल रहा है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। लंबे समय तक तापमान अधिक रहने के कारण मौसम के स्वभाव में बदलाव आ रहा है जिसके चलते प्रकृति में मौजूद सामान्य संतुलन की स्थिति बिगड़ रही है। इससे मनुष्यों के साथ ही पृथ्वी पर जीवन के लिए खतरा बढ़ता जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के अन्य परिणामों के बारे में जानकारी लेख में दी गई है।

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green house essay in hindi

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green house essay in hindi

ग्लोबल वार्मिंग क्या है? हम पर इसका क्या असर होता है?

वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की उच्च सांद्रता पृथ्वी पर अधिक गर्मी बढ़ाने के लिए जिम्मेवार है

By Dayanidhi

On: Wednesday 07 April 2021

green house essay in hindi

वैश्विक तापमान में वृद्धि से तूफान, बाढ़, जंगल की आग, सूखा और लू के खतरे की आशंका बढ़ जाती है। एक गर्म जलवायु में, वायुमंडल अधिक पानी एकत्र कर सकता है और भयंकर बारिश हो सकती है।

ग्लोबल वार्मिंग या वैश्विक तापमान में वृद्धि क्या है?

ग्लोबल वार्मिंग औद्योगिक क्रांति के बाद से औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि को दर्शाता है। 1880 के बाद से औसत वैश्विक तापमान में लगभग एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है।  ग्लोबल वार्मिंग एक सतत प्रक्रिया है, वैज्ञानिकों को आशंका है कि 2035 तक औसत वैश्विक तापमान अतिरिक्त 0.3 से 0.7 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग का क्या कारण है?

कुछ गैसें, जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन, पृथ्वी के वातावरण में सूरज की गर्मी को अपने अंदर रोकती हैं। ये  ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) वायुमंडल में प्राकृतिक रूप से भी मौजूद हैं।

मानव गतिविधियों, विशेष रूप से बिजली वाहनों, कारखानों और घरों में  जीवाश्म ईंधन (यानी, कोयला, प्राकृतिक गैस, और तेल) के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों को वायुमंडल में छोड़ा जाता है। पेड़ों को काटने सहित अन्य गतिविधियां भी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करती हैं।

वायुमंडल में इन ग्रीनहाउस गैसों की उच्च सांद्रता पृथ्वी पर अधिक गर्मी बढ़ाने के लिए जिम्मेवार है, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि होती है। जलवायु वैज्ञानिक मानते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के पीछे मानव गतिविधियां मुख्य है।

क्या जलवायु परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग से अलग है?

एनवायर्नमेंटल एंड एनर्जी स्टडीज इंस्टीट्यूट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का उपयोग अक्सर एक-दूसरे के लिए किया जाता है, लेकिन  जलवायु परिवर्तन मोटे तौर पर औसत मौसम (जैसे, तापमान, वर्षा, आर्द्रता, हवा, वायुमंडलीय दबाव, समुद्र के तापमान, आदि) में लगातार परिवर्तन करने के लिए जाना जाता है जबकि ग्लोबल वार्मिंग पृथ्वी के औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि करने के लिए जाना जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग का खतरनाक मौसम, तूफान, लू, सूखे और बाढ़ से क्या लेना- देना है?

वैश्विक तापमान में वृद्धि से तूफान, बाढ़, जंगल की आग, सूखा और लू के खतरे की आशंका बढ़ जाती है। एक गर्म जलवायु में, वायुमंडल अधिक पानी एकत्र कर सकता है और बारिश कर सकता है, जिससे वर्षा के पैटर्न में बदलाव हो सकता है।

बढ़ी हुई वर्षा से कृषि को लाभ हो सकता है, लेकिन एक ही दिन में अधिक तीव्र तूफानों के रूप में वर्षा होने से, फसल, संपत्ति, बुनियादी ढांचे को नुकसान होता है और प्रभावित क्षेत्रों में जन-जीवन का भी नुकसान हो सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्री सतह का तापमान भी बढ़ जाता है क्योंकि पृथ्वी के वातावरण की अधिकांश गर्मी समुद्र द्वारा अवशोषित हो जाती है। गर्म समुद्री सतह के तापमान के कारण तूफान का बनना आसान हो जाता है। मानव-जनित ग्लोबल वार्मिंग के कारण, यह आशंका जताई जाती है कि तूफान से वर्षा की दर बढ़ेगी, तूफान की तीव्रता बढ़ जाएगी और श्रेणी 4 या 5 के स्तर तक पहुंचने वाले तूफानों का अनुपात बढ़ जाएगा।

बढ़ते समुद्र के स्तर से ग्लोबल वार्मिंग का क्या लेना- देना है?

ग्लोबल वार्मिंग दो मुख्य तरीकों से समुद्र के जल स्तर को बढ़ाने में योगदान देता है। सबसे पहले, गर्म तापमान के कारण ग्लेशियर और भूमि-आधारित बर्फ की चादरें तेजी से पिघलती हैं, जो जमीन से समुद्र तक पानी ले जाती हैं। दुनिया भर में बर्फ पिघलाने वाले क्षेत्रों में ग्रीनलैंड, अंटार्कटिक और पहाड़ के ग्लेशियर शामिल हैं।

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन 2019 अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग की वजह 2100 तक 80 फीसदी ग्लेशियर पिघल कर सिकुड़ सकते हैं।

दूसरा, गरमी-संबंधी (थर्मल) विस्तार, वह प्रक्रिया जिसके द्वारा गर्म पानी अधिक जगह लेता है, जिसके कारण समुद्र का आयतन बढ़ जाता है, जिससे समुद्र का जल स्तर बढ़ जाता है।

अन्य कारक समुद्र के स्तर को प्रभावित करते हैं और इन सभी कारकों के संयोजन से पूरे ग्रह में  समुद्र के स्तर में वृद्धि की अलग-अलग दर होती है। स्थानीय कारक जो समुद्र के स्तर को कुछ क्षेत्रों में तेजी से बढ़ने का कारण बन सकते हैं, उनमें समुद्र की धाराएं और डूबती हुई जमीन की सतह आदि शामिल हैं।

1880 के बाद से, वैश्विक औसत समुद्री स्तर में आठ से नौ इंच की वृद्धि हुई है। कम उत्सर्जन वाले परिदृश्य के तहत, मॉडल परियोजना है कि समुद्र के स्तर में वृद्धि सदी के अंत तक 2000 के स्तर से लगभग एक फुट ऊपर हो जाएगी। एक उच्च-उत्सर्जन परिदृश्य के तहत, समुद्र का स्तर 2100 तक 2000 के स्तर से आठ फीट से अधिक बढ़ सकता है।

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Essay on Greenhouse Effect for Students and Children

500 words essay on greenhouse effect.

The past month, July of 2019, has been the hottest month in the records of human history. This means on a global scale, the average climate and temperatures are now seen a steady rise year-on-year. The culprits of this climate change phenomenon are mainly pollution , overpopulation and general disregard for the environment by the human race. However, we can specifically point to two phenomenons that contribute to the rising temperatures – global warming and the greenhouse effect. Let us see more about them in this essay on the greenhouse effect.

The earth’s surface is surrounded by an envelope of the air we call the atmosphere. Gasses in this atmosphere trap the infrared radiation of the sun which generates heat on the surface of the earth. In an ideal scenario, this effect causes the temperature on the earth to be around 15c. And without such a phenomenon life could not sustain on earth.

However, due to rapid industrialization and rising pollution, the emission of greenhouse gases has increased multifold over the last few centuries. This, in turn, causes more radiation to be trapped in the earth’s atmosphere. And as a consequence, the temperature on the surface of the planet steadily rises. This is what we refer to when we talk about the man-made greenhouse effect.

Essay on Greenhouse Effect

Causes of Greenhouse Effect

As we saw earlier in this essay on the greenhouse effect, the phenomenon itself is naturally occurring and an important one to sustain life on our planet. However, there is an anthropogenic part of this effect. This is caused due to the activities of man.

The most prominent among this is the burning of fossil fuels . Our industries, vehicles, factories, etc are overly reliant on fossil fuels for their energy and power. This has caused an immense increase in emissions of harmful greenhouse gasses such as carbon dioxide, carbon monoxide, sulfides, etc. This has multiplied the greenhouse effect and we have seen a steady rise in surface temperatures.

Other harmful activities such as deforestation, excessive urbanization, harmful agricultural practices, etc. have also led to the release of excess carbon dioxide and made the greenhouse effect more prominent. Another harmful element that causes harm to the environment is CFC (chlorofluorocarbon).

