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भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)

भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है भ्रष्ट आचरण। ऐसा कार्य जो अपने स्वार्थ सिद्धि की कामना के लिए समाज के नैतिक मूल्यों को ताक पर रख कर किया जाता है, भ्रष्टाचार कहलाता है। भ्रष्टाचार भारत समेत अन्य विकासशील देश में तेजी से फैलता जा रहा है। भ्रष्टाचार के लिए ज्यादातर हम देश के राजनेताओं को ज़िम्मेदार मानते हैं पर सच यह है कि देश का आम नागरिक भी भ्रष्टाचार के विभिन्न स्वरूप में भागीदार हैं। वर्तमान में कोई भी क्षेत्र भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है।

भ्रष्टाचार पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Corruption in Hindi, Bhrashtachar par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द) – भ्रष्टाचार का अर्थ व कारण.

अवैध तरीकों से धन अर्जित करना भ्रष्टाचार है, भ्रष्टाचार में व्यक्ति अपने निजी लाभ के लिए देश की संपत्ति का शोषण करता है। यह देश की उन्नति के पथ पर सबसे बड़ा बाधक तत्व है। व्यक्ति के व्यक्तित्व में दोष निहित होने पर देश में भ्रष्टाचार की मात्रा बढ़ जाती है।

भ्रष्टाचार क्या है ?

भ्रष्टाचार एक ऐसा अनैतिक आचरण है, जिसमें व्यक्ति खुद की छोटी इच्छाओं की पूर्ति हेतु देश को संकट में डालने में तनिक भी देर नहीं करता है। देश के भ्रष्ट नेताओं द्वारा किया गया घोटाला ही भ्रष्टाचार नहीं है अपितु एक ग्वाले द्वारा दूध में पानी मिलाना भी भ्रष्टाचार का स्वरूप है।

भ्रष्टाचार के कारण

  • देश का लचीला कानून – भ्रष्टाचार विकासशील देश की समस्या है, यहां भ्रष्टाचार होने का प्रमुख कारण देश का लचीला कानून है। पैसे के दम पर ज्यादातर भ्रष्टाचारी बाइज्जत बरी हो जाते हैं, अपराधी को दण्ड का भय नहीं होता है।
  • व्यक्ति का लोभी स्वभाव – लालच और असंतुष्टि एक ऐसा विकार है जो व्यक्ति को बहुत अधिक नीचे गिरने पर विवश कर देता है। व्यक्ति के मस्तिष्क में सदैव अपने धन को बढ़ाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न होती है।
  • आदत – आदत व्यक्ति के व्यक्तित्व में बहुत गहरा प्रभाव डालता है। एक मिलिट्री रिटायर्ड ऑफिसर रिटायरमेंट के बाद भी अपने ट्रेनिंग के दौरान प्राप्त किए अनुशासन को जीवन भर वहन करता है। उसी प्रकार देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से लोगों को भ्रष्टाचार की आदत पड़ गई है।
  • मनसा – व्यक्ति के दृढ़ निश्चय कर लेने पर कोई भी कार्य कर पाना असंभव नहीं होता वैसे ही भ्रष्टाचार होने का एक प्रमुख कारण व्यक्ति की मनसा (इच्छा) भी है।

भ्रष्टाचार देश में लगा वह दीमक है जो अंदर ही अंदर देश को खोखला कर रहा है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना है जो यह दिखाता है व्यक्ति लोभ, असंतुष्टि, आदत और मनसा जैसे विकारों के वजह से कैसे मौके का फायदा उठा सकता है।

निबंध 2 (400 शब्द) – भ्रष्टाचार के प्रकार, परिणाम व उपाय

अपना कार्य ईमानदारी से न करना भ्रष्टाचार है अतः ऐसा व्यक्ति भ्रष्टाचारी है। समाज में आये दिन इसके विभिन्न स्वरूप देखने को मिलते हैं। भ्रष्टाचार के संदर्भ में यह कहना मुझे अनुचित नहीं लगता, वही व्यक्ति भ्रष्ट नहीं हैं जिन्हें भ्रष्टाचार करने का अवसर नहीं मिला।

भ्रष्टाचार के विभिन्न प्रकार

  • रिश्वत की लेन-देन – सरकारी काम करने के लिए कार्यालय में चपरासी (प्यून) से लेकर उच्च अधिकारी तक आपसे पैसे लेते हैं। इस काम के लिए उन्हें सरकार से वेतन प्राप्त होता है वह वहां हमारी मदद के लिए हैं। इसके साथ ही देश के नागरिक भी अपना काम जल्दी कराने के लिए उन्हे पैसे देते हैं अतः यह भ्रष्टाचार है।
  • चुनाव में धांधली – देश के राजनेताओं द्वारा चुनाव में सरेआम लोगों को पैसे, ज़मीन, अनेक उपहार तथा मादक पदार्थ बांटे जाते हैं। यह चुनावी धान्धली असल में भ्रष्टाचार है।
  • भाई-भतीजावाद – अपने पद और शक्ति का गलत उपयोग कर लोग भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देते हैं। वह अपने किसी प्रिय जन को उस पद का कार्यभार दे देते हैं जिसके वह लायक नहीं हैं। ऐसे में योग्य व्यक्ति का हक उससे छिन जाता है।
  • नागरिकों द्वारा टैक्स चोरी – नागरिकों द्वारा टैक्स भुगतान करने हेतु प्रत्येक देश में एक निर्धारित पैमाना तय किया गया है। पर कुछ व्यक्ति सरकार को अपने आय का सही विवरण नहीं देते और टैक्स की चोरी करते हैं। यह भ्रष्टाचार की श्रेणी में अंकित है।
  • शिक्षा तथा खेल में घूसखोरी – शिक्षा तथा खेल के क्षेत्र में घूस लेकर लोग मेधावी व योग्य उम्मीदवार को सीटें नहीं देते बल्कि जो उन्हें घूस दे, उन्हें दे देते हैं।

इसी प्रकार समाज के अन्य छोटे से बड़े क्षेत्र में भ्रष्टाचार देखा जा सकता है। जैसे राशन में मिलावट, अवैध मकान निर्माण, अस्पताल तथा स्कूल में अत्यधिक फीस आदि। यहां तक की भाषा में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है। अजय नावरिया के शब्दों में “मुंशी प्रेमचंद्र की एक प्रसिद्ध कहानी सतगति में लेखक द्वारा कहानी के एक पात्र को दुखी चमार कहा गया है, यह आपत्तिजनक शब्द के साथ भाषा के भ्रष्ट आचरण का प्रमाण है। वहीं दूसरे पात्र को पंडित जी नाम से संबोधित किया जाता है। कहानी के पहले पात्र को “दुखी दलित” भी कहा जा सकता था।“

भ्रष्टाचार के परिणाम

समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार देश की उन्नति में सबसे बड़ा बाधक तत्व है। इसके वजह से गरीब और गरीब होता जा रहा है। देश में बेरोजगारी, घूसखोरी, अपराध की मात्रा में दिन-प्रतिदन वृद्धि होती जा रही है यह भ्रष्टाचार के फलस्वरूप है। किसी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारणवश परिणाम यह है की विश्व स्तर पर देश के कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जाते हैं।

भ्रष्टाचार के उपाय

  • भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त कानून – हमारे संविधान के लचीलेपन के वजह से अपराधी में दण्ड का बहुत अधिक भय नहीं रह गया है। अतः भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है।
  • कानून की प्रक्रिया में समय का सदुपयोग – कानूनी प्रक्रिया में बहुत अधिक समय नष्ट नहीं किया जाना चाहिए। इससे भ्रष्टाचारी को बल मिलता है।
  • लोकपाल कानून की आवश्यकता – लोकपाल भ्रष्टाचार से जुड़े शिकायतों को सुनने का कार्य करता है। अतः देश में फैले भ्रष्टाचार को दूर करने हेतु लोकपाल कानून बनाना आवश्यक है।

इसके अतिरिक्त लोगों में जागरूकता फैला कर, प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता बना और लोगों का सरकार तथा न्याय व्यवस्था के प्रति मानसिकता में परिवर्तन कर व सही उम्मीदवार को चुनाव जिता कर भ्रष्टाचार रोका जा सकता है।

हर प्रकार के भ्रष्टाचार से समाज को बहुत अधिक क्षति पहुंचती है। हम सभी को समाज का ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते यह प्रण लेना चाहिए, न भ्रष्टाचार करें, न करनें दें।

निबंध 3 (500 शब्द) – भ्रष्टाचार का इतिहास व इस के विरुद्ध सरकार द्वारा उठाए गए कदम

भ्रष्टाचार व्यक्ति का ऐसा आचरण है जिसका प्रदर्शन करते हुए भ्रष्टाचारी संविधान के सभी नियमों को ताक पर रख कर अपने हित के लिए गलत तरह से धन अर्जित करते हैं।

भ्रष्टाचार का इतिहास

भ्रष्टाचार, वर्तमान में उत्तपन्न होने वाली समस्या नहीं है बल्कि यह कई दशकों से विश्व में व्याप्त है। ब्रिटेन द्वारा विश्व के 90 प्रतिशत देशों को अपने अधिन कर लेना इस बात का सबूत है की व्यक्ति अपने हित के लिए देश की मिट्टी का सौदा कर दिया करते थे। राजा अपना राज्य बचाने के लिए सही गलत में फर्क करना भूल जाते थे। यह भ्रष्टाचार के प्रारंभ के रूप में देखा जा सकता है।

भ्रष्टाचार के विरुद्ध सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • डिजिटलीकरण – सरकार द्वारा सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया गया है इससे घूसखोरी की मात्रा में कमी आयी है और सब्सिडी सीधे लाभार्थी के खाते में जाता है।
  • नौकरी से निष्कासित – भ्रष्ट अधिकारियों को नौकरी से निकाला गया इसमें आयकर विभाग, पुलिस विभाग तथा अन्य सम्मानित पदाधिकारी सम्मिलित थे।
  • चुनाव में सुधार – समय बीतने के साथ चुनाव व्यवस्था में पहले के अपेक्षा सुधार किया गया है।
  • गैरकानूनी संस्थानों तथा दुकानों पर ताला – हजारों अवैध संस्थान, एनजीओ तथा दुकानों को बंद कराया गया है।

भ्रष्टाचार बोध सूचकांक

भ्रष्टाचार पर रोक लगाने हेतु विश्व स्तर पर सन् 1995 में भ्रष्टाचार बोध सूचकांक का गठन किया गया है। यह प्रत्येक वर्ष सभी देशों को भ्रष्टाचार के आधार पर रैंक देता है जिसमें 0 का अर्थ है सबसे भ्रष्ट देश जबकि 100 से आशय भ्रष्टाचार मुक्त देश से है। वर्तमान समय में 180 देशों के मध्य यह रैंकिंग की जाती है। उदाहरण के तौर पर भ्रष्टाचार सूचकांक 2019 के आधार पर देशों की रैंकिंग निम्नवत् है।

  • 2019 भ्रष्टाचार बोध सूचकांक के आधार पर देशों की स्थिति

कनाडा, फ्रांस संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम के स्कोर में पिछले वर्ष की तुलना में कमी पाया गया है। वहीं जर्मनी, जापान के स्कोर में कोई परिर्वतन नहीं आया है। भारत तथा चीन सहित अन्य चार देश 41 अंकों के साथ 80वें स्थान पर हैं। भारत 2018 में 78वें स्थान पर था इस हिसाब से भारत के स्कोर में 2 अंकों की गिरावट आयी है।

  • भ्रष्टाचार मुक्त देश

भ्रष्टाचार बोध सूचकांक के आधार पर 87 अंक के साथ डेनमार्क प्रथम स्थान पर भ्रष्टाचार मुक्त देश घोषित किया गया।

  • सर्वाधिक भ्रष्ट देश

9 अंक की प्राप्ति कर सोमालिया विश्व का सबसे अधिक भ्रष्ट देश है।

स्विस बैंक भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा केन्द्र

‘यूबीएस’ विश्व का एक प्रमुख वित्तीय बैंक है, यह भारत में स्विस बैंक से प्रचलित है। इसका पूरा नाम यूनियन बैंक ऑफ स्विट्जरलैंड है। विश्व के सबसे भ्रष्टाचार नागरिक व राजनेता इसी बैंक में अपने देश से टैक्स चोरी कर धन रखते हैं। स्विस बैंक के डायरेक्टर के शब्दों में “भारतीय गरीब है पर भारत देश कभी गरीब नहीं था”। केवल भारत देश का, लगभग 280 लाख करोड़ रुपये स्विस बैंक में जमा है। यह रकम इतनी है कि अगले 30 साल भी बिना टैक्स के भारत अपना बजट आसानी से बना सकता है या फिर यूँ कहें 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते हैं।

भ्रष्टाचार एक वैश्विक समस्या बन गया है जिससे लगभग सभी विकाशसील देश जूझ रहें है। देश से हमारा अस्तित्व है अर्थात देश के बिना हम कुछ नहीं इसलिए अपने देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने का हर संभव प्रयास हर देशवासी को करना चाहिए।

Corruption Essay

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भ्रष्टाचार पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Corruption Essay in Hindi

आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं भ्रष्टाचार पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। भ्रष्टाचार पर निबंध की आवश्यकता स्कूल और कॉलेज के छात्रों को पड़ती है। इसके अलावा बहुत से छात्र जो किसी कंपटीशन की तैयारी कर रहे होते हैं उन्हें भी भ्रष्टाचार पर निबंध लिखना पड़ सकता है। तो ऐसे में अगर आप भ्रष्टाचार पर निबंध ढूंढ रहे हैं तो हमारे आज के इस पोस्ट को पूरा पढ़ें और जानें भ्रष्टाचार पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में कैसे लिखें। 

भ्रष्टाचार पर निबंध 100 शब्दों में

आज भ्रष्टाचार हमारे देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में तेजी के साथ फैलता जा रहा है। यह एक प्रकार की आपराधिक गतिविधि है जो किसी एक व्यक्ति या फिर किसी समूह के द्वारा की जाती है। आज भ्रष्टाचार लगभग हर क्षेत्र में फ़ैल चुका है लेकिन इसकी सबसे अधिक संभावनाएं सत्ता या तंत्र के अंदर काम करने वाले भ्रष्टाचारियों के द्वारा होती है। भ्रष्टाचार से देश और समाज का बहुत नुकसान होता है। जो लोग भ्रष्टाचार करते हैं वे बहुत ही स्वार्थी और लालची प्रवृत्ति के होते हैं। सरकार को ऐसे लोगों के लिए कड़े से कड़े कानून बनाने चाहिए। इसके अलावा आम जनता को भी जागरूक होना चाहिए और भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए क्योंकि तभी इसको कम किया जा सकता है।

भ्रष्टाचार पर निबंध 150 शब्दों में

भ्रष्टाचार एक ऐसी समस्या है जो हमारे देश को दीमक की तरह खाए जा रही है। हमारे देश की अर्थव्यवस्था को और सामाजिक व्यवस्था को भी यह अंदर से खोखला कर रहा है। इसीलिए आज भ्रष्टाचार हमारे देश की एक बहुत बड़ी चुनौती बन चुका है। 

कोई भी देश तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक उस देश में भ्रष्टाचार हो। इसीलिए जिस देश में चारों तरफ भ्रष्टाचार फैला हो वहां पर कभी भी प्रगति नहीं हो सकती। यदि हम अपने देश को आगे बढ़ाना चाहते हैं तो इसके लिए सबसे जरूरी है कि भ्रष्टाचार को फैलने से रोका जाए। 

जब कोई व्यक्ति अपने काम के लिए पूरी तरह से वफादार नहीं होता और गलत तरीके से लाभ कमाने के लिए अनैतिक कार्यों को करने लगता है तो उसकी वजह से भ्रष्टाचार जन्म लेता है। भ्रष्टाचार किसी भी जगह पर हो सकता है और इसे रोकने के लिए जरूरी है कि हर कार्य में पारदर्शिता लाई जाए। हम सबको यह प्रण करना चाहिए कि ना तो हम खुद भ्रष्टाचार करेंगे और ना ही किसी और को भ्रष्टाचार करने देंगे। 

भ्रष्टाचार पर निबंध 250 शब्दों में

किसी भी देश की प्रगति के लिए सबसे जरूरी है कि उस देश के ऊंचे पदों पर बैठे हुए लोग ईमानदार हो। जब कोई शीर्ष पद पर बैठा हुआ व्यक्ति अपने काम के प्रति सच्चा होता है तो वह देश को प्रगति की ओर ले जाता है। वह देश किसी भी सूरत में अपना विकास नहीं कर सकता जहां पर भ्रष्टाचार ने पैर जमा लिए हों। हमारे देश के लिए आज भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी परेशानी बन चुकी है और यह एक ऐसी समस्या है जो पूरी दुनिया में अपनी शाखाएं फैला रही है। 

जब कोई व्यक्ति अपने काम के प्रति ईमानदार नहीं होता और अपने कार्य में गलत आचरण को शामिल कर लेता है तो तब वह भ्रष्टाचारी बन जाता है। भ्रष्टाचार एक ऐसी चीज है जो किसी भी जगह पर देखा जा सकता है। जैसे किसी सरकारी विभाग में काम करने के बदले रिश्वत लेना। कई बार बहुत से बदमाश और अपराधी पुलिस को पैसे देकर सजा से बच जाते हैं। जब भ्रष्ट लोग राजनीति में होते हैं वे करोड़ों-अरबो रुपयों का भ्रष्टाचार बहुत आसानी से कर लेते हैं। ऐसी स्थिति होने पर देश बर्बादी की तरफ चला जाता है। 

रिश्वतखोरी एक ऐसा भ्रष्टाचार है जो की आमतौर पर कई जगहों पर देखा जाता है। इस काम में सिर्फ रिश्वतखोर ही नही बल्कि वे लोग भी उतने ही जिम्मेदार होते हैं जो ऐसे लोगों को पैसे देकर अपना काम कराते हैं। इसलिए जो रिश्वत लेने वाला होता है और जो रिश्वत देने वाला होता है वे दोनों ही समान दोषी होते हैं। 

अगर हम भ्रष्टाचार को मिटाना चाहें तो यह इतना आसान नहीं है क्योंकि इसका जहर सब जगह फैला हुआ है। लेकिन अगर सरकार और जनता पूरी सच्चाई से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए काम करे तो निश्चित तौर पर बदलाव लाया जा सकता है। 

भ्रष्टाचार पर निबंध 500 शब्दों में 

जब किसी ऊंचे पद पर बैठा हुआ कोई व्यक्ति लालच या दुर्भावना की वजह से अपने पद और अधिकारों का गलत उपयोग करता है तो उसे भ्रष्टाचार कहा जाता है। आज हमारे देश में ही नही बल्कि पूरी दुनिया के सामने भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है क्योंकि इसकी जड़े छोटी नहीं हैं। किसी भी देश का विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक वहां पर ईमानदारी और सच्चाई ना हो। लेकिन अफसोस की बात यह है कि भ्रष्टाचार देश में बहुत तेजी से के साथ बढ़ता जा रहा है और हमारे देश को यह अंदर ही अंदर खोखला कर रहा है।  

भ्रष्टाचार के प्रकार 

भ्रष्टाचार के कई प्रकार है जोकि निम्नलिखित हैं – 

प्रशासनिक भ्रष्टाचार 

कई बार सरकारी कार्यालयों में काम करने के लिए लोगों से रिश्वत लिए जाते हैं। अगर हमें अपना कोई काम करवाना है तो पहले हमें पैसा देना पड़ता है। अब तो आम जनता को भी यही लगता है कि बिना पैसों के वह किसी भी सरकारी विभाग से अपना काम नहीं करा सकते। इसलिए वे अपना कोई भी सरकारी काम रिश्वत देकर करवा लेते हैं। पर अगर कोई ईमानदार व्यक्ति रिश्वत नहीं देता है तो ऐसे में उसका काम नहीं किया जाता बल्कि उसे बहुत परेशान किया जाता है। अफसोस की बात है कि पूरा प्रशासन ही भ्रष्टाचार से लिप्त हो चुका है। इसके चलते सरकार ने जो गरीबों के लिए बहुत सी योजनाएं चलाई हैं उनका पैसा भी सरकारी कार्यालयों के भ्रष्ट लोग हड़प जाते हैं। 

राजनीतिक भ्रष्टाचार

उस देश को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता जहां पर शासन करने वाले लोग ही भ्रष्टाचारी होते हैं। आज सत्ता में बैठे हुए और राजनीति से जुड़े हुए लोगों के भ्रष्टाचारों के बारे में नई नई खबरें सुनने को मिलती हैं। जो लोग तंत्र में ऊँचे पदों पर हैं वे करोड़ों रुपयों का घोटाला बहुत आसानी के साथ कर जाते हैं जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है। जब चुनाव होता है तो तब लोगों को पैसों का लालच देकर उनसे वोट मांगे जाते हैं। लेकिन कोई भी नागरिक यह नहीं सोचता कि जो लोग वोटों को खरीद कर सत्ता संभालते हैं वे देश का बिल्कुल भी विकास नहीं कर सकते। 

व्यावसायिक भ्रष्टाचार 

आज के दौर में वस्तुओं में मिलावट होना एक बहुत ही आम सी बात हो चुकी है। हर कोई चाहता है कि वो ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाए। इसीलिए ऐसे लोग वस्तुओं में अनेकों प्रकार की मिलावट करते हैं। बाजार में नकली चीजों की भरमार है और आम नागरिकों को नकली चीजें बेचकर व्यवसायिक लोग खूब ठग रहे हैं। 

भ्रष्टाचार के नुकसान 

भ्रष्टाचार से होने वाले नुकसान बहुत सारे हैं जो कि निम्नलिखित इस प्रकार से हैं – 

  • भ्रष्टाचार की वजह से देश आर्थिक रूप से कंगाल हो सकता है और ऐसा देश फिर बर्बादी की कगार पर पहुंच जाता है।
  • जो लोग गरीब हैं वह भ्रष्टाचार की वजह से और भी ज्यादा गरीब हो गए हैं। जो लोग अमीर हैं वे बेईमानी करके और भी ज्यादा अमीर बन चुके हैं। 
  • भ्रष्टाचार के कारण लोगों को अपना कोई भी काम करवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है क्योंकि बिना रिश्वत के उनका काम नहीं होता। 
  • सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा फैल चुका है और इस वजह से लोगों का प्रशासन पर से भरोसा उठ गया है। 
  • रिश्वत देकर लोग नौकरी हासिल कर लेते हैं और कई बार इस वजह से काबिल और होनहार लोग नौकरी प्राप्त नहीं कर सकते। 

भ्रष्टाचार को कैसे रोका जाए 

आज तक ऐसी कोई भी समस्या नहीं है जिसका कोई समाधान ना हो। इसमें कोई शंका नहीं कि भ्रष्टाचार आज दीमक की तरह चारों तरफ फैल गया है लेकिन यदि हम ठान ले कि हमें इसे पूरी तरह से खत्म करना है तो हम ऐसा कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि ऐसे लोगों का राजनीतिक भविष्य पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए जो भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। इसके अलावा अपना वोट हमें केवल ऐसे व्यक्ति को देना चाहिए जो सही हों। किसी भी सरकारी काम के लिए हमें रिश्वत नहीं देनी चाहिए और यदि हमसे कोई रिश्वत की डिमांड करता है तो हमें उसकी शिकायत करनी चाहिए। इसके साथ साथ जो लोग मिलावट करते हैं हमें उनकी चीजों का बहिष्कार करना चाहिए। सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कानून और नियम बनाने चाहिए इसके अलावा पूरी व्यवस्था को पारदर्शी बनाना चाहिए ताकि भ्रष्टाचार करने में कठिनाई हो।  

  • अनुशासन पर निबंध
  • जनसंख्या वृद्धि पर निबंध
  • नशा मुक्ति पर निबंध

दोस्तों यह कि हमारी आज की पोस्ट जिसमें हमने आपको भ्रष्टाचार पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में बताया। हमें पूरी उम्मीद है कि हमारा यह आर्टिकल आपके लिए जरूर हेल्पफुल रहा होगा। यदि आपको जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे सोशल मीडिया पर उन लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें जो corruption essay in Hindi ढूंढ रहे हैं। 

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Bhrashtachar par Nibandh : छात्रों के लिए भ्रष्टाचार पर हिंदी में निबंध

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  • Updated on  
  • जुलाई 1, 2021

Bhrashtachar par Nibandh

भ्रष्टाचार एक प्रकार की आपराधिक गतिविधि या बेईमानी है जिसे कोई व्यक्ति या समूह अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए करता है। यह अधिनियम दूसरों के अधिकारों और विशेषाधिकारों से समझौता करता है। मुख्य रूप से इसमें रिश्वतखोरी या गबन जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं। निश्चित रूप से यह लालची और स्वार्थी व्यवहार को दर्शाता है। आईये इस ब्लॉग में हम विस्तार से Bhrashtachar के बारे में जानते हैं। Bhrashtachar par Nibandh के माध्यम से आप इस विषय को सम्पूर्ण तरीके से समझ पाएंगे।

This Blog Includes:

Corruption in hindi : भ्रष्टाचार के तरीके, देश का लचीला कानून, व्यक्ति का लोभी स्वभाव, भ्रष्टाचार के परिणाम, ये हैं भारत के सबसे बड़े भ्रष्टाचार घोटाले, भ्रष्टाचार के उपाय पर निबंध, bhrashtachar par nibandh: भ्रष्टाचार रोकने के तरीके पर निबंध.

सबसे पहले, रिश्वत भ्रष्टाचार का सबसे आम तरीका है। रिश्वत में व्यक्तिगत लाभ के बदले एहसान और उपहारों का अनुचित उपयोग शामिल है। इसके अलावा, एहसान के प्रकार विविध हैं। इन सबसे ऊपर, एहसानों में पैसा, उपहार, कंपनी के शेयर, यौन एहसान, रोजगार, मनोरंजन और राजनीतिक लाभ शामिल हैं। इसके अलावा, व्यक्तिगत लाभ हो सकता है – अधिमान्य उपचार और अपराध को नजरअंदाज करना।

गबन चोरी के उद्देश्य के लिए संपत्ति को वापस लेने के अधिनियम को संदर्भित करता है। इसके अलावा, यह एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा होता है जिन्हें इन परिसंपत्तियों को सौंपा गया था। इन सबसे ऊपर, गबन वित्तीय धोखाधड़ी का एक प्रकार है। भ्रष्टाचार का एक वैश्विक रूप है। सबसे उल्लेखनीय, यह व्यक्तिगत लाभ के लिए एक राजनेता के अधिकार के अवैध उपयोग को संदर्भित करता है। इसके अलावा, भ्रष्टाचार का एक लोकप्रिय तरीका राजनेताओं के लाभ के लिए सार्वजनिक धन को गलत तरीके से सीमित करना है।

यह भी पढ़ें : समय का महत्व कितना जरूरी है?

जबरन वसूली भ्रष्टाचार का एक और प्रमुख तरीका है। इसका मतलब अवैध रूप से संपत्ति, धन या सेवाएं प्राप्त करना है। इन सबसे ऊपर, यह उपलब्धि व्यक्तियों या संगठनों के साथ मिलकर होती है। इसलिए, एक्सटॉर्शन ब्लैकमेल के समान है। अनुकूलता और भाई-भतीजावाद भ्रष्टाचार का एक पुराना रूप है जो अभी भी उपयोग में है। यह एक व्यक्ति के अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को नौकरियों के पक्ष में बताता है। यह निश्चित रूप से एक बहुत ही अनुचित प्रथा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई योग्य उम्मीदवार नौकरी पाने में असफल होते हैं। विवेक का दुरुपयोग भ्रष्टाचार का एक और तरीका है। यहाँ, एक व्यक्ति एक शक्ति और अधिकार का दुरुपयोग करता है। एक उदाहरण किसी न्यायाधीश द्वारा किसी आपराधिक मामले को अनजाने में खारिज करने का हो सकता है। अंत में, पेडलिंग को प्रभावित करना यहां अंतिम विधि है। यह अवैध रूप से सरकार या अन्य अधिकृत व्यक्तियों के साथ एक के प्रभाव का उपयोग करने के लिए संदर्भित करता है। इसके अलावा, यह अधिमान्य उपचार या पक्ष प्राप्त करने के लिए जगह लेता है।

भ्रष्टाचार के कारण

भ्रष्टाचार विकासशील देश की समस्या है, यहां भ्रष्टाचार होने का प्रमुख कारण देश का लचीला कानून है। पैसे के दम पर ज्यादातर भ्रष्टाचारी बाइज्जत बरी हो जाते हैं, अपराधी को दण्ड का भय नहीं होता है।

लालच और असंतुष्टि एक ऐसा विकार है जो व्यक्ति को बहुत अधिक नीचे गिरने पर विवश कर देता है। व्यक्ति के मस्तिष्क में सदैव अपने धन को बढ़ाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न होती है।

आदत व्यक्ति के व्यक्तित्व में बहुत गहरा प्रभाव डालता है। एक मिलिट्री रिटायर्ड ऑफिसर रिटायरमेंट के बाद भी अपने ट्रेनिंग के दौरान प्राप्त किए अनुशासन को जीवन भर वहन करता है। उसी प्रकार देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से लोगों को भ्रष्टाचार की आदत पड़ गई है।

व्यक्ति के दृढ़ निश्चय कर लेने पर कोई भी कार्य कर पाना असंभव नहीं होता वैसे ही भ्रष्टाचार होने का एक प्रमुख कारण व्यक्ति की मनसा (इच्छा) भी है।

समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार देश की उन्नति में सबसे बड़ा बाधक तत्व है। इसके वजह से गरीब और गरीब होता जा रहा है। देश में बेरोजगारी, घूसखोरी, अपराध की मात्रा में दिन-प्रतिदन वृद्धि होती जा रही है यह भ्रष्टाचार के फलस्वरूप है। किसी देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारणवश परिणाम यह है की विश्व स्तर पर देश के कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए जाते हैं।

  • बोफोर्स घोटाला – 64 करोड़ रुपये
  • यूरिया घोटाला – 133 करोड़ रुपये
  • चारा घोटाला – 950 करोड़ रुपये
  • शेयर बाजार घोटाला – 4000 करोड़ रुपये
  • सत्यम घोटाला – 7000 करोड़ रुपये
  • स्टैंप पेपर घोटाला – 43 हजार करोड़ रुपये
  • कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला – 70 हजार करोड़ रुपये
  • 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला – 1 लाख 67 हजार करोड़ रुपये
  • अनाज घोटाला – 2 लाख करोड़ रुपए (अनुमानित)
  • कोयला खदान आवंटन घोटाला – 12 लाख करोड़ रुपये

हमारे संविधान के लचीलेपन के वजह से अपराधी में दण्ड का बहुत अधिक भय नहीं रह गया है। अतः भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है। कानूनी प्रक्रिया में बहुत अधिक समय नष्ट नहीं किया जाना चाहिए। इससे भ्रष्टाचारी को बल मिलता है।

लोकपाल भ्रष्टाचार से जुड़े शिकायतों को सुनने का कार्य करता है। अतः देश में फैले भ्रष्टाचार को दूर करने हेतु लोकपाल कानून बनाना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त लोगों में जागरूकता फैला कर, प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता बना और लोगों का सरकार तथा न्याय व्यवस्था के प्रति मानसिकता में परिवर्तन कर व सही उम्मीदवार को चुनाव जिता कर भ्रष्टाचार रोका जा सकता है।

भ्रष्टाचार रोकने का एक महत्वपूर्ण तरीका सरकारी नौकरी में बेहतर वेतन देना है। कई सरकारी कर्मचारियों को बहुत कम वेतन मिलता है। इसलिए, वे अपने खर्चों को पूरा करने के लिए रिश्वतखोरी का सहारा लेते हैं। तो, सरकारी कर्मचारियों को उच्च वेतन मिलना चाहिए। नतीजतन, उच्च वेतन उनकी प्रेरणा को कम कर देगा और रिश्वतखोरी में संलग्न होने का संकल्प करेगा।

श्रमिकों की संख्या में वृद्धि भ्रष्टाचार को रोकने का एक और उपयुक्त तरीका हो सकता है। कई सरकारी कार्यालयों में, कार्यभार बहुत अधिक है। यह सरकारी कर्मचारियों द्वारा काम को धीमा करने का अवसर प्रदान करता है। नतीजतन, ये कर्मचारी काम के तेजी से वितरण के बदले में रिश्वत लेते हैं। इसलिए, सरकारी कार्यालयों में अधिक कर्मचारियों को लाकर रिश्वत देने के इस अवसर को हटाया जा सकता है। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठिन कानून बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन सबसे ऊपर, दोषी व्यक्तियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। इसके अलावा, सख्त कानूनों का एक कुशल और त्वरित कार्यान्वयन होना चाहिए।

कार्यस्थलों में कैमरे लगाना भ्रष्टाचार को रोकने का एक शानदार तरीका है। इन सबसे ऊपर, कई व्यक्ति पकड़े जाने के डर से भ्रष्टाचार में लिप्त होने से बचेंगे। इसके अलावा, ये व्यक्ति अन्यथा भ्रष्टाचार में लिप्त रहे होंगे। सरकार को मुद्रास्फीति को कम रखना सुनिश्चित करना चाहिए। कीमतों में वृद्धि के कारण, कई लोगों को लगता है कि उनकी आय बहुत कम है। नतीजतन, यह जनता के बीच भ्रष्टाचार को बढ़ाता है।

व्यवसायी अपने माल के स्टॉक को उच्च कीमतों पर बेचने के लिए कीमतें बढ़ाते हैं। इसके अलावा, राजनेता उन्हें मिलने वाले लाभों के कारण उनका समर्थन करते हैं। इसे योग करने के लिए, भ्रष्टाचार समाज की एक बड़ी बुराई है। इस बुराई को समाज से जल्दी खत्म किया जाना चाहिए। भ्रष्टाचार वह जहर है जिसने इन दिनों कई व्यक्तियों के दिमाग में प्रवेश कर लिया है। उम्मीद है कि लगातार राजनीतिक और सामाजिक प्रयासों से हम भ्रष्टाचार से छुटकारा पा सकते हैं।

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भ्रष्टाचार पर निबंध – Corruption Essay in Hindi

by Editor November 29, 2018, 2:42 PM 1 Comment

भ्रष्टाचार पर निबंध | Bhrashtachar Essay in Hindi

भ्रष्टाचार आज देश के सामने खड़ी सबसे बड़ी समस्या है। इसके लिए हमें शिक्षित होने की जरूरत है। यहाँ हम कक्षा 1 से लेकर 12 तक के छात्रों के लिए निबंध लेकर आए हैं। 150 शब्दों से लेकर 1000 शब्दों तक के निबंध की तैयारी आप कर सकते हैं।

भ्रष्टाचार पर निबंध (150 शब्द)

जब हमारा अपने कार्य के प्रति आचरण भ्रष्ट हो जाता है तभी हमारे अंदर भ्रष्टाचार का जन्म होता है। हमारे देश में भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह फैला है जो धीरे-धीरे इस देश की अर्थ व्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था को खोखला करता जा रहा है। आज सबसे बड़ी चुनौती हमारे सामने अगर कोई है तो वो है भ्रष्टाचार।

किसी भी देश के लिए आगे बढ्ने में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा रोड़ा है, वो देश कभी भी प्रगति नहीं कर सकता जहां चारो तरफ भ्रष्टाचार फैला हो। अगर हमें भी अपने देश को प्रगतिशील बनाना है तो सबसे पहले भ्रष्टाचार के जहर को फैलने से रोकना होगा।

व्यक्ति जब अपने कार्य के प्रति वफादार नहीं होता है और उस कार्य में अनैतिक कामों को करता है तब जन्म होता है भ्रष्टाचार का। भ्रष्टाचार कहीं भी जन्म ले सकता है चाहे वो सरकारी ऑफिस हो या कोई राजनेता या कोई बड़ा महकमा।

अगर इस हमें रोकना है तो सबसे पहले हर काम में पारदर्शिता लानी होगी। आइये हम सभी यह प्रण करें की ना भ्रष्टाचार करेंगे और ना किसी को करने देंगे।

भ्रष्टाचार की समस्या (300 शब्द)

किसी भी देश की प्रगति में सबसे बड़ा हाथ वहाँ की सिस्टम में होता है, अगर उस देश के शीर्ष पर बैठे लोग ईमानदार होंगे तभी वह देश आगे बढ़ सकता हैं। वो देश कभी विकास नहीं कर सकता जहां भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ों को मजबूत कर लिया हो। आज हमारे देश में भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या है, सिर्फ हमारा देश ही नहीं दुनिया मे ऐसे कई देश हैं जहां भ्रष्टाचार चरम पर है और खा रहा है देश की अर्थ व्यवस्था को।

अपने कार्य के प्रति ईमानदार ना होना और उसमें अपने गलत आचरण को शामिल करना ही भ्रष्टाचार को जन्म देता है। भ्रष्टाचार किसी भी जगह जन्म ले सकता है। आज हम देखते हैं की कोई भी सरकारी काम बिना रिश्वत दिये पूरा नहीं होता। पुलिस को पैसे देकर लोग बच जाते हैं, राजनीति मे शामिल लोग करोड़ो रुपयों का भ्रष्टाचार करते हैं। इसी तरह जब देश मे अरबों रुपया भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता है तब देश बर्बादी की तरफ बढ़ता है।

भ्रष्टाचार फैलाने में सिर्फ वो लोग दोषी नहीं जो अपने काम में ईमानदारी नहीं दिखाते अपितु वो लोग भी उतने ही दोषी हैं जो ऐसे लोगों को पैसे देकर अपना काम गलत तरीके से करवाते हैं। रिश्वत लेनेवाला और देने वाला दोनों ही समान दोषित होते हैं।

भ्रष्टाचार को मिटाना इतना आसान नहीं क्यूंकी यह एक जहर की तरह हर जगह फैला है और हमारे बीच ही रहता है। अगर इसे हमें खतम करना है तो सबको एक कसम खानी होगी की कभी भी पैसे देकर अपना काम नहीं करवाएँगे, एक ईमानदार सरकार चुनेंगे, भ्रष्टाचारियों के खिलाफ आवाज उठाएंगे। सरकार को भी चाहिए की अपने सभी दफ़तरों के कामों में पारदर्शिता लाये और ऐसे गठन की रचना करे जो भ्रष्टाचार के मामलों का निबटारा कर सके।

आइये हम सब एक होकर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जंग की शुरुआत करते हैं और हमें तब तक नहीं रुकना है जब तक इसे हम जड़ से नहीं उखाड़ फेंकते।

भ्रष्टाचार पर निबंध (600 शब्द)

किसी भी देश की तरक्की तभी हो सकती है जब उस देश की सरकार उस देश के लोग ईमानदारी से अपना काम करें। लेकिन जब हम अपनी ईमानदारी को भूलकर अपने काम में बेईमानी को जगह देते हैं तब पैदा होता है भ्रष्टाचार।

भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह काम करता है और देश, समाज को खोखला बना देता है। हमारे देश में आज बिना पैसों की लेन-देन के कोई काम नहीं होता। पहले पैसा दो और फिर अपना काम करवाओ। सिर्फ यही नहीं कुछ लोग अपने काम करवाने के लिए गलत तरीकों का इस्तेमाल करते हैं और काम करने वाले को रिश्वत देते हैं। यही सब ही तो है भ्रष्टाचार।

भ्रष्टाचार को आप हर जगह देख सकते हैं, चाहे वो कोई सरकारी ऑफिस हो या कोई राजनीतिक पार्टी या फिर कोई जवाबदार पद पर बैठा व्यक्ति हर कोई इसमें लिप्त है। भ्रष्टाचार की वजह से सबसे बड़ा नुकसान आम आदमी को होता है, जो पैसा या सुविधाएं सरकार उसके लिए देती है वो बिचौलिये हड़प जाते हैं और जिनका अधिकार है वो उससे वंचित ही रहते हैं।

आज आपको रैशन कार्ड बनवाना हो या ड्राइविंग लायसंस वहाँ भी आप रिश्वत देंगे तो आपका काम पहले किया जाएगा। राजनीतिक पार्टियों की बात करें तो सबसे ज्यादा और सबसे बड़ा भ्रष्टाचार अगर कोई करता है तो वो हैं देश की सत्ताधारी राजनैतिक पार्टियां। करोड़ो, अरबों रुपयों का भ्रष्टाचार देश के सामने आना अब आम बात हो गयी है। यही राजनीतिक लोग चुनाव के समय भी पैसों या वस्तु की लालच देकर लोगों के वोट हासिल कर लेते हैं इसे भी हम भ्रष्टाचार की कहेंगे।

इसी प्रकार हर महकमे में भ्रष्टाचार की बीमारी फैली हुई है, लेकिन इस फैला कोन रहा है, क्या ये हमने कभी सोचा है?

भ्रष्टाचार को फैलाने में सिर्फ वो  दोषी नहीं जो पैसा या रिश्वत लेकर काम करता है बल्कि वो लोग भी दोषी हैं जो रिश्वत का लालच देते हैं। जब व्यक्ति के मन में अपने काम को लेकर असंतोष हो, उसे वो सब नहीं मिल रहा हो जो वो चाहता है, तो वो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने काम में अनैतिक चीजों को अपना लेता है और वो भ्रष्ट हो जाता है।

उसी प्रकार जब हमारा कोई काम आसान तरीके से नहीं होता तब हम पैसा देकर अपना काम कराते हैं तो फिर यहाँ हम भी एक भ्रष्टाचारी ही हुये। भ्रष्टाचार को फैलाने में हर कोई  दोषी है, शायद इसीलिए यह एक विकराल रूप ले रहा है और देश की अर्थ व्यवस्था को निगल रहा है।

क्या भ्रष्टाचार को हम नहीं मिटा सकते?

मिटा सकते हैं लेकिन उसके लिए हमें अपने आप से ये वादा करना होगा की आज से हम पैसा देकर अपना काम नहीं करवाएंगे और जो भी हम से रिश्वत मांगने की कोशिश करेगा उसका पर्दाफाश करेंगे। हमें राजनीति के उन लोगों का बहिष्कार करना होगा जो भ्रष्टाचार में लिप्त है और जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। आज हम देखते हैं भ्रष्टाचार के जिन पर आरोप होते हैं वो भी चुनाव लड़कर विजयी होते हैं और हमारे प्रतिनिधि बन जाते हैं। ऐसे भ्रष्ट लोगों का बहिष्कार करना होगा।

एक ईमानदार सरकार ही भ्रष्टाचार के खिलाफ काम कर सकती है इसलिए हमें देश को एक  ईमानदार सरकार चुनकर देना चाहिए। आम लोगों तक सरकारी पैसा और सुविधाएं पहुंचे और बिचौलिये उसका लाभ ना ले पाएँ इसके लिए पारदर्शी सिस्टम तैयार करने की जरूरत है।

भ्रष्टाचार को जड़ से खतम कर सकें इसके लिए सबसे जरूरी है की देश मे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कडा कानून बने ताकि जो लोग इसमें लिप्त हैं उनके मन में डर पैदा हो। जब तक हम एक ईमानदार और जवाबदार नागरिक नहीं बनेंगे तब तक भ्रष्टाचार को खतम नहीं कर सकते, हम सभी को अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी निभाने की जरूरत है।

भ्रष्टाचार पर निबंध (1000 शब्द)

किसी भी पद पर बैठा व्यक्ति जब लालच या स्वार्थ के कारण अपने पद का दुरुपयोग करता है और गलत प्रवर्ती में लिप्त हो जाता है तो उसे हम भ्रष्टाचार कहते हैं, मतलब व्यक्ति का आचरण भ्रष्ट हो जाना ही भ्रष्टाचार है।

आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्या भ्रष्टाचार की है, और इसकी जड़ें बहुत गहराई में हैं। कोई भी देश तब तक विकास नहीं कर सकता जब तक ईमानदारी के साथ उस देश का नागरिक अपना काम ना करे। अगर सब भ्रष्टाचार में लिप्त हैं तब तो हम कह सकते हैं की  उस देश का पतन निश्चित होता है।

हमारे भारत देश में भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। हर जगह यह पनप रहा है और देश को खोखला कर रहा है। आज कोई भी काम बिना पैसों के नहीं होता, वोटों को पैसों से खरीद लिया जाता है, चीज-वस्तुओं में मिलावट होना आम बात है, करोड़ो रुपयों के घोटाले अब आम हैं।

भ्रष्टाचार के मुख्य प्रकार

कोई अनैतिक तरीके से किया गया काम भ्रष्टाचार कहलाता है इसको हम कुछ प्रकारों में बाँट सकते हैं:

1. राजनीतिक देश पर शासन करने वाले ही जब भ्रष्टाचार में लिप्त रहने लगेंगे तो सोचिए उस देश का कैसा भविष्य होगा, क्या वो देश कभी आगे बढ़ सकता है, नहीं बिलकुल नहीं। आए दिन हम राजनीति से जुड़े लोगों के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को सुनते हैं। करोड़ो रुपयों का घोटाला किए हुये ऐसे राजनीतिक लोग इस देश के लिए दीमक के समान हैं।

चुनाव के समय लोगों को पैसों की लालच देना, चीज वस्तु की लालच देना और वोटों को हासिल करने का खेल हम देखते हैं। ये भी एक भ्रष्टाचार ही है। जरा सोचिए वोटों को खरीद कर चुने हुये प्रतिनिधि इस देश का क्या विकास करेंगे।

ऊंची सत्ता हासिल करने के बाद ऐसे राजनीतिक लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप तो लगते हैं लेकिन उन्हें किसी भी तरह की सजा नहीं मिलती।

