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प्रदूषण पर निबंध – Essay on Pollution in Hindi

Essay on Pollution in Hindi : दोस्तों आज हमने प्रदूषण पर निबंध लिखा है. वर्तमान में प्रदूषण के कारण मानव जीवन और अन्य प्राणियों के जीवन पर बहुत अधिक बुरा प्रभाव पड़ा है. प्रदूषण के कारण असमय मृत्यु होना तो जैसे आम बात ही हो गई है.

इसलिए प्रदूषण को रोकना बहुत आवश्यक है सभी विद्यार्थियों को प्रदूषण के बारे में जानकारी होना आवश्यक है.

इसलिए Essay on Pollution कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. इस निबंध को हमने सभी कक्षा के विद्यार्थियों की सुविधा को देखते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में लिखा है.

Essay on Pollution in Hindi

Get Some Essay on Pollution in Hindi under 100, 250, 500 and 2000 words

Short Essay on Pollution in Hindi 100 Words

प्रदूषण यह एक धीमा जहर है जो कि दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण और हमारे जीवन को नष्ट करता जा रहा है. प्रदूषण को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण..

वायु प्रदूषण वाहनों से निकलने वाले धुए, कल कारखानों, उड़ती हुई धूल इत्यादि कारणों से होता है. ध्वनि प्रदूषण वाहनों के हॉर्न, मशीनों के चलने से और अन्य शोर उत्पन्न करने वाली वस्तुओं से होता है.

जल प्रदूषण नदियों और तालाबों में फैक्ट्रियों का अपशिष्ट पदार्थ और प्लास्टिक कचरा व अन्य वस्तुएं डालने से होता है.

अगर हमें पर दूसरों को कम करना है तो अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाने होंगे और लोगों को प्रदूषण के प्रति जागरूक करना होगा तभी जाकर हम अच्छे भविष्य की कामना कर सकते है.

Paragraph on Pollution in Hindi 250 Words

प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है यह सिर्फ हमारे देश की नहीं यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है जिसकी चपेट में पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतु और अन्य निर्जीव पदार्थ भी आ गए है. इसका दुष्प्रभाव चारों ओर दिखाई दे रहा है.

प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है कि प्रकृति का संतुलन खराब होना जीवन के लिए जरूरी चीजों का दूषित हो जाना जैसे स्वच्छ जल नहीं मिलना, स्वच्छ वायु नहीं मिलना और प्रदूषित माहौल का पैदा होना.

पृथ्वी का तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है और वातावरण में भी परिवर्तन आ रहा है कभी अत्यधिक वर्षा हो रही है तो कभी सूखा पड़ रहा है ऋतु परिवर्तन असमय हो रहा है जो की यह दर्शा रहा है कि भविष्य में कितनी बड़ी समस्या दस्तक दे रही है.

प्रदूषण के कारण तरह-तरह की विकराल बीमारियां जन्म ले रही है जिसे कैंसर, डायबिटीज, अस्थमा, हृदय की बीमारी इत्यादि के कारण मानव की आयु कम हो गई है.

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वर्तमान में हर घर में कोई ना कोई बीमार है और दवाईयां लेकर अपना जीवन यापन कर रहा है. प्रदूषण के कारण जीव जंतु में इसकी चपेट में आ गए हैं जीव-जंतुओं की कई प्रजातियां तो विलुप्त हो चुकी है और कुछ विलुप्त होने की कगार पर है.

हमारे जीवन प्रणाली कुछ इस प्रकार की हो गई है कि हमें पैसों और तरक्की के अलावा कुछ और दिखाई नहीं दे रहा है.

हमें प्रदूषण को बढ़ने से रोकना होगा नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी पर जीवन का नामोनिशान नहीं होगा हमें प्रदूषण को कम करने के लिए सबसे पहले लोगों को जागरूक करना होगा.

किसी भी प्रकार के प्रदूषण को अगर कम करना है तो हमारा पहला कदम पेड़ों की कटाई रोकना होना चाहिए और जितना हो सके पेड़ लगाने होंगे.

Paryavaran Pradushanpar Nibandh 500 Words

प्रस्तावना –

वर्तमान में प्रदूषण ने बहुत ही विकराल रूप धारण कर लिया है. इसके कारण बड़े महानगरों में जीवन बहुत कठिन हो गया है यहां पर हर दिन कोई ना कोई नई बीमारी जन्म ले रही है.

प्रदूषण इतनी तेजी से फैल रहा है कि आजकल तो ऐसा लग रहा है कि यह हमारे जीवन का हिस्सा सा बन गया है. प्रदूषण के कारण केवल मनुष्य का ही जीवन प्रभावित नहीं हुआ है इसके कारण वन्य जीव जंतुओं और पृथ्वी के वातावरण में भी बदलाव आया है.

प्रदूषण के प्रकार –

प्रदूषण को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मुख्यतः तीन भागों में बाटा गया है इसके अलावा भी बहुत प्रकार के प्रदूषण होते है –

वायु प्रदूषण – हवा में प्रदूषित कारको के मिश्रण के कारण वायु प्रदूषण होता है वायु प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत मोटर वाहनों से निकलने वाला धुआं, कल कारखानों और चिमनीओं से निकलने वाला धुआं, धूल उड़ने से, वस्तुओं के सड़ने से उत्पन्न हुई दुर्गंध, पटाखों इत्यादि कारणों से वायु प्रदूषण फैलता है.

जल प्रदूषण – जल में कई प्रकार के हानिकारक केमिकल्स, जीवाणु इत्यादि मिलने के कारण जल प्रदूषण होता है जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत फैक्ट्री और कारखानों से निकलने वाला प्रदूषित जल का नदियों और तालाबों में मिलना, गटर लाइन को नदियों में छोड़ना, जल में प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थ डालने के कारण जल प्रदूषण फैलता है.

ध्वनि प्रदूषण – सुनने की एक सीमा से अधिक तीखी और असहनीय आवाज ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में आता है. ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्रोत – लाउडस्पीकर, वाहनों का हॉर्न, मशीनों की आवाज, बादलों की गड़गड़ाहट इत्यादि है जिसके कारण ध्वनि प्रदूषण फैलता है.

प्रदूषण की रोकथाम के उपाय –

वायु प्रदूषण को रोकने के लिए नहीं अधिक मात्रा में पेड़ लगाने चाहिए साथ ही जहां पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है वहां पर रोक लगानी चाहिए. वायु प्रदूषण को फैलाने वाले उद्योग धंधों को नई तकनीक अपनानी चाहिए जिससे कम प्रदूषण हो.

जल प्रदूषण को कम करने के लिए हमें साफ सफाई की ओर अधिक ध्यान देना होगा हम नदियों तालाबों में ऐसे ही कचरा डाल देते है. जल प्रदूषण के लिए जो भी फैक्ट्रियां और कारखाने जिम्मेदार है उनको बंद कर देना चाहिए.

ध्वनि प्रदूषण अधिकतर मानव द्वारा ही किया जाता है इसलिए अगर हम स्वयं हॉर्न बजाना बंद कर दें और मशीनों की नियमित रूप से अगर देखभाल करें तो उन से आवाज नहीं आएगी और ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी.

उपसंहार –

हमारी पृथ्वी पर प्रदूषण जिस तरह से बढ़ रहा है आने वाले कुछ सालों में यह विनाश का रूप ले लेगा, अगर जल्द ही प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ सख्त नियम नहीं बनाए गए तो हमारी पृथ्वी का पूरा वातावरण खराब हो जाएगा और हमारा जीवन संकट में पड़ सकता है.

अगर हमें प्रदूषण को कम करना है तो सर्वप्रथम हमें स्वयं को सुधारना होगा और लोगों को प्रदूषण के कारण हो रही हानियों के बारे में अवगत कराना होगा.

जब तक हमारे पूरे देश के लोग जागरुक नहीं होंगे तब तक किसी भी प्रकार के प्रदूषण को कम करना मुमकिन नहीं है.

Essay on Pollution in Hindi 2000 Words

रूपरेखा –

प्रदूषण आज भारत की ही नहीं संपूर्ण विश्व की समस्या है बढ़ते हुए प्रदूषण को देखकर सभी देश इससे चिंतित है. आज संसार की लगभग सभी वस्तुएं चाहे वह सजीव है या निर्जीव किसी न किसी रूप में प्रदूषित होती जा रही है.

जल, वायु, मृदा तथा संपूर्ण भूमंडल प्रदूषण की चपेट में आ गया है. आए दिन प्रदूषण के कारण कोई ना कोई समस्या या फिर नई बीमारियां उत्पन्न होती रहती है.

कारखानों से गैस रिसने, परमाणु संयंत्रों से रेडियोधर्मिता के बढ़ने, नदियों, तालाबों, समुद्रों में कारखानों और फैक्ट्रियों से निकले विषाक्त केमिकल्स और गंदे पानी के मिलने से पूरा वातावरण प्रदूषित हो रहा है.

आज हम सिर्फ अपनी प्रगति की ओर ध्यान दे रहे है लेकिन प्रकृति की जरा भी चिंता नहीं कर रहे है. विज्ञान ने आज बहुत तरक्की कर ली है लेकिन प्रदूषण को रोकने में आज भी सफल नहीं हो पाई है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व के सभी देशों को बार-बार चेतावनी दी जा रही है लेकिन फिर भी प्रदूषण के बढ़ने पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जा रही है.

हमारे भारत देश को तो जात-पात और आरक्षण से ही फुर्सत नहीं मिल रही है तो वह पर्यावरण के बारे में क्या सोचेगा.

प्रदूषण क्या है –

हमारे स्वच्छ वातावरण में किसी भी प्रकार की गंदगी का घूमना प्रदूषण की श्रेणी में आता है प्रदूषण कई प्रकार का होता है जैसे जल, हवा, ध्वनि, मृदा प्रमुख है.

इनमें से अगर कोई भी घटक प्रदूषित होता है तो उसका सीधा असर पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतुओं, मनुष्यों और निर्जीव वस्तुओं पर बुरा असर पड़ता है.

प्रदूषण के प्रकार और दुष्प्रभाव –

जल प्रदूषण –

वर्तमान में जल प्रदूषण एक बड़ी समस्या है वर्तमान में हमारे सभी प्रमुख नदियां जैसे गंगा यमुना चंबल इत्यादि सभी गंदगी से अटी पड़ी है इनमें तरह-तरह का प्लास्टिक और अन्य कचरा पड़ा हुआ है.

कुछ स्थानों पर तो ऐसा लगता है कि नदी में जल की जगह कचरा बह रहा है, कुछ लोग अपनी नित्य क्रिया, कपड़े धोने, जानवरों को नहलाना भी नदियों के पास करते है जिसके कारण उनका जल दूषित हो जाता है.

इससे भी बड़ी चिंता का विषय यह है कि कल कारखानों और फैक्ट्रियों से निकला जहरीला और केमिकल युक्त पानी भी नदियों और तालाबों में छोड़ दिया जाता है.

एक ताजा आंकड़े के अनुसार हमारे देश में प्रदूषित जल पीने की वजह से प्रति घंटे लगभग 73 लोगों की मृत्यु हो जाती है और यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है.

जल प्रदूषण को बढ़ाने में हमारी सरकारें भी कम नहीं है क्योंकि गटर से निकलने वाला पानी अक्सर नदियों और समुद्रों में छोड़ दिया जाता है जिसके कारण पूरा जल प्रदूषित हो जाता है.

जो जल को जहरीला बना देता है जिसके कारण नदी में रहने वाले जीवों का जीवन संकट में पड़ जाता है और यही जहरीला जल हमें पीने को मिलता है जिसके कारण तरह-तरह की बीमारियां फैलती है.

वायु प्रदूषण –

वायु प्रदूषण चिंता का विषय है क्योंकि विश्व में सबसे विश्व में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष दश में हमारे देश के ही शहर आते है.

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे देश में वायु प्रदूषण किस तेजी से बढ़ रहा है. हमारे देश में हर साल वायु प्रदूषण की वजह से 12.4 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है और यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है.

वायु प्रदूषण सामान्यतः वाहनों से निकलने वाले धुएं, कल कारखानों और चिमनियो का धुँआ, कोयले का धुँआ, घरों से निकलने वाला धुआं, फसलों की पराली जलाने से निकला धुँआ इत्यादि वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण है.

वायु प्रदूषण का एक अन्य प्रमुख कारण यह भी है कि दिन प्रतिदिन पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है और शहरीकरण बढ़ रहा है जिसके कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है.

वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा कैंसर चर्म रोग आंखों में जलन हृदय संबंधी बीमारियां हो जाती है जिसके कारण मानव और अन्य जीव जंतुओं की असमय मृत्यु हो जाती है.

वायु प्रदूषण से हमारा वातावरण भी प्रभावित होता है पेड़ पौधे मुरझा जाते है जिसके कारण और अत्यधिक वायु प्रदूषण होने लग जाता है

ध्वनि प्रदूषण –

ध्वनि प्रदूषण लाउडस्पीकर, हॉर्न, वाहनों की खड़ खड़ाहट, मशीनों की आवाज, हवाई जहाज की आवाज, कंस्ट्रक्शन का कार्य, बादलों की गड़गड़ाहट इत्यादि कारणों से ध्वनि प्रदूषण होता है,

लेकिन ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्त्रोत मानव जनित कार्यों से ही होता है. मानव अगर सीमित ध्वनि से ज्यादा की आवाज में अधिक समय तक रहता है तो वह बहरा भी हो सकता है साथ ही वह अपना मानसिक संतुलन भी हो सकता है.

वर्तमान में लोग हर जगह शादियों, पार्टियों, किसी भी प्रकार के प्रचार में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हैं जो कि ध्वनि प्रदूषण को बहुत अधिक बढ़ा देता है.

ध्वनि प्रदूषण के कारण बच्चे और बूढों को अधिक परेशानी होती है. ध्वनि प्रदूषण जीव-जंतुओं की दिन-प्रतिदिन की दिनचर्या को भी प्रभावित करता है.

मृदा प्रदूषण –

मृदा प्रदूषण का मुख्य कारण मानव के द्वारा किए गए कार्य ही हैं क्योंकि मानव अपनी थोड़े से लोभ के लिए प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण को बढ़ावा देता है.

मानव फैक्ट्रियों और कल कारखानों से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ या तो मृदा में गाड़ देते है या फिर ऐसे ही फेंक देते है जिसके कारण वहां की भूमि धीरे धीरे बंजर होने लग जाती है.

वर्तमान में प्लास्टिक के कारण बहुत अधिक मृदा प्रदूषण हो रहा है क्योंकि प्लास्टिक से हर वक्त जहरीले पदार्थ निकलते रहते है जो की पूरी भूमि को जहरीला बना देते है.

खेतों में इस्तेमाल होने वाली यूरिया खादो का उपयोग भी बहुत अधिक बढ़ गया है जिसके कारण भूमि प्रदूषित हो जाती है.

इन सब का असर मानव स्वास्थ्य पर ही होता है क्योंकि भूमि से उत्पन्न होने वाला अनाज और सब्जियों में जहरीले केमिकल्स मिल जाते है जिससे मानव स्वास्थ्य बिगड़ जाता है इसीलिए आज तरह-तरह की बीमारियां फैल रही है.

प्रकाश प्रदूषण –

दिन और रात प्राकृतिक क्रिया है अगर इनमें कोई बदलाव आता है तो वह पूरी प्रकृति को प्रभावित करता है. वर्तमान में विज्ञान की प्रगति के कारण बिजली का बहुत अधिक उपयोग हो रहा है.

और आजकल अधिक रोशनी वाली लाइटो का उपयोग किया जाता है जिसके कारण रात में भी दिन जैसा लगता है. बढ़ते हुए शहरीकरण के कारण रात में भी बहुत अधिक उजाला रहता है. जिसके कारण वन्य जीव जंतुओं को बहुत अधिक परेशानी होती है उनकी पूरी दिनचर्या इसके कारण बिगड़ जाती है. प्रकाश प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है इसके कारणों से पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है.

रेडियोधर्मिता प्रदूषण –

रेडियोएक्टिव विकिरणों से फैलने वाला प्रदूषण रेडियोधर्मिता प्रदूषण कहलाता है. यह प्रदूषण आंखों से दिखाई नहीं देता लेकिन स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक खतरनाक होता है.

इसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति या अन्य कोई जीव जंतु कि कुछ ही समय में मृत्यु हो जाती है.

यह प्रदूषण सामान्यत है परमाणु बम, परमाणु बिजली घर से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ से होता है. यह प्रदूषण जहां भी फैलता है वहां पर जीवन का नामोनिशान मिट जाता है.

थर्मल प्रदूषण –

वर्तमान में थर्मल प्रदूषण बहुत अधिक तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि जैसे जैसे लोगों की जरूरत है बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे तरह-तरह की फैक्ट्रियां लग रही है जिनमें जल का उपयोग कई प्रकार के पदार्थों और अन्य वस्तुओं को ठंडा रखने में किया जाता है.

जिसके कारण वह जल बहुत अधिक गर्म हो जाता है और वह सीधा नदियों में छोड़ दिया जाता है जिसके कारण अचानक जल के तापमान में बदलाव हो जाता है. इससे नदियों में रहने वाले जीवो की मृत्यु हो जाती है.

प्रदूषण संतुलन के उपाय –

पेड़ लगाना –

हमारी पृथ्वी को अगर प्रदूषण से बचाना है तो हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे और जो भी लोग पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर रही है उन पर सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें रोकना होगा.

पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हमें ऑक्सीजन देते हैं अगर पेड़ ही नहीं होंगे तो हमें ऑक्सीजन नहीं मिलेगी और हमारा जीवन समाप्त हो जाएगा.

आज ही प्रण ले अपने हर जन्मदिन पर कम से कम एक पेड़ जरूर लगाएं.

प्लास्टिक का उपयोग बंद करना –

वर्तमान में हमारे जीवन के साथ प्लास्टिक कैसे जुड़ गया है जैसे जल और हवा हो, हर वस्तु में प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है. प्लास्टिक से हजारों वर्षों तक जहरीले पदार्थ निकलते रहते है जो कि जल, वायु एवं पूरे वातावरण को प्रदूषित करता है.

हमें प्लास्टिक का उपयोग बंद करना होगा, सरकार भी प्लास्टिक पर पाबंदी लगा रही है लेकिन जब तक हम जागरूक नहीं होंगे तब तक प्लास्टिक का उपयोग बढ़ता रहेगा.

कार पुलिंग को बढ़ावा दे –

वाहनों की संख्या बढ़ने के कारण ईंधन की खबर भी बहुत अधिक हो गई है और इसके कारण अधिक मात्रा में वायु प्रदूषण हो रहा है. आजकल हर व्यक्ति अपना वाहन लेकर चलता है जो कि वायु प्रदूषण की समस्या को और बढ़ा देता है.

अगर हम पब्लिक वाहनों का उपयोग करें और अगर एक ही ऑफिस में जाते हैं तो एक कार में ही बैठकर जाएंगे से ईंधन की बचत होगी और वायु प्रदूषण भी कम होगा.

ऊर्जा का सही इस्तेमाल करें –

हमें ऊर्जा का सही इस्तेमाल करना होगा बिना वजह ऊर्जा का उपयोग करने से हर प्रकार का प्रदूषण घटता है क्योंकि जितने भी प्रकार के हम इंजन देखते है उन्हें बनाने में बहुत प्रदूषण फैलता हैऔर अपशिष्ट पदार्थ भी निकलता है जो कि जहरीला होता है.

नदियों को साफ करें –

हम सबको मिलजुल कर नदियों तालाबों और समुद्रों को साफ करना होगा, क्योंकि वही से हमें पीने के लिए जल मिलता है और अन्य प्राणियों को भी जल मिलता है.

अगर यही जल जहरीला होने लगा तो तरह-तरह की बीमारियां फैल जाएंगी जो की महामारी का रूप भी ले सकती है इसलिए हमें कूड़ा करकट नदियों और तालाबों में नहीं डालना चाहिए.

वाहनों/मशीनों का रखरखाव पर ध्यान दें –

वाहनों और मशीनों का रखरखाव करना बहुत जरूरी है अगर इनका रखरखाव नहीं किया जाए तो इनसे बहुत अधिक मात्रा में ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण भी होता है.

हम कुछ रुपए बचाने के लिए अपने पर्यावरण को प्रदूषित कर देते है यह बहुत ही चिंता का विषय है इसलिए हमेशा समय समय पर वाहनों और मशीनों का रखरखाव जरूरी है.

यूरिया खाद का उपयोग कम करे –

किसानों द्वारा खेतों में अधिक पैदावार के लिए यूरिया खाद का उपयोग किया जा रहा है जो की फसल की पैदावार तो अच्छी कर देती है लेकिन भूमि को बंजर कर देती है और साथ ही उस फसल में भी कई प्रकार के जहरीले पदार्थ आ जाते है.

जो सीधे हमारे शरीर में जाते हैं और हमारा स्वास्थ्य बिगड़ जाता है इसलिए किसानों को यूरिया खाद का उपयोग कम करना चाहिए और प्राकृतिक खाद का उपयोग करना चाहिए.

कड़े नियम कानून बनाएं –

भारतीय सरकार ने प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए हैं लेकिन उन कानूनों कि सही से पालना नहीं होने के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों की पालना सही से हो रही है या नहीं.

भारतीय सरकार को प्रदूषण के खिलाफ और कड़े कानून बनाने चाहिए क्योंकि अगर प्रकृति ही नहीं रहेगी तो हम भी नहीं रहेंगे इसलिए पर्यावरण को बचाना बहुत जरूरी है.

प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाएं –

हम सबको मिलजुल कर प्रदूषण के प्रति जागरुकता फैलाने होगी क्योंकि ज्यादातर पढ़े-लिखे लोग यह जानते हैं कि क्या करने से प्रदूषण फैलता है फिर भी वे इस और ध्यान नहीं देते और प्रदूषण फैलाते है.

हमें लोगों को समझाना होगा कि अगर हम यूं ही प्रदूषण फैलाते रहे तो आगे आने वाली पीढ़ी का जीवन मुश्किल में पड़ जाएगा. साथ ही प्रदूषण के कारण हमारा पूरा पर्यावरण भी नष्ट हो रहा है.

इसलिए हमें शहर शहर गांव गांव जाकर लघु नाटको और अन्य तरीकों से लोगों को प्रदूषण के बारे में बताना होगा तभी जाकर प्रदूषण को रोका जा सकता है.

हमारे देश में पर्यावरण प्रदूषण के निराकरण के लिए सरकार ने कई कदम उठाए है, हमारी सरकार ने मध्य प्रदेश में प्रदूषण संस्थान की स्थापना की है जोकि प्रत्येक वर्ष सरकार को प्रदूषण संबंधी जानकारियां देंगी.

जो भी व्यक्ति या संस्थान प्रदूषण बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है उन पर सख्त कार्यवाही की जा रही है. वर्तमान में छोटे छोटे शहरों में भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे है. साथ ही प्रत्येक वर्ष वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाए जा रहे.

अगर हम सब भी पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए सहयोग करें तो वह दिन दूर नहीं जब पर्यावरण में संतुलन आ जाएगा और मानव जीवन के साथ साथ अन्य प्राणियों का जीवन भी खतरे से बाहर हो जाएगा.

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प्रदूषण पर निबंध 100, 150, 250 & 300 शब्दों में (10 lines Essay on Pollution in Hindi)

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प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – प्रदूषण के प्रति जागरूक होना इन दिनों सभी छात्रों के लिए काफी अनिवार्य है। आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया का एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए हर बच्चे को पता होना चाहिए कि मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण और प्रकृति पर कैसे प्रभाव छोड़ रही हैं। प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) यह विषय काफी महत्वपूर्ण है। और, स्कूली बच्चों को ‘ प्रदूषण निबंध पर (Pollution Essay in Hindi )’ सहजता से एक दिलचस्प निबंध लिखना सीखना चाहिए। नीचे एक नज़र डालें। 

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों में कुछ अवांछित तत्वों को मिलाने की क्रिया है।
  • 2) प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • 3) प्रकृति के साथ-साथ मानवीय गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • 4) प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगल की आग और ज्वालामुखी आदि हैं।
  • 5) प्रदूषण एक राष्ट्रीय नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या है।
  • 6) प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • 7) अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • 8) प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • 9) प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • 10) हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों और सौर पैनलों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण इन दिनों एक बड़ी समस्या बन गया है। तेजी से हो रहे औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण पर्यावरण जिसमें हवा, पानी और मिट्टी शामिल है, प्रदूषित हो गया है। वनों की कटाई और औद्योगीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, और इससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग। हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याओं, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन आदि का कारण बनता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और गंभीरता से लेना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 150 शब्द (Pollution essay 150 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – यह एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या है। जब पर्यावरण दूषित होता है तो प्रदूषण उत्पन्न होता है। पर्यावरण में तीन प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं। मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि।

प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण हैं, जैसे ईंधन वाहनों का अत्यधिक उपयोग, कृषि में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां और फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं। जल प्रदूषण जल को प्रदूषित करता है। ध्वनि प्रदूषण से बीपी की समस्या और सुनने की समस्या होती है। यह तनाव का कारण भी बनता है। मृदा प्रदूषण से फसलों के उत्पादन में कमी आती है, हमें इसे रोकना चाहिए। उत्पादन को भी बनाए रखने के द्वारा। औद्योगिक कचरे का उचित उपचार, वर्षा जल की आपूर्ति का भंडारण, प्लास्टिक उत्पादों को कम करना और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग करना।इस प्रकार के उपाय करके हम प्रदूषण पर भी नियंत्रण कर सकते हैं।

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प्रदूषण पर निबंध 250 शब्दों में – 300 शब्दों में (Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण कई अलग-अलग रूपों में होता है। यह पूरी दुनिया में एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। हवा, जमीन, मिट्टी, पानी आदि में कोई भी अप्रिय और अप्रिय परिवर्तन। प्रदूषण में योगदान देता है। ये सभी परिवर्तन रासायनिक, जैविक या भौतिक परिवर्तनों के रूप में हो सकते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले माध्यम को प्रदूषक कहते हैं।

दुनिया में प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। भारत में पर्यावरण की सुरक्षा और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बनाया गया कानून पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 है।

आइए हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों पर विस्तार से एक नज़र डालें:

वायु प्रदुषण

जब पूरा वातावरण आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों के कारण निकलने वाली हानिकारक जहरीली गैसों से भर जाता है, तो इससे वायु और पूरा वातावरण प्रदूषित होता है। इससे वायु प्रदूषण होता है।

यह प्रदूषण का एक और प्रमुख रूप है जो प्रकृति के लिए बहुत विनाशकारी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी के प्राकृतिक स्रोत दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं और इसने पानी को एक दुर्लभ वस्तु बना दिया है। दुर्भाग्य से, इन महत्वपूर्ण समय में भी, ये शेष जल स्रोत कई स्रोतों (जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कचरा निपटान आदि) से अशुद्धियों से दूषित हो रहे हैं, जो उन्हें मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त बनाता है।

कचरा प्रदूषण

जब लोग अपशिष्ट निपटान के उचित तंत्र का पालन नहीं करते हैं, तो इसका परिणाम कचरे का संचय होता है। यह बदले में कचरा प्रदूषण का कारण बनता है। इस समस्या का समाधान करने का एकमात्र साधन यह सुनिश्चित करना है कि अपशिष्ट निपटान के लिए एक उचित प्रणाली मौजूद है जो पर्यावरण को दूषित नहीं करती है।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण के पीछे सामान्य कारण उद्योग, योजनाओं और अन्य स्रोतों से आने वाली ध्वनि है जो अनुमेय सीमा से अधिक तक पहुँचती है। स्वास्थ्य और शोर के बीच एक सीधा संबंध है जिसमें उच्च रक्तचाप, तनाव से संबंधित आवास, श्रवण हानि और भाषण हस्तक्षेप शामिल हैं।

Pollution Essay से सबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

Q.1 प्रदूषण के प्रभाव क्या हैं.

A.1 प्रदूषण अनिवार्य रूप से मानव जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। यह हमारे द्वारा पीने वाले पानी से लेकर हवा में सांस लेने तक लगभग सभी चीजों को खराब कर देता है। यह स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है।

प्रश्न 2 प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है?

उ.2 हमें प्रदूषण कम करने के लिए व्यक्तिगत कदम उठाने चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे अपने कचरे को सोच समझकर विघटित करें, उन्हें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। इसके अलावा, जो कुछ वे कर सकते हैं उसे हमेशा रीसायकल करना चाहिए और पृथ्वी को हरा-भरा बनाना चाहिए।

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  • Essays in Hindi /

प्रदूषण पर निबंध

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  • Updated on  
  • अगस्त 21, 2023

Essay on Pollution in Hindi

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 2022 की रिपोर्ट के अनुसार 156 शहरों में तीन शहरों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही। बहुत खराब का मतलब है कि इन शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक रहा। जबकि 21 शहरों की हवा की क्वालिटी खराब श्रेणी में दर्ज की गई। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं जिसका जन्म विज्ञान से हुआ है जिसका परिणाम पूरी दुनिया को भुगतना पड़ रहा है। प्रदूषण का अर्थ है -प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना। प्रदूषण कई प्रकार का होता है, जिसका विस्तार से वर्णन Essay on Pollution in Hindi में किया गया है।

This Blog Includes:

प्रदूषण क्या होता है, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण, रेडियोएक्टिव प्रदूषण, थर्मल प्रदूषण, दृश्य प्रदूषण, एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या है, विश्व के सर्वाधिक प्रदूषण वाले शहर, प्रदूषण कम करने के उपाय, प्रदुषण पर निबंध 100 शब्द , प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 300 शब्द, प्रदूषण पर निबंध 500 शब्द , प्रदुषण पर उद्धरण.

प्रदूषण(संस्कृत शब्द: प्रदूषणम्) पर्यावरण में दूषक पदार्थों (कंटामिनेंट्स) के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में उत्पन्न होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषण पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुँचाते हैं।

pradushan par nibandh

प्रदूषण के प्रकार 

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जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते हैं, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है।

Pollution Essay in Hindi वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, इस प्रदूषण का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्त्रोतों से निकलने वाला हानिकारक धुआं लोगो के लिए सांस लेने में भी बाधा उत्पन्न कर देता है। दिन प्रतिदिन बढ़ते उद्योगों और वाहनों ने वायु प्रदूषण में काफी वृद्धि कर दी है। जिसने ब्रोंकाइटिस और फेफड़ो से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर दी है।

उद्योगों और घरों से निकला हुआ कचरा कई बार नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में मिल जाता है, जिससे यह उन्हें प्रदूषित कर देता है। एक समय साफ-सुथरी और पवित्र माने जानी वाली हमारी यह नदियां आज कई तरह के बीमारियों का घर बन गई है क्योंकि इनमें भारी मात्रा में प्लास्टिक पदार्थ, रासयनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के नान बायोडिग्रेडबल कचरे मिल गये है।

वह औद्योगिक और घरेलू कचरा जिसका पानी में निस्तारण नही होता है, वह जमीन पर ही फैला रहता है। हालांकि इसके रीसायकल तथा पुनरुपयोग के कई प्रयास किये जाते है पर इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नही होती है। इस तरह के भूमि प्रदूषण के कारण इसमें मच्छर, मख्खियां और दूसरे कीड़े पनपने लगते है, जोकि मनुष्यों तथा दूसरे जीवों में कई तरह के बीमारियों का कारण बनते है।

ध्वनि प्रदूषण कारखनों में चलने वाली तेज आवाज वाली मशीनों तथा दूसरे तेज आवाज करने वाली यंत्रो से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही यह सड़क पर चलने वाले वाहन, पटाखे फूटने के कारण उत्पन्न होने वाला आवाज, लाउड स्पीकर से भी ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्यों में होने वाले मानसिक तनाव का मुख्य कारण है, जोकि मस्तिष्क पर कई दुष्प्रभाव डालने के साथ ही सुनने की शक्ति को भी घटाता है।

प्रकाश प्रदूषण किसी क्षेत्र में अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे रोशनी उत्पन्न करने के कारण पैदा होता है। प्रकाश प्रदूषण शहरी क्षेत्रों में प्रकाश के वस्तुओं के अत्यधिक उपयोग से पैदा होता है। बिना जरुरत के अत्याधिक प्रकाश पैदा करने वाली वस्तुएं प्रकाश प्रदूषण को बढ़ा देती है, जिससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

रेडियोएक्टिव प्रदूषण का तात्पर्य उस प्रदूषण से है, जो अनचाहे रेडियोएक्टिव तत्वों द्वारा वायुमंडल में उत्पन्न होता है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण हथियारों के फटने तथा परीक्षण, खनन आदि से उत्पन्न होता है। इसके साथ ही परमाणु बिजली केंद्रों में भी कचरे के रुप में उत्पन्न होने वाले अवयव भी रेडियोएक्टिव प्रदूषण को बढ़ाते है।

कई उद्योगों में पानी का इस्तेमाल शीतलक के रुप में किया जाता है जोकि थर्मल प्रदूषण का मुख्य कारण है। इसके कारण जलीय जीवों को तापमान परिवर्तन और पानी में आक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है।

मनुष्य द्वारा बनायी गयी वह वस्तुएं जो हमारी दृष्टि को प्रभावित करती है दृष्य प्रदूषण के अंतर्गत आती है जैसे कि बिल बोर्ड, अंटिना, कचरे के डिब्बे, इलेक्ट्रिक पोल, टावर्स, तार, वाहन, बहुमंजिला इमारते आदि।

एयर क्वालिटी इंडेक्स को इंग्लिश में Air Quality Index AQI कहा जाता है जो कि एक इंडेक्स होता है। इसका इस्तेमाल सरकारी एजेंसियों द्वारा वायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए किया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि आम लोग वायु गुणवत्ता को लेकर जागरूक हो सकें। AQI लोगों को यह जानने में मदद करता है कि लोकल एयर क्वालिटी उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है।

Pollution Essay in Hindi में एक तरफ जहां विश्व के कई शहरों ने प्रदूषण के स्तर को कम करने में सफलता प्राप्त कर ली है, वही कुछ शहरों में यह स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। विश्व के सबसे अधिक प्रदूषण वाले शहरों की सूची में कानपुर, दिल्ली, वाराणसी, पटना, पेशावर, कराची, सिजीज़हुआन्ग, हेजे, चेर्नोबिल, बेमेन्डा, बीजिंग और मास्को जैसे शहर शामिल है। इन शहरों में वायु की गुणवत्ता का स्तर काफी खराब है और इसके साथ ही इन शहरों में जल और भूमि प्रदूषण की समस्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे इन शहरों में जीवन स्तर काफी दयनीय हो गया है। यह वह समय है जब लोगों को शहरों का विकास करने के साथ ही प्रदूषण स्तर को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है।

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हमें इस बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए प्रयास करने होंगे। इन दिए गए कुछ उपायों का पालन करके हम प्रदूषण की समस्या पर काबू कर सकते हैं-

  • पटाखों को ना कहिए
  • अपने आस-पास की जगहों को साफ-सुथरा रखकर
  • कीटनाशको और उर्वरकों का सीमित उपयोग करके
  • काम्पोस्ट का उपयोग किजिए
  • प्रकाश का अत्यधिक और जरुरत से ज्यादे उपयोग ना करके
  • रेडियोएक्टिव पदार्थों के उपयोग को लेकर कठोर नियम बनाकर
  • कड़े इंडस्ट्रियल नियम-कानून बनाकर

प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है। यह  पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित कर रहा है। प्रदूषण मुख्यतः 4  प्रकार का होता है  वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भू प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। वाहनो के बढ़ती संख्या की वजह से  हानिकारक और ज़हरीली गैसों का स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है  वही दूसरी और कारखाने और खुले में आग जलाना, वायु प्रदुषण के मुख्य कारण हैं। कारखानें भी  निर्माण प्रक्रिया के दौरान  कुछ विषाक्त गैसें, गर्मी और ऊर्जा रिलीज  करते  है वायु प्रदूषण इंसान और जानवरों में फेफड़ों के कैंसर सहित अन्य सांस की बीमारियां उत्पन्न कर रहीं हैं|

कारखानों, उद्योगो, सीवेज सिस्टम और खेतों आदि के हानिकारक कचरे का सीधे तौर पे नदियों, झीलों और महासागरों के पानी के मुख्य स्रोत में मिलाना  जल प्रदुषण का मुख्य कारण है। उर्वरक, कवकनाशी, शाकनाशी, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक यौगिकों के उपयोग के कारण भू  प्रदूषण होता है। भारी मशीनरी, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि, ध्वनि प्रदूषण के कारण है जो की सुनने की समस्याओ और कभी कभी बहरापन का कारण बनती हैं। प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है जिससे की हम एक स्वस्थ्य और प्रदुषण मुक्त वातावरण पा सके।

प्रदुषण पर निबंध 200 शब्द 

प्रदूषण का सीधा संबंध प्रकृति से मानते हैं, लेकिन यह सिर्फ किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं। यह कहावत हम सबने सुनी और पढ़ी है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं। इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी रक्षा तभी करेगी जब हम उसकी रक्षा करेंगे।

Essay on Pollution in Hindi 300 शब्दों में नीचे दिया गया है-

प्रदूषण कैसे होता है?

हम सभी को बचपन में एक बात ज़रूर बताई जाती है कि हमें ऑक्सीजन पेड़-पौधों से मिलती है। ऑक्सीजन की वजह से ही हम जिंदा रहते हैं और सांस लेते हैं। लेकिन इसके बाद भी वनों की कटाई के मामले लगातार से बढ़ रहे हैं और प्रदूषण के सभी प्रकारों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। प्रदूषण से हमारा तात्पर्य है कि हवा, पानी और मिट्टी का दूषित या खराब हो जाना, जो प्रदूषण को जन्म देता है।

प्रदूषण के नुकसान

आज प्रदूषण के कारण हरियाली, शुद्ध हवा, शुद्ध भोजन, शुद्ध जल आदि सभी चीज़ें अशुद्ध होती जा रही हैं। जिन जैविक और अजैविक घटकों से हमारे पर्यावरण का निर्माण होता है आज वो ही सबसे ज़्यादा खतरे में हैं। प्रदूषण से सबसे ज़्यादा नुकसान प्रकृति को हो रहा है। हवा, पानी और मिट्टी में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे गंदा और दूषित कर रहे हैं। इन्हीं तत्वों से प्रकृति और मनुष्य के साथ-साथ जानवरों, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों, नदियों, वनों, पहाड़ों आदि को भी हानि पहुँच रही है। प्रदूषण से मानव जीवन को गंभीर खतरे पैदा हो रहे हैं। हमने पर्यावरण को जो नुकसान पहुँचाया है, उस जल्द-से-जल्द सुधारते हुए हमें प्रदूषण को खत्म करना ही होगा।

प्रदूषण के कारण और बचाव

प्रदूषण के कई अलग-अलग कारण हैं, जिनमें पेड़ों की कटाई, बढ़ते उद्योग, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि शामिल हैं। प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है जनसंख्या का तेजी से बढ़ना। इन सभी कारणों की वजह से पिछले कई सालों में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। यह वायु, जल, मृदा, ध्वनि आदि सभी प्रकार के प्रदूषण को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। प्रदूषण से हमें भूकंप, बाढ़, तूफान आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना भी करना पड़ रहा है। प्रदूषण को कम करने के लिए हमें ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाने होंगे और अपने आसपास साफ-सफाई रखनी होगी। इन्हीं छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम प्रदूषण को कम करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।     

इस दुनिया में भूमि, वायु, जल, ध्वनि में पाए जाने वाले तत्व यदि संतुलित न हो तो पर्यावरण में असंतुलन बढ़ जाता है। और यह असंतुलन ही प्रदूषण मुख्य कारण बनता है। इस असंतुलन से इस पर होने वाली फसलें , पेड़ ,आदि सभी चीजों पर इसका असर पड़ता हैं।

इसके अलावा जो भी कचरा और कूड़ा करकट हम फेंकते हैं वह भी प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। अतः हम कह सकते हैं कि – “पर्यावरण के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई अवांछित परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य एवं अन्य जीवों पर पड़े या पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो प्रदूषण कहलाता है।”

 प्रदूषण के कारण 

  • बेकार पदार्थो की बढ़ती मात्रा और उचित  निपटान  के विकल्पों की कमी के कारण समस्या दिन प्रति  दिन बढ़ती जा रही है। कारखानों और घरों से बेकार उत्पादों को खुले स्थानों में रखा  और जलया  जाता है
  • जिससे  भूमि, वायु , जल , ध्वनि  प्रदूषित होते हैं| प्रदूषण विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण और प्राकृतिक कारणों के कारण भी होता है।
  • कीटनाशकों का  बढ़ता उपयोग, औद्योगिक और कृषि  के बेकार पदार्थो के निपटान के लिए विकल्पों की कमी, वनों की कटाई, बढ़ते शहरी करण, अम्लीय वर्षा और खनन इस प्रदूषण के मूल कारक  हैं।
  • ये सभी कारक कृषि गतिविधियों में बाधा डालते हैं और जानवरों और मनुष्यों में विभिन्न बीमारियों का कारण भी  बनते हैं। जनसंख्या वृद्धि भी   कारण है बढ़ते हुए प्रदूषण’ का |

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500 शब्दों

 प्रदूषण के सोर्स

  • घरेलू बेकार पदार्थ, जमा  हुआ  पानी, कूलर में पड़ा पानी, पौधों मे जमा पानी
  • रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट्स, हाइड्रोजन, साबुन, औद्योगिक एवं खनन के बेकार पदार्थ
  • गैसें जैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया आदि
  • उर्वरक जैसे- यूरिया, पोटाश 
  • पेस्टीसाइड्स जैसे- डी.डी.टी, कीटनाशी
  • जनसंख्या वृद्धि

प्रदूषण के परिणाम 

आज के समय की मुख्य चिंता है बढ़ता हुआ प्रदूषण। कचरा मैदान के आसपास दुर्गंध युक्त  गंध के कारण सांस लेना दुर्भर होता है। इसके आस पास का स्थान रहने लायक नहीं रहता। विभिन्न श्वास सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं। अपशिष्ट उत्पादों से छुटकारा पाने के लिए जब इन्हे जलाया जाता है तो वायु प्रदूषित होती है। अपशिष्ट  पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से त्वचा सम्बन्धी रोग,  विषाक्त पदार्थ विषैले जीव उत्पन्न करते हैं जो की जानलेवा रोगों के कारण बनते हैं, जैसे कि  मच्छर, मक्खियाँ व्इ त्यादि। कृषि खराब होती है और खाने पीने की वस्तुएँ खाने के लायक नहीं रहती। पीने का जल जो कि अमृत माना जाता था वह भी रोगो का साधन बन जाता है। ध्वनि जो की संगीत पैदा करती थी शोर बन कर मानसिक असंतुलन पैदा करती है। धरती पर ग्रीन कवच भी बहुत कम लगभग तीन प्रतिशत ही बच है जो कि चिन्तनीय है।  

प्रदूषण को रोकने के उपाय

  • बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का उपयोग करें। क्योंकि बायोडिग्रेडेबल कचरे का निपटान करना आसान है।
  • भोजन कीटनाशकों के उपयोग के बिना उगाया जाए, जैविक सब्जियां और फल उगाए जाए। 
  • पॉली बैग और प्लास्टिक के बर्तनों और वस्तुओं के उपयोग से बचें। क्योंकि किसी भी रूप में प्लास्टिक का निपटान करना मुश्किल है।
  • कागज़ या कपड़े की थैलियों का उपयोग करें ।
  • अलग-अलग डस्टबिन में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग निपटाने से कचरा अलग हो जाता है। भारत सरकार ने पहले ही इस अभियान को शुरू कर दिया है और देश भर के विभिन्न शहरों में विभिन्न क्षेत्रों में कई हरे और नीले डस्टबिन लगाए गए हैं।
  • कागज़  उपयोग को सीमित करें। कागज़ बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष कई पेड़ काटे जाते हैं। यह प्रदूषण का एक कारण है। इसके उपाय के लिए डिजिटल प्रयोग अच्छा विकल्प  है।
  • पुन: उपयोग योग्य डस्टर और झाड़ू का उपयोग करें।
  • प्रदूषण  हानि पहुँचाता है अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के  इस बारे में जागरूक करें ।
  • घरों का कचरा बाहर खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
  • खनिज पदार्थ्   भी सावधानी  से प्रयोग करने चाहिए  ताकि  भविष्य के लिये भी प्रयोग किये ज। सके ।
  • हमें वायु को भी कम दूषित करना चाहिए और अधिक से अधिक पेड पौधे  लगाने चाहिये  ताकि अम्लीय वर्षा को रोका जा सके ।
  • यदि  हम बेहतर जीवन जीन| चाहते  हैं और वातवरन मे  शुध्ध्ता चाहते  हैं वनो को सरन्क्षित  करना  होगा  |
  • हमें ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए जिन्हें हम दोबारा से प्रयोग में ला सके। 

निष्कर्ष 

प्रदूषण एक प्रकार का धीमा जहर है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य वरन् जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा-गलाकर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही  प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं।

यदि इसी तरह से प्रदूषण फैलता रहा तो जीवन बहुत ही कठिन हो जायेगा, न खाने को कुछ मिलेगा और सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं बचेगी, प्यास बुझाने के लिए पानी ढूंढने से नहीं मिलेगा, जीवन बहुत ही असंतुलित होगा | ऐसी परस्थितियो से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की और कदम बढ़ाने होंगे। जीवन आरामदायक बनाने की अपेक्षा उपयोगी बनाना होगा  कर्तव्यपरायणता की ओर कदम बढ़ने होंगे। 

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500 शब्दों

प्रदूषण दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण को नष्ट करते जा रहा है। इसे रोकने के लिए हमें जरुरी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि हमारी इस पृथ्वी की खूबसूरती बरकरार रह सके। यदि अब भी हम इस समस्या का समाधान करने बजाए इसे अनदेखा करते रहेंगे, तो भविष्य में हमें इसके घातक परिणाम भुगतने होंगे।

  • “हम सब मिलकर प्रदूषण को मिटाएंगे, और अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाएंगे।।
  • आओ मिलकर कसम ये खाये, प्रदुषण को हम दूर भगाये।
  • “प्रदूषण को रोकने में दे सभी अपना सहयोग, और प्लास्टिक का बंद करें उपयोग।
  • शर्म करो-शर्म करो करोड़ो रुपये पटाखों पर बर्बाद मत करो-मत करो।
  • “प्रदूषण का यह खतरनाक जहर, लगा रहा है पर्यावरण पर ग्रहण।
  • प्रदूषण हटाओ, पर्यावरण बचाओं।
  • “प्रदूषण की समस्या एक दीमक की तरह है, जो पर्यावरण को धीरे-धीरे खोखला बनाती जा रही है।।
  • हम सब की है ये जिम्मेदारी, प्रदूषण से मुक्त हो दुनिया हमारी।

इसके कारण नदियों व समुद्रों मे जीव-जंतुओं की ऑक्सीजन की कमी होने व जहरीला पानी होने के कारण मृत्यु हो जाती है। रासायनिक खादों और कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करने शहरी गंदगी तथा कूड़ा-करकट को खुला फेंकने, कल-कारखानों का अपशिष्ट पदार्थ व रसायनों को भूमि पर फेंकने से भूमि प्रदूषण होता है।

ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, धूल के कण, वाष्प कणिकाएं, धुंआ इत्यादि वायु प्रदूषण का मुख्य कारक हैं।

कारखानों, रेलगाड़ियों तथा शक्ति स्थलों द्वारा कोयला अथवा अशुद्ध तेल के जलने, स्वचालित वाहनों तथा घरेलू ईंधनों के रूप में पेट्रोलियम पदार्थों, कोयला, लकड़ी आदि के जलने से निकलने वाले धुएँ और अशुद्ध गैसें, सीवर तथा नालियों से निकलने वाली दुर्गंध, कीटनाशकों तथा उर्वरकों की निर्माण प्रक्रिया से उत्पन्न विषैली गैसें, परमाणु हथियारों के परीक्षण तथा विस्फोट से उत्पन्न जहरीले पदार्थ एवं गैसें आदि वायु प्रदूषण के प्रमुख घटक हैं।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध: Pollution Essay (Long & Short) in Hindi

Pollution Long & Short Essay in Hindi : प्रकृति और मनुष्य का संबंध प्राचीन काल से चला आ रहा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षो से मनुष्य ने प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ने मे कोई कसर नहीं छोड़ रखी है। कल कारखानों और उद्योगों का विकास, जनसंख्या वृद्धि और पेड़ों का निरंतर कटाव प्रदूषण को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे है। कारखानो से निकलने वाले धुएं से नदियों के जल दूषित हो रहे है। और जंगलो की अंधा धुंध कटाई के कारण जीव जंतु समाप्त होते जा रहे है। मानवता को प्रदूषण पर रोक लगानी चाहिए। आज हमने नीचे प्रदूषण की समस्या पर बड़ा (1300 Word) और छोटा (10 Line) निबंध लिखा है जिसे छात्र किसी भी Class के लिए Essay या Speech के तौर पर इस्तेमाल कर सकते है।

Table of Contents

प्रदूषण का अर्थ और प्रकार

वायु प्रदूषण (air pollution), जल प्रदूषण (water pollution), धवनि प्रदूषण (noise pollution), भूमि प्रदूषण (land pollution), पर्यावरण प्रदूषण की समस्या का समाधान, प्रदूषण पर दस लाइन : 10 line short essay on pollution, प्रदूषण पर निबंध: essay on pollution in hindi.

प्रदूषण पर निबंध Pollution Essay in Hindi

मानव जाति ने अपनी सुख सुविधाओ और प्रकृति पर विजय पाने के लिए प्रकृति का संतुलन बिगाड़ना आरंभ किया। प्रकृति पर अत्याचार करने का दंड मानव जाति को विभिन्न प्रकार के रोगों के रूप मे मिला। जब सृष्टि का निर्माण हुआ तब मनुष्य और प्रकृति एक साथ थी। उस काल में कोई रोग मानव को परेशान नही करता था। परंतु आज के इस दौर में धीरे धीरे प्रकृति का संतुलन मानव जाति के हाथो से बिगड़ता गया और अनेक रोगों का जन्म होने लग गया। आज विज्ञान ने कई ऐसे उद्योगों , कारखानो और साधनों का निर्माण किया है जिससे प्रकृति के तत्वों मे विकार पैदा हो गए है। प्रकृति के हर तत्वों मे विकार पैदा करके मानव जाति ने अपने आप के लिए ही मुसीबत पैदा कर ली है।

पृथ्वी के वायु, जल और आवरण आदि में गतिशील बदलाव को पर्यावरण कहा गया है। प्रकृतिक संतुलन इसी से बना हुआ है। मानव शरीर को समय समय पर शुद्ध पेय जल और शुद्ध वायु की आवश्यकता होती है। मानव के कान सीमित धवनि सुन सकते है। इसके अलावा अन्य सभी इंद्रियाँ सीमित अनुभूति का अहसास करती है। परंतु अगर उनमे विकार पैदा हो जाता है तो वह हमारे लिए प्रदूषण साबित होता है।

प्रकृतिक से मिले अनमोल उपहारों मे वैज्ञानिक अविष्कारों ने भी कई विकार पैदा कर दिए है। जिससे हमारे जीवन मे हर रोज काम आने वाली हवा, पानी आदि सब प्रदूषित होने लग गए है। अधिक तेज रोशनी आँखों को और अधिक तेज आवाज़ हमारे कानों को हानि पहुँचती है। धीरे- धीरे वायु, ध्वनी , जल आदि सब दूषित होता जा रहा है।

आज प्रदूषण इतना बड़ा रूप लेकर मानव जाति के सामने आ गया है कि वह एक विषम और भयंकर समस्या बन गया है। वायु, जल, भूमि आदि को तेज़ी से दूषित करने की क्रिया को प्रदूषण कहते है। प्रदूषण हमारे सामने कई तरह से आ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रकार है जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, धवनि प्रदूषण और भूमि प्रदूषण।

प्रकृति ने वायु को बिल्कुल साफ बनाया था। परंतु आजकल यातायात के साधनों मे इतनी वृद्धि हुई है कि वे हर समय जहरीला धुआ छोड़ते है। जो वायुमंडल को दूषित बना देते है। कारखानों और उद्योग धंधों के विकास ने तो प्रदूषण को इतना बढ़ा दिया है कि सासँ लेने मे भी कठिनाई आने लग गई है। हमारे शरीर में आक्सीजाँन की मात्रा कम होती जा रही है शाम के समय बड़े बड़े महानगरो मे इतना प्रदूषण फैल जाता है कि चारो ओर धुआँ धुआँ नज़र आता है। जिससे हमारी आँखों मे जलन होती हैं और आँखे कई प्रकार के रोगों से प्रभावित हो जाती है।

वायु प्रदूषित होने से सांस के रोगियों की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है फेफड़ों के रोग और आँखों के खराब होने की समस्या भी पनपती जा रही है। प्रकृति द्वारा दिये गए इतने महत्वपूर्ण उपहार को मानव ने इतना बिगाड़ दिया है कि आज ये एक समस्या बनकर सामने आ गयी है। इस बढ़ते हुए वायु प्रदूषण के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक भी चिंतित है।

जल के रूप में प्रकृति ने हम एक अनमोल उपहार दिया है, जल को जीवन की संज्ञा दी गई है किंतु आज जल मलिन एवम विशुद्ध हो गया है। जो हमारे शरीर में अनेको बीमारियों को फैला रहा है। जल एक ऐसा महत्वपूर्ण हिस्सा है ।जिसके बिना मानव जाति का जीवन मुमकिन नहीं। बिना पानी पिए इंसान ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह सकता।

नदी, नहर और तालाब आदि जल के प्रमुख स्त्रोत है जो हमारे दैनिक कार्यो को पूरा करने मे हमारी सहायता करते है। किंतु आज के समय मे हमारी नदियों में विशुध् जल बह रहा है, धरती के नीचे प्रदूषित जल इकट्ठा किया हुआ है। प्रकृति के सभी जल स्त्रोत मनुष्य के लिए नितांत दूषित बने हुए हैं। परंतु वाह रे स्वर्थी इंसान तूने जल को भी शुद्ध नही रहने दिया।

नदियों मे शहरो और नगरों का गंदा पानी नालो द्वारा प्रवाहित किया जाता है। कारखानों का जल नदियों में डाला जाता है। इस कारण से नदियों का पानी इतना दूषित हो गया है कि बिना साफ किये पिया नही जा सकता।

विज्ञान के ध्वनी प्रसारण आविष्कार लाउडस्पीकर ने धवनि को प्रदूषित करने मे सहायता दी। रेलगाड़ियों, बसो, कारों व अन्य साधनों हॉर्न से निकलने वाली तेज़ धवनियो ने बहुत अधिक धवनि प्रदूषण पैदा किया है। शहरो मे अनेकों ऐसे यत्र है जिनमे से बहुत ही तेज आवाज़ निकलती है। सुबह शाम मंदिरों, मस्जिदो , गुरुद्वारो मे से बड़ी जोर से आवाज़ आती है जिससे भी धवनि प्रदूषण होता है। इसका प्रभाव हमारे कानों पर पड़ता है।

धवनि प्रदूषण से हमारे शरीर के कोमल तंतु प्रभावित होते है। इस कारण हम मे सुनने की शक्ति कम होती जा रही है। और सिर्फ कान ही नही बल्कि और भी कई प्रकार की बीमारियों ने शरीर को घेर लिया है जैसे सिर दर्द व भारीपन बना रहता है। नींद कम आने लग गयी है अनिंद्रा की बीमारी हो गयी है उच्च रक्तचाप आदि रोग होने लग गए है। इस प्रकार धवनि प्रदूषण से कई प्रत्यक्ष और प्रोक्ष रोग पैदा हो रहे है।

जल, वायु, और धवनि प्रदूषण के साथ साथ भूमि प्रदूषण भी अब एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। वैज्ञानिक उन्नति और उद्योग धंधो के कारण भूमि प्रदूषण की समस्या भी निरंतर बढती जा रही है जो आगे चलकर एक विकराल रूप ले सकती है। कारखानो के कचरे और गंदे पानी और रासायनिक कूड़े से तेज़ी से भूमि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। प्लास्टिक की थैलियों का जोर शोर से हो रहे प्रयोग से भी भूमि प्रदूषण तेज़ी से बढ़ा है।

आज के समय में सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण की हो रही है। जिसके कारण हर वस्तु दूषित होती जा रही है। वायु प्रदूषण को रोकना अति आवश्यक है। यदि हम वायु प्रदूषण को रोकने के प्रयास नही करेंगे तो ये सम्पूर्ण मानव जाती के लिए विनाशकारी साबित होगा। वायु प्रदूषण को रोकने हेतु सबसे पहले कदम प्रकृति के श्रृंगार सवरूप पेड़ों की कटाई पर रोक होना चाहिए।

वृक्ष मानव जाति के सबसे बड़े मित्र होते है, पेड़ पौधे निरंतर वायुमंडल को साफ करते रहते है। इसलिए हमें अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिए। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पेट्रोल और डीजल पर चलने वाले वाहनों के वजह इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर देना चाहिए। उद्योग धंधो और कारखानों को शहर और बस्तियों से दूर स्थापित किया जाना चाहिए। जल प्रदूषण कम करने के लिए गंदे पानी वाले नालो को नदियों के बजाय खेतो या दूसरे क्षेत्रो में मिलाना चाहिए। धवनि प्रसारण यत्रो की धवनि को कम करना या उन पर रोक लगाने से ध्वनी प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

आज के युग मे हर मनुष्य को अपने अपने स्थान पर प्रदूषण को रोकना चाहिए। मानव के लिए शुद्ध जल, शुद्ध वायु , शुद्ध भोजन, और शुद्ध मौसम अनिवार्य तत्व है। हम भी हर रोज अपने दैनिक जीवन के स्वार्थ के लिए प्रदूषण बढ़ाने में सहायक होते है। आज के इस दौर मे बढ़ते हुए प्रदूषण को देखते हुए हम सब को अपनी सामर्थ्य के अनुसार पैड लगाने चाहिए। बिना किसी जरूरत के वृक्ष नहीं काटने चाहिए। गंदगी को साफ रखने का प्रयास करना चाहिए।

  • पृथ्वी के आवरण वायु, जल आदि में परिवर्तन पर्यावरण कह लाता है।
  • प्रकृति ने हमे बहुत से अनमोल उपहार दिये है जिसमे जल, वायु आदि शामिल है।
  • आज पर्यावरण को मानव द्वारा दूषित किया जा रहा है। हमे इस पर रोक लगानी चाहिए।
  • पर्यावरण को साफ रखने के लिए वातावरण को स्वच्छ रखना चाहिए।
  • जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाकर भी हम पर्यावरण को दूषित होने से बचा सकते हैं।
  • मनुष्य को पर्यावरण की खातिर प्लास्टिक के थैलो का उप्योग कम करके काग़ज़ से बने लिफ़ाफ़ों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • अपने आस पास के स्थानों में अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चहिये।
  • पर्यावरण के हित के लिए वृक्षों की हो रही अनआवश्यक कटाई को रोकना चाहिए।
  • धवनि प्रसारण के यत्रो की धवनि कम करनी चाहिए और अगर कोई इस बात का पालन ना करे तो उस पर जुर्माना लगाया जाना चाहिये।
  • कारखानों को आबादी से दूर स्थापित किया जाना चाहिए। इससे भी प्रदूषण की समस्या को कम करने में काफी हद्द तक मदद मिलती है।

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प्रदूषण पर निबंध – Essay On Pollution in Hindi

आजकल की तेजी से बढ़ती जनसंख्या और विकास की दिशा में हो रहे प्रयासों के साथ-साथ, प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है। हमारे पर्यावरण, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता पर इसका दुष्प्रभाव हो रहा है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम प्रदूषण पर 10 महत्वपूर्ण पंक्तियाँ देखेंगे और 100, 250 और 500 शब्दों के 3 प्रदूषण पर निबंध / पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध पढ़ेंगे।

प्रदूषण पर 10 लाइन – 10 Lines on Pollution in Hindi

  • प्रदूषण मानव गतिविधियों के कारण बढ़ रहा है।
  • वायु, जल, मिट्टी, ध्वनि और प्रकाश प्रदूषण के प्रमुख प्रकार हैं।
  • वायु प्रदूषण श्वासन रोगों का कारण बनता है।
  • जल प्रदूषण समुद्री जीवन को प्रभावित करता है।
  • मिट्टी प्रदूषण फसलों की नरकटी उर्वरता को कम करता है।
  • ध्वनि प्रदूषण मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
  • प्रकाश प्रदूषण नैसर्गिक संतुलन को बिगाड़ता है।
  • प्रदूषण के कारण जलवायु परिवर्तन बढ़ रहा है।
  • औद्योगिकीकरण प्रदूषण का मुख्य कारण है।
  • हम सभी को प्रदूषण को कम करने के लिए सहयोग करना चाहिए।

प्रदूषण पर निबंध - 10 Lines on Pollution Essay

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में – Easy Essay on Pollution in 100 Words

Pollution / प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जो हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। यह विभिन्न प्रकारों में होता है जैसे कि वायु, जल, मिट्टी, ध्वनि, और प्रकाश प्रदूषण। यह मानव गतिविधियों के द्वारा उत्पन्न होता है, जैसे कि उद्योग, वाहन, और बढ़ती जनसंख्या। इसके कारण हमारा पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ रहा है और जीवों के लिए खतरा बढ़ रहा है। हमें प्रदूषण को कम करने के लिए सामाजिक जागरूकता बढ़ानी चाहिए और स्वच्छता के प्रति जागरूक होना चाहिए।

250 शब्दों में प्रदूषण निबंध – 250 Words Pollution Essay

प्रदूषण आजकल की एक गंभीर समस्या है जो हमारे पर्यावरण और स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है। यह वायु, जल, मिट्टी, ध्वनि, और प्रकाश के रूप में प्रकट होता है। वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले नाकारात्मक गैसों का प्रसार है, जो वायुमंडल में प्रदूषण का कारण बनती हैं। यह गैसें हमारे वायुमंडलीय संरक्षण को नुकसान पहुंचाती हैं और उष्मागति में वृद्धि करके जलवायु परिवर्तन को तेज करती हैं।

जल प्रदूषण समुद्री जीवन को प्रभावित करता है और उचित जलवायु सिस्टम को प्रभावित करके सामाजिक और आर्थिक असंतुलन उत्पन्न करता है। मिट्टी प्रदूषण के कारण खेती में कमी आती है और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित होती है। ध्वनि प्रदूषण जीवन की गुणवत्ता को कम करता है और मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है।

प्रकाश प्रदूषण का कारण है अत्यधिक विद्युतीकरण और असुरक्षित प्रकाश स्रोतों का उपयोग। यह नैसर्गिक संतुलन को प्रभावित करता है और वायुमंडलीय परिवर्तन को तेज करता है।

समाधान: प्रदूषण को कम करने के लिए हमें ऊर्जा संरक्षण के माध्यम से प्रदूषण नियंत्रण को अपनाना चाहिए, स्वच्छता के अभ्यास का समर्थन करना चाहिए और स्व च्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना चाहिए।

Also Read – नवीकरणीय ऊर्जा पर निबंध (Essay on Renewable Energy in Hindi)

500 शब्दों में प्रदूषण पर निबंध – 500 Words Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण एक विकट चुनौती बनकर उभरा है जो हमारे पारिस्थितिकी तंत्र और मानव कल्याण के संतुलन को खतरे में डालता है। यह निबंध प्रदूषण के बहुमुखी पहलुओं पर प्रकाश डालता है, जिसमें इसके प्रकार, कारण, प्रभाव, संभावित समाधान, व्यक्तिगत जिम्मेदारी और जागरूकता बढ़ाने का महत्व शामिल है।

प्रदूषण विभिन्न रूपों में मौजूद है, जिनमें वायु, जल, मिट्टी, ध्वनि और प्रकाश प्रदूषण सबसे प्रमुख हैं। प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण की अपनी अनूठी विशेषताएं और प्रभाव होते हैं, जो औद्योगिक उत्सर्जन के कारण वायु की गुणवत्ता में गिरावट से लेकर अनुपचारित अपशिष्ट निर्वहन के माध्यम से जल निकायों को दूषित करने तक फैले हुए हैं। ध्वनि प्रदूषण शहरी जीवन की शांति को बाधित करता है, जबकि अत्यधिक कृत्रिम प्रकाश प्रकाश प्रदूषण में योगदान देता है, जो पर्यावरण और मानव सर्कैडियन लय दोनों को प्रभावित करता है।

प्रदूषण के कारण आधुनिकीकरण और तीव्र औद्योगिक विकास के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं। ऊर्जा के लिए जीवाश्म ईंधन का अत्यधिक जलना, वाहन उत्सर्जन, अनुचित अपशिष्ट निपटान और कृषि में रसायनों का अंधाधुंध उपयोग कुछ मुख्य दोषी हैं। ये मानवीय गतिविधियाँ हवा, पानी और मिट्टी में हानिकारक प्रदूषक छोड़ती हैं, जिससे कई प्रकार के हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं।

Representative Image for Pollution

प्रदूषण के प्रभाव दूरगामी और महत्वपूर्ण हैं। वायु प्रदूषण स्वास्थ्य संबंधी जोखिम पैदा करता है, श्वसन संबंधी बीमारियों और हृदय संबंधी समस्याओं में योगदान देता है। जल प्रदूषण जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डालता है और पीने के पानी के स्रोतों को प्रदूषित करता है, जिससे जलजनित बीमारियाँ होती हैं। मृदा प्रदूषण कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करता है। ध्वनि प्रदूषण मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है और प्राकृतिक श्रवण वातावरण को बाधित करता है। प्रकाश प्रदूषण वन्यजीवों और मानव दोनों की नींद के पैटर्न में खलल डालता है, जिससे रात के आकाश की सुंदरता कम हो जाती है।

प्रदूषण से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन से वायु प्रदूषण में काफी कमी आ सकती है। उद्योगों के लिए कड़े उत्सर्जन मानक और टिकाऊ परिवहन विकल्पों को बढ़ावा देने से वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सकता है। उचित अपशिष्ट प्रबंधन और सीवेज उपचार सुविधाओं के कार्यान्वयन से जल और मिट्टी प्रदूषण से निपटने में मदद मिल सकती है। शहरी नियोजन और शोर कम करने के उपाय ध्वनि प्रदूषण को कम कर सकते हैं। प्रकाश का जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग प्रकाश प्रदूषण को कम कर सकता है।

व्यक्तिगत जिम्मेदारी

प्रदूषण को रोकने में व्यक्तिगत जिम्मेदारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाना, ऊर्जा की खपत को कम करना, प्लास्टिक के उपयोग को कम करना और रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देना सामूहिक रूप से महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। दैनिक जीवन में सचेत विकल्प चुनकर, व्यक्ति प्रदूषण के स्तर को कम करने और भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण को संरक्षित करने में योगदान दे सकते हैं।

प्रदूषण के परिणामों और निवारक उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। शैक्षिक पहल, सार्वजनिक अभियान और सामुदायिक भागीदारी लोगों को प्रदूषण की गंभीरता को समझने और कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करने में सशक्त बना सकती है। सरकारों, उद्योगों और व्यक्तियों को टिकाऊ प्रथाओं को लागू करने, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाने और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने वाली नीतियों का समर्थन करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

प्रदूषण के दूरगामी प्रभाव हमें इस्पे तत्काल ध्यान देने और ठोस कार्रवाई करने की मांग करते हैं।  इसके विभिन्न रूपों को जानकर, कारणों की पहचान करके, प्रभावों को समझकर और प्रभावी समाधान अपनाकर हम एक स्वच्छ और स्वस्थ ग्रह का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। हमारे पर्यावरण के जिम्मेदार प्रबंधकों के रूप में, यह हमारा कर्तव्य है कि हम प्रदूषण के प्रभाव के बारे में जागरूकता फैलाएँ। सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से, हम एक स्थायी भविष्य की दिशा में काम करें जहाँ प्रदूषण कम से कम हो और हमारे ग्रह की सुंदरता आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित रहे।

  • जल प्रदूषण पर निबंध
  • ध्वनि प्रदूषण पर निबंध
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प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English : Pollution Essay In Hindi: Air, earth, water, Soil are important elements of life on earth.

but in the present world Pollution is a global problem. its rising day by day by our cause and their bedside effects face our upcoming generation.

pradushan par nibandh in this 150, 200, 250, 300, 500, 800 and 1000 words Essay On Pollution for students and kids.

they read in class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 talking about Essay On Pollution In Hindi And English language for free and you can download this Pollution in India essay pdf file.

let us begin Pollution In Hindi in our second part of the paragraph before this read  Pollution essay English.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English

Introduction- by the term pollution, we mean the rotten stage or the destruction of the purity of some things.

these days, it is mainly used for the pollution of natural environment i.e Earth, water, noise and Air.

Main Cause Of pollution In our Life

water pollution-  wastage of oil refineries and atomic plants is dumped into the rivers and the seas. nearly the wastage and leftover of all of our mills and factories is drained into the river.

dirty water containing fifth form our houses add to the pollution. this water lacks oxygen. thus the river water is polluted and the fish and allied creatures living in the water die away.

air pollution-

we Along with other living beings pollute the air when we outhale our breathing.

the smoke coming out of the Chemical of factories, mills, workshops, hearths and airways system modern navigate the system, generator sets, railway engines ass to it. like other persons you also must be owning a vehicle.

the smoke coming out of their silencers make matter from bad to worse. dr. vibes have written that every year nearly sixty-ton carbon goes up and gathers in the atmosphere.

the air pollution may cause lungs cancer, asthma and other slow dangerous directly concerned out system.

nitrogen oxide cause diseases of lungs, hearts, skin, and eyes. ozone cause pain chest, cough, and eye disease. even sometimes non-curable skin diseases are caused by it.

noise pollution-  the roaring vehicles, thundering machines and allied loud sound cause noise pollution.

dr. vibasi has observed that the noise of 95 decibels may increase systolic blood pressure and diastolic blood pressure up to 7 ml. and 3 ml. respectively.

Earth pollution – discharge of urine and excreta as well as spitting here and there, throwing the garbage on streets instead of putting in the dustbin,

the blowing of wind full of garbage, dirt and sand, the falling of garbage in bites here and there from the overloaded municipal carts and trucks add to earth pollution.

Pollution Solution-  it is our duty to use water carefully according to our needs so that the least possible water be polluted.

instead of falling the polluted water into rivers and seas, it should be stored in the barren piece of land away from the populated area.

the use of fuel given out smoke should be minimized. the engine’s such a way as the pollution exhaust be negligible.

machinery bearing the I.S.I. mark of trusted firms should be brought into use to reduce noise pollution.

in the context of earth pollution, human waste should be kept in the dustbin. for spitting, bathing and discharging etc. only proper places should be used.

प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi

सामान्य अर्थ में प्रदूषण का अर्थ बर्बाद तथा किसी भी वस्तु के बिगड़े हुए स्वरूप को कहा जाता है. जिसके कारण उस वस्तु के मौलिक तत्वों का विनाश हो जाता है. विभिन्न प्रकार के ये प्रदूषण आज मुख्य रूप से विद्यमान है. भूमि प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि.

प्रदूषण का के मुख्य कारण

जल प्रदूषण-

तेल रिफाइनरियों और परमाणु संयंत्रों से निकलने वाले जल व अपशिष्टों को नदियों और समुद्रों में फेंक दिया जाता है। लगभग सभी मिलों और कारखानों का अपशिष्ट और बचे हुए नदी को नदी में निकाला जाता है।

इसके अतिरिक्त घरों से निकलने वाले नाले भी इन जल स्रोतों में मिला दिया जाता है, जिससे जल प्रदूषित हो जाता है तथा उसमें रहने वाले जलीय जीव मर जाते है.

वायु प्रदुषण-

कल कारखानों, मीलों, वाहनों तथा हवाई जहाजो से निकलने वाला धुआं हमारे वायु मंडल को दूषित करता है. किसी बाहरी कारक के कारण वायु के भौतिक तत्वों में बदलाव आना ही वायु प्रदूषण कहलाता है. मुख्य रूप से धुआ सबसे अधिक वायु प्रदूषण को फैलाता है.

पुराने तथा डीजल से चलने वाले वाहन सबसे अधिक प्रदूषण फैलाते है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि हर साल लगभग साठ टन कार्बन ऊपर जाता है और वातावरण में इकट्ठा होता है। वायु प्रदूषण फेफड़ों के कैंसर, अस्थमा जैसे रोग वायु प्रदूषण के फलस्वरूप फैलते है.