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Some Effects of Greenhouse Effect

Even after overwhelming proof, there are still people who deny the existence of climate change and its devastating pitfalls. However, there are so many effects and pieces of evidence of climate change it is now undeniable. The surface temperature of the planet has risen by 1c since the 19th century. This change is largely due to the increased emissions of carbon dioxide. The most harm has been seen in the past 35 years in particular.

The oceans and the seas have absorbed a lot of this increased heat. The surfaces of these oceans have seen a rise in temperatures of 0.4c. The ice sheets and glaciers are also rapidly shrinking. The rate at which the ice caps melt in Antartica has tripled in the last decade itself. These alarming statistics and facts are proof of the major disaster we face in the form of climate change.

600 Words Essay on Greenhouse Effect

A Greenhouse , as the term suggests, is a structure made of glass which is designed to trap heat inside. Thus, even on cold chilling winter days, there is warmth inside it. Similarly, Earth also traps energy from the Sun and prevents it from escaping back. The greenhouse gases or the molecules present in the atmosphere of the Earth trap the heat of the Sun. This is what we know as the Greenhouse effect.

greenhouse effect essay

Greenhouse Gases

These gases or molecules are naturally present in the atmosphere of the Earth. However, they are also released due to human activities. These gases play a vital role in trapping the heat of the Sun and thereby gradually warming the temperature of Earth. The Earth is habitable for humans due to the equilibrium of the energy it receives and the energy that it reflects back to space.

Global Warming and the Greenhouse Effect

The trapping and emission of radiation by the greenhouse gases present in the atmosphere is known as the Greenhouse effect. Without this process, Earth will either be very cold or very hot, which will make life impossible on Earth.

The greenhouse effect is a natural phenomenon. Due to wrong human activities such as clearing forests, burning fossil fuels, releasing industrial gas in the atmosphere, etc., the emission of greenhouse gases is increasing.

Thus, this has, in turn, resulted in global warming . We can see the effects due to these like extreme droughts, floods, hurricanes, landslides, rise in sea levels, etc. Global warming is adversely affecting our biodiversity, ecosystem and the life of the people. Also, the Himalayan glaciers are melting due to this.

There are broadly two causes of the greenhouse effect:

I. Natural Causes

  • Some components that are present on the Earth naturally produce greenhouse gases. For example, carbon dioxide is present in the oceans, decaying of plants due to forest fires and the manure of some animals produces methane , and nitrogen oxide is present in water and soil.
  • Water Vapour raises the temperature by absorbing energy when there is a rise in the humidity.
  • Humans and animals breathe oxygen and release carbon dioxide in the atmosphere.

II. Man-made Causes

  • Burning of fossil fuels such as oil and coal emits carbon dioxide in the atmosphere which causes an excessive greenhouse effect. Also, while digging a coal mine or an oil well, methane is released from the Earth, which pollutes it.
  • Trees with the help of the process of photosynthesis absorb the carbon dioxide and release oxygen. Due to deforestation the carbon dioxide level is continuously increasing. This is also a major cause of the increase in the greenhouse effect.
  • In order to get maximum yield, the farmers use artificial nitrogen in their fields. This releases nitrogen oxide in the atmosphere.
  • Industries release harmful gases in the atmosphere like methane, carbon dioxide , and fluorine gas. These also enhance global warming.

All the countries of the world are facing the ill effects of global warming. The Government and non-governmental organizations need to take appropriate and concrete measures to control the emission of toxic greenhouse gases. They need to promote the greater use of renewable energy and forestation. Also, it is the duty of every individual to protect the environment and not use such means that harm the atmosphere. It is the need of the hour to protect our environment else that day is not far away when life on Earth will also become difficult.

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ग्रीनहाउस प्रभाव पर निबंध Essay on Green House Effect in Hindi

इस लेख में आप ग्रीनहाउस प्रभाव पर निबंध Essay Green House Effect in Hindi पढ़ेंगे। इसमें हमने ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है, ग्रीन हाउस के प्रकार, ग्रीन हाउस गैस, लाभ, कारण के विषय में पूरी जानकारी दी है।

Table of Content

ग्रीनहाउस प्रभाव पृथ्वी के वातावरण को गर्म करने में भूमिका निभाता है। वातावरण में आने वाली लघु-तरंगे या पराबैंगनी किरणें सौर विकिरण के लिए काफी हद तक पारदर्शी होती है, जो पृथ्वी की सतह द्वारा अवशोषित कर ली जाती है।