2. प्रशासनिक आज किसी भी सरकारी ऑफिस का कचेरी में आप चले जाइए, बिना पैसों की लेन देन के कोई आपका काम नहीं करेगा। पहले पैसा दो, फिर अपना काम कराओ। अब तो लोगों को भी ये समझ में आ गया है की बिना पैसों के काम नहीं होने वाला इसलिए वो पहले से ही पैसा देकर अपना काम करा लेते हैं। कोई भी सरकारी काम हो आपसे रिश्वत मांगी जाती है, अगर कोई ईमानदार रिश्वत नहीं देता है तो उसका काम नहीं होता, उसे परेशान किया जाता है।

ऐसा ही हाल अन्य सरकारी विभागों का है जहां पहले रिश्वत ली जाती है और फिर काम किया जाता है। पूरा प्रशासन इसमें लिप्त है। सरकार द्वारा चलायी जा रहीं कई योजानाओं का पैसा गरीबों तक नहीं पहुँच पाता क्योंकि सरकारी कार्यालयों में बैठे भ्रष्ट लोग उन्हें हड़प कर जाते हैं।

3. व्यावसायिक आज चीज-वस्तुओं में मिलावट होना आम बात हो गयी है। अधिक पैसा कमाने की होड में लोग चीज-वस्तुओं में तरह-तरह की मिलावट करते हैं। नकली चीजों की तो भरमार है और लोगों को नकली चीजें बेचकर खूब ठगा जाता है, यही होता है व्यावसायिक भ्रष्टाचार।

भ्रष्टाचार से होने वाले नुकसान

कोई भी देश तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक भ्रष्टाचार जड़ से खतम नहीं होता। आज जो देश विकास कर रहे हैं वहाँ काम करने में पारदर्शिता है, लोगों में विश्वास की भावना है। भ्रष्टाचार देश को आर्थिक रूप से कंगाल कर देता है। आज कई देश ऐसे हैं जहां भ्रष्टाचार चरम पर है और वो देश बरबादी की कगार पर हैं।

राजनीति में घुसे हुये लोग जो इस देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जब वही भ्रष्टाचारी होंगे तो क्या उम्मीद हम कर सकते हैं।

भ्रष्टाचार की वजह से गरीब और ज्यादा गरीब हो गया है और अमीर व्यक्ति और ज्यादा अमीर। समाज में अमीरी-गरीबी की एक खाई बन गयी है। लोगों को अपना काम कराने के लिए पैसा देना पड़ता है और पैसा ना दो तो उनका काम नहीं होता।

सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार होने की वजह से लोगों का भरोसा टूटा है जिसकी वजह से प्रजा और प्रशासन के बीच एक अविश्ववास की भावना पैदा हुई है।

जो लायक है उनको कोई काम नहीं मिलता जबकि जो किसी लायक नहीं वो रिश्वत देकर ऊचे पदों पर बैठ जाते हैं। चुनावों में खूब भ्रष्टाचार होता है जिसकी वजह से ऐसे लोग चुनकर आते हैं जो ना देश के लिए कुछ कर सकते हैं और ना देश के लोगों के लिए। ऐसे लोग सत्ता में आने के बाद आम लोगों के पैसों को बर्बाद करते हैं।

भ्रष्टाचार कैसे रोकें

ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका हल ना हो। बेशक भ्रष्टाचार आज हमारे देश मे दीमक की तरह फैला हो लेकिन अगर हम ठान लें की इसे हमें जड़ से खतम करना है तो हम जरूर ऐसा कर सकते हैं, समय जरूर लगेगा लेकिन बदलाव आने से कोई नहीं रोक सकता।

सबसे पहले तो हमें ऐसे लोगों का राजनीतिक भविष्य समाप्त करना होगा जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। ऐसे लोगों को हमें वोट नहीं करना है। हमें किसी भी प्रकार की लालच में ना आकार सिर्फ ईमानदार प्रतिनिधि को ही चुनकर इस देश की सेवा में लाना होगा। यह हर नागरिक का कर्तव्य है की वो हमेशा सही लोगों को अपना कीमती वोट दे।

दूसरी चीज हमें आज से यह शपथ लेनी है की किसी भी सरकारी कार्य के लिए हमें किसी को रिश्वत नहीं देना है, अगर हम से कोई रिश्वत मांगता है तो उसका हमें पर्दाफाश करना चाहिए।

तीसरा काम हमें करना है मिलावट करने वालों के खिलाफ। जो भी व्यक्ति चीज-वस्तु में मिलावट करता है उसका बहिष्कार करना चाहिए।

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Bhrashtachar Par Nibandh

Bhrashtachar Par Nibandh: भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध

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यहां हम आपको Bhrashtachar Par Nibandh उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध को आप कक्षा 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं. यदि आप को किसी स्पीच के लिए टॉपिक bhrashtachar per nibandh मिला है तो आप इस लेख को स्पीच के लिए भी उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि आपको किसी निबंध प्रतियोगिता के लिए भी bhrashtachar essay in hindi लिखना है तो आपको यह आर्टिकल पूरा बिल्कुल ध्यान से पढ़ना चाहिए.

bhrashtachar essay in hindi (भ्रष्टाचार पर निबंध 100 शब्दों में)

भ्रष्टाचार एक ऐसी बीमारी है जो आज सभी देशों में बड़ी तेजी से फैल रही है। जिस प्रकार सभी देश विकसित हो रहे हैं उसी प्रकार भ्रष्टाचार भी विकसित हो रहा है। भारत में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जहां भ्रष्टाचार न पाया जाए। 

यह कहना गलत नहीं होगा कि भ्रष्टाचार को बढ़ाने में हम आम लोगों का ही हाथ है जो कि छोटे-छोटे कामों को जल्दी से कराने के लिए सरकारी दफ्तरों में काम कर रहे कर्मचारियों को रिश्वत देते हैं। 

यह भ्रष्टाचार की गिनती में ही आता है, इस कारण यह सरकारी कर्मचारी रिश्वत के आदी हो जाते हैं और नियमित रूप से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं।

Bhrashtachar Par Nibandh

bhrashtachar par nibandh 200 shabd

आज दुनिया के सभी बड़े विकासशील देशों में भारत का नाम भी सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ है। लेकिन जिस तरह भारत ने सभी क्षेत्रों में तरक्की की है उसी तरह भारत के सभी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार भी पाया जाता है। 

भ्रष्टाचार का अर्थ होता है किसी भी काम को करने से पहले रिश्वत लेना या पैसे की मांग करना या किसी काम को करवाने के लिए आसान रास्ता अपनाना। यह भ्रष्टाचार कहलाता है कहीं कहीं तो लोग रिश्वत लेने के बाद भी काम नहीं करते। 

आज देश में भ्रष्टाचार की वजह से लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस भ्रष्टाचार के कारण हमारे देश का भविष्य खतरे में जा रहा है क्योंकि भ्रष्टाचार के चलते एक योग्य और शिक्षित व्यक्ति को रोजगार मिलने में काफी परेशानियां आ रही है। 

भ्रष्टाचार के मामले में आज भारत 95 नंबर पर है। विकासशील देश होने के बावजूद भ्रष्टाचार ने भारत में अपनी जड़ें फैला ली है, और भारत के बड़े-बड़े राजनेता व्यापारी सरकारी कर्मचारी इस भ्रष्टाचार से ग्रसित है। भ्रष्टाचार होने के कारण आम आदमी, और गरीब लोगों को सरकार द्वारा चलाई गई योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा। हमें अपने देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे, और इसे भ्रष्टाचार मुक्त बनाना होगा।

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essay on corruption in hindi (भ्रष्टाचार पर निबंध 300 शब्दों में)

भारत आज सभी तरह से बाकी देशों की तरह सक्षम और सफल है। परंतु यह आज भी भ्रष्टाचार के कारण कहीं ना कहीं पीछे है। भारत में हो रहे भ्रष्टाचार का कारण हम राजनेताओं को मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है, भ्रष्टाचार में आम नागरिकों का भी पूरा योगदान है। 

वर्तमान में भारत के सभी क्षेत्र भ्रष्टाचार से पीड़ित हैं, भ्रष्टाचार के कारण भारत की शिक्षा व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, उद्योग क्षेत्र सभी बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे लोग जो अपनी स्वार्थ की पूर्ति के लिए सरकारों के नियमों का उल्लंघन कर चीजों को अधिक दामों में या किसी कार्य को करने के लिए पैसों की मांग करते हैं उन्हें भ्रष्टाचारी कहा जाता है। ऐसे लोग भारत के सभी सरकारी कार्यालयों में पाए जाते हैं, जो छोटे से छोटे काम को करने की कीमत मांगते हैं। 

भारत में बढ़ते भ्रष्टाचार के कारण लोग शिक्षा से वंचित हो रहे हैं, लोगों को योग्यता के अनुसार रोजगार नहीं मिल रहा है। किसी भी तरह का कोई वैज्ञानिक प्रयोग करने से पहले राजनेताओं द्वारा इसे रोकने की कोशिश की जा रही है। इस तरह भारत में भ्रष्टाचार ने भारत को विकसित होने से रोक रखा है। 

भ्रष्टाचार बढ़ाने में वह लोग दोषी नहीं होते जो कि किसी भी काम को करने के लिए पैसे मांगते हैं, बल्कि असल दोषी वह होते हैं, जो अपने काम को करवाने के लिए लोगों को पैसे या रिश्वत देते हैं। हमें इस भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कई कड़े कदम उठाने होंगे और शासन द्वारा भी भ्रष्टाचार पर सख्त कानून बनाने होंगे। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे देश को चलाने वाले राजनेता ईमानदार व कर्मठ हो।

bhrashtachar par nibandh (भ्रष्टाचार पर निबंध 400 शब्द)

किसी भी देश की प्रगति और उन्नति में देश के राजनेताओं और शासन का मुख्य हाथ होता है। लेकिन जिस देश के राजनेता भ्रष्ट होते हैं वह देश कभी तरक्की नहीं कर सकता। भारत समेत विश्व में ऐसे कई देश हैं, जहां भ्रष्टाचार चरम सीमा तक फैल चुका है, जिसके कारण देश की अर्थव्यवस्था, शिक्षा, तकनीकी क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र और अन्य क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित है।

भ्रष्टाचार के दुष्प्रभाव

भ्रष्टाचार के कारण होने वाले नुकसान से आज हम सभी भली-भांति परिचित हैं। भ्रष्टाचार के कारण लोगों को कई तरह की सार्वजनिक व मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। किसी गरीब की हिस्से की शिक्षा किसी पैसे वाले अमीर को दी जा रही है। योग्यता होने के बाद भी नौजवानों को रोजगार प्राप्त नहीं हो रहा, आरक्षण के चलते सरकारी योजनाओं का लाभ भी योग्य लोग नहीं उठा पा रहे। हमारे देश के सरकारी दफ्तरों में बैठे भ्रष्ट लोग गरीबों को हर सुविधा से वंचित करते जा रहे हैं। भारत जैसे विशाल देश में भ्रष्टाचार एक आम बात हो चुकी है, जिसे लोगों ने स्वीकार कर उसे अपनी आदत बना ली है, जिसके परिणाम स्वरूप अन्य लोगों को परेशानी होती है। भ्रष्टाचार इस हद तक बढ़ चुका है कि किसी व्यक्ति को बिना पैसे के सरकरी अस्पतालों में दवा तक नहीं दी जाती, ना ही उन्हें इसी तरह की मदद की जाती है।

भ्रष्टाचार पर रोकथाम

भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए हम लोगों भ्रष्टाचारियों की मांगों को रोकना होगा। इसके साथ शासन द्वारा भी इस पर कई कड़े कानून बनाने होंगे, जिससे कि भ्रष्टाचार करने वाले लोग भ्रष्टाचार से दूर। भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए हमें पैसे देकर काम करवाना बंद करना होगा। भ्रष्टाचार पर रोक लगाने से कई लोगों को फायदा होगा इससे गरीब व्यक्ति अपने हिस्से की सारी सुविधा प्राप्त करेगा ।

जो व्यक्ति अपने कार्य के प्रति ईमानदार होगा तो धीरे-धीरे भ्रष्टाचार भी खत्म होगा। अगर भ्रष्टाचार को भारत से पूरी तरह खत्म करना है, तो उसके लिए हमें भ्रष्ट लोगों को शासन को राजनीति से निकालना होगा। किसी भी देश को तरक्की करने के लिए भ्रष्टाचार मुक्त होना काफी जरूरी है। भ्रष्टाचार रूपी दीमक को हमें जल्द से जल्द खत्म करना होगा नहीं तो यह पूरे देश को खोखला कर देगा।

bhrashtachar per nibandh (भ्रष्टाचार पर निबंध 500 शब्दों में)

प्रस्तावना  .

भ्रष्टाचार का अर्थ है भ्रष्ट आचरण। वह लोग जो अपने कार्य के प्रति भ्रष्ट होकर कार्य को करने के लिए रिश्वत या पैसों की मांग करते हैं, भ्रष्टाचारी कहलाते हैं, और ऐसे ही दे लोग देश की उन्नति में रुकावट बनते हैं। भारत के सभी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार बुरी तरह फैला हुआ है, पर इसे कौन फैला रहा है, इसका जिम्मेदार कौन है, यह समझ पाना थोड़ा मुश्किल है। हमें भारत को तरक्की की राह में आगे बढ़ने के लिए देश से भ्रष्टाचार पूरी तरह खत्म करना होगा।

भ्रष्टाचार के दुष्प्रभाव  

भ्रष्टाचार से होने वाली परेशानियां आपने भारत के सभी क्षेत्रों में देखी होगी। अगर आप किसी सरकारी दफ्तर में जाते हैं तो आपको छोटे से छोटे कार्य के बदले रिश्वत देना पड़ती है। यह भ्रष्टाचार का दुष्प्रभाव है, लोग अपने काम के प्रति ईमानदार ना होकर रिश्वत के लिए लालची होते जा रहे हैं। भारत की राजनीति की बात करें, तो यहां के राजनेता देश में बड़े-बड़े घोटाले करते जा रहे हैं, जिसके कारण गरीबों को महंगाई और बेरोजगारी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अगर इसी तरह उच्च पद पर बैठे व्यक्ति अपने पद का दुरुपयोग करता रहेगा तो धीरे-धीरे भारत एक गरीब और लाचार देश बन जाएगा।

भ्रष्टाचार का मुख्य कारण

सही मायने में भ्रष्टाचार का कारण यहां के राजनेता, या सरकारी कर्मचारी के साथ साथ वह लोग होते हैं, जो अपने काम को जल्दी से करवाने के लिए आसान रास्ता अपनाते है, और कर्मचारियों को रिश्वत देते हैं। आज देश की सबसे बड़ी समस्या भ्रष्टाचार है, जिसके कारण देश के लोगों को विकसित होने में कई प्रकार की परेशानियां आ रही है। आम लोग भी थोड़े से पैसों के चक्कर में किसी भी राजनेता को वोट देते हैं, जो आगे जाकर देश में बड़े-बड़े घोटाले करता है, और अपनी छत्रछाया में भ्रष्टाचार रूपी दीमक को पालता है। यह दीमक धीरे-धीरे देश के शासन और प्रशासनिक लोगों को खोखला करता जा रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप देश पीछे जा रहा है।

भ्रष्टाचार कैसे रोकें?

माना कि भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है, लेकिन ऐसी कोई समस्या नहीं, जिसका कोई हल ना हो और जिसे जड़ से खत्म ना किया जाए। भ्रष्टाचार जैसे जहर को खत्म करने के लिए हमें बदलाव लाना होगा। इसमें थोड़ा समय अवश्य लगेगा परंतु भ्रष्टाचार खत्म होगा। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए हमें सबसे पहले राजनीति में कर्तव्य महान और देश प्रेमी लोगों को लाना होगा। हमें ऐसे प्रतिनिधि का चुनाव करना होगा, जो स्वयं का स्वार्थ ना देख कर देशहित को चुने। सरकारी दफ्तरों में काम कर रहे सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत देने वालों पर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए। और जो लोग अपने काम को जल्दी से करवाने के लिए आसान रास्ता अपनाते हैं, उन्हें भ्रष्टाचार और उसकी समस्याओं से अवगत कराना चाहिए।

भारत के लिए और सभी देशों के लिए भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी चुनौती है, और जब तक आम आदमी मिलकर इसके खिलाफ खड़े नहीं होते, यह खत्म नहीं होगा। हमें अपने देश को बचाने के लिए देश के अच्छे नागरिक होने का फर्ज निभाना होगा। ऐसे लोगों को सामने लाना होगा जो शासन या प्रशासनिक कार्यालयों में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। हमें एक अच्छे राष्ट्र निर्माण के लिए भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए प्रयास करने होंगे।

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भ्रष्टाचार पर निबंध - Bhrashtachar Essay in Hindi - Bhrashtachar Par Nibandh - Essay on Bhrashtachar in Hindi Language

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रुपरेखा : प्रस्तावना - भ्रष्टाचार की जड़े - इंसान के दिमाग को भ्रष्ट कर रहा है - भ्रष्टाचार के कई प्रकार - भ्रष्टाचार एक बीमारी - भ्रष्टाचार बहुत बुरी समस्या है - उपसंहार।

भ्रष्टाचार एक ऐसा जहर है जो देश, संप्रदाय, समाज और परिवार के कुछ लोगों के दिमाग में बैठ गया है। इसमें केवल छोटी सी इच्छा और अनुचित लाभ के लिए सामान्य जन के संसाधनों की बरबादी की जाती है। किसी के द्वारा अपनी ताकत और पद का गलत इस्तेमाल करना है, फिर चाहे वो सरकारी या गैर-सरकारी संस्था क्यों न हो। इसका प्रभाव व्यक्ति के विकास के साथ ही राष्ट्र पर भी पड़ रहा है और यही समाज और समुदायों के बीच असमानता का बड़ा कारण बन चूका है। साथ ही ये राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रुप से राष्ट्र के प्रगति और विकास में बाधा बनते जा रहा है।

भ्रष्टाचार से व्यक्ति सार्वजनिक संपत्ति, शक्ति और सत्ता का गलत इस्तेमाल अपनी आत्म संतुष्टि और निजी स्वार्थ की प्राप्ति के लिए करता है। इसमें सरकारी नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाकर फायदा पाने की कोशिश होती है। भ्रष्टाचार की जड़े समाज में गहराई से परिपूर्ण हो चुकी है और लगातार फैल रही है। ये कैंसर जैसी बीमारी की तरह है जो बिना इलाज के खत्म नहीं होगी। इसका एक सामान्य रुप पैसा और कीमती चीजें लेकर काम करना दिखाई देता है। कुछ लोग अपने फायदे के लिए दूसरों के पैसों का गलत इस्तेमाल करते हैं। सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों में काम करने वाले भ्रष्टाचार में लिप्त होते है और साथ ही अपनी छोटी सी इच्छा पूर्ति के लिए किसी भी हृद तक जा सकते है।

हम सभी भ्रष्टाचार से अच्छे तरह वाकिफ है और ये अपने या किसी भी देश के लिए में नई बात नहीं है। इसने अपनी जड़ें गहराई से लोगों के दिमाग में बना ली है। ये एक धीमे जहर के रुप में प्राचीन काल से ही समाज में रहा है। ये मुगल साम्राज्य के समय से ही मौजूद रहा है और ये रोज अपनी नई ऊँचाई पर पहुँच रहा है साथ ही बड़े पैमाने पर लोगों के दिमाग पर हावी हो रहा है। समाज में सामान्य होता भ्रष्टाचार एक ऐसा लालच है जो इंसान के दिमाग को भ्रष्ट कर रहा है और लोगों के दिलों से इंसानियत और स्वाभाविकता को खत्म कर रहा है।

भ्रष्टाचार कई प्रकार का होता है जिससे अब कोई भी क्षेत्र छुटा नहीं है चाहे वो शिक्षा, खेल, या राजनीति कुछ भी हो। इसकी वजह से लोग अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझते। चोरी, बेईमानी, सार्वजनिक संपत्तियों की बरबादी, शोषण, घोटाला, और अनैतिक आचरण आदि सभी भ्रष्टाचार का ही हिस्सा है। इसकी जड़े विकसित और विकासशील दोनों तरह के देशों में व्याप्त है। समाज में समानता के लिए अपने देश से भ्रष्टाचार को पूरी तरह से मिटाने की जरुरत है। हमें अपनी जिम्मेदारियों के प्रति निष्ठावान होना चाहिये और किसी भी प्रकार के लालच में नहीं पड़ना चाहिये इसी से भ्रष्टाचार ख़तम होंगे।

वर्तमान में 'भ्रष्टाचार' फैलने वाली बीमारी की तरह हो चुका है जो समाज में हर तरफ दिखाई देता है। भारत के कई महान नेता जिन्होंने अपना पूरा जीवन भ्रष्टाचार और सामाजिक बुराईयों को मिटाने में लगा दिया, लेकिन ये शर्म की बात है कि आज उनके दिखाये राह को अनदेखा कर हम अपनी जिम्मेदारियों से भागते है। धीरे- धीरे इसकी पकड़ राजनीति, व्यापार, सरकार और आमजनों के जीवन पर बढ़ती जा रही है। लोगों की लगातार पैसा, ताकत, पद और आलीशान जीवनशैली की भूख की वजह से ये घटने के बजाय दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है।

पैसों की खातिर हम लोग अपनी वास्तविक जिम्मेदारी को भूल चुके है। सभी लोगों को ये समझना होगा कि पैसा ही सबकुछ नहीं होता साथ ही ये एक जगह टिकता भी नहीं है। हम इसे जीवनभर के लिए साथ नहीं रख सकते, ये केवल हमें लालच और भ्रष्टाचार देगा। हमें अपने जीवन में मूल्यों पर आधारित जीवन को महत्व देना चाहिये ना कि पैसों पर आधारित। ये सही है कि सामान्य जीवन जीने के लिए ढ़ेर सारे पैसों की आवश्कता होती है जबकि सिर्फ अपने स्वार्थ और लालच के लिए इंसान भ्रस्टाचारी बन जाता है। जेसा कि हम सभी जानते है कि भ्रष्टाचार बहुत बुरी समस्या है। इससे व्यक्ति के साथ-साथ देश का भी विकास और प्रगति रुक जाता है। ये एक सामाजिक बुराई है जो इंसान की सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक क्षमता के साथ खेल रहा है। पद, पैसा और ताकत के लालच की वजह से ये लगातार अपनी जड़े गहरी करते जा रहा है। अपनी व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए शक्ति, सत्ता, पद, और सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग है भ्रष्टाचार। सूत्रों के मुताबिक, पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार के मामले में भारत का स्थान 85वाँ है जिससे आज देश में अशिक्षित और गरीबी की संख्या बढ़ती जा रही है।

भ्रष्टाचार सबसे अधिक सिविल सेवा, राजनीति, व्यापार और दूसरे गैर कानूनी क्षेत्रों में फैला है। भारत विश्व में अपने लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध है लेकिन भ्रष्टाचार की वजह से इसको क्षति पहुँच रही है। इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हमारे यहाँ के राजनीतिज्ञ है जिनको हम अपनी ढ़ेरों उम्मीदों के साथ वोट देते है, चुनाव के दौरान ये भी हमें बड़े-बड़े सपने दिखाते है लेकिन चुनाव बीतते ही ये अपने बातों से मुकड़ जाते है। हमे यकीन है कि जिस दिन ये राजनीतिज्ञ अपने लालच को छोड़ देंगे उसी दिन से हमारा देश भ्रष्टाचार मुक्त होना शुरू हो जायेगा । हमें अपने देश के लिए पटेल और शास्त्री जेसे ईमानदार और भरोसेमंद नेता को चुनना चाहिए क्योंकि केवल उन्हीं जैसे नेताओं ने ही भारत में भ्रष्टाचार को खत्म करने का काम किया। हमारे देश के युवाओं को भी भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए आगे आना चाहिये साथ ही बढ़ते भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कड़ी नियम-कानून बनाने का प्रस्ताव रखना चाहिए।

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भ्रष्टाचार एक कलंक पर निबंध (Corruption Essay In Hindi)

भ्रष्टाचार एक कलंक पर निबंध (Corruption Essay In Hindi), Bhrashtachar Essay In Hindi

आज के इस लेख में हम भ्रष्टाचार  पर निबंध (Essay On Corruption In Hindi) लिखेंगे। भ्रष्टाचार पर लिखा यह निबंध बच्चो और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

भ्रष्टाचार एक कलंक विषय पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Bhrashtachar In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे, जिन्हे आप पढ़ सकते है।

भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है, भ्रष्ट+आचार = भ्रष्टाचार, अर्थात् भ्रष्ट मतलब बुरा या बिगड़ा हुआ एवं आचार का अर्थ है- आचरण। भ्रष्टाचार के अर्थ से तात्पर्य स्पष्ट है कि वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनुचित और अनैतिक हो। भ्रष्टाचार के अर्थ को सरल तरीके से परिभाषित किया जा सकता है – खराब आचरणवाला अर्थात बेईमान।

भ्रष्टाचार एक ऐसा अपराध है। जिसका शिकार सभी कभी न कभी एक बार जरूर हुए हैं। भ्रष्टाचार आज एक प्रकार का व्यवसाय बन चुका है। छोटे-छोटे कामों के लिए भी आज घूस ली जाती है।

भ्रष्टाचार एक अपराध है परन्तु हमारे ही बीच यह अपराध बार-बार किसी न किसी रूप में होता रहता है, मगर हम जाने-अनजाने में या नजर अन्दाज़ करके यह अपराध होने देते हैं। या फिर पता होते हुए भी चुप रहकर उस अपराध का हिस्सा बन जाते हैं, क्योंकि अपराध करने वाले से बड़ा अपराधी अपराध को सहने वाला होता है।

भ्रष्टाचार आज के दौर में हर एक कार्य के क्षेत्र में फैल चुका है। भ्रष्टाचार के विभिन्न क्षेत्र जैसे सरकारी/सार्वजनिक क्षेत्र में, राजनैतिक भ्रष्टाचार, पुलिस द्वारा भ्रष्टाचार, न्यायिक भ्रष्टाचार, शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार, श्रमिक संघों का भ्रष्टाचार, धर्म में भ्रष्टाचार, दर्शन में भ्रष्टाचार, उद्योग जगत का भ्रष्टाचार।

भ्रष्टाचार किसे कहते है?

भ्रष्टाचार का मतलब है बुरा व्यवहार करना, अर्थात किसी भी काम को अगर अपने फायदे के लिए या नियमों के खिलाफ जा कर या गलत तरीके से किया जाए, तो वह भ्रष्टाचार कहलाता है। अक्सर लोग लालच के लिए अनुचित काम/ गलत काम कर बैठते हैं, जो की भ्रष्टाचार है। भ्रष्टाचार करने वाला व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता है।

भ्रष्टाचार फैलाने के तरीके

देश मे भ्रष्टाचार कुछ इस तरीके से बढ़ता ही जा रहा है। खास तोर से नीचे दिये गए तरीके आपको अपने आस पास या किसी न किस तरह से सुनने को मिल जाते है।

  • घूस (रिश्वत)।
  • चुनाव में धांधली।
  • सेक्स के बदले पक्षपात।
  • हफ्ता वसूली।
  • जबरन चन्दा लेना।
  • बलात धन ऐंठना एवं भयादोहन।
  • विवेकाधिकार का दुरुपयोग।
  • भाई-भतीजावाद (Nepotism)
  • अपने विरोधियों को दबाने के लिये।
  • सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग।
  • भ्रष्ट विधान बनाना।
  • न्यायाधीशों द्वारा गलत या पक्षपातपूर्ण निर्णय।
  • कालाबाजारी करना।
  • व्यापारिक नेटवर्क।
  • चार्टर्ड एकाउन्टेन्टों द्वारा किसी बिजनेस के वित्तीय कथनों पर सही राय न लिखना या उनके गलत आर्थिक कार्यों को छुपाना।
  • ब्लैकमेल करना, टैक्स चोरी, झूठी गवाही, झूठा मुकदमा, परीक्षा में नकल।

भ्रष्टाचार कैसे फैलता है ?

आजाद हिंदुस्तान की तकदीर में भ्रष्टाचार का दिमक कुछ इस तरह लगा है कि आज जीवन, समाज और सरकार का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं बचा जहाँ भ्रष्टाचार न फैला हो। 1 लाख 76 रुपये का 2G घोटाला व 1 लाख 2300 करोड़ का राष्ट्रीय मंण्डल खेल घोटाला का काला धन क्या साबित करता है।

  • ठेकेदार सरकारी ठेके के नाम पर ठगता है।
  • न्यायाधीश गलत न्याय के नाम पर लूटता है।
  • पत्रकार खबर को दबाने व झूठे प्रचार के नाम पर रिश्वत ले कर मालामाल होते हैं।
  • शिक्षक शिक्षा बेचने पर उतारु रहते हैं।
  • डाक्टर इंसान के अंग बेचने और न्यायाधीश अपने ईमान को बेच देते हैं।
  • यह सब सिर्फ चन्द रिश्वत व पैसों के लिए अपना ईमान व अपनी इंसानियत को बेच देते हैं।
  • इन्ही कुछ मुख्य कारणों की वजह से आज भी भ्रष्टाचार देश में बढ़ता ही जा रहा है।

भ्रष्टाचार के दुष्प्रभाव

देश मे भ्रष्टाचार के होने से देश की दुर्दशा हो गयी है, गरीब ज्यादा गरीब व अमीर ज्यादा अमीर होता जा रहा है। भ्रष्टाचार के बहुत से दुष्प्रभाव है चलिये जानते है।

  • भ्रष्टाचार के कारण देश की आर्थिक विकास पर रोक लग गया है।
  • भ्रष्टाचार के कारण से समाज में अराजकता का जन्म हुआ।
  • काले धन में वृद्धि हुई।
  • अमीर – गरीब के बीच भेदभाव को बढ़ावा मिला।
  • जातिवाद और भाषावाद के बीच व भेदभाव को बढ़ावा मिला।
  • नैतिक मूल्यों का ह्मस।

भ्रष्टाचार को दूर करने के उपाय

  • देश लोकपाल कानून लागू करने के लिए आवश्यक है।
  • देश संक्षिप्त और कारगर कानून हो।
  • देश मे प्रशासनिक मामलों में पारदर्शिता बनाए और जनता को भागीदार बनाए।
  • देश के न्यायालय मे मामला त्वरित निपटारा हो।
  • देश के प्रशासनिक काम को उपयोगी बनाने के लिए आवश्यक है, लोकपाल स्वतंत्र रूप से कार्य करता रहे।
  • कानून और सरकार पर से लोगों की मानसिकता बदलने कि आवश्यकता है।

भ्रष्टाचार का राजनीति से संबंध

भ्रष्टाचार का राजनीति से गहरा संबंध है। अर्थात तात्पर्य यह है कि राजनीतिक क्षेत्र में व बड़े- बड़े नेता भी भ्रष्टाचारी व बेइमान हैं। बड़े- बड़े नेता भी जनता को झूठे वायदे करके तथा जनता को बड़े-बड़े सपने दिखाकर के उन्हें लूटतें है व उन्हें बेवकूफ बनातें हैं।

सरकारी शक्तियों का दुरुपयोग जैसे अपने राजनैतिक विरोधन पार्टी को सताना/ निचा दिखाना, पुलिस की बेइमानी आदि राजनैतिक भ्रष्टाचार में नहीं गिने जाते। ये भ्रष्ट नेता बिना नौकरशाही के मदद के सरकारी धन को यह लूट नहीं सकते थे। ख़ास बात यह है कि इस भ्रष्टाचार में निजी क्षेत्र और कॉरपोरेट पूँजी की भूमिका भी शालिम होती है।

बाज़ार की प्रक्रियाओं और शीर्ष राजनीतिक- प्रशासनिक मुकामों पर लिए गये निर्णयों के बीच सौदे के बिना यह भ्रष्टाचार इतना बड़ा रूप नहीं ले सकता। आज़ादी के बाद भारत में भी राजनीतिक और प्रशासनिक भ्रष्टाचार की यह घटना तेज़ी से पनपी है।

एक तरफ़ शक किया जाता है कि बड़े-बड़े राजनेताओं का ब्लैक मनी स्विस बैंकों के ख़ुफ़िया ख़ातों में जमा है। दूसरी तरफ़ क्लर्कों से लेकर आईएएस अफ़सरों के घरों पर पड़ने वाले छापों से करोड़ों-करोड़ों की सम्पत्ति बरामद हुई है।

राजनीतिक और प्रशासनिक भ्रष्टाचार को ठीक से समझने के लिए इसे दो श्रेणियों में बाँटा है।

पहली श्रेणी

पहली श्रेणी में निजी क्षेत्र को दिये गये ठेकों और लाइसेंसों के बदले लिया गया कमीशन, हथियारों की ख़रीद-बिक्री में लिया गया कमीशन, फ़र्जीवाड़े और अन्य आर्थिक अपराधों द्वारा जमा की गयी रकम, टैक्स-चोरी में मदद और प्रोत्साहन से हासिल की गयी रकम, राजनीतिक रुतबे का इस्तेमाल करके कमाया गया धन, सरकारी पद का इस्तेमाल करके किसी कम्पनी को लाभ पहुँचाने और उसके बदले रकम वसूलने और फ़ायदे वाली नियुक्तियों के बदले बढ़े नौकरशाहों और नेताओं द्वारा वसूले जाने वाले ब्लैक मनी जैसी चीजें पहली श्रेणी में आती हैं।

दूसरी श्रेणी

दूसरी श्रेणी में चुनाव लड़ने के लिए पार्टी-फ़ण्ड के नाम पर कमायी जाने वाली रकमें, वोटरों को ख़रीदने की कार्रवाई, वोट प्राप्त करने के लिए विधायकों और सांसदों को ख़रीदने में ख़र्च किया जाने वाला धन, संसद-अदालतों, सरकारी संस्थाओ, नगर समाज की संस्थाओं और मीडिया से अपने पक्ष में फ़ैसले लेने या उनका समर्थन प्राप्त करने के लिए ख़र्च किये जाने वाले संसाधन और सरकारी संसाधनों के आबंटन में किया जाने वाला पक्षपात आता है।

भ्रष्टाचार अत्याधिक चुनावी प्रणालियों के दिनो में देखने को मिलता है। कहीं वोट खरीदें व बेचे जाते हैं तो कहीं वोटो की हेर- फेर की जाती है। गरीब लोगों के वोटो को पैसो के बदले खरीदा जाता है।

ऐसा कहा जा सकता है कि भ्रष्टाचार पूरी तरह से व्यवसाय बन चुका है, जिसका शिकार अमीर व गरीब दोनो ही हो रहे हैं। आजकल हर काम करवाने के लिए घूस देनी पड़ती है जो कि भ्रष्टाचार का ही सबसे बड़ा आयाम है।

भ्रष्टाचार को कैसे रोकें (How To Stop Corruption)

भ्रष्टाचार हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या है। इसी कारण हमारा देश उन्नति की ओर नहीं बढ़ पा रहा। भ्रष्टाचार एक दिमक की तरह है जो देश को गरीब व लाचार बनाता जा रहा है।

भ्रष्टाचार का यही दृश्य दिखाने के लिए कई फिल्में बनाई गई। तथा जब देश में चुनाव का माहौल होता है तब भी भ्रष्टाचार के रोकथाम के लिए कई नारें जोरों शोरों से लगाए जाते हैं।

भ्रष्टाचार की रोकथाम एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक जीवन जीने के लिए भी आवश्यक है। भ्रष्टाचार को निम्न तरीकों से रोका जा सकता है।

सरकारी नौकरी में बेहतर वेतन दें

सरकारी नौकरी करने वाले अधिकारियों को बेहतर वेतन देना चाहिए, ताकि वह अपने आय से संतुष्ट रहें और बेइमानी करके, गलत तरीके व रिश्वतखोरी करके पैसे न कमायें।

कार्यालयों में श्रमिकों की वृद्धि

सरकारी दफ्तरों में कार्य अधिकारियों की संख्या को बढ़ा देना चाहिए, क्योंकि श्रमिकों की कमियों के कारण काम का अत्याधिक बोझ बढ़ जाता है जिसकी वजह से जनता अपना काम पहले करवाने के लिए रिश्वत देकर काम करवाते है। जिस कारण भ्रष्टाचार को और अधिक बढ़ावा मिलता है।

भ्रष्टाचा री पाए जाने पर नौकरी से बरखास्त

कार्यालय में अगर किसी को भ्रष्टाचार करते/रिश्वत लेते हुए पाया जाने पर अधिकारी को नौकरी से बरखास्त कर देने का कानून लागू कर देना चाहिए। भ्रष्टाचार को रोकने का यह एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है।

सरकारी दफ्तरों में कैमरे लगवाने चाहिए

सभी सरकारी दफ्तरों में कैमरे लगवा देने चाहिए, जिसके कारण रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने के डर से रिश्वत नहीं ली जाएगी। किसी नेता को भ्रष्टाचारी पाए जाने पर उसे उसके पद से बरखास्त करने का कानून लागू करना चाहिए।

भ्रष्टाचार के लिए उठाए गए कदम

भ्रष्टाचार विरोधी दिवस: दुनियाभर में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए ही 9 दिसंबर को ‘अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस’ मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 31 अक्टूबर 2003 को एक प्रस्ताव पारित कर ‘अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस’ मनाए जाने की घोषणा की थी।

भ्रष्टाचार के खिलाफ संपूर्ण राष्ट्र एवं दुनिया का इस जंग में शामिल होना एक शुभ घटना कही जा सकती है, क्योंकि भ्रष्टाचार आज किसी एक देश की नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व की समस्या है।

इन्हे भी पढ़े :-

  • राजनीति पर हिंदी निबंध (Indian Politics Essay In Hindi)
  • ईमानदारी सर्वश्रेष्ठ नीति है पर निबंध (Honesty Is The Best Policy Essay In Hindi)
  • ईमानदारी जीवन का एक तरीका है हिंदी निबंध (Integrity A Way Of Life Essay In Hindi)
  • कर्म ही पूजा है पर निबंध (Work Is Worship Essay In Hindi)

तो यह था भ्रष्टाचार पर निबंध, आशा करता हूं कि भ्रष्टाचार पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Corruption ) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है, तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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Bhrashtachar Essay in Hindi | भ्रष्टाचार पर निबंध

Bhrashtachar Essay in Hindi

Bhrashtachar Essay in Hindi – सरकारी कार्यालयों में बिना घूस दिए कोई काम नहीं होता. फर्जी बिल बनाए जाते हैं. बड़े-बड़े अधिकारी कागजों पर सड़कें, पुल आदि बनाते हैं और सारा पैसा खुद खा जाते हैं जो महंगाई बढ़ने का भी एक मुख्य कारण है.

Bhrashtachar Essay in Hindi

भ्रष्टाचार का बढ़ता स्वरूप – भारत के सामाजिक जीवन में आज भ्रष्टाचार का बोलबाला है. यहां का रिवाज है – रिश्वत लो और पकड़े जाने पर रिश्वत देकर छूट जाओ. नियम और कानून की रक्षा करने वाले सरकारी कर्मचारी सबसे बड़े भ्रष्टाचारी हैं. केवल तीन करोड़ में देश के सांसदों को खरीदना और उनका बिकना भ्रष्टाचार का सबसे शर्मनाक दृश्य है. भ्रष्टाचार का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर बहता है. जब मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री स्वयं भ्रष्टाचार या घोटाले में लिप्त हों तो उस देश का चपरासी तक भ्रष्ट हो जाता है. भारत इस दुर्दशा से गुजर चुका है. इसीलिए सरकारी कार्यालयों में बिना घूस दिए कोई काम नहीं होता. फर्जी बिल बनाए जाते हैं. बड़े-बड़े अधिकारी कागजों पर सड़कें, पुल आदि बनाते हैं और सारा पैसा खुद खा जाते हैं. सरकारी सर्वेक्षण बताते हैं कि किसी भी योजना के लिए दिया गया 85% पैसा तो अधिकारी ही खा जाते हैं. भ्रष्टाचार : एक नियमित व्यवस्था – अब तो प्रीमियम, डोनेशन, सुविधा-शुल्क या नए-नए नामों से भ्रष्टाचार को व्यवस्था का अंग बना दिया गया है. कहने का अर्थ है कि सरकार तक ने इसे स्वीकार कर लिया है. इसलिए व्यापारियों और व्यवसायियों का भी यही ध्येय बन गया है कि ग्राहक को जितना मर्जी लूटो. कर्मचारी ने भी सोच लिया है – खूब रिश्वत लो और काम से बचो. भ्रष्टाचार : क्यों और कैसे – भ्रष्टाचार मनुष्य की बदनीयती के कारण बढ़ा और उसमें सुधार करने से ही यह ठीक होगा. समाज के नियमों का पालन करने के लिए परिवार तथा विद्यालय में संस्कार दिए जाने चाहिए. दूसरे, प्रशासन को स्वयं शुद्ध रहकर नियमों का कठोरता से पालन करना चाहिए. हर भ्रष्टाचारी को उचित दंड दिया जाना चाहिए ताकि शेष सबको बाध्य होना पड़े.प्रश्न यह है कि ऐसा कब हो पाएगा ? आज वर्षों बाद भारत में ऐसी सरकार आई है जिसके नेता और मंत्री बेदाग होकर दिन-रात कार्य कर रहे हैं. वे भ्रष्टाचार की हर खोखर को बंद कर रहे हैं. गरीबों के हिस्से का पैसा सीधे उन्हीं के खातों में डालने की व्यवस्था कर रहे हैं. काले धन वालों पर नकेल कस रहे हैं. लेकिन अभी शुरुआत है एक संभावना जगी है. यदि यह सरकार इसी इरादे से 10 – 15 साल काम करती रही तो भ्रष्टाचार-रहित होना एक संस्कार बन सकता है. देखते हैं, आगे क्या होता है.

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भ्रष्टाचार की समस्या पर निबंध | Essay On Corruption In Hindi

इस लेख Essay On Corruption In Hindi में भ्रष्टाचार पर निबंध (Bhrashtachar Par Nibandh In HIndi) दिया गया है। भ्रष्टाचार एक दीमक की तरह होता है जो किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को खत्म कर सकता है। भारत देश में भी भ्रष्टाचार अपनी जड़ें फैला चुका है। इस खतरनाक रोग को जड़ सहित खत्म करने की जरूरत है। भ्रष्टाचार की समस्या पर निबंध ( Bhrashtachar Essay In Hindi ) में भ्रष्टाचार क्या है? कारण, प्रभाव और निवारण की चर्चा करेंगे।

भ्रष्टाचार पर निबंध – Essay On Corruption In Hindi

भ्रष्टाचार ( Corruption ) का अर्थ बुरा आचरण है। किसी भी व्यक्ति विशेष के साथ गलत व्यवहार या अनैतिक आचरण भ्रष्टाचार कहलाता है। आम भाषा में भ्रष्टाचार रिश्वत लेने को कहते है। कोई भी कर्मचारी, अफसर, नेता चाहे वो प्राइवेट हो या सरकारी किसी से भी किसी कार्य के बदले अनुचित लाभ लेने की कोशिश करता है तो यह भ्रष्टाचार में आता है।

किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार करने वाला व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता है। वह किसी भी बड़े या छोटे पद पर बैठा व्यक्ति हो सकता है। हर देश की एक कानून व्यवस्था है जो वहां के संविधान के तहत होती है। कानून के नियमो को ताक पर रखकर लालचवश बुरे लोग भ्रष्टाचार करते है। अपने निजी स्वार्थ की खातिर लोग रिश्वत लेते है। अनुचित लाभ के लिए देश को आर्थिक नुकसान देना बुरे लोगो का काम होता है।

भ्रष्टाचार का डरावना स्वरूप वर्तमान में खतरनाक स्थिति में है। पुराने समय में भी भ्रष्टाचार था लेकिन आज यह गहराई तक जा चुका है। कर्मचारी अपने पद का दुरुपयोग अपने निजी स्वार्थ के लिए करता है। ऐसे लोग चंद रुपयों के खातिर अपना इमान बेचा करते है। भ्रष्टाचारी व्यक्ति के लिए उचित शब्द देशद्रोही है क्योंकि भ्रष्टाचार किसी भी देशद्रोह से कम नही है।

भ्रष्टाचार की समस्या पर निबंध (Bhrashtachar Essay)

Essay On Corruption In Hindi – आये दिन अखबारों और न्यूज़ चैनल पर भ्रष्टाचार के घोटालों की खबरे आती रहती है। इन खबरों को सुनकर ईमानदार व्यक्ति को गुस्सा आता है। ईमानदार टैक्स चुकाने वाले लोग इन घोटालों से दुखी होते है। आम नागरिक को कई कामों के लिए मजबूरन रिश्वत देनी होती है। सरकार से आम लोगों के विकास के लिए जो धन आता है वो 1 रुपया का 10 पैंसा भी नहीं लगता है। इसमें राजनेता से लेकर अफसर तक कई लोग भ्रष्टाचार करते है।

भ्रष्टाचार के कारण Causes Of Corruption In Hindi

1. भ्रष्टाचार ( Corruption ) का सबसे बड़ा कारण मनुष्य प्रवर्ती है। लालच में आकर इंसान भ्रष्टाचार करता है। सरकारी पद पर बैठा हुआ व्यक्ति अधिक धन के लालच में आकर रिश्वत लेता है, किसी भी सरकारी काम में घपला करता है।

2. आर्थिक असमानता भी भ्रष्टाचार का एक मुख्य कारण है। भाई भतीजावाद में आकर इंसान भ्रष्टाचार करता है। कई सरकारी टेंडर अफसर या नेता अपने करीबियों को देता है।

3. बुरा व्यक्ति बुराई को ही जन्म देता है। इसलिए जो बुरे है वो भ्रष्टाचार करते है। रिश्वत लेते है और बिना पैंसे के कोई काम नही करते है। बेईमान व्यक्ति भ्रष्टाचार का दीमक है।

4. भ्रष्टाचार का एक बड़ा कारण हम स्वयं है। हम भी अपना कोई काम निकलाने के लिए रिश्वत देते है। भ्रष्टाचार में हम भी भागीदार है। वैसे सभी लोग बुरे नही है।

5. परीक्षा होने से पूर्व ही पेपर लीक होने की घटनाएं आम है। अफसर या शिक्षा विभाग में किसी भी पद पर बैठा व्यक्ति पेंसो के लालच में आकर पेपर बेच देता है। नौकरी पाने के लिए अधिकारियों को रिश्वत देना आम बात है।

6. किसी भी इंजिनीरिंग कॉलेज, एमबीबीएस कॉलेज या किसी भी बड़े नामी कॉलेज में सीट पाने के लिए रिश्वत दी जाती है। योग्यता वाले विद्यार्थी अच्छे कॉलेज में सीट पाने से वंचित रह जाते है।

7. धनवान व्यक्ति अपनी कमाई सरकार से छिपाता है और टैक्स चोरी करता है। कालाधन एकत्र करके देश का नुकसान करता है।

8. भ्रष्टाचार का एक कारण कालाबाजारी भी है। यह सरकार की नजर से छुपकर किया गया काम होता है। बेईमान लोग प्याज, दाल इत्यादि दैनिक वस्तुओं का स्टोरेज करते है जिससे बाजार में इनकी कमी हो जाती है। इसकी वजह से इन जरूरत की चीजों के भाव बढ़ते है। कालाबाजारी करने वाले इन चीजों को उच्च दामों पर आम लोगो को बेचते है।

भ्रष्टाचार के प्रभाव Effects Of Corruption In Hindi

Essay On Corruption In Hindi (भ्रष्टाचार पर निबंध) में आगे भ्रष्टाचार के प्रभाव बताये गए है।

1. भ्रष्टाचार का प्रभाव पूरे देश में है। देश की नींव को खोखला करने का काम भ्रष्टाचार नामक दीमक ने किया है। गरीब और गरीब हो रहा है और अमीर और अमीर।

2. भ्रष्टाचार हर क्षेत्र और हर जगह है। चाहे कोई सरकारी दफ्तर हो या प्राइवेट कंपनी हो, भ्रष्टाचार ने अपनी जड़ें चारो तरफ फैलाई हुई है।

3. न्याय क्षेत्र, कार्य क्षेत्र, राजनीति , बिज़नेस लगभग सारी जगह भ्रष्टाचार व्याप्त है। पुलिस वाला रिश्वत लेता है, सरकारी दफ्तर में बैठा बाबू रिश्वत लेता है, नेता रिश्वत लेते है, जो भी व्यक्ति किसी पद पर होता है वो काम करने का रिश्वत लेता है।

4. भ्रष्टाचार से देश की आर्थिक प्रगति बाधित होती है। भ्रष्टाचारी व्यक्ति देश की अर्थव्यवस्था को चोंट पहुँचाता है। बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं भ्रष्टाचार के कारण ही आम लोगो तक सुचारू रूप से नही पहुँच पाती है।

5. सड़क का टेंडर हो, स्कूल या अस्पताल बनाना हो या आर्थिक विकास का कोई भी काम करना हो, ये नेता लोग और अफसर भ्रष्टाचार करते है। ब्रिज, बिल्डिंग गिरने की कई खबरे अखबारों और न्यूज़ चैनल पर आती रहती है। ठेकेदार लोग भ्रष्टाचार करके सस्ता और लोकल माल लगाते है जिससे इस तरह के हादसे होते है।

6. भ्रष्टाचार (Corruption) से देश की साख को नुकसान होता है। दुनिया में देश की छवि धूमिल होती है। एक ईमानदार नागरिक देश को महान बनाता है और बेईमान देश की छवि खराब करता है।

7. एग्जाम के पेपर लीक होने से नाकाबिल लोग सेलेक्ट हो जाते है और काबिल पीछे रह जाते है। भ्रष्टाचार के कारण शिक्षा का क्षेत्र पिछड़ता है।

8. भ्रष्टाचार से कालाबाजारी पनपती है और कालाबाजारी से महंगाई आती है। वस्तुओं के महंगा होने का मुख्य कारण कालाबाजारी है।

9. आम लोगो तक मिलावटी समान आते है। मिलावट का गोरखधंधा करने वाले लोग दूध, घी, तेल जैसे खाद्य प्रदार्थो में मिलावट करते है। इससे हमारे स्वास्थ्य और जेब पर प्रभाव पड़ता है। चंद रुपय ज्यादा कमाने के चक्कर में लोग बेईमान हो जाते है।

10. भारत देश में गरीबी और भुखमरी का कारण भ्रष्टाचार है। गरीब लोगों तक सरकारी योजनाओं का पैंसा नही पहुँच पाता है। योजनाओं का पैंसा भ्रष्टाचारी खा जाते है।

11. न्यायालय भी भ्रष्टाचार के इस दानव से अछूता नही है। भ्रष्टाचार के मामले में पकड़ा गया व्यक्ति जजों को रिश्वत देकर छूट जाता है। रिश्वत की शिकायत करने वाला न्यायालय पर भरोसा करता है। अगर यहाँ भी इंसाफ की जगह भ्रष्टाचार मिले तो ईमानदार व्यक्ति क्या करे।

भ्रष्टाचार का निवारण (How To Stop Corruption)

1. भ्रष्टाचार  (Corruption) रोकने के लिए भारत सरकार ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 बनाया हुआ है। इसके तहत सरकारी पद पर बैठा कोई भी व्यक्ति जो भ्रष्टाचार सबन्धी किसी भी मामले में लिप्त है, उसे सजा देने का प्रवाधान है।

2. भ्रष्टाचार के निवारण का सबसे अच्छा उपाय ईमानदारी है। देश के प्रति ईमानदार व्यक्ति सिस्टम को भ्रष्टाचार मुक्त कर सकता है। बेईमानी को ईमानदारी से ही मिटाया जा सकता है।

3. भ्रष्टाचार के मामले में सख्त कानून होना चाहिए। कोर्ट में मामले की तुरन्त सुनवाई जरूरी है। भारत की अदालतों में भ्रष्टाचार के कई मामले लंबित है जिनकी वर्षों से सुनवाई हो रही है लेकिन सजा का प्रतिशत बहुत कम है। लंबी सुनवाई के बाद सबूतों के अभाव में भ्रष्टाचारी छूट जाता है।

4. बेईमान लोगो में कानून का डर होना चाहिए। भ्रष्टाचार करते हुए उनको भारत के कानून का खौफ होना जरूरी है। रिश्वत लेते समय जेल जाने का डर होना आवश्यक है।

5. हम भारतीयों को ईमानदार सांसद, विधायक, पार्षद, सरपंच चुनना होगा। एक ईमानदार व्यक्ति ही भ्रष्टाचार को रोक सकता है। बेईमान लोगो को उच्च पदों पर जाने से रोकना होगा।

6. शिक्षा से भी भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जा सकती है। एक शिक्षित व्यक्ति अच्छे और बुरे का फर्क कर सकता है। भ्रष्टाचारियों को समाज से बाहर करना चाहिए। सामाजिक जागरूकता जरूरी है।

7. भ्रष्टाचार ( Corruption ) को खत्म करना बहुत मुश्किल है लेकिन इसे कम किया जा सकता है। कर्मचारियों का वेतन बढ़ाकर भी भ्रष्टाचार पर एक हद तक रोक लगाई जा सकती है। वैसे भ्रष्टाचार एक आदत हो गयी है जो ईमान खराब कर देती है। इसे खत्म करने का सबसे अच्छा उपाय सख्त कानून है।

भ्रष्टाचार पर निबंध – Bhrashtachar Essay In Hindi

Essay On Corruption In Hindi – लोग कहते है कि देश को बड़े लोग चला रहे है लेकिन ऐसा नही है। भारत देश को ईमानदार लोग चला रहे है, तभी भारत देश बना हुआ है। आज भी सिस्टम में ईमानदार देशभक्त मौजूद है जो देश के बारे में अच्छा सोचते है। भ्रष्टाचार कालाधन को बढ़ावा देता है। बेईमान लोग भ्रष्टाचार से कमाए हुए धन को विदेशी बैंकों में छिपाकर रखते है। एक अनुमान के मुताबिक लाखो अरबों डॉलर का कालाधन स्विस बैंकों में मौजूद है। भारत को दुनिया में नम्बर 1 बनाना है तो भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाना होगा।

इस पोस्ट Essay On Corruption In Hindi में भ्रष्टाचार की समस्या पर निबंध (Bhrashtachar Par Nibandh In Hindi) आपको कैसा लगा? भ्रष्टाचार के कारण, प्रभाव और निवारण (Causes, Effects, Solution Of Corruption) पर आपके विचारो को कमेंट में व्यक्त करे। यह पोस्ट “Bhrashtachar Essay In Hindi” पसंद आयी हो तो इसे शेयर भी करे।

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सामाजिक जीवन में भ्रष्टाचार पर निबंध | Essay on Corruption In Social Life in Hindi

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Essay on Corruption In Social Life in Hindi

सामाजिक जीवन में भ्रष्टाचार पर निबंध | Essay on Corruption In Social Life in Hindi

400 शब्दों में भ्रष्टाचार पर निबंध

दुनिया के अधिकतर देशों में भ्रष्टाचार की समस्या देखी हीं जाती है परंतु हमारे भारत देश में भ्रष्टाचार की समस्या बहुत ही विकराल है, क्योंकि इसकी जड़ें इतनी गहरी है कि कोई भी इंसान इसकी चपेट में आए बिना रह नहीं पाता है। 

यहां तक कि भ्रष्टाचार बढ़ने का एक कारण यह भी है कि जो भ्रष्टाचारी होता है उसे पता होता है कि अगर वह भ्रष्टाचार में पकड़ा भी जाता है, तो ज्यादा से ज्यादा क्या होगा उसे सस्पेंड कर दिया जाएगा बस इसके अलावा कुछ नहीं होगा और कुछ महीने या फिर साल के बाद उसे फिर बहाल कर दिया जाएगा। इसलिए भ्रष्टाचारी भ्रष्टाचार करने से बाज नहीं आता है।

भारत में सबसे भ्रष्ट सरकारी काम करने वाले कर्मचारी होते हैं। यह होते तो सरकारी कर्मचारी है परंतु पैसे जनता से लेते हैं और अक्सर सरकारी कर्मचारी के द्वारा घूस लेने की बात अखबारों और टीवी में आती रहती है।

इनका सबसे अधिक शिकार सामान्य जनता ही होती है क्योंकि उन्हें लगता है कि सामान्य जनता की पकड़ ऊपर तक नहीं है इसलिए इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होगी।

हालांकि कभी कबार कुछ भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ अगर ठोस सबूत होते हैं तो कार्रवाई भी होती है परंतु फिर भी भ्रष्टाचार का सिलसिला बदस्तूर जारी रहता है।

यहां तक की नेताओं में भ्रष्टाचार खूब जोर शोर से चलता है। ग्राम प्रधान से लेकर के पटवारी, लेखपाल सभी भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैं। सभी किसी न किसी प्रकार से भ्रष्टाचार करके काली कमाई अर्जित करने का प्रयास करते हैं जिसमें बहुत सारे लोग सफल भी हो जाते हैं।

भ्रष्टाचार का प्रवाह ऊपर से चालू होकर के नीचे की ओर आता है जहां कोई उच्च अधिकारी भ्रष्टाचारी होता है तो वहीं उसके नीचे के अधिकारी भी भ्रष्टाचार में लिप्त होते हैं।

नीचे का अधिकारी भ्रष्टाचार करके उसमें से अपना हिस्सा निकालकर के बाकी बचा हुआ हिस्सा ऊपर के कर्मचारी तक पहुंचाता है। इस प्रकार उस लाइन से जुड़ा हुआ हर कर्मचारी भ्रष्टाचारी होता है।

सामान्य जनता का गवर्नमेंट ऑफिस में कोई भी काम बिना घूस दिए हुए संभव नहीं हो पाता है। फर्जी बिल भी बनाए जाते हैं ताकि गवर्नमेंट के पैसे का गबन किया जा सके।

ठेकेदार ठेका प्राप्त करके घटिया सामग्री से पुल और सड़कें बनाता है और बाकी पैसे डकार जाता है। सरकारी सर्वेक्षण भी इस बात को बताता है कि गवर्नमेंट के द्वारा दिया जाने वाला पैसा सही कामों में काफी कम‌ ही इस्तेमाल हो पाता है, उसे बीच में ही बैठे सरकारी अधिकारी बंदरबांट करके आपस में मिल बांट लेते हैं।

प्रस्तावना- आज देश में भ्रष्टाचार सबसे ज्वलंत और व्यापक समस्या बना हुआ हैं. इस संक्रामक बिमारी के नित्य नये मरीज सामने आ रहे हैं. जिस देश की ख्याति कभी सदाचार के लिए थी. आज वह भ्रष्टाचार के क्षेत्र में नये नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा हैं.

भ्रष्टाचार क्या है- सत्य, प्रेम, अहिंसा, धैर्य, क्षमा, अक्रोध, विनय, दया, अस्तेय, शूरता आदि गुण प्रत्येक समाज में सम्मान की दृष्टि से देखे जाते है.

जो व्यक्ति इनमें से यथासम्भव अधिकाधिक गुणों को आचरण में उतारता हैं, वही सदाचारी हैं. इन गुणों की अपेक्षा करना या उनके विरोधी दुर्गुणों को अपनाना ही आचरण से श्रेष्ट होना अर्थात भ्रष्टाचार हैं.

भ्रष्टाचार के विविध रूप – आज भ्रष्टाचार ने देश के हर वर्ग और क्षेत्र को ग्रसित कर रखा है. चाहे शिक्षा हो चाहे धर्मचाहे व्यवसाय हो, चाहे राजनीति यहाँ तक कि कला और विज्ञान भी इस घ्रणित व्याधि से मुक्त नहीं हैं. सरकारी कार्यालयों में जाइए तो बिना सुविधा शुल्क के आपका काम नहीं होगा.

न्यायालयों में न्याय भी बिकने लगा हैं. धार्मिक क्षेत्र में पाखंड और प्रदर्शन का बोलबाला पूंजी निवेश के नाम पर उपभोक्ता के निर्मम शोषण को वैध रूप दिया जाना आदि व्यावसायिक भ्रष्टाचार के ही बदले हुए स्वरूप हैं.

राजनीतिक भ्रष्टाचार ने तो देश में बड़े बड़े कीर्तिमान स्थापित किये हैं. सन 1962 में जीप खरीद काण्ड से प्रारम्भ हुए भ्रष्टाचार की कीर्ति  कथा  केतन  देसाई और आईपीएल क्रिकेट तक अक्षुण्य चली आई हैं.

राजनीतिक भ्रष्टाचार के नये नये चमत्कार सामने आना जारी हैं. कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला, टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला आदर्श सहकारी समिति घोटाला, कोयला आवंटन में घोटाला की कथा, विकलांगों के ट्रस्ट में बेईमानी आदि. इस उपलक्ष्य में अनेक राजा, राजकुमारी, दरबारी, पदाधिकारी, कार्पोरेट और व्यापारी तिहाड़ तपोवन में एकांत आत्मचिन्तन के लिए भेजे जा चुके हैं.

काला धन- भ्रष्टाचार विदेशी पूंजी निवेश की देन हैं. इसी से काला धन पैदा होता हैं, जिस पूंजी का बैंकों के माध्यम से लेन देन नहीं होता तथा जिस पर देय कर अदा नहीं किया जाता, उसक काला धन कहते हैं.

इसमें कमीशन, रिश्वत भेंट आदि सम्मिलित हैं जो विधि विरुद्ध तरीके से पूंजीपतियों को लाभ पहुचाने के कारण राजनेताओं तथा सरकारी अफसरों को प्राप्त होते हैं.

भ्रष्टाचार का प्रभाव- आज जीवन के हर क्षेत्र में विश्वसनीयता का संकट छाया हुआ हैं. लगता है हमने भ्रष्टाचार को सामान्य व्यवहार का अंग मान लिया हैं.

भीड़ अंधों की खड़ी खुश रेबडी खाती अँधेरे के इशारों पर नाचती गाती

जब शीर्षस्थ लोग भ्रष्ट होगे तो सामान्य व्यक्ति का तो कहना ही क्या हैं. जब देश का कोई भी भेद बिक सकता हैं. कोई भी अधिकारी बिक सकता हैं तो एक दिन देश भी बिक सकता हैं.

विदेशी शक्तियाँ देश को अपने अर्थ बल से गुलाम बनाना चाहती हैं. वे भ्रष्टाचार के संधि द्वार से भारत पर अपना आर्थिक साम्राज्य स्थापित करने में सफल हो सकती हैं.

निवारण के उपाय- भ्रष्टाचार की इस बाढ़ से जनजीवन की रक्षा केवल चारित्रिक दृढता ही कर सकती हैं. समाज और देश के व्यापक हित में जब व्यक्ति अपने नैतिक उत्तरदायित्व का अनुभव के तो उसका पालन करे तभी भ्रष्टाचार का विनाश हो सकता हैं. कुछ अन्य उपाय हैं.

भ्रष्ट राजनीतिज्ञों को कठोरतम दंड दिया जाए, न्यायपालिका को व्यवस्थापिका का पूर्ण समर्थन प्राप्त हो. न्यायपालिका स्वतंत्र रूप से कार्य करती रहे, प्रशासन के हर क्षेत्र में शुचिता और पारदर्शिता हो.

उपसंहार- भारतीय जन जीवन के हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार की उपस्थिति देखकर ऐसा लगता हैं कि सरकार  और  जनता  अब भ्रष्टाचार के साथ जीने की अभ्यस्त हो गई हैं. यदपि न्यायपालिका की सक्रियता ने भ्रष्टाचार पर प्रहार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं.

किन्तु भ्रष्टाचार का सीधा सम्बन्ध मनुष्य के चरित्र और संस्कारो से होता हैं. जब तक चरित्रनिष्ठ लोग देश का और समाज का नेतृत्व नहीं करेगे.

तब तक लोकपाल भी लोकतंत्र को भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं कर पाएगे. इससे मुक्ति के लिए लोगों को त्याग बलिदान तथा कठोर संघर्ष के लिए तत्पर रहना होगा.

वक्त की तकदीर स्याही से लिखी नहीं जाती खून की कलमें डुबाने का जमाना आ गया हैं.

  • भ्रष्टाचार क्या है अर्थ परिणाम प्रभाव व रोकने के उपाय
  • भ्रष्टाचार पर सुविचार अनमोल वचन नारे
  • भ्रष्टाचार पर निबंध
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Hindi Essay on “Bhrashtachar – Samasya aur Samadhan”, “भ्रष्टाचार : समस्या और समाधान ”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

भ्रष्टाचार : समस्या और समाधान

Bhrashtachar – Samasya aur Samadhan

भ्रष्टाचार शब्द के योग में दो शब्द हैं, भ्रष्ट और आचार । भ्रष्ट का अर्थ है बुरा या बिगड़ा हुआ और आचार का अर्थ है आचरण । भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ हुआ—वह आचरण जो किसी प्रकार से अनैतिक और अनुचित है।

हमारे देश में भ्रष्टाचार दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। यह हमारे समाज और राष्ट्र के सभी अंगों को बहुत ही गंभीरतापूर्वक प्रभावित किए जा रहा है। राजनीति, समाज, धर्म, संस्कृति, साहित्य, दर्शन, व्यापार, उद्योग,

कला, प्रशासन आदि में भ्रष्टाचार की पैठ आज इलनी अधिक हो चुकी है कि इससे मुक्ति मिलना बहुत कठिन लग रहा है। चारों ओर दुराचार, व्यभिचार, बलात्कार, अनाचार आदि सभी कुछ भ्रष्टाचार के ही प्रतीक हैं। इन्हें हम अलग-अलग नामों से तो जानते हैं लेकिन वास्तव में ये सब भ्रष्टाचार की जड़े ही हैं। इसलिए भ्रष्टाचार के कई नाम-रूप तो हो गए हैं, लेकिन उनके कार्य और प्रभाव लगभग समान हैं या एक-दूसरे से बहुत ही मिलते-जुलते हैं।

भ्रष्टाचार के कारण क्या हो सकते हैं। यह सर्वविदित है। भ्रष्टाचार के मुख्य कारणों में व्यापक असंतोष पहला कारण है। जब किसी को कुछ अभाव होता है। और उसे वह अधिक कष्ट देता है, तो वह भ्रष्ट आचरण करने के लिए विवश हो जाता है। भ्रष्टाचार का दूसरा कारण स्वार्थ सहित परस्पर असमानता है। यह असमानता चाहे आर्थिक हो, सामाजिक हो या सम्मान पद-प्रतिष्ठ आदि में जो भी हो। जब एक व्यक्ति के मन में दूसरे के प्रति हीनता और ईष्य की भावना उत्पन्न होती है, तो इससे शिकार हुआ व्यक्ति भ्रष्टाचार को अपनाने के लिए बाध्य हो जाता है। अन्याय और निष्पक्षता के अभाव में भी भ्रष्टाचार का जन्म होता है। जब प्रशासन या समाज किसी व्यक्ति या वर्ग के प्रति अन्याय करता है, उसके प्रति निष्पक्ष नहीं हो पाता है, तब इससे प्रभावित हुआ व्यक्ति या वर्ग अपनी दुर्भावना को भ्रष्टाचार को उत्पन्न करने में लगा देता है। इसी तरह से जातीयता, साम्प्रदायिकता, क्षेत्रीयता, भाषावाद, भाई-भतीजावाद आदि के फलस्वरुप भष्टाचार का जन्म होता है। इससे चोर बाजारी, सीनाजोरी दलबदल, रिश्वतखोरी आदि अव्यवस्थाएँ प्रकट होती हैं।

भ्रष्टाचार के कुपरिणामस्वरूप समाज और राष्ट्र में व्यापक रूप से असमानता और अव्यवस्था का उदय होता है। इससे ठीक प्रकार से कोई कार्य पद्धति चल. नहीं पाती है और सबके अन्दर भय, आक्रोश और चिंता की लहरें उठने लगती हैं। असमानता का मख्य प्रभाव यह भी होता है कि यदि एक व्यक्ति या वर्ग बहस प्रसन्न है, तो दूसरा व्यक्ति या वर्ग बहुत ही निराश और दुःखी है। भ्रष्टाचार के वातावरण में ईमानदारी और सत्यता तो छूमन्तर की तरह गायब हो जाते हैं। इनके स्थान पर केवल बेईमानी और कपट का प्रचार और प्रसार हो जाता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि भ्रष्टाचार का केवल दुष्प्रभाव ही होता है इसे दूर करना एक बड़ी चुनौती होती है। भ्रष्टाचार के द्वारा केवल दुष्प्रवृत्तियों और दुश्चरित्रता को ही बढ़ावा मिलता है। इससे सच्चरित्रता और सद्प्रवृत्ति की जड़ें समाप्त होने लगती हैं। यही कारण है कि भ्रष्टाचार की राजनैतिक, आर्थिक, व्यापारिक, प्रशासनिक और धार्मिक जड़े इतनी गहरी और मजबूत हो गई हैं कि इन्हें उखाड़ना और इनके स्थान पर साफ-सुथरा वातावरण का निर्माण करना आज प्रत्येक राष्ट्र के लिए लोहे के चने चबाने के समान कठिन हो रहा है।

नकली माल बेचना, खरीदना, वस्तुओं में मिलावट करते जाना, धर्म का नाम ले-लेकर अधर्म का आश्रय ग्रहण करना, कुर्सीपाद का समर्थन करते हुए इस दल से उस दल में आना-जाना, दोषी और अपराधी तत्त्वों को घूस लेकर छोड़ देना और । रिश्वत लेने के लिए निरपराधी तत्वों को गिरफ्तार करना, किसी पद के लिए एक निश्चित सीमा का निर्धारण करके रिश्वत लेना, पैसे के मोह और आकर्षण के कारण हाय-हत्या, प्रदर्शन, लूट-पाट-चोरी कालाबाजारी, तस्करी आदि सब कुछ भ्रष्टाचार के मुख्य कारण हैं।

भ्रष्टाचार की जड़ों को उखाड़ने के लिए सबसे पहले यह आवश्यक है कि हम इसके दोषी तत्त्वों को ऐसी कड़ी-से-कड़ी सजा दें कि दूसरा भ्रष्टाचारी फिर सिर न उठा सके। इसके लिए सबसे सार्थक और सही कदम होगा। प्रशासन को सख्त और चुस्त बनना होगा। न केवल सरकार अपितु सभी सामाजिक और धार्मिक संस्थाएँ, समाज और राष्ट्र के ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ सच्चे सेवकों, मानवता एवं नातकता के पुजारियों को प्रोत्साहन और पारितोषिक दे-देकर भ्रष्टाचारियों के हीन मनोबल को तोड़ना चाहिए। इससे सच्चाई, कर्त्तव्यपरायणता और कर्मठता की वह दिव्य ज्योति जल सकेगी। जो भ्रष्टाचार के अंधकार को समाप्त करके सुन्दर प्रकाश करने में समर्थ सिद्ध होगी।

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भ्रष्टाचार पर हिंदी में निबंध – Bhrashtachar Par Nibandh In Hindi

इस पोस्ट में आपको भ्रष्टाचार पर निबंध ( Bhrashtachar Par Nibandh ) पढ़ने को मिलेंगे| इस लेख में हमने भ्रष्टाचार पर तीन निबंध दिए हैं जिनमे एक 100 से अधिक शब्दों में, एक 200 शब्दों में तथा भ्रष्टाचार पर एक निबंध 500 शब्दों में दिया गया है|

ये सभी निबंध सभी कक्षाओं के बच्चों के लिए बहुत उपयोगी है| आशा करता हूँ आपको हमारी यह पोस्ट काफी पसंद आएगी|

भारत में भ्रष्टाचार पर निबंध 100 शब्दों में – Bhrashtachar Par Nibandh

एक समय था जब गांधीजी कहते थे “मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है। सत्य मेरा भगवान है और अहिंसा उसे साकार करने का एक साधन है।” उस समय में ये हमारे राजनीतिक नेताओं के सिद्धांत थे। आज जो अधिक आश्चर्यजनक है वह यह है कि 177 देशों के बीच भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में भारत को 94 वां स्थान दिया गया है।

जबकि भारत महाशक्ति बनने की दहलीज पर है। देश की प्रगति देश के कुछ भ्रष्ट लोगों के कारण रुक जाती है। Bhrashtachar घूसखोरी के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है जिसका अर्थ है किसी अवैध कार्य के लिए लाभ देना या लेना। भारतीय समाज के हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार शामिल है। Bhrashtachar एक कैंसर है जो किसी विशेष राजनीतिक दल तक सीमित नहीं है। यह पूरे समाज को संक्रमित करता है।

Bhrashtachar Par Nibandh

इसे भी पढ़ें : बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना पर निबंध

भ्रष्टाचार पर लघु निबंध – Bhrashtachar Essay 200 Words

नीचे हमने भ्रष्टाचार पर लघु निबंध ( Bhrashtachar Short Essay In Hindi ) दिया है यह निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5 और 6 के लिए है।

भ्रष्टाचार एक बहुत ही भयानक बीमारी है। भ्रष्टाचार के कारण बहुत से अवैध कार्य होते हैं जिनका नतीजा भी बहुत भयानक हो सकता है। लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम जनवरी 2014 में कुछ सार्वजनिक अधिकारियों के खिलाफ Bhrashtachar के आरोपों की जांच के लिए लागू किये गए।

सूचना का अधिकार (2005) अधिनियम, जिसके तहत सरकारी अधिकारियों को नागरिकों द्वारा मांगी गई जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता होती है, ने कुछ क्षेत्रों में भ्रष्टाचार को कम किया है। आज के समय में मीडिया की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

मीडिया घोटालों और अपराधों को उजागर करके Bhrashtachar को खत्म करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जिससे नागरिकों को जागृत किया जा सकता है। शीघ्र न्याय के लिए अधिक से अधिक न्यायालय खोले जाने चाहिए। लोकपाल और सतर्कता आयोग अधिक शक्तिशाली और स्वतंत्र प्रकृति के होने चाहिए ताकि शीघ्र न्याय प्रदान किया जा सके।

भारत के पास एक विकसित राष्ट्र होने की हर क्षमता, प्रतिभा और संसाधन है, बस यहाँ कुछ सुधार और आवश्यक हैं। एक फिल्म ‘नायक’ में भी इस विचार पर जोर दिया गया था जिसमें शीर्ष राजनीतिक पद पर एक व्यक्ति भ्रष्ट था, उसने अपनी पूरी पार्टी को भ्रष्ट लोगों से भर दिया। जबकि सही इरादे वाले एक अन्य व्यक्ति ने न केवल भ्रष्टाचार को मिटाया, बल्कि अपने राज्य के पूरे चेहरे और भाग्य को बदल दिया।

इसे भी पढ़ें : प्रदूषण पर हिंदी निबंध

भ्रष्टाचार पर निबंध – Corruption Essay In Hindi 500 Words

भ्रष्टाचार का मतलब ( Bhrashtachar Ka Matlab ) बेईमानी या किसी प्रकार की आपराधिक गतिविधि होता है। यह एक व्यक्ति या एक समूह द्वारा एक दुष्ट कार्य का वर्णन करता है। सबसे उल्लेखनीय, यह अधिनियम दूसरों के अधिकारों और विशेषाधिकारों से समझौता करता है। इसके अलावा, भ्रष्टाचार में मुख्य रूप से रिश्वतखोरी या गबन जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं।

हालाँकि, भ्रष्टाचार कई तरीकों से हो सकता है। सबसे ज्यादा शायद, प्राधिकरण के पदों पर बैठे लोग भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। Bhrashtachar निश्चित रूप से लालची और स्वार्थी व्यवहार को दर्शाता है।

भ्रष्टाचार के तरीके – Bhrashtachar Ke Tarike

Bhrashtachar का सबसे पहला और मुख्य तरीका है रिश्वत। यह भ्रष्टाचार का सबसे आम तरीका है। रिश्वत में व्यक्तिगत लाभ के बदले एहसान और उपहारों का उपयोग भी शामिल है। इसके अलावा, एहसान के अनेक प्रकार होते हैं। जैसेकि पैसा, उपहार, कंपनी के शेयर, यौन एहसान, रोजगार, मनोरंजन और राजनीतिक लाभ शामिल हैं।

इसके अलावा, व्यक्तिगत लाभ हो सकता है – अधिमान्य उपचार देना और अपराध को नजरअंदाज करना। इसके अलावा, यह एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा होता है जिन्हें किसी प्रकार के कार्य को सौंपा गया था और वे अपना कार्य ईमानदारी से नहीं करते। इन सबसे ऊपर, गबन वित्तीय धोखाधड़ी का एक प्रकार है।

सबसे उल्लेखनीय है कि यह व्यक्तिगत लाभ के लिए एक राजनेता के अधिकारों का गलत उपयोग करता है। इसके अलावा, भ्रष्टाचार के लिए एक लोकप्रिय तरीका राजनेताओं के लाभ के लिए सार्वजनिक धन का गलत तरीके से उपयोग करना है। जबरन वसूली Bhrashtachar का एक और प्रमुख तरीका है। इसका मतलब अवैध रूप से संपत्ति, धन या सेवाएं प्राप्त करना है।

अनुकूलता और भाई-भतीजावाद अभी भी उपयोग में है यह भ्रष्टाचार का एक पुराना रूप है। यह एक व्यक्ति के अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को इंगित करता है। यह निश्चित रूप से एक बहुत ही अनुचित प्रथा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई योग्य उम्मीदवार नौकरी पाने में असफल होते हैं और किसी के रिश्तेदार या दोस्त वो नोकरी पा लेते हैं जबकि वे इसके योग्य भी नहीं होते तथा योग्य उम्मीदवार नोकरी से वंचित रह जाता है।

अधिकारों या शक्ति का दुरुपयोग Bhrashtachar का एक और तरीका है। यहाँ एक व्यक्ति अपनी पावर और अधिकारों का दुरुपयोग करता है। उदाहरण के लिए किसी न्यायाधीश द्वारा किसी आपराधिक मामले एक गुनहगार व्यक्ति को जानबूझकर सजा ना देना।

इसे भी पढ़ें : बाल दिवस पर निबंध हिंदी में

भ्रष्टाचार को रोकने के तरीके – Bhrashtachar Rokne Ke Upay

Bhrashtachar को रोकने का एक महत्वपूर्ण तरीका सरकारी नौकरी में बेहतर वेतन देना है। कई सरकारी कर्मचारियों को बहुत कम वेतन मिलता है। इसलिए, वे अपने खर्चों को पूरा करने के लिए रिश्वतखोरी का सहारा लेते हैं। तो, सरकारी कर्मचारियों को उच्च वेतन मिलना चाहिए। उच्च वेतन उनकी भ्रष्टाचार की प्रेरणा को कम कर देगा और रिश्वत न लेने का संकल्प करेगा।

श्रमिकों की संख्या बढ़ाना भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का एक और उपयुक्त तरीका हो सकता है। कई सरकारी कार्यालयों में, कार्यभार बहुत अधिक होता है। यह सरकारी कर्मचारियों द्वारा काम को धीमा करने का मुख्य कारण होता है। नतीजा यह होता है कि ये कर्मचारी काम को तेजी से करने के बदले में रिश्वत लेते हैं। इसलिए, सरकारी कार्यालयों में अधिक कर्मचारियों को लाकर रिश्वत देने के इस कारण को कम किया जा सकता है।

Bhrashtachar को रोकने के लिए कठिन कानून बनाना बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन सबसे ऊपर, दोषी व्यक्तियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। इसके अलावा, सख्त कानूनों का एक कुशल और त्वरित कार्यान्वयन होना चाहिए। कार्यस्थलों में कैमरे लगाना भ्रष्टाचार को रोकने का एक शानदार तरीका है। कई लोग पकड़े जाने के डर से भ्रष्टाचार में लिप्त होने से बचेंगे।

सरकार को मुद्रास्फीति को कम रखना सुनिश्चित करना चाहिए। कीमतों में वृद्धि के कारण, कई लोगों को लगता है कि उनकी आय बहुत कम है और कारणवश यह जनता के बीच Bhrashtachar को बढ़ाता है। व्यवसायी अपने माल के स्टॉक को उच्च कीमतों पर बेचने के लिए कीमतें बढ़ाते हैं।

इसके अलावा, राजनेता उन्हें मिलने वाले लाभों के कारण उनका समर्थन करते हैं। भ्रष्टाचार समाज की एक बहुत बड़ी बुराई है। इस बुराई को समाज से जल्दी खत्म किया जाना चाहिए। Bhrashtachar वह जहर है जिसने इन दिनों कई व्यक्तियों के दिमाग में प्रवेश कर लिया है। उम्मीद है, लगातार राजनीतिक और सामाजिक प्रयासों के साथ, हम भ्रष्टाचार से छुटकारा पा सकते हैं।

हमें भी यह संकल्प लेना होगा कि हम ना तो रिश्वत देंगे और ना ही रिश्वत लेंगे। हमें समाज को जागरूक करने के लिए प्रयास करने चाहिए कि Bhrashtachar इस देश की जड़ों को खोखला कर रहा है।

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भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

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Corruption Essay in Hindi – भ्रष्टाचार किसी भी प्रकार के रिश्वत के बदले व्यक्तियों या समूह द्वारा किए गए किसी भी कार्य को संदर्भित करता है। भ्रष्टाचार को एक बेईमान और आपराधिक कृत्य माना जाता है। साबित होने पर, भ्रष्टाचार कानूनी दंड का कारण बन सकता है। अक्सर भ्रष्टाचार के कार्य में कुछ के अधिकार और विशेषाधिकार शामिल होते हैं। भ्रष्टाचार की सभी विशेषताओं और पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ऐसी परिभाषा खोजना बहुत कठिन है। हालांकि, राष्ट्र के जिम्मेदार नागरिक के रूप में, हम सभी को भ्रष्टाचार के सही अर्थ और उसके हर रूप में प्रकट होने के बारे में जागरूक होना चाहिए ताकि जब भी हम इसका सामना करें तो हम इसके खिलाफ आवाज उठा सकें और न्याय के लिए लड़ सकें। 

भ्रष्टाचार पर 10 लाइन निबंध

  • 1) भ्रष्टाचार लाभ कमाने का एक अनैतिक और अनुचित साधन है।
  • 2) भ्रष्टाचार देश के समान विकास के मार्ग की सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है।
  • 3) एक सर्वे के अनुसार 92% भारतीयों ने अपने जीवन में कभी न कभी किसी सरकारी अधिकारी को नौकरी में तेजी लाने या उसे पूरा करने के लिए रिश्वत दी है।
  • 4) भारत में भ्रष्टाचार व्यवस्था के हर स्तर पर है, चाहे वह सार्वजनिक क्षेत्र हो या निजी क्षेत्र।
  • 5) फोर्ब्स की 2017 में एशिया के 5 सबसे भ्रष्ट देशों की सूची में 69% रिश्वत दर के साथ भारत शीर्ष पर है।
  • 6) भ्रष्टाचार सरकार की योजनाओं और लाभों के एक बड़े हिस्से को अवशोषित करता है और लाभार्थी तक बहुत कम पहुंचता है।
  • 7) विश्व बैंक के अनुसार गरीब लोगों के लिए नियत अनाज का 40% ही उन तक पहुँचता है।
  • 8) कई निर्वाचित सांसदों या विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं; फिर भी वे चुनाव लड़ सकते हैं।
  • 9) सूचना का अधिकार अधिनियम हर स्तर पर भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए एक महान उपकरण है।
  • 10) जब तक हम सख्त कदम नहीं उठाएंगे, तब तक हम भारत से भ्रष्टाचार को दूर नहीं कर सकते।

भ्रष्टाचार पर 20 लाइन निबंध

  • 1) भ्रष्टाचार पैसा कमाने का एक बुरा तरीका है।
  • 2) यह समाज के लाभ के लिए दी गई शक्ति का दुरुपयोग है।
  • 3) लोगों का लालच भ्रष्टाचार का मुख्य कारण है।
  • 4) लोग अपने काम में तेजी लाने के लिए अधिकारियों को रिश्वत देते हैं।
  • 5) रिश्वत पैसे या उपहार के रूप में हो सकती है।
  • 6) सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
  • 7) रिश्वत लेने या देने वाले को सजा मिलनी चाहिए।
  • 8) भ्रष्टाचार देश के विकास को सीधे प्रभावित करता है।
  • 9) भ्रष्टाचार एक अपराध है, और सभी को इसके खिलाफ लड़ना चाहिए।
  • 10) आइए हम सब मिलकर शपथ लें कि हम रिश्वत नहीं देंगे और न ही लेंगे और देश के विकास में मदद करेंगे।
  • 11) भ्रष्टाचार दूसरों से अवैध लाभ प्राप्त करने का एक अनैतिक, अनैतिक और आपराधिक कृत्य है।
  • 12) उच्च पद पर आसीन व्यक्ति आमतौर पर अधिक पैसा कमाने के लिए इस कदाचार में लिप्त होता है।
  • 13) भ्रष्टाचार में, लाभ या तो मौद्रिक या किसी अन्य वस्तु जैसे संपत्ति, आभूषण, या कुछ और में होता है।
  • 14) यह कुछ लोगों द्वारा बड़े लोगों के लिए छोटे एहसान प्राप्त करने या मांगने से शुरू होता है जो किसी राष्ट्र के सामान्य कानून और व्यवस्था को प्रभावित करता है।
  • 15) यह अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर सेंध लगाता है।
  • 16) “क्षुद्र भ्रष्टाचार” एक छोटे प्रकार का भ्रष्टाचार है।
  • 17) “भव्य भ्रष्टाचार” भ्रष्टाचार का एक उच्च स्तर है जिसमें सरकारी अधिकारी अवैध रूप से भारी धन हस्तांतरित करते हैं।
  • 18) लगभग हर सरकारी क्षेत्र में अपने काम को पूरा करने के लिए भ्रष्टाचार का समर्थन करना होगा।
  • 19) निजी कंपनियों में गबन के रूप में भी भ्रष्टाचार होता है।
  • 20) भाई-भतीजावाद भी एक प्रकार का भ्रष्टाचार है जो किसी रिश्तेदार या मित्र को उच्च पद पर बढ़ावा देना या नियुक्त करना है।

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भ्रष्टाचार पर लघु निबंध 100 शब्द

भ्रष्टाचार का अर्थ उन प्रथाओं या निर्णयों से है जो कम पक्षों के लिए प्रतिकूल समाधान में परिणत होते हैं। जब नैतिक पतन होता है, और कोई भी ईमानदार मूल्यांकन आपको यह एहसास नहीं करा सकता है कि आप गलत रास्ते पर चले गए हैं, तो यह भ्रष्टाचार की ओर ले जाता है। सत्ता और धन की लालसा अक्सर भ्रष्टाचार के सामान्य कारण होते हैं। भ्रष्टाचार एक व्यक्ति को उसके चरित्र से दूर कर देता है, और इससे कर्तव्यों की क्षमता बिगड़ जाती है। विभिन्न देशों के कई राजनीतिक नेता इसमें शामिल होते हैं और यह तेजी से निचले स्तर तक भी फैलता है। महाशक्तिशाली देश भी इससे अछूते नहीं हैं।

भ्रष्टाचार पर निबंध 150 शब्द

आज कोई भी देश भ्रष्टाचार की बीमारी से अछूता नहीं है। सभी देश और हर देश इसमें अनैच्छिक रूप से भाग लेता है क्योंकि यही अविश्वसनीय सफलता और शक्ति की कुंजी है। और शक्ति धन की राशि से आती है, इसलिए लोग नैतिक रूप से खुद को नीचा दिखाते हैं और नकदी के लिए गलत दिशा में भागते हैं। सभी देशों में भ्रष्टाचार की मात्रा में अंतर हो सकता है, लेकिन यह सभी समान है।

सार्वजनिक जीवन, व्यक्तिगत जीवन, राजनीति, प्रशासन, शिक्षा और यहाँ तक कि अनुसंधान और सुरक्षा भी भ्रष्टाचार से अछूती नहीं है। शायद ही कोई अपवाद हो। अन्य देशों में भ्रष्टाचार को उचित दंड दिया जाता है, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है, क्योंकि किसी भी भ्रष्टाचार के लिए कोई विशिष्ट सजा नहीं है। भ्रष्टाचार एक ऐसा अपराध है जो जीवन को बर्बाद नहीं करता बल्कि परिवारों को भी बर्बाद करता है क्योंकि एक बार जब व्यक्ति को इसकी आदत हो जाती है तो उसे खुद के अलावा कोई नहीं रोक सकता है।

भ्रष्टाचार पर निबंध 200 शब्द

कई घोटाले ऐसे हैं जो लोगों की नजरों में तो नहीं आते लेकिन बहुत प्रभावित हुए हैं। उन्हें भ्रष्टाचार के नाम से जाना जाता है। भ्रष्टाचार विश्वासघात का एक ऐसा कार्य है जो शायद ही किसी ने या किसी स्थान को छोड़ा हो। अस्पतालों से लेकर निगमों और सरकारों तक, कुछ भी और कोई भी भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है। भ्रष्टाचार उच्च स्तरों से शुरू होता है और तेजी से निचले स्तरों तक चला जाता है, जिससे कम मेहनत और धोखा देने वाले परिणामों का माहौल बनता है।

इस बात के भी प्रमाण हैं कि राजनेताओं को ड्रग लॉर्ड्स और तस्करों द्वारा संसाधन उपलब्ध कराए गए थे, और जब उन्हें या उनके अस्तित्व को खतरा होता है, तो उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाती है, जिसके परिणामस्वरूप ज्यादातर मौत हो जाती है। यहां तक ​​कि सबसे प्रभावशाली देश भी भ्रष्टाचार से मुक्त नहीं हैं क्योंकि सत्ता और सफलता किसे पसंद नहीं होगी? और ऐसा करने का सबसे आसान तरीका है अत्यधिक धन अर्जित करना। भ्रष्टाचार उन्हें अपमानजनक प्रभाव से रोकता है। हालाँकि, भ्रष्टाचार उनकी नैतिकता या मूल्यों के पतन को नहीं रोक सकता है और यह उसी को बढ़ाता है। हममें से कोई भी कल्पना भी नहीं कर सकता है कि व्यक्तिगत संचय के लिए उनके खाते में कितना पैसा जाता है। भ्रष्टाचार अब एक ऐसा कीड़ा है जो सरकार के हर विभाग और कार्यक्षेत्र के अंदर कपटी है। भ्रष्टाचार ने अब हमारी अर्थव्यवस्था को पंगु बना दिया है, और इसके कारण हमारे कार्य अस्त-व्यस्त हो गए हैं।

भ्रष्टाचार पर निबंध 250 शब्द 300 शब्द

एक उद्धरण कहता है कि “भ्रष्टाचार से लड़कर कोई नहीं लड़ सकता” और यह पूरी तरह से सही है। भ्रष्टाचार का अर्थ है वह कार्य जो धन की लालसा या लालच से उत्पन्न होता है और अवैध कार्यों को करने के लिए किसी भी हद तक जाने की आवश्यकता होती है। भ्रष्टाचार दुनिया के हर हिस्से और देश में सक्रिय है। भ्रष्टाचार को किसी भी तरह से रोका या क्रियान्वित नहीं किया जा सकता है। इसे तभी समाप्त किया जा सकता है जब मनुष्य के हृदय में इसे रोकने की बात हो। भ्रष्टाचार के कई तरीके हैं, और सबसे आम रिश्वतखोरी है।

रिश्वत का अर्थ उस युक्ति से है जिसका उपयोग व्यक्तिगत लाभ के लिए उपकार या उपहारों का उपयोग करने के लिए किया जाता है। इसमें तरह-तरह के उपकार शामिल हैं। दूसरा गबन है जिसका अर्थ है संपत्ति को रोकना जिसका उपयोग आगे चोरी के लिए किया जा सकता है। आमतौर पर, इसमें एक या एक से अधिक व्यक्ति शामिल होते हैं जिन्हें इन संपत्तियों को सौंपा जाता है, और इसे वित्तीय धोखाधड़ी भी कहा जा सकता है। तीसरा ‘भ्रष्टाचार’ है जिसका अर्थ है व्यक्तिगत लाभ के लिए किसी राजनेता की शक्ति का अवैध उपयोग। यह ड्रग लॉर्ड्स या नारकोटिक बैरन्स द्वारा सबसे अधिक उपयोग किया जाता है।

जबरन वसूली का अर्थ है किसी संपत्ति, भूमि या संपत्ति पर अवैध रूप से दावा करना। पक्षपात या भाई-भतीजावाद भी इन दिनों पूर्ण प्रवाह में है जब केवल सत्ता में बैठे लोगों के पसंदीदा व्यक्ति या प्रत्यक्ष रिश्तेदार ही अपनी क्षमता में वृद्धि करते हैं। भ्रष्टाचार को रोकने के कई तरीके नहीं हैं, लेकिन वे मौजूद हैं।

सरकार अपने कर्मचारियों को बेहतर वेतन दे सकती है जो उनके काम के बराबर है। काम का बोझ कम करना और कर्मचारियों को बढ़ाना भी इस प्रभावशाली और अवैध प्रथा को रोकने का एक शानदार तरीका हो सकता है। इसे रोकने के लिए सख्त कानून की जरूरत है और मुकाबला करने का सबसे अच्छा तरीका; यह दोषी अपराधियों को उनके अंत तक पहुँचाने का तरीका है। सरकार देश में महंगाई के स्तर को कम रखने के लिए काम कर सकती है ताकि वे उसके अनुसार काम कर सकें। भ्रष्टाचार से लड़ा नहीं जा सकता और इसे केवल रोका जा सकता है।

भ्रष्टाचार पर निबंध 500 शब्द

भ्रष्टाचार एक व्यक्ति या एक समूह द्वारा एक बेईमान कार्य को संदर्भित करता है, जो दूसरों के उचित विशेषाधिकारों से समझौता करता है। भ्रष्टाचार किसी देश के आर्थिक और बुनियादी ढांचे के विकास को कम करता है और इसके लोगों की भलाई के लिए अब तक की सबसे संभावित बाधा है।

भ्रष्टाचार के तरीके

भ्रष्टाचार के दो बहुत सामान्य तरीके हैं – रिश्वतखोरी, गबन और भ्रष्टाचार।

  • किसी अनुचित पक्ष के बदले में दिए गए धन, उपहार और अन्य लाभों को रिश्वत कहा जाता है और इस कार्य को समग्र रूप से ‘रिश्वत’ कहा जाता है।
  • रिश्वत के रूप में कई तरह की सुविधाएं दी जा सकती हैं। उदाहरण के लिए, पैसा, जमीन, कर्ज, कंपनी के शेयर, रोजगार, घर, कार, गहने आदि।
  • दूसरी ओर, गबन धन या संपत्ति का दुरुपयोग करने का एक कार्य है जिसे देखने वाले को सौंपा गया है। यह एक प्रकार की वित्तीय धोखाधड़ी है जो व्यक्तियों या लोगों के समूहों द्वारा की जाती है जिन्हें धन/संपत्ति सौंपी गई है।

भ्रष्टाचार एक प्रकार का राजनीतिक भ्रष्टाचार है। व्यक्तिगत लाभ के लिए जनता के लिए किए गए फंड के दुरुपयोग को संदर्भित करने के लिए अमेरिका में इस शब्द का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

भ्रष्टाचार के प्रकार / उदाहरण

नीचे हमारे दैनिक जीवन से संबंधित विभिन्न विभागों/क्षेत्रों में भ्रष्टाचार के कुछ उदाहरण दिए गए हैं।

  • सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार

इसमें सरकार द्वारा लोक कल्याण और अन्य विकास योजनाओं को लागू करने के लिए जिम्मेदार एजेंसियों के भीतर भ्रष्टाचार शामिल है। यह अब तक का सबसे प्रचलित प्रकार का भ्रष्टाचार है जो बड़ी संख्या में सामान्य आबादी के हितों को प्रभावित करता है।

  • न्यायिक भ्रष्टाचार

न्यायिक भ्रष्टाचार न्यायाधीशों द्वारा कदाचार के एक कार्य को संदर्भित करता है, जिसमें वे व्यक्तिगत लाभ की पेशकश के बदले तथ्यों और सबूतों की अनदेखी करते हुए पक्षपातपूर्ण निर्णय देते हैं।

  • शिक्षा में भ्रष्टाचार

पिछले कुछ दशकों से, भारत के कुछ राज्यों में शिक्षा विभाग को सबसे भ्रष्ट विभाग माना जाता था। इस दावे को पुष्ट करने के कई कारण थे – शिक्षकों और कर्मचारियों की अनुचित और अवैध नियुक्तियाँ, परिणामों/ग्रेडों में हेरफेर, छात्रों की कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन का गबन, आदि। निरक्षरता और स्कूल छोड़ने वालों की दर में वृद्धि के लिए शिक्षा में भ्रष्टाचार भी जिम्मेदार है। मुख्य रूप से देश के दूरस्थ ग्रामीण स्थानों में।

  • पुलिसिंग में भ्रष्टाचार

पुलिस की कानून और व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है कि प्रत्येक व्यक्ति को संविधान में निहित न्याय का समान अधिकार मिले। पुलिस जाति, पंथ, धर्म, आयु, लिंग या अन्य विभाजनों के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव नहीं करने के लिए कर्तव्यबद्ध और नैतिक रूप से बाध्य है। पुलिस काफी हद तक इस तरह से कार्य करती है कि उसे करना चाहिए; हालांकि, कभी-कभी इसके अधिकारियों के खिलाफ पक्षपात के गंभीर आरोप लगाए जाते हैं। पुलिस व्यवस्था को प्रभावी ढंग से और निष्पक्ष तरीके से काम करने के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप से स्वतंत्र बनाना बहुत आवश्यक है।

  • स्वास्थ्य सेवा में भ्रष्टाचार

स्वास्थ्य सेवा प्रणाली एक आवश्यक क्षेत्र है जो लाखों आम नागरिकों के जीवन को प्रभावित करता है। एक भ्रष्टाचार मुक्त स्वास्थ्य सेवा प्रणाली केवल यह सुनिश्चित करती है कि स्वास्थ्य सेवा का लाभ गरीब से गरीब व्यक्ति तक पहुंचे और किसी भी आकस्मिक स्थिति में कोई भी चिकित्सा सहायता के बिना न रहे। दुर्भाग्य से, यह उतना अच्छा नहीं है जितना लगता है। यह क्षेत्र धन के गबन का शिकार रहा है, जिसमें रोगियों के लिए बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के लिए आवंटित धन को भ्रष्ट अधिकारियों, डॉक्टरों और अन्य पदाधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत लाभ के लिए गबन किया जाता है। साथ ही जमीनी स्तर पर लाभार्थी तक सभी मुफ्त दवा व अन्य सुविधाएं नहीं पहुंच पाती हैं।

भ्रष्टाचार एक राष्ट्र के विकास और इसके लोगों के कल्याण में सबसे संभावित बाधा है। यह केवल एक विशिष्ट क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है और इसमें कार्यालयों, विभागों, क्षेत्रों आदि की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। लोगों को इसके प्रभावों के बारे में जागरूक करके और सख्त भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों को लागू करके ही प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है।

भ्रष्टाचार पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रश्न 1. भ्रष्टाचार का क्या अर्थ है.

उत्तर. भ्रष्टाचार का मतलब शक्तिशाली पदों पर बैठे लोगों द्वारा बेईमानी करना है।

Q.2 क्या भ्रष्टाचार एक अपराध है?

उत्तर. हाँ, यह एक अपराध है और यह समाज और राष्ट्र के विकास को धीमा करता है।

Q.3 किस देश को दुनिया का सबसे भ्रष्ट देश कहा जाता है?

उत्तर. दक्षिण सूडान को दुनिया का सबसे भ्रष्ट देश कहा जाता है।

Q.4 दुनिया के किस देश में सबसे कम भ्रष्टाचार है?

उत्तर. डेनमार्क दुनिया का ऐसा देश है जहां सबसे कम भ्रष्टाचार है।

Q.5 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम क्या है?

उत्तर. यह सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के व्यवसायों में भ्रष्टाचार को कम करने के लिए 1988 में भारत सरकार द्वारा पारित एक अधिनियम है।

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भ्रष्टाचार पर हिंदी में निबंध | Corruption Essay in Hindi Language

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संकेत बिंदु :- भूमिका, भारत में भ्रष्टाचार की स्थिति, भ्रष्टाचार के कारण, भ्रष्टाचार से होने वाली हानियां, भ्रष्टाचार रोकने के उपाय, निष्कर्ष या उपसंहार।

भूमिका (प्रस्तावना)

भ्रष्टाचार दो शब्दों- 'भ्रष्ट' और 'आचार' के मेल से बना शब्द है। 'भ्रष्ट' शब्द के कई अर्थ होते हैं-मार्ग से विचलित, ध्वस्त एवं बुरे आचरण वाला तथा 'आचरण' का अर्थ- 'चरित्र' , 'व्यवहार', या  'चाल-चलन' है। इस तरह भ्रष्टाचार का अर्थ हुआ-अनुचित व्यवहार एवं चाल-चलन। विस्तृत अर्थों में इसका तात्पर्य व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले ऐसे अनुचित कार्य या व्यवहार से है, जिसे वह अपने पद का लाभ उठाते हुए आर्थिक या अन्य लाभों को प्राप्त करने के लिए स्वार्थपूर्ण ढंग से करता है। इसमें व्यक्ति प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से व्यक्तित्व लाभ के लिए निर्धारित कर्तव्य की जान-बूझकर अवहेलना करता है।

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भारत में भ्रष्टाचार की स्थिति

भारत में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। ऐतिहासिक ग्रंथों में भी इसके प्रमाण मिलते हैं। चाणक्य ने अपनी पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में भी विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचारों का उल्लेख किया है। आज धर्म, शिक्षा, राजनीति, प्रशासन, कला, मनोरंजन, खेलकूद इत्यादि क्षेत्रों में भ्रष्टाचार ने अपने पांव फैला दिए हैं। रिश्वत लेना-देना, खाद्य पदार्थों में मिलावट, मुनाफाखोरी, अनैतिक ढंग से धन-संग्रह, कानूनों की अवहेलना करके अपना स्वार्थ पूरा करना आदि भ्रष्टाचार के ऐसे रूप हैं, जो हमारे देश में व्याप्त हैं। विभिन्न राष्ट्रों में भ्रष्टाचार की स्थिति का आकलन करने वाली स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय संस्था 'ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल' द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार, 178 देशों की सूची में भारत काफी ऊपर है। इसका अर्थ यह निकलता है कि हमारा देश दुनिया के सर्वाधिक भ्रष्ट देशों में से एक है।

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भ्रष्टाचार के कारण

आज हर वर्ग में धन की लिप्सा बढ़ी है, इसके लिए उसे अनुचित मार्ग अपनाने में भी संकोच नहीं है। भ्रष्टाचार के अनेक कारण हैं-इनमें गरीबी, बेरोजगारी, सरकारी कार्यों का विस्तृत क्षेत्र, महंगाई, नौकरशाही का विस्तार, लालफीताशाही, अल्प वेतन, प्रशासनिक उदासीनता, भ्रष्टाचारियों को सजा देने में देरी, अशिक्षा, अत्यधिक प्रतिस्पर्धा, महत्वाकांक्षा, वरिष्ठ अधिकारियों का कनिष्ठ अधिकारियों पर दबाव इत्यादि मुख्य हैं।

भ्रष्टाचार से होने वाली हानियां

भ्रष्टाचार की वजह से जहां लोगों का नैतिक एवं चारित्रिक पतन हुआ है, वहीं दूसरी ओर देश को आर्थिक क्षति भी उठानी पड़ी है। आज भ्रष्टाचार के फलस्वरुप अधिकारी एवं व्यापारी वर्ग के पास काला धन अत्यधिक मात्रा में इकट्ठा हो गया है। इस काले धन के कारण अनैतिक व्यापार, मद्दपान, वेश्यावृत्ति, तस्करी एवं अन्य अपराधों में वृद्धि हुई है। भ्रष्टाचार के कारण लोगों में अपने उत्तरदायित्व से भागने की प्रवृत्ति बढ़ी है। देश में सामुदायिक हितों के स्थान पर व्यक्तिगत एवं स्थानीय हितों को महत्व दिया जा रहा है। संपूर्ण समाज भ्रष्टाचार की जकड़ में है। सरकारी विभाग भ्रष्टाचार के केंद्र बिंदु बन चुके हैं। कर्मचारीगण मौका पाते ही अनुचित लाभ उठाने से नहीं चूकते।

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भ्रष्टाचार रोकने के उपाय

भ्रष्टाचार के कारण आज देश की सुरक्षा भी खतरे में है। अत: इस पर लगाम लगाना अत्यंत आवश्यक है। वैसे तो भ्रष्टाचारियों के लिए भारतीय दंड संहिता में दंड का प्रावधान है। समय-समय पर भ्रष्टाचार को रोकने के लिए समितियां गठित की गई, भ्रष्टाचार निरोधक कानून पारित किया गया, परंतु इसे अब तक नियंत्रित नहीं किया जा सका। इससे निजात पाने के लिए हमें गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन आदि पर काबू पाना होगा। दंड प्रक्रिया और दंड संहिता में संशोधन कर कड़े कानून बनाकर उनका सख्ती से पालन करना होगा।

उपसंहार ( निष्कर्ष )

भ्रष्टाचार देश के लिए कलंक है और इसको मिटाए बिना देश की वास्तविक प्रगति संभव नहीं है। भ्रष्टाचार से निपटने के लिए अन्ना हजारे के नेतृत्व में जन लोकपाल विधेयक की मांग की गई, जिसके कारण सरकार ने लोकपाल विधेयक संसद में पारित करा दिया है।

   इसके अतिरिक्त, काले धन की स्वदेश वापसी की मांग कर रहे अनेक लोग इस दिशा में सार्थक प्रयास कर रहे हैं। ऐसे प्रयासों को जन सामान्य द्वारा यथाशक्ति समर्थन प्रदान करना चाहिए। समाज को यथाशीघ्र कठोर-से-कठोर कदम उठाकर इस कलंक से मुक्ति पाना नितांत आवश्यक है अन्यथा मानव-जीवन बद से बदतर होता चला जाएगा।

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भ्रष्टाचार पर छोटे बड़े निबंध (Short and Long Essay on Corruption in Hindi) (300 शब्द )

परिचय

अवैध तरीके से धन अर्जित करना भ्रष्टाचार है, भ्रष्टाचार में व्यक्ति अपने निजी लाभ के लिए देश की संपत्ति का शोषण करता है। यह देश की उन्नति के पथ पर सबसे बड़ा बाधक तत्व है। व्यक्ति के व्यक्तित्व में दोष नहीं होने पर देश में भ्रष्टाचार की मात्रा बढ़ जाती है।

भ्रष्टाचार क्या है?

भ्रष्टाचार एक ऐसा अनैतिक आचरण है। जिसमें व्यक्ति खुद की छोटी इच्छाओं की पूर्ति हेतु देश को संकट में डालने में तनिक भी देर नहीं करता है। देश के भ्रष्ट नेताओं द्वारा किया गया घोटाला ही भ्रष्टाचार नहीं है अपितु एक ग्वाले द्वारा दूध में पानी मिलाना भी भ्रष्टाचार का स्वरूप है।

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भ्रष्टाचार के कारण - 

देश का लचीला कानून - भ्रष्टाचार विकासशील देश की समस्या है। यहां भ्रष्टाचार होने का प्रमुख कारण देश का लचीला कानून है। पैसे के दम पर ज्यादातर भ्रष्टाचारी बाइज्जत बरी हो जाते हैं। अपराधी को दंड का भय नहीं होता है।

व्यक्ति का लोभी स्वाभाव - लालच और संतुष्टि एक ऐसा विकार है। जो व्यक्ति को बहुत अधिक नीचे गिरने पर विवश कर देता है। व्यक्ति के मस्तिष्क में सदैव अपने धन को बढ़ाने की प्रबल इच्छा उत्पन्न होती है।

आदत - आदत व्यक्ति के व्यक्तित्व में बहुत गहरा प्रभाव डालता है। एक मिलिट्री रिटायर्ड ऑफिसर रिटायरमेंट के बाद भी अपने ट्रेनिंग के दौरान प्राप्त किए अनुशासन को जीवनभर बहन करता है, उसी प्रकार देश में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से लोगों को भ्रष्टाचार की आदत पड़ गई है।

मनसा - व्यक्ति के दृढ़ निश्चय कर लेने पर कोई भी कार्य कर पाना संभव नहीं होता वैसे ही भ्रष्टाचार होने का एक प्रमुख कारण बत्ती की मंशा भी है। या हम एक तरह से कह सकते हैं कि उसकी इच्छा भी है।

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निष्कर्ष -  

भ्रष्टाचार देश में लगा वह दिमक है । जो देश को अंदर ही अंदर खोखला कर रहा है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना है जो यह दिखाता है व्यक्ति लोग असंतुष्ट की आदत और मंत्र जैसे विकारों के वजह से एक ऐसे मौके का फायदा उठा सकता है।

भ्रष्टाचार पर निबंध 400 (शब्द में)

अपना कार्य इमानदारी से ना करना भ्रष्टाचार है। अतः ऐसा व्यक्ति भ्रष्टाचारी है समाज में आए दिन इसके विभिन्न स्वरूप देखने को मिलते हैं। भ्रष्टाचार के संदर्भ में यह कहना मुझे अनुचित नहीं लगता वही व्यक्ति भ्रष्ट नहीं है।जिन्हें भ्रष्टाचार करने का अवसर नहीं मिला।

भ्रष्टाचार के विभिन्न प्रकार -

रिश्वत की लेनदेन - सरकारी काम करने के लिए कार्यालय में चपरासी से लेकर उच्च अधिकारी तक आपसे पैसे लेते हैं। इस काम के लिए उन्हें सरकार से वेतन प्राप्त होता है। वह वहां हमारी मदद के लिए है। इसके साथ ही देश के नागरिक भी अपना काम जल्दी कर आने के लिए उन्हें पैसे देते हैं अतः यह भ्रष्टाचार है।

चुनाव में धांधली - देश के राजनेताओं द्वारा चुनाव में सरे आम लोगों को पैसे,जमीन अनेक उपाय तथा मादक पदार्थ बांटे जाते हैं यह चुनावी धांधली असल में भ्रष्टाचार है।

भाई भतीजावाद - अपने पद और शक्ति का गलत उपयोग कर लोग भाई भतीजावाद को बढ़ावा देते हैं। भाई अपने किसी प्रियजन को उस पद का कार्यभार दे देते हैं। जिसके वह लायक नहीं है ऐसे में योग्य व्यक्ति का हक उसे छीन लिया जाता है।

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नागरिकों द्वारा टैक्स चोरी - नागरिकों द्वारा टैक्स भुगतान करने हेतु प्रत्येक देश में एक निर्धारित पैमाना तय किया गया है। पर कुछ व्यक्ति सरकार को अपने आय का सही विवरण नहीं देते और टैक्स की चोरी करते हैं। यह भ्रष्टाचार की श्रेणी में अंकित है।

शिक्षा तथा खेल में घूसखोरी - शिक्षा देता खेल के क्षेत्र में घूस लेकर लोग मेघा विवाह योग्य उम्मीदवार को सीटें नहीं देते बल्कि जो उन्हें घूस दे देते हैं उन्हें ही सीटें मिलती हैं।

इस प्रकार समाज के अन्य छोटे से बड़े क्षेत्र में भ्रष्टाचार देखा जा सकता है। जैसे राशन में मिलावट, अवैध मकान निर्माण, अस्पताल तथा स्कूल में अत्यधिक फीस आदि यहां तक की भाषा में भी भ्रष्टाचार पर्याप्त है। अजय नावरिया के शब्दों में मुंशी प्रेमचंद की एक प्रसिद्ध कहानी सत्य संगति में लेखक द्वारा कहानी के एक पात्र को दुखी चमार कहां गया है। यह आपत्तिजनक शब्द के साथ भाषा के भ्रष्ट आचरण का प्रमाण है वहीं दूसरे पात्र को पंडित जी नाम से संबोधित किया जाता है कहानी के पहले पात्र को दुखी दलित भी कहा जा सकता है।

भ्रष्टाचार पर निबंध 600 शब्दों में

प्रस्तावना

भ्रष्टाचार देश की संपत्ति का आपराधिक दुरुपयोग है। 'भ्रष्टाचार' का अर्थ है - 'भ्रष्ट आचरण' अर्थात नैतिकता और कानून के विरुद्ध आचरण। जब व्यक्ति को ना तो अंदर की लज्जा या धर्माधर्म का ध्यान रहता है (जो अनैतिकता है ) और ना बाहर गार्डन रहता है (जो कानून की अवहेलना है) तो वह संसार में जगन से जगन ने पाप कर सकता है, अपने देश, जाति व समाज को बड़ी से बड़ी हानि पहुंचा सकता है, यहां तक कि मानवता को भी कलंकित कर सकता है। दुर्भाग्य से आज भारत इस भ्रष्टाचार रूपी शहरों मुख वाले दानों की जड़ों में फस कर बहुत तेजी से विनाश की ओर बढ़ता जा रहा है। 

भ्रष्टाचार के विभिन्न रूप

पहले किसी घोटाले की बात सुनकर देशवासी चौक जाते थे, आज नहीं चौंकते। पहले घोटालों के आरोपी लोक लज्जा के कारण अपना पद छोड़ देते थे, किंतु आज पकड़े जाने पर भी वह कुछ राजनेता इस शान से जेल जाते हैं जैसे वे किसी राष्ट्र सेवा के मिशन पर जा रहे हो। इसीलिए समूह प्रशासन तंत्र में भ्रष्ट आचरण धीरे-धीरे सामान बनता जा रहा है। आज भारतीय जीवन का कोई भी क्षेत्र सरकारी या गैर सरकारी, सार्वजनिक या निजी - ऐसा नहीं , जो भ्रष्टाचार से अछूता हो। इसीलिए भ्रष्टाचार इतने आ गणित रूपों में मिलता है कि उसे वर्गीकृत करना सरल नहीं है। फिर भी उसे हैं मुख्यत: 4 वर्गों में बांटा जा सकता है- (1) राजनीतिक,. (2)  प्रशासनिक,   (3) व्यवसायिक एवं (4) शैक्षणिक।

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राजनीतिक भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार का सबसे प्रमुख रूप यही है जिसकी छत्रछाया में भ्रष्टाचार के शेष सारे रूप पनपते और संरक्षण पाते हैं। इसके अंतर्गत मुख्यता लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव जीतने के लिए अपनाया गया भ्रष्ट आचरण आता है। संसार में ऐसा कोई भी कुकृत्य, अनाचार या हथकंडा नहीं है जो भारतवर्ष में चुनाव जीतने के लिए ना अपनाया जाता हो। यही कारण है कि चुनावों में विजई दल ही सरकार बनाता है, जिससे केंद्र और प्रदेशों की सारी राजसत्ता उसी के हाथ में आ जाती है। इसलिए 'येन- केन- प्रकारेण' अपने दल को विजयी बनाना ही राजनीतिज्ञों का एकमात्र लक्ष्य बन गया है। इन राजनेताओं की शनि दृष्टि ही देश में जातीय प्रवृत्तियों को उभारती एवं देशद्रोहियों को पनपाती है। देश की वर्तमान दुरावस्था के लिए यह भ्रष्ट राजनेता ही दोषी हैं। आने के कारण देश में अनेकानेक घोटाले हुए हैं।

प्रशासनिक भ्रष्टाचार

इसके अंतर्गत सरकारी, अर्ध सरकारी,  गैर सरकारी संस्थाओं , संस्थानों,  प्रतिष्ठानों या सेवाओं (नौकरियों) में बैठे हुए सारे अधिकारी आते हैं जो जातिवाद, भाई- भतीजावाद, किसी प्रकार के दबाव या कामिनी - कांचनी के लोबिया अन्याय किसी कारण से अयोग्य व्यक्तियों की नियुक्तियां करते हैं, उन्हें पदोन्नत करते हैं, स्वयं अपने कर्तव्य की अवहेलना करते हैं और ऐसा करने वाले अधीनस्थ कर्मचारियों को आश्रय देते हैं या अपने किसी भी कार्य आचरण से देश को किसी  मोर्चे पर कमजोर बनाते हैं। चाहे वह  गलत कोटा - परमिट देने वाला अफसर हो या सेना के रहस्य विदेशों के हाथ बेचने वाला सेना अधिकारी या ठेकेदारों से रिश्वत खाकर शीघ्र ढह जाने वाले सेतु, सरकारी भवनों आदि का निर्माण करने वाला इंजीनियर या अन्याय पूर्ण फैसले करने वाला न्यायाधीश या  अपराधी को आश्रय देने वालों वाला पुलिस अफसर,  भी इसी प्रकार के भ्रष्टाचार के अंतर्गत आते हैं।

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व्यावसायिक भ्रष्टाचार

 इसके अंतर्गत विभिन्न पदार्थों में मिलावट करने वाले, घटिया माल तैयार करके बढ़िया के मोल बेचने वाले, निर्धारित दर से अधिक मूल्य वसूलने वाले,  वस्तु विशेष का कृत्रिम अब आओ पैदा करके जनता को दोनों हाथों से लूटने वाले, कर चोरी करने वाले एवं अन्याय भ्रष्ट तौर- तरीके अपनाकर देश और समाज को छीन एवं कमजोर बनाने वाले व्यवसाई आते हैं।

शैक्षणिक भ्रष्टाचार

 शिक्षा जैसा पवित्र क्षेत्र भी भ्रष्टाचार के संक्रमण से अछूता नहीं रहा। अतः आज डिग्री से अधिक सिफारिश,  योग्यता से अधिक चापलूसी का बोलबाला है।  परिश्रम से अधिक बल धन में होने के कारण शिक्षा का निरंतर पतन हो रहा है।

भ्रष्टाचार की गति नीचे से ऊपर को ना होकर ऊपर से नीचे को होती है अर्थात भ्रष्टाचार सबसे पहले उच्चतम स्तर पर पनपता है और फिर क्रमशः नीचे की ओर फैलता जाता है। यह कहावत है -  'यथा राजा तथा प्रजा'। इसका यह हास्य कदापि नहीं है कि भारत में प्रत्येक व्यक्ति भ्रष्टाचारी है। लेकिन इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि भ्रष्टाचार से मुक्त व्यक्ति इस देश में अपवाद स्वरूप ही मिलते हैं।

इसका कारण है वह भौतिकवादी जीवन दर्शन, जो अंग्रेजी शिक्षा के माध्यम से पश्चिम से आया है। यह जीवन पद्धति विशुद्ध भोगवादी  है- 'खाओ, पियो और मौज करो' ही इसका मूल मंत्र है। यह परम्परागत भारतीय जीवन दर्शन के पूरी तरह विपरीत है। भारतीय मनीषियों ने चार पुरुषार्थों - धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की सिद्धि को ही मानव जीवन का लक्ष्य बताया है। मानव धर्म पूर्वक अर्थ और काम का सेवन करते हुए मोक्ष का अधिकारी बनता है। पश्चिम मैं धर्म और मोक्ष को कोई जानता तक नहीं। वहां तो बस अर्थ (धन- वैभव) और काम (सांसारिक सुख - भोग या विषय- वासनाओं की तृप्ति) ही जीवन का परम पुरुषार्थ माना जाता है। पश्चिम मैं जितनी भी वैज्ञानिक प्रगति हुई है, उस सब का लक्ष्य भी मनुष्य के लिए सांसारिक सुख भोग के साधनों का अधिकाधिक विकास ही है।

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भ्रष्टाचार दूर करने के उपाय

भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जाने चाहिए।

प्राचीन भारतीय संस्कृति को प्रोत्साहन

 जब तक अंग्रेजी शिक्षा के माध्यम से भोगवादी पाश्चात्य संस्कृति प्रचारित होती रहेगी, भ्रष्टाचार कम नहीं हो सकता। अतः सबसे पहले देशी भाषाओं, विशेषकर संस्कृत की शिक्षा अनिवार्य करनी होगी। भारतीय भाषाएं जीवन मूल्यों की प्रचारक और पृष्ठ पोषक हैं। उनसे भारतीयों में धर्म का भाव सुधार होगा और लोग धर्म भीरु बनेंगे।

चुनाव- प्रक्रिया में बदलाव या परिवर्तन

वर्तमान चुनाव पद्धति के स्थान पर ऐसी पद्धति अपनानी पड़ेगी,  जिसमें जनता स्वयं अपनी इच्छा से भारतीय जीवन मूल्यों के प्रति समर्पित ईमानदार व्यक्तियों को खड़ा करके बिना धन व्यय के चुन सके। ऐसे लोग जब विधायक या संसद सदस्य बनेंगे तो ईमानदारी और देशभक्ति का आदर्श जनता के सामने रखकर स्वच्छ शासन प्रशासन दे सकेंगे। अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और जो विधायक या सांसद अवसरवादीता के कारण दल या पार्टी बदले, उन्हें की सदस्यता समाप्त कर दोबारा से चुनाव में खड़े होने की व्यवस्था पर रोक लगानी होगी। जाति और धर्म के नाम का सहारा लेकर वोट मांगने वालों को चुनाव प्रक्रिया से ही प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए।

अस्वाभाविक प्रतिबंधों की समाप्ति

 सरकार ने कोटा - परमिट आदि के जो हजारों प्रतिबंध लगा रखे हैं, उनसे व्यापार बहुत कुप्रभावित हुआ है। फलत: व्यापारियों को विभिन्न विभागों में बैठे अफसरों को खुश करने के लिए भांति भांति के भ्रष्ट हथकंडे अपनाने पड़ते हैं। ऐसी स्थिति में भले और ईमानदार लोग व्यापार की ओर उन्मुख नहीं हो पाते। इन प्रतिबंधों की समाप्ति से व्यापार में योग्य लोग आएंगे जिससे स्वस्थ प्रतियोगिता को बढ़ावा मिलेगा और जनता को अच्छा माल सस्ते दर पर मिल सकेगा।

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कर प्रणाली का सरलीकरण

सरकार ने हजारों प्रकार के कर लगा रखे हैं, जिनके बोझ से व्यापार पनप नहीं पाता। इसके फलस्वरूप व्यापारी को अनैतिक हथकंडे अपनाने को विवश होना पड़ता है अतः सरकार को सैकड़ों करों को समाप्त करके कुछ गिने-चुने कर ही लगाने चाहिए। इन करों की वसूली प्रक्रिया भी इतनी सरल और सुगम हो कि अशिक्षित या अल्प शिक्षित व्यक्ति भी अपना कर सुविधा पूर्वक जमा कर सके और भ्रष्ट तरीके अपनाने को बाध्य ना हो। इसके लिए देशी भाषाओं का प्रत्येक स्तर पर प्रयोग नितांत वांछनीय है।

शासन और प्रशासन व्यय में कटौती

आज देश के शासन और प्रशासन (जिसमें विदेशों में स्थित भारतीय दूतावास भी सम्मिलित है), पर इतना अंधाधुंध व्यय हो रहा है कि जनता की कमर टूटती जा रही है। इस व्यय में तत्काल बहुत अधिक कटौती करके सर्वत्र सादगी का आदर्श सामने रखा जाना चाहिए, जो प्राचीन काल से ही भारतीय जीवन पद्धति की विशेषता रही है। साथ ही केंद्रीय और प्रादेशिक सचिवालय और देश भर के प्रशासनिक तंत्र के बेहद भारी- भरकम ढांचे को छांट कर छोटा किया जाना चाहिए।

देशभक्ति की प्रेरणा देना

सबसे महत्वपूर्ण है कि वर्तमान शिक्षा पद्धति में आमूल- चूल परिवर्तन कर उसे देशभक्ति को केंद्र में रखकर पुनर्गठित किया जाए। विद्यार्थी को, चाहे  वह किसी भी धर्म मत या संप्रदाय का अनुयायी हो, आरंभ से ही देशभक्ति का पाठ पढ़ाया जाए। इसके लिए प्राचीन भारतीय इतिहास ,संस्कृति, भारतीय महापुरुषों के जीवन चरित्र आदि पाठ्यक्रम में रहकर विद्यार्थी को अपने देश की मिट्टी, इसकी परंपराओं मान्यताओं एवं संस्कृति पर्व कर्म करना सिखाया जाना चाहिए।

कानून को अधिक कठोर बनाना

भ्रष्टाचार के विरुद्ध कानून को भी अधिक कठोर बनाया जाए। इसके लिए वर्षों से चर्चा का विषय बने 'लोकपाल विधेयक' को यद्यपि पास किया जा चुका है तथापि भारत जैसे देश; जहां प्रत्येक स्तरों पर भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी ही व्याप्त है; के लिए यह अभी भी नाकाफी है।

सारांश

भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे को आता है, इसलिए जब तक राजनेता देश भक्त और सदाचारी ना होंगे, भ्रष्टाचार का उन्मूलन असंभव है। उपयुक्त राजनेताओं के चुने जाने के बाद ही ऊपर बताए गए सारे उपाय अपनाए जा सकते हैं, जो भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ने में पूर्णत: प्रभावी सिद्ध होंगे। आज प्रत्येक व्यक्ति की जुबान पर एक ही प्रश्न है कि क्या होगा इस महान सनातन राष्ट्र का ? कैसे मिटेगा यह भ्रष्टाचार अत्याचार और दुराचार? यह तभी संभव है जब चरित्रवान तथा सर्वस्व- त्याग और देश सेवा की भावना से भरे लोग राजनीति में आएंगे और लोक चेतना के साथ जीवन को जोड़ेंगे।

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भ्र्ष्टाचार मुक्त समाज पर निबंध

भ्र्ष्टाचार मुक्त समाज पर निबंध- bhrashtachar mukt samaj par nibandh.

भारत के उन्नति में बाधक कई समस्याओ में एक भ्र्ष्टाचार है। भ्र्ष्टाचार हमारे देश को अंदर से खोखला कर रहा है। वक़्त आ गया है कि हम समाज और हमारे देश की सरकार प्रणाली में मौजूद भ्र्ष्टाचार को खत्म करे और इस पर सदा के लिए पूर्णविराम लगाए। देश की राजनीति और भ्र्ष्टाचार में कई ताल मेल देखे गए है। भ्र्ष्टाचार सिर्फ राजनीति में ही नहीं बल्कि देश के कई सिस्टम में मौजूद है। समाज को इस भ्र्ष्टाचार भरे जहर से मुक्त कराने का वक़्त आ गया है। सिर्फ राजनीतिज्ञ ही भ्र्ष्ट नहीं है, बल्कि कई क्षेत्रों में इसके नकारात्मक प्रभाव देखने को मिले है।

आजकल के इस युग में सबको सफल बनना है। सफलता के साथ उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा पैसे कमाने की जल्दी लगी रहती है। अपने आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए लोग भ्र्ष्ट तरीको को अपनाते है। आजकल लोगो की मान्यता बन गयी है कि ईमानदारी और सच्चाई से कुछ भी हासिल करना बेहद मुश्किल है। उनका सोचना है कि अगर वह ईमानदारी के मार्ग को अपनाएंगे तो उनके सपनो को पूरा करने में सालो का वक़्त लग जाएगा।

अगर दफ्तर में प्रमोशन नहीं होगा, तो पैसे और बोनस नहीं मिलेंगे। इसलिए लोग शॉर्टकट की पद्धति अपनाते है और रिश्वत देकर अपने इरादों को पूरा करवाते है। ऐसी पदोन्नति सरासर गलत है। कार्यो को पूरा करवाने के लिए लोग अनुचित मार्ग अपना रहे है और भ्र्ष्टाचार की ओर अग्रसर हो रहे है।

ऐसे अनुचित साधनो का उपयोग करके लोगो में अमीर बनने की होड़ लगी है। आजकल की यह विडंबना है, ज़्यादातर व्यक्ति सफलता को पैसो से तोलकर देखते  है। पैसे कमाने की चाहत में कम उम्र से लोग भ्र्ष्टाचार जैसे अनुचित कार्यो में लिप्त हो जाते है।

यह असलियत में इंसान को अंदरूनी खुशी और संतुष्टि नहीं दे सकता है। गैर कानूनी ढंग से किये गए कार्य में इंसान को सुख चैन ज़्यादा दिनों तक नसीब नहीं होता है और उन्हें पकड़े जाने का डर भी सताता है। गलत तरीको और भ्र्ष्टाचार का सहारा लेकर महत्वाकांक्षी लोग  धन और साथ में नकली इज़्ज़त भी कमा लेंगे। लेकिन इंसान को यह कुछ ही समय तक खुश रख पायेगा क्यों कि लम्बे वक़्त तक वे असंतुष्टि में जीयेंगे।

भ्र्ष्टाचार के कई प्रमुख कारण है, अशिक्षा, अच्छी नौकरियों की कमी, सख्त और कड़ी सजा का अभाव, दिन प्रतिदिन लोगो की बढ़ती महत्वकांक्षाएं और हर क्षेत्र में बढ़ती हुयी प्रतियोगिता।

हमे  भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे क्यों कि इसकी जड़े बेहद मज़बूत है। भ्र्ष्टाचार का तात्पर्य है बुरा आचरण। ऐसा कार्य और आचरण जो गलत और अनैतिक हो। न्याय व्यवस्था के खिलाफ, जो व्यक्ति अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए गलत राह का चयन कर, उसपर चलता है वह भ्र्ष्टाचारी कहलाता है।

भ्र्ष्टाचार के कई प्रकार है जैसे रिश्वत देना, काला बाज़ारी, जान बूझकर कीमतें बढ़ाना, सस्ते सामग्री को ज़्यादा दाम में बिक्री करना, ब्लैकमेल करना, झूठा केस करना, परीक्षा में नक़ल, पैसे लेकर रिपोर्ट बनाना, पैसे लेकर जबरन वोट दिलाना इत्यादि गैरकनूनी कार्य है। एक बार व्यक्ति भ्र्ष्टाचार के दल दल में फंसता है, तो उसके लिए इससे निकल पाना मुश्किल हो जाता है।

मनुष्य कई कारणों से भ्र्ष्टाचार के मार्ग को चुन लेते है। आर्थिक और समाजिक परेशानी, अपने स्टेटस को बचाने के लिए भ्र्ष्टाचार जैसे गलत आचरण की तरफ अपने आपको धकेल लेते है। कभी कभी अपने सहकर्मी या प्रतिद्वंदी से ईर्ष्या होने की वजह से भी भ्र्ष्टाचार के मार्ग को इंसान चुन लेता है।

भारतीय राजनीति अपने भ्र्ष्टाचार तरीको के लिए आये दिन विवादों के कठघरे में खड़ा हो जाता है। हर राजनीतिज्ञ दल गलत साधनो और तरीको का उपयोग करके चुनाव जीतने की कोशिश करते है। उन्हें देश के लोगो को सच्चाई और ईमानदारी के पथ पर प्रेरित करते रहना चाहिए। आज़ादी के बाद ऐसा कभी भी नहीं हुआ। साम दाम दंड भेद जैसे नीतियों के उपयोग किये बिना वह चुनाव जीत ही नहीं सकते है। अगर आज समाज में भ्र्ष्टाचार नहीं होता, तो भारत उन्नति की शिखर पर होता।

राजनीतिज्ञ दल और उम्मीदवार का चयन सही रूप से करने की ज़रूरत है। उम्मीदवारो की पात्रता मानदंड में योग्यता निर्धारित करना ज़रूरी है। ऐसे बहुत से मंत्री है जो शिक्षित ही नहीं है। अगर वे शिक्षित नहीं होंगे तो देश और राज्य के महत्वपूर्ण फैसले कैसे ले पाएंगे।  ज़्यादातर नेता शिक्षित नहीं होते है, जिसके कारण वह भ्र्ष्टाचार जैसे गैर कानूनी चीज़ो को बढ़ावा दे रहे है। एक व्यक्ति निश्चित तौर पर देश चलाने में तभी सक्षम होंगे जब वे प्रशिक्षित और शिक्षित होंगे, अन्यथा गलत साधनो का उपयोग करेंगे और भ्र्ष्टाचार में प्रगति होगी। भ्र्ष्टाचार मुक्त समाज का गठन तभी होगा, जब इन मंत्रियों पर दैनिक निगरानी रखने के लिए उचित अधिकारी नियुक्त किये जाएंगे।

भारत एक लोकतान्त्रिक देश होने के कारण, यहाँ की मीडिया बड़ी मज़बूत है। मीडिया ऐसे गलत भ्र्ष्टाचार से भरे आचरणों का स्टिंग ऑपरेशन करती है और उसे जनता के समक्ष रखती है। मीडिया ऐसे भ्र्ष्ट लोगो और राजनेताओ को बेनकाब करती है।

भ्र्ष्टाचार के कारण जो लोग योग्य होते है उन्हें काम नहीं मिलता है और जो लोग अनैतिक तरीको से कार्य कर रहे है उन्हें अच्छे अवसर प्राप्त हो रहे है। यह नाइंसाफी है। राजनीति हो या ग्लैमर वर्ल्ड, भाई भतीजावाद जैसे भ्र्ष्टाचार फैले हुए है। भ्र्ष्टाचार एक रोग की तरह है, जो समाज में भयानक रूप से फैल रही है। अगर वक़्त रहते समाज में भ्र्ष्टाचार जैसे बीमारी को फैलने से ना रोका गया, तो यह अपराध दीमक की तरह समाज को खा जायेगा। 

जीवन के हर क्षेत्र में भ्र्ष्टाचार का प्रकोप है। उदाहरण स्वरुप आईपीएल जैसे खेल में मैच फिक्सिंग जैसे आरोप सामने आये, जिसके चलते कुछ खिलाड़ी को निलंबित किया गया था और मैच खेलने पर प्रतिबन्ध लगाया गया था। नौकरियों में आपको अच्छा पोस्ट चाहिए, तो लोग रिश्वतखोरी का सहारा लेते है। आज भ्र्ष्टाचार सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि समस्त दुनिया की समस्या है।

भ्र्ष्टाचार को रोकने के लिए सरकार और न्याय व्यवस्था को कठोर नियम लागू करने होंगे। समाज की विडंबना यही है कि अगर व्यक्ति रिश्वत देने के जुर्म में पकड़ा जाता है, तो रिश्वत देकर छूट जाता है। इसी अनैतिक प्रशासन को ठीक करने की आवश्यकता है। भ्र्ष्टाचार के खिलाफ लोगो में जागरूकता फैलाने के लिए, 9 दिसंबर को अंतराष्ट्रीय भ्र्ष्टाचार विरोधी दिवस मनाया जाता है। हम भ्र्ष्टाचार को अंत करने के इस जंग में साथ खड़े है। यह जंग मुश्किल है मगर नामुमकिन बिलकुल नहीं है।

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  14. भ्रष्टाचार पर निबंध

    दोस्तों भ्रष्टाचार पर निबंध (Bhrashtachar Par Nibandh In Hindi) के इस लेख में Corruption से जुड़े सभी पहलुओं पर चर्चा की गई है. आपकों आज का हमारा यह लेख कैसा लगा ...

  15. Bhrashtachar : Ek Samasya "भ्रष्टाचार: एक समस्या" Essay in Hindi, Best

    Bhrashtachar : Ek Samasya "भ्रष्टाचार: एक समस्या" Essay in Hindi, Best Essay, Paragraph, Nibandh for Class 8, 9, 10, 12 Students.

  16. सामाजिक जीवन में भ्रष्टाचार निबंध Essay on Corruption In Social Life in

    भ्रष्टाचार पर निबंध. आंगनवाड़ी पर निबंध. ध्यान दें- प्रिय दर्शकों सामाजिक जीवन में भ्रष्टाचार पर निबंध | Essay on Corruption In Social Life in Hindi ( Article ) आपको ...

  17. Hindi Essay on "Bhrashtachar

    भ्रष्टाचार : समस्या और समाधान . Bhrashtachar - Samasya aur Samadhan. भ्रष्टाचार शब्द के योग में दो शब्द हैं, भ्रष्ट और आचार । भ्रष्ट का अर्थ है बुरा या बिगड़ा हुआ और आचार का ...

  18. 'भ्रष्‍टाचार एक कलंक' विषय पर अपने विचार लिखिए।

    Balbharati Hindi - Lokbharati 10th Standard SSC Maharashtra State Board [हिंदी - लोकभारती १० वीं कक्षा] Chapter 2.02 दो लघुकथाएँ (पूरक पठन)

  19. भ्रष्टाचार पर हिंदी में निबंध

    भ्रष्टाचार पर निबंध - Corruption Essay In Hindi 500 Words. भ्रष्टाचार का मतलब ( Bhrashtachar Ka Matlab ) बेईमानी या किसी प्रकार की आपराधिक गतिविधि होता है। यह एक व्यक्ति ...

  20. भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300

    भगत सिंह पर निबंध 10 lines (Bhagat Singh Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, 600, शब्दों में; जीवन में मेरा उद्देश्य पर निबंध 200, 500, शब्दों मे (My Aim In Life Essay in Hindi) 10 lines

  21. भ्रष्टाचार पर हिंदी में निबंध

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  22. भ्र्ष्टाचार मुक्त समाज पर निबंध » हिंदी निबंध, Nibandh

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