नाइट्रोजन ऑक्साइड फेफड़ों, दिल, त्वचा, और आंखों की बीमारियों का कारण बनता है। ओजोन छाती में दर्द , खांसी, और आंख की बीमारी का कारण बनती है।

ध्वनि प्रदूषण-

तेज गर्जन करने वाले वाहन, वातानुकूलित मशीनों और जनरेटर से निकलने वाली कर्णकटू ध्वनि ही ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती है। डॉ। विबासी ने लिखा है कि 95 डेसिबल का शोर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर को क्रमशः 7 मिलीलीटर, 3 मिलीलीटर तक बढ़ा सकता है।

भूमि प्रदूषण –

मूत्र और उत्सर्जन के निर्वहन के साथ-साथ यहां-वहां थूकने, कूड़े करकट को कचरापात्र  में डालने की बजाए सड़कों पर कचरा फेंकना, गंदगी और रेत से भरी हवा चलने, इधर उधर कचरा डालना ओवरलोडेड नगरपालिका गाड़ियां और ट्रक भूमि प्रदूषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्रदूषण की समस्या का समाधान-

हमारी जरूरतों के हिसाब से पानी का सावधानीपूर्वक उपयोग करना हमारा कर्तव्य है ताकि कम से कम जल प्रदूषित हो। प्रदूषित पानी को नदियों और समुद्रों में गिरने के बजाय, इसे आबादी वाले इलाके से दूर भूमि के बंजर भाग में प्रवाहित करना चाहिए।

अधिक प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन के उपयोग को कम किया जाना चाहिए। समय समय पर अपनी गाडी के इंजन की मरम्मत करवानी चाहिए.

नई बिल्डिंग अथवा फैक्ट्री को आबादी से दूर तथा शौर को कम करने वाले संयंत्रो का उपयोग करना चाहिए. कचरा हमेशा कचरा पात्र में ही डाले. गंदे पानी को जल स्रोतों में कभी न डाले, यदि ऐसा कोई करता है तो इसकी शिकायत करे.

  • वायु प्रदूषण पर निबंध
  • जल प्रदूषण पर निबंध
  • पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

उम्मीद करता हूँ दोस्तों प्रदूषण पर निबंध Essay On Pollution In Hindi And English का यह निबंध आपको पसंद आया होगा. यदि आपको प्रदूषण पर हिंदी और इंग्लिश में दिया गया निबंध पसंद आया हो तो अपने फ्रेड्स के साथ जरुर शेयर करें.

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

इस लेख में हिंदी में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) को सरल शब्दों में लिखा गया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के कारण, इसके कुल प्रकार, प्रभाव तथा पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

यह निबंध स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए हमने लिखा है। इसमें हमने –

  • प्रदुषण क्या है?
  • इसके कितने प्रकार हैं?
  • प्रदुषण के स्रोत और कारण क्या-क्या हैं?
  • इसके बुरे प्रभाव क्या हैं?
  • और पर्यावरण प्रदुषण के समाधान के विषय में बताया है

Table of Content

सभी कक्षा के बच्चे इस प्रदुषण पर निबंध (Essay on Pollution) लेख को अपने अनुसार लघु और लंबा बना कर लिख सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है? What is Environmental Pollution in Hindi?

पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution) का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। यानि की ऐसे माध्यम जिनके कारण हमारा पर्यावरण दूषित होता है। इसके प्रभाव से मनुष्य और प्राकृतिक दुनिया को ना भुगतना पड़े उससे पहले हमें इसके विषय में जानना और समझना होगा।

मुख्य प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, ऊष्मीय प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण।

पर्यावरण वह आवरण होता है, जिसमें समस्त सजीव सृष्टि निवास करती है। पर्यावरण को दूषित करने के परिपेक्ष में प्रदूषण शब्द प्रयोग किया जाता है। 

प्रदूषण  प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाला वह दोष है, जिसके वजह से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण में होने वाले अवांछनीय बदलाव जिससे प्रकृति सहित समस्त जीवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, उसे प्रदूषण कहते हैं।

सजीवों के विकास के लिए पर्यावरण का शुद्ध और संतुलित बने रहना बहुत जरूरी होता है। लेकिन ऐसे कारकों की सूची दिन-ब-दिन लंबी होती जा रही है, जो पर्यावरण प्रदूषण को फलने में मदद कर रहे हैं। 

विभिन्न कारणों की वजह से प्रदूषण अपना स्तर बढ़ा रहा है, जिससे पूरे विश्व को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण Causes of Environmental Pollution in Hindi

जंगलों का दोहन destruction of forests.

घने जंगलों को काट कर मानव बस्ती से कुछ दूरी पर जो बड़े-बड़े कारखाने बनाए जाते हैं, उनसे निकलने वाले जहरीले धुएं और गंदा पानी भी प्रदूषण को बढ़ाने में उतना ही जिम्मेदार है। 

जिस प्रकृति ने अब तक हमें जीवंत रखा है, उसी को नष्ट करने के लिए हम सभी बेहद उत्साह के साथ आगे बढ़े जा रहे हैं जिससे एकाएक जंगलों का अंधाधुन दोहन हो रहा है।

परिवहन साधनों में वृद्धि Increased in Vehicles and Transportation

अभी की तुलना कुछ दशकों पहले से की जाए तब तक सड़कों पर परिवहन साधनों की कमी थी, लेकिन शुद्ध वातावरण भरपूर था। 

आज बिल्कुल विपरीत हो रहा है, जहां अब सड़कों पर लोगों की जगह जहरीली गैसे छोड़ने वाली और पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करने वाली परिवहन का संचालन हो रहा है।

प्राकृतिक संसाधन का शोषण Exploitation of Natural Resources

इंसान अपने स्वार्थ के लिए क्या-क्या नहीं करता है। प्रकृति के अनमोल छुपे हुए भंडार को खोज कर उसे गलत तरीके से उपयोग किया जा रहा है। 

प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुन शोषण के वजह से आने वाली पीढ़ियों के लिए इस खजाने का बना रहना बेहद कठिन नजर आ रहा है। 

जनसंख्या वृद्धि Increased Population

जनसंख्या वृद्धि को भी प्रदूषण वृद्धि में योगदान देने के लिए एक कारण माना जा सकता है। पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्याओं के अलावा यह बहुत सारे अन्य समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार है। 

आखिर प्रदूषण को फैलाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान तो मानव द्वारा ही दिया जा रहा है। प्रतिदिन जनसंख्या में होने वाली वृद्धि हमें एक नई समस्या की ओर ले जा रही है।

आधुनिक तकनीकें Advanced Technology

प्रदूषण का स्तर बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकें भी जिम्मेदार है। विकास के नाम पर होने वाली प्रगति जिसे प्रौद्योगिकी करण के नाम से जाना जाता है, इसके विपरीत पक्ष में होने वाले कुछ नकारात्मक प्रभाव के कारण भी प्रदूषण में वृद्धि होती है। 

इसके अलावा इंसानों द्वारा विकसित किए गए तमाम तकनीकों के वजह से कहीं ना कहीं प्रकृति को क्षति पहुंचती है।

लोगों में जागरूकता का अभाव Lack of Awareness in Peoples

घनी जनसंख्या जहां ज्यादातर प्रतिशत गरीबी , बेरोजगारी , असाक्षरता इत्यादि से भरी पड़ी है, वे पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभाव से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। 

यह कहना गलत नहीं होगा कि लोगों का स्वार्थ एक दिन सभी को ले डूबेगा। प्रकृति के प्रति कोई भी जागरूक होने में अधिक रूचि नहीं ले रहा, जोकि पर्यावरण प्रदूषण को अनदेखा करने जैसा हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार Type of Environmental Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण (air pollution).

वायुमंडल में समाहित ऐसे अवांछनीय रज कण और हानिकारक गैसे जो प्रकृति सहित सभी जीवों के लिए घातक है, ऐसा प्रदूषण वायु प्रदूषण कहलाता है। 

यही वायु ऑक्सीजन के तौर पर लोगों के शरीर में प्रवेश करता है और तरह-तरह की बीमारियों को उजागर करता है। वायु प्रदूषण पृथ्वी के तापमान को बुरी तरह से असंतुलित करने के लिए जिम्मेदार है। 

वायु प्रदूषण के चरम सीमा की भयानक कल्पना आने वाले कुछ दशकों के अंदर ही शायद सच में बदल सकता है। आणविक संयंत्र, वाहनों, औद्योगिक इकाइयों इत्यादि विभिन्न अन्य कारणों के परिणाम स्वरूप वायु प्रदूषण फैलता है। 

इसके अलावा यदि प्राकृतिक रूप से देखा जाए, तो कई बार ज्वालामुखी विस्फोट होने के कारण भी इससे जहरीली धुएं सीधे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

जल प्रदूषण (Water pollution)

ऐसे अवांछनीय और घातक तत्व जो पानी में मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं, यह जल प्रदूषण कहलाता है। जल प्रदूषण के परिणाम स्वरूप पानी से उत्पन्न होने वाली बीमारियां लोगों के स्वास्थ्य के समक्ष एक बड़ी परेशानी बन जाती हैं। 

इससे पीलिया, गैस्ट्रिक, टाइफाइड, हैजा, इत्यादि जैसी बीमारियां इंसानों और पशु पक्षियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। प्रदूषित जल से सिंचाई करने के कारण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है।

उद्योगों और बड़े-बड़े कारखानों इत्यादि से निकलने वाले रासायनिक पदार्थों के कारण भी जल प्रदूषण भारी मात्रा में उत्पन्न होता है। जल प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण पीने योग्य स्वच्छ पानी की भी समस्या साफ़ देखी जा सकती है। 

हम इस तरह से जल प्रदूषण के जंजाल में फस चुके हैं, कि वातावरण में चारों तरफ फैली ज़हरीली वायु एसिड वर्षा के रूप में जमीन की गहराइयों तक जाकर प्रत्येक चीज को प्रदूषित कर रही है।

भूमि प्रदूषण (Land pollution)

ऐसे अवांछित और जहरीले पदार्थ जिन्हें जमीन में विसर्जित कर दिया जाता है, लेकिन यह कुछ ही समय के अंदर जमीन की गुणवत्ता को घटाकर प्रदूषण का रूप ले लेती है। 

जमीन या मिट्टी में होने वाले इसी प्रदूषण को भूमि प्रदूषण कहा जाता है। भूमि प्रदूषण के परिणाम स्वरूप कृषि योग्य उपजाऊं जमीने भी इसके प्रकोप से अछूत नहीं रही हैं। अतः ऐसे ही प्रदूषित भूमि पर उपजे अनाज लोगों का स्वास्थ्य खराब कर देते हैं।

कई बार जमीन में दफन किए गए अवशिष्ट इकाइयां पूरी तरह से नष्ट नहीं होते हैं, जिसके कारण यह जमीन में सड़कर भूमि को प्रदूषित करते हैं। अक्सर भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी भूमि प्रदूषण का प्रभाव इसमें देखा जाता है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)

ऐसी अनियंत्रित और प्रदूषक ध्वनियां जो किसी भी प्रकार से प्रकृति या सजीवों को हानि पहुंचाती हैं, यह ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। ध्वनि प्रदूषण को डेसीबल इकाई में मापा जाता है। 

ध्वनि प्रदूषण ऐसा प्रदूषण है, जिसका प्रभाव तुरंत देखा जा सकता है। श्रवण शक्ति से अधिक ऊंची आवाज में कोई भी ध्वनी श्रवण शक्ति को धीरे-धीरे कमजोर करती है, जिससे कई मनोवैज्ञानिक रोग और अन्य स्वाभाविक बीमारियां उत्पन्न होती है।

सड़कों पर दौड़ने वाली अनियंत्रित वाहनों के इंजन और आवाजों के अलावा औद्योगिक क्षेत्रों से भी ध्वनि प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न होता है। इसके अलावा अलग-अलग उत्सव या कार्यक्रमों में बजने वाले तेज आवाज में लाउडस्पीकर के कारण भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

प्रकाश प्रदूषण (Light pollution)

प्रकाश प्रदूषण भी अब हमारे सामने एक विकट समस्या बन चुकी है। बिजली की बढ़ती खपत और जरूरत के समय इसकी अनुपलब्धता प्रकाश प्रदूषण का श्रेष्ठ उदाहरण है। 

इसके अलावा प्रकाश प्रदूषण के वजह से हर साल सड़कों पर हजारों की संख्या में एक्सीडेंट हो जाता है। कम उम्र में ही लोगों को कम दिखाई देना, सिर दर्द की समस्या या अंधापन प्रकाश प्रदूषण के दुष्परिणाम है। 

आवश्यकता से अधिक यदि प्रकाश आंखों पर पड़ता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है।

इसके अलावा मानवीय गतिविधियों के कारण भी प्रकाश प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। आवश्यकता से अधिक बिजली का उपयोग करके हाई वोल्टेज बल्ब के उपयोग के कारण भी प्रदूषण जैसे समस्या उत्पन्न होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव Effect of Environmental Pollution in Hindi

  • पर्यावरण प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव सभी प्राणियों पर पड़ता है। लोगों की स्वास्थ्य की घटती गुणवत्ता और उम्र के साथ ही नए-नए दुर्लभ बीमारियों का उत्पन्न होना यह प्रदूषण की ही देन है।
  • प्रदुषण के कारण कई प्रकार की बीमारियों से पुरे विश्व भर के लोगों को सहना पड़ रहा है। इनमें से कुछ मुख्य बीमारियाँ और स्वास्थ से जुडी मुश्किलें पैदा हो रही हैं – टाइफाइड, डायरिया, उलटी आना, लीवर में इन्फेक्शन होना, साँस से जुडी दिक्कतें आना, योन शक्ति में कमी आना, थाइरोइड की समस्या , आँखों में जलन, कैंसर , ब्लड प्रेशर, और ध्वनि प्रदुषण के कारण गर्भपात।
  • प्रदूषण के कारण जलवायु भी प्रभावित होता है। पृथ्वी के आवरण की सुरक्षा स्वरूप कवच ओजोन परत भी अब घट रही है, जिसके वजह से वायुमंडल का संतुलन बिगड़ रहा है।
  • आज कई शहरों की ऐसी दशा हो गई है कि प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण लोग अपने घरों से बाहर भी नहीं जा पा रहे हैं। भारत की राजधानी दिल्ली और अन्य कुछ दूसरे स्थान भी प्रदूषित शहरों का उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां लोग शुद्ध ऑक्सीजन के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।
  • इंसानों ने प्रकृति का इतना शोषण कर लिया है, कि आगे की पीढ़ी प्रकृति के गर्भ में छिपे हुए अनमोल खजाने स्वरूप प्राकृतिक संसाधनों का लाभ ले पाएंगे यह कहना मुश्किल है। बढ़ते प्राकृतिक प्रदूषण के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों में कमी में भी बढ़ोतरी हो रही है।
  • आज के समय में जिस तरह नई पीढ़ी का आगमन हो रहा है, वह भी प्रदूषण की चपेट से अछूते नहीं रहे हैं। ऐसे बच्चे जो जन्म से ही अब कुपोषित और नई बीमारियों की मार झेलते हुए बड़े हो रहे हैं, उनकी यह दशा का एक कारण प्रदूषण भी है। इसके अलावा यह लोगों के स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण : 10 नियंत्रण एवं उपाय How To Control Pollution in Hindi?

  • पर्यावरण प्रदूषण को काबू में करने के लिए सभी को एकजुट मिलकर इसके खिलाफ लोगों में जागरूकता लानी होगी।
  • प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर के रीसायकल होने वाले बैग का इस्तेमाल करना चाहिए। हाला की भारत में कई बड़े शहरों में  प्लास्टिक के उपयोग को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है।
  • किसी भी प्रकार के वस्तुओं के निष्कासन के लिए एक नई पद्धति की जरूरत है। जिसमें दशकों तक नष्ट न होने वाले वस्तुओं को नष्ट करने पर पर्यावरण पर कोई प्रभाव न हो।
  • प्रदूषण से बचने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की आवश्यकता है।
  • जंगलों की अवैध कटाई और दुर्लभ पेड़ों की लकड़ियों की तस्करी पर सरकार को मजबूती से प्रतिबंध लगाना चाहिए, जिसे जंगल सुरक्षित रहें।
  • वाहनों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सभी के पास पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (PUC) हो यह जरूर सुनिश्चित करना चाहिए। कोई भी चालक नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर कड़े शुल्क लगाने चाहिए।
  • नदी के पानी में कचरा फैक कर दूषित करने से लोगों को रोकना चाहिए और नदी के पानी को ( सीवेज रीसायकल ट्रीटमेंट ) की मदद से स्वच्छ करके पीने के कार्य में लगाना चाहिए।
  • ऐसे नियमों को पारित करने की आवश्यकता है, जिसमें छोटे बड़े प्रत्येक कारखानों से निकलने वाले जहरीले और गंदे कचरा को रिफाइन करके ही बाहर निकाला जाए।
  • चाहे किसी भी धर्म के उत्सव या त्यौहार हो इस समय सबसे ज्यादा आवश्यकता शुद्ध पर्यावरण की है। सरकार के साथ-साथ जनता को भी यह समझना चाहिए कि किसी भी उत्सव में आवश्यकता से ज्यादा तेज़ लाउड स्पीकर, पटाखे या किसी भी ऐसे क्रियाकलाप को ना करें, जिससे पर्यावरण दूषित हो।
  • जागृति लाने का सबसे अच्छा समय प्रारंभिक शिक्षा का होता है। पर्यावरण प्रदूषण को आने वाले समय में कम किया जा सके, इसके लिए बच्चों में पर्यावरण के प्रति रुचि जगाने की आवश्यकता है और इसके अलावा पाठ्यक्रम में भी कुछ विशेष क्रियाकलापों और अध्याय को शामिल करना चाहिए।
  • लोगों को इस बात का ख्याल रखने की आवश्यकता है कि उनके घर और जिस भी स्थान पर लोग निवास करते हैं, वहां स्वच्छता होनी चाहिए।
  • कार्यपालिका में सख्ती बरतते हुए ऐसे इलाके जहां पर कचरे फेंकने की व्यवस्था होने के बावजूद भी सड़कों या दुसरी जगहों पर गंदगी दिखाई पड़ती है, ऐसा ना हो और कूड़े कचरे को ठिकाने लगाने के लिए एक निश्चित जगह हो यह सुनिश्चित करना चाहिए।
  • केमिकल से बने खाद की जगह प्राकृतिक खाद का उपयोग खेतों में करना चाहिए। (पढ़ें: घर पर ही प्राकृतिक खाद कैसे बनायें? )

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

35 thoughts on “पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi”

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Hindi Essay

प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi 500 Words | PDF

Essay on pollution in hindi.

Essay on Pollution in Hindi 500 + Words (Download PDF) प्रदूषण पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए। – प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं। प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है, तो आइये इस निबंध के माध्यम से हम तीन प्रकार के प्रमुख प्रदुषण के बारे में जानते है – Essay on Pollution in Hindi

मनुष्य ने अपने सुख-सुविधाओं के लिए प्रकृति पर विजय पाने के लिए उसके संतुलन को बिगाड़ना शुरू कर दिया है। प्रकृति पर हमला करने के लिए मनुष्य को विभिन्न रोगों के रूप में दंड मिला है। प्राचीन काल में जब मनुष्य और प्रकृति एक थे, तब शायद कोई बीमारी नहीं थी।

धीरे-धीरे जैसे-जैसे प्रकृति का संतुलन बिगड़ता गया, बीमारियां भी बढ़ती गईं। आज विज्ञान ने ऐसे उद्योगों, कारखानों, औजारों को जन्म दिया है, जिन्होंने प्रकृति के तत्वों में विकार पैदा हो गए हैं। प्रकृति के हर तत्व में प्रदूषण पैदा कर मनुष्य ने अपने लिए समस्याएं खड़ी कर लिया हैं।

प्रदूषण का मतलब

पृथ्वी के आवरण वायु, जल आदि में गतिशील परिवर्तन पर्यावरण है, जो आपस में प्राकृतिक संतुलन बनाए रखता है। मानव शरीर को शुद्ध हवा और पानी की जरूरत होती है। मानव कान सीमित ध्वनि सुन सकता है। सभी इंद्रियां सीमित अनुभव करती हैं। यदि उन सभी में विकार उत्पन्न होता है, तो वे हमारे लिए प्रदूषण हैं।

आज वैज्ञानिक आविष्कारों ने प्रकृति की देन में एक भयानक अव्यवस्था पैदा कर दी है। वायु, जल, ध्वनि आदि हमारे दैनिक जीवन के लिए प्रदूषित हो गए हैं। अत्यधिक ध्वनि और प्रकाश कान और आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। इन सभी को इस तरह से दूषित करना प्रदूषण कहलाता है। आज प्रदूषण इतना अधिक हो गया है कि यह हमारे लिए एक भयानक और मुख्य समस्या बन गया है।

ये भी देखें – Essay on school annual function in Hindi

वैसे तो प्रदूषण कई प्रकार के होते है, लेकिन उनमें से तीन प्रमुख प्रदूषण हैं – जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण।

प्रकृति ने हमें एक आवश्यक उपहार जल दिया है जिसके बिना हम लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं। हमारी नदियों में शुद्ध पानी बह रहा है। शुद्ध जल पृथ्वी के नीचे जमा हो रहा है। प्रकृति के सभी जल स्रोत मनुष्य के लिए बिल्कुल शुद्ध बने हुए हैं।

मनुष्य ने जल को भी शुद्ध नहीं रहने दिया है। पानी का मुख्य स्रोत नदी में नालों के माध्यम से शहरों और कस्बों का गन्दा पानी डाला जाता है। कारखानों और फैक्ट्रियों का पानी नदियों में डाला जाता है, जिससे नदियों का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि बिना सफाई के नहीं पिया जा सकता।

वायु प्रदुषण

प्रकृति ने हवा को बिल्कुल शुद्ध बनाया था, लेकिन आजकल परिवहन के साधन इतने बढ़ गए हैं कि वे हर समय जहरीला धुआं छोड़ते हैं जो वातावरण को प्रदूषित करता है। कारखानों, उद्योगों और व्यवसायों के विकास ने वायु प्रदूषण को इतना बढ़ा दिया है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।

बड़े महानगरों में शाम के समय इतना वायु प्रदूषण होता है कि चारों तरफ धुंआ भर जाता है, जिसका असर सांस लेने की प्रक्रिया के साथ-साथ आंखों पर भी पड़ता है। प्रकृति द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण आवश्यक उपहार को मनुष्य ने इतना खराब कर दिया है कि आज यह एक ऐसी समस्या बन गई है जिसके लिए दुनिया के वैज्ञानिक भी चिंतित हैं।

ध्वनि प्रदूषण

आज विज्ञान ने लाउडस्पीकर के आविष्कार से ध्वनि को प्रदूषित कर दिया है। बसों, कारों, ट्रेनों और अन्य साधनों की आवाज़ ने बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण पैदा किया है। शहरों में कई संगीत वाद्ययंत्र भी एक बड़ी कर्कश ध्वनि बनाते हैं।

इसके अलावा मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों से भी तेज ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि प्रदूषण हमारे शरीर के कोमल ऊतकों को प्रभावित करता है। कानों पर बुरा असर पड़ता है। सिरदर्द और भारीपन बना रहता है। इस प्रकार ध्वनि प्रदूषण के कारण अनेक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोग उत्पन्न होते हैं।

ये भी देखें – Essay on environmental pollution in Hindi

इस समय सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण है, जिससे सब कुछ दूषित हो रहा है। वायु प्रदूषण को रोकना नितांत आवश्यक है। यदि वायु प्रदूषण को रोकने के प्रयास नहीं किए गए, तो दुनिया में आपदा आ जाएगी। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सबसे पहले हमें प्रकृति के श्रृंगार के रूप में पेड़ों की कटाई को रोकना होगा। पेड़ इंसान के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं जो हवा को शुद्ध करने का काम करते हैं। इसलिए हर क्षेत्र में पौधरोपण करना चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर वायु प्रदूषण से बचना चाहिए।

उद्योग और कारखाने बस्ती से दूर रहें। इलेक्ट्रिक ट्रेनों, बसों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। शहरों में इलेक्ट्रिक रेलवे का विस्तार किया जाना चाहिए। नदियों के पानी को शुद्ध रखने के लिए गंदे पानी की नालियों को खेतों में डाल देना चाहिए। ध्वनि प्रसारण उपकरणों की आवाज कम कर देनी चाहिए। इस संबंध में सरकार और वैज्ञानिकों को हमेशा जागरूक रहना चाहिए और लोगों में भी जागरूकता फैलानी चाहिए।

शुद्ध वायु, शुद्ध जल, शुद्ध भोजन, शुद्ध मौसम मनुष्य के लिए आवश्यक तत्व हैं। आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति को अपने-अपने स्थान पर प्रदूषण रोकना चाहिए। हम अपने दैनिक जीवन के स्वार्थ के लिए प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ाने में भी सहायक होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार पौधे लगाने चाहिए। अनावश्यक पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए। गंदगी फैलाने की कोशिश न करें।

Download PDF – Click Here

Q&A. on Pollution in Hindi

प्रदूषण का कारण क्या है.

उत्तर – वायु प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं।

हम प्रदूषण को कैसे कम कर सकते हैं?

उत्तर – प्रदूषण को कम करने के कई उपाय है जैसे –

  • सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना।
  • पटाखों के प्रयोग से बचें।
  • उपयोग में न होने पर लाइट बंद कर दें।
  • एयर कंडीशनर की जगह पंखे का प्रयोग करें।
  • प्लास्टिक बैग को नहीं।
  • रीसायकल और पुन: उपयोग।
  • चिमनी के लिए फिल्टर का प्रयोग करें।
  • जंगल की आग और धूम्रपान में कमी।

प्रदूषण पृथ्वी को कैसे प्रभावित कर रहा है?

उत्तर – वायु प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है।

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pollution in hindi word essay

Essay on Pollution in Hindi- प्रदूषण पर निबंध

इस लेख / निबंध में आप प्रदूषण की समस्या और प्रदूषण को रोकने के उपाय की पूरी जानकारी है।प्रदूषण आज दुनिया के लिए बहुत बड़ी समस्या बन गए है हमे मिलकर इसका सामना करना होगा। Here we providing Essay on Pollution in Hindi- you will get know-What is Pollution, type of pollution,  Causes of pollution &  Measures to Prevent Pollution, Pollution Essay in Hindi for class 5,6,7,8,9,10,11,12

Essay on Pollution in Hindi- प्रदूषण पर निबंध ( पोल्लुशन पर एस्से )

pollution in hindi word essay

प्रदूषण पर निबंध in 100 words

प्रदुषण आज के समय में बहुत बड़ी समस्या है और इसका उत्पन्न मनुष्य की गतिविधियों से हुआ है। उसने अपनी प्रगति के लिए कारखानों वाहनों का निर्माण किया जिससे निकलने वाला धुआँ वातावरण को प्रदुषित करता है। प्रदुषण के कारण स्वास्थय पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हमें बढ़ते हुए प्रदुषण को रोकने की आवश्यक्ता है जिसके लिए हमें ज्यादा सो ज्यादा पेडय लगाने चाहिए और पर्यावरण को दुषित करने वाली चीजें जैसे पॉलीथीन आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। निजी वाहनों की बजाय सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करना चाहिए। वातावरण को प्रदुषण मुक्त बनाना हमारा कर्तव्य है।

Pollution Essay in Hindi ( 150 words )

पर्यावरण- प्रदूषण का अर्थ है- वातावरण के प्राकृतिक संतुलन में गड़बड़ी पैदा होना। प्रदूषण मुख्यतः तीन प्रकार का होता है वाय-प्रदूषण, जल-प्रदूषण तथा ध्वनि-प्रदूषण। शहरीकरण तथा वैज्ञानिक प्रगति प्रदषण फैलने के दो बड़े कारण हैं। एक अन्य बड़ा कारण है-बढ़ती जनसंख्या। इस कारण वातावरण में इतना मल, कचरा, धुआँ और गंद जमा हो जाता है कि मनुष्य के लिए स्वस्थ वायुमंडल में साँस लेना दूबर हो जाता है। जल-प्रदषण से सभी नदियाँ, नहरें, भूमि दूषित हो रही है।परिणामस्वरूप हमें प्रदूषित फसले मिलती है और गंदा जल मिलता है। आजकल वाहनों, भोंपूओं, फैक्टरियों रक्तचाप, मानसिक तनाव, बहरापन आदि बीमारियाँ बढ रही हैं। प्रदषण से मुक्ति के उपाय हैं आसपास पेड़ लगाना। हरियाली को अधिकाधिक स्थान देना। अनावश्यक शोर को काम करना। विलास की वस्तुओं की बजाय सादगीपूर्ण ढंग से जीवनपान करना। घातक बीमारियां पैदा करने वाले उद्योगों को बंद करना अदि। आज यह समस्या विश्व भर में व्याप्त है। इसलिए विश्व-समुदाय को मिलकर कुछ कठोर निर्णय लेने पड़ेंगे।

Pradushan essay in Hindi ( 200 words )

प्रदुषण आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है जिससे हमारा समस्त वातावरण दुषित होता जा रहा है और इसका नकारात्मक प्रभाव सभी जैविक और अजैविक चीजों पर पड़ता है। पृथ्वी में भौतिक और रसायनिक तत्वों में बदलाव होने के कारण प्रदुष होता है यानि कि किसी भी चीज का दुषित होना प्रदुषण कहलाता है। प्रदुषण चार प्रकार होता है जैसे वायु प्रदुषण, दल प्रदुषण, भूमि प्रदुषण और ध्वनि प्रदुषण। इसके कारण जलवायु में भी परिवर्तन होता है बहुत सी बिमारियाँ भी फैलती हैं। मनुष्य के क्रिया कलापों के कारण ही वातावरण में प्रदुषण की मात्रा बढ़ी है। पेड़ काटने, खुले में कचरा फेंकने, पॉलीथिन आदि के प्रयोग से प्रदुषण में वृद्धि हुई है।

प्रदुषण के कारण लोगौं का जीवन दुष्वार होता जा रहा है और हमें इस बढ़ते प्रदुषण को रोकने की आवश्यकता है अन्यथा एक दिन वनस्पति और मनुष्य का जीवन खतरे में आ जाऐगा। हमें पेड़ो को काटने की बजाय ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए और पर्यायवरण के लिए हीनिकारक वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्रदुषण को रोकने का उपाय हम सबको मिलकर करना होगा और वातावरण को सुरक्षित रखना होगा। प्रदुषण से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को बताना चाहिए और उन्हें जागरूक करना चाहिए।

Essay on Pollution in Hindi ( 800 words )

भूमिका – मानव ने जब प्रकृति माता की गोद में आँखें खोलीं तो उसने अपने चारों ओर उज्वल प्रकाश, निर्मल जल और स्वच्छ वायु का वरदान पाया। वन प्रदेशों की मनोहर हरियाली में उसने जीवन के मधुरतम सपने देखे। उसका पेड़-पौधों से, फल, फूलों से, चहकते पक्षियों से, प्रभात और संध्याबेला से नित्य का संबंध था। प्रकृति के आंगन में खेलते हुए उसने पाया पुष्ट , निरोग शरीर और उत्साह-उल्हास से लबालब तनावहींन मानस। किन्तु धीरे-धीरे उसके मन में प्रकृति पर शासन करने की लालसा जागी। उसने प्रकृति को माँ के स्थान से हटाकर दासी के स्थान पर धकेलना चाहा। इसको नाम दिया गया ‘वैज्ञानिक-प्रगति।” आज वैज्ञानिक युग में मानव जीवन के सामने अनेक समस्याएं है। विज्ञानं ने जहा एक और सुख सुविद्याएँ उत्पन करके मानव जीवन को सुखी बनाया, वहां मनुष्य के जीवन में अनेक दुखो को भी जनम दिया है। अंत: विज्ञानं अगर वरदान है तो अभिशाप भी है। आज प्रदूषण विज्ञानं का प्रमुख अभिशाप है जिसे संसार के अधिकतर लोगो को भोगना पड़ रहा है। प्रदूषण की यह समस्या सारे संसार में फैल चुकी है।

प्रदूषण के प्रकार ( Types of pollution )

आज सृष्टि का कोई पदार्थ, कोई कोना प्रदूषण के प्रहार से नहीं बच पाया है। प्रदूषण मानवता के अस्तित्व पर एक नंगी तलवार की भाँति लटक रहा है। प्रदूषण के मुख्य स्वरूप निम्नलिखित हैं –

1. जल प्रदूषण ( Water Pollution ) – जल मानव-जीव के लिए परम आवश्यक पदार्थ है। जल के परंपरागत स्रोत हैं- कुएँ तालाब, नदी तथा वर्षा का जल । प्रदूषण ने इन सभी स्रोतों को दूषित कर दिया है। औद्योगिक प्रगति के साथ-साथ हानिकारक कचरा और रसायन बड़ी बेदर्दी से इन जल स्रोतों में मिल रहे हैं। महानगरों के समीप से बहने वाली नदियों की दशा तो अकथनीय है। गंगा यमुना, गोमती सभी नदियों की पवित्रता प्रदूषण की भेंट चढ़ गयी है।

2. वायु प्रदूषण ( Air Pollution ) -वायु भी जल जितना ही आवश्यक पदार्थ है। श्वास-प्रश्वास के साथ वादु निरंतर शरीर में जाती है। आज शुद्ध वायु का मिलना भी कठिन हो गया है। वाहनों, कारखानों और सड़ते हुए औद्योगिक कचरे ने वायु में भी जहर भर दिया है। घातक गैसों के रिसाव भी यदा-कदा खंड प्रलय मचाते रहते हैं।

3. खाद्य प्रदूषण ( Food pollution ) -प्रदूषित जल और वायु के बीच पनपने वाली वनस्पति या उसका सेवन करने वाले पशुपक्षी भी आज दूषित हो रहे हैं। चाहे शाकाहारी हो या माँसाहारी कोई भोजन के प्रदूषण से नहीं बच सकता।

4. ध्वनि प्रदूषण ( Noise pollution ) -आज मनुष्य को ध्वनि के प्रदूषण को भी भोगना पड़ रहा है। कर्णकटु और कर्कश ध्वनियाँ मनुष्य के मानसिक संतुलन को बिगाड़ती हैं और उसकी कार्यक्षमता को भी कुप्रभावित करती हैं। वैज्ञानिक और औद्योगिक प्रगति की किरपा के फलसरूप आज मनुष्य कर्कश, असहनीय और श्रवणशक्ति को क्षींण करने वाली ध्वनियों के समुद्र में रहने को मजबूर है। आकाश में वायुयानों की कानफोड़ ध्वनियाँ धरती पर वाहनों, यंत्रों और संगीत का मुफ्त दान करने वाले ध्वनि विस्तारकों का शोर आदि सब मिलकर मनुष्य को बहरा बना देने पर तुले हुए हैं।

प्रदूषण बढ़ने के कारण ( Causes of pollution )

-प्राय: हर प्रकार के प्रदूषण की वृद्ध के लिये हमारी औद्योगिक और वैज्ञानिक प्रगति  तथा मनुष्य का अविवेकपूर्ण आचरण ही जिम्मेदार है। चर्म उद्योग, कागज़ उद्योग, छपाई उदयोग, वस्तर उदयोग और नाना प्रकार के रासायनिक उद्योगों का कचरा और प्रदूषित जल लाखों लीटर की मात्रा में रोज़ नदियों में बहाया जाता है या जमीन में समाया जा रहा है। गंगा जल जोकि वर्षों तक शुद्ध और अविकृत रहने के लिए प्रसिद्ध था, वह भी हमारे पापों से मलीन हो गया है।

वाहनों का विसर्जन, चिमनियों का धुआँ, रसायनशालाओं की विषैली गैसें मनुष्यों की साँसों में गरल घोल रही हैं। प्रगति और समृद्ध के नाम पर जहरीला व्यापार दिन दुगुना बढ़ता जा रहा है। सभी प्रकार के प्रदूषण हमारी औद्योगिक, वैज्ञानिक और जीवन स्तर की प्रगति से जुड़ गये हैं। हमारी हालत साँप-छछुंदर जैसी हो रही है।

प्रदूषण रोकने के उपाय ( Measures to Prevent Pollution )

– प्रदूषण ऐसा रोग नहीं है कि जिसका कोई उपचार ही न हो। इसका पूर्ण रूप से उन्मूलन न भी हो सके तो इसे हानिरहित सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिये कुछ कठोर, अप्रिय और असुविधाजनक उपाय भी अपनाने पड़ेंगे।

प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर ही स्थापित और स्थानांतरित किया जाना चाहिये। उद्योगों से निकलने वाले कचरे और दूषित जल को निष्क्रिय करने के उपरांत ही विसर्जित करने के कठोर आदेश होने चाहिये।

ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति भी तभी मिलेगी जब कि वाहनों का अंधाधुंध प्रयोग रोका जाए। हवाई अड्डे बस्तियों से दूर बने और वायु मार्ग भी बस्तियों के ठीक ऊपर से न गुजरें। रेडियो, टेप तथा लाउडस्पीकरों को मंद ध्वनि से बजाया जाए।

उपसंहार- प्रदूषण की समस्या मनुष्य का अदृश्य शत्रु है। धीरे धीरे यह मानव-जीवन को निगलने के लिये बढ़ी आ रही है। यदि इस पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो आदमी शुद्ध जल, वायु, भोजन और शांत वातावरण के लिये तरस जायेगा। प्रशासन और जनता दोनों प्रयासों से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती है। गंगा सफ़ाई अभियान प्रशासन का ऐसा ही प्रयास था, किंतु ये आयोजन सिर्फ एक प्रशासकीय फैशन या तमाशा बन कर नहीं रह जाएं। एक स्वच्छ और स्वास्थ्यकर विश्व में रहना है तो प्रदूषण से लड़ना ही होगा।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध

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Table of Contents

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध: प्रदूषण नियंत्रण के लिए नई दिशा की ओर बढ़ते हुए, हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए आदर्श तकनीकी और नैतिक मूल्यों को मिलाने का संकल्प बनाना होगा। विशेषज्ञता के साथ, हमें व्यक्तिगत संवेदनशीलता और सामाजिक सहयोग के साथ तकनीकी उपायों का अध्ययन करना होगा ताकि हम एक प्रदूषणमुक्त भविष्य की ओर अग्रसर ह सकें।

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 156 शहरों में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रही थी। इसमें तीन शहर थे जिनकी हवा बहुत खराब थी, जिसका मतलब है कि उन शहरों के एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से अधिक था। इसके अलावा, 21 अन्य शहरों की हवा की गुणवत्ता भी खराब श्रेणी में थी। प्रदूषण एक जटिल समस्या है जिसका समाधान विज्ञानिक दृष्टि से होना चाहिए, क्योंकि यह पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहा है। प्रदूषण का मतलब है – प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना, जिससे वायुमंडल, जल, और खाद्य में दोषिति होती है। प्रदूषण कई प्रकार का होता है, जिसके विस्तार से वर्णन Essay on Pollution in Hindi में किया गया है।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi) प्रदूषण आजकल एक गंभीर समस्या बन चुका है। उद्योगीकरण और शहरीकरण की तेजी ने पर्यावरण को प्रदूषित कर दिया है, जिसमें हवा, पानी, और मिट्टी शामिल हैं। वनों की कटाई और औद्योगिकीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है। प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसके कारण हमें सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याएँ, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन, आदि का सामना करना पड़ता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और जागरूकता के साथ देखना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 200 शब्द (Pollution Essay 200 Words in Hindi)

प्रदूषण का सीधा संबंध प्रकृति से मानते हैं, लेकिन यह सिर्फ किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से जुड़ा हुआ नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं।

यह कहावत हम सबने सुनी और पढ़ी है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे, वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं।

इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी

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प्रदूषण पर निबंध 300 शब्द (Pollution Essay 300 Words in Hindi)

बचपन में हम जब भी गर्मी की छुट्टियों में अपने दादी-नानी के घर जाते थे, तो हर जगह हरियाली ही हरियाली फैली होती थी। हरे-भरे बाग-बगिचों में खेलना बहुत अच्छा लगता था। चिड़ियों की चहचहाहट सुनना बहुत अच्छा लगता था। अब वैसा दृश्य कहीं दिखाई नहीं देता।

आजकल के बच्चों के लिए ऐसे दृश्य केवल किताबों तक ही सीमित रह गये हैं। ज़रा सोचिए ऐसा क्यों हुआ। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, मनुष्य, जल, वायु, आदि सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। सभी का पर्यावरण में विशेष स्थान है।

प्रदूषण का अर्थ (Meaning of Pollution)

प्रदूषण, तत्वों या प्रदूषकों के वातावरण में मिश्रण को कहा जाता है। जब यह प्रदूषक हमारे प्राकृतिक संसाधनों में मिलते हैं, तो इसके कारण कई नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होते हैं। प्रदूषण मुख्य रूप से मानव गतिविधियों द्वारा उत्पन्न होता है और यह हमारे पर्यावरणीय संरचना को प्रभावित करता है। प्रदूषण के द्वारा उत्पन्न होने वाले प्रभावों के कारण मानवों के लिए छोटी-बड़ी बीमारियों से लेकर जीवन के अस्तित्व को खतरे में डालने वाली समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। मानवों ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए पेड़ों की अनधिकारी कटाई की है, जिसके कारण पर्यावरण में असंतुलन हुआ है। प्रदूषण इस असंतुलन का मुख्य कारण भी है।

प्रदूषण है क्या ? ( What is Pollution ?)

जब वायु, जल, मृदा, और अन्य प्राकृतिक संसाधनों में अनचाहे तत्व घुलकर उन्हें इस प्रकार के रूप में गंदा कर देते हैं, जो स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगते हैं, तो उसे प्रदूषण कहा जाता है। प्रदूषण से प्राकृतिक संतुलन पर हानि पहुँचती है और मानव जीवन के लिए एक खतरा पैदा होता है।

मनुष्य की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसने जितनी अदरकऱी से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया है, जिससे पर्यावरण को हानि पहुँची है, उसे अब उतनी ही अकलमंदी से प्रदूषण की समस्या का समाधान ढूंढ़ना होगा। वनों के अधिक अनिवार्य कटाई भी प्रदूषण के कारकों में शामिल है, लेकिन इसे रोकने के लिए वृक्षारोपण की अधिक प्रक्रिया की आवश्यकता है। ऐसे कई उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर प्रदूषण को कम किया जा सकता है।

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अगर हमें अपनी आगामी पीढ़ी को एक साफ, सुरक्षित और जीवनदायिनी पर्यावरण देना है, तो हमें इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। प्रदूषण को नियंत्रित करना हमारे देश के साथ-साथ पूरे विश्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि पूरी पृथ्वी पर जीवन का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। यही से हम सभी के लिए जीवन की सुरक्षा और पर्यावरण का संरक्षण संभव होगा।

प्रदूषण पर निबंध 500 शब्द (Pollution Essay 500 Words in Hindi)

इस दुनिया में भूमि, वायु, जल, और ध्वनि जैसे तत्वों का संतुलन महत्वपूर्ण है। यदि इनका संतुलन बिगड़ जाता है, तो पर्यावरण में असंतुलन बढ़ सकता है, और यही प्रदूषण का मुख्य कारण होता है। इस असंतुलन से फसलों, पेड़ों और अन्य चीजों पर भी असर पड़ता है।

इसके अलावा, हमारे द्वारा फेंके गए कचरे और कूड़े का भी पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और यह भी प्रदूषण का मुख्य कारण बनता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि “प्रदूषण” एक ऐसा अवांछित परिवर्तन होता है जिससे मानवों और अन्य जीवों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, और पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता और उपयोगिता को नष्ट किया जाता है।

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) क्या है? (What is Air Quality Index (AQI)?)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) एक महत्वपूर्ण मापक है जिसे सरकारी विभाग वायु प्रदूषण की स्तिथि को जांचने के लिए उपयोग करते हैं, ताकि लोग अपनी वायु गुणवत्ता को समझ सकें। AQI के बढ़ जाने से स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव हो सकते हैं। यह सूचकांक लोगों को बताता है कि स्थानीय वायु गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डाल सकती है। AQI को पांच प्रमुख वायु प्रदूषकों की मॉनिटरिंग के लिए उपयोग किया जाता है, जिसमें ग्राउंड लेवल ओज़ोन, पार्टिकुलेट मैटर, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड शामिल हैं।

  • जमीनी स्तर की ओजोन (ग्राउंड लेवल ओज़ोन)
  • कण प्रदूषण/पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5/pm 10)
  • कार्बन मोनोऑक्साइड
  • सल्फर डाइऑक्साइड
  • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

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प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण चार प्रकार का होता है, जो नीचे उल्लिखित है –

  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay)
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानें:

वायु प्रदूषण: वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। इसके अलावा, कारखानों, उद्योगों, प्लास्टिक और पत्तियों के जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने और रेफ्रीजरेशन उद्योग के सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में वृद्धि होती है।

ध्वनि प्रदूषण: सड़कों पर बढ़ी वाहनों की संख्या और ध्वनि प्रदूषण में भारी योगदान करते हैं। यह शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए खतरनाक है और तनाव और चिंता के कारण हो सकता है।

जल प्रदूषण: कचरे को नदियों और समुद्रों में डालने के कारण जल प्रदूषण होता है। यह समुद्री जीवों के लिए हानिकारक है और पीने योग्य पानी की कमी का कारण बन सकता है।

मृदा प्रदूषण: कृषि और उद्योगों में रासायनिक उपायोग के कारण मिट्टी दूषित होती है, जिससे कृषि और प्रजनन में समस्याएँ होती हैं।

विशेष जानकारी: परमाणु युग में रेडियोधर्मी पदार्थों के उपयोग से रेडियोधर्मी प्रदूषण बढ़ा है, जिसके कारण तनाव और तंत्रिका रोग जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है। यह गर्मी को पृथ्वी के चारों ओर फैलाने वाले प्रदूषण के कारण होता है, जिसमें मनुष्य द्वारा जीवाश्म ईंधन जलाना, प्लास्टिक जलाना, वाहनों से निकलने वाली हानिकारक गैसेस, और जंगलों के जलने का शामिल होता है। यह प्रदूषण गर्मी को बढ़ावा देता है, जो ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ा देता है। कार्बन डाइऑक्साइड जैसे हानिकारक गैसों का स्तर भी खतरनाक रूप से बढ़ गया है, जिसके परिणामस्वरूप आने वाली पीढ़ियाँ ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों का सामना करेंगी।

हालांकि विभिन्न शहरों के अधिकारी प्रदूषण के मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन ऐसे में हम सभी नागरिकों और आम लोगों का भी यह कर्तव्य है कि हम इस प्रक्रिया में अपना योगदान दें। सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं –

पटाखों का इस्तेमाल बंद करें: त्योहार मनाते समय पटाखों का इस्तेमाल न करें। यह ध्वनि और प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है और हमारे स्वास्थ्य पर भी दुश्मनीकारक प्रभाव डालता है।

वाहनों का प्रयोग सीमित करें: वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें और सार्वजनिक परिवहन का प्रयास करें।

अपने आस-पास साफ-सफाई रखें: हमें अपने घर के आस-पास क्षेत्र को साफ-सुथरा रखना हमारी जिम्मेदारी है। कचड़ा कूड़ा फेंकने की बजाय, हमें कूड़ेदान में फेंकना चाहिए।

रिसाइकल और पुन: उपयोग करें: कई गैर-बायोडिग्रेडेबल उत्पाद हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, इन्हें ठीक से डिकम्पोज करें या रिसाइकल के लिए भेजें।

पेड़ लगाएं : पेड़ों की कटाई वातावरणिक प्रदूषण में वृद्धि का कारण बन रही है, इसलिए हमें अधिक पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने का प्रयास करना चाहिए।

प्रदूषण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और हमें इसे समाधान के लिए साथ मिलकर काम करना होगा, ताकि हम सभी और आने वाली पीढ़ियाँ, इस ग्रह पर सुरक्षित रूप से रह सकें।

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  • Article on Pollution
  • Types of Pollution

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • प्रदूषण विवादित प्राकृतिक संसाधनों को शामिल करने की प्रक्रिया है।
  • प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • प्राकृतिक प्रकोपों के साथ-साथ मानव गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगलों के जलने और ज्वालामुखी जैसी घटनाएं हैं।
  • प्रदूषण एक ग्लोबल समस्या है, राष्ट्रीय नहीं।
  • प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग करना, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं, जैसे कि सौर पैनल।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध FAQs

हिंदी में प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें.

प्रदूषण पर निबंध लिखने के लिए, आप प्रदूषण के प्रकार, कारण, प्रभाव, और निवारण के उपायों पर चर्चा कर सकते हैं।

प्रदूषण की समस्या पर निबंध कैसे लिखें?

प्रदूषण की समस्या पर निबंध लिखने के लिए, आपको इसके कारण, प्रभाव, और समाधान के बारे में विस्तार से लिखना होगा।

प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?

प्रदूषण का मुख्य कारण है वाहनों, उद्योगों, और अन्य जैविक और अजैविक कारकों से निकलने वाले विषाणु, धूल, ध्वनि, और अन्य जलवायु प्रदूषक।

प्रदूषण का हम पर क्या प्रभाव पड़ता है?

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है, जैसे की डायरिया, ब्रॉन्काइटिस, और अन्य बीमारियाँ। इसके अलावा, यह पर्यावरण को भी हानि पहुंचाता है।

प्रदूषण के बारे में आप कैसे लिखते हैं?

मैं प्रदूषण के खतरों, उसके प्रकारों, और निवारण के उपायों के बारे में लिखता हूँ।

प्रदूषण को 100 शब्दों में क्या कहते हैं?

प्रदूषण एक ऐसी समस्या है जिसमें वायु, पानी, और भूमि के प्रदूषक वातावरण को हानि पहुंचाते हैं। यह स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा करता है।

प्रदूषण का निष्कर्ष क्या है?

प्रदूषण को रोकने के लिए हमें सभी मिलकर काम करना होगा। हमें वायु, जल, और भूमि प्रदूषण को कम करने के लिए सावधानी से उपायों पर विचार करना होगा।

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वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in Hindi)

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण वर्तमान समय पूरे विश्व में विशेषरुप से औद्योगिकीकरण के कारण बड़े शहरों में सबसे बड़ी समस्या है। पर्यावरण में धूंध, धुआं, विविक्त, ठोस पदार्थों आदि का रिसाव शहर के वातावरण को संकेन्द्रित करता है जिसके कारण लोगों को स्वास्थ्य संबंधी खतरनाक बीमारी हो जाती हैं। लोग दैनिक आधार पर बहुत सा गंदा कचरा फैलाते हैं, विशेषरुप से बड़े शहरों में जो बहुत बड़े स्तर पर शहर के वातावरण को प्रदूषित करने में अपना योगदान देता है। मोटर साइकिल (बाइक), औद्योगिक प्रक्रिया, कचरे को जलाना आदि के द्वारा निकलने वाला धुआं और प्रदूषित गैसें वायु प्रदूषण में में अपना योगदान देती हैं। कुछ प्राकृतिक प्रदूषण भी जैसे पराग-कण, धूल, मिट्टी के कण, प्राकृतिक गैसें आदि वायु प्रदूषण के स्त्रोत है।

वायु प्रदूषण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Air Pollution in Hindi, Vayu Pradushan par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 – 300 शब्द).

वायु प्रदूषण की परिभाषा

हमारे जीवन के लिए अनिवार्य वायु का, दूषित हो जानावायु प्रदुषण कहलाता है।वायु प्रदूषण के मानव निर्मित साधन उद्योग, कृषि, ऊर्जा सयंत्र, स्वचलित वाहन, घरेलू स्त्रोत आदि है। मानव निर्मित साधनों से कुछ वायु प्रदूषण जैसे धूम्रपान, धूल, धुएं, पार्टिकुलेट पदार्थ, रसोई से गैस, घरेलू ऊष्मा, विभिन्न वाहनों से निकलने वाला धुआं, कीटनाशकों का उपयोग, खर-पतवार को मारने के लिये प्रयोग की जाने वाली विषाक्त गैसें, ऊर्जा संयत्रों से निकलने वाली ऊष्मा, फ्लाई ऐश आदि से होता है।

वायु प्रदूषण के कारण और प्रभाव

फैक्टरियों , वाहनों आदि से निकलने वाला धुआँ वायु प्रदुषण का एक प्रमुख कारण है। ओज़ोन परत का क्षय होना और पेड़ पौधों की अंधाधुंध कटाई भी वायु प्रदुषण का कारन है। वायु हमारे श्वसन के लिए अनिवार्य है। वायु का दूषित होना हमारे लिए संकट खड़ा कर सकता है। 

वायु प्रदूषण पर नियंत्रण

बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे लहणे चाहिए। हमें पेट्रोलियम की जगह प्राकृतिक गैसों का इस्तेमाल करना चाहिए।औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना रिहायशी इलाकों से दूर होनी चाहिए, लम्बी चिमनी का प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।

वायु प्रदूषण को जड़ से खत्म करना हम सब का दायित्व है। वायु प्रदुषण एक विकराल समस्या है , जो हमारे अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह है। अतः सरकार के साथ ही साथ प्रत्येक नागरिक को इस प्रदुषण से निजाद पाने के लिए प्रयास करना चाहिए।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Air Pollution in Hindi

निबंध 2 (300 शब्द)

जब शुद्ध ताजी हवा धूल, धुआं, विषैली गैसों, मोटर वाहनों, मिलों और कारखानों आदि के कारण प्रदूषित होती है, तो उसे वायु प्रदूषण कहते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, ताजी हवा स्वस्थ्य जीवन का बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है, हमें यह सोचने की जरुरत है, तब क्या होगा जब पूरे वातावरण की वायु गंदी हो जायेगी। सबसे पहले वायु प्रदूषण पूरी मानव जाति के लिये बड़े खेद की बात है। वायु प्रदूषण के कुछ प्रमुख बड़े कारकों में भोले किसानों को द्वारा अपनी फसल की ऊपज को बढ़ाने के लिये विषैले उर्वरकों, कीटनाशकों आदि का प्रयोग है। इन उर्वरकों से रासायनिक और खतरनाक गैसें (अमोनिया) निकलती हैं, और वायु में मिलकर वायु प्रदूषण का कारण बनती है।

जीवाश्म ईधन का जलना जैसे; कोयला, पैट्रोलियम जिसमें अन्य कारखानों के जलावन भी शामिल है, आदि वायु प्रदूषण के मुख्य कारक हैं। मोटर वाहनों और स्वचलित वाहनों से निकलने वाला विभिन्न प्रकार का धुआं जैसे कारों, बसों, बाइक, ट्रक, जीप, ट्रेन, हवाई जहाज आदि भी वायु प्रदूषण का कारण हैं। उद्योगों की बढ़ती संख्या के कारण विषैले औद्योगिक धुएं और हानिकारक गैसें (जैसे कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बनिक यौगिकों, हाइड्रोकार्बन, रसायन, आदि) कारखानों तथा मिलों में से पर्यावरण में छोड़ी जाती हैं। कुछ घरेलू गतिवधियाँ जैसे सफाई करने के लिये अज्ञानतावश सफाई उत्पादकों का प्रयोग करना, कपड़े धोने का पाउडर, पेंट आदि भी बहुत से विषैले रसायनों को वायु में छोड़ता है।

लगातार बढ़ते प्रदूषण के स्तर ने इसके सजीवों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक और हानिकारक प्रभावों को भी बढ़ाया है। वायु प्रदूषण ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने का भी कारण है क्योंकि वातावरण का तापमान ग्रीन हाउस गैसों के स्तर के बढ़ने के कारण ही बढ़ रहा है। ये ग्रीन हाउस गैसें ग्रीन हाउस प्रभाव और बढ़ता हुआ समुद्र का स्तर, ग्लेशियर का पिघलना, मौसम का बदलना, जलवायु का बदलना आदि को फिर से बढ़ाती हैं। बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण कई घातक रोगों (कैंसर, हार्टअटैक, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, गुर्दें की बीमारियाँ आदि) और मृत्यु का कारण बन रहा है। बहुत से महत्वपूर्ण पशुओं और पेड़-पौधों की प्रजातियाँ इस ग्रह से पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं। पर्यावरण में हानिकारक गैसों का बढ़ना अम्लीय वर्षा और ओजोन परत के क्षरण का कारण बन रहा है।

निबंध 3 (400 शब्द)

वातावरण की ताजी हवा में हानिकारक और विषैले पदार्थों का लगातार बढ़ना वायु प्रदूषण का कारण है। विभिन्न बाह्य तत्वों, विषाक्त गैसों और अन्य मानवीय क्रियाओं के कारण उत्पन्न प्रदूषण ताजी हवा को प्रभावित करता है जो प्रतिकूलता से फिर मानव जीवन, पेड़-पौधों और पशुओं को प्रभावित करता है। वायु प्रदूषण का स्तर उन सभी प्रदूषणों पर निर्भर करता है जो विभिन्न स्त्रोतों से निकलता है। स्थलाकृति और मौसम की स्थिति प्रदूषण की निरंतरता को बढ़ा रही हैं। उद्योगों में विनिर्माण प्रक्रिया में इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के कच्चे माल से हानिकारक गैसों के उत्सर्जन की मात्रा बढ़ती जा रही है। बढ़ता हुआ जनसंख्या घनत्व और अधिक औद्योगिकीकरण की मांग कर रहा है, जो आखिरकार वायु प्रदूषण का कारण बनता है।

वायु प्रदूषण हानिकारक तरल बूंदों, ठोस पदार्थों और विषाक्त गैसों (कार्बन ऑक्साइड, हलोगेनटेड और गैर- हलोगेनटेड हाईड्रोकार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर गैसें, अकार्बनिक पदार्थ, अकार्बनिक और कार्बनिक अम्ल, बैक्टीरिया, वायरस, कीटनाशक आदि) का मिश्रण है, जो सामान्यतः ताजी हवा में नहीं पाये जाते और पेड़-पौधों और पशुओं के जीवन के लिये बहुत खतरनाक है। वायु प्रदूषण दो प्रकार का होता है जोकि प्राकृतिक और मानव निर्मित स्त्रोत है। वायु प्रदूषण के कुछ प्राकृतिक स्रोतों जैसे, ज्वालामुखी विस्फोट, ज्वालामुखी (राख, कार्बन डाइऑक्साइड, धुआं, धूल, और अन्य गैसें), रेत संकुचन, धूल, समुद्र और महासागर की लवणीयता, मिट्टी के कण, तूफान, जंगलों की आग, ब्रह्मांडीय कण, किरण, क्षुद्रग्रह सामग्री की बमबारी, धूमकेतु से स्प्रे , पराग अनाज, कवक बीजाणु, वायरस, बैक्टीरिया आदि है।

वायु प्रदूषण के मानव निर्मित साधन उद्योग, कृषि, ऊर्जा सयंत्र, स्वचलित वाहन, घरेलू स्त्रोत आदि है। मानव निर्मित साधनों से कुछ वायु प्रदूषण जैसे धूम्रपान, धूल, धुएं, पार्टिकुलेट पदार्थ, रसोई से गैस, घरेलू ऊष्मा, विभिन्न वाहनों से निकलने वाला धुआं, कीटनाशकों का उपयोग, खर-पतवार को मारने के लिये प्रयोग की जाने वाली विषाक्त गैसें, ऊर्जा संयत्रों से निकलने वाली ऊष्मा, फ्लाई ऐश आदि से होता है। वायु प्रदूषण की संख्या बढ़ने के कारण इसे दो प्रकार में बांटा गया, प्राथमिक प्रदूषण, और द्वितीयक प्रदूषण। प्राथमिक प्रदूषण वो है जो प्रत्यक्ष रुप से ताजी हवा को प्रभावित करता है और धुआं, राख, धूल, धुएं, धुंध, स्प्रे, अकार्बनिक गैसों, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया, नाइट्रिक ऑक्साइड और रेडियोधर्मी यौगिकों से उत्सर्जित होता है। द्वितीयक प्रदूषक वो हैं जो वायु को अप्रत्यक्ष रुप प्राथमिक कारकों के साथ रासायनिक क्रिया करके जैसे सल्फर ट्राई ऑक्साइड, ओजोन, हाइड्रोकार्बन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, आदि से प्रभावित करते हैं।

पूरी दुनिया के लोगों के सामूहिक प्रयासों के द्वारा वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना रिहायशी इलाकों से दूर होनी चाहिए, लम्बी चिमनी का प्रयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये (फिल्टर और इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिपिटेटर्स के साथ), छोटे तापमान सूचकों के स्थान पर उच्च तापमान संकेतकों को प्रोत्साहन, ऊर्जा के अज्वलनशील स्रोतों का उपयोग करना, पैट्रोल में गैर-नेतृत्वकारी एन्टीनॉक ऐजेंट के प्रयोग को बढ़ावा देना, वृक्षारोपण को बढ़ावा देना और भी बहुत से सकारात्मक प्रयासों को करना।

Essay on Air Pollution in Hindi

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Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध

September 23, 2017 by essaykiduniya

Get information about Pollution in Hindi. Here you will get Paragraph & Short Essay on Pollution in Hindi Language / Pradushan par Nibandh / Pradushan ke Karan in Hindi for students of all classes in 150, 250, 500, 600 and 1000 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में प्रदूषण पर निबंध मिलेगा।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 150 words )

हमारे चारों ओर की चीज़ों को पर्यावरण कहा जाता है। यह जीवित प्राणियों और वनस्पतियों की दुनिया के साथ भूमि, पानी, हवा का संयोजन है। प्रकृति द्वारा बनाए गए पर्यावरण में एक अद्भुत संतुलन रहा है, और यह पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखता है। लेकिन मनुष्य जो की सबसे बुद्धिमान प्राणी है, ने अपने लाभ के लिए प्रकृति का शोषण करने की कोशिश की है। उन्होंने संसाधनों का उपयोग अपने तरीके से करने के लिए आविष्कारक कौशल लागू किया है। इसने प्रदूषण के कारण पारिस्थितिक संतुलन वितरित किया है। हमारी तथाकथित प्रगति और समृद्धि के लिए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करने की हमारी इच्छा ने हमें अपने पर्यावरण को नष्ट कर दिया है जिससे हमारे लिथोस्फीयर, वायुमंडल, जलमंडल और जीवमंडल को काफी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। हम निश्चित रूप से भविष्य में परेशानी में होंगे। इसलिए, हमें किसी भी कीमत पर अपने पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 250 Words ) 

यह सही कहा जाता है कि मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन मनुष्य ही है वह इतना स्वार्थी हो गया है कि वह प्रकृति का शोषण कर रहा है। आज मनुष्य द्वारा बनाई गई सबसे गंभीर समस्या पर्यावरण प्रदूषण है। दूर के अतीत में कोई भी समस्या पर गंभीरता से ध्यान नहीं देता, लेकिन आज यह एक भयानक समस्या बन गई है। प्रदूषण की समस्या के लिए औद्योगिकीकरण की तेजी से प्रगति के साथ आधुनिक जीवन शैली को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। हर जगह हम अपने साँस को दबाने के अंधेरे बादलों को देख सकते हैं। सड़कों में वाहनों से भीड़ होती है जो जहरीली गैसों का उत्सर्जन करती हैं। कारखानों और कार्यशालाओं की चिमनी से निकलने वाले धुएं के कारण स्थिति बढ़ गई है।

व्यस्त सड़क पर कुछ मिनट के लिए भी चलना मुश्किल है। यह लोगों की एक आम शिकायत है कि उनकी आँखें अंधी हैं, कान बहरे हुए हैं और नाक की रासायनिक धूल और धुआं लापरवाह वनों की कटाई के परिणामस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग और अनियमित मानसून में हुई है। आक्सीजन इन दिनों दुर्लभ हो रहा है। दिन दूर नहीं हैं जब हमें श्वास लेने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाना होगा। रसायन उर्वरकों, कीटनाशकों और दवाइयों के अत्यधिक उपयोग ने हमारी धरती को जहरीली बना दिया है। पीने के पानी खतरनाक रसायनों से भरे हुए हैं।

वायु प्रदूषण भी चर्चा करने के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि विज्ञान ने कई घातक बीमारियों का इलाज पाया है लेकिन प्रदूषण ने घातक रोगों की सूची में कई बीमारियों को शामिल किया है। इन बीमारियों को कभी भी नहीं सुना था। अब स्थिति ऐसे पास से आई है जहां मनुष्य, पशु और वनस्पति का हर अस्तित्व राज्य में है। हमें जागना और प्रदूषण को रोकना चाहिए अन्यथा यह बहुत देर हो जाएगी।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 500 Words )

प्रदूषण का अर्थ है वातावरण या वायुमंडल का दूषित होना। प्रदूषण की समस्या आधुनिक वैज्ञानिक युग की देन है। इस समस्या से विश्व के अधिकांश देश ग्रसित हैं। प्रकृति ने मानव की जीवन-प्रक्रिया को स्वस्थ बनाए रखने के लिए, उसे शुद्ध वायु, जल और वनस्पति तथा भूमि प्रदान की है। परंतु जब किन्हीं कारणों से ये सब दूषित हो जाती हैं तो मानव तथा अन्य प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए विभिन्न प्रकार से हानिकारक हो जाती हैं।

प्रदूषण चार प्रकार का होता है-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और भूमि प्रदूषण। आधुनिक वैज्ञानिक युग में आर्थिक प्रगति के नाम पर अनेक प्रकार के छोटेबड़े कल-कारखानों और उद्योगों का विकास मानव ने अपनी भौतिक सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए कर लिया है। जनसंख्या वृद्धि के कारण ग्राम, नगर और महानगरों ने बढ़ना आरंभ कर दिया है। वन क्षेत्र को काटकर आवास की समस्या हल की जा रही है। उत्पादन और सुरक्षा के लिए ऐसे यंत्रों का निर्माण किया जा रहा है जो रात-दिन ध्वनि और धुआँ उगलते रहते हैं। नदियों पर बा रहे हैं। परिवहन की सुविधा उपलब्ध होने के कारण ग्रामीण राज उगलते रहते हैं। नदियों पर बाँध बनाए जा बड़ी संख्या में नगरों-महानगरों की ओर आ रहे हैं। महानगरों के लोग ओर आ रहे हैं। महानगरों के लोग अपने उद्योगधंधा का गांव की ओर बढ़ा रहे हैं। इससे प्रदूषण को बढ़ावा मिल रहा है।

कल-कारखानों का दुषित और अनियंत्रित जल-मल बाहर निकलकर दुयु गैस फैलाला है। कारखानों की धुआँ गलती हुई चिमनियाँ दूर-दूर तक वातावरण को दूषित करती हैं, इनसे वायुमंडल दषित हो जाता है। इससे सॉस और फेफड़ा के रोग पनपते हैं, आँखें खराब होती हैं। वाहनों और मशीनों के शोर, यातायात के साधनों के हार्मों की चिल्ल-पों, चीखते लाउडस्पीकर, तेज आवाज़ में चलते टेलीविज़न, रेडियो, टेपरिकार्डर आदि से ध्वनि प्रदूषण फैलता है। सुनाई देना कम हो जाता है, रक्तचाप बढ़ जाता है। शारीरिक व मानसिक रोग पनपते हैं। इससे मानव स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। जा स्रोतों में नहाने, कपडे धोने, मल-मूत्र त्यागने, जानवरों के नहलाने, शवा की राख बहाने आदि से भी जल प्रदूषित हो जाता है जिससे हैजा, आंत्रशोथ तथा पेचिश जैसे रोग हो जाते हैं। उपज बढ़ाने के लिए भूमि में विभिन्न प्रकार की रासायनिक खादों को मिलाया।

जा रहा है जिससे भूमि प्रदूषण होता है। ऐसी प्रदूषित भूमि में उत्पन्न होने वाला खाद्यान्न, साग-सब्ज़ियाँ भी प्रदूषित हो जाती हैं। इनके खाने से मानव के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ते हैं। हमारे देश में ही नहीं, विश्व के अन्य देशों में भी प्रदूषण की समस्या निर्बाध रूप से बढ़ रही है। यह ठीक है कि विज्ञान की प्रगति के साथ औद्योगीकरण का विकास भी अनिवार्य हो गया है। यही रास्ता है जिस पर चलकर कोई देश आर्थिक रूप से संपन्न हो सकता है। किंतु फिर भी हमें आधुनिक सभ्यता के पर्याय ध्वनि विस्तारक यंत्र, आँखों को चौंधियाती बत्तियाँ, रसायनों से बने खाद्य और वस्त्र, औषधियाँ और सौंदर्य प्रसाधन, परिवहन के साधनों की अनिवार्यता पर अंकुश लगाना पड़ेगा।

इसके अतिस्क्ति मानव निर्मित कृत्रिम वातावरण व प्रकृति द्वारा प्रदत्त वातावरण में संतलन कायम करना होगा। वनों की अंधाधुंध कटाई को रोकना पड़ेगा। वन क्षेत्र बढाने के लिए वृक्ष लगाने होंगे। जनसंख्या पर नियंत्रण करना पड़ेगा। खतरनाक रसायनों को कम-से-कम प्रयोग करना पड़ेगा। अणुबमों के विकास तथा परीक्षण पर रोक लगानी पड़ेगी, तभी आधुनिक सभ्यता में जीने वाला मानव स्वस्थ और सुखी जीवन व्यतीत कर सकेगा।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 600 Words )

प्रदूषण मानव जाति के लिए सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है| प्रदूषण को बहुत बड़ी मात्रा में पर्यावरण में जहरीले और अवांछित पदार्थों के अलावा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। तीन तरह के प्रदूषण-हवा, पानी और मिट्टी है विभिन्न ऑटोमोबाइल और उद्योगों द्वारा वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड जैसे विषाक्त गैसों का उत्सर्जन, जीवन देने वाले ऑक्सीजन की असंतुलन का कारण बनता है। इस प्रकार हवा प्रदूषित हो जाता है और सांस लेने के लिए अयोग्य है। उद्योगों से अपशिष्ट जल और उनके तरल पदार्थों को नदियों और समुद्रों में छोड़ दिया जाता है।

वे जल प्रदूषण करने के अलावा समुद्री जीवन को भी मारते हैं, तटीय और नदी के पारिस्थितिकी को नुकसान पहुंचाते हैं और पेयजल संसाधनों को नष्ट करते हैं। मक्खियों जो इन प्रदूषकों पर फ़ीड अपने शरीर पर जहर बरकरार रखता है। जब मनुष्य इन मछलियों का उपभोग करते हैं तो उन्हें जहर मिलता है।  पर्यावरण प्रदूषण एक बहुत गंभीर विषय है| कृषि में उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक और गैर-जिम्मेदार उपयोग से मिट्टी प्रदूषण का कारण बनता है। यह केवल इसलिए है क्योंकि पौधे केवल उर्वरक या कीटनाशक का एक निश्चित मात्रा ले सकता है अतिरिक्त मात्रा मिट्टी में जाती है जिससे मिट्टी के पुनरुत्थान की शक्तियों को नष्ट हो जाता है और इसे बांझकर बना दिया जाता है। बारिश के दौरान अक्सर यह अतिरिक्त उर्वरक और कीटनाशक के पास के तालाबों और नहरों में प्रवाह होता है, जो इस प्रकार ज़हर हो जाते हैं।

नवीनतम प्रदूषक जो हवा, पानी और मिट्टी की धमकी दे रहा है वह परमाणु अपशिष्ट और उत्सर्जन है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में कोई भी दुर्घटना मिट्टी, वायु, अनाज, पानी इत्यादि में उत्पन्न होती है, जिससे उन्हें सभ्यता के लिए अयोग्य बनाते हैं। वैसे, सबकुछ नष्ट नहीं हुआ है। हाल ही में तकनीकी प्रगति ने प्रदूषण को नियंत्रित करने और पारिस्थितिकी को अपने मूल गुणवत्ता में लौटाना संभव बना दिया है। इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेसिटीटेटर्स या औद्योगिक उत्सर्जन, ऑटोमोबाइल उत्सर्जन के लिए उत्प्रेरक कन्वर्टर्स, औद्योगिक अपशिष्ट जल और तरल पदार्थों के लिए पौधों को रीसाइक्लिंग और कृषि प्रयोजनों के लिए जैव उर्वरक और कीटनाशकों आदि आदि कुछ ऐसे उपाय हैं जो प्रकृति को अपनी पवित्रता प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं। इन उपायों की उपस्थिति में अब जो जरूरी है वह जनता है और राजनीतिक दृढ़ संकल्प को छूटेगा, ताकि हम एक बार फिर साफ वातावरण में रह सकें।

शोर प्रदूषण का भी पर्यावरण और लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अनुसंधान से पता चलता है कि कई बीमारियां शोर प्रदूषण से जुड़ी हैं, जैसे कि सुनवाई हानि, उच्च रक्तचाप, कोरोनरी हृदय रोग और भाषण हस्तक्षेप। औद्योगिक शोर भी पशुओं के जीवन को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, जहाज़ों की आवाज़ के कारण व्हेल नेविगेशन प्रणाली टूट जाती है| इसके अलावा, औद्योगिक शोर जंगली प्रजातियों को अधिक जोर देने के लिए संवाद करता है जिससे अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता होती है और उनकी जीवन अवधि कम हो जाती है। जनसंख्या और तकनीकी प्रगति का विकास पृथ्वी के पारिस्थितिक अवस्था पर आधारित है।

प्राकृतिक स्रोतों, कारखानों और पौधों का काम, और मानव गतिविधि के अन्य उत्पादों का निष्कर्षण परिणामस्वरूप विभिन्न पर्यावरणीय समस्याओं में होता है। पानी, वायु और ध्वनि का प्रदूषण हमारे पर्यावरण पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रदूषण के प्रभाव में एसिड बारिश, हानिकारक बीमारियों और लोगों और जानवरों की बीमारियों और ग्लोबल वार्मिंग शामिल है। पर्यावरण प्रदूषण वैश्विक समस्या है जो पर्यावरण संरक्षण और पुनर्वास के लिए कट्टरपंथी कार्यों की मांग करता है। इसके अलावा, वैश्विक समुदाय के एकजुट प्रयासों द्वारा इस समस्या का वैश्विक स्तर पर हल किया जाना चाहिए।

Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध ( 1000 Words )

‘प्रदूषण’ शब्द को लैटिन शब्द ‘प्रदूषण’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘गंदी बनाना’ प्रदूषण पर्यावरण को बनाने की प्रक्रिया है, अर्थात्, भूमि, पानी और हवा में हानिकारक पदार्थों को जोड़कर गंदा। पर्यावरण में प्रदूषण असंतुलन का कारण बनता है। इस असंतुलन ने जीवन के सभी रूपों के बहुत अस्तित्व को खतरा बताया है यह पूरी दुनिया के लिए खतरा है| पर्यावरण निष्पादन सूचकांक 2012 में भारत 132 देशों में से कम 125 में स्थान रखता है। यह रिपोर्ट विश्व आर्थिक मंच के साथ मिलकर येल और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार की जाती है। पर्यावरण प्रदूषण औद्योगिक समाज की एक गंभीर समस्या है औद्योगिक विकास और हरित क्रांति ने पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

लोगों ने पूरे जीवन की जीवन-प्रणाली को अपने संसाधनों में परिवर्तित कर दिया है और प्राकृतिक पारिस्थितिक संतुलन में काफी परेशान किया है। मानवीय लालच को संतुष्ट करने के लिए संसाधनों का अति प्रयोग, दुरुपयोग और कुप्रबंधन के कारण गंभीर गिरावट और कमी ‘का कारण रहा है। पर्यावरण प्रदूषण को हमारे परिवेश के प्रतिकूल परिवर्तन के रूप में परिभाषित किया गया है। यह मानवीय गतिविधियों का उप-उत्पाद है जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण में होने वाले बदलावों के लिए जिम्मेदार हैं। ये परिवर्तन भूमि, वायु या पानी के शारीरिक, रासायनिक या जैविक विशेषताओं में हो सकते हैं जो मानव जीवन और अन्य जीवित चीजों को नुकसान पहुंचाते हैं। जनसंख्या विस्फोट, तेजी से औद्योगिकीकरण, वनों की कटाई, अनियोजित शहरीकरण, वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति आदि पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं।

भारत के कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 35 प्रतिशत गंभीर पर्यावरणीय प्रदूषण के अधीन है। पृथ्वी के तीन-चौथाई पानी होते हैं, फिर भी पिटबुल पानी की कमी होती है भारत में, नदियों, झीलों, तालाबों और कुओं जैसे पानी के सभी स्रोत प्रदूषित हैं और पीने के लिए अयोग्य हैं। उर्वरकों के बढ़ते उपयोग के परिणामस्वरूप, नदियों, समुद्र और महासागर हानिकारक प्रदूषक के साथ दूषित हो गए हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि हर साल 500 टन से अधिक पारा महासागर में प्रवेश करता है। तेल की सफ़ाई, औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थों, सीवेज और उर्वरकों ने जल जीवन को भी धमकी दी है। औद्योगिकीकरण ने शहरीकरण के लिए नेतृत्व किया है।

काम की तलाश में शहरों में ग्रामीण आबादी का उत्थान एक अस्वस्थ वातावरण बनाता है। यह झुग्गी क्षेत्रों की भीड़-भाड़ और स्थापना के लिए प्रेरित हुआ है। कस्बों और शहरों में धुएं, गंदगी, धूल, बकवास, गैसों, गंध और शोर से भरे हुए हैं। वायु प्रदूषण प्रदूषण का सबसे खतरनाक रूप है। यह उद्योगों से गैस उत्सर्जन, थर्मल पावर स्टेशन, घरेलू दहन, आदि से निकलता है। वायु प्रदूषण के कारण, हवा की संरचना पूरी दुनिया में बदल रही है। ज्यादातर गैस और वायु प्रदूषण ईंधन के जलने से उत्पन्न होते हैं। कोयले की जलन कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि उत्पन्न करती है, जो अम्ल वर्षा के लिए जिम्मेदार हैं।

क्लोरोफ्लोरोकार्बन, जो प्रणोदक और रेफ्रिजरेंट के रूप में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, ओजोन की कमी के कारण होता है। परमाणु विस्फोट और परमाणु परीक्षण, जो दिन से बढ़ रहे हैं, हवा में रेडियोधर्मी सामग्री फैलाएं। यह रेडियोधर्मी प्रदूषण के कारण मानव में कैंसर, असामान्य जन्म और उत्परिवर्तन हो सकता है। आगरा में ताजमहल , मथुरा रिफाइनरी से उत्सर्जित धुएं से प्रभावित है। रिपोर्टों का अनुमान है कि रिफाइनरी से हानिकारक उत्सर्जन के कारण स्मारक बीस वर्षों के अंतराल के भीतर विलीन हो जाएगा।

जल प्रदूषण में पानी की गुणवत्ता में भारी प्रभाव पड़ता है। यह पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को परेशान करता है और स्वास्थ्य संबंधी खतरों का कारण बनता है। पानी अकार्बनिक और जैविक या जैविक पदार्थों की मौजूदगी या इसके अलावा के द्वारा प्रदूषित हो जाता है। नदियों में फेंकने वाले औद्योगिक अपशिष्ट जल को जल प्रदूषण के स्तरों में जोड़ देते हैं। शोर भी प्रमुख प्रदूषकों में से एक है। मेगा शहरों में सामान्य शोर स्तर खतरनाक रूप से बढ़ रहा है शोर मुख्यतः लाउडस्पीकर, एयरक्राफ्ट और अन्य मोटर वाहन, जुलूस और रैलियों के कारण होता है|

मृदा प्रदूषण आम तौर पर कृषि पद्धतियों से और अमानवीय आदतों से ठोस और अर्द्ध ठोस अपशिष्टों के निपटान से निकलता है। खतरनाक सामग्री और सूक्ष्म जीवों द्वारा मिट्टी को अत्यधिक प्रदूषित किया जाता है, जो खाद्य श्रृंखला या पानी में प्रवेश करते हैं और कई स्वास्थ्य खतरा पैदा करते हैं ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में जलवायु परिवर्तन हुआ है।

प्रदूषण की वृद्धि के कारण ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि हुई है। प्राकृतिक और मानव गतिविधि दोनों के परिणामस्वरूप ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण पृथ्वी के तापमान में ग्लोबल वार्मिंग औसत वृद्धि है जलवायु परिवर्तन का शब्द अक्सर ग्लोबल वार्मिंग शब्द के साथ एक दूसरे शब्दों में प्रयोग किया जाता है। ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ टोपी तेजी से पिघल शुरू हो गई है इससे समुद्र और महासागरों के जल स्तर के उदय में वृद्धि हुई है। अंटार्कटिका में ‘घास अंकुरण’ और संयुक्त अरब अमीरात के रेगिस्तान में बर्फबारी, ग्लोबल वार्मिंग के सभी चेतावनी संकेत हैं। ये ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण होते हैं|

भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है, लेकिन जंगलों के विनाश के कारण जलवायु परिवर्तन में बदलाव आया है। इससे वन्य जीवन की कई दुर्लभ प्रजातियों के विलुप्त होने का भी कारण बन गया है। प्रदूषण विभिन्न प्रकार के रोगों का कारण बनता है वायु प्रदूषण एलर्जी, अस्थमा, फेफड़े के कैंसर और ब्रोंकाइटिस का कारण बनता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण श्वसन समस्याओं, पक्षाघात, कैंसर और अन्य बीमारियों का कारण है। अत्यधिक शोर प्रदूषण के कारण बधिरता, चिंता, तनाव, दिल की धड़कन की दर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि हो सकती है। ओजोन परत की कमी के कारण त्वचा रोग भी हो सकते हैं। प्रदूषण के इस खतरे से लड़ने के लिए, जोरदार प्रयास किए जाने चाहिए। प्रदूषण विरोधी कानून को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। जल प्रदूषण को रोकने के लिए, सीवेज और कारखाना कचरे को उचित तरीके से इलाज और साफ करने से पहले साफ किया जाना चाहिए। हर जगह और वाहनों को पर्यावरण के अनुकूल बनाया जाना चाहिए।

जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य के बीच सीधा संबंधों की जागरूकता, इन समस्याओं से प्रभावी ढंग से निपटने और विनाश से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। दुनिया के सभी देशों को पर्यावरण पर नियंत्रण रखने के लिए जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए प्रदूषण। इस दिशा में एक कदम संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन है, जो दुनिया के सभी सदस्य देशों को एक मेज पर मंथन करने के लिए लाता है, और जलवायु परिवर्तन से निपटने के तरीके अपनाता है।

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध (  Essay On Pollution in Hindi Language – प्रदूषण पर निबंध )को पसंद करेंगे।

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प्रदूषण पर निबंध (Essay On Pollution In Hindi)- प्रदूषण शब्द सुनते ही हमारे मन में तरह-तरह के सवाल उमड़-घुमड़ करने लगते हैं और हम इस कदर चिंतित हो उठते हैं कि अब तो इस समस्या का कोई न कोई हल तो अवश्य ही ढूंढ निकालेंगे। हमारा देश हमेशा से ही प्राकृतिक आपदाओं, वैश्विक महामारियों, प्रदूषण आदि जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करता आया है। शहरों में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। प्रदूषण शहरों पर इस कदर हावी हो चुका है कि अब वहाँ रह रहे लोगों के लिए इसके बचकर निकल पाना मतलब शेर के पिंजरे से जिंदा बचकर आने के बराबर है।

प्रदूषण पर निबंध (Essay On Pollution In Hindi)

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प्रदूषण पर निबंध Pollution Essay In Hindi

प्रदूषण का संबंध प्रकृति से जुड़ी किसी भी एक चीज़ को होने वाली हानि या नुकसान से नहीं है बल्कि उन सभी प्राकृतिक संसाधनों को खराब करने या व्यर्थ करने से है जो हमें प्रकृति ने बड़े ही सौंदर्य के साथ सौंपे हैं। यह तो सत्य है कि जैसा व्यवहार हम प्रकृति के साथ करेंगे वैसा ही बदले में हमें प्रकृति से मिलेगा। मिसाल के तौर पर हम कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय को याद कर सकते हैं कि किस प्रकार प्रकृति की सुंदरता देखी गई थी, जब मानव निर्मित सभी चीज़ें (वाहन, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि) बंद थीं और भारत में प्रदूषण का स्तर कुछ दिनों के लिए काफी कम हो गया था या कहें तो, लगभग शून्य ही हो गया था।

इस उदाहरण से एक बात तो पानी की तरह साफ है कि समय-समय पर हो रहीं प्राकृतिक घटनाओं, आपदाओं, महामारियों आदि के लिए ज़िम्मेदार केवल-और-केवल मनुष्य ही है। जब भी हम प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों की बात करते हैं, तो उनमें वो सभी चीज़ें शामिल हैं जो मनुष्य को ईश्वर या प्रकृति से वरदान के रूप में मिली हैं। इनमें वायु, जल, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, नदियाँ, वन, पहाड़ आदि चीज़ें शामिल हैं। मनुष्य होने के नाते इन सभी प्राकृतिक चीज़ों और संसाधनों की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। प्रकृति हमारी रक्षा तभी करेगी जब हम उसकी रक्षा करेंगे।

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प्रदूषण का अर्थ

आज के समय में प्रकृति को जो सबसे अधिक नुकसान पहुँचा सकता है वो प्रदूषण है। प्रदूषण का आसान सा मतलब है कि हवा, पानी और मिट्टी का दूषित हो जाना। इन प्राकृति संसाधनों के दूषित हो जाने के कारण हम न तो ताजी हवा में सांस ले रहे हैं, न स्वच्छ पानी पी रहे हैं, न शुद्ध खाना खा रहे हैं और न ही शांत वातावरण में रह रहे हैं, जिसका हम अधिकार रखते हैं। हरियाली, हरे-भरे बाग-बगीचे, चिड़ियों की चहचहाहट, नदियों का साफ और नीला जल मानो आने वाले समय में महज़ एक सपना बनकर ही न रह जाए। मनुष्य से लेकर पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, जल, वायु, अग्नि आदि सभी जैविक और अजैविक घटक मिलकर हमारे पर्यावरण को बनाते हैं। इन सभी चीजों का पर्यावरण निर्माण में विशेष योगदान रहता है परंतु आज इन सभी चीजों को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है।

प्रदूषण क्या है?

प्रदूषण को समझने के लिए हमें सबसे पहले यह पता होना चाहिए कि आख़िर प्रदूषण है क्या? आसान शब्दों में इसे समझें, तो जब हवा, पानी, मिट्टी आदि में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे गंदा और दूषित करने लगते हैं और मनुष्य, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे आदि प्राकृतिक चीज़ों के स्वास्थ्य पर जब उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है, तो उसे ही हम प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण के कारण प्राकृतिक असंतुलन पैदा होने का खतरा बढ़ जाता है और यह मानव जीवन के लिए भी गंभीर समस्या खड़ी कर सकता है।

ये सब देखते हुए यह हमारी ही जिम्मेदारी बनती है कि हमने जाने-अंजाने में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर पर्यावरण को जो नुकसान पहुँचाया है, अब उसमें जल्द-से-जल्द सुधार करते हुए प्रदूषण की समस्या को धीरे-धीरे खत्म किया जाए। पेड़ों और जंगलों को नष्ट करने से तो हमें रोकना है लेकिन उससे ज़्यादा ज़रूरत हमें अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करने की है। ऐसे ही प्रयासों से प्रदूषण की इस समस्या पर धीरे-धीरे काबू पाया जा सकता है। इसी तरह और भी बहुत से उपाय हैं, जिनसे हम सभी मिलकर प्रदूषण को कम करने की हर संभव कोशिश कर सकते हैं और एक नए अभियान की शुरुआत कर सकते हैं। अब बात करते हैं प्रदूषण के कारणों, प्रकारों और बचावों के बारे में।

प्रदूषण के कारण

प्रदूषण होने के पीछे कई बड़े कारण हमारे सामने आते हैं। ये वो कारण हैं जिसने प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या को जन्म दिया है। प्रदूषण ने प्रकृति और मानव जीवन में ज़हर के समान दूषित और जहरीले तत्वों को घोलकर हमें मौत के नज़दीक लाकर खड़ा कर दिया है। प्रदूषण के बड़े कारणों में निम्नलिखित कारण शामिल हैं, जैसे-

  • वनों को तेजी से काटना
  • कम वृक्षारोपण
  • बढ़ती जनसंख्या
  • बढ़ता औद्योगिकीकरण
  • प्रकृति के साथ छेड़छाड़
  • कारखाने, वाहन और मशीनें
  • वैज्ञानिक संसाधनों का अधिक उपयोग
  • कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग
  • तेजी से बढ़ता शहरीकरण
  • प्राकृतिक संसाधनों की बढ़ती खपत

ये सभी वो कारण हैं जिन्होंने प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। इनके अलावा न जाने और कितने ही ऐसे छोटे-बड़े कारण हैं जिनका अंदाज़ा लगा पाना एक आम इंसान के बस में नहीं है। एक सबसे गंभीर कारण है और वो है देश की बढ़ती हुई जनसंख्या। ये वो कारण है जिसकी वजह से तेजी से पेड़ों की कटाई की जा रही है, औद्योगिकीकरण को और तेज़ किया जा रहा, मशीनों के प्रयोग में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है, गांवों को धीरे-धीरे खत्म करके उन्हें शहर में बदला जा रहा है, लोग रोज़गार के लिए अपने गांवों को छोड़कर शहरों में जा रहे हैं, प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों का उपयोग लोग असीमित मात्रा में कर रहे हैं जिस वजह से प्रदूषण का स्तर लगातर बढ़ता ही जा रहा है। पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए पेड़-पौधे सबसे अहम भूमिका अदा करते हैं लेकिन हम मानव जाति के लोग अपनी ज़रूरतों के लालच में इन्हें बढ़ी ही बेरहमी से खत्म कर रहे हैं।

प्रदूषण के प्रकार

अब हम बात करते हैं प्रदूषण के प्रकारों के बारे में। प्रदूषण के इन प्रकारों के कारण भी पिछले कई सालों में प्रदूषण का स्तर बहुत ज़्यादा बढ़ गया है। प्रदूषण के कई अलग-अलग प्रकार हैं जिसकी वजह से प्रदूषण की समस्याओं में इज़ाफा हुआ है और ये प्रदूषण के बढ़ने के लिए ज़िम्मेदार भी हैं। प्रदूषण के प्रकार निम्नलिखित हैं. जैसे-

  • वायु प्रदूषण – वायु प्रदूषण को प्रदूषण के सबसे खतरनाक प्रकारों में एक माना जाता है क्योंकि यह सीधा हवा में घुलकर हम सभी की सेहत पर बुरा प्रभाव डालता है। वायु प्रदूषण के होने का मुख्य कारण उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इनमें से निकलने वाले हानिकारक और जहरीले धुएं से लोगों को सांस लेने के लिए काफी मुश्किल और तकलीफ का सामना करना पड़ता है। लगातार बढ़ते हुए उद्योगों और वाहनों के कारण वायु प्रदूषण की मात्रा में काफी वृद्धि हुई है। वायु प्रदूषण के कारण लोगों को दिल और फेफड़ों से संबंधित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। किसी भी प्रकार की जलने वाली आग से जो धुआं निकलता है, वह धुआं भी वायु प्रदूषण को बढ़ाता है और सभी जीवों को नुकसान पहुँचाता है।
  • जल प्रदूषण- जिन कारखानों में और घरों में हम काम करते हैं और वहाँ से जो कूड़ा-कचरा निकलता है उसे हम राह चलते कहीं पर भी फैंक देते हैं जो कई बार नालियों में बहता हुआ नदियों और दूसरे जल स्त्रोतों में जाकर मिल जाता है। इसे ही हम जल प्रदूषण कहते हैं। कभी शुद्ध, साफ-सुथरी और पवित्र मानी जानें वाली हमारी यह नदियां अब प्रदूषित होती जा रही हैं और कई तरह की बीमारियों का भी घर बन गई हैं। इसकी एक नहीं बल्कि बहुत सी वजह है जैसे प्लास्टिक पदार्थ, रासायनिक कचरा और दूसरे कई प्रकार के कचरों का पानी में मिल जाना। अगर ये कचरा एक बार जल में मिल जाता है तो फिर यह जल्दी से घुल नहीं सकता, जिस वजह से जल प्रदूषण होता है।
  • मृदा या भूमि प्रदूषण- जो कचरा फैक्ट्रियों और घरों से निकलकर पानी में घुल नहीं पाता है और फिर वह जमीन पर ही फैला रहता है, वो ही मृदा प्रदूषण की समस्या को बढ़ाता है। हालांकि इस कचरे को दोबारा प्रयोग में लाने के लिए विभिन्न स्तर पर कोशिश की जाती है। भूमि प्रदूषण की वजह से मच्छर, मक्खियाँ और दूसरे तरह के कीड़े पनपने लगते हैं, जिस वजह से मनुष्यों और दूसरे जीव-जंतुओं में अलग-अलग तरह की गंभीर बीमारियाँ होने लगती हैं और उनकी मृत्यु भी हो जाती है।
  • ध्वनि प्रदूषण- ध्वनि प्रदूषण का सीधा संबंध शोर या तेज़ आवाज़ से होता है। ध्वनि प्रदूषण कारखानों में चलने वाली तेज़ आवाज़ वाली मशीनों औक दूसरी तेज़ आवाज़ करने वाली चीज़ों से पैदा होता है। इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण सड़क पर चलने वाली गाड़ियों, पटाखे फूटने की आवाज़ और लाउड स्पीकर के कारण भी अधिक होता है। ध्वनि प्रदूषण होने की वजह से मनुष्यों में मानसिक तनाव बढ़ जाता है, उनकी सुनने की क्षमता कम हो जाती है और कभी-कभी तो उनकी सुनने की ताकत की चली जाती है।

प्रदूषण से क्या हानि होती है?

प्रदूषण के बढ़ने से हमें कई अलग-अलग प्रकार की हानियों और नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, जैसे- भूकंप, बाढ़, तूफान, भूस्खलन, जंगलों में आग, सूखा, महामारी आदि। ये हानियाँ और नुकसान सिर्फ प्रदूषण से ही नहीं हो रही बल्कि प्रदूषण के अलावा मनुष्य प्रकृति के साथ जो छेड़छाड़ कर रहा है, वह भी इसके लिए पूरी तरह से जिम्मेदार है। प्रदूषण की वजह से मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। लोग शुद्ध और खुली हवा में सांस नहीं ले पा रहे हैं। लोगों का अशुद्ध भोजन खाना पड़ रहा है, गंदा जल पीना पड़ रहा है जिसके कारण कई तरह की गंभीर बीमारियां मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक परिणाम पैदा कर रही हैं। पर्यावरण-प्रदूषण की वजह से अब न तो समय पर वर्षा हो रही है और न ही सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक से चल रहा है। बढ़ती हुई प्राकृतिक घटनाओं का कारण भी प्रदूषण ही है। प्रदूषण की मार मनुष्य के साथ-साथ जानवरों, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों, नदियों, समुद्रों आदि सभी चीज़ों पर पड़ रही है। प्रदूषण से जो गंभीर हानि हो रही है, उसकी भरपाई करने में कितना समय लगेगा ये कोई नहीं जानता।

प्रदूषण से बचाव के उपाय

वर्तमान में हर व्यक्ति एक ही बात को लेकर चिंतित है कि कि प्रदूषण से कैसे बचा जाए? या प्रदूषण से बचाव के क्या उपाय हैं? यह सवाल तो सबके पास है लेकिन इसका जवाब आज भी नहीं मिल पाया है। अगर जवाब मिल भी गया है, तो क्या हम उस बात पर अमल करते हैं जो प्रदूषण को कम करने और प्रकृति को बचाए रखने के लिए सहायक है। प्रदूषण से तभी बचा जा सकता है जब हम सबसे पहले अपने अंदर बदलाव लाएंगे। प्रकृति को बिना कोई नुकसान पहुँचाए प्राकृतिक चीज़ों का ज़रूरत के हिसाब से इस तरह से उपयोग करेंगे कि यह भावी पीढ़ी के लिए भी सुरक्षित रह सकें।

हमें अपने भीतर यह भावना रखनी होगी कि जो कुछ भी प्रकृति से हमें मिला है, उसे किसी न किसी रूप में हम प्रकृति को वापिस ज़रूर करेंगे। ऐसा हम अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, अपने आसपास साफ-सफाई रखकर, संसाधनों का सीमित मात्रा में उपयोग करके, मशीनों का कम इस्तेमाल करके, प्लास्टिक की जगह कपड़ों से बने थैलों का इस्तेमाल करके, नदियों को साफ रखकर और जीव-जंतुओं की रक्षा करके ही कर सकते हैं। इसी तरह ही हम प्रकृति की रक्षा और उसके साथ न्याय दोनों ही कर सकेंगे और प्रदूषण से खुद को और लोगों को बचा सकेंगे।

उपरोक्त सभी बातों को पढ़कर हम निष्कर्ष के तौर पर यह कह सकते हैं कि पर्यावरण को दूषित होने से रोकने के लिए हमें मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करने की ज़रूरत है, तभी देश में कोई बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। हमेशा किसी बड़े बदलाव की शुरुआत एक छोटे रूप में ही होती है। प्रकृति को कुदरत और ईश्वर दोनों ने ही मिलकर इस उम्मीद से रचा है कि हम मनुष्य उसके साथ बिना कुछ गलत किए उसकी हमेशा रक्षा करेंगे और उसकी शुद्धता, सुंदरता और नवीनता को बरकरार रखेंगे।

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250 शब्दों में

प्रदूषण कैसे होता है?

हम सभी को बचपन में एक बात ज़रूर बताई जाती है कि हमें ऑक्सीजन पेड़-पौधों से मिलती है। ऑक्सीजन की वजह से ही हम जिंदा रहते हैं और सांस लेते हैं। लेकिन इसके बाद भी वनों की कटाई के मामले लगातार से बढ़ रहे हैं और प्रदूषण के सभी प्रकारों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं। प्रदूषण से हमारा तात्पर्य है कि हवा, पानी और मिट्टी का दूषित या खराब हो जाना, जो प्रदूषण को जन्म देता है।

प्रदूषण के नुकसान

आज प्रदूषण के कारण हरियाली, शुद्ध हवा, शुद्ध भोजन, शुद्ध जल आदि सभी चीज़ें अशुद्ध होती जा रही हैं। जिन जैविक और अजैविक घटकों से हमारे पर्यावरण का निर्माण होता है आज वो ही सबसे ज़्यादा खतरे में हैं। प्रदूषण से सबसे ज़्यादा नुकसान प्रकृति को हो रहा है। हवा, पानी और मिट्टी में अवांछनीय तत्व घुलकर उसे गंदा और दूषित कर रहे हैं। इन्हीं तत्वों से प्रकृति और मनुष्य के साथ-साथ जानवरों, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों, नदियों, वनों, पहाड़ों आदि को भी हानि पहुँच रही है। प्रदूषण से मानव जीवन को गंभीर खतरे पैदा हो रहे हैं। हमने पर्यावरण को जो नुकसान पहुँचाया है, उस जल्द-से-जल्द सुधारते हुए हमें प्रदूषण को खत्म करना ही होगा।

प्रदूषण के कारण और बचाव

प्रदूषण के कई अलग-अलग कारण हैं, जिनमें पेड़ों की कटाई, बढ़ते उद्योग, फैक्ट्रियाँ, मशीनें आदि शामिल हैं। प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है जनसंख्या का तेजी से बढ़ना। इन सभी कारणों की वजह से पिछले कई सालों में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। यह वायु, जल, मृदा, ध्वनि आदि सभी प्रकार के प्रदूषण को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। प्रदूषण से हमें भूकंप, बाढ़, तूफान आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना भी करना पड़ रहा है। प्रदूषण को कम करने के लिए हमें ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाने होंगे और अपने आसपास साफ-सफाई रखनी होगी। इन्हीं छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम प्रदूषण को कम करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।        

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 200 शब्दों में

प्रदूषण क्या होता है?

हम सभी इस बात को लेकर चिंचित हैं कि हमारे देश में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। प्रदूषण की समस्या बड़े शहरों में ज़्यादा बढ़ गई है। शहरों में निवास कर रहे लोगों पर प्रदूषण इस कदर हावी हो चुका है कि अब वह उनके स्वास्थ्य को भी खराब करने लगा है। इसीलिए शहरो में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए अब वहाँ के लोगों में प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाना बेहद ज़रूरी हो गया है। प्रदूषण से न सिर्फ मनुष्यों को बल्कि सभी प्राकृतिक चीज़ें जैसे पेड़-पौधे, जानवर, हवा, पानी, मिट्टी, खाने-पीने की चीज़ें आदि सभी को हानि पहुँच रही है। जो प्राकृतिक घटनाएँ, आपदाएँ, महामारियाँ आदि समय-समय पर अपना प्रकोप दिखाती हैं, उसके लिए भी प्रदूषण को ही जिम्मेदार ठहरना गलत न होगा।    

प्रदूषण के प्रभाव और बचाव

प्रदूषण की वजह से प्रकृति और पर्यावरण को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। दुनिया में जिनती भी प्राकृतिक चीज़ें हैं, उन सभी पर प्रदूषण का प्रतिकूल प्रभाव देखा जा सकता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति में असंतुलन भी पैदा हो रहा है। प्रदूषण को कई कारणों ने एक साथ मिलकर जन्म दिया है। वनों और पेड़ों के लगातार कम होने की वजह भी प्रदूषण का सबसे बड़े कारण है। अगर हम चाहते हैं कि प्रदूषण कम हो तो हमें ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाकर प्रदूषण पर जीत हासिल करनी होगी। प्रदूषण को कम करने के लिए हमें अपने गांवों को बचाकर रखना होगा, वहाँ की हरियाली को खत्म होने से रोकना होगा और शुद्ध हवा और पानी को दूषित होने से बचाना होगा। इन छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम प्रदूषण को खत्म करने के अपने सपने को पूरा कर सकेंगे।       

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 शब्दों में

प्रदूषण इस धरती पर पाए जाने वाले सभी प्राकृतिक संसाधनों में हानिकारक और जहरीले तत्वों का मिश्रण है। प्रदूषण प्राकृतिक जीवन चक्र को परेशान करता है साथ ही यह इस पृथ्वी पर सभी प्रजातियों के सामान्य जीवन को भी प्रभावित करता है। प्रदूषण का हम कई अलग-अलग प्रकार में बांट सकते हैं, जैसे- ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण आदि। 

प्रदूषण से कैसे बचें?

जिस हवा में हम हर पल सांस ले रहे हैं, वो हवा ही अब हमारे फेफड़ों के कई विकारों का कारण बन रही है। ऐसे ही पीने के पानी में रोगाणु, वायरस, हानिकारक रसायन आदि के मिल जाने से मिट्टी और जल प्रदूषण भी होता है। प्रदूषण को खत्म करने के लिए सबसे पहले हमें प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों का पता लगाना होगा और सरकार ने जो भी नियम और उपाय लागू किए हैं, उन सभी का पालन करना होगा। इसके अलावा प्रदूषण रोकने के लिए हमें कम से कम वाहनों का उपयोग करना होगा और ज़्यादा से ज़्यादा पेड़-पौधे लगाने होंगे।  

प्रदूषण से जुड़े पूछे जाने वाले सवाल- FAQ’s

People also ask

प्रश्न- प्रदूषण क्या है और उसके प्रकार? उत्तर- वाहनों तथा फैक्ट्रियों से निकलने वाली गैसों के कारण हवा (वायु) प्रदूषित होती है। मानव कृतियों से निकलने वाले कचरे को नदियों में छोड़ा जाता है, जिससे जल प्रदूषण होता है। लोंगों द्वारा बनाये गये अवशेष को पृथक न करने के कारण बने कचरे को फेंके जाने से भूमि (जमीन) प्रदूषण होता है।

प्रश्न- प्रदूषण से आप क्या समझते हैं? उत्तर- प्रदूषण से आशय है जब किसी वस्तु, पदार्थ तथा तत्व के प्राकृतिक गुणों में विकृति या मिलावट आ जाती है, तब उस विकृति या मिलावट को प्रदूषण कहा जाता है। वायु प्रदूषण कारखानों से निकले धुओं, कीटनाशकों के प्रयोग, रासायनिक परीक्षणों तथा कूड़ा-करकट व जीव-जन्तुओं के मृत शरीरों के सड़ने से उत्पन्न होता है।

प्रश्न- प्रदूषण का अर्थ क्या होता है? उत्तर- प्रदूषण पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुँचाते हैं। प्रदूषण का अर्थ है- ‘वायु, जल, मिट्टी आदि का अवांछित द्रव्यों से दूषित होना’, जिसका सजीवों पर प्रत्यक्ष रूप से विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा पारिस्थितिक तन्त्र को नुकसान द्वारा अन्य अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ते हैं।

प्रश्न- प्रदूषण रोकने के उपाय क्या हैं? उत्तर- धूम्रपान ना करने से वायु प्रदूषण को कम करके पर्यावरण को बचाया जा सकता है। आज प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बढ़ते वाहनों की संख्या भी है। ऐसे में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अपने वाहनों का सही से ख्याल रखें और समय-समय पर प्रदूषण की जांच करवाते रहें। ऐसा करके आप पर्यावरण सुरक्षा और संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं।

प्रश्न- प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें? उत्तर- प्रदूषण से प्राकृतिक असंतुलन पैदा होता है। साथ ही यह मानव जीवन के लिए भी खतरे की घंटी है। मनुष्य की यह जिम्मेदारी बनती है कि उसने जितनी नासमझी से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया है, अब उतनी ही समझदारी से प्रदूषण की समस्या को सुलझाये। वनों की अंधाधुंध कटाई भी प्रदूषण के कारको में शामिल है।

प्रश्न- प्रदूषण जांच केंद्र कैसे खोलें? उत्तर- अगर आप नया प्रदूषण जांच केंद्र खोलना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको अपने नजदीकी आरटीओ ऑफिस से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट को प्राप्त करना अनिवार्य है। इस जांच केंद्र को आप किसी भी पेट्रोल पंप ऑटो मोबाइल वर्कशॉप पर बिना किसी रुकावट के खोल सकते हैं।

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वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in Hindi) - 200, 300, 500 शब्दों में

जीवन की तीन अनिवार्य आवश्यकताओं वायु, जल और भोजन के बिना जीवन संभव नहीं हैं। इनमें भी वायु यानी हवा सबसे अनिवार्य है क्योंकि भोजन और पानी के बिना तो जीव कुछ समय तक जिंंदा रह सकता है, लेकिन हवा के बिना दो मिनट भी जीवित रहना मुश्किल है। वायु गैसों का मिश्रण है, स्वच्छ वायु में लगभग 78% प्रतिशत भाग नाइट्रोजन और 21% भाग ऑक्सीजन और बाकी कार्बन डाई ऑक्साइड, मिथेन, आर्गन, जल वाष्प की मात्रा रहती है। अगर इनमें खासकर कार्बन, मिथेन, नाइट्रोजन की मात्रा में बदलाव हुआ तो ये वायु प्रदूषित हो जाती है। वर्तमान समय में वायु में इसी तरह की गैस और धूलकणों की मात्रा लगातार बढ़ रही है जिससे वैश्विक स्तर पर इसको लेकर चिंता बढ़ी है। हिंदी में पत्र लेखन सीखें ।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in hindi) - वायु प्रदूषण क्या है? (What is Air Pollution?)

वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - वायु प्रदूषण कितने प्रकार का होता है, वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - वायु प्रदूषण के कारण, वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव, वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - वायु प्रदूषण कैसे कम किया जा सकता है, वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - कुछ विचार और नारे, वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution in hindi) - उपसंहार.

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in Hindi) - 200, 300, 500 शब्दों में

औद्योगीकरण की तेज रफ़्तार ने वायु प्रदूषण (Air Pollution) को जन्म दिया है। वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in hindi) के माध्यम से हम इसके बारे में थोड़ा गहराई से जानेंगे। वायु प्रदूषण पर लेख (Essay on Air Pollution in hindi) से इस विकट समस्या को जहां समझने में आसानी होगी, वहीं हम वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार अन्य कारणों से भी परिचित हो सकेंगे। इससे स्कूली छात्रों को वायु प्रदूषण पर निबंध (Hindi Essay on Air Pollution) तैयार करने में भी मदद होगी। हिंदी में वायु प्रदूषण पर निबंध (essay on air pollution hindi) से छात्रों को परीक्षा में बेहतर अंक प्राप्त करने में मदद मिलेगी। साथ ही पर्यावरण दिवस पर निबंध (Essay on World Environment Day in hindi) लिखने में भी यह लेख उनकी सहायता करेगा।

हिंदी में निबंध- भाषा कौशल, लिखने का तरीका जानें

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on air pollution in hindi) विशेष इस लेख के माध्यम से हमें सबसे पहले यह समझने की जरूरत है कि वायु प्रदूषण क्या है? मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद ऐसे तत्व प्रदूषक कहलाते हैं, जो प्राकृतिक तौर पर वायु में नहीं पाए जाते हैं और वायु में ऐसे प्रदूषकों के मिलने से वायु प्रदूषण होता है। जब वायु में प्रदूषक तत्व उपस्थित होते हैं, तो कहा जाता है कि वायु प्रदूषित है।

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वायु प्रदूषण के प्रकार को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जाता है -

प्राथमिक प्रदूषकों से होने वाला प्रदूषण - प्राथमिक प्रदूषक वाले प्रदूषण में ज्वालामुखी विस्फोट से राख, लावा धुँआ; वाहनों आदि से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड गैस, कारखानों से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड गैस आदि से होने वाला प्रदूषण आता है।

द्वितीयक प्रदूषकों से होने वाला प्रदूषण - द्वितीयक प्रदूषक सीधे उत्सर्जित नहीं होते हैं, बल्कि जब प्राथमिक प्रदूषक आपस में क्रिया या प्रतिक्रिया करते हैं। तब वे वायु में निर्मित होते हैं। जमीनी स्तर की ओज़ोन द्वितीयक प्रदूषक का प्रमुख उदाहरण है, जो धूम-कोहरा (स्मॉग) बनाती है।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in hindi) के इस भाग में अब हम वायु प्रदूषण के स्रोतों के बारे में जानेंगे। वायु प्रदूषण के स्रोतों को दो भागों में बाँटा जा सकता है-

विभिन्न प्रकार के ईंधनों के दहन से संबंधित मानवजनित स्रोत (मानव गतिविधि) और प्राकृतिक स्रोत।

वायु प्रदूषण के प्रमुख कारकों में से एक मानवीय गतिविधियाँ हैं। विद्युत संयंत्र, कल-कारखाने, लकड़ी, कोयले और उपले या अन्य सामग्रियों के दहन से निकले वाली गैस और वाहनों से निकलने वाला धुँआ आदि इसका एक प्रमुख कारण है।

कभी-कभी वायु प्रदूषण प्राकृतिक कारणों से जैसे कि ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाला धुँआ या धूल की वजह से भी होता है, तो कई बार वनों में लगने वाली आग से निकलने वाला धुँआ भी इसके लिए जिम्मेदार होता है।

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वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में सांस लेने में कठिनाई, घबराहट, खाँसी, अस्थमा और श्वसन व हृदय संबंधी बीमारियों का होना शामिल हो सकता है। वायु प्रदूषण के कारण खराब हुई वायु गुणवत्ता के मानव स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं, लेकिन मुख्य रूप से शरीर की श्वसन प्रणाली और हृदय प्रणाली पर इसका अधिक प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषकों के प्रति व्यक्ति विशेष पर पड़ने वाला असर संपर्क में आने वाले प्रदूषक के प्रकार, उस वातावरण में बिताए गए समय, व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आनुवंशिकी पर निर्भर करता है। वायु प्रदूषण के सबसे आम स्रोतों में निलंबित कण, ओजोन, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड आदि आते हैं। घर के अंदर और बाहर वायु प्रदूषण की स्थिति के कारण होने वाली कुल मौतों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि विकासशील देशों में रहने वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों पर वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा साल 2014 में लगाए गए अनुमान के अनुसार हर साल वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में लगभग 70 लाख लोगों की असमय मौत होती है। मार्च 2019 में प्रकाशित अध्ययनों से पता चलता है कि यह संख्या लगभग 88 लाख तक हो सकती है। पर्यावरणीय स्वास्थ्य खतरों के कारण होने वाली मौतों के मामले में यह दुनिया का सबसे बड़ा कारण है। वायु प्रदूषण के कारण भारत में मृत्यु दर सबसे अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में अस्थमा से अधिक मौतें होती हैं। दिसंबर 2013 में चीन में प्रत्येक साल वायु प्रदूषण से लगभग 500,000 लोगों की मौत का अनुमान लगाया गया था। इस तरह हम देख सकते हैं कि वायु प्रदूषण की बिगड़ती स्थिति मानव जीवन के लिए बहुत बड़ा खतरा है। वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सभी को अपनी जिम्मेदारियों को न केवल समझना होगा, बल्कि निभाने की भी जरूरत है।

वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in hindi) के इस अहम भाग में हम वायु प्रदूषण की समस्या को खत्म या कम करने के कुछ उपायों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे-

पेड़-पौधे वातावरण की कार्बन डाईऑक्साइड को खींचकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के सबसे अहम उपायों में से एक है बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाना।

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण वायु प्रदूषण की स्थिति दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। इस पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए और कड़ाई से इसका पालन किया जाना चाहिए। जंगलों में लगने वाली आग के त्वरित नियंत्रण के उपाय किए जाएँ।

जीवाश्म ईंधन के बजाए वैकल्पिक ईंधन के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा का प्रयोग किया जाए।

कल-कारखानों में प्रदूषण मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाए।

वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार गतिविधियों को सीमित या बंद किया जाए।

नागरिकों को वायु प्रदूषण के नुकसान, प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों तथा इन्हें रोकने के उपायों के बारे में जागरूक करना।

प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों को शहर और रिहायशी इलाकों से दूर रखना।

ऐसी तकनीकों का उपयोग करना, जिससे कम से कम धुँआ उत्सर्जित हो।

उम्मीद है कि वायु प्रदूषण पर निबंध (वायु प्रदूषण पर लेख) विशेष इस लेख के माध्यम से वायु प्रदूषण को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली होगी और हम सब वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in hindi) में बताई गई जानकारियों का उपयोग कर वायु प्रदूषण को कम कर बेहतर पर्यावरण के निर्माण की दिशा में अपना छोटा लेकिन बेशकीमती योगदान देंगे।

वायु प्रदूषण की समस्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सरल शब्दों में नारे (स्लोगन) तैयार किए जाते हैं जो आसानी से समझ में आ जाते हैं और लंबे समय तक याद भी रहते हैं। प्रदूषण, विशेषकर वायु प्रदूषण के बारे में नीचे हमने कुछ नारे संकलित किए हैं, जिनका उपयोग लोगों को जागरूक करने और वायु प्रदूषण के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए किया जा सकता है।

नीचे कुछ वायु प्रदूषण पर नारे हिंदी में दिए गए हैं -

1. स्वच्छ वायु के लिए कुछ कर दिखाना होगा; पेड़ों, बाग-बगीचों को कटने से बचाना होगा।

2. तरक्की की क्या खूब हमने गढ़ी कहानी है, वायु प्रदूषण इसकी सबसे बड़ी निशानी है।

3. जागरूक नागरिक बनिए, वायु प्रदूषण फैलाने से बचिए।

4. आओ वायु प्रदूषण को मिलकर हटाएँं, हम सब मिलकर पड़े लगाएँ।

5. कुछ पाने की हमने बड़ी कीमत चुकाई, अपनी साँसों को खुद हमने जहरीली हवा पिलाई।

6. जागो तुम, जागेगा भारत, शुद्ध हवा पाएगा भारत।

7. स्वच्छ हवा को अगर पाना है, सबको पेड़ लगाना है।

8. अपना नहीं भविष्य का सोचो, वायु प्रदूषण को आज ही रोको।

9. सबका एक ही नारा, प्रदूषण मुक्त हो देश हमारा।

11. स्वस्थ और बलशाली लोग भी वायु प्रदूषण से प्रभावित हो सकते हैं।– जेन लैपिंग

12. धरती माता अपने सभी बच्चों के साथ गैस चैंबर की ओर जा रही हैं- स्टीवन मैगी

स्वार्थपरता से ऊपर उठकर दुनिया के सभी देशों को इसमें अपनी भूमिका का सक्रियता से निर्वहन करने की जरूरत है। दुनिया के बड़े और शक्तिशाली देशों ने ही सबसे अधिक वायु प्रदूषण किया है इसलिए इसकी रोकथाम करने की दिशा में भी सबसे बड़ी जिम्मेदारी इनकी ही बनती है, क्योंकि न केवल जरूरी संसाधन और विशेषज्ञता के कारण ये ऐसा करने में सक्षम हैं, बल्कि इनके ही कर्मों की सजा पूरी दुनिया को भुगतनी पड़ रही है। वायु प्रदूषण दुनिया में तेजी से बढ़ रही एक गंभीर समस्या है, जिसकी रोकथाम करने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। छोटे-छोटे व्यक्तिगत प्रयास भी इसमें अहम भूमिका निभाएँगे। हम सभी को पर्यावरण प्रदूषण रोकने और वायु प्रदूषण को कम करने में अपनी भूमिका को समझना होगा और उसका ईमानदारी के साथ निर्वहन करना होगा, केवल तभी वायु प्रदूषण की समस्या पर लगाम कसी जा सकेगी।

हम उम्मीद करते हैं कि वायु प्रदूषण पर निबंध (Air Pollution Essay in hindi) विशेष इस लेख से आपको न सिर्फ वायु प्रदूषण पर हिंदी में निबंध (Air Pollution Essay in hindi) लिखने में ही सहायता मिलेगी, बल्कि आप वायु प्रदूषण को लेकर काफी जागरूक भी हुए होंगे। धन्यवाद।

Frequently Asked Question (FAQs)

मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद ऐसे तत्व प्रदूषक कहलाते हैं जो प्राकृतिक तौर पर वायु में नहीं पाए जाते। वायु में इन प्रदूषकों के मिलने से वायु प्रदूषण होता है। वायु में प्रदूषक तत्वों के उपस्थित होने की स्थिति में वायु प्रदूषण होता है।

वायु प्रदूषण मोटे तौर पर दो प्रकार का होता है-

प्राथमिक प्रदूषकों से होने वाला प्रदूषण - प्राथमिक प्रदूषक वाले प्रदूषण में ज्वालामुखी विस्फोट से राख, लावा धुँआ; वाहनों आदि से निकलने वलीकार्बन मोनो ऑक्साइड गैस, कारखानों से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड गैस आदि से होने वाला प्रदूषण आता है।

द्वितीयक प्रदूषकों से होने वाला प्रदूषण - द्वितीयक प्रदूषक सीधे उत्सर्जित नहीं होते हैं। बल्कि जब प्राथमिक प्रदूषक आपस में क्रिया या प्रतिक्रिया करते हैं तब वे वायु में निर्मित होते हैं। जमीनी स्तर की ओज़ोन द्वितीयक प्रदूषक का प्रमुख उदाहरण है जो धूम-कोहरा (स्मॉग) बनाती है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मार्च 2019 में प्रकाशित अध्ययनों से पता चलता है कि हर साल वायु प्रदूषण के कारण दुनिया भर में  लगभग 88 लाख लोगों की असमय मौत होती है। वायु प्रदूषण के कारण भारत में मृत्यु दर सबसे अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत में अस्थमा से अधिक मौतें होती हैं। वायु प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में सांस लेने में कठिनाई, घबराहट, खाँसी, अस्थमा और श्वसन और हृदय संबंधी बीमारियों का बिगड़ना शामिल हो सकता है। वायु प्रदूषण के कारण खराब हुई वायु गुणवत्ता के मानव स्वास्थ्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ते हैं, लेकिन मुख्य रूप से शरीर की श्वसन प्रणाली और हृदय प्रणाली पर अधिक प्रभाव पड़ता है। वायु प्रदूषकों के प्रति व्यक्ति विशेष पर पड़ने वाला असर संपर्क में आने वाले प्रदूषक के प्रकार, उस वातावरण में बिताए गए समय, व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति और आनुवंशिकी पर निर्भर करता है।   

वायु प्रदूषण रोकने के उपाय कई तरह के हो सकते हैं। वायु प्रदूषण रोकने कुछ उपाय नीचे दिए गए हैं-

पेड़-पौधे वातावरण की कार्बन डाई ऑक्साइड को खींचकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के सबसे अहम उपायों में से एक है बड़ी संख्या में पेड़-पौधे लगाना।

पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण वायु प्रदूषण की स्थिति दिनों-दिन बिगड़ रही है। इस पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए और कड़ाई से इसका पालन किया जाना चाहिए। जंगलों में लगने वाली आग के त्वरित नियंत्रण के उपाय किए जाएँ।

जीवाश्म ईंधन के वैकल्पिक ईंधन के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा का प्रयोग किया जाए।

  • नागरिकों को वायु प्रदूषण के नुकसान, प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों और इन्हें रोकने के उपायों के बारे में जागरूक करना।

ऐसी तकनीकों का उपयोग करना जिससे कम से कम धुँआ उत्सर्जित हो।

छोटे-छोटे व्यक्तिगत प्रयास भी वायु प्रदूषण नियंत्रण में अहम भूमिका निभाएँगे। सभी को पर्यावरण प्रदूषण रोकने और वायु प्रदूषण को कम करने में अपनी भूमिका को समझना होगा और उसका ईमानदारी के साथ निर्वहन करना होगा। वायु प्रदूषण नियंत्रण के कुछ व्यक्तिगत उपाय नीचे दिए गए हैं- 

  • अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाना।
  • पेड़ों, बाग-बगीचों को नुकसान न पहुँचाएँ और दूसरों को भी ऐसा करने से रोकें।
  • छोटे-मोटे आयोजन कर आस-पास वायु प्रदूषण को रोकने के लिए प्रयास करने वालों को प्रोत्साहित और पुरस्कृत करना।
  • वैकल्पिक ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा का प्रयोग किया जाए आदि।
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Data Administrator

Database professionals use software to store and organise data such as financial information, and customer shipping records. Individuals who opt for a career as data administrators ensure that data is available for users and secured from unauthorised sales. DB administrators may work in various types of industries. It may involve computer systems design, service firms, insurance companies, banks and hospitals.

Bio Medical Engineer

The field of biomedical engineering opens up a universe of expert chances. An Individual in the biomedical engineering career path work in the field of engineering as well as medicine, in order to find out solutions to common problems of the two fields. The biomedical engineering job opportunities are to collaborate with doctors and researchers to develop medical systems, equipment, or devices that can solve clinical problems. Here we will be discussing jobs after biomedical engineering, how to get a job in biomedical engineering, biomedical engineering scope, and salary. 

Ethical Hacker

A career as ethical hacker involves various challenges and provides lucrative opportunities in the digital era where every giant business and startup owns its cyberspace on the world wide web. Individuals in the ethical hacker career path try to find the vulnerabilities in the cyber system to get its authority. If he or she succeeds in it then he or she gets its illegal authority. Individuals in the ethical hacker career path then steal information or delete the file that could affect the business, functioning, or services of the organization.

GIS officer work on various GIS software to conduct a study and gather spatial and non-spatial information. GIS experts update the GIS data and maintain it. The databases include aerial or satellite imagery, latitudinal and longitudinal coordinates, and manually digitized images of maps. In a career as GIS expert, one is responsible for creating online and mobile maps.

Data Analyst

The invention of the database has given fresh breath to the people involved in the data analytics career path. Analysis refers to splitting up a whole into its individual components for individual analysis. Data analysis is a method through which raw data are processed and transformed into information that would be beneficial for user strategic thinking.

Data are collected and examined to respond to questions, evaluate hypotheses or contradict theories. It is a tool for analyzing, transforming, modeling, and arranging data with useful knowledge, to assist in decision-making and methods, encompassing various strategies, and is used in different fields of business, research, and social science.

Geothermal Engineer

Individuals who opt for a career as geothermal engineers are the professionals involved in the processing of geothermal energy. The responsibilities of geothermal engineers may vary depending on the workplace location. Those who work in fields design facilities to process and distribute geothermal energy. They oversee the functioning of machinery used in the field.

Database Architect

If you are intrigued by the programming world and are interested in developing communications networks then a career as database architect may be a good option for you. Data architect roles and responsibilities include building design models for data communication networks. Wide Area Networks (WANs), local area networks (LANs), and intranets are included in the database networks. It is expected that database architects will have in-depth knowledge of a company's business to develop a network to fulfil the requirements of the organisation. Stay tuned as we look at the larger picture and give you more information on what is db architecture, why you should pursue database architecture, what to expect from such a degree and what your job opportunities will be after graduation. Here, we will be discussing how to become a data architect. Students can visit NIT Trichy , IIT Kharagpur , JMI New Delhi . 

Remote Sensing Technician

Individuals who opt for a career as a remote sensing technician possess unique personalities. Remote sensing analysts seem to be rational human beings, they are strong, independent, persistent, sincere, realistic and resourceful. Some of them are analytical as well, which means they are intelligent, introspective and inquisitive. 

Remote sensing scientists use remote sensing technology to support scientists in fields such as community planning, flight planning or the management of natural resources. Analysing data collected from aircraft, satellites or ground-based platforms using statistical analysis software, image analysis software or Geographic Information Systems (GIS) is a significant part of their work. Do you want to learn how to become remote sensing technician? There's no need to be concerned; we've devised a simple remote sensing technician career path for you. Scroll through the pages and read.

Budget Analyst

Budget analysis, in a nutshell, entails thoroughly analyzing the details of a financial budget. The budget analysis aims to better understand and manage revenue. Budget analysts assist in the achievement of financial targets, the preservation of profitability, and the pursuit of long-term growth for a business. Budget analysts generally have a bachelor's degree in accounting, finance, economics, or a closely related field. Knowledge of Financial Management is of prime importance in this career.

Underwriter

An underwriter is a person who assesses and evaluates the risk of insurance in his or her field like mortgage, loan, health policy, investment, and so on and so forth. The underwriter career path does involve risks as analysing the risks means finding out if there is a way for the insurance underwriter jobs to recover the money from its clients. If the risk turns out to be too much for the company then in the future it is an underwriter who will be held accountable for it. Therefore, one must carry out his or her job with a lot of attention and diligence.

Finance Executive

Product manager.

A Product Manager is a professional responsible for product planning and marketing. He or she manages the product throughout the Product Life Cycle, gathering and prioritising the product. A product manager job description includes defining the product vision and working closely with team members of other departments to deliver winning products.  

Operations Manager

Individuals in the operations manager jobs are responsible for ensuring the efficiency of each department to acquire its optimal goal. They plan the use of resources and distribution of materials. The operations manager's job description includes managing budgets, negotiating contracts, and performing administrative tasks.

Stock Analyst

Individuals who opt for a career as a stock analyst examine the company's investments makes decisions and keep track of financial securities. The nature of such investments will differ from one business to the next. Individuals in the stock analyst career use data mining to forecast a company's profits and revenues, advise clients on whether to buy or sell, participate in seminars, and discussing financial matters with executives and evaluate annual reports.

A Researcher is a professional who is responsible for collecting data and information by reviewing the literature and conducting experiments and surveys. He or she uses various methodological processes to provide accurate data and information that is utilised by academicians and other industry professionals. Here, we will discuss what is a researcher, the researcher's salary, types of researchers.

Welding Engineer

Welding Engineer Job Description: A Welding Engineer work involves managing welding projects and supervising welding teams. He or she is responsible for reviewing welding procedures, processes and documentation. A career as Welding Engineer involves conducting failure analyses and causes on welding issues. 

Transportation Planner

A career as Transportation Planner requires technical application of science and technology in engineering, particularly the concepts, equipment and technologies involved in the production of products and services. In fields like land use, infrastructure review, ecological standards and street design, he or she considers issues of health, environment and performance. A Transportation Planner assigns resources for implementing and designing programmes. He or she is responsible for assessing needs, preparing plans and forecasts and compliance with regulations.

Environmental Engineer

Individuals who opt for a career as an environmental engineer are construction professionals who utilise the skills and knowledge of biology, soil science, chemistry and the concept of engineering to design and develop projects that serve as solutions to various environmental problems. 

Safety Manager

A Safety Manager is a professional responsible for employee’s safety at work. He or she plans, implements and oversees the company’s employee safety. A Safety Manager ensures compliance and adherence to Occupational Health and Safety (OHS) guidelines.

Conservation Architect

A Conservation Architect is a professional responsible for conserving and restoring buildings or monuments having a historic value. He or she applies techniques to document and stabilise the object’s state without any further damage. A Conservation Architect restores the monuments and heritage buildings to bring them back to their original state.

Structural Engineer

A Structural Engineer designs buildings, bridges, and other related structures. He or she analyzes the structures and makes sure the structures are strong enough to be used by the people. A career as a Structural Engineer requires working in the construction process. It comes under the civil engineering discipline. A Structure Engineer creates structural models with the help of computer-aided design software. 

Highway Engineer

Highway Engineer Job Description:  A Highway Engineer is a civil engineer who specialises in planning and building thousands of miles of roads that support connectivity and allow transportation across the country. He or she ensures that traffic management schemes are effectively planned concerning economic sustainability and successful implementation.

Field Surveyor

Are you searching for a Field Surveyor Job Description? A Field Surveyor is a professional responsible for conducting field surveys for various places or geographical conditions. He or she collects the required data and information as per the instructions given by senior officials. 

Orthotist and Prosthetist

Orthotists and Prosthetists are professionals who provide aid to patients with disabilities. They fix them to artificial limbs (prosthetics) and help them to regain stability. There are times when people lose their limbs in an accident. In some other occasions, they are born without a limb or orthopaedic impairment. Orthotists and prosthetists play a crucial role in their lives with fixing them to assistive devices and provide mobility.

Pathologist

A career in pathology in India is filled with several responsibilities as it is a medical branch and affects human lives. The demand for pathologists has been increasing over the past few years as people are getting more aware of different diseases. Not only that, but an increase in population and lifestyle changes have also contributed to the increase in a pathologist’s demand. The pathology careers provide an extremely huge number of opportunities and if you want to be a part of the medical field you can consider being a pathologist. If you want to know more about a career in pathology in India then continue reading this article.

Veterinary Doctor

Speech therapist, gynaecologist.

Gynaecology can be defined as the study of the female body. The job outlook for gynaecology is excellent since there is evergreen demand for one because of their responsibility of dealing with not only women’s health but also fertility and pregnancy issues. Although most women prefer to have a women obstetrician gynaecologist as their doctor, men also explore a career as a gynaecologist and there are ample amounts of male doctors in the field who are gynaecologists and aid women during delivery and childbirth. 

Audiologist

The audiologist career involves audiology professionals who are responsible to treat hearing loss and proactively preventing the relevant damage. Individuals who opt for a career as an audiologist use various testing strategies with the aim to determine if someone has a normal sensitivity to sounds or not. After the identification of hearing loss, a hearing doctor is required to determine which sections of the hearing are affected, to what extent they are affected, and where the wound causing the hearing loss is found. As soon as the hearing loss is identified, the patients are provided with recommendations for interventions and rehabilitation such as hearing aids, cochlear implants, and appropriate medical referrals. While audiology is a branch of science that studies and researches hearing, balance, and related disorders.

An oncologist is a specialised doctor responsible for providing medical care to patients diagnosed with cancer. He or she uses several therapies to control the cancer and its effect on the human body such as chemotherapy, immunotherapy, radiation therapy and biopsy. An oncologist designs a treatment plan based on a pathology report after diagnosing the type of cancer and where it is spreading inside the body.

Are you searching for an ‘Anatomist job description’? An Anatomist is a research professional who applies the laws of biological science to determine the ability of bodies of various living organisms including animals and humans to regenerate the damaged or destroyed organs. If you want to know what does an anatomist do, then read the entire article, where we will answer all your questions.

For an individual who opts for a career as an actor, the primary responsibility is to completely speak to the character he or she is playing and to persuade the crowd that the character is genuine by connecting with them and bringing them into the story. This applies to significant roles and littler parts, as all roles join to make an effective creation. Here in this article, we will discuss how to become an actor in India, actor exams, actor salary in India, and actor jobs. 

Individuals who opt for a career as acrobats create and direct original routines for themselves, in addition to developing interpretations of existing routines. The work of circus acrobats can be seen in a variety of performance settings, including circus, reality shows, sports events like the Olympics, movies and commercials. Individuals who opt for a career as acrobats must be prepared to face rejections and intermittent periods of work. The creativity of acrobats may extend to other aspects of the performance. For example, acrobats in the circus may work with gym trainers, celebrities or collaborate with other professionals to enhance such performance elements as costume and or maybe at the teaching end of the career.

Video Game Designer

Career as a video game designer is filled with excitement as well as responsibilities. A video game designer is someone who is involved in the process of creating a game from day one. He or she is responsible for fulfilling duties like designing the character of the game, the several levels involved, plot, art and similar other elements. Individuals who opt for a career as a video game designer may also write the codes for the game using different programming languages.

Depending on the video game designer job description and experience they may also have to lead a team and do the early testing of the game in order to suggest changes and find loopholes.

Radio Jockey

Radio Jockey is an exciting, promising career and a great challenge for music lovers. If you are really interested in a career as radio jockey, then it is very important for an RJ to have an automatic, fun, and friendly personality. If you want to get a job done in this field, a strong command of the language and a good voice are always good things. Apart from this, in order to be a good radio jockey, you will also listen to good radio jockeys so that you can understand their style and later make your own by practicing.

A career as radio jockey has a lot to offer to deserving candidates. If you want to know more about a career as radio jockey, and how to become a radio jockey then continue reading the article.

Choreographer

The word “choreography" actually comes from Greek words that mean “dance writing." Individuals who opt for a career as a choreographer create and direct original dances, in addition to developing interpretations of existing dances. A Choreographer dances and utilises his or her creativity in other aspects of dance performance. For example, he or she may work with the music director to select music or collaborate with other famous choreographers to enhance such performance elements as lighting, costume and set design.

Social Media Manager

A career as social media manager involves implementing the company’s or brand’s marketing plan across all social media channels. Social media managers help in building or improving a brand’s or a company’s website traffic, build brand awareness, create and implement marketing and brand strategy. Social media managers are key to important social communication as well.

Photographer

Photography is considered both a science and an art, an artistic means of expression in which the camera replaces the pen. In a career as a photographer, an individual is hired to capture the moments of public and private events, such as press conferences or weddings, or may also work inside a studio, where people go to get their picture clicked. Photography is divided into many streams each generating numerous career opportunities in photography. With the boom in advertising, media, and the fashion industry, photography has emerged as a lucrative and thrilling career option for many Indian youths.

An individual who is pursuing a career as a producer is responsible for managing the business aspects of production. They are involved in each aspect of production from its inception to deception. Famous movie producers review the script, recommend changes and visualise the story. 

They are responsible for overseeing the finance involved in the project and distributing the film for broadcasting on various platforms. A career as a producer is quite fulfilling as well as exhaustive in terms of playing different roles in order for a production to be successful. Famous movie producers are responsible for hiring creative and technical personnel on contract basis.

Copy Writer

In a career as a copywriter, one has to consult with the client and understand the brief well. A career as a copywriter has a lot to offer to deserving candidates. Several new mediums of advertising are opening therefore making it a lucrative career choice. Students can pursue various copywriter courses such as Journalism , Advertising , Marketing Management . Here, we have discussed how to become a freelance copywriter, copywriter career path, how to become a copywriter in India, and copywriting career outlook. 

In a career as a vlogger, one generally works for himself or herself. However, once an individual has gained viewership there are several brands and companies that approach them for paid collaboration. It is one of those fields where an individual can earn well while following his or her passion. 

Ever since internet costs got reduced the viewership for these types of content has increased on a large scale. Therefore, a career as a vlogger has a lot to offer. If you want to know more about the Vlogger eligibility, roles and responsibilities then continue reading the article. 

For publishing books, newspapers, magazines and digital material, editorial and commercial strategies are set by publishers. Individuals in publishing career paths make choices about the markets their businesses will reach and the type of content that their audience will be served. Individuals in book publisher careers collaborate with editorial staff, designers, authors, and freelance contributors who develop and manage the creation of content.

Careers in journalism are filled with excitement as well as responsibilities. One cannot afford to miss out on the details. As it is the small details that provide insights into a story. Depending on those insights a journalist goes about writing a news article. A journalism career can be stressful at times but if you are someone who is passionate about it then it is the right choice for you. If you want to know more about the media field and journalist career then continue reading this article.

Individuals in the editor career path is an unsung hero of the news industry who polishes the language of the news stories provided by stringers, reporters, copywriters and content writers and also news agencies. Individuals who opt for a career as an editor make it more persuasive, concise and clear for readers. In this article, we will discuss the details of the editor's career path such as how to become an editor in India, editor salary in India and editor skills and qualities.

Individuals who opt for a career as a reporter may often be at work on national holidays and festivities. He or she pitches various story ideas and covers news stories in risky situations. Students can pursue a BMC (Bachelor of Mass Communication) , B.M.M. (Bachelor of Mass Media) , or  MAJMC (MA in Journalism and Mass Communication) to become a reporter. While we sit at home reporters travel to locations to collect information that carries a news value.  

Corporate Executive

Are you searching for a Corporate Executive job description? A Corporate Executive role comes with administrative duties. He or she provides support to the leadership of the organisation. A Corporate Executive fulfils the business purpose and ensures its financial stability. In this article, we are going to discuss how to become corporate executive.

Multimedia Specialist

A multimedia specialist is a media professional who creates, audio, videos, graphic image files, computer animations for multimedia applications. He or she is responsible for planning, producing, and maintaining websites and applications. 

Quality Controller

A quality controller plays a crucial role in an organisation. He or she is responsible for performing quality checks on manufactured products. He or she identifies the defects in a product and rejects the product. 

A quality controller records detailed information about products with defects and sends it to the supervisor or plant manager to take necessary actions to improve the production process.

Production Manager

A QA Lead is in charge of the QA Team. The role of QA Lead comes with the responsibility of assessing services and products in order to determine that he or she meets the quality standards. He or she develops, implements and manages test plans. 

Process Development Engineer

The Process Development Engineers design, implement, manufacture, mine, and other production systems using technical knowledge and expertise in the industry. They use computer modeling software to test technologies and machinery. An individual who is opting career as Process Development Engineer is responsible for developing cost-effective and efficient processes. They also monitor the production process and ensure it functions smoothly and efficiently.

AWS Solution Architect

An AWS Solution Architect is someone who specializes in developing and implementing cloud computing systems. He or she has a good understanding of the various aspects of cloud computing and can confidently deploy and manage their systems. He or she troubleshoots the issues and evaluates the risk from the third party. 

Azure Administrator

An Azure Administrator is a professional responsible for implementing, monitoring, and maintaining Azure Solutions. He or she manages cloud infrastructure service instances and various cloud servers as well as sets up public and private cloud systems. 

Computer Programmer

Careers in computer programming primarily refer to the systematic act of writing code and moreover include wider computer science areas. The word 'programmer' or 'coder' has entered into practice with the growing number of newly self-taught tech enthusiasts. Computer programming careers involve the use of designs created by software developers and engineers and transforming them into commands that can be implemented by computers. These commands result in regular usage of social media sites, word-processing applications and browsers.

Information Security Manager

Individuals in the information security manager career path involves in overseeing and controlling all aspects of computer security. The IT security manager job description includes planning and carrying out security measures to protect the business data and information from corruption, theft, unauthorised access, and deliberate attack 

ITSM Manager

Automation test engineer.

An Automation Test Engineer job involves executing automated test scripts. He or she identifies the project’s problems and troubleshoots them. The role involves documenting the defect using management tools. He or she works with the application team in order to resolve any issues arising during the testing process. 

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi): प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 200 - 500 शब्दों में

Updated On: December 28, 2023 05:14 pm IST

  • प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में (Long Essay …
  • प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250+ शब्दों में (Short Essay …

प्रदूषण पर निबंध 10 लाइन (Essay on Pollution 10 line)

प्रदूषण पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 500+ शब्दों में (Long Essay on pollution in Hindi)

प्रस्तावना (introduction), प्रदूषण पर निबंध (essay on pollution in hindi) - प्रदूषण की वर्तमान स्थिति.

प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा व चिंता का विषय रहा है तथा 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या के समाधान करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीवित रहने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग आदि शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, मगर फिर भी उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इन स्थानों की वायु गुणवत्ता खराब है और भूमि तथा जल प्रदूषण में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब समय आ गया है कि इन शहरों से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए, यहाँ मौजूद प्रशासन एक ठोस रणनीति तैयार करके उसपर अमल करें।

प्रदूषण के कारण (Due to Pollution)

प्रदूषण होने के पीछे कई बड़े कारण हैं। ये वो कारण हैं जिसने प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या को जन्म दिया है। प्रदूषण ने प्रकृति और मानव जीवन में ज़हर के समान दूषित और जहरीले तत्वों को घोलकर हमें मौत के नज़दीक लाकर खड़ा कर दिया है। प्रदूषण के बड़े कारणों में निम्नलिखित कारण शामिल हैं, जैसे-

  • वनों को तेजी से काटना
  • कम वृक्षारोपण
  • बढ़ती जनसंख्या
  • बढ़ता औद्योगिकीकरण
  • प्रकृति के साथ छेड़छाड़
  • कारखाने, वाहन और मशीनें
  • वैज्ञानिक संसाधनों का अधिक उपयोग
  • कीटनाशकों का बढ़ता उपयोग
  • तेजी से बढ़ता शहरीकरण
  • प्राकृतिक संसाधनों की बढ़ती खपत

ये सभी वो कारण हैं जिन्होंने प्रदूषण को बढ़ावा दिया है। इनके अलावा न जाने और कितने ही ऐसे छोटे-बड़े कारण हैं जिनका अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल है। एक सबसे गंभीर कारण है और वो है देश की बढ़ती हुई जनसंख्या। ये वो कारण है जिसकी वजह से तेजी से पेड़ों की कटाई की जा रही है, औद्योगिकीकरण को और तेज़ किया जा रहा, मशीनों के प्रयोग में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है, गांवों को धीरे-धीरे खत्म करके उन्हें शहर में बदला जा रहा है, लोग रोज़गार के लिए अपने गांवों को छोड़कर शहरों में जा रहे हैं, प्राकृतिक संसाधनों और खनिजों का उपयोग लोग असीमित मात्रा में कर रहे हैं जिस वजह से प्रदूषण का स्तर लगातर बढ़ता ही जा रहा है। पर्यावरण को शुद्ध करने के लिए पेड़-पौधे सबसे अहम भूमिका अदा करते हैं लेकिन हम मानव जाति के लोग अपनी ज़रूरतों के लालच में इन्हें बढ़ी ही बेरहमी से खत्म कर रहे हैं। 

प्रदूषण को रोकने में यूएनओ की भूमिका (UNO's role in Preventing Pollution)

संयुक्त राष्ट्र ने वायु प्रदूषण कम करने और सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के इरादे से  साझेदार संगठनों के साथ मिलकर सरकारों से ‘क्लीन एयर इनिशिएटिव’ से जुड़ने का आह्वान किया है। सितंबर में यूएन जलवायु शिखर वार्ता से पहले सरकारों से वायु की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने की अपील की गई है ताकि नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके और 2030 तक जलवायु परिवर्तन और वायु प्रदूषण नीतियों में एकरूपता लाई जा सके। सरकार हर स्तर पर ‘Clean Air Initiative’ या ‘स्वच्छ वायु पहल’ में शामिल हो सकती है और कार्रवाई के लिए संकल्प ले सकती है। उदाहरण के तौर पर:

वायु की गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन की नीतियों को लागू करने से ताकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता के लिए निर्धारित मानक हासिल किए जा सकें।

ई-मोबिलिटी और टिकाऊ मोबिलिटी नीतियों और कारर्वाई को लागू करने से ताकि सड़क परिवहन के ज़रिए होने वाले उत्सर्जन में कमी लाई जा सके।

प्रगति पर नज़र रखना, अनुभवों और बेस्ट तरीक़ों को एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के ज़रिए साझा करना।

प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम (Steps taken to Curb Pollution)

बसों में परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों (Pariyayantra Filtration Units) की स्थापना: एक प्रायोगिक अध्ययन के हिस्से के रूप में 30 बसों की छतों पर परियायंत्र फिल्ट्रेशन इकाइयों को इनस्टॉल किया गया।

यातायात चौराहों पर ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ: दिल्ली के प्रमुख यातायात चौराहों पर रणनीतिक रूप से कुल 54 ‘WAYU’ वायु शोधन इकाइयाँ स्थापित की गई हैं।

परिवेशी वायु प्रदूषण में कमी के लिये आयनीकरण तकनीक: इस तकनीक का उद्देश्य आयनीकरण प्रक्रियाओं के माध्यम से प्रदूषकों को निष्प्रभावी करना है जिससे लक्षित क्षेत्रों में वायु की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।

इलेक्ट्रिक वाहन (EV) स्वायत्त प्रौद्योगिकी में प्रगति: EV-आधारित स्वायत्त वाहनों पर केंद्रित एक स्वायत्त नेविगेशन फाउंडेशन की स्थापना DST अंतःविषयक साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Interdisciplinary Cyber-Physical Systems- NM-ICPS) के तहत की गई थी।

प्रदूषण के प्रकार (Types of Pollution)

वायु प्रदूषण:  वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। बेहद ही हानिकारक गैस कारखानों और उद्योगों में उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित होती हैं, प्लास्टिक और पत्तियों जैसे जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने से, वाहनों के एग्जॉस्ट से, रेफ्रीजरशन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।

हाल के दशक में बेहतर आय की वजह से भारत में सड़कों पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। ये सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी वजह से सांस लेने की कई समस्याएं, श्वसन रोग, कई प्रकार के कैंसर आदि जैसी बीमारियाँ तेजी से पनप रही हैं। ध्वनि प्रदूषण:  वायु प्रदूषण में योगदान देने के अलावा, भारतीय सड़कों पर बड़ी संख्या में मौजूद वाहन, ध्वनि प्रदूषण में भी भरपूर योगदान देते हैं। यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो शहरी क्षेत्रों में या राजमार्गों के पास रहते हैं। यह लोगों में चिंता और तनाव जैसे संबंधित मुद्दों का कारण बनता है। ध्वनि प्रदूषण दो प्रकार से होता है- प्राकृतिक स्रोतों से तथा मानवीय क्रियाओं से। 1. प्राकृति स्रोतों से - बादलों की बिजली की गर्जन से, अधिक तेज वर्षा, आँधी, ओला, वृष्टि आदि से शोर गुल अधिक होता है। 2. मानवीय क्रियाओं द्वारा - शहरी क्षेत्रों में स्वचालित वाहनों, कारखानों, मिलों, रेलगाड़ी, वायुयान, लाउडस्पीकार, रेडियों, दूरदर्शन, बैडबाजा, धार्मिक पर्व, विवाह उत्साह, चुनाव अभियान, आन्दोलन कूलर, कुकर आदि से ध्वनि प्रदूषण होता है।

जल प्रदूषण:  जल प्रदूषण आजकल मनुष्यों के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सीवेज अपशिष्ट, उद्योगों या कारखानों आदि के कचरे को सीधे नहरों, नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में डाला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीव जंतुओं के आवास का नुकसान हो रहा है और जल निकायों में घुली ऑक्सीजन का स्तर भी घट रहा है। पीने योग्य पानी की कमी जल प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिससे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा बना रहता है।

भूमि प्रदूषण:  भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इस काम के लिए, किसान बहुत सारे शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उपयोग करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है और इससे मिट्टी आगे फसल उगाने लायक नहीं रह जाती। इसके अलावा, अगर अधिकारी जमीन पर पड़े औद्योगिक या घरेलू कचरे को डंप नहीं करते हैं, तो यह भी मिट्टी के प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है, जो डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है।  प्रकाश प्रदूषण:  बढ़ती बिजली की जरुरत और काम के लिए बढ़ती प्रकाश की जरुरत भी प्रकाश प्रदुषण कारण है। बढ़ती गाड़ियों के कारण हाई वोल्ट के बल्ब का इस्तेमाल, किसी कार्यक्रम में जरुरत से ज्यादा डेकोरेशन करना, एक कमरे में अधिक बल्ब को लगाना आदि भी प्रदूषण के कारण है। रेडियोएक्टिव प्रदूषण:  ठोस, तरल या गैसीय पदार्थ में जहाँ अनायास या अवांछनीय रेडियोधर्मी पदार्थ की उपस्थिति होती है, उसे रेडियोएक्टिव प्रदूषण कहते हैं। इसका प्रभाव पर्यावरण, जीव जन्तुओं और मनुष्यों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। थर्मल प्रदूषण:  ओधोगिकी के कारण थर्मल प्रदूषण फैलता है। पेट्रोलियम रिफाइनरी, पेपर मील्स, शुगर मील्स, स्टील प्लांट्स जैसे ओधोगिकी पानी का इस्तेमाल करते हैं। या तो उस पानी को गर्म किया जाता है या उपकरणो को ठंडा करने केलिए इस्तेमाल किया जाता है। और फिर उस पानी को नदी में बहा दिया जाता है। इससे पानी की तापमान में वृद्धि होती है और पानी प्रदूषित होता है और इसमें थर्मल पावर प्लांट के कारण भी पानी प्रदूषित होता है। दृश्य प्रदूषण: दृश्य प्रदूषण मनुष्यों के देखने वाले क्षेत्रों में नकारात्मक बदलाव करने पर होते हैं। जैसे हरे भरे पेड़ पौधों को काट देना, मोबाइल आदि के टावर लगा देना। बिजली के खम्बे, सड़क आदि स्थानों में बिखरे कचरे आदि इस श्रेणी में आते हैं। यह एक तरह के बनावट के कारण भी होता है, जिसे बिना पर्यावरण आदि को देखे ही बना दिया जाता है। जैसे किसी स्थान पर केवल इमारत, मकान आदि का होना।

प्रदूषण पर निबंध (Pradushan Par Nibandh) - प्रदूषण पर प्रतिबंध लगाने के विभिन्न तरीके

  • वाहनों का प्रयोग सीमित करें:  वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। यदि संभव हो, तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।
  • अपने आस-पास साफ-सफाई रखें:  एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कचड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेकना चाहिए।
  • पेड़ लगाएं:  कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। चूंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।
  • पटाखों का इस्तेमाल बंद करें: जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्योहार मनाते हैं, तो पटाखों का इस्तेमाल ना करें। यह ध्वनि, मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
  • प्रदूषण को कम करने के लिए हमें अपने गांवों को बचाकर रखना होगा, वहाँ की हरियाली को खत्म होने से रोकना होगा और शुद्ध हवा और पानी को दूषित होने से बचाना होगा। इन छोटे-छोटे प्रयासों से ही हम प्रदूषण को खत्म करने के अपने सपने को पूरा कर सकेंगे।       

निष्कर्ष (Conclusion)

उपरोक्त सभी बातों को पढ़कर हम निष्कर्ष के तौर पर यह कह सकते हैं कि पर्यावरण को दूषित होने से रोकने के लिए हमें मिलकर छोटे-छोटे प्रयास करने की ज़रूरत है, तभी देश में कोई बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। हमेशा किसी बड़े बदलाव की शुरुआत एक छोटे रूप में ही होती है। प्रकृति को कुदरत और ईश्वर दोनों ने ही मिलकर इस उम्मीद से रचा है कि हम मनुष्य उसके साथ बिना कुछ गलत किए उसकी हमेशा रक्षा करेंगे और उसकी शुद्धता, सुंदरता और नवीनता को बरकरार रखेंगे। इसलिए आइये मिलकर शुरुआत करें और पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहयोग करें।

प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 250+ शब्दों में (Short Essay on pollution in Hindi)

हम सभी इस बात को लेकर चिंचित हैं कि हमारे देश में प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है। प्रदूषण की समस्या बड़े शहरों में ज़्यादा बढ़ गई है। शहरों में निवास कर रहे लोगों पर प्रदूषण इस कदर हावी हो चुका है कि अब वह उनके स्वास्थ्य को भी खराब करने लगा है। इसीलिए शहरो में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए अब वहाँ के लोगों में प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाना बेहद ज़रूरी हो गया है। प्रदूषण से न सिर्फ मनुष्यों को बल्कि सभी प्राकृतिक चीज़ें जैसे पेड़-पौधे, जानवर, हवा, पानी, मिट्टी, खाने-पीने की चीज़ें आदि सभी को हानि पहुँच रही है। जो प्राकृतिक घटनाएँ, आपदाएँ, महामारियाँ आदि समय-समय पर अपना प्रकोप दिखाती हैं, उसके लिए भी प्रदूषण को ही जिम्मेदार ठहरना गलत नही होगा।

शहरों में प्रदूषण

वाहन परिवहन के कारण शहरों में प्रदूषण की दर गांवों की तुलना में अधिक है। कारखानों और उद्योगों के धुएं शहरों में स्वच्छ हवा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं और इसे सांस लेने के लायक नहीं बनाते हैं। बड़ी सीवेज प्रणाली से गंदे पानी, घरों से निकलने वाला कचरा, कारखानों और उद्योगों के उत्पादों द्वारा नदियों, झीलों और समुद्रों में पानी को विषाक्त और अम्लीय बना दिया जाता है।

गांवों में प्रदूषण

हालाँकि शहरों की तुलना में गाँवों में प्रदूषण की दर कम है, लेकिन तेजी से हो रहे शहरीकरण के परिणामस्वरूप गाँवों का स्वच्छ वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। कीटनाशकों और उर्वरकों के परिवहन और उपयोग में वृद्धि ने गाँवों में हवा और मिट्टी की गुणवत्ता को अत्यधिक प्रभावित किया है। इसने भूजल के दूषित होने से विभिन्न बीमारियों को जन्म दिया है।

प्रदूषण की रोकथाम

शहरों और गांवों में प्रदूषण को केवल लोगों में सामाजिक जागरूकता बढ़ाने से रोका जा सकता है। प्रदूषण कम करने के लिए वाहन के उपयोग को कम करने, अधिक पेड़ लगाने, उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को सीमित करने, औद्योगिक कचरे का उचित निपटान आदि जैसी पहल की जा सकती हैं। सरकार को हमारे ग्रह को प्रदूषण के खतरों से बचाने के लिए प्लास्टिक और पॉलिथीन के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाना चाहिए।

  • आजकल बढ़ती आधुनिकता के कारण प्रदूषण की मात्रा अत्यधिक बढ गई है।
  • पेड़-पौधों के काटे जाने से या नष्ट कर देने से स्वच्छ वायु नहीं मिल पाती जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है।
  • घर से निकलने वाले कूड़े कचरे को नदियों में बहा देने से भी जल प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ गया है।
  • जगह-जगह कूड़ा कचरा फेंकने से प्रकृति दूषित होती जा रही है।
  • बढ़ते प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जेैसी जहरीली गैसों की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है।
  • कारखानों के अधिक विकास के कारण वायु प्रदूषण की काफी मात्रा बढ़ गई है जिसके कारण आम लोग परेशान है।
  • बढ़ते प्रदूषण के कारण कई प्रकार की बीमारियां पैदा हो रही है जिनका इलाज कर पाना मुश्किल हो रहा है।
  • हमारे देश में रोजाना करोड़ों टन कूड़ा करकट निकलता है जो कि प्रदूषण का कारण बनता है।
  • जल प्रदूषण के कारण समुद्री जीवो पर भी प्रदूषण का प्रभाव देखने को मिल रहा है।
  • बढ़ते उद्योग धंधे नदियों में अपने दूषित जल को छोड़ते हैं जिससे जल प्रदूषण बढ़ रहा है।

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pollution in hindi word essay

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Essay on pollution in hindi प्रदूषण पर निबंध.

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hindiinhindi Essay on Pollution in Hindi

Essay on Pollution in Hindi 200 Words

विचार-बिंदु – • भूमिका • विकट समस्या • कारण • निवारण।

प्रदूषण का अर्थ है – दूषित होना। पर्यावरण-प्रदूषण का अर्थ है-वातावरण के प्राकृतिक संतुलन में गड़बड़ी पैदा होना। शुद्ध जलवायु में दूषित तत्वों का मिल जाना। प्रदूषण मुख्यतः तीन प्रकार का होता है – वायु-प्रदूषण, जल – प्रदूषण तथा धवनि प्रदूषण। शहरीकरण तथा वैज्ञानिक प्रगति प्रदूषण फैलने के दो बड़े कारण हैं। एक अन्य बड़ा कारण है – बढ़ती जनसँख्या। इस कारण वातावरण में इतना मल, कचरा, धुआँ और गंद जमा हो जाता है कि मनुष्य के लिए स्वस्थ में साँस लेना दूभर हो जाता है। जल-प्रदूषण से सभी नदियाँ, नहरें, भूमि दूषित हो रही हैं। परिणामस्वरूप हमे प्रदूषित फसलें मिलती हैं और गंदा जल मिलता है। आजकल वाहनों, भोंपुओं, फैक्टरियों और मशीनों के सामूहिक शोर से रक्तचाप, मानसिक तनाव, बहरापन आदि बीमारियाँ बढ़ रही हैं। प्रदूषण से मुक्ति के उपाय हैं – आसपास पेड़ लगाना। हरियाली को अधिकाधिक स्थान देना। अनावश्यक शोर को कम करना। विलास की वस्तुओं की बजाय सादगीपूर्ण ढंग से जीवनयापन करना। घातक बीमारियाँ पैदा करने वाले उद्योगों को बंद करना। परमाणु विस्फोटों पर रोक लगाना आदि।

Essay on Pollution in Hindi 300 Words

पर्यावरण प्रदूषण उस स्थिति को कहते हैं जब मानव द्वारा पर्यावरण में अवांछित तत्वों की उपस्तिति अत्यधिक मात्रा में बढ़ जाती है। प्रदूषण कई प्रकार का होता है जैसे- वायुप्रदूषण, जल-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण इत्यादि। प्रदूषण की समस्या आज मानव समाज के सामने खड़ी सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। पिछले कुछ दशकों में प्रदूषण तेजी से बढ़ता जा रहा है,जो कि ना केवल भारत अपितु पूरे विश्व के लिए एक गंभीर समस्या है। इस भयंकर सामाजिक समस्या का मुख्य कारण औद्योगीकरण, वनों की कटाई, शहरीकरण, और प्राकृतिक संसाधन को गन्दा करने वाले उत्पादों का सामान्य जीवन में इस्तेमाल का बढ़ना है।

पुरातन कल में, प्रकृति से संसाधनों को प्राप्त करना मनुष्य के लिए सामान्य बात थी। उस समय बहुत कम लोग ही यह सोच सके थे कि संसाधनों का अंधाधुंध उपयोग मानव जाती के लिए इतनी बड़ी समयस्या खड़ी कर सकता है। हम जितना भी प्रकृति से लेते थे, प्रकृति उतने संसाधन दोबारा पैदा कर देती थी। ऐसा लगता था कि प्रकृति का भंडार असीमित है जो कभी ख़त्म ही नहीं होगा लेकिन जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ने लगी, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन बढ़ता ही चला गया। वनों को अंधाधुन्द काटा जाने गया, अपनी जरुरतो के लिए प्रकति को नुकसान पहचाया गया। मानव दवारा मशीनों के निर्माण ने इस काम में और तेजी ला दी।

औद्योगिक क्रांति का प्रभाव लोगों को पर्यावरण पर दिखने लगा। जंगल खत्म होने लगे। उसके बदले बड़ी-बड़ी इमारतें, कल-कारखाने खुलने लगे और प्रदूषण की समस्या हमारे सर पर आकर खड़ी हो गई, जिसे कम करना हमारे लिए बहुत ही मुश्किल होता जा रहा है, हलाकि सरकार निरंतर इस प्रयास में जुड़ी है।

वायु प्रदुषण – जिसका मुख्य कारण है बढ़ रही ऑटोमोबाइल की संख्या, ज़हरीली गैसों की उपस्तिति, औद्योगिक कंपनियों का धुआं इत्यादि का वातावरण में होना। जिस हवा में हरपल हम साँस लेते है वो हमारे फेफड़ों संबंधी विकार का कारण बनती जा रही है।

जल प्रदूषण भी विभिन्न कारणों से होता है। जैसे की पीने के पानी में जीवाणु, वायरस व हानिकारक रसायन ग्रसित तत्वों का होना, कुछ खतरनाक कीटनाशक, शाकनाशी, कवकनाशी, ईथर बेंजीन जैसे कार्बनिक मिश्रण, रेडियम और थोरियम सहित औद्योगिक राख, कचरा, मलबा इत्यादि जो कि पीने के पानी को भी जहर बनाती जा रही है।

ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है – बढ़ती आबादी के कारण निरंतर होने वाला शोरगुल, कल-कारखानों से निकली आवाज़, वाहनों का शोर, उपकरणों की आवाज़ और चारों दिशाओं से आनेवाली विभिन्न प्रकार की आवाजें महानगरों में तो ध्वनि-प्रदूषण अपनी चरम सीमा को पार कर रहा है।

प्रदुषण से अलग-अलग तरह की खतरनाक बीमारियाँ जैसे कि कैंसर, पार्किंसंस रोग, दिल का दौरा, सांस की तकलीफ, खांसी, आंखों में जलन, और एलर्जी आदि बढ़ती ही जा रही है। जबतक हम स्वयं प्रदुषण की रोकथाम के लिये कोई कदम नहीं उठाते तबतक हम इस समस्या को दूर नहीं कर सकते। अतः सिर्फ सरकार पर निर्भर ना रहते हुए हम सभी को मिलकर इसे कम करने का प्रयास करना चाहिए, अन्यथा मानव जाती का बच पाना बहुत ही मुश्किल होगा।

Essay on Pollution in Hindi 500 Words

प्रदूषण आज की दुनिया की एक गंभीर समस्या है। प्रदूषण प्राकृतिक वातावरण को दूषित करता है जो की हमारे सामान्य जीवन के लिए महत्वूर्ण है। प्रदूषण मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं: वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और मृदा प्रदूषण। हाल के वर्षों में ध्वनि प्रदूषण भी एक प्रमुख प्रदूषक के रूप में भी देखा जा रहा है।

वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण किसी भी प्रकार के हानिकारक पदार्थों जैसे कल कारखानों और परिवहन से निकलने वाली धुंआ, कचरे को जलाने से निकलने वाली धुंआ और प्रदूषित गैस को वातावरण में मिलाना है जिससे ताजी हवा प्रदूषित होती है। वायु प्रदूषण से मनुष्य का स्वास्थ्य, जीवन की गुणवत्ता आदि बड़े स्तर पर प्रभावित होती है। वायु प्रदूषण से कई सारी बीमारियाँ उत्पन्न होती है।

जल प्रदूषण : जल प्रदूषण से अभिप्राय यह है कि जल निकायों जैसे कि नदियों, झीलों, समुद्रों, और भूजल के पानी के दूषित होने से है। जल प्रदूषण कई कारणों से होता है जैसे की कारखानों का कचरा समुद्र और झीलों में जाकर मिल जाना, लोगो द्वारा कचरा समुद्रों में फेका जाना इत्यादि। धरती पर जल प्रदूषण लगातार एक बढ़ती समस्या बनती जा रही है जो सभी पहलुओं से मानव और जीव-जन्तुओं को प्रभावित कर रही है।

मृदा प्रदूषण : मिट्टी इस धरती पर मौजूद सभी जीव-जन्तुओं और मानव जीवन के लिये बेहद आवश्यक है। उचित ज्ञान के बिना रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है। जैसे कि रसायनिक खाद, कीटनाशक दवाइयाँ, औद्योगिक कचरों आदि के इस्तेमाल के द्वारा छोड़े गये जहरीले तत्वों के माध्यम से मिट्टी प्रदूषित होती जा रही है जिससे भूमि की उर्वरता को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है।

ध्वनि प्रदूषण : पश्चिमीकरण ने जोर से संगीत की सनक को जन्म दिया है जो की ध्वनि प्रदूषण का एक घटक है। अत्यधिक शोर मानव स्वास्थ्य और जीव जंतुओं के लिये हानिकारक होता है। ध्वनि प्रदूषण इन कारणों से होता है:- घरेलू मशीनों से निकलने वाली शोर, निर्माण गतिविधियों, परिवहन, तेज आवाज में संगीत सुनना आदि के द्वारा ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि प्रदूषण से सबसे ज्यादा नुकसान कान को होता है जिससे कभी-कभी कान के परदे खराब हो जाने के कारण हमेशा के लिये सुनने की क्षमता चली जाती है।

यह सभी तरह के प्रदूषण मानव और जीव जंतुओं के लिए एक अभिशाप की तरह काम कर रहा है। प्रदूषण विभिन्न प्रकार के बीमारी जैसे की कैंसर, उच्च रक्तचाप, सांस की बीमारी, गुर्दा रोग महामारी त्वचा रोग आदि होने का कारण है।

हमें प्रदूषण को गंभीरता से निपटने की जरूरत है अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ी को बहूत दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। यह बड़े सामाजिक मुद्दे को जड़ से खत्म करने और इससे निजात पाने के लिए सार्वजनिक स्तर पर सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम करने की आवश्यकता है ताकि लोग प्रदूषण से होने वाले नुकसान को जान सकें और अपना व पर्यावरण की रक्षा कर सकें।

हमें प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सरकार द्वारा लागू किए गए सभी नियंत्रण के उपायों का पालन करना चाहिए ताकि हम और हमारी आने वाली पीढ़ियाँ सुरक्षित रह सकें।

Long Essay on Pollution in Hindi 700 Words

“देकर शुद्ध हवा फल-फूल, हम सबको सुख बाँटते हैं। मत काटो इन पेड़-पौधों को, ये हम सबके दुःख काटते हैं।”

सृष्टि की रचना के उपरान्त मनुष्य ने कुदरत की गोद में आँखें खोली तो चारों तरफ स्वच्छ वायु, निर्मल जल और उज्वल प्रकाश का वरदान पाया। मनुष्य ने हिंसक पशुओं की मार से बचने के लिए, उनसे शीतल छाया लेने के लिए वृक्षों का सहारा लिया। झोंपड़ी बनाकर मनुष्य ने स्वयं को गर्मी, आँधी, वर्षा, सर्दी के संकट से तो बचाया ही साथ ही फ़ल-सब्जियां खाकर पत्तों का आवरण बनाकर जीवन बसर किया।

प्रदूषण के कारण

आज विज्ञान के युग में मनुष्य ने पृथ्वी, आकाश तथा जल पर अपना आधिपत्य जमा लिया है तथा मनुष्य की सुख-सुविधा के लिए अनेक मशीनों एवं आविष्कारों को जन्म दिय जो कि प्रदूषण के प्रमुख कारण बन गए। लेकिन मनुष्य ने भौतिक सुखों की होड़ में इसे दूषित कर दिया है। आज विकास तो हो रहा है परन्तु मनुष्य के स्वास्थ्य के बदले, प्रदूषण के बदले, गैस काण्डों तथा एटम शक्ति के खतरे के बदले।

प्रदूषण के प्रकार : प्रदूषण मुख्य चार प्रकार के हैं –

1. वायु प्रदूषण 2. जल प्रदूषण 3. ध्वनि प्रदूषण 4. भूमि प्रदूषण

वायु प्रदूषण

मनुष्य ने कपड़ा, लोहा, सीमेंट, कागज़, कल – पुर्जे, बिजली आदि निर्माण के लिए बड़े-बड़े कारख़ाने तैयार किए। इन कारखानों एवं महानगरों में ट्रैफ़िक द्वारा बहुत बड़ी मात्रा में धुआँ निकलता है, जो वायुमंडल को दूषित करता है। विषैली गैसें वातावरण में तापमान को बढ़ाती हैं। वायु हमारे प्राणों का आधार है। वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा का घटना और कार्बनडाईऑक्साइड की मात्रा का बढ़ना अनेक रोगों को जैसे रक्तचाप, कैंसर, टी. वी., श्वास रोग को आमंत्रण देता है। सुविधाभोगी जिन्दगी जीने की चाह ने वातावरण की ओजोन परत में छेद कर दिया जो कि वायु प्रदूषण का ही प्रभाव है।

“जीवन देने वालों को, न तुम बलि चढ़ाओ। संरक्षण देकर इन्हें, स्वजीवन सुखी बनाओ।”

कारख़ानों के उत्पादन के बाद बचे हुए रासायनिक पदार्थों और कचरे को नदियों में बहाने से तालाब आदि जलाशय दूषित होते हैं। प्रतिदिन करीब बीस हजार (20,000) लोग गंदा पानी पीने से मर रहे हैं। 80 फ़ीसदी बीमारियाँ डाइरिया, मलेरिया, पीलिया आदि जल प्रदूषण की ही देन है।

ध्वनि-प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण है। यातायात के साधन, कल-कारख़ानों में चलने वाली बड़ी-बड़ी मशीनें, लाउड-स्पीकर, रेडियो, वायुयानों का शोर आदि। आज का मनुष्य हवाई जहाज़, रेलगाड़ी, मोटर, कारों, टी. वी. और रेडियो के असहनीय शोर में रहने को मजबूर | है। जिससे सिरदर्द, बहरापन आदि रोग हो जाते हैं।

भूमि (मिट्टी) प्रदूषण

भूमि-प्रदूषण ने पर्यावरण को अत्यधिक क्षति पहुँचाई है। रासायनिक तत्वों के मिट्टी में मिलने से भू-प्रदूषण होता है। कागज़, लकड़ी आदि सड़-गलकर मिट्टी में मिल जाते हैं, प्लास्टिक मिट्टी में नहीं मिलती। प्लास्टिक की वस्तुएँ मिट्टी को साँस नहीं लेने देती जिससे मिट्टी की उर्वरता ख़त्म हो जाती है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने भी प्रदूषण, भू-स्खलन एवं प्राकृतिक आपदाओं को बढ़ावा दिया है।

रोकथाम / उपाय

अगर चिमनियों से निकलने वाली विषैली गैसों, वाहनों से निकलने वाले धुएँ की रोकथाम न की गई तो वह दिन दूर नहीं जब हमें भी टॉकियो की तरह भारत में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर ऑक्सीजन के सिलेंडर लगाने पड़ेंगे और मुँह पर पट्टी बाँध कर चलना होगा। वैसे तो भारत सरकार द्वारा कठोर नियम लागू किए गए हैं। वृक्ष लगाने और प्रदूषण हटाने, उद्योगों से निकलने वाले कचरे और दूषित जल को निष्क्रिय करने के बाद ही विसर्जित किया जाये आदि। फिर भी हमारा निजी सहयोग आवश्यक है। जल प्रदूषण के संकट से बचने के लिए हमें जल संरक्षण की तरफ ध्यान देना होगा। उसे गन्दा न करने का और प्रयुक्त पानी को साफ़-स्वच्छ जल में न मिलाने का प्रण लेना होगा। ध्वनि-प्रदूषण से तभी मुक्ति मिलेगी जब वाहनों के प्रयोग में कमी लाकर साइकिल का प्रयोग किया जाएगा तथा रेडियो और लाउड-स्पीकरों को धीमी आवाज़ में सुना जाएगा। जब तक पर्यावरण सुरक्षा हेतु आम जनता जागरूक नहीं होती, तब तक यह संकट नहीं टलेगा। कवियत्री ने क्या खूब कहा है :

“सुखी रहना हो गर तो पर्यावरण का रखो ध्यान, निर्मल-स्वच्छ जल, चारों ओर उगाओ बागान। जीवन देने वालों को बलि मत चढ़ाओ-पूजन रचाओ, संरक्षण नत मस्तक हो-मिलकर वन महोत्सव मनाओ।”

भविष्य में वृक्षों की अन्धाधुन्ध कटाई को रोकने, प्लास्टिक से बनी वस्तुएँ का निषेध करने, नये वृक्ष लगाने और उनका संरक्षण करने आदि का प्रण करके हम समाज और राष्ट्र को सुरक्षित कर सकते हैं।

Essay on Pollution in Hindi 800 Words

रूपरेखा : पर्यावरण का अर्थ, हमारे जीवन में स्वच्छ पर्यावरण की आवश्यकता, मनुष्य द्वारा प्रकृति का दोहन, प्रदूषण के प्रकार – वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण। शहरों का निरंतर विस्तार, शहरों में बढ़ते विविध प्रकार के प्रदूषण, प्रदूषण की रोकथाम के उपाय, प्रदूषण से हानियाँ, प्रदूषण नियंत्रण के उपाय, उपसंहार।

‘पर्यावरण’ का शाब्दिक अर्थ है – हमारे चारों ओर का प्राकृतिक आवरण। जो कुछ भी हमारे चारों ओर विद्यमान है, हमें ढके-लपेटे हुए है उसे पर्यावरण कह सकते हैं। प्रकृति ने मानव के लिए एक सुखद आवरण बनाया था। साँस लेने के लिए स्वच्छ हवा, पीने के लिए साफ़ पानी, कोलाहल रहित शांत प्रकृति, हरे-भरे वन, उनमें बसने वाले पशु पक्षी। इन सबके रूप में प्रकृति ने मानव को कितना कुछ दिया, किंतु मानव ने अपने स्वार्थ में एक ओर तो प्रकृति की सुविधाओं का अंधाधुंध लाभ उठाकर उसका शोषण किया और दूसरी ओर प्रगति के नाम पर शोरगुल, धुआँ, ज़हरीली गैसें वायुमंडल में भर दीं, यही नहीं समुद्र आदि के जल को भी विषाक्त कर दिया।

वायु हमारे प्राणों का आधार है। इसीलिए वायु का एक नाम प्राण भी है, किंतु आजकल, विशेषकर शहरों में हम जिस वायु में साँस ले रहे हैं वह प्राणों के लिए हानिकर है। उसमें धूल, धुआँ, राख, कालिख जैसे पदार्थ हैं जिनमें कार्बन मोनो-ऑक्साइड जैसे हानिकारक रसायन होते हैं। यही वायु प्रदूषण है। इसी प्रदूषण के कारण आँख, गले, फेफड़े के रोगों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।

बढ़ता हुआ शोर भी प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। इसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। वाहनों कारखानों का शोर कान फाड़ने वाला होता है। घरों में ऊँचे स्वर से रेडियो-टी.वी सुनना, लाउडस्पीकरों का मनमाना प्रयोग, जोरों से चीखना-चिल्लाना सब शोर के ही उदाहरण हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ध्वनि प्रदूषण से न केवल सुनने की शक्ति पर कुप्रभाव पड़ता है, इससे सिर दर्द, रक्तचाप, अनिद्रा जैसे रोग भी हो जाते हैं।

जल का दूसरा नाम जीवन है। प्राणी जल के बिना जीवित नहीं रह सकता। आज स्वच्छ जल मिलना दूभर हो गया है, क्योंकि जल-स्रोतों को ही प्रदूषित कर दिया गया है। नगरों और शहरों की गंदगी तथा कारखानों के ज़हरीले रसायन नदियों और तालाबों में छोड़े जाते हैं। गंगा जैसी पवित्र नदी का जल प्रदूषित हो गया है।

अज्ञान और सुविधाओं के अभाव के कारण मलमूत्र त्याग, पशुओं को नहलाने, वस्त्र धोने, कूड़ा-कचरा पानी में गिराने से भी जल प्रदूषित हो जाता है। ऐसा प्रदूषित जल पीने से हैज़ा, अतिसार, पीलिया, टाइफ़ाइड जैसे रोग फैलते हैं।

वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण के बढ़ने के साथ-साथ मृदा प्रदूषण का खतरा भी उत्पन्न हो गया है। रासायनिक खादों के अतिशय प्रयोग से मिट्टी का स्वाभाविक रूप विकृत होता जा रहा है। परिणामस्वरूप, उत्पादित वस्तुओं का पौष्टिक तत्त्व नष्ट होता जा रहा है। साग-सब्ज़ी और फल स्वादहीन होते जा रहे हैं।

आज की सभ्यता को शहरी सभ्यता कह सकते हैं। भारत के कुछ बड़े महानगरों की जनसंख्या एक करोड़ का आँकड़ा पार कर चुकी है। इस कारण शहरों की दुर्गति हो गई है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे महानगरों में हर प्रकार का प्रदूषण पाँव पसार रहा है। लाखों लोग झुग्गी-झोंपड़ियों में निवास करते हैं, जहाँ खुली धूप, वायु और जल तक का प्रबंध नहीं है। यहाँ की सड़कों के वाहन रोज लाखों गैलन गंदा धुआँ उगलते हैं। वृक्षों के अभाव में यह धुआँ नागरिकों के फेफड़ों में जाता है और उनका स्वास्थ्य खराब कर देता है। नगरों में जल के स्रोत भी दूषित हो चुके हैं। दिल्ली में बहने वाली यमुना पवित्र नदी नहीं, विशाल नाला बन चुकी है। शोर का कहना ही क्या ! इसके कारण शहरी जीवन तनावग्रस्त हो गया है। प्रदूषण को रोकने का सर्वोत्तम उपाय है – जनसंख्या पर नियंत्रण। सरकार को चाहिए कि वह नगरों की सुविधाएँ गाँवों तक पहुँचाए ताकि शहरीकरण की अंधी दौड़ बंद हो। हरियाली को यथासंभव बढ़ावा देना चाहिए। प्रदूषण बढ़ाने वाली फैक्टरियों के प्रदूषित जल और कचरे को संसाधित करने का उचित प्रबंध करना चाहिए। शोर को रोकने के कठोर नियम बनाए जाने चाहिए तथा उन पर अमल किया जाना चाहिए।

खेद की बात है कि सभ्यता और विकास के नाम पर हम प्रकृति की धरोहर को नष्ट कर रहे हैं और अपने पैरों में स्वयं कुल्हाड़ी मार रहे हैं। यदि पर्यावरण का संरक्षण नहीं किया गया तो मानवजाति का अस्तित्व ही संकट में पड़ जाएगा। वायु प्रदूषण रोकने के लिए अधिक वृक्ष लगाने होंगे और कल-कारखानों को वायुमंडल में विषैले तत्त्व छोड़ने से रोकना होगा। वाहनों की भी जाँच करनी होगी और ऐसे ईंधनों का प्रयोग करना होगा जो प्रदूषण न फैलाएँ। कारखानों को नदीतालाबों में हानिकारक रसायन छोड़ने से रोकना होगा। जल स्रोतों की सफ़ाई करते रहनी होगी। ध्वनि प्रदूषण रोकने के भी उपाय करने होंगे। वाहनों की बनावट ऐसी हो कि वे शोर न करें। व्यर्थ हॉर्न बजाने से लोगों को रोकना होगा। मृदा प्रदूषण को रोकने के लिए प्राकृतिक उर्वरकों के प्रयोग पर बल देना होगा। सभी प्रकार के प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए आवश्यक है कि लोगों के सोचने के ढंग में बदलाव लाया जाए।

जैसे हमारी एक निश्चित आयु है, उसी प्रकार प्राकृतिक संसाधनों की भी। यदि हम उनको बिगाड़ेंगे या उनसे छेड़छाड़ करेंगे तो हमारा अपना अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा। इसलिए भलाई इसी में है कि हम पर्यावरण का संरक्षण करें, ताकि हमारा अस्तित्व बना रहे।

Essay on Pollution in Hindi for Class 10 in 1000 Words

प्रकृति ने हमारे लिए एक स्वस्थ एवं सुखद पर्यावरण का निर्माण किया था, परंतु मनुष्य ने भौतिक सुखों की होड़ में उसे दूषित कर दिया है। वाहनों तथा कारखानों की चिमनियों से निकलते धुएँ, रासायनिक गैस एवं कोलाहल पर्यावरण को बुरी तरह प्रदूषित कर रहे हैं। मनुष्य के स्वार्थ के कारण और प्राकृतिक संपदा के शोषण और दोहन के कारण इस प्रदूषण के परिणाम और भी भयावह होते जा रहे हैं।

प्रदूषण मुख्यत: चार प्रकार के होते हैं – जल-प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनिप्रदूषण तथा अणु-प्रदूषण। हर प्रकार का प्रदूषण हमारे लिए हानिकारक है तथा किसी न किसी रूप में रोगों की वृद्धि करता है, जीवन में तनाव तथा मानसिक और शरीरिक व्यग्रता को बढ़ावा देता है। प्रदूषण के अनेक कारण हैं। वायु हमारे प्राणों का आधार है। वायु में ऑक्सीजन की मात्रा का घटना और कार्बन-डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा लगातार बढ़ रही है। नगरों, महानगरों में वाहनों द्वारा छोड़े गए धुएँ तथा कल कारखानों की चिमनियों से निकले धुएँ से वायु-प्रदूषण हो रहा है। सभी व्यवसाय जिनमें प्रचुर मात्र में धूल उड़ती है : जैसे-सीमेंट, चूना, खनिज आदि तथा वे व्यवसाय जो दुर्गंधयुक्त भाप उत्पन्न करते है : जैसे पशुवध, चमड़ा तैयार करना, साबुन या चर्बी के उद्योग आदि वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। इस प्रदूषित वायु के कारण अनेक रोग जैसे – रक्तचाप, हृदय रोग, श्वास रोग तथा नेत्र रोग आदि बढ़ रहे हैं। बालू के महीन कणों से ही तपेदिक आदि रोगों के होने की संभावना रहती है।

जल मनुष्य की बुनियादी आवश्यकता है। स्वच्छ एवं निरापद पीने का पानी न मिलने के कारण, गाँवों तथा शहरों की घनी आबादी में रहने वाले लोग अनेक गंभीर रोगों के शिकार हो रहे हैं। प्रतिवर्ष अनेक व्यक्ति जल-प्रदूषण से उत्पन्न रोगों के कारण मर रहे हैं। गाँवों तथा शहरों की गंदी नालियों का पानी जलाशय, नदी आदि में गिरकर पानी को प्रदूषित करता है। मनुष्य द्वारा जल स्त्रोतों के पास मल-मूत्र त्याग करने, तालाबों आदि में पालतू जानवर नहलाने, तालाब या नदियों के किनारे कपड़े धोने से जल प्रदूषित होता है। इसी तरह आसपास के वृक्षों के पत्तों तथा अन्य कूड़े-करकटों के जल में गिरकर सड़ने, कारखाने से निकलने वाले अवशिष्ट विषैले पदार्थों एवं गंदे जल के नदियों में गिराने आदि से जल प्रदूषण होता है। जल-प्रदूषण के कारण होने वाले अनेक भयंकर रोगों जैसे – हैजा, टाइफ़ॉइड, पीलिया आदि से लोग ग्रसित हो जाते हैं।

जल-प्रदूषण के समान ही ध्वनि प्रदूषण भी आधुनिक जीवन की समस्या है। वह आवाज़ जो असुविधाजनक हो, अनुपयोगी हो तथा अनावश्यक महसूस होती हो – शोर है। यह शोर ही ध्वनि-प्रदूषण का कारण है। शोर कई तरह से उत्पन्न होता है। एक व्यक्ति के लिए संगीत आनन्ददायक है, किंतु वही संगीत दूसरे व्यक्ति के लिए शोर हो सकता है। रेलगाड़ी की आवाज, सड़कों पर मोटरों की पोंपों, ट्रकों की धड़-धड़ कारखानों में मशीनों के चलने की तेज़ आवाज़, हवाई जहाजों का भीषण गर्जन, सड़कों पर विज्ञापन का प्रचार करने वाले लाउड स्पीकरों का शोर, और टी-वी एवं रेडियो का शोर भी ध्वनि-प्रदूषण के कारण है। ध्वनि-प्रदूषण मानव के स्वस्थ्य के लिए हानिकारक होता है। यहाँ तक कि अधिक समय तक ज्यादा शोर में रहने के कारण कई बार लोगों की श्रवण शक्ति खराब हो जाती है। ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य केवल श्रवण दोष से ग्रसित ही नहीं होता, उसे रक्तचाप, अलसर, अनिद्रा के रोगों का शिकार भी होना पड़ता है।

आज संसार के सभी देशों में आणविक क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रतिस्पर्धा मची हुई है ताकि दूसरा देश उन्हें कमजोर न समझे। अणु शक्ति के निश्चित अवधि से पूर्व निष्क्रिय करने तथा शत्रु देश पर उसका प्रयोग करने के कारण आणविक प्रदूषण होता है। इससे लाखों लोग अपने प्राणों से हाथ धो बैठते हैं, अनेक अपंग हो जाते हैं, वनस्पतियाँ नष्ट हो जाती हैं। ऊपर लिखे विवरण से स्पष्ट होता है कि प्रदूषण चाहे वायु का हो, जल का हो या ध्वनि और अणु का हो, हमारे लिए अत्यधिक हानिकारक है।

इस समस्या का निवारण हर देश की सरकार और जनता दोनों ही कर रही हैं। फिर भी हमारी दृष्टि में प्रदूषण के निवारण के निम्नलिखित उपाय हो सकते हैं – वायु-प्रदूषण को अधिकाधिक वनों का संरक्षण करके रोका जा सकता है क्योंकि वन कार्बन-डाइऑक्साइड ग्रहण कर हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। भू-स्खलन, भू-क्षरण, रेगिस्तान के विस्तार को रोकने के लिए, जल स्त्रोतों को सूखने से बचाने के लिए उपाय करने चाहिएं। इसके लिए वायु प्रदूषण के दुष्परिणामों से भावी पीढ़ियों के भविष्य को बचाने के लिए हमें अधिक वृक्ष लगाने होंगे। वृक्षों को काटने पर प्रतिबंध लगाने होंगे। बदबू फैलाने वाले उद्योगों पर नियंत्रण करना होगा। कारखानों में ऊँची-ऊँची चिमनियाँ तथा राख एकत्रित करने की मशीनों का उपयोग करना अनिवार्य होगा।

जल-प्रदूषण को रोकने के लिए तालाबों, नदियों, कुओं आदि के जल की समय-समय पर सफ़ाई की जाए, रासायनिक क्रियाओं द्वारा परिशोधन किया जाए। इसका प्रावधान जल-प्रदूषण निवारण और नियंत्रण अधिनियम 1974 में किया गया है।

ध्वनि-प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक-प्रसारक यंत्रों (लाउड स्पीकरों) के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिए जाएँ। यही नहीं, जिन कारणों से शोर बढ़ता है, उन पर नियंत्रण लगाने के लिए सरकार सख्त कदम उठाए।

उपर्युक्त उपायों को कार्यान्वित करने से प्रदूषण का निराकरण और निवारण किया जा सकता है। इसे प्रभावी रूप से क्रियान्वित करने के लिए सरकार और जनता दोनों को मिलकर आवश्यक उपाय करने चाहिएं।

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प्रदूषण पर निबंध Essay on Pollution in Hindi Complete Guide

हेलो दोस्तों आज में आपके लिए लाया हु प्रदूषण पर निबंध। प्रदूषण एक बहुत बड़ी समयस्या है जिसको हमे जल्दी से जल्दी कण्ट्रोल करना होगा वार्ना इसको रोकना बहुत मुश्किल हो जायेगा। Essay on Pollution in Hindi आपके बच्चो के लिए बहुत फयदेमंद हो सकता है। इस आर्टिकल में हम आपको प्रदुषण के प्रकार, कारण और उनके रोकथाम के बारे में बताएँगे

Essay on Pollution in Hindi

  • प्रदूषण पर निबंध 1 – Essay on Pollution in Hindi (200 Word)

वायु प्रदूषण का अर्थ है वायु में कुछ तत्वों के अनावश्यक रूप से मिल जाने से वायु का प्रदूषित हो जाना। पिछले कुछ दशकों से दुनिया के सामने वायु प्रदूषण की समस्या उठ खड़ी हुई है। इसकी भयावहता दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।

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इसके प्रमुख कारण हैं-उद्योगों का व्यापक प्रसारधुआं छोड़ने वाले वाहनों की संख्या में वृद्धि और घरेलू उपयोग के लिए ऊर्जा के परंपरागत स्त्रोतों का अधिक मात्रा में दोहन। वायु प्रदूषण के परिणाम बहुत घातक हैं। चूंकि वायु का सीधा संबंध धरती पर जीवन से है, इसलिए यह अधिक चिंता का कारण बन रहा है। लोग अशुद्ध वायु में साँस लेकर अनेक प्रकार की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।

शहरों में स्थिति खतरनाक सीमा को पार कर चुकी है। वायु में गंदगी मिलाने वाले तत्वों की मात्रा घटाकर इस समस्या से बचा सकता है। वन-संरक्षण और वृक्षारोपण भी इसका एक प्रभावी इलाज है। वायु प्रदूषण को कम करने वाले उपायों पर तत्काल ध्यान दिया जाना चाहिए।

  • ध्वनि प्रदूषण पर निबंध 2 – Essay on Pollution in Hindi (200 शब्द)

ध्वनि प्रदूषण आधुनिक समय की एक बड़ी समस्या बन गई है। पिछले कुछ दशकों से इस समस्या ने लोगों का ध्यान आकृष्ट किया है। इस समस्या के पीछे औद्योगीकरण, यातायात के आधुनिक साधनोंजनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण तथा बढ़ती मानवीय गतिविधियों का बहुत बड़ा हाथ है। उद्योगधंधों तथा कारखानों से अनेक प्रकार की कर्कश आवाजें निकलती हैं जो कानों से टकराकर हमारे चित्त को अशांत कर देती हैं।

यातायात के आधुनिक साधन जैसे कि बस, कार, ट्रक, मोटरसाइकिलट्रेन, वायुयान आदि वातावरण में तरह-तरह की ध्वनियाँ छोड़ते हैं। आजकल शहरों में घर बिलकुल पासपास हैं, अत: घरेलू शोर की मात्रा बढ़ रही है। रेडियो, टेलीविज़न तथा ध्वनि प्रसारक अन्य यंत्रों का शोर भी दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। हमारे चारों ओर विभिन्न प्रकार की आवाजें रातदिन उत्पन्न हो रही हैं जिससे मानसिक तनाव , बहरापन ‘ आदि स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इस समस्या पर अब तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

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  •  पर्यावरण बचाओ स्लोगन 46+}
  • Pradushan Par Nibandh in hindi (300 शब्द)

आज सबसे बड़ी समस्या है प्रदूषण। इस समस्या की ओर आजकल सभी देशों का ध्यान केन्द्रित है। जनसंख्या की असाधारण वृद्धि ने प्रदूषण की समस्या को जन्म दिया है। औद्योगिक तथा रासायनिक कूड़ेकचरे के ढेर से पृथ्वी, हवापानी-सभी प्रदूषित हो रहे हैं। आज के वातावरण में कई प्रकार का प्रदूषण है, जैसे-जल प्रदूषणध्वनि प्रदूषण रेडियोधर्मी प्रदूषण रासायनिक प्रदूषण आदि। आज वृक्षों का अत्यधिक कटाव हो रहा है। इससे ऑक्सीजन गैस का संतुलन बिगड़ गया है और वायु अनेक हानिकारक गैसों से प्रदूषित हो गई है। जो मनुष्य के फेफड़ों के लिए अत्यंत घातक है। इसी प्रकार जीवन का मुख्य आधार जल भी प्रदूषित हो गया है। बड़े बड़े नगरों के गंदे नाले नदियों में डाल दिए जाते हैं। सीवरों को नदी से जोड़ दिया जाता है। इससे जल प्रदूषित हो जाता है और उससे पीलिया, पेचिसहैज़ा आदि अनेक प्रकार की भयानक बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। इससे लोगों का जीवन ही खतरे में पड़ गया है।

आज के युग में ध्वनि प्रदूषण की भी एक समस्या है। इसे वैज्ञानिक प्रगति ने पैदा किया है। मोटर, कार, ट्रैक्टरजेट विमान, कारखानों के साइरन, मशीनें, लाऊडस्पीकर आदि ध्वनि-प्रदूषण उत्पन्न करते हैं। अत्यधिक ध्वनि-प्रदूषण से श्रवण-शक्ति पर बुरे प्रभाव पड़ने के साथ ही मानसिक विकृति तक हो सकती है। इसके अतिरिक्त वैज्ञानिक परीक्षणों के कारण रेडियोधर्मी पदार्थ संपूर्ण वायुमंडल में फैलकर उसे प्रदूषित कर रहे हैं जो जीवन को अत्यंत क्षति पहुँचा रहे हैं।

इसके अलावा कारखानों से बहते हुए अवशिष्ट पदार्थोंरोगनाशक तथा कीटनाशक दवाइयों और रासायनिक खादों से भी प्रदूषण फैल रहा है, जो मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। यही नहीं, कारखानों के धुएँ विपैले कचरे के बहाव तथा ज़हरीली गैसों के रिसाव से आज मानव जीवन का वायुमंडल अत्यंत प्रदूषित हो गया है। अत: वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए वृक्षारोपण सर्वश्रेष्ठ साधन है। इसी प्रकार वृक्षों के अधिक कटाव पर भी रोक लगाई जानी चाहिएकारखाने और मशीनें लगाने की अनुमति तभी दी जानी चाहिए जब उनके धुएँ निकालने की समुचित व्यवस्था हो। इसी प्रकार नालों को नदी में न डालकर उनकी अन्य व्यवस्था करनी चाहिए तभी प्रदूषण की समस्या का समाधान संभव हो सकता है।

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प्रस्तावना – विज्ञान के इस युग में मानव को जहां कुछ वरदान मिले , वहा कुछ अभिशाप भी मिले हैं। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं। जो विज्ञान की कोख में से जन्मा हैं और जिसे सहने के लिए अधिकांश जनता मजबूर हैं।

 प्रदूषण का अर्थ है – प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना! न शुद्ध वायु मिलनान शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना। प्रदूषण कई प्रकार का होता है। प्रमुख प्रदूषण हैं – वायु प्रदूषण जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण।

वायु प्रदूषण – महानगरों में यह प्रदूषण अधिक फैला है। वहां चौबीसों घंटे कल-कारखानों का धुआं, मोटर वाहनों का काला धुआं इस तरह फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दूभर हो गया है। मुंबई की महिलाएं धोए हुए वस्त्र छत से उतारने जाती है तो उन पर कालेकाले कण जमे हुए पाती है। ये कण सांस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं और असाध्य रोगों को जन्म देते हैं! यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है, वृक्षों का अभाव होता है और वातावरण तंग होता है।

जलप्रदूषण – कलकारखानों का दूषित जल नदी-नालों में मिलकर भयंकर जल प्रदूषण पैदा करता है। बाढ़ के समय तो कारखानों का दुर्गाधित जल सब नाली-नालों में घुल मिल जाता है। इससे अनेक बीमारियां पैदा होती है।

ध्वनि प्रदूषण – मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए। परन्तु आजकल कल कारखानों का शोर, यातायात का शोर, मोटर-गायिों की चिल्ल-पों, लाउड स्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने बहरेपन और तनाव को जन्म दिया है।

प्रदूषणों के दुष्परिणाम – उपर्युक्त प्रदूषणों के कारण मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लम्बी सांस लेने तक को तरस गया है आदमी । गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती हैं जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती हैं। भोपाल गैस कारखाने से रिसी गैस के कारण हजारों लोग मर गएकितने ही अपंग हो गए । पर्यावरण प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, न सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक चलता है। सुखाबाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण भी प्रदूषण है।

प्रदूषण के कारण – प्रदूषण को बढाने में कल कारखाने वैज्ञानिक साधनों का अधिक उपयोग फ्रिज कूलर वातानुकूलन ऊर्जा संयंत्र आदि दोषी हैं। प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना भी मुख्य कारण है। वृक्षों को अंधाधुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है। सुधार के उपाय – विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएंहरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए।

  • Pradushan Par Nibandh in hindi  (500 शब्द)

प्रस्तावना :

हमारे पर्यावरण की रचना वायु, जल, मिट्टीपेड़पौधे तथा पशुओं को मिलाकर होती है । प्रगति के ये सभी महत्त्वपूर्ण भाग पारस्परिक संतुलन बनाए रखने के लिए एकदूसरे पर आश्रित हैं। लेकिन जब कभी भी मनुष्य इनमें असंतुलन पैदा करने का प्रयास करता है तभी हम सबका जीवन भी खतरे में पड़ जाता है। यह असन्तुलन प्रदूषण को जन्म देता है। प्रदूषण मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है-वायु प्रदूषणजलप्रदूषण तथा ध्वनि प्रदूषण।

वायुप्रदूषण कारण व प्रभाव :

जब कभी वायु में कार्बनडाइआक्साइड की मात्रा अधिक हो जाती है तो वायुप्रदूषण बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण का तेजी से बढ़ने का कारण कारोंट्रकों, इंजनों आदि से निकलने वाला धुआं है। आज हमारे देश में औद्योगिकरण खूब उन्नति पर है। कलकारखानों से निकलने वाला धुआं वातावरण में कार्बन की मात्रा को 16% से कही ज्यादा बढ़ा देता है, जिससे आसपास रहने वाले लोगों को श्वांस रोग तथा नेत्र रोग हो जाते हैं।

जब यह कार्बन डाइऑक्साइड साँस लेने पर मनुष्य के शरीर में पहुँचती है तो वह खून की लाल कणिकाओं में ऑक्सीजन की संचित क्षमता को कम कर देती है। जिससे चक्कर आनासिर में दर्द होना तथा घबराहट आदि होने लगती है। कभीकभी तो इंसान की मौत भी हो जाती है।

जल-प्रदूषण-कारण व प्रभाब :

जलप्रदूषण का मुख्य कारण तालाब, कुएँनदियों तथा पानी के दूसरे स्रोतों का दूषित होना होता है। इन स्रोतों जल में नालियों की गंदगी के गिरने व इनमें आसपास मल त्याग करने की ये गन्दे हो जाते हैं। लोग नदियों इत्यादि में पूजा की सामग्री इत्यादि व फेंक देते हैं। जानवरों के नहलाने, कपड़े धोने, प्लास्टिक की थैलियाँ इत्यादि ने से भी इनका जल गन्दा हो जाता है। जलप्रदूषण से अनेक बीमारियाँ फैल जाती हैं। जब गंदा पानी पेट में चला जाता है तो उससे आंत्रशोध तथा हैजा आदि फैल जाता है।

ध्वनिप्रदूषण-कारण व प्रभाव :

ध्वनि प्रदूषण मुख्य रूप से वायु में अणुओं के बीच की दूरी को कम अथवा अधिक होने से पैदा होता है। यह समस्या बड़ेबड़े नगरों में अधिक पाई जाती है। सड़क पर चलते भारी वाहन, रेलगाड़ियों के आवागमन का शोर, लाउडस्पीकरों का शोर, हॉर्न की आवाज, जेटयान तथा अंतरिक्ष में रॉकेट आदि को छोड़ने से उत्पन्न होने वाली तीव्र आवाज ध्वनि प्रदूषण पैदा करते हैं। आजकल इस प्रकार का प्रदूषण बहुत फैल रहा है क्योंकि सड़कों पर वाहन बढ़ते ही जा रहे हैं।

ध्वनि प्रदूषण हमारी सुनने की शक्ति पर बहुत बुरा असर डालता है। इससे हमारे सिर में दर्दनींद न आनाबेचैनी, हृदय गति तथा रक्त चाप बढ़ना जैसी बीमारियाँ हो जाती हैं।

प्रदूषण को दूर करने के उपाय ने इस दिशा में हमें बहुत जागरूक होने की आवश्यकता है। आजकल प्रदूषण हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है। यदि इसे दूर करने या कम करने के उपाय नहीं किए गएतो धरती पर साँस लेना भी दूभर हो जाएगा। इस समस्या के समाधान के लिए वृक्षों को काटने से रोककर अधिक से अधिक वृक्षों को लगाना चाहिए। बढ़ते उद्योगों पर अंकुश लगाना चाहिए या फिर उसे शहर से बाहर स्थापित किया जाना चाहिए।

प्लास्टिक की थैलियों का प्रयोग निषेचित कर देना चाहिए तथा वाहनों में ‘साइलेंसर’ लगवाने चाहिए। लोगों में प्रदूषण के प्रति जागरूकता पदा करके ही इस प्रदूषण रूपी दानव से मुक्ति पाई जा सकती है।

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2 thoughts on “ प्रदूषण पर निबंध essay on pollution in hindi complete guide ”.

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वायु प्रदूषण पर निबंध – Essay on Air Pollution in Hindi

Essay on Air Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण पर निबंध (Essay on Air Pollution in Hindi) : हम सब जानते है कि देश के विकास के साथ-साथ प्रदूषण भी काफी ज्यादा बढ़ रहा है, क्योंकि विकास में पेड़-पौधे कम हो रहे है और गाड़ीयों व फैक्ट्रीयों का प्रदूषण बढ़ रहा है। इसलिए हमें यह समझना होगा कि वायु प्रदूषण क्या है, इसके कारण क्या है और इसे कैसे रोक सकते है।

मैने इस आर्टिकल में Essay On Air Pollution In Hindi 200 Words, 500 words और 1000 word में लिखा हैं। इसके अलावा मैने वायु प्रदूषण पर निबंध 10 लाइनें भी लिखी है। यह आर्टिकल Class 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 सभी के लिए Helpful है।

वायु प्रदूषण पर निबंध निम्नलिखित प्रकार से लिख सकते हैं।

वायु प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में (Essay On Air Pollution In Hindi 200 Words)

आज के समय में वायु प्रदूषण एक गंभीर वैश्विक समस्या बनता जा रहा है, जिससे हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर लगातार खतरा बढ़ता जा रहा है। अगर इस प्रदूषण को सही समय पर नही रोका गया तो आने वाले समय में बहुत सारी बीमारियां फैल जाएगी, और सभी जीव-जंतु खत्म होने लगेंगे।

वायु प्रदूषण क्या है , जब वायुमंडल में हानिकारक पदार्थों का उत्सर्जन किया जाता है, तो उसे वायु प्रदूषण ( Air Pollution) कहा जाता है। यह हानिकारक पदार्थ उद्योग के धुंओं और गाड़ियों के धुंओं से सबसे ज्यादा उत्सर्जित होते है। इस वायु प्रदूषण से पूरे पर्यावरण को खतरा होता है।

जैसे-जैसे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, वैसे-वैसे बीमारियां फैल रही है और जीवों की आयु कम होती जा रही है। वायु प्रदूषण से अनेक तरह की गंभीर बीमारियां फैल रही हैं, जैसे- खांसी, श्वास लेने में कठिनाई, फेफड़ों की बीमारी, हृदय रोग, स्ट्रोक, मृत्यु का खतरा, कैंसर, जन्म दोष, प्रजनन क्षमता में कमी, अस्थमा, मधुमेह, मनोवैज्ञानिक समस्याएं आदि।

अगर हमें पृथ्वी पर जीवन बचाना है तो हमें वायु प्रदूषण कम करना होगा। उदाहरण के लिए हमें वाहनों का कम से कम उपयोग करना चाहिए। हमें जीवाश्म ईंधनों की जगह स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का इस्तेमाल करना चाहिए, जैसे- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जल विद्युत ऊर्जा। इसके अलावा औद्योगिक धुंए को कार्बन में बदला जाना चाहिए।

Essay on Air Pollution in Hindi से हम वायु प्रदूषण के कारणों को समझ सकते है और इस रोकने का प्रयास कर सकते है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 500 शब्दों में  (Essay On Air Pollution In Hindi 500 Words)

प्रस्तावना.

वायु प्रदूषण प्रकृति के लिए एक बहुत बड़ी गंभीर समस्या बनती जा रही है। यह औद्योगीकरण और शहरीकरण का एक घातक परिणाम है। अगर समय रहते वायु प्रदूषण को नही रोका गया तो पृथ्वी पर जीवन संकट में आ सकता है। वायु प्रदूषण से पृथ्वी का पूरा पारस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो सकता है, जिसके बहुत सारे दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

वायु प्रदूषण किसे कहते है

Air Pollution, जब स्वच्छ वायु में रसायनिक कण, धूल कण, विषैली गैसे, जैविक पदार्थ, कार्बन डाइऑक्साइड आदि मिल जाते हैं तो उसे वायु प्रदूषण कहा जाता है। यह वायु प्रदूषण अनेक कारणों से होता है, जैसे- जीवाश्म ईंधन के दहन से, गाड़ियों के धुंए से, औद्योगिक फैक्ट्रियों के धुंए से, कृषि कार्यों में कीटनाशकों और उर्वरकों से इत्यादि।

वायु प्रदूषण के कारण

Air Pollution के अनेक कारण हैं, जिनमें से मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-

  • औद्योगिकरण वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है, क्योंकि औद्योगिकरण प्रक्रिया में अनेक रासायनिक पदार्थ निकलते हैं।
  • पैट्रोल और डीजल वाहन भी वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोत है। क्योंकि वाहनों से कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और पार्टिकुलेट मैटर जैसे हानिकारक पदार्थ निकलते हैं।
  • जीवाश्म ईंधनों का उपयोग भी वायु प्रदूषण को काफी ज्यादा बढ़ाता है। जीवाश्म ईंधन जैसे- बिजली संयंत्र कोयला, तेल, या प्राकृतिक गैस।
  • कृषि में कीटनाशकों के उपयोग से और फसलों को जलाने से भी वायु प्रदूषण होता है।

इसके अलावा और कई कारण है जिससे वायु प्रदूषण होता है।

वायु प्रदूषण के दुषप्रभाव

वायु प्रदूषण एक बहुत बड़ी गंभीर समस्या है क्योंकि इसका दुषप्रभाव पूरी प्रकृति पर पड़ता है। इससे काफी सारी गंभीर बीमारियां फैलती हैं, जो कभी-कभी जानलेवा भी हो जाती है, जैसे- अस्थमा, कैंसर, गर्भपात, जन्म दोष, हृदय रोग, खांसी, फेंफड़ो से संबंधित रोग आदि।

Air Pollution का नकारात्मक प्रभाव पर्यावरण पर भी पड़ता हैं, जैसे- जलवायु में परिवर्तन, जल प्रदुषित होना, वनस्पति और जीवों को नुकसान पहुंचना, पारस्थितिकी तंत्र असंतुलित होना।

वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय

हमारे लिए वायु प्रदूषण को कम करना एक बहुत बड़ी चुनौति है, लेकिन हमें मिलकर प्रयास करना होगा। हमें पेट्रोल या डिजल वाहनों का कम से कम उपयोग करना होगा। हमें जीवाश्म ईंधनों का कम उपयोग करना होगा। इसके अलावा कल कारखानों को बंद करना होगा, और जो कल कारखाने ज्यादा जरूरी हैं, उनकी चिमनीयों की ऊंचाई अधिक होनी चाहिए, ताकि हमारा वायुमंहल कम प्रदुषित हो।

हम सभी मिलकर ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाकर वायु प्रदूषण को कम कर सकते है। हमें सरकार द्वारा बनाए गए वायु प्रदूषण नियंत्रण नियमों का पालन करना चाहिए।

उपसंहार

अगर वायु प्रदूषण को सही समय पर नही रोका गया तो यह भविष्य में जानलेवा साबित हो सकता है। आने वाले कुछ ही वर्षों में पृथ्वी पर जीवन पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। इसलिए हमें वायु प्रदूषण की समस्या को गंभीरता से लेना होगा, और इसे खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। अगर हम सभी मिलकर प्रयास करें, तो आने वाले कुछ सालों हमारा पर्यावरण दोबारा स्वच्छ हो सकता है।

आप Essay on Air Pollution in Hindi में कुछ इस प्रकार लिख सकते है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 1000 words  (Essay On Air Pollution In Hindi 1000 Words)

वायु प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए गंभीर पर्यावरणीय मुद्दों में से एक है। लेकिन यह समस्या भारत के लिए काफी बड़ी है। क्योंकि भारत में लगातार जनसंख्या बढ़ रही हैं, और इसके साथ-साथ आवश्यकताएं भी बढ़ रही है, जो प्रदूषण का मुख्य कारण है।

मनुष्य अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लगातार प्रदूषण को बढ़ा रहा है। उदाहरण के लिए पेट्रोल या डिजल वाहनों का बहुत ज्यादा उपयोग करना। औद्योगिकीकरण की प्रक्रियाओं का बढ़ना, जिससे कई हानिकारक गैसे, सुक्ष्म कण, और रासायन आदि का उत्सर्जन होना।

अगर हमें अपने देश को बचाना है तो हमें वायु प्रदूषण को कम करना होगा, और जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा।

वायु प्रदूषण क्या है

पृथ्वी पर जीवन के लिए वायु एक महत्वपूर्ण कारक है। एक शुद्ध वायु में ऑक्सीजन होती है, जो जीवन का आधार है, और इसी से वनस्पति को कार्बन-डाई-ऑक्साइड मिलती है, जो वनस्पति का पोषण है। यह वायुमंडल प्रकृति की एक बहुत बड़ी देन है।

वायु प्रदूषण क्या है , जब वायु में विषैली गैसे (कार्बन डाई-ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, जमीन स्तरीय ओजोन, सरल्फर डाई ऑक्साइड, पार्टिकुलेट मैटर आदि), रसायन, सुक्ष्म कण, धूल, जैविक पदार्थ आदि मिल जाते है, तो उसे वायु प्रदूषण कहा जाता है।

हमारे वायुमंडल में 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन, 0.03% कार्बन डाइऑक्साइड और शेष 0.97% आर्गन, नियोन, सल्फर डाईऑक्साइ, कार्बन मोनोक्साइड, कार्बन के कण, धूल मिट्टी और जलवाष्प होते है। लेकिन प्रदूषण की वजह से ऑक्सीजन कम हो रही है, और कार्बनिक पदार्थ ज्यादा बढ़ रहे है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है।

वायु प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण मुख्यत: तीन प्रकार के होते हैं, मतलब जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। इसी तरह वायु प्रदूषण को भी कई आधारों पर वर्गीकृत किया गया है। वायु प्रदूषण के मुख्य दो प्रकार हैं, जो निम्नलिखित हैं-

  • प्राकृतिक प्रदूषण – वह प्रदूषण जो मानवीय गतिविधियों की बजाय प्राकृतिक प्रक्रियाओं से होता है, जैसे- ज्वालामुखी विस्फोट से, जंगल की आग से, धूल भरे तूफान से, मवेशियों के दहन से आदि।
  • मानव निर्मित प्रदूषण – यह वह प्रदूषण है जो मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न होता है, जैसे- औद्योगिक कल कारखाने, पेट्रोल व डीजल वाहन, जीवाश्म ईंधन, दावानल आदि। इसके अलावा और भी अनेक कारण है जिससे वायु प्रदुषण फैलता है।

वायु प्रदूषण आंतरिक और बाह्य प्रकार के भी होते हैं। इसके अलावा वायु प्रदूषण प्राथमिक ( उदाहरण – सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओजोन, पार्टिकुलेट मैटर और कार्बन मोनोऑक्साइड) और द्वितीयक ( उदाहरण – सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओजोन, पार्टिकुलेट मैटर और कार्बन मोनोऑक्साइड) प्रकार के भी होते हैं।

वायु प्रदूषण प्राकृतिक और मानवीय कारणों की वजह से होते हैं, जो निम्नलिखित हैं।

प्राकृतिक कारण:

  • ज्वालामुखी वायु प्रदूषण का एक बहुत बड़ा प्राकृतिक कारण है, क्योंकि ज्वालामुखी के फटने पर जहरीली गैसे और लावा बाहर निकलता है।
  • कई बार जंगलों में गर्मीयों की वजह से आग लग जाती है, जिससे अधिक मात्रा में धुंआ निकलता है और वायु प्रदूषण फैलता है।
  • तूफान भी वायु प्रदूषण का एक प्राकृतिक कारण है, क्योंकि तूफान से धूल मिट्टी उड़ती है।
  • वायु में कई सुक्ष्म बैक्टेरिया भी होते हैं, जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक होते है। ऐसे बैक्टेरिया भी वायु को प्रदूषित करते है।
  • पृथ्वी के चारों ओर कई धूमकेतु और उल्का पिंड घूमते रहते है, जो कभी-कभी पृथ्वी से टकरा जाते है। इससे धूली मिट्टी और कुछ गैसे वायु में मिल जाती है।
  • पशुओं से छोड़ी जाने वाली मिथेन गैस से भी वायु प्रदुषण होता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है।

मानवीय कारण:

  • बड़े-बड़े औद्योगिक कल कारखानों से निकलने वाले धुएं और हानिकारक गैसों से सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण होता है।
  • वनों की अंधाधुन कटाई से भी वायु प्रदूषण काफी बढ़ रहा है। क्योंकि पैड़-पौधे न होने की वजह से कार्बन डाईऑक्सान बड़ रही है, और ऑक्सीजन कम हो रही है।
  • जनसंख्या वृद्धि वायु प्रदूषण का बहुत बड़ा कारण है, क्योंकि अधिक लोगों के लिए अधिक संसाधनों की जरूरत पड़ती है, और इससे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।
  • किसान फसलों को काटने के बाद डंठल को जला देते है, जिससे जहरीले कीटनाशक रसायन जलने के साथ वायुमंडल में आ जाते है, और वायु प्रदूषण फैलाते है।
  • पैट्रोल व डीजल वाहनों से निकलने वाले धूंए की वजह से भी वायु प्रदूषण फैलता है।
  • जीवाश्म ईंधन जैसे पैट्रोलियम उत्पाद, कोयला और प्राकृतिक गैस के दहन से भी वायु प्रदूषण होता है।
  • लोगों द्वारा किए जा रहे धूम्रपान से भी वायु प्रदूषण काफी ज्यादा हो रहा है।

पर्यावरण पर वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव

वायु प्रदूषण से प्रकृति पर काफी दुष्प्रभाव पड़ता हैं। ये दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं-

  • वायु प्रदूषण से वायुमंडल में कार्बन डाईऑक्सान (CO2) लगातार बढ़ रही है, जिससे ओजोन परत पतली होती जा रही है। इससे से प्रकृति और मानव सभी को खतरा है।
  • वायु प्रदूषण से वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा 24% से कम होकर 22% हो गयी है।
  • Air Pollution की वजह से पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन भी बिगड़ रहा है।
  • वायु प्रदूषण की वजह से प्राकृतिक आपदाएं भी आती रहती हैं।
  • वायु प्रदूषण से पृथ्वी का तापमान भी बढ़ रहा है। और ऋतुओं का संतुलन भी बिगड़ रहा है।
  • Air Pollution से अम्लीय वर्षा भी होती है, जिससे प्रकृति को काफी नुकसान होता है।

मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव

प्रदूषित वायु मानव के स्वास्थ्य को काफी हद तक प्रभावीत करती है। इससे अनेक तरह की गंभीर बीमारियां भी फैलती हैं, जैसे-

  • श्वासनीय रोग- सांस की एलर्जी, घबराहट, अस्थमा, खांसी और ब्रोंकाइटिस।
  • हृदय रोग- हृदय की गति बढ़ना, रक्तचाप का बढ़ना, स्ट्रोक, और अन्य हृदय रोग।
  • प्रजनन संबंधित रोग – गर्भपात, जन्म दोष और अन्य प्रजनन संबंधित रोग।
  • कैसर रोग – वायु प्रदूषण से कैंसर की बीमारी।

इस तरह वायु प्रदूषण से अनेक तरह रोग फैलते है, जो कई बार जानलेवा भी साबित हो जाते है।

वायु प्रदूषण को कम करने के तरीके

भारत में वायु प्रदूषण काफी हद तक बढ़ रहा है, जिसे रोकना काफी ज़रूरी है। हम वायु प्रदूषण को निम्न तरीके से रोक सकते है।

  • वायु प्रदूषण को रोकने का सबसे आसान और अच्छा तरीका पेड़-पौधे लगाना है।
  • अगर हम जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित कर ले, तो वायु प्रदूषण कम हो सकता है।
  • अधिक मात्रा में प्रदूषण फैलाने वाले कल कारखानों को बंद करना चाहिए।
  • हमे सौर ऊर्जा व पवन ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए, और कोयले व परमाणु ऊर्जा का कम उपयोग करना चाहिए।
  • कंस्ट्रक्शन के कार्य को कपड़े से ढ़ककर किया जाना चाहिए, ताकि ज्यादा धूल मिट्टी के कण न उड़े।
  • हमें वाहनों का कम से कम उपयोग करना चाहिए, ताकि गाड़ियों से निकलने वाला धुआ कम हो।
  • वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा बनाए गए वायु प्रदूषण कानून (1981) का अच्छे पालन करना चाहिए।
  • हमें लोगों को ज्यादा से ज्यादा वायु प्रदूषण के बारे में जागरूक करना चाहिए।

आज के समय में वायु प्रदूषण केवल भारत के लिए नही बल्कि पूरे विश्व के लिए एक गंभीर समस्या है। अगर इस समस्या को पूरी तरह से खत्म करना है तो हम सभी को जागरूक होना होगा, और इसे कम करने के लिए साथ-साथ कदम उठाने होंगे।

अगर हमने अभी प्रयास नही किए तो आने वाले समय में पृथ्वी से सभी जीव का नामों निशान खत्म हो जाएगा। इसलिए सभी को वायु प्रदूषण के संकट को लेकर जागरूक होना चाहिए।

हम 1000 शब्दों में Essay on Air Pollution in Hindi में कुछ इस प्रकार से लिख सकते है।

वायु प्रदूषण पर निबंध 10 लाइन

  • वायु में जब हानिकारक और विषैले पदार्थ मिल जाते है, तो उसे वायु प्रदुषण कहा जाता है।
  • वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक है।
  • आज के समय में वायु प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर समस्या है।
  • अभी के समय में वायु प्रदूषण को रोकना बहुत जरूरी है, अन्यथा हमारा भविष्य संकट में आ सकता है।
  • वायु प्रदूषण उत्पति के आधार पर मुख्य दो प्रकार हैं- प्राकृतिक वायु प्रदूषण और मानव निर्मित वायु प्रदूषण।
  • वायु प्रदूषण के मुख्य कारण कल कारखाने, वाहन, जनसंख्या वृद्धि, जीवाश्म ईंधन है।
  • वायु प्रदूषण से पर्यावरण पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते है, जैसे- जलवायु परिवर्तन, अम्लीय वर्षा, ग्लेशियरों का पिघलना।
  • वायु प्रदूषण से अनेक तरह की बीमारियां फैलती हैं, जैसे- अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, उच्च रक्तचाप, हर्ट अटैक, कैंसर आदि।
  • वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय- पेड़-पौधे लगाना, वाहनों का उपयोग कम करना, कल कारखानों को बंद करना, जनंसख्या वृद्धि पर नियंत्रण आदि।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार अगर तेजी से Air Pollution बढता रहा तो 2050 तक पृथ्वी का तापमान 4 से 5 डिग्री तक बढ़ जाएगा, जिससे पृथ्वी के हिम ग्लेशियर पिघल जाएंगे और भंयकर बाढ़ आएगी। इससे पूरी पृथ्वी पर जीवन खत्म हो जाएगा।

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Essay on Pollution in 600 Words

A Short Essay on POLLUTION Pollution is defined as the addition of any harmful substance or energy in the environment at a rate faster than it can be dispersed, diluted or decomposed. It is one of the biggest menaces to the mankind. India ranked 177 out of 180 countries in Environment performance index.

Causes of pollution depend upon the type of pollution. For air pollution emission of harmful gases by the industries and vehicles, stubble burning by the farmers, burning of waste by people in open space, construction works are some reasons.

For noise pollution loud horn honking by the cars and trucks, noise in industries, loudspeakers, shouting by hawker are some reasons.

For water pollution dumping of waste in water bodies, discharge of industrial effluents and ash spillage in water bodies are some reasons.

For soil pollution excessive use of fertilizers and insecticides which percolates through soil and pollutes both soil and ground water.

Impacts are equally perilous according to the contamination. Air pollution may lead to respiratory diseases like bronchitis, asthma, TB, lung cancer. Noise pollution may lead to hypertension, permanent deafness, irritation. Water pollution may indirectly cause disease like Minamata disease, diarrhea, reduction in photosynthesis for aquatic animals, eutrophication. Soil pollution might lead to loss in fertility of soil and decline in food production.

To combat pollution large chimneys, efficiently designed equipment, use of renewable sources of energy, intense afforestation, sound proofing in the industries, time limit for loudspeakers, treating the industrial waste and proper segregation and treatment of different types of waste, stopping the use of plastic bags, treating sewage before use are some methods.

Government of India has taken various steps like SAUBHAGYA yojana, Ujjwala yojana, signing of Paris agreement, jump from BS-IV to BS-VI, ban on plastic waste. Pollution is a dreadful disease and requires our unity and commitment for its eradication. Hope we do needful. Note- Pollution control and measure in India are guided by the Air act of 1981 and it needs amendment to put plug on some of the loopholes.

Essay on Pollution

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