धरती, सूरज से ऊर्जा प्राप्त करती है, जो पृथ्वी की सतह को गर्म करती है। चूंकि यह ऊर्जा वायुमंडल से गुजरती है,जिससे इसका एक निश्चित प्रतिशत वायुमंडल में बिखर जाता हैं। इस ऊर्जा का कुछ हिस्सा भूमि और समुद्र की सतह द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है।

शेष बचा हुआ 70% जो कि पृथ्वी की ऊष्मा का कारण होता है। पृथ्वी पर संतुलन बनाये रखने के लिए ऊर्जा के कुछ विकिरण वातावरण द्वारा अवशोषित कर लिये जाते है।

ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है? What is the Greenhouse Effect in Hindi

इस पूरे ब्रह्मांड में केवल पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ग्रह है, जहां जीवन है। पृथ्वी का वातावरण सौर मंडल के दूसरे ग्रहों के मुताबिक जीवन जीने के लिए बेहद अनुकूल है।

हमारे जीवंत ग्रह के चारों तरफ़ एक ऐसा प्राकृतिक आवरण है, जिसमें कुछ गैसें एक ऐसा तापमान वाला अनुकूल वातावरण बनाती हैं, जिसमें हम रहते हैं।

हरित गृह प्रभाव अथवा ग्रीन हाउस प्रभाव ऐसी ही प्राकृतिक घटना है, जिसके कारण किसी भी ग्रह पर एक निश्चित तापमान जो रहने योग्य आवश्यक हो वह बनता है।

सूर्य जो एक चमकता हुआ तारा है, वह पूरे सौर मंडल में ऊर्जा का मुख्य स्रोत माना जाता है। सूर्य की रोशनी के कारण ही ग्रहों का आवरण निर्धारित होता है।

जो ग्रह सूर्य के नजदीक है, वह बेहद गर्म होते हैं जैसे कि बुध और शुक्र। और जो ग्रह सूर्य से बहुत ज्यादा दूर है वह बहुत ठंडे होते हैं, जहां पर जीवन ढूंढना असंभव है। इन ग्रहों पर ग्रीन हाउस जैसा कोई प्रभाव नहीं देखा जाता।

ग्रीन हाउस प्रभाव ना होने के कारण सूर्य से दूर के ग्रहों का तापमान लगभग -130 डिग्री सेल्सियस जितना पहुंच जाता है। अगर पृथ्वी पर ग्रीन हाउस प्रभाव की क्रिया ना हो तो जीवन की कल्पना संभव है।

दूसरे शब्दों में ग्रीन हाउस प्रभाव पृथ्वी के वातावरण के तापमान पर असर डालता है। हालाकि कई बार ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण ग्लोबल वार्मिंग जैसी प्राकृतिक तबाही भी देखी जाती है।

सर्वप्रथम जोसेफ फुरियर नामक एक साइंटिस्ट ने 1824 में ग्रीन हाउस प्रभाव के बारे में जानकारी दिया था। लेकिन निल्स गुस्टफ एकहोम ने सबसे पहले ग्रीनहाउस शब्द का उपयोग किया था।

अगर ग्रीन हाउस प्रभाव के कई लाभ हैं, तो उसकी हानियां भी हैं। यदि किसी चीज की अधिकता हो जाए तो वह हमें फायदा पहुंचाने के बजाय हानि पहुंचाने लगती है। हालांकि ग्रीन हाउस प्रभाव की मौजूदगी बेहद जरूरी है।

लेकिन ग्रीन हाउस गैसें जिसमें मेथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प, नाइट्रस ऑक्साइड इत्यादि का समावेश होता है इनके कई दुष्प्रभाव भी हमारे वातावरण पर पढ़ते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप कई बार ग्लोबल वार्मिंग जैसी भयंकर तबाही मच जाती है।

ग्रीन हाउस के विभिन्न प्रकार different types of greenhouses in Hindi

ग्रीन हाउस को ग्लास हाउस भी कहते हैं। इसका उपयोग दुर्लभ क्षेत्रों में खाद्य सामग्रियों जैसे की सब्जी और फल फूल को उगाने के लिए भी किया जाता है।

कुछ ऐसे जगह है, जहां पर सामान्य रूप से खेती कर पाना बेहद कठिन होता है। इसीलिए ऐसी जगह पर अनाजों को उगाने के लिए हरितगृह की एक इमारत बनाई जाती है।

ग्रीन हाउस के विभिन्न प्रकार हैं, जिनके द्वारा अलग-अलग पद्धतियों का उपयोग करके अनाज उत्पादन किया जाता है। ग्रीन हाउस के कुछ मुख्य प्रकार जो नीचे दिए गए हैं-

मिनी ग्रीन  हाउस

यह पद्धति किसी निश्चित जगह या घरों में सब्जियों और फलों को उगाने के लिए बेहद कामगार होती हैं। इसकी सहायता से बिना ज्यादा क्षेत्र घेरे एक छोटे और निर्धारित जगह पर खेती की जा सकती है। रोजाना धूप और पानी मिलने के कारण इस प्रकार उगाई जाने वाली फसलें अच्छी गुणवत्ता वाली होती हैं।

इंडस्ट्रियल ग्रीन हाउस

आज के समय में जो बड़े-बड़े उद्योग और कारखाने अनाजों से खाने पीने के लिए अन्य चीजें बनाते हैं, वे अक्सर इस प्रकार की ग्रीनहाउस पद्धति को अपनाते हैं। सेलुलर पॉलीकार्बोनेट से निर्मित यह एक ग्लास जैसी संरचना होती है, जिसके चारों ओर धातु के फ्रेम बने होते हैं।

इसकी बाहरी संरचना बेहद मजबूत और ठोस होती है। सब्जियों और फलों को उच्च गुणवत्ता देने के लिए इसमें सोलर पैनल का भी उपयोग किया जाता है। औद्योगिकी हरितगृह में अनाजों को पोषण युक्त मिट्टी में उगाया जाता है।

पिरामिड शेप ग्रीन हाउस

प्रत्येक छोर को एक दूसरे से जोड़ने वाले पिरामिड आकार के ग्रीन हाउस फसलों को उगाने के लिए यह बेहद चर्चित विकल्प है। अधिकतर लोग पिरामिड ग्रीन हाउस का उपयोग अपने फसलों के बेहतर उपज के लिए किया करते हैं।

यह त्रिकोण आकार के ऐसे पैनल से बनाए जाते हैं, जो किसी भी परिस्थिति में अनाज उत्पादन कर सकता है। इसके तीनों ओर सोलर प्लेट भी लगाई जाती हैं, जिससे कि एनर्जी स्टोर करके अंकुरित बीजों को उगाया जा सके।

पॉलीगोनल ग्रीन हाउस

एलुमिनियम से बने पॉलीगोनल अथवा बहुभुज ग्रीन हाउस रसीले फलों के उत्पादन के लिए सर्वश्रेष्ठ  होता है। इसके अंदर कई छोटे ऊर्ध्वाधर खंभों का निर्माण भी किया जाता है, जिससे फलों और सब्जियों को टिकाए रखने में आसानी हो।

पॉलीगोनल ग्रीन हाउस के चारों ओर हवादार जालियां लगाई जाती हैं, जिससे कि फसलों को नमी और प्रकाश दोनों मिल सके। ग्रीन हाउस का यह प्रकार फसल उत्पादन के लिए एक बहुत ही अच्छा माध्यम  है।

ग्रीन हाउस गैसों के बारे में जानकारी Information About Greenhouse Gases in Hindi

पृथ्वी के चारों तरफ गैसों का एक आवरण बना हुआ है, जो वातावरण को बनाए रखने में अपनी अलग अलग भूमिका निभाते हैं।

आमतौर पर जब सूर्य की किरणें पृथ्वी तक पहुंचती हैं, तो अधिकतर ऊर्जा जमीन और पृथ्वी के आवरण में समाहित हो जाता है। जमीन के समीकरण और वातावरण में परिवर्तन इसी के परिणाम स्वरूप होता है।

ग्रीन हाउस गैसें साधारण तौर पर तो प्राकृतिक होती हैं, लेकिन मानव उत्सर्जन के कारण इन गैसों में बढ़ोतरी हो जाती है, जिससे कई दुष्परिणाम भी सामने आता है।

ग्रीन हाउस गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड सबसे मुख्य गैस होती है। एक अनुमान के मुताबिक कुछ सालों में ही कार्बन डाइऑक्साइड जैसे ग्रीन हाउस गैसों में काफी बढ़ोतरी देखी गई है।

डाई हाइड्रोजन ऑक्साइड अथवा जलवाष्प गैस वायुमंडल में दूसरे स्थान पर सबसे महत्वपूर्ण ग्रीन हाउस गैसों में गिना जाता है। वाष्पीकरण की क्रिया डाई हाइड्रोजन ऑक्साइड में बढ़ोतरी का ही परिणाम है।

जिस प्रकार जलाशयों से पानी का वाष्पीकरण शीघ्रता से हो रहा है, वह जलवाष्प जैसे ग्रीन हाउस गैसों का ही प्रभाव है।

कार्बन डाइऑक्साइड की तरह ही मीथेन गैस काफी प्रभावकारी ग्रीनहाउस गैस है। वायुमंडल में मीथेन की उपस्थिति बहुत कम है। ज्वालामुखी, पशुधन, बायोमास  का दहन, आर्द्रभूमि इत्यादि मिथेन के गुणवत्ता की प्रदर्शित करता है।

ओजोन वातावरण में स्थित एक महत्वपूर्ण गैस है जो, सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों से हमारी रक्षा करता है। ओजोन एक प्रकार का ग्रीनहाउस गैस है। भू स्तरीय पर उठने वाले हानिकारक धुएं जो प्रदूषण का काम करते हैं, वह वायुमंडल में स्थित इसी के प्रभाव के कारण ही होता है।

कई बार इंडस्ट्रियल रिफाइनरी और केमिकल प्लांट्स जैसे दूसरे प्रदूषण के बड़े स्त्रोतों से भी पर्यावरण के आवरण को क्षति पहुंचता है।

बड़े बड़े उद्योगों व कारखानों से निकलने वाले हानिकारक धुओं में नाइट्रस ऑक्साइड भी शामिल होता है। इसके अलावा मानवीय गतिविधियों के जरिए उत्सर्जित होने वाले यह हानिकारक धुएं वातावरण को प्रदूषित करता है।

ग्रीन हाउस के लाभ Benefits of Green House in Hindi

सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को रोकने में  ओजोन बेहद महत्वपूर्ण होता है, जो कि ग्रीन हाउस  गैसों का ही एक स्वरूप है।

इसके अलावा ग्रीन हाउस पृथ्वी के चारों ओर एक फिल्टर का काम करती है जो अंतरिक्ष से आने वाली अवांछित तत्वों को पृथ्वी के आवरण में प्रवेश करने से रोकती है। यदि ग्रीनहाउस ना होता तो शायद पृथ्वी भी अन्य ग्रहों की भांति एक निर्जीव ग्रह होता है।

इसके अलावा ग्रीन हाउस के कई महत्वपूर्ण फायदे हैं। पृथ्वी पर एक निश्चित तापमान बनाए रखने में ग्रीन हाउस सहायता करता है।

क्योंकि किसी भी जगह जीवन तभी संभव हो पाएगा जब वहां सांस लेने के लिए एक निश्चित आवरण हो। ना ही अधिक ठंडा और ना ही अधिक ज्यादा तापमान ही जीवित प्राणियों के रहने योग्य होता है।

सामान्य तौर पर किसी भी फसल को उगाने के लिए सामान्य तापमान वाले वातावरण की आवश्यकता होती है, जिससे बीज अंकुरित होकर पोषण युक्त बने। ग्रीन हाउस की सहायता से फसलों को उचित तापमान उपलब्ध तो करवाया जाता है, साथ ही आंधी, तूफान और बर्फ से फसलों की रक्षा ढाल बनकर भी करता है।

आज के समय में किसी भी कृषि क्षेत्र में फसलों को उपजाऊ बनाने और उन्हें किटको से बचाने के लिए तरह-तरह की दवाइयों का छिड़काव किया जाता है।

इसके सुरक्षा कवच के कारण फसलों पर कीटक नहीं लगता। ग्रीन हाउस का उपयोग आमतौर पर सब्जियों फल तंबाकू इत्यादि को उगाने के लिए किया जाता है।

ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण Causes for Green House Effect in Hindi

पृथ्वी में ग्रीन हाउस प्रभाव के कई कारण है जिनके परिणाम स्वरूप हमारे प्राकृतिक आवरण में बदलाव देखे जाते हैं। सर्वप्रथम प्राकृतिक कारण से पृथ्वी पर मौजूद कुछ गैसों द्वारा ग्रीन हाउस प्रभाव देखा जाता है।

कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और डाई हाइड्रोजन जैसे गैसों की अधिकता हमारे पर्यावरण को अस्तव्यस्त कर देती है। वायुमंडल में तापमान बढ़ने का यह मुख्य कारण है।

इस विशाल धरती पर लगभग अरबों खरबों जीव श्वसन की क्रिया करते हैं। ऑक्सीजन ग्रहण करने और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ने की क्रिया सभी सजिवों द्वारा किया जाता है।

लंबे समय से इन गैसों के उत्सर्जन में काफी बढ़ोतरी देखी जाती है, जिसके परिणाम स्वरूप ग्रीन हाउस प्रभाव की घटना होती है

प्राकृतिक कारणों के साथ ही मानव द्वारा की जाने वाली क्रियाएं भी हरित गृह प्रभाव के लिए जिम्मेदार है।  बड़े स्तर पर वृक्षों के काटे जाने के कारण ऑक्सीजन की मात्रा घट रही है। वनोन्मूलन के कारण कई प्राकृतिक घटनाओं के दुष्प्रभाव देखे जा रहे हैं।

विज्ञान ने आज के समय में लगभग पूरी दुनिया में अपना विस्तार कर लिया है। नवीनता तो अच्छी बात होती है, लेकिन जब मानव क्रियाएं प्रकृति को हानि पहुंचाने लगती हैं तो यह पूरे मानव जाति के लिए भी खतरनाक साबित हो सकता है।

दुनिया के लगभग हर  कोने में उद्योग और कारखाने बड़े स्तर पर चलाए जाते हैं। लेकिन इनसे निकलने वाले धुएं और जहरीला पानी वातावरण को दूषित करता है। यही प्रदूषित तत्व के कारण वाष्पीकरण भी अब दूषित होता जा रहा है।

इसके अलावा इंधन के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले तेल और कोयले इत्यादि जिनका प्रयोग दहन क्रिया में किया जाता है, वह मुख्य रूप से ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए जिम्मेदार है। कोयले और दूसरी आवश्यक चीजों के लिए खनन कार्य से गहरे गड्ढे या कुएं में से मीथेन गैस का उत्सर्जन होता है।

मीथेन गैस की अधिकता वातावरण में प्रदूषण फैलाता है , जिसके परिणाम स्वरूप ग्रीन हाउस के दुष्प्रभाव अपना असर दिखाते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में हमने ग्रीन हाउस प्रभाव पर निबंध (Essay on Green House Effect in Hindi) पढ़ा। आशा है यह निबंध आपको पसंद आया होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

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10 Lines on Greenhouse Effect in Hindi – 10 Lines Essay

10 lines on greenhouse effect in hindi language :.

Hello Student, Here in this post We have discussed about Greenhouse Effect in Hindi. Students who want to know a detailed knowledge about Greenhouse Effect, then Here we posted a detailed view about 10 Lines Essay Greenhouse Effect in Hindi. This essay is very simple.

Greenhouse Effect

1) पृथ्वी के औसत तापमान में बढ़ोतरी होना इसे ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं।

2) पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ाने में कार्बन डाइऑक्साइड,मिथेन तथा सीएफसी गैस की मुख्य भूमिका है।

3) कारखाने से उत्सर्जित होने वाले हानिकारक वायु के कारण ग्रीन हाउस प्रभाव में वृद्धि होती है।

4) वाहनों से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होता है।

5) वृक्षों की कटाई यह ग्रीन हाउस प्रभाव बढ़ने का एक मुख्य कारण है।

6) इलेक्ट्रिक संसाधन उदाहरण ए.सी. तथा रेफ्रिजरेटर से निकलने वाले वायु के कारण ग्रीन हाउस प्रभाव पड़ता है।

7) पशुओं द्वारा किए जाने वाले रवंथ से सीएफसी गैस उत्सर्जित होती है।

8) ओजोन परत के क्षरण के कारण ग्रीन हाउस प्रभाव समस्या बढ़ रहl है।

9) औद्योगिकरण के कारण ग्रीनहाउस समस्या बढ़ रही है।

10)जीवाश्म ईंधन के दहन के कारण  ग्रीन हाउस प्रभाव समस्या बढ़ रही है।

Hope above 10 lines on Greenhouse Effect in Hindi will help you to study. For any help regarding education Students please comment us. Here we are always ready to help You.

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