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ग्रेच्युटी भुगतान के लिए नियोक्ता को अनुरोध पत्र – Request Letter to Employer for Gratuity Payment in Hindi

सेवा में, मानव संसाधन प्रबंधक, ___________ (कंपनी का नाम), ___________ (पता) दिनांक: __/__/____ (तारीख) विषय: ग्रेच्युटी के लिए अनुरोध महोदय/महोदया, मैं कहूंगा कि मेरा नाम _________ (नाम) है और मैं आपकी कंपनी के लिए __________ (पदनाम) के रूप में पिछले _________ (अवधि) के लिए काम करता था। मेरी कर्मचारी आईडी _________ (कर्मचारी आईडी) है। मैं यह बताना चाहता हूं कि मैंने आपके संगठन में _________ (वर्षों) के लिए काम किया है और सरकार के नियमों और विनियमों के अनुसार, मैं ग्रेच्युटी के भुगतान के लिए पात्र हूं। आवश्यकताओं के अनुसार, मैंने सभी औपचारिकताओं और प्रक्रियाओं को पूरा कर लिया है। इस संबंध में, मैं आपसे विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूं कि कृपया मुझे दावा करने की प्रक्रिया के माध्यम से मार्गदर्शन करें। मैं आपकी तरह की प्रतिक्रिया के लिए तत्पर हूं। सादर, ______________ (हस्ताक्षर) ______________ (नाम), ______________ (पता)

Incoming Search Terms:

  • उपदान के दावे का अनुरोध करने के लिए नमूना पत्र
  • कंपनी से ग्रेच्युटी के लिए अनुरोध पत्र प्रारूप
  • ग्रेच्युटी भुगतान की प्रक्रिया के लिए अनुरोध पत्र
  • sample letter for requesting claim of gratuity
  • request letter format for gratuity from company
  • request letter to process gratuity payment

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ग्रेच्युटी के नियम और गणना की जानकारी | Gratuity Rules in Hindi.

Gratuity rules in Hindi – यदि आप किसी Company, Firm, Factory या अन्य कोई संस्थान जो India में वैधानिक रूप से स्थापित है | में कार्यरत हैं, तो आपको ग्रेच्युटी की information अवश्य होनी चाहिए | और यदि कही कार्यरत नहीं भी हैं, तो General Knowledge के लिए ही सही Information तो होनी ही चाहिए |

वैसे ग्रेच्युटी का शाब्दिक अर्थ Hindi में ऐच्छिक दान से लगाया जा सकता है | जो किसी नियोक्ता जिसके पास 10 से अधिक कर्मचारी काम करने वाले हैं, के द्वारा अपने कर्मचारियों को उनकी लम्बी Service के बदले दिया जाता है | चूँकि यह employer द्वारा Paise के रूप में दी जाती है | इसलिए ग्रेच्युटी को हम अपनी Kamai का हिस्सा मान सकते हैं |

ग्रेच्युटी क्या है? (What is Gratuity)

ग्रेच्युटी किसी नियोक्ता अर्थात employer द्वारा अपने किसी कर्मचारी को उसकी सेवा के बदले एकमुश्त दी जाने वाली एक राशि है | और यह राशि नियोक्ता द्वारा कर्मचारी के Retirement या Job छोड़ने पर दी जाती है | यह कितनी दी जाएगी और किस आधार पर दी जाएगी यह सब Gratuity Act 1972 के अंतर्गत पहले से निर्धारित है |

और समय समय पर इस Act में संशोधन होते रहते हैं | इसलिए Gratuity को आप defined benefit कह सकते हैं | और आप Retirement होने से पहले या Job छोड़ने से पहले ही ग्रेच्युटी का आकलन कर सकते हैं | आपको ग्रेच्युटी कितनी मिलेगी, वह केवल अंतिम आहरित वेतन (Last drawn Salary) और आपके द्वारा उस establishment को दी गई सेवा की अवधि पर निर्भर करती है | Gratuity Act 1972 सरकारी, गैर सरकारी, निजी सभी Establishments पर लागू होता है |

ग्रेच्युटी के नियम (Gratuity rules in Hindi) :

जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में बता चुके हैं | लगभग सभी नियोक्ता Gratuity Act 1972 के अंतर्गत अपने कर्मचारियों को ग्रेच्युटी देने के लिए बाध्य हैं | लेकिन इसके लिए कुछ rules हैं, जिनकी Information हम एक एक करके नीचे दे रहे हैं |

5 साल की लगातार सर्विस होनी चाहिए ( 5 Years service)

किसी भी कर्मचारी अर्थात Employee को ग्रेच्युटी का लाभ लेने के लिए 5 साल तक निरंतर काम करना आवश्यक है | कर्मचारी के Job छोड़ने या Retirement के समय 6 महीने से अधिक अवधि को एक साल के रूप में गिना जायेगा |

उदाहरण: यदि कोई कर्मचारी 4 साल 8 महीने या फिर 7 महीने काम करता है | तो वह कर्मचारी इसके लिए eligible माना जायेगा |

लगातार या निरंतर Service से हमारा अभिप्राय उस सेवा अवधि से है | जिस अवधि में आपकी वजह से Establishment का कोई कार्य बाधित न हुआ हो | लम्बी अवधि तक छुट्टी पर रहना, चाहे वह छुट्टी किसी बीमारी की वजह से हो, या फिर किसी दुर्घटना की वजह से को भी Interruption में सम्मिलित किया गया है | हालाँकि धरना, काम बंदी, हड़ताल को बाधित (interruption) अवधि से दूर रखा गया है | कोई भी बाधा जो किसी employee से सम्बंधित न हो, को बाधित अवधि से दूर ही रखा गया है |

ग्रेच्युटी  की जानकारी

मृत्यु या विकलांगता पर रियायत :

जैसा की आप सबको विदित है | death का Hindi में meaning मृत्यु और disablement का विकलांगता अर्थात असमर्थता से होता है | यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु या विकलांगता किसी establishment में कार्यरत रहने के दौरान होती है | तो इस स्थिति में 5 साल पूरा करने वाला rule निष्क्रिय हो जायेगा | और व्यक्ति की Nominee या फिर कानूनी उत्तराधिकारी को दी जाएगी |

नियोक्ता चाहे तो बढ़ा के ग्रेच्युटी दे सकता है :

जो सूत्र अर्थात Formula ग्रेच्युटी के लिए निर्धारित है | यदि नियोक्ता चाहे तो अपने कर्मचारी को उस सूत्र से बढ़ के ग्रेच्युटी दे सकता है | लेकिन निर्धारित सूत्र की गणना से कम नहीं दे सकता | लेकिन बढ़ी हुई Gratuity taxable होगी |

ग्रेच्युटी नियम तभी लागू होगा जब स्थापना में 10 से अधिक कर्मचारी हों.

जी हाँ यदि किसी फैक्ट्री या establishment में 10 से कम कर्मचारी काम करने वाले हों | तो यह जरुरी नहीं की, वह establishment अपने employees को ग्रेच्युटी का लाभ दे | क्योकि इसके rule सिर्फ उन establishment पर लागू होता है, जिनमे 10 से अधिक employees काम कर रहे हों |

स्थापना को नुकसान पहुँचाने वाले की ग्रेच्युटी जब्त की जा सकती है

यदि कोई कर्मचारी Company को इरादतन क्षति पहुँचाने की कोशिश करता है | या क्षति पहुंचाता है तो इस स्थिति में कंपनी को पूरा अधिकार है की वह कर्मचारी की ग्रेच्युटी को जब्त करे | और नुकसान की भरपाई ग्रेच्युटी के पैसो से करे | इसके अलावा Company को पूरा अधिकार है की वह उस कर्मचारी की सेवा तत्काल समाप्त करे |

Extra Rule of gratuity:

निर्धारित सूत्र के हिसाब से दी जाने वाली ग्रेच्युटी पूरी तरह से Tax free होती है | Employee द्वारा Gratuity amount को लेकर Court Case नहीं किया जा सकता | जबकि कर्मचारी के खिलाफ civil या criminal court में case डाला जा सकता है |

Gratuity Amount par tax me riyayat:

1000000 (दस लाख) से कम ग्रेच्युटी amount पूरी तरह से tax free है | पहले यह रियायत की सीमा केवल 3.5 लाख थी | और 10 लाख से अधिक amount पर tax देय होगा |

ग्रेच्युटी की गणना (Gratuity Calculation Formula in Hindi):

ग्रेच्युटी की payment calculation formula के अनुसार किसी भी कर्मचारी को एक साल में उसकी 15 दिन की salary gratuity के रूप में दी जाती है | लेकिन यह केवल Basic Salary + DA पर आधारित होती है | इस Formule के हिसाब से महीने में 26 दिनों को ही considered किया जायेगा | यह Formula निम्न दो घटकों पर निर्भर करता है |

1. वेतन ( Salary)

Salary से हमारा आशय वेतन से है | ग्रेच्युटी से सम्बन्धित Salary में Basic Salary और DA सम्मिलित है | जैसा की हम उपर्युक्त वाक्य में बता चुके हैं, यह अंतिम आहरित वेतन के हिसाब से ही देय होगी | यदि कोई कर्मचारी जो दैनिक मजदूरी पर काम करने वाला होगा, उसकी अंतिम तीन महीने में कमाई की गई दैनिक मजदूरी का औसत निकाल के, उस औसत को एक दिन की salary के रूप में माना जायेगा |

2. सेवा अवधि (Service Tenure)

सेवा अवधि से हमारा आशय Service tenure से है | जिसका साधारण शब्दों में अर्थ किसी कंपनी में किये गए काम के समय से लगा सकते हैं |  इसके लिए यह समय सीमा 5 वर्ष लगातार सेवा देना निर्धारित की गई है | हालांकि Retirement या Job छोड़ने के समय 6 महीने से अधिक समय को एक वर्ष में गिना जायेगा | Formula:

ग्रेच्युटी = अंतिम आहरित वेतन × 15/26 × कंपनी में बिताया गया समय |

वेतन = अंतिम आहरित वेतन (Basic Salary +DA)

महीना = 26 दिनों का एक महीना |

15 दिन का वेतन = अंतिम आहरित वेतन × 15/26 |

उदहारण: यदि कोई कर्मचारी जिसकी Basic Salary 13500 और DA (Dearness Allowance) 1000 रूपये है | और उसने किसी कंपनी में पांच साल काम किया है | इस स्तिथि में उसका ग्रेच्युटी amount इस तरह से Calculate किया जा सकता है |

Gratuity= 13500 +1000 ×15/26 × 5

Gratuity= 8365.38×5 = 41826.92

तो जैसा की उपर्युक्त उदहारण से स्पष्ट है | एक कर्मचारी जिसका अंतिम आहरित वेतन 13500 और DA 1000 रूपये प्रति माह है, को पांच साल लगातार काम करने पर 41826.92 gratuity amount का लाभ मिलेगा | इस प्रकार आप अपनी gratuity भी calculate कर सकते हैं |

यह भी पढ़ें :-

  • ईपीएफ की सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में |
  • कर्मचारी राज्य बीमा के लाभ |
  • मैटरनिटी एक्ट की पूरी जानकारी |  
  • नौकरी छोड़ने के बाद PF निकालने का तरीका |
  • ईपीएस स्कीम की पूरी जानकारी |
  • यूनिवर्सल अकाउंट नंबर की जानकारी |

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How to Claim for Gratuity in Hindi | कर्मचारी अपना ग्रेच्युटी क्लेम कैसे करें?

How to Claim for Gratuity, ग्रेच्युटी क्लेम कैसे करें

आप किसी कंपनी या प्रतिष्ठान में जॉब करते हैं। अगर उस कंपनी में 10 या 10 से अधिक कर्मचारी हैं। ऐसे में आप Gratuity Act के अंडर आते हैं। ऐसे में आप 5 वर्ष की सेवा पूर्ण होने के बाद ग्रेच्युटी के हकदार हो जाते है। आप कंपनी छोड़ते वक्त Gratuity के राशि के लिए Claim कर सकते हैं। आज अपने इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे कि ग्रेच्युटी क्लेम कैसे करें ( How to Claim for Gratuity)?

Table of content

How to Claim for Gratuity in Hindi

अगर आप Job करते हैं तो यह जानकारी आपके लिए अति-महत्वपूर्ण हैं। हमें Job एक साथ ही साथ अपने हक और अधिकार की जानकारी बहुत जरुरी हैं। आज जागरूकता नहीं होने के कारण ज्यादातर वर्कर को क्या-क्या Facility मिलना चाहिए पता ही नहीं होता। जिसके कारण धीरे-धीरे हम अपने अधिकारों से दूर होते जा रहे हैं और मालिक वर्ग यानी कंपनी इसका फायदा उठता हैं। हम अपने संकल्प के दिशा में आगे बढ़ाते हुए आपलोगों के अनुरोध पर “ How to Claim for Gratuity, ग्रेच्युटी क्लेम कैसे करें ” की जानकारी देने जा रहे हैं।

Gratuity kaise nikalte hain

अपने असल टॉपिक पर बात करें से पहले हम Gratuity (ग्रेच्युटी) के बारे में जानकारी देना चाहेंगे। आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि Gratuity सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र में काम करने वाले या संगठित क्षेत्र में काम करने वाले Employees को मिलती है। अभी हाल में ही Labour Ministry ने कर मुक्त ग्रेच्युटी (Tax Free Gratuity) की राशि को 10 लाख से बढाकर 20 लाख कर दिया है और इसे 1 जनवरी 2016 से Government  और Private दोनों क्षेत्रों के Employees के लिए लागू भी कर दिया गया है।

ग्रेच्युटी निकालने का फार्मूला

जब भी आप अपनी 5 वर्ष की सेवा पूरी होने के बाद Company छोड़ते है या सेवानिर्वित होते हैं तो अपने Gratuity के राशि के लिए Claim कर सकते हैं। Gratuity की राशि का Claim करने के लिए आप Application खुद से भर कर अपनी कंपनी को भेज सकते हैं। अगर आप यह जानना चाहते हैं कि ग्रेच्युटी एक्ट क्या है और ग्रेच्युटी निकालने का फार्मूला क्या है तो हमारे पूर्व के पोस्ट को पढ़ सकते हैं। आइये हम पहले जान लें कि gratuity kaise nikalte hain। इसके बाद पोस्ट के अंत में आपको gratuity withdrawal form pdf भी उपलब्ध करवा रहे हैं।

इस Form में अपना Name, Full Address, Department Name & Address जहां आप काम कर रहे थे। इसके साथ Joining Date के बाद सेवा समाप्ति की तिथि और कारण आदि का उल्लेख करना होता है। आप अपना Gratuity कैलकुलेट कर Claim की राशि लिखें। इसके साथ ही आप अपने Bank Account का Detail दें जिसमे क्लेम की उक्त राशि कंपनी द्वारा जमा की जायेगा।

Gratuity Claim Form Format

Gratuity claim form kaise barren, how to claim for gratuity, ग्रेच्युटी क्लेम कैसे करें.

Gratuity claim form pdf

यह भी पढ़ें-

  • Online Shikayat UP – Labour Department में ऑनलाइन कम्प्लेन कैसे करें
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99 thoughts on “How to Claim for Gratuity in Hindi | कर्मचारी अपना ग्रेच्युटी क्लेम कैसे करें?”

It is the best time to make some plans for the long run and it's time to be happy. I have read this submit and if I may I want to suggest you some attention-grabbing things or tips. Maybe you can write subsequent articles relating to this article. I want to learn more issues approximately it!

Sir mujhe company chhode 1 month huaa h or mene ek hi company me 5 years 8 month li service provide ki h unse gratuity amount ka kha tha bolte h hmari company me asi koi policy nhi hjbki company me 50+ employees h plz suggested me

आप बताये तरीके से ग्रैचुइटी क्लेम कीजिये और 30 दिन में न दें तो लेबर कमिश्नर ऑफिस में शिकायत लगाएं

सर मैंने एक मेडिकल कॉलेज में लगभग १० साल कार्य किया हैं. लेकिन मैनेजमेंट वालों ने कुछ कारणों से मुझे नौकरी से टर्मिनेट कर दिया हैं क्या मैं टर्मिनेशन होने के बावजूद ग्रेजुटी के लिए पात्र हूँ और क्या में इसके लिए आवेदन कर सकता हूँ .

आपने कारण बताया ही नहीं तो अब मैं क्या जवाब दूँ

Sar mujhe ek hi company mein 7 sal ho gaye hain aur thekedar ne Abhi Tak graduat hi nahin Di hai company ko chhode hue bhi 1 sal ho gaya hai

आपने इसके लिए क्लेम करना होता है. अगर नहीं किया तो अभी करें.

gratuity time kitne hota hai har company ka alug alug hota hai key please suggest

Minimum 5 Years

full 5 year ya kuch kam muje 4 year 10 month ho chuke hai key mere graguti Puri hogi

भाई 5 साल मतलब 5 साल होता है. अब हम तो इसको कम या ज्यादा कर नहीं सकते.

mere joing date 2/2/2018 thi last date 31/12/2022 hogi key mere garguti ka time pura ho gaya hai ya nahi please saguss

आपको खुद ही कॅल्क्युलेट करना चाहिए।

sir kya contractual worker bhi gratuity jo central government ke office me job karta ho gratuity le sakta hai

Sir plz aap btaye ki mujhe company chhodo hue 2 saal ho gye h kya m fir bhi claim kr skta hu

Sir, Muhje 6 years ho gya Company chhode huye Kya mujhe gratuity claim mill sakta Hai Please suggest me

claim to kar hi sakte hai…

Sir job se agar koi reason se bole ki aapka resign do to claim hota he kya kar sakte he

हाँ, Gratuity तब भी क्लेम कर सकते हैं

sir mujhe company chode huye 1.5 years ho gaye he kya me gratuity claim kar sakta hu kya

Gravity form Bhar Kar bheja tha 30 din ho gaye lekin unhone ulta Hamare Upar hi claim kar diya ki Humne Unka data Churaya hai ab Ham Kya Karen

आप डरे नहीं, इससे कुछ नहीं होगा. आप ग्रेचुइटी नहीं मांगे इसलिए ऐसे डरा रहे हैं. अगर आपने कंपनी में रिजाइन दे रखा हैं तो कोई प्रॉब्लम नहीं हैं. अब ग्रेचुइटी के लिए लेबर कमिशर के पास शिकायत करें. अगर ज्यादा प्रॉब्लम हो तो आप CallMe4 App से कॉल कर सकते हैं.

Sir agar company greguti ki rasi nhi deti h to kya kre

आप पहले क्लेम फॉर्म भर कर भेजिए

सर में mp government employe था मेने वहा पर 3 साल तक कलेक्टर दर पर और 4 साल तक नियमित पद पर कार्यरत था जो कि ईन 3+4=7 साल तक कार्यरत था उसके बाद मुझे कहीं और नोकरी मिल गई तो मेने वह नोकरी छोड दी आप बताएँ में gratuity का पात्र हू के नहीं

Agar aap eligible hai tabhi milega… please read click here

सर,नमो      सर मेने छ साल job छोर कर ,दोबारा 1महीने 25 दिन बाद पुन join कर लिया,अब मुझे गेजुऐटी कब और कैसे मिलेगी? किरपा कर बताऐ सर

अगर आपको आपके पिछले 6 साल का ग्रेचुइटी नहीं मिला तो क्लेम करें. उसके बाद दुबारा ज्वाइन किया तो फिर से 5 वर्ष पूरी करेंगे तभी दूसरी बार की सेवा के लिए मांग सकते हैं अगर इस एक्ट के अंडर आते हैं.

Agar company wale gratuity na de ya interested na ho dene me to hum kaise gratuity le sakhte hai

आप अगर ग्रेचुइटी के लिए योग्य हैं तो सबसे पहले क्लेम करें.

Dear Sir I have applied for Gratuity and 1 year has passed. Please tell me what to do

File a complaint before labour commissioner office.

meri company closed ho gai hai mene 6 year 3 month work kiya. ab company ka server bhi band hai jo mail bhi nahi kar sakta hu. mujhe gratuity ki money kese mil sakti hai. company limited thi. 2016 me closed ho gai. Please reply de

अब जब 4 साल पहले कंपनी ही बंद हैं तो अब तो मुश्किल ही लगता हैं. फिर भी एकबार आप अपने एरिया के लेबर कमिश्रर ऑफिस में जाकर मिलें

सर मैं आर्किटेक्ट के ऑफिस में लगभग 25सालसे tecnical/office assistant के पद पर नोकरी कर रहा हूं लेकिन लॉक डाउन के बाद अब अनलॉक डाऊन में फिरसे काम पर बुलाते नहीं. और हमारे मालिक ने भी हमेशा कर्मचारीयों की संख्या 10 के अंदर ही शायद जानबुझकर रखी होगी. तो क्या मुझे ग्रॅज्युइटी मिल सकती हैं.

अगर कर्मचारियों की संख्या १० से कम है तो अब ऐसे में कैसे मिलेगी.

Mai ek CBSE affiliated private school me 11 sal teacher k rup me kam kar march 2018 me retire ho chuka hu. Kya mujhe gratituty mil sakta hai? Yadi mil sakta hai to kya kare ? kyo ki school management kabhi nahi dena chalega.

Supreme Court recalling its earlier judgement in which it had rejected teachers’ claims to gratuity, the court said, “In the light of the amendment made in the definition of the word ‘employee’ by Parliament with retrospective effect from 03.04.1997, the benefit of the Payment of Gratuity Act was also extended to the teachers from 03.04.1997.” So claim the gratuity as per order. The informaiton will updated shorlty on our blog soon.

Kya private (CBSE affiliated)school se retired teacher (11 year regular service) ko gratituty ka kabhi mil sakta hai? School yadi nahi dena chahe to kya kare?

हाँ, बिलकुल अभी 1-2 साल पहले ही टीचर के लिए भी सुप्रीम कोर्ट का आर्डर आया हैं. जिसके बारे में जल्द ही बतायूँगा. इसके लिए आप हमें थोड़ा समय दें.

मै जेवेलरी कंपनी मे 10 सालसे काम करते आया हू. लेकीन अभी ये कंपनी ने मुझे काम से कोरोना के वजेसे निकाला है.और मुझे कंपनीने ग्र्याजुटी इस प्रकार से दिया है.(बेसिक पगार पर 50% कम करके × 10 साल मे गुण्या करके) = कुल मिलाके मुझे ग्र्याजुटी दी हैं तो आपके हिसाब से बराबर हैं क्या बताईए ना सर.

इसी पेज पर gratuity की पूरी जानकारी दी हैं कि कैसे कैलकुलेट करते है. आपको लगभग सही दिया हैं अगर अंतिम मासिक सैलरी बेसिक+ मंहगाई भत्ता का १५ दिन * सर्विस ईयर का देते हैं.

सर, 1:हमारे ऑफिस में साफ सफाई करनेवाली महिला हैं जिसे हर महिने सॅलरी मिलती हैं. 2:हमारे मालिक सॅलरी के वक्त हर महिने अपने बीवी के नाम का चेक /बँक ट्रान्सफर करते हैं क्या मैं इन्हे कर्मचारी के गिनती में ले सकता हूं, जिस से ग्रॅज्युइटी पाने के लिए कर्मचारी संख्या 10 हो सके

बिल्कुल, मगर कुछ रिकॉर्ड हासिल कर लें. कल को जब यह मना करेंगे तो वह आपके काम आयेगा.

Sir compnay wale bol rahe hai ki gratuity to kisi ko milti hi nahi. Sir abb kya kare.

अगर आप एक्ट के अंडर आते हैं तो आप क्लेम करें। उनके बोलने से क्या होगा

सर हमने ग्रेजुएटी फ़ोम आई अपने एप्लोयेर को सेंड किये 1 ईयर हो गये अभी तक मेरा ग्रेजुएटी नही दिया।

आपने अगर क्लेम किये 30 दिन से अधिक हो गए तो उसके क्लेम कॉपी के साथ अपने एरिया के लेबर कमिश्नर ऑफिस में लिखित शिकायत करें.

Namste, I have resigned from my post as an Assistant Prof. in 2017,now may I get Gratuity? Actually I wasn’t aware about it.

Sir, Supreme court said, “In the light of the amendment made in the definition of the word ‘employee’ by Parliament with retrospective effect from 03.04.1997, the benefit of the Payment of Gratuity Act was also extended to the teachers from 03.04.1997.”

Sir,resignation dene ke bad kintane din me gratuity ke liy apply kare?resignation ke samay gratuity form submit kiya to chalega kay?

Yes, आप जितना जल्दी चाहें करें और रिसीविंग जरूर लें. अगर वो रिसीविंग न दें तो एक रजिस्टर्ड पोस्ट से फॉर्म का कॉपी भेजें

Sir mene ek Compny me 4saal 11 mahine kaam kiya he kya mujhe Gratuity milegi.

एक महीना पहले क्यों छोड़ दिए. ग्रैचुइटी के लिए लगातार 5 वर्ष की सेवा पूरी होनी चाहिए.

MERE FATHER KAA 3 MONTH SEY APPLY KEEA HUUA HET GRDUTUITY ,MAGAR COMPANY IGNOR KAR RAHI HEY ,AABHI KEYA KAREY,

लेबर कमिश्नर ऑफिस में शिकायत करें।

Sir मैं 9 साल pvt कम्पनी मे जॉब किया । 3 साल हो गए अभी उसने ग्रेजुटटी नही दिया । कंपनी ने फ़िर से rejoin कर ली। क्या पहले वाली रक़म मिलेगी। वो बोल रहे है कि तुम ने बिना नोटिस के resine दिया है। जॉब छोड़ने के 3 month बाद resine दिया था। कृपया मेरी मदद करे।

आप उनको बोलिये कि नोटिस पीरियड का पैसा काट कर दीजिये अगर 5 साल सेवा पूरी हो गई हो तो

Grajuatty मांगने पर वो कंपनी से निकाल न दे इसलिए मैं कुछ बोल नही पा रहा हूँ। अगस्त 2010 की जोइनिंग है दिसंबर 2018 में जॉब छोड़ा मार्च 2019 में resine latter दिया।

अब सिंतबर2021 में rejoin किया उसी कंपनी में। सैलरी स्लिप भी नही देते कंपनी। कैसे पता चलेगा कि grajuatty की रकम कितना है। Inhand 17000 सैलरी मिलती थी

Gratuity एक ही कंपनी में सेवा 5 साल पूरी होने पर मिलती है.

sir maine 16 years kese company main kam keya hai or vo company kese or company main merge ho ge hai or hame salary one year se dusri company se salary de rehe hai too keya hame gratuity mil sakte hai ke nahi

आप पहली वाली कंपनी से ग्रैचुइटी क्लेम करें।

sir mene 4saal 11 mahine job ki last month mai leave pr thi uske bad 5 saal hone k 7 din bad resign dia mene to gratuity milegi kya.

बिलकुल, आपकी सर्विस से लीव अलग थोड़े ही होता है. आप अगर योग्य है तो क्लेम कीजिये।

Dear Sir, its been 3 months since i left my job and my graduation check is kept but our honor is not signing that check i am very upset what should i do.

आपको उनको रजिस्टर्ड पोस्ट से फॉर्म भरकर भेजना चाहिए

Sir, Jab maine 2012 me ek private limited company me join kiya tha, us samay company me employee less than 10 the, 2019 me 10 se jyada ho gaye . mujhe 2022 me 9 years ho gaye hai , Service k samay, gratuity ke liye mera koi deduction bhi nahi huwa hai. ab main company chhodna chahta hu, kya main claim kar sakta hu, kya main eligible hu Gratuity ke liye.

बिल्कुल कर सकते हैं

सर मैंने 7 साल ब्रिटेनिया कंपनी में काम किया पर मुझे gracuvati नही मिली है मुझे इसके लिए क्या करना चाहिए

पोस्ट में पूरी जानकारी दी हुई है

Sir maine bhina resign Kiya naukri chod di thi lock down mai kisi Karan vas to kya muzhe bhi graduity milegi

शायद नहीं, आप अभी से जानकर बात कीजिए

नमस्ते सर, सर हम एक कम्पनी में लगातार 6 साल काम किए है हमारी सेलरी शुरुआत में बेसिक सेलरी 6500 थी और लास्ट month मे 7800 था PF का डिमांड करने पर कम्पनी कह रही है हमने किसी भी employee का PF कटा ही नही है तो आपको PF कैसे मिलेगी । इसके लिए हम क्या करें।

अगर नहीं काटा तो कैसे मिलेगी, सही तो कह रहा है

Agar me Bina notice ke company chhodta hu to Kya mujhe grauty milegi.

May be no…

६ साल कम्पनी मे किया और काम छोडा ६महिने पुरे होगया। मै अनलाइन ग्रैचुइटी कैसे अपलाइ करु

आपको आपकी कंपनी से ग्रेचुइटी क्लेम करना होता है और यह हमसे बेहतर आपकी कम्पनी के बारे में आप जानते होंगे।

How can contact to u

You are in our contact

Sir mene 6 year aek showroom me kam kiya hai ae mene pf Nikala hai to me gratuity ke liye clam kr sakti hu pf or gratuity dono mil sakti hai

ग्रेच्युटी के लिए आप आहर्ता पूरी करते होंगे तभी मिलेगा

sir, my father work in a security company ,वो ड्यूटी के दूरां ही ऑन ड्यूटी उनकी मौत हो गई वो बहा कंपनी 8-9 साल से कम कर रहे लेकिन घर पर काम करने के कारण वो बिच बिच माई यह रूक गए अब उनी ऑन ड्यूटी डेथ हो गई है तो क्या म कंपनी पर ग्रेच्युटी के लिए क्लेम कर सकत हूं

Muje ek company me 4 year 7month ho gy he me graduatiy ke kese apply kru please koi site btay jaha mail kr sku

हमने 5 साल बताया है फिर आप किस बेस पर अप्लाई करेंगे।

Maine Private School meapne 2014 se 2020 tak work Kara to kya mujhe bhi Gratuity Lena ka Adhikari hai?

आपने यह लिखा ही नहीं की आप क्या काम करते हैं. आपको हमारे पोस्ट में Gratuity के बारे में पूरी जानकारी पढ़नी चाहिए.

मेरे पिताजी 1992 से 1-2-2019 तक लगातार एक ही कम्पनी मे कार्यरत थे । उन्होने 1-2-2019 को Resign किया और 9-2-2019 को उनकी मृत्यु हो गई। तो क्या अब ग्रेच्युटी के लिए क्लेम किया जा सकता है ? क्लेम कौन करेगा मैं या मेरी मां

hello sir, Bina resignation k bhi gretuity claim kr sakte h kya.?

Sir mujhe company me 8 years ho chuke hai to mujhe gratuity 8 years ka milega ya 5 year ka

जितनी सर्विस होगी उसी के अनुसार मिलना चाहिए

Sir mene 2016 se 08/6/2023. Tak ek hi company me kaam kiya Or ab bo company ki machine bik gai k sab logo ko hisab de diya h To kya mujhe grejuti milna chaiye

बिलकुल आपको क्लेम करना चाहिए

Sir maine security company me 5 year’s Kam Kiya h or 5 month company chode huye ho gye abhi tak grejyuti nhi mili or mai dubara usi company me joining kru to mil sakti h kya grejyuti

आपने ग्रैचुइटी क्लेम ही नही किया होगा तो कौन मालिक आपको घर आकर देगा।

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Request Letter to Employer for Gratuity Payment – Sample Application for Gratuity by an Employee

To, The Human Resources Manager, ___________ (Name Of Company), ___________ (Address)

Date: __/__/____ (Date)

Subject: Request for gratuity

Sir / Madam,

I would state that my name is ____________ (Name) and I used to work for your company as __________ (Designation) for last _________ (Duration). My employee ID is _____________ (Employee ID). I would like to state that I have worked in your organization for _________ (years) and as per the Government rules and regulations, I am eligible for the Payment Of Gratuity.

As per requirements, I have gone through all of the formalities and procedures.  In this regard, I humbly request you to kindly guide me through the procedure for claiming the same.

I look forward to your kind response.

Kind Regards, ______________ (Signature) ______________ (Name), ______________ (Address)

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16 Jan 2020 5:31 AM GMT

ग्रेच्युटी कानून के बारे में जानिए खास बातें

ग्रेच्युटी को हिंदी भाषा में उपदान कहा जाता है। इसका अर्थ नौकरी पेशा व्यक्तियों को रिटायरमेंट या बीमारी के कारण नौकरी नहीं कर पाने के कारण एक निश्चित धनराशि दी जाती है। यह धनराशि उस नियोजक द्वारा दी जाती है जिस नियोजक के पास में व्यक्ति नौकरी कर रहा था।

ग्रेच्युटी को मोटे तौर पर इस तरह समझ सकते हैं कि कोई व्यक्ति किसी रजिस्टर्ड कंपनी में कम से कम पांच साल तक नौकरी करता है और किसी कारण वह नौकरी जारी नहीं रखता है तो वह अपने नियोक्ता से ग्रेच्युटी के रूप में एक निश्चित धनराशि पाने का हकदार होगा।

ग्रेच्युटी जैसी विचारधारा का जन्म नौकरी पेशा लोगों के भविष्य को ध्यान में रखकर किया गया है। व्यक्ति के लिए यह सरल नहीं होता है कि वह कोई निश्चित धनराशि अपने भविष्य के लिए एकत्र करके रख सके। व्यक्ति जितना धन अपने जीवन काल में अर्जित करता है वह पूरे धन को ख़र्च कर देता है। नौकरीपेशा व्यक्ति धन को एकत्र करके नहीं रख पाता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारत की केंद्रीय सरकार ने 1972 में कानून जिसका नाम उपदान संदाय अधिनियम 1972 (Payment of Gratuity Act, 1972) है, पारित किया।

यह अधिनियम केंद्रीय अधिनियम है एवं जम्मू कश्मीर को छोड़कर संपूर्ण भारत पर लागू था, लेकिन अब यहां संपूर्ण भारत पर पूरी तरह लागू है। इस अधिनियम का उद्देश्य नौकरी कर रहे व्यक्तियों को भविष्य में एक निश्चित धनराशि प्रदान करना है, जिससे उन व्यक्तियों का भविष्य सुरक्षित हो सके तथा व्यक्ति का वृद्धा अवस्था बेहतर तरीके से बीत सके तथा वह उस परिस्थिति में जिस परिस्थिति में उसका शरीर काम ना कर रहा हो तथा कोई कार्य करने की स्थिति में ना हो ऐसी प्रस्थिति में व्यक्ति को अपनी जीविकोपार्जन हेतु एक निश्चित धनराशि नियोजक द्वारा प्रदान की जाए।

यह न्याय की बात है कि किसी व्यक्ति ने यदि अगर किसी नियोजक के लिए अपना संपूर्ण जीवन लगा दिया तथा अपने जीवन के लंबे समय को एक नियोजक के लिए किया व्यय कर दिया तो ऐसे व्यक्ति की भविष्य की जिम्मेदारी भी उस नियोजक की बनती है।

इस उद्देश्य हेतु केंद्र सरकार ने उपदान संदाय अधिनियम को 10 से अधिक कर्मचारियों की किसी भी संस्था संगठन पर आवश्यक रूप से लागू किया है। ग्रेज्युटी का संदाय नहीं करने पर नियोजकों पर दंड अधिरोपित किया है एवं यह पूर्ण व्यवस्था की है किस सरकारी और निजी कर्मचारियों को पूर्ण रूप से यह धनराशि अदा की जाती रहे इसके संदाय में कोई कठिनाई नहीं आए तथा व्यक्तियों का भविष्य सुरक्षित रहे।

कौन से नियोजक इसमें शामिल हैं

अधिनियम की धारा 2 में बताया गया है कि सभी तरह के नियोजक जिनमें कर्मचारियों की संख्या 10 से अधिक है, वह इस अधिनियम के अधीन नियोजक कहलाएंगे। इसमें कारखाने, खदान, बागान, दुकान और वह सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्था जो केंद्रीय राज्य सरकारों तथा लोकल अथॉरिटी द्वारा शासित किए जा रहे हैं। अर्थात 10 कर्मचारियों से अधिक काम करने वाली संस्थाएं इस अधिनियम के अंतर्गत शासित होगी तथा उन्हें अपने कर्मचारियों को ग्रेच्युटी की धनराशि देना होगी।

कितनी होगी ग्रेज्युटी की रकम

अधिनियम के पुराने प्रावधानों के मुताबिक ग्रेच्युटी 1000000 रुपए तक थी अर्थात कोई भी उपदान का संदाय 10 लाख से अधिक नहीं होगा परंतु 2018 में के संशोधन के बाद इस सीमा को बढ़ाकर ₹2000000 कर दिया गया है अब मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक ₹2000000 तक ग्रेच्युटी की रकम हो सकती है।

किन कर्मचारियों को उपदान दिया जाएगा

अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत-

जिन कर्मचारियों ने 5 वर्ष से अधिक अवधि तक निरंतर सेवा दी है, उसके उपरांत अधिवर्षिता के कारण पद से गए है या सेवानिवृत्त हुए है या फिर पद त्यागा है या फिर निःशक्तता के कारण कार्य करने में असमर्थ हैं या फिर उनकी मृत्यु हो गई है तो ऐसी प्रस्तुति में कर्मचारी को उपदान का संदाय किया जाएगा।

जिन व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है उनके उपदान का संदाय उनके वारिसों को किया जाएगा। वारिसों में कर्मचारी पर निर्भर वारिसों को उपदान का संदाय किया जाएगा।

उपदान की गणना

अधिनियम के अनुसार उपदान की गढ़ना सेवा के अंतिम माह की मूल सैलरी के पंद्रह दिवस की सैलरी को औसत मान कर कार्य के वर्षों से गुणा कर की जायेगी।निम्न उदहारण द्वारा सरलतापूर्वक समझा जा सकता है।

यह फॉर्मूला है-(15 X पिछली सैलरी X काम करने की अवधि) भाग 26 यहां पिछली सैलरी का मतलब बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता और बिक्री पर मिलने वाला कमीशन है।

मान लीजिए किसी व्यक्ति का पिछला वेतन 50,000 रुपये महीना है। उसने किसी कंपनी में 15 साल 8 महीने काम किया। ऐसे में उसकी ग्रेच्युटी होगी-(15 X 50,000 X 16)/26 = 4.61 लाख रुपये होगी। इस मामले में काम करने के दिन 15 साल 8 महीने होने के कारण इसे 16 लिया गया है। अगर काम करने के दिन 15 साल 5 महीने होते तो इसे 15 साल ही माना जाता।

उपदान देने से छूट

कुछ विशेष परिस्थितियों में नियोजक को उपदान का संदाय करने हेतु समुचित सरकार से छूट प्राप्त हो सकती है अधिनियम की धारा 5 के अंतर्गत वह निम्न परिस्थितियों में हो सकती है।

यदि नियोजक द्वारा कर्मचारियों को ऐसी पेंशन योजना का लाभ दिया जा रहा है जो पेंशन योजना इस अधिनियम के अंतर्गत बताई गई उपदान योजना से कम अनुकूल नहीं है तो ऐसी परिस्थिति में ग्रेच्युटी से छूट नियोजक को प्राप्त हो सकती है, लेकिन भान रहे छूट केवल उस परिस्थितियों में प्राप्त होगी जिस परिस्थिति में अन्य योजना का लाभ कर्मचारियों को मिल रहा है ।अर्थात किसी भी सूरत में कर्मचारियों का नुकसान नहीं होना चाहिए उन्हें एक जैसी धनराशि किसी अन्य योजना से प्राप्त होनी चाहिए।

उपदान के संदाय किए जाने हेतु समयावधि

अधिनियम के अंतर्गत उपदान का संदाय करने हेतु नियोजक को 30 दिन का समय दिया गया है। कर्मचारी जिस दिन से उपदान के संदाय हेतु आवेदन जमा करता है उससे 30 दिन की अवधि के भीतर नियोजक को उपदान का संदाय कर देना चाहिए। यदि वह उपदान का संदाय इस समय अवधि के भीतर नहीं करता है। उसके बाद कुछ समय और लेता है तो ऐसी परिस्थिति में नियोजक को कर्मचारी को एक निश्चित दर से ब्याज देना होगा।

उपदान की वसूली

यदि कर्मचारी द्वारा नियोजक को उपदान के संदाय हेतु आवेदन किया जाता है और नियोजक कर्मचारी को उपदान का संदाय नहीं करता है। ऐसी परिस्थिति में नियोजक की शिकायत यदि नियंत्रक अधिकारी को की जाती है तो वह प्राधिकारी जिले के कलेक्टर को यह प्रमाण पत्र जारी करेगा कि वह भू राजस्व की वसूली की तरह ग्रेज्युटी की रकम को वसूल करें तथा वसूल करके उस रकम को कर्मचारी को प्रदान करे।

अधिनियम की धारा 9 के अंतर्गत कुछ अपराध हैं। उनके दंड भी रखे गए यदि कोई नियोजक इस अधिनियम के अंतर्गत बताए गए उपदान का संदाय करने से बचता है या बचने का प्रयास करता है जब कोई ऐसी विवेचना बनाता है, जिससे वह उपदान का संदाय करने से बच जाए तो यह इस अधिनियम के अंतर्गत अपराध है इसके लिए 6 माह तक का कारावास रखा गया है।

अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए नियम और विनियमो का उल्लंघन किया जाता है और कोई ऐसा प्रयास किया जाता है, जिससे किसी कर्मचारी को उपदान किए जाने के संबंध में कोई नुकसान पहुंचाया जाए तो ऐसी परिस्थिति में 1 वर्ष तक का कारावास रखा गया है। ऐसा कारावास नियोजक यानी संस्था के कर्ताधर्ता को दिया जाएगा।

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ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972

Payment of Gratuity Act 1972

यह लेख प्रवीण गांधी कॉलेज ऑफ लॉ, मुंबई की छात्रा  Hema Modi और यूनाइटेडवर्ल्ड स्कूल ऑफ लॉ, कर्णावती विश्वविद्यालय, गांधीनगर से ग्रेजुएट Kishita Gupta द्वारा लिखा गया है। यह लेख ग्रैच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 और इसके विभिन्न प्रावधानों के साथ-साथ ऐतिहासिक निर्णयों का एक अवलोकन प्रदान करता है। इस लेख का अनुवाद Sakshi Gupta द्वारा किया गया है।

Table of Contents

हम सभी ने ‘ग्रेच्युटी’ शब्द सुना होगा जिसका अर्थ “सेवा के अंत में एक कर्मचारी को भुगतान की जाने वाली राशि” है। खैर, इसका मतलब यह नहीं है कि रोजगार छोड़ने वाले प्रत्येक कर्मचारी को इतनी ही राशि मिलेगी। इसलिए, ग्रेच्युटी के भुगतान के लिए पात्र होने के लिए, रोजगार की न्यूनतम अवधि 5 वर्ष है। भारत में, यह सब ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 द्वारा शासित है। ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1948 के न्यूनतम मजदूरी अधिनियम की तरह भारत में कानूनों की एक शैली है, जो श्रम कानूनों का विस्तार है और यह कर्मचारियों को प्रदान किए जाने वाले न्यूनतम लाभों को निर्धारित करता है। यह एक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम है जो उद्योगों (इंडस्ट्री), कंपनियों और संगठनों (ऑर्गेनाइजेशन) में काम करने वाले कर्मचारियों को कल्याणकारी लाभ प्रदान करते है। इस लेख में, लेखकों ने नवीनतम संशोधनों के साथ अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों पर चर्चा की है।

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ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 का दायरा और उद्देश्य

अधिनियम ने देश भर के कर्मचारियों को ग्रेच्युटी भुगतान के लिए एक मानक (स्टैंडर्ड) पैटर्न की गारंटी देने के अपने उद्देश्य को निर्धारित किया ताकि कई राज्यों में शाखाओं (ब्रांच) वाले संगठनों के कर्मचारियों को अलग-अलग व्यवहार करने से रोका जा सके, जब उन्हें सेवा के कारण एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित (ट्रांसफर) करने की आवश्यकता हो सकती है।

21 अगस्त को, इस अधिनियम को संसद द्वारा अनुमोदित (अप्रूव) किया गया था, और यह उसी वर्ष 16 सितंबर को लागू हुआ था। केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकारों के साथ-साथ सैन्य और स्थानीय शासी निकाय के सभी प्रभाग (डिविजन) इस अधिनियम के प्रावधानों के अधीन हैं। यदि कुछ आवश्यकताओं को पूरा किया जाता है, तो निजी संगठन इसके अधिकार क्षेत्र (ज्यूरिएडिक्शन) में आ सकते हैं। यह एक कर्मचारी को उसके काम और कंपनी के प्रति समर्पण के लिए दिया जाने वाला एक मौद्रिक (मॉनेटरी) इनाम है।

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ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के प्रमुख प्रावधान

अधिनियम की प्रयोज्यता (एप्लीकेबिलिटी).

अधिनियम की धारा 1 में कहा गया है कि यह अधिनियम वृक्षारोपण (प्लांटेशन) और बंदरगाहों (पोर्ट) के मामलों को छोड़कर पूरे भारत में लागू होगा, जहां जम्मू और कश्मीर राज्य को 2019 से पहले छूट दी गई थी, फिर इसे पूरे भारत में विस्तारित करने के लिए संशोधित किया गया था।

इसके अलावा, अधिनियम निम्नलिखित पर लागू होगा:

  • प्रत्येक निर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) इकाई, खदान, तेल क्षेत्र, वृक्षारोपण, बंदरगाह और रेलवे फर्म;
  • प्रत्येक व्यवसाय, जैसा कि किसी राज्य में व्यवसायों और परिसरों के संबंध में वर्तमान में प्रभावी किसी भी कानून द्वारा परिभाषित किया गया है, जहां पिछले 12 महीनों के दौरान किसी भी दिन दस या अधिक लोग कार्यरत (इंप्लॉयड) हैं या कार्यरत थे;
  • कोई अन्य व्यवसाय या व्यवसायों का समूह जहां पिछले वर्ष के दौरान किसी भी दिन दस या अधिक लोग कार्यरत हैं या कार्यरत थे, जैसा कि केंद्र सरकार एक अधिसूचना (नोटिफिकेशन) में निर्दिष्ट कर सकती है।

ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम के तहत कर्मचारी कौन है

एक कर्मचारी को धारा 2(e) में परिभाषित किया गया है– किसी भी व्यक्ति को किसी भी मैनुअल, पर्यवेक्षी (सुपरवाइजरी), तकनीकी, या लिपिक (क्लेरिकल) कार्य करने के लिए, किसी भी व्यक्ति के रूप में मजदूरी का भुगतान किया जाता है, जैसा कि ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 की धारा 1(3) में परिभाषित किया गया है, इस बात की परवाह किए बिना कि रोजगार की शर्तें व्यक्त हैं या निहित हैं और इस बात की परवाह किए बिना कि कर्मचारी प्रबंधकीय (मैनेजेरियल) या प्रशासनिक (एडमिनिस्ट्रेटिव) पद धारण करता है या नहीं। लेकिन इस परिभाषा में ऐसे किसी भी व्यक्ति को बाहर करने की प्रवृत्ति है जो संघीय या राज्य सरकारों के साथ एक पद धारण करता है और किसी अन्य अधिनियम या ग्रेच्युटी के भुगतान को नियंत्रित करने वाले किसी भी दिशा-निर्देश के अधीन है।

शिक्षकों को कर्मचारी मानने पर बहस छिड़ गई है। छात्रों को शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षकों को अहमदाबाद प्राइवेट प्राथमिक शिक्षक संघ बनाम प्रशासनिक अधिकारी, एलएलजे (2004) के मामले में इस अधिनियम के तहत ग्रेच्युटी लाभ प्राप्त करने वाले कर्मचारी नहीं माना जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय ने विधायिका से संज्ञान लेने और शिक्षकों को जहां भी आवश्यक हो, कानूनों के माध्यम से ग्रेच्युटी लाभ प्रदान करने के लिए कहा है।

इसलिए, 2009 के संशोधन अधिनियम के माध्यम से, “कर्मचारी” शब्द का विस्तार अब किसी भी प्रकार के श्रम को करने के लिए भाड़े पर लिए गए किसी भी व्यक्ति को शामिल करने के लिए किया गया है। नतीजतन, एक शिक्षक को अधिनियम के उद्देश्यो के लिए एक कर्मचारी माना जाता है।

हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने इंडिपेंडेंट स्कूल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (रजिस्टर्ड) बनाम भारत संघ (2022) के मामले में ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) अधिनियम, 2009 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा और कहा कि संशोधन का उद्देश्य समानता लाना और शिक्षकों को समान व्यवहार प्रदान करना है। इसे मनमानी या अहंकारी गतिविधि के रूप में शामिल करना मुश्किल है।

विशेष रूप से, उपरोक्त संशोधन अधिनियम उन शिक्षकों को ग्रेच्युटी का लाभ देने के लिए पेश किया गया था, जिन्हें पहले “कर्मचारी” की श्रेणी में शामिल करके इसे अस्वीकार कर दिया गया था। न्यायालय ने फैसला सुनाया कि निजी स्कूलों को एक दोष के परिणामस्वरूप निहित अधिकार का दावा करते हुए “सफल नहीं होना चाहिए” क्योंकि स्वीकृति शिक्षकों की कीमत पर होगी, जो इच्छित लाभ खो देंगे। न्यायालय ने संशोधन अधिनियम की वैधता को बरकरार रखा और निजी स्कूलों को अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कर्मचारियों और शिक्षकों को छह सप्ताह के भीतर ब्याज सहित भुगतान करने का आदेश दिया। यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो कर्मचारी और शिक्षक अधिनियम की आवश्यकताओं के अनुसार भुगतान करने के लिए उपयुक्त फोरम में मुकदमा दायर कर सकते हैं।

निरंतर सेवा

इस अधिनियम के अनुसार निरंतर सेवा का अर्थ है रोजगार की अवधि के दौरान बिना किसी बाधा के सेवा। इसमें बीमारी, दुर्घटना, कामबंदी (लेऑफ), हड़ताल आदि के कारण छुट्टी शामिल है। यदि बाधा छह महीने या एक वर्ष के लिए है, तो कर्मचारी ग्रेच्युटी लाभ का हकदार नहीं होगा। उन्हें किसी खदान या कोयला क्षेत्र जैसे प्रतिष्ठान (एस्टेब्लिशमेंट) (जहां काम की अवधि केवल 6 महीने है) में कम से कम 190 दिन और अन्य क्षेत्रों में 240 दिन काम करना चाहिए था।

हाल ही में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक प्रश्न उठा कि क्या कर्मचारियों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को नियमित किया गया था या नहीं और क्या वे नेताराम साहू बनाम छत्तीसगढ़ राज्य (2018) के मामले में ग्रेच्युटी राशि के हकदार थे या नहीं। अपीलकर्ता कर्मचारी ने कुल मिलाकर 25 साल और 3 महीने की सेवा (22 साल और 1 महीने दैनिक वेतन भोगी के रूप में और 3 साल 2 महीने नियमित कार्य प्रभार कर्मचारी के रूप में) की थी। हालाँकि, अपीलकर्ता को उसकी सेवानिवृत्ति (रिटायरमेंट) के बाद राज्य द्वारा ग्रेच्युटी राशि का भुगतान नहीं किया गया था, क्योंकि उसने अपनी सेवा के कुल 25 वर्षों में से 22 वर्ष दैनिक वेतन भोगी के रूप में और केवल 3 वर्ष नियमित कर्मचारी के रूप में काम किया था। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि राज्य को कर्मचारी को ग्रेच्युटी राशि जारी करनी चाहिए क्योंकि अपीलकर्ता ने वास्तव में 25 वर्षों की अवधि के लिए सेवा प्रदान की थी। क्योंकि सेवाओं को नियमित किया गया था, अपीलकर्ता 25 साल की अवधि के लिए अपने लाभ का दावा करने का हकदार था, इसके बाबजूद कि उसने 22 साल किस पद और क्षमता में काम किया था। इससे पता चलता है कि सेवाओं को नियमित किया गया या नहीं, उक्त अधिनियम के तहत निरंतर सेवा के लिए इसका कोई महत्व नहीं है।

एक कर्मचारी की निरंतर सेवा के लिए पात्रता प्राप्त करने वाले विभिन्न अपवाद अधिनियम की धारा 2A में वर्णित हैं।

हाल ही के एक फैसले अमरेली नगरपालिका बनाम मनुभाई एभालभाई धंधल (2022), में गुजरात उच्च न्यायालय ने माना कि पेंशन देने के उद्देश्य से इसे नियमित करने और ध्यान में रखे जाने के बाद, एक कर्मचारी निरंतर सेवा की पूरी अवधि के लिए ग्रेच्युटी के लिए पात्र है। वर्तमान मामले में, नियंत्रक प्राधिकारी (कंट्रोलिंग अथॉरिटी) को कोई तर्क नहीं दिया गया था कि प्रतिवादी ने ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 की धारा 2A की आवश्यकता के अनुसार निरंतर सेवा प्रदान नहीं की थी।

नियंत्रण प्राधिकारी 

इस अधिनियम के उचित प्रशासन के लिए उपयुक्त सरकार द्वारा धारा 3 के अनुसार नियंत्रक प्राधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। सरकार विभिन्न क्षेत्रों के लिए अलग-अलग नियंत्रक प्राधिकारी भी नियुक्त कर सकती है।

ग्रेच्युटी का भुगतान

अधिनियम की धारा 4 के अनुसार, एक कर्मचारी ग्रेच्युटी के भुगतान का हकदार है यदि उसने अपनी सेवानिवृत्ति, इस्तीफे, अक्षमता या मृत्यु पर पांच साल की निरंतर सेवा प्रदान की है। हालांकि, उन मामलों में पांच साल की निरंतर सेवा अनिवार्य नहीं है जहां समाप्ति मृत्यु या विकलांगता के कारण होती है। एक सेवानिवृत्त व्यक्ति अपनी पेंशन के साथ ग्रेच्युटी राशि का भी हकदार है। यह इलाहाबाद बैंक और अन्य बनाम अखिल भारतीय इलाहाबाद बैंक सेवानिवृत्त कर्मचारी संघ (2009) के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आयोजित किया गया था जहां माननीय न्यायालय ने कहा कि पेंशन लाभ में पेंशन राशि और ग्रेच्युटी राशि दोनों शामिल हो सकते हैं, लेकिन कर्मचारियों को ग्रेच्युटी राशि का भुगतान किया जाना चाहिए।

इसके अलावा, अधिनियम कम से कम 6 महीने के लिए प्रदान की गई सेवाओं के लिए प्रदान करता है, जहां ग्रेच्युटी राशि की गणना संबंधित कर्मचारी द्वारा अंतिम रूप से प्राप्त मजदूरी की दर के आधार पर पंद्रह दिनों की मजदूरी की दर से की जाएगी, बशर्ते कि ओवरटाइम काम के लिए भुगतान की गई राशि पर विचार नहीं किया जाएगा।

ग्रेच्युटी की राशि 10 लाख रुपये से अधिक नहीं होगी।

ग्रेच्युटी कब देय (पेयबल) हो जाती है

ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 की धारा 4(1) के अनुसार, यदि कर्मचारी ने पांच साल या उससे अधिक समय तक निरंतर सेवा प्रदान की है, तो उसे रोजगार की समाप्ति पर एक ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाना चाहिए।

  • यह उनकी सेवानिवृत्ति पर होना चाहिए, या
  • उनके इस्तीफे या सेवानिवृत्ति पर, या
  • दुर्घटना या बीमारी के कारण उनकी मृत्यु या विकलांगता पर।

कोठारी औद्योगिक (इंडस्ट्रियल) निगम बनाम अपीलीय प्राधिकरण (1997), में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने माना कि इस अधिनियम के उद्देश्य के लिए वैध बहाने के बिना काम से अनुपस्थिति मात्र सेवा की निरंतरता का उल्लंघन नहीं है।

किसको ग्रेच्युटी का भुगतान किया जा सकता है

  • पहले मामले में, ग्रेच्युटी का भुगतान कर्मचारी को स्वयं किया जाएगा।
  • यदि किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उसको देय किसी भी ग्रेच्युटी का भुगतान उसके नामांकित व्यक्ति को किया जाना चाहिए या, यदि कोई नामांकित व्यक्ति नहीं बनाया गया है, तो उसके उत्तराधिकारियों को भुगतान किया जाना चाहिए।
  • यदि उपर्युक्त पक्षों में से कोई एक नाबालिग है, तो नाबालिग का हिस्सा नियंत्रक प्राधिकारी के पास जमा किया जाना चाहिए, जो नाबालिग के वयस्क (एडल्ट) होने तक बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान में नाबालिग के लाभ के लिए निवेश करेगा।

ग्रेच्युटी की सीमा क्या है

धारा 4(3) के तहत ग्रेच्युटी की सीमा 3.5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करने से कर्मचारियों को फायदा होगा। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(10) में ग्रेच्युटी कैप को भी 3.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया था।

हालाँकि, 29 मार्च, 2018 तक, ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 द्वारा शामिल किए गए व्यक्तियों के लिए ग्रेच्युटी की सीमा अधिसूचना (नोटिफिकेशन) संख्या 1420(E) दिनांक 29 मार्च 2018 के माध्यम से 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख कर दी गई है। 

ग्रेच्युटी को जब्त करना 

धारा 4(6) दो स्थितियों का वर्णन करती है जिसमें किसी व्यक्ति की ग्रेच्युटी को जब्त किया जा सकता है:

  • यदि नियोक्ता (एंप्लॉयर) की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले किसी व्यक्ति द्वारा किसी कार्य, जानबूझकर चूक या किसी लापरवाहीपूर्ण कार्य के लिए सेवा की समाप्ति की गई है, तो क्षति के विस्तार तक ग्रेच्युटी को जब्त कर लिया जाएगा।
  • दंगे और उच्छृंखल (डिसऑर्डरली) व्यवहार के लिए ग्रेच्युटी की आंशिक या पूरी तरह से जब्ती हो सकती है, उसके द्वारा की गई हिंसा का कोई अन्य कार्य, या उसके रोजगार के दौरान कार्य करते समय उसके द्वारा नैतिक अधमता (मोरल टर्पीट्यूड) का कोई भी कार्य किया जा सकता है।

भारत गोल्ड माइन्स लिमिटेड बनाम क्षेत्रीय श्रम आयुक्त (कमिश्नर) (1986) के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित किया गया था कि, नैतिक अधमता से जुड़े कर्मचारी चोरी के मामलों में, धारा 4(6)(b) के अनुसार ग्रेच्युटी पूरी तरह से जब्त कर ली जाती है। इसके आलोक में, नियोक्ता कर्मचारी की बकाया ग्रेच्युटी को रोक नहीं सकता है, जब उपरोक्त किसी भी कारण से सेवा समाप्त नहीं की गई है।

त्रावणकोर प्लाईवुड इंडस्ट्रीज बनाम केरल के क्षेत्रीय संयुक्त श्रम निगम (1996), के मामले में यह निर्णय लिया गया कि कर्मचारी की ग्रेच्युटी को केवल इसलिए नहीं रोका जा सकता क्योंकि नियोक्ता की भूमि को कर्मचारी द्वारा नहीं छोड़ा गया था। इसलिए, ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 की धारा 4(6) के तहत, एक कर्मचारी की आवासीय निगम संपत्ति को बदलने की अनिच्छा ग्रेच्युटी से इनकार करने का पर्याप्त कारण नहीं है।

बॉम्बे उच्च न्यायालय के अनुसार एयर इंडिया लिमिटेड बनाम अपीलीय प्राधिकरण (1998) के मामले में, ग्रेच्युटी को प्रस्थान (डिपार्टिंग) करने वाले कर्मचारियों से नहीं रोका जा सकता क्योंकि उन्होंने अपना सेवा क्वार्टर खाली नहीं किया था।

कई मामलों में ग्रेच्युटी जब्त करने की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया गया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड बनाम अपीलीय प्राधिकरण और अन्य (2004) में आयोजित किया कि अधिनियम की धारा 4(6)(a) के अनुसार, जब्ती की मात्रा निर्धारित की जानी चाहिए, और एक आदेश की आवश्यकता होती है, जिसे कर्मचारी को अवसर प्रदान करने के बाद ही जारी किया जा सकता है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने केनरा बैंक बनाम अपीलीय प्राधिकरण (2012) में फैसला सुनाया कि ग्रेच्युटी को जब्त करने का निर्णय नुकसान की गणना करने और कर्मचारी को सुनवाई का मौका देने के बाद ही किया जा सकता है। गुजरात उच्च न्यायालय के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया बनाम के.आर. अजवालिया (2004) के मामले के अनुसार ग्रेच्युटी प्रक्रिया को जब्त करने के लिए नोटिस और सुनवाई आवश्यक कदम हैं। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रबंधक, वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड बनाम प्रयाग मोदी (2018) में फैसला सुनाया कि एक कर्मचारी की ग्रेच्युटी केवल अधिनियम की स्थापित प्रक्रिया के अनुसार रोकी जा सकती है। नियोक्ता के पास अपनी मर्जी से ग्रेच्युटी रोकने का फैसला करने का अप्रतिबंधित अधिकार नहीं है।

दिल्ली उच्च न्यायालय के हाल के एक फैसले यूनियन बैंक ऑफ इंडिया बनाम श्री डी.सीचतुर्वेदी (2022), में यह देखा गया कि ग्रेच्युटी को जब्त करने से पहले, स्वीकृत कानूनी दृष्टिकोण के अनुसार अधिसूचना, परिमाणीकरण (क्वांटिफिकेशन) और सुनवाई की तीन आवश्यकताओं को पूरा किया जाना चाहिए।

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अनिवार्य बीमा

अधिनियम की धारा 4A जीवन बीमा निगम या किसी अन्य कंपनी के माध्यम से केंद्र सरकार या राज्य सरकार से संबंधित लोगों के अलावा प्रत्येक नियोक्ता को अनिवार्य बीमा प्रदान करती है। हालांकि, उन नियोक्ताओं को इस प्रावधान से छूट दी गई है जिनके पास अपनी कंपनी में एक स्थापित और पंजीकृत ग्रेच्युटी फंड है। सरकार आवश्यकता पड़ने पर इस धारा को लागू करने के लिए नियम भी बना सकती है। किसी के द्वारा भी इस प्रावधान का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

छूट देने की शक्ति

अधिनियम की धारा 5 अधिसूचना द्वारा उपयुक्त सरकार को किसी भी प्रतिष्ठान- एक कारखाने, खदान, तेल क्षेत्र, बागान, बंदरगाह, रेलवे कंपनी, या दुकान- को ग्रेच्युटी से मुक्त घोषित करने की शक्ति प्रदान करती है यदि सरकार की राय है कि प्रतिष्ठान के अनुकूल लाभ है, जो यह अधिनियम प्रदान करता रहा है उससे कम नहीं है। यही कानून किसी भी कर्मचारी या कर्मचारियों के वर्ग पर लागू होता है।

नामांकन के लिए कब दाखिल करें

ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत विचार किए जाने के लिए धारा 6 के तहत एक नामांकन एक कर्मचारी द्वारा अपने रोजगार के पहले वर्ष के अंत के 30 दिनों के भीतर प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इसका मतलब यह होगा कि क़ानून यह अनिवार्य करता है कि एक कर्मचारी सेवा के एक वर्ष पूरा करने के 30 दिनों के भीतर नामांकन जमा करे। हालांकि हकीकत में ऐसा नहीं है। वास्तव में, नियोक्ता मांग करते हैं कि नए कर्मचारी कंपनी में पहली बार शामिल होने पर नामांकन फॉर्म जमा करें। परिणामस्वरूप, यदि आप नामांकन फॉर्म जमा करने के बारे में सुनिश्चित नहीं हैं, तो आप अपने नियोक्ता से परामर्श कर सकते हैं।

किसे नामांकित किया जा सकता है

एक कर्मचारी द्वारा केवल “परिवार के सदस्यों” को नामांकित किया जा सकता है, और केवल तभी किसी और को नामांकित किया जा सकता है यदि कोई “परिवार” का सदस्य मौजूद नहीं है।

ग्रेच्युटी अधिनियम के अनुसार, एक पुरुष सदस्य के “परिवार” को उसकी पत्नी, बच्चों (विवाहित या नहीं), आश्रित (डिपेंडेंट) माता-पिता, उसकी पत्नी के आश्रित माता-पिता, और, यदि कोई हो, विधवा और किसी भी पूर्व-मृत पुत्र के बच्चों के रूप में परिभाषित किया गया है।

एक महिला कर्मचारी के लिए, “परिवार” शब्द उसके पति, उसके बच्चों (चाहे वे विवाहित हों या नहीं), उसके आश्रित माता-पिता, उसके पति के आश्रित माता-पिता, और, यदि कोई हो, विधवा और उसके पूर्व मृत बेटे के किसी भी बच्चे को संदर्भित करता है।

कर्मचारी प्रोविडेंट फंड योजना (ईपीएफ) के विपरीत, ग्रेच्युटी अधिनियम एक महिला कर्मचारी को उसके पति और उसके आश्रित माता-पिता को नामांकितों की सूची से हटाने का विकल्प प्रदान नहीं करता है। 1987 के अधिनियम में संशोधन ने पति को परिवार की परिभाषा से बाहर करने की संभावना को हटा दिया है।

याद रखें कि, ईपीएफ के विपरीत, शादी के बाद ग्रेच्युटी नामांकन स्वतः समाप्त नहीं होता है। यह देखते हुए कि आपको एक जीवनसाथी मिलेगा, जिसे तब “परिवार” माना जाएगा, यदि आपने किसी और को नामांकित किया था (यह मानते हुए कि आपका कोई “परिवार” नहीं है), तो आपको शादी के बाद एक नया नामांकन जमा करना होगा। हालांकि, अगर आपने शादी करने से पहले अपने आश्रित माता-पिता को नामांकित किया है, तो ऐसा नामांकन शादी के बाद भी मान्य रहेगा, और आपकी कंपनी को आपकी असामयिक (अनटाइमली) मृत्यु की स्थिति में उस व्यक्ति को ग्रेच्युटी लाभ देना होगा।

नामांकन कैसे करें

किसी व्यक्ति के नियोक्ता को उनकी ओर से फॉर्म F पर नामांकन प्राप्त करना होगा। यदि प्रारंभिक नामांकन दाखिल करने के समय कर्मचारी के पास ग्रेच्युटी अधिनियम द्वारा परिभाषित “परिवार” नहीं था, लेकिन अब उसकी शादी हो गई है और उसके बच्चे हैं, तो फॉर्म G का उपयोग करके एक नया सबमिशन जमा करना होगा।

नियोक्ताओं को इस बात पर जोर देना चाहिए कि उनके स्टाफ सदस्य शादी के बाद उनके ग्रेच्युटी नामांकन का मूल्यांकन करें। पहले जमा किया गया नामांकन (अर्थात् परिवार प्राप्त करने से पहले) नया फॉर्म जमा करने के बाद अमान्य हो जाएगा।

क्या कोई वसीयत, लाभार्थी के नामांकन को ओवरराइड कर सकती है

कर्मचारी के गुजरने की स्थिति में ग्रेच्युटी भुगतान को नियंत्रित करने वाले कानून आम तौर पर ईपीएफ लाभों के भुगतान को नियंत्रित करने वाले कानूनों के समान होते हैं। यह संभावना नहीं है कि वे आय के हकदार होंगे यदि आप (यानी, वसीयत लिखने वाले) अपने ईपीएफ को परिभाषित “परिवार” सदस्यों के अलावा किसी और को देंगे क्योंकि ईपीएफ योजना में इस पर विचार नहीं किया गया है।

जब कोई नामांकन वैध रूप से किया जाता है, तो नामांकित व्यक्ति के पास केवल कर्मचारी के कानूनी उत्तराधिकारियों की ओर से पैसा होता है; नतीजतन, नामांकित व्यक्ति ग्रेच्युटी राशि को प्राप्त करने के बाद वसीयत या अन्य उत्तराधिकार नियमों के अनुसार भुगतान करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होता है। हालांकि, अगर कोई किसी ऐसे व्यक्ति को नामांकित करता है जो “परिवार” नहीं है (जैसा कि ग्रेच्युटी अधिनियम द्वारा परिभाषित किया गया है), तो नामांकन शून्य हो जाएगा, और भले ही वह व्यक्ति वसीयत के तहत लाभार्थी हो, वे ग्रेच्युटी की आय एकत्र करने के लिए पात्र नहीं होंगे।

नामांकन के लिए प्रयुक्त फॉर्म 

ग्रेच्युटी भुगतान नियम 1972 के तहत सभी तरह के फॉर्म दिए गए हैं।

  • फॉर्म D – पति को परिवार से बाहर करने का नोटिस।
  • फॉर्म E – परिवार से पति को बाहर करने का नोटिस वापस लेने का नोटिस।
  • फॉर्म F- नामांकन।
  • फॉर्म G – नया नामांकन।
  • फॉर्म H – नामांकन की अधिसूचना।

इस अधिनियम के अनुसार, कर्मचारी के लिए यह आवश्यक है कि वह एक वर्ष की सेवा पूरी करने के तुरंत बाद नामांकित व्यक्ति का नाम निर्धारित करे। परिवार के मामले में, नामांकित व्यक्ति कर्मचारी के परिवार के सदस्यों में से एक होना चाहिए, और अन्य नामांकित व्यक्ति शून्य होंगे। किसी भी परिवर्तन या नए नामांकन को कर्मचारी द्वारा नियोक्ता को सूचित किया जाना चाहिए जो इसे अपनी सुरक्षित हिरासत में रखेगा।

ग्रेच्युटी की राशि का निर्धारण

अधिनियम की धारा 7 ग्रेच्युटी की राशि के निर्धारण के लिए नियम निर्धारित करती है। ग्रेच्युटी राशि प्राप्त करने का हकदार व्यक्ति नियोक्ता को लिखित रूप में एक आवेदन भेजेगा। नियोक्ता ग्रेच्युटी राशि की गणना करेगा और संबंधित कर्मचारी और नियंत्रक प्राधिकारी को लिखित रूप में नोटिस प्रदान करेगा। भुगतान कर्मचारी को देय तिथि से 30 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए। निर्धारित सीमा के भीतर भुगतान करने में विफलता के परिणामस्वरूप साधारण ब्याज का भुगतान किया जाएगा। हालांकि, यदि विलंबित भुगतान कर्मचारी की वजह से है, तो नियोक्ता साधारण ब्याज का भुगतान करने का हकदार नहीं है।

वाई.के. सिंगला बनाम पंजाब नेशनल बैंक (2012), के ऐतिहासिक मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय को यह तय करना था कि क्या एक कर्मचारी जिसका ग्रेच्युटी पंजाब नेशनल बैंक (कर्मचारी) पेंशन विनियम (रेगुलेशन) के विनियम 46 के तहत रोक दिया गया है, देरी के कारण ब्याज पाने का हकदार है या नहीं? न्यायालय ने कहा कि भले ही ब्याज के भुगतान के मुद्दे पर 1995 के विनियमों के प्रावधान चुप हैं, कर्मचारी के लाभ के लिए ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम के तहत विलंबित भुगतान के कारण अपीलकर्ता ब्याज का हकदार होगा।

कर्मचारी और नियोक्ता के बीच उत्पन्न होने वाले विवादों को नियंत्रण प्राधिकारी के पास भेजा जाएगा, और उनके समाधान के लिए नियंत्रण प्राधिकारी की अध्यक्षता में कार्यवाही को न्यायिक कार्यवाही माना जाएगा। नियंत्रक प्राधिकारी के पास किसी भी व्यक्ति की उपस्थिति को लागू करने और उसकी शपथ की जांच करने, प्रासंगिक दस्तावेजों के उत्पादन का आदेश देने और यदि आवश्यक हो तो गवाहों की परीक्षा के लिए कमीशन जारी करने का अधिकार है। उचित जांच के बाद और पक्षों को सुनवाई का उचित अवसर देने के बाद, नियंत्रक प्राधिकारी मामलों का निर्धारण कर सकता है और उचित आदेश पारित कर सकता है। पीड़ित पक्ष सरकार से अपील के लिए आवेदन कर सकता है।

ग्रेच्युटी की गणना

ग्रेच्युटी राशि निर्धारित करने के लिए जिन तत्वों का उपयोग किया जाता है, वे नीचे सूचीबद्ध हैं। राशि इस बात पर भी निर्भर करती है कि किसी व्यक्ति ने संगठन के लिए कितने समय तक काम किया है और उसे आखिरी बार कब भुगतान किया गया था।

ग्रेच्युटी = वर्षों की संख्या * अंतिम आहरित (ड्रॉन) वेतन *15/26

उदाहरण के लिए, यदि XYZ किसी कंपनी द्वारा 20 वर्षों से कार्यरत है और उसे रु. 25,000 सबसे हालिया मूल प्लस डीए राशि के रूप में मिला है।

XYZ के लिए, ग्रेच्युटी राशि 20 * 25,000 * 15/26, या रु. 2,88,461.54 होगी।

हालांकि, कंपनी के पास कर्मचारी को ज्यादा ग्रेच्युटी देने का विकल्प होता है। इसके अतिरिक्त, सबसे हाल के रोजगार वर्ष में महीनों की संख्या के लिए, छह महीने से अधिक के सभी वर्षों को अगली संख्या में पूर्णांकित (राउंड अप) किया जाता है, और छह महीने से कम की किसी भी वर्ष को पिछली निचली संख्या में पूर्णांकित किया जाता है।

कर्मचारी जो अधिनियम के अंतर्गत शामिल नहीं हैं

संगठन ग्रेच्युटी का भुगतान कर सकता है, भले ही वे अधिनियम के दायरे में न हों। लेकिन प्रत्येक वर्ष जो बीत चुका है, उसके लिए एक व्यक्ति के अर्ध-मासिक वेतन का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि उन्हें कितनी ग्रेच्युटी मिलेगी। वेतन पैकेज में मूल वेतन, एक कमीशन (बिक्री के आधार पर), और एक मूल्यह्रास (डेप्रिसिएशन) भत्ता शामिल है।

जो कर्मचारी ग्रेच्युटी अधिनियम के दायरे में नहीं आते हैं, उनके लिए ग्रेच्युटी राशि की गणना करते समय निम्नलिखित सूत्र को ध्यान में रखा जाता है:

(15 * अंतिम आहरित वेतन राशि * सेवा की अवधि) / 30 ग्रेच्युटी राशि के बराबर है।

उदाहरण के लिए, यदि आपने किसी कंपनी के लिए 10 साल 8 महीने काम किया है और आपको हर महीने रु 50,000 मिल रहा है तो ग्रेच्युटी राशि निम्नानुसार निर्धारित की जाती है:

ग्रेच्युटी: (15 * 50,000 * 11) / 30, जो 2.75 लाख रुपये के बराबर है। 

गणना के उद्देश्य के लिए एक कर्मचारी के कार्यकाल को एक वर्ष के रूप में गिना जाता है। पूर्ण किए गए वर्षों की पिछली संख्या को ध्यान में रखा जाता है यदि सबसे हाल के वर्ष में काम किए गए महीनों की संख्या छह महीने से कम है। हालाँकि, गणना के उद्देश्य के लिए वर्ष को एक पूर्ण वर्ष माना जाता है यदि सेवा के सबसे हाल के वर्ष में पूर्ण किए गए महीनों की संख्या छह महीने से अधिक है। इसलिए 11 वर्ष को कार्य अवधि के रूप में निर्धारित किया गया है। सेवा के वर्षों की संख्या केवल 10 वर्ष होती यदि सेवा की अवधि 10 वर्ष और 4 महीने (या 6 महीने से कम कुछ भी) होती।

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कर्मचारी की मृत्यु के मामले में ग्रेच्युटी

ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम के उद्देश्य के लिए नियुक्त निरीक्षक (इंस्पेक्टर) और उनकी शक्तियां.

सरकार एक निरीक्षक या निरीक्षकों को नियुक्त कर सकती है जिन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 21 के तहत लोक सेवक माना जाता है, यह पता लगाने के उद्देश्य से कि इस अधिनियम के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन किया जा रहा है या नहीं और इस अधिनियम के सभी प्रावधानों की पूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपाय करने के लिए।

दो अतिरिक्त प्रावधान, धारा 7-A और धारा 7-B , अधिनियम और उनकी शक्तियों के उद्देश्य के लिए निरीक्षकों की नियुक्ति से संबंधित, ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) अधिनियम, 1984 द्वारा मूल अधिनियम में जोड़े गए हैं।

सरकार, अधिसूचना द्वारा, विशिष्ट क्षेत्रों के लिए एक निरीक्षक को विशेष रूप से नामांकित करके नियुक्त करती है।

नियुक्त निरीक्षक के पास यह सुनिश्चित करने की कुछ शक्तियाँ हैं कि क्या अधिनियम के प्रावधानों का अच्छी तरह से पालन किया गया है। ये शक्तियाँ इस प्रकार हैं:

  • निरीक्षक मांग कर सकता है कि एक नियोक्ता जो भी जानकारी वह आवश्यक समझे, वह प्रदान करे।
  • वह रिकॉर्ड या आवश्यक दस्तावेजों की जांच के लिए अधिनियम के तहत आने वाले परिसर में प्रवेश और निरीक्षण कर सकता है।
  • उसे परिसर में कर्मचारियों का निरीक्षण करने का भी अधिकार है।
  • अगर उसे लगता है कि कोई अपराध किया गया है, तो वह उन आवश्यक दस्तावेजों की प्रतियां (कॉपी) भी बना सकता है जिनकी उसने जांच की थी।
  • भारतीय दंड संहिता की धारा 175 और 176 और आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 94 जैसे प्रासंगिक कानूनों के अनुसार व्यक्ति संबंधित दस्तावेज निरीक्षकों को प्रस्तुत करने के लिए बाध्य हैं।

ग्रेच्युटी की वसूली (रिकवरी)

यदि नियोक्ता निर्धारित समय सीमा के तहत ग्रेच्युटी राशि के भुगतान में देरी करता है, तो नियंत्रक प्राधिकारी पीड़ित पक्ष की ओर से कलेक्टर को प्रमाण पत्र जारी करेगा और केंद्र सरकार द्वारा तय चक्रवृद्धि (कंपाउंड) ब्याज सहित राशि की वसूली करेगा, और व्यक्ति को वही भुगतान करेगा। हालांकि, ये प्रावधान दो शर्तों के अधीन हैं, जैसा कि धारा 8 में उल्लिखित है:

  • नियंत्रक प्राधिकारी को नियोक्ता को ऐसे अधिनियम का कारण दिखाने का उचित अवसर देना चाहिए।
  • भुगतान की जाने वाली ब्याज की राशि इस अधिनियम के तहत ग्रेच्युटी की राशि से अधिक नहीं होनी चाहिए।

ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम के तहत दंड

अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर धारा 9 में बताए गए अनुसार कुछ दंड दिए जाएंगे। वे हैं:

  • किसी भी भुगतान से बचने के लिए, यदि कोई गलत प्रतिनिधित्व या गलत बयान देता है, तो उसे 6 महीने के कारावास या 10,000 रुपये तक के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
  • इस अधिनियम के प्रावधानों का पालन करने में विफल रहने पर कम से कम 3 महीने की सजा हो सकती है, जिसे 1 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या 10,000 रुपये का जुर्माना जिसे 20,000 रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, लगाया जा सकता है।
  • अधिनियम के तहत ग्रेच्युटी का भुगतान न करने पर अपराध होगा, और नियोक्ता को कम से कम 6 महीने के कारावास से दंडित किया जा सकता है, जिसे 2 साल तक बढ़ाया जा सकता है जब तक कि अदालत कम भुगतान के लिए पर्याप्त कारण प्रदान नहीं करती है।

नियोक्ता को दायित्व से छूट

एक नियोक्ता पर यदि इस अधिनियम के तहत दंडनीय किसी भी अपराध का आरोप लगाया जाता है, तो उसे धारा 10 के तहत किसी भी दायित्व से छूट दी जाएगी यदि वह अधिनियम के संचालन के लिए पर्याप्त कारण प्रदान करता है या कोई अन्य व्यक्ति उसकी जानकारी के बिना उस कार्य को करता है। अन्य व्यक्ति, यदि दोषी पाया जाता है, तो उसी दंड के साथ आरोपित किया जाएगा जैसे कि वह एक नियोक्ता हो।

दायित्व से छूट पाने के लिए नियोक्ता को निम्नलिखित को अदालत में साबित करना होगा:

  • यह साबित करने के लिए कि दूसरे व्यक्ति ने उसकी जानकारी, सहमति, या मिलीभगत के बिना कथित अपराध किया है, और
  • यह साबित करने के लिए कि उन्होंने इस अधिनियम के निष्पादन (एग्जिक्यूशन) को लागू करने में उचित परिश्रम किया है।

ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम के अनुसार अपराधों का संज्ञान (कॉग्निजेंस)

धारा 11 के अनुसार, अदालत इस अधिनियम के तहत दंडनीय अपराधों का संज्ञान तब तक नहीं ले सकती जब तक कि भुगतान की जाने वाली ग्रेच्युटी की राशि का भुगतान नहीं किया गया हो या निर्धारित समय की समाप्ति से 6 महीने के भीतर इसे वसूल नहीं किया जाता हो। ऐसे मामलों में, सरकार नियंत्रक प्राधिकारी को शिकायत करने के लिए अधिकृत करेगी जहां प्राधिकारी को प्राधिकरण के 15 दिनों के भीतर मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट या प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट को शिकायत करनी होती है।

सद्भावपूर्वक (गुड फेथ) की गई कार्रवाई का संरक्षण

यदि उसके द्वारा किए गए कार्य सद्भावपूर्वक या अधिनियम की धारा 12 के तहत किसी नियम या आदेश के तहत किए गए हैं, तो नियंत्रक प्राधिकारी किसी भी कानूनी कार्यवाही के अधीन नहीं होगा।

ग्रेच्युटी का संरक्षण

धारा 13 के अनुसार, इस अधिनियम के तहत नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को देय कोई भी छूट प्राप्त ग्रेच्युटी, किसी भी अदालत द्वारा किसी भी आदेश या डिक्री की कुर्की (अटैचमेंट) के लिए उत्तरदायी नहीं होगी।

अन्य अधिनियमों को ओवरराइड करने के लिए अधिनियम

धारा 14 के अनुसार, ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम अपने आप में पूर्ण है, इस अधिनियम का ग्रेच्युटी से संबंधित सभी प्रावधानों, विनियमों और कानूनों पर ओवरराइड प्रभाव पड़ता है। इस प्रावधान के लिए ऐतिहासिक मामला दिल्ली विश्वविद्यालय बनाम राम प्रकाश और अन्य (2015) का है जिसमें कहा गया है कि कोई भी प्रावधान जो कर्मचारियों के लिए अधिक फायदेमंद है, उसे ओवरराइडिंग प्रभाव माना जाना चाहिए।

नियम बनाने की शक्ति

ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1927 की धारा 15 के तहत नियम बनाने की शक्ति उपयुक्त सरकार के पास होगी और अधिसूचना द्वारा घोषित की जाएगी।

इस अधिनियम में किए गए संशोधनों का सत्यापन (वैलीडेशन)

बनाए गए नियमों को संसद के दोनों सदनों के सत्र के दौरान पेश किया जाना चाहिए। यदि दोनों सदन रद्दीकरण या संशोधन के अनुरूप हैं, तो वे तुरंत लागू होंगे; अन्यथा, ऐसे संशोधनों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

2022 ग्रेच्युटी नियम

1 जुलाई, 2022 को, सभी व्यवसायों और संगठनों के लिए नया श्रम कानून लागू हुआ था। नए श्रम कानून के अनुसार काम के घंटे, प्रोविडेंट फंड और वेतन में कमी की गई थी। इस कानून का सबसे ज्यादा असर टेक-होम सैलरी पर पड़ता है।

2022 के नए ग्रेच्युटी नियमों के अनुसार, नियोक्ताओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मूल वेतन कर्मचारी के सीटीसी (कंपनी की लागत) का 50% हो और कर्मचारी भत्ते, घर का किराया और ओवरटाइम शेष 50% हो। इसके अतिरिक्त, कोई भी अतिरिक्त भत्ता या छूट जो निगम अनुदान देता है, जो सीटीसी के 50% से अधिक है, को मुआवजे के रूप में माना जाएगा।

कानून उच्चतम मूल वेतन को सीटीसी के 50% तक सीमित करता है, जो कर्मचारियों के लिए आवश्यक ग्रेच्युटी बोनस बढ़ाता है। एक महत्वपूर्ण वेतन के आधार पर, जिसमें मूल वेतन और भत्ते शामिल हैं, ग्रेच्युटी की राशि तय की जाएगी।

इसके अलावा, नए नियम में कहा गया है कि जब कोई कर्मचारी ओवरटाइम काम करता है, जिसे 15 मिनट या उससे अधिक समय तक काम करने के रूप में परिभाषित किया जाता है, तो उन्हें भुगतान किया जाता है। सरकार के अनुसार, कार्य क्षमता 48 घंटे पर सीमित है।

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नए नियमों के बाद ग्रेच्युटी की कर गणना

अपने पारिश्रमिक (रिमूनरेशन) पैकेज के हिस्से के रूप में, वेतनभोगी कर्मचारी ग्रेच्युटी के हकदार हैं। ग्रेच्युटी का भुगतान अधिनियम 1972, ग्रेच्युटी के भुगतान को नियंत्रित करता है, जो कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त (लम सम) दिए जाने वाले परिभाषित लाभ हैं। यह एक विदाई इशारा के रूप में कर्मचारियों को दिए गए धन्यवाद-उपहार जैसा दिखता है।

जब किसी व्यक्ति ने किसी संगठन के लिए लगातार पांच साल काम किया है, तो वे ग्रेच्युटी भुगतान के लिए पात्र हैं। नतीजतन, सेवानिवृत्ति या समाप्ति के समय या मृत्यु की स्थिति में कर्मचारी के वैध उत्तराधिकारी को ग्रेच्युटी का भुगतान किया जा सकता है। हालांकि, कर्मचारी की मृत्यु के मामलों में 5 साल की निरंतर नियम शर्त की आवश्यकता नहीं होती है।

केंद्र ने हाल ही में 2019 में एक संशोधन पारित किया जिसने ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ा दी। चूंकि आयकर अधिनियम की धारा 10(10) ने पिछली सीमा 10 लाख रुपये बढ़ा दी थी, अब यह 20 लाख रुपये तक कर-मुक्त है। सीबीडीटी अधिसूचना संख्या एस.ओ. 1213(E) दिनांक 8 मार्च 2019 के अनुसार, दिनांक 29 मार्च, 2018 को या उसके बाद सेवानिवृत्ति, मृत्यु, इस्तीफे या विकलांगता की स्थिति में कर्मचारियों के लिए 20 लाख रुपये की छूट सीमा लागू होगी।

आयकर अधिनियम की धारा 10(10) के अनुसार, सरकारी और गैर-सरकारी दोनों कर्मचारी काम करते समय प्राप्त होने वाली किसी भी ग्रेच्युटी के लिए पूरी तरह उत्तरदायी हैं। काम के दौरान प्राप्त कोई भी ग्रेच्युटी कर्मचारी के हाथ में पूरी तरह से कर योग्य है। हालांकि, सरकारी कर्मचारियों, केंद्र या राज्य को सरकार द्वारा प्राप्त ग्रेच्युटी राशि पर कर का भुगतान करने से छूट दी गई है। हालांकि, वैधानिक (स्टेच्यूटरी) निगमों को छूट नहीं है। हालांकि, मृत्यु-संचयी (कम्युलेटिव)-सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी पाने वाले कर्मचारियों को तीन समूहों में विभाजित किया जा सकता है। सरकारी कर्मचारी, ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 द्वारा संरक्षित है और अन्य कर्मचारी सभी इस प्रभाग में शामिल हैं।

ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1927, कर्मचारियों के कल्याण के लिए प्रदान किया गया एक कल्याणकारी क़ानून है, जो किसी भी संगठन, कंपनी या स्टार्टअप की रीढ़ हैं। ग्रेच्युटी राशि कर्मचारी को कुशलता से काम करने और उत्पादकता में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित करती है। हाल ही में, ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) अधिनियम, 2018 द्वारा, केंद्र सरकार ने ’12 सप्ताह’ से ’26 सप्ताह’ तक मातृत्व (मेटरनिटी) अवकाश पर रहने वाली महिला कर्मचारियों को लाभ प्रदान करके सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने का प्रयास किया है।

हालांकि, इस अधिनियम का दायरा बड़े पैमाने की कंपनियों या संगठनों तक सीमित है और उन संगठनों पर लागू नहीं है जहां कर्मचारियों की संख्या 10 से कम है। फिर भी, अधिनियम पूरी तरह से पूर्ण है, और इसलिए यह ग्रेच्युटी के संबंध में अन्य अधिनियमों और कानूनों को ओवरराइड करता है। समय की एकमात्र आवश्यकता अधिनियम के कार्यान्वयन (इंप्लीमेंटेशन) को बदलने या संशोधित करने की है क्योंकि इस अधिनियम का अभी भी कई कंपनियों या निगमों द्वारा पालन नहीं किया जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)

अगर मैं 4.5 साल की नौकरी के बाद कंपनी छोड़ता हूं तो क्या मैं ग्रेच्युटी का हकदार हूं.

नहीं, ग्रेच्युटी पाने के लिए आपको कम से कम 5 साल तक कंपनी में काम करना होगा। मद्रास उच्च न्यायालय के एक फैसले के अनुसार, यदि आपने अपने रोजगार के पांचवें वर्ष में 240 दिन की सेवा की है तो आप ग्रेच्युटी के लिए पात्र हैं। इस बारे में अपनी कंपनी के मानव संसाधन विभाग से पूछताछ करना बेहतर है। हालांकि, भले ही उन्होंने अभी तक पांच साल तक सेवा नहीं की है, अगर किसी की नौकरी के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो उनके कानूनी उत्तराधिकारी को ग्रेच्युटी राशि का भुगतान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, एक नामांकित व्यक्ति या उत्तराधिकारी की विरासत पर कर नहीं लगाया जाएगा।

क्या मैं अधिकतम ग्रेच्युटी कमा सकता हूं?

हाँ आपने चाहे कितने वर्षों तक वहां काम किया है, लेकिन कोई कंपनी आपको 10 लाख रुपये से अधिक की ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं कर सकती है। यह प्रतिबंध किसी भी ग्रेच्युटी पर भी लागू होता है जो आपको अपने करियर के दौरान कई नियोक्ताओं से मिल सकता है। यदि आपका नियोक्ता आपको बोनस या अनुग्रह (एक्स ग्रेशिया) राशि देना चाहता है, तो वे ऐसा कर सकते हैं।

निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए नई ग्रेच्युटी नीतियां क्या हैं?

नए ग्रेच्युटी कानून का पालन करने के लिए नियोक्ताओं को कर्मचारियों के आधार वेतन में 50% की वृद्धि करने की आवश्यकता है। मैनपावर ग्रेच्युटी पर नियोक्ता का भुगतान, जो उन श्रमिकों को दिया जाता है, जो किसी कंपनी द्वारा पांच साल से अधिक समय से कार्यरत हैं, अगर भत्ता कुल आय के 50% तक सीमित है, तो बढ़ेगा।

ग्रेच्युटी का भुगतान न करने की रिपोर्ट कैसे करें?

ग्रेच्युटी नहीं मिलने की शिकायत दर्ज करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

  • ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 की धारा 3 में कहा गया है कि स्थिति को संभालने के लिए एक नियंत्रक प्राधिकरण जिम्मेदार है। इस धारा के अनुसार, ग्रेच्युटी का भुगतान न करने से जुड़े मुद्दों पर मध्यस्थता (आर्बिट्रेट) करने की अनुमति है;
  • नियंत्रक प्राधिकारी ऐसे फॉर्म प्रदान करता है जिन्हें नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के लिए निर्दिष्ट तिथि और स्थान पर सुनवाई में उपस्थित होने के लिए पूरा किया जाना चाहिए।
  • यदि नियोक्ता मौजूद नहीं है तो प्राधिकारी कर्मचारी की सुनवाई जारी रखेगा;
  • कर्मचारी के दावे को अस्वीकार कर दिया जाएगा यदि वे इसे साबित करने में विफल रहते हैं।
  • https://pib.gov.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=178218  
  • https://www.vakilno1.com/legal-news/sc-what-continuous-service-payment-gratuity-act.html  

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The Act is applicable, to factories, mines, oil fields, plantations, ports, railways, motor transport undertakings, companies, and to shops and other establishments, Employing 10 or more workmen. The Act provides for payment of gratuity at the rate of 15 days wage s for each completed year of service subject to a maximum of Rs. ten lakh. In the case of seasonal establishment, gratuity is payable at the rate of seven days wages for each season. The Act does not affect the right of an employee to receive better terms of gratuity under any award or agreement or contract with the employer. Central Government is the Appropriate Government in relation to an establishment belonging to or under the control of the Central Government or having branches in more than state or an establishment of a factory belonging to or under the control of Central Government or of a major port, oilfield railway or mine.

gratuity application letter in hindi

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Form L - Notice for payment of gratuity

If the claim is found admissible on verification, the employer shall give this notice within the due date of the receipt of an application for payment of gratuity, to the applicant employee, nominee or legal heir, as the case may be, specifying the amount of gratuity payable and fixing a date, not being later than the thirtieth day after the date of receipt of the application, for payment thereof.

A copy of the notice shall be endorsed to the controlling authority

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