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वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन पर निबंध (Globalization Essay in Hindi)

ग्लोबलाइजेशन

वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन वह प्रक्रिया है, जिसमें व्यापार, सेवाओं या तकनीकों का पूरे संसार में वृद्धि, विकास और विस्तार किया जाता है। यह विभिन्न व्यापारों या व्यवसायों का पूरे संसार के विश्व बाजार में विस्तार करना है। विश्व भर में आर्थिक अन्तर्निहिता के लिए बहुत बड़े स्तर पर अन्तर राष्ट्रीय निवेश की आवश्यकता है, जिससे बहुत बड़े बहुराष्ट्रीय कारोबार का विकास किया जा सके। इसके लिए वैश्विक बाजार में व्यवसायों के परस्पर समर्पक और आन्तरिक आत्मनिर्भरता को भी बढ़ाना होगा।

वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन पर छोटे तथा बड़े निबंध (Long and Short Essay on Globalization in Hindi, Vaishvikaran par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द).

ग्लोबलाइजेशन पूरे विश्वभर में किसी वस्तु को फैलाने से संबंधित है। हालांकि, आमतौर पर यह उत्पादों, व्यापार, तकनीकी, दर्शन, व्यवसाय, कारोबार, कम्पनी आदि का वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) करना है। यह देश-सीमा या समय-सीमा के बिना बाजार में एक सफल आन्तरिक सम्पर्क का निर्माण करता है।

वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन का सबसे सामान्य और स्पष्ट उदाहरण पूरे विश्वभर में मैक-डोनल्स होटलों का विस्तार है। यह पूरे विश्व भर के बाजारों में अपनी प्रभावी रणनीति के कारण बहुत सफल हैं, क्योंकि ये प्रत्येक देश में अपने विवरण (मैन्यू) में उस देश के लोगों की पसंद के अनुसार वस्तुओं को शामिल करता है। इसे अन्तर्राष्ट्रीयकरण भी कहा जा सकता है, जो वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन और स्थानीयकरण का मिश्रण है।

ग्लोबलाइजेशन मानवता के लिए लाभप्रद है या हानिकारक

यह सुनिश्चित करना बहुत ही कठिन है कि, वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन मानवता के लिए लाभप्रद है या हानिकारक। यह आज भी बड़े असमंजस का विषय है। फिर भी, इस बात को नजरअंदाज करना बहुत ही कठिन है कि, वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) ने पूरे विश्वभर में लोगों के लिए महान अवसरों का निर्माण किया है। इसने समाज में लोगों की जीवन-शैली और स्तर में बड़े स्तर पर बदलाव किया है। यह विकासशील देशों या राष्ट्रों के लिए विकसित होने के बहुत से अवसरों को प्रदान करता है, जो ऐसे देशों के लिए बहुत आवश्यक है।

एक कम्पनी या कारोबार के लिए अपनी सफलता को आसान बनाने के लिए यह बहुत ही आवश्यक है कि, अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में उत्पादों या सेवाओं के विक्रय के वैश्विकरण को बहुत अधिक प्रभावी बनाया जाए। उत्पादन वैश्विकरण के अन्तर्गत, एक कारखाने या कम्पनी द्वारा बहुत से देशों में स्थानीय रुप से कारखाने स्थापित किए जाते हैं और उनमें कम कीमत पर उसी देश के स्थानीय लोगों से कार्य कराया जाता है, ताकि अपने घरेलू देश की तुलना में ज्यादा लाभ प्राप्त किया जा सके।

यदि हम इसे सकारात्मक के नजरिये से देखें तो, इसने क्षेत्रीय विविधता का उन्मूलन किया है और पूरे विश्वभर में एक जानी पहचानी संस्कृति को स्थापित किया है। इसे संचार तकनीकी द्वारा सहयोग दिया जाता है और विभिन्न देशों के व्यवसायों, कम्पनियों, सरकार और लोगों के बीच में पारस्परिक वार्तालाप और सम्पर्क को दिखाता है। वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) सकारात्मक और नकारात्मक रुप से परम्परा, संस्कृति, राजनीतिक व्यवस्था, आर्थिक विकास, जीवन शैली, समृद्धि आदि को प्रभावित करता है।

निबंध 2 (400 शब्द)

पिछले कुछ दशकों में, वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन बहुत तेजी से हुआ है, जिसके परिणामस्वरुप, पूरे विश्वभर में आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पारस्परिकता में तकनीकी, दूर संचार, यातायात आदि के क्षेत्र में काफी तेजी से वृद्धि हुई है। यह मानव जीवन को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ढ़ंगों से प्रभावित किया है। इसके नकारात्मक प्रभावों को समय-समय पर सुधारने की आवश्यकता है। वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) ने पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को बहुत से सकारात्मक तरीकों से प्रभावित किया है। विज्ञान और तकनीकियों की अविश्वसनीय उन्नति ने व्यवसाय या व्यापार को सभी सुरक्षित सीमाओं तक आसानी से विस्तार करने की आश्चर्यजनक अवसरों को प्रदान किया है।

ग्लोबलाइजेशन के कारण हुयी वृद्धि

वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) के कारण, कम्पनियों या कारखानों में बड़े स्तर पर आर्थिक वृद्धि हुई है। वे पहले से भी अधिक उत्पादक हो गई हैं और इस प्रकार, अधिक प्रतियोगी संसार का निर्माण कर रही है। उत्पादों, सेवाओं आदि की गुणवत्ता में प्रतियोगिता बढ़ती जा रही है।

विकसित देशों की सफल कम्पनियाँ विदेशों में अपनी कम्पनियों की शाखाओं को स्थापित कर रही हैं, जिससे उन्हें सस्ते श्रम और कम मजदूरी के माध्यम से स्थानीयकरण का लाभ मिले। इस तरह की व्यावसायिक गतिविधियाँ विकसित देशों या गरीब देशों के लोगों को रोजगार मिलता है। इस प्रकार, उन्हें आगे बढ़ने का मौका मिलता है।

वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन के प्रभाव

वैश्विकरण एक व्यवसाय और कारोबार को बहुत तरीके से प्रभावित करता है। वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन के पूरे विश्व के बाजार पर पड़ने वाले प्रभावों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है; बाजार वैश्विकरण या उत्पादन वैश्विकरण। बाजार वैश्विकरण के अन्तर्गत, दूसरे देशों के बाजारों में अपने उत्पादों या सेवाओं को कम कीमत पर बेचा जाता है वहीं दूसरी ओर, उन उत्पादों को घरेलू बाजार में अधिक कीमत पर बेचा जाता है।

पिछले कुछ दशकों में, वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन ने तकनीकी उन्नति का रुप ले लिया है, जिसके परिणामस्वरूप लोगों के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर यात्रा, संचार और व्यापार आसान हो गया है। एक तरफ, जहाँ ग्लोबलाइजेशन (वैश्विकरण) ने लोगों की तकनीकी तक पहुँच को आसान बना दिया है वहीं दूसरी तरफ, इसने प्रतियोगिता में वृद्धि करके सफलता के अवसरों में कमी का कार्य भी किया है।

ग्लोबलाइजेशन (वैश्विकरण) के सकारात्मक आयामों के साथ ही इसके नकारात्मक प्रभावों को भी भूलने योग्य नहीं है। एक देश से दूसरे देश के बीच में यातायात के साधनों द्वारा घातक बीमारियों और छूत की बीमारियों को होने का जोखिम बढ़ गया है। मानव जीवन पर वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) के बुरे प्रभावों को रोकने के लिए, सभी देशों की सरकारों का वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन पर पूरा नियंत्रण होना चाहिए।

Essay on Globalization in Hindi

निबंध 3 (500 शब्द)

वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन पूरे संसार में विज्ञान, तकनीकियों, व्यवसाय आदि का यातायात, संचार और व्यापार के साधनों के माध्यम से फैलाने की प्रक्रिया है। वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) लगभग सभी देशों को बहुत से तरीकों से जैसे; सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और मनौवैज्ञानिक रुप से भी प्रभावित करता है। वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन वो प्रकार है, जो व्यापार, व्यवससाय और तकनीकियों के क्षेत्र में देशों की तेज और निरंतर पारस्परिकता और अन्तर्निहिता का संकेत करता है। ग्लोबलाइजेशन (वैश्विकरण) का प्रभाव परम्परा, वातावरण, संस्कृति, सुरक्षा, जीवन-शैली और विचारों में देखा जा सकता है। ऐसे बहुत से तत्व हैं, जो वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) को पूरे विश्वभर में प्रभावित और त्वरित (बहुत तेज) करते हैं।

ग्लोबलाइजेशन ने इस पूरे विश्व में बहुत से परिवर्तन किए हैं, जहाँ लोग अपने देश से दूसरे देशों में अच्छे अवसरों की तलाश में जा रहे हैं। व्यापार या व्यवसाय के वैश्विकरण के लिए, कम्पनी या कारोबार को अपनी व्यापारिक रणनीति में बदलाव लाने की आवश्यकता होती है। उन्हें अपनी व्यापारिक रणनीति को एक देश को ध्यान में न रखते हुए इस तरह का बनाना होता है, जिससे कि वे बहुत से देशों में कार्य करने में सक्षम हों।

ग्लोबलाइजेशन में तेजी का कारण

वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन में तेजी का कारण लोगों की माँग, मुक्त व्यापार गतिविधियाँ, विश्वभर में बाजारों को स्वीकृति, नई तकनीकियों का समावेश, विज्ञान के क्षेत्र में नई तकनीकियों का समावेश, विज्ञान में शोध आदि है। वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन वातावरण पर बहुत से नकारात्मक प्रभाव डालता है और बहुत से पर्यावरणीय मुद्दों की उत्पत्ति करता है; जैसे- जल प्रदूषण, वनोल्मूलन, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, जल संसाधनों का प्रदूषित होना, मौसमों का बदलना, जैव विविधता को हानि आदि। सभी बढ़ते हुए पर्यावरणीय मुद्दों को अन्तर्राष्ट्रीय प्रयासों के द्वारा तत्कालिक आधार पर सुलझाने की आवश्यकता है, अन्यथा वे भविष्य में पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व खत्म कर सकते हैं।

पर्यावरण पर प्रभाव

पर्यावरणीय हानि को रोकने के लिए, पर्यावरणीय तकनीकियों का वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन और बड़े स्तर पर लोगों के बीच पर्यावरणीय जागरुकता फैलाने की आवश्यकता है। वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) के नकारात्मक प्रभावों का सामना करने के लिए, कम्पनियों या कारखानों को हरियाली को विकसित करने वाली तकनीकी को अपनाने की आवश्यकता है, जो वर्तमान पर्यावरणीय स्थिति को बदल सके। फिर भी, ग्लोबलाइजेशन (वैश्विकरण) ने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए बहुत से साधनों में सुधार करने (पर्यारण पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव कम करके, जैसे- मिश्रित (हाईब्रिड) कारों का प्रयोग जो कम तेल का उपयोग करती हैं) और शिक्षा को बढ़ावा देकर सकारात्मक रुप से बहुत अधिक मदद की है।

एप्पल के ब्रांड ने वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और सकारात्मक प्रभावों को बढ़ावा देने के लिए पर्यावरण के अनुरुप उत्पादों का निर्माण करने का लक्ष्य रखा है। हमेशा बढ़ती जनसंख्या की माँग बड़े स्तर पर वनोल्मूलन की ओर ले जा रही हैं जो सबसे बड़ा पर्यावरणीय मुद्दा है। अभी तक, लगभग आधा से भी अधिक लाभदायक जंगल या वन बीते वर्षों में काटे जा चुके हैं। इसलिए, वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) के नकारात्मक प्रभावों को नियंत्रण में लाने के लिए ग्लोबलाइजेशन (वैश्विकरण) का निर्माण करने की आवश्यकता है।

निबंध 4 (600 शब्द)

वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्तर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों के लिए व्यवसाय को बढ़ाने, तकनीकी वृद्धि, अर्थव्यवस्था में सुधार करने आदि का तरीका है। इस तरह से, निर्माणकर्ता या उत्पादक अपने उत्पादों या वस्तुओं को पूरे विश्व में बिना किसी बाधा के बेच सकते हैं। यह व्यवसायी या व्यापारी को बड़े स्तर पर लाभ प्रदान करता है, क्योंकि उन्हें ग्लोबलाइजेशन (वैश्विकरण) के माध्यम से गरीब देशों में आसानी से कम कीमत पर मजदूर मिल जाते है। यह कम्पनियों को बड़े स्तर वैश्विक बाजार में अवसर प्रदान करता है। यह किसी भी देश को भागीदारी, मिश्रित कारखानों की स्थापना, समता अंशों में निवेश, उत्पादों या किसी भी देश की सेवाओं का विक्रय आदि करने की सुविधा प्रदान करता है।

ग्लोबलाइजेशन या वैश्विकरण कैसे काम करता है

वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) पूरे विश्व के बाजार को एक बाजार मानने में मदद करता है। व्यापारी व्यवसाय के क्षेत्र को संसार को एक वैश्विक गाँव मानकर बढ़ाते हैं। 1990 के दशक से पहले, भारत में कुछ निश्चित उत्पादों का आयात करने पर रोक थी, जिनका निर्माण पहले से ही भारत में किया जाता था; जैसे- कृषि उत्पाद, इंजीनियरिंग वस्तुएं, खाद्य वस्तुएं आदि। यद्यपि, 1990 के दशक में धनी देशों का विश्व व्यापार संगठन, विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष पर गरीब और विकासशील देशों में अपने व्यवसाय को फैलाने के लिए दबाव था। भारत में उदारीकरण और वैश्विकरण की शुरुआत 1991 में संघीय वित्त मंत्री (मनमोहन सिंह) द्वारा की गयी थी।

बहुत सालों के बाद, वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) के कारण भारतीय बाजार में मुख्य क्रान्ति आई, जब बहुत से बहुराष्ट्रीय ब्रांड़ों ने, जैसे – पेप्सीको, के.एफ.सी, मैक-डोनल्ड, आई.बी.एम, नोकिया आदि ने भारत में सस्ती कीमत पर विभिन्न विस्तृत गुणवत्ता के उत्पादों की बिक्री की। सभी नेतृत्वकर्ता ब्रांडों ने वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन की वास्तविक क्रान्ति को प्रदर्शित किया, जिसके परिणामस्वरुप यहाँ आद्यौगिकीकरण और अर्थव्यवस्था में चौकाने वाली वृद्धि हुई। बाजार में गला काट प्रतियोगिता के कारण गुणवत्ता वाले उत्पादों की कीमत कम हो गई।

भारतीय बाजार में व्यवसायों के वैश्विकरण, ग्लोबलाइजेशन और उदारीकरण ने गुणवत्तापूर्ण विदेशी उत्पादों की बाढ़ सी आ गई हालांकि, इसने स्थानीय भारतीय बाजार को बहुत अधिक प्रभावित किया। इसके परिणामस्वरुप गरीब और अनपढ़ भारतीय कामगारों की नौकरी चली गई। ग्लोबलाइजेशन (वैश्विकरण) सभी उपभोक्ताओं के लिए बहुत अधिक लाभदायक है हालांकि, छोटे स्तर के भारतीय उत्पादकों के लिए बहुत ही हानिकारक है।

वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) के सकारात्मक प्रभाव

  • वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन ने भारतीय विद्यार्थियों और शिक्षा के क्षेत्र को इंटरनेट के माध्यम से विदेशी विश्वविद्यालयों को भारतीय विश्वविद्यालयों से जोड़ा है, जिसके कारण शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रान्ति आई है।
  • वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन के द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है, इसके कारण सामान्य दवाईयाँ, स्वास्थ्य को नियमित करने वाली विद्युत मशीन आदि से उपलब्ध हो जाती है।
  • ग्लोबलाइजेशन या वैश्विकरण ने कृषि क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के बीजों की किस्मों को लाकर उत्पादन को बड़े स्तर पर प्रभावित किया। यद्यपि, यह महँगे बीजों और कृषि तकनीकियों के कारण गरीब भारतीय किसानों के लिए अच्छा नहीं है।
  • यह रोजगार क्षेत्र में भी व्यापार, जैसे; लघु उद्योग, हाथ के कारखाने, कॉरपेट, ज्वैलरी और काँच के व्यवसाय आदि को बढ़ाने के माध्यम से, बड़े स्तर पर क्रान्ति लाया है।

वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) वहन करने योग्य कीमत पर गुणवत्ता पूर्ण विभिन्न उत्पादों लाने और विकसित देशों के साथ ही बड़ी जनसंख्या को रोजगार प्रदान किया है। यद्यपि, इसने प्रतियोगिता, अपराध, राष्ट्र विरोधी गतिविधियों, आतंकवाद आदि को बढ़ाया है। इसलिए, यह खुशियों के साथ कुछ दुखों को भी लाता है।

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वैश्वीकरण या भूमंडलीकरण पर निबंध

globalisation essay hindi

By विकास सिंह

globalisation essay in hindi

विषय-सूचि

वैश्वीकरण निबंध, globalisation essay in hindi (100 शब्द)

वैश्वीकरण या भूमंडलीकरण सामान्यतः अपने व्यवसाय के सेवा क्षेत्र को दुसरे देशों तक बढ़ाना है। यदि कोई व्यवसाय अपने काम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाता है और किसी दुसरे राष्ट्र में स्थापित करता है तो इसके लिए बहुत बड़ा अंतर्राष्ट्रीय निवेश चाहिए होता है। हालंकि इससे बहिउट फायदे होते हैं। इससे एक व्यवसाय के ग्राहकों में काफी बढ़ोतरी होती है और इसके साथ ही यदि यह किसी ऐसे देश में जाता है जहां उत्पादन लागत कम है तो व्यवसाय को खर्च कम करने में मदद मिलती है।

पिछले दशक में वैश्वीकरण बहुत तेज हो गया है और भारत देश में हज़ारों विदेशी कंपनियां आ गयी है। इससे भारत के व्यवसायों में प्रतिस्पर्धा बढ़ गयी है और इसके साथ ही भारत में ग्राहकों के पास विकल्पों की संख्या बढ़ गयी है। एक तरफ जहां इसने ग्राहकों के विकल्प बहद दिए हैं वहीँ दूसरी तरफ इसने व्यवसायों की प्रतिस्पर्धा बढा दी है।

वैश्वीकरण निबंध, essay on globalisation in hindi language (150 शब्द)

globalisation

आज के युग में व्यवसाय तेजी से बढ़ रहे हैं और ये केवल एक देश में सीमित न होकर कई देशों तक अपनी पहुँच बना रहे हैं। व्यवसाय का एक देश से अधिक देशों में अपनी उपस्थिति बनाना ही वैश्विकरणर कहलाता है। वैश्वीकरण या भूमंडलीकरण सामान्यतः अपने व्यवसाय के सेवा क्षेत्र को दुसरे देशों तक बढ़ाना है। यदि कोई व्यवसाय अपने काम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाता है और किसी दुसरे राष्ट्र में स्थापित करता है तो इसके लिए बहुत बड़ा अंतर्राष्ट्रीय निवेश चाहिए होता है। हालंकि इससे बहुत फायदे होते हैं।

वैश्वीकरण एक व्यवसाय या कंपनी पर कई तरह से असर करता है। सबसे अहम् होता है की इससे एक व्यवसाय के अधिक ग्राहक बनते हैं क्योंकि यह अपने देश के साथ साथ दुसरे देशों में भी पाने उत्पाद पहुंचा सकता है। इसके साथ ही यदि चीन जैसे देशो में यदि कोई व्यवसाय को स्थापित करता है तो वहां के सस्ते श्रमिक दर का फायदा मिलता है और इससे उत्पादन लागत में कमी आती है। अतः वैश्वीकरण व्यवसाय के लिए लाभकारी है।

वैश्वीकरण निबंध, globalisation essay in hindi (200 शब्द)

globalisation

जब हम किसी वस्तु को पूरे विश्व तक पहुंचाते हैं तो उसे उस वस्तु का वैश्वीकरण कहते हैं। इसे हम समय क्षेत्र और राष्ट्रीय क्षेत्र से मुक्त एक स्वतंत्र और परस्पर बाज़ार का निर्माण करना भी कह सकते हैं। यदि उदाहरण के रूप में देखें तो डोमिनोस पिज़्ज़ा का आज दुनिया के अधिकतर देशों में होना वैश्वीकरण का जीता जागता उदारहण है। इसने एक देश से शुरुआत की थी और अब यह कितने ही देशों में है। यह केवल इसकी स्ट्रेटेजी की वजह से ही हो पाया है। एक व्यवसाय को इतने बड़े स्तर पर विकसित होने के लिए बेहतर रणनीति की सख्त ज़रुरत होती है।

हालांकि यह निर्धारित करना की वैश्वीकरण एक दश के लिए लाभकारी है या हानिकारक, यह थोडा मुश्किल है। यदि हम लाभ देखें तो इससे व्यवसाय को नए नए अवसर मिलते हैं और इसके साथ ही एक देश के ग्राहकों के पास ज्यादा विकल्प हो जाते हैं। इसके साथ ही यदि इसके एक देश पर नुक्सान देखा जाए तो हम देखते हैं की एक अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय का एक देश में आने की वजह से उस देश के व्यवसायों की प्रतिस्पर्धा बढती है जिससे उनके राजस्व पर प्रभाव पड़ता है। अतः इस प्रकार वैश्वीकरण देश के लिए लाभप्रद और हानिकारक है।

वैश्वीकरण निबन्ध, globalization essay in hindi (250 शब्द)

globalisation

पिछले कुछ दशकों में वैश्वीकरण बहुत तेजी से हुआ है जिसके परिणामस्वरूप प्रौद्योगिकियों, दूरसंचार, परिवहन, आदि में उन्नति के माध्यम से दुनिया भर में आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक एकीकरण हुआ है।

हालांकि इसने मानव जीवन को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरीकों से प्रभावित किया है; इसके नकारात्मक प्रभावों को इसके अनुसार संबोधित करने की आवश्यकता है। वैश्वीकरण ने कई सकारात्मक तरीकों से दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में बहुत योगदान दिया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकियों में अविश्वसनीय उन्नति ने व्यवसायों को प्रादेशिक सीमाओं के बाहर भी आसानी से फैलने का अद्भुत अवसर दिया है।

वैश्वीकरण के कारण ही, कंपनियों की भारी आर्थिक वृद्धि हुई है। वे अधिक दक्ष रहे हैं और इस तरह उन्होंने अधिक प्रतिस्पर्धी दुनिया को जन्म दिया है। उत्पादों, सेवाओं आदि की गुणवत्ता में में प्रतिस्पर्धा की वजह से विकास हुआ है।  विकसित देशों की सफल कंपनियां अपने घरेलू देशों की तुलना में कम लागत वाले श्रम के माध्यम से स्थानीय स्तर पर लाभ लेने के लिए अपनी विदेशी शाखाएं स्थापित कर रही हैं। इस प्रकार की व्यावसायिक गतिविधियाँ विकासशील या गरीब देशों के लोगों को रोजगार दे रही हैं और इस प्रकार आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं।

वैश्वीकरण के सकारात्मक पहलुओं के साथ, नकारात्मक पहलू भी भूलने योग्य नहीं हैं। एक देश से दूसरे देश में परिवहन के माध्यम से महामारी संबंधी बीमारियों का खतरा रहा है। हालांकि, मानव जीवन पर इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए वैश्वीकरण पर सभी देशों की सरकार का उचित नियंत्रण रहा है।

भूमंडलीकरण पर निबन्ध, globalization essay in hindi (300 शब्द)

globalisation

वैश्वीकरण परिवहन, संचार और व्यापार के माध्यम से विज्ञान, प्रौद्योगिकी, व्यवसाय आदि के प्रसार की एक प्रक्रिया है। वैश्वीकरण ने दुनिया भर में लगभग सभी देशों को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक रूप से भी प्रभावित किया है। वैश्वीकरण एक शब्द है जोकी तेजी से व्यापार और प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में देशों के एकीकरण और अन्योन्याश्रय को जारी रखने का संकेत देता है। वैश्वीकरण का प्रभाव परंपरा, पर्यावरण, संस्कृति, सुरक्षा, जीवन शैली और विचारों पर देखा गया है। दुनिया भर में वैश्वीकरण के रुझानों को प्रभावित करने वाले कई कारक हैं।

वैश्वीकरण में तेजी का कारण लोगों की मांग, मुक्त-व्यापार गतिविधियों, दुनिया भर में बाजारों की स्वीकृति, उभरती हुई नई प्रौद्योगिकियां, विज्ञान में नए शोध आदि हैं, क्योंकि वैश्वीकरण का पर्यावरण पर भारी नकारात्मक प्रभाव है और विभिन्न पर्यावरण को जन्म दिया है।

जल प्रदूषण, वनों की कटाई, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, जल संसाधनों के प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि, आदि जैसे सभी बढ़ते पर्यावरणीय मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय प्रयासों द्वारा तत्काल आधार पर हल करने की आवश्यकता है अन्यथा वे भविष्य में एक दिन पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को समाप्त कर सकते हैं।

एप्पल कंपनी ने भी भूमंडलीकरण के नकारात्मक प्रभावों को कम करने और सकारात्मक प्रभावों को बढाने के लिए पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों का निर्माण करने का लक्ष्य रखा है।

लगातार बढ़ती जनसंख्या की बढ़ती माँगों के कारण वनों की कटाई जैसी समस्याएँ बढ़ रही हैं और इससे पर्यावरण का स्तर गिर रहा है। पिछले वर्षों में लगभग आधे उपयोगी वन काट दिए गए हैं। इसलिए इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए वैश्वीकरण को नियंत्रण में लाने की आवश्यकता है।

वैश्वीकरण पर निबन्ध, essay on globalisation in hindi (400 शब्द)

globalisation

प्रस्तावना :

वैश्वीकरण अंतर्राष्ट्रीय व्यवसायों के लिए व्यवसायों को खोलने, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी विकास, अर्थव्यवस्था आदि में सुधार करने का एक तरीका है। यह उत्पादों या वस्तुओं के निर्माताओं और उत्पादकों के लिए अपने उत्पादों को वैश्विक स्तर पर बिना किसी प्रतिबंध के बेचने का तरीका है।

यह व्यवसायियों को भारी लाभ प्रदान करता है क्योंकि उन्हें वैश्वीकरण के माध्यम से गरीब देशों में आसानी से कम लागत का श्रम मिलता है। यह दुनिया भर के बाजार से निपटने के लिए कंपनियों को एक बड़ा अवसर प्रदान करता है। यह किसी भी देश को किसी भी देश में व्यवसाय, स्थापित करने या विलय करने, इक्विटी शेयरों में निवेश, उत्पादों या सेवाओं की बिक्री की सुविधा प्रदान करता है।

वैश्वीकरण क्या है ?

वैश्वीकरण पूरी दुनिया को एकल बाजार के रूप में विकसित करता है। व्यापारी दुनिया को एक वैश्विक गांव के रूप में केंद्रित करके अपने क्षेत्रों का विस्तार कर रहे हैं।

1990 के दशक से पहले, कुछ उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध था, जो भारत में पहले से ही निर्मित हो रहे थे जैसे कि कृषि उत्पाद, इंजीनियरिंग सामान, खाद्य पदार्थ, प्रसाधन आदि, हालांकि, 1990 के दशक के दौरान विश्व व्यापार संगठन, विश्व बैंक पर अमीर देशों का दबाव था। (विकास वित्तपोषण गतिविधियों में लगे हुए), और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष अन्य देशों को गरीब और विकासशील देशों में व्यापार और बाजार खोलकर अपने व्यापार को फैलाने की अनुमति देता है। भारत में वैश्वीकरण और उदारीकरण की प्रक्रिया 1991 में केंद्रीय वित्त मंत्री (मनमोहन सिंह) के अधीन शुरू हुई थी।

कई वर्षों के बाद, वैश्वीकरण ने भारतीय बाजार में बड़ी क्रांति ला दी जब बहुराष्ट्रीय ब्रांड जैसे पेप्सिको, केएफसी, मैक  डोनाल्ड, बूमर च्यूइंग गम, आईबीएम, नोकिया, एरिक्सन, ऐवा आदि आदि भारत में आए और सस्ते दामों पर कई तरह के गुणवत्तापूर्ण उत्पाद देने लगे। सभी प्रमुख ब्रांडों ने औद्योगिक क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में जबरदस्त वृद्धि के रूप में यहां वैश्वीकरण की वास्तविक क्रांति को दिखाया। बाजार में चल रही गला काट प्रतियोगिता के कारण गुणवत्ता वाले उत्पादों की कीमतें कम हो रही हैं।

भारतीय बाजार में व्यवसायों का वैश्वीकरण और उदारीकरण, गुणवत्ता वाले विदेशी उत्पादों की भरमार कर रहा है, लेकिन यह साथ में स्थानीय भारतीय उद्योगों को काफी हद तक प्रभावित भी कर रहा है, जिससे गरीब और अशिक्षित श्रमिकों की नौकरी छूट गई है।

वैश्वीकरण का असर :

  • वैश्वीकरण ने भारतीय छात्रों और शिक्षा क्षेत्रों को काफी हद तक प्रभावित किया है, जो अध्ययन की किताबें और इंटरनेट पर भारी जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं। भारतीय विश्वविद्यालयों के साथ विदेशी विश्वविद्यालयों के सहयोग ने शिक्षा उद्योग में एक बड़ा बदलाव लाया है।
  • सामान्य दवाओं, स्वास्थ्य निगरानी इलेक्ट्रॉनिक मशीनों, आदि के वैश्वीकरण से स्वास्थ्य क्षेत्र भी बहुत प्रभावित होते हैं। कृषि क्षेत्र में व्यापार के वैश्वीकरण ने रोग प्रतिरोधक संपत्ति वाले विभिन्न गुणवत्ता वाले बीजों को लाया है। हालांकि यह महंगे बीज और कृषि प्रौद्योगिकियों के कारण गरीब भारतीय किसानों के लिए अच्छा नहीं है।
  • इसने कुटीर, हथकरघा, कालीन, कारीगरों और नक्काशी, सिरेमिक, आभूषण और कांच के बने पदार्थ आदि के कारोबार के प्रसार से रोजगार क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति ला दी है।

निष्कर्ष :

वैश्वीकरण ने विकासशील देशों के साथ-साथ बड़ी आबादी को रोजगार के लिए सस्ती कीमत वाले उत्पादों और समग्र आर्थिक लाभों की विविधता ला दी है। हालाँकि, इसने प्रतिस्पर्धा, अपराध, राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों, आतंकवाद आदि को जन्म दिया है, इसलिए, यह सकारात्मक के साथ साथ नकारात्मक असर भी लेकर आया है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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आज   हम वैश्वीकरण पर निबंध (Essay On Globalization In Hindi) लिखेंगे। वैश्वीकरण पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

वैश्वीकरण पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Globalization In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन का अर्थ होता है, किसी व्यापार को पूरी दुनिया तक फैलाना। लेकिन पिछले कुछ दशकों में वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन का अर्थ केवल इतना ही नहीं रह गया है। अब वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के बीच उत्पादों, व्यापार, तकनीकी, दर्शन, व्यवसाय, कारोबार, कम्पनी आदि के उपर भी लागू होता है।

वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन एक बहुत ही अहम प्रक्रिया है। यह पूरी दुनिया को जोड़ती है। इससे आर्थिक मजबूती देखने को मिलती है। यह देश दुनिया के बाजारों का एक सफल आंतरिक संपर्क का निर्माण करता है।

आज के समय में हम मैकडॉनल्ड (McDonalds) से काफी भलीभांति परिचित होंगे। यह एक वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन का ही उदाहरण है। आज के समय में मैकडॉनल्ड्स पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है और कई देशों में मैकडॉनल्स अपना व्यापार करता है।

पिछले दशकों में पूरी दुनिया में बहुत तेजी से ग्लोबलाइजेशन या वैश्वीकरण हुआ है। पूरे विश्व भर में आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पारस्परिकता में तकनीकी, दूर संचार, यातायात आदि के क्षेत्र में काफी तेजी से वृद्धि होना, ग्लोबलाइजेशन या वैश्वीकरण का ही परिणाम है।

ग्लोबलाइजेशन या वैश्वीकरण के प्रभाव

पिछले कुछ दर्शकों ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बिल्कुल नई दिशा दे दी है। ग्लोबलाइजेशन या वैश्वीकरण ने न केवल अंतरराष्ट्रीय बाजार बल्कि राष्ट्रीय बाजार को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। हालांकि हमें कई रूप में ग्लोबलाइजेशन या वैश्वीकरण प्रकृति के लिए लाभदयक साबित नहीं हुआ। जिसके नकारात्मक परिणाम हमें भुगतने पड़ रहे हैं।

हमने पिछले कुछ वर्षों में इस बात पर गौर किया कि, हमारे बीच ऑनलाइन शॉपिंग का चलन बढ़ गया है। अब हम देश विदेश से अपने लिए किसी भी चीज को आसानी से मंगवा सकते हैं।

यह वैश्वीकरण का ही प्रतीक है। पहले ऐसा करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। अक्सर अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं का व्यापार केवल प्रधानमंत्री तथा मंत्रियों का कार्य माना जाता था। लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में काफी छूट मिल गई है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में तेजी से वृद्धि हो रही है।

हालांकि ग्लोबलाइजेशन और वैश्वीकरण की प्रक्रिया में प्रकृति को काफी नुकसान हुआ है। इन नुकसान की भरपाई करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कंपनियां पर्यावरण के प्रति कई बड़े कदम उठा रही हैं और बड़े स्तर पर पर्यावरण जागरूकता फैलाने की कोशिश की जा रही है।

वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन के कारण ही विकसित देशों की कंपनियां अपना व्यापार पूरी दुनिया में फैलाने में सफल हुई है। वैश्वीकरण के कारण कई देशों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है।

सभी लोग ज्यादा से ज्यादा मात्रा में उत्पादक होने की कोशिश करते हैं। यह हमें एक प्रतियोगी संसार की ओर ले जा रहा है। यह एक ऐसे बाजार का निर्माण करता है, जहां पर बहुत ज्यादा प्रतियोगिता होती है और ग्राहक का ध्यान सबसे पहले रखा जाता है।

ग्लोबलाइजेशन या वैश्वीकरण के फायदे

वैश्वीकरण के कारण हमें काफी सारी सेवाओं का लाभ हुआ है। इसका सबसे बड़ा उदाहण शिक्षा क्षेत्र में भी देखा जा सकता है। वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन के कारण ही भारतीय छात्र इंटरनेट से परिचित हुए। इंटरनेट के कारण भारत में एक नई क्रांति आई है।

इंटरनेट के माध्यम से ही भारतीय छात्र अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय से जुड़ने में सफलता प्राप्त कर रहे हैं। इससे भारतीय छात्रों को बहुत लाभ हुआ है। इतना ही नहीं वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन के चलते हमें स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी वृद्धि देखने को मिलती है।

वैश्वीकरण में ग्लोबलाइजेशन के चलते ही हमें कई मशीनें अपने देश में उपलब्ध कराई जाती हैं। स्वास्थ्य को नियमित करने वाली विद्युत मशीन आदि वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन के कारण हम तक पहुंचाई जाती हैं।

यह तो हम सभी जानते हैं कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है। वैश्वीकरण और ग्लोबलाइजेशन ने कृषि क्षेत्र में भी अपनी अहम भूमिका निभाई है। ग्लोबलाइजेशन के कारण कृषि क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के बीजों की किस्मों को लाकर, उत्पादन बड़े स्तर पर प्रभावित हुआ है। इसी प्रकार से रोजगार के क्षेत्र में भी वैश्वीकरण और ग्लोबलाइजेशन ने अपनी अहम भूमिका निभाई है।

वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन का पर्यावरण पर प्रभाव

किसी सिक्के के दो पहलू की तरह वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन के भी दो प्रभाव हमें देखने को मिलते हैं। एक है इसका सकारात्मक प्रभाव और दूसरा है इसका नकारात्मक प्रभाव। वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन की सकारात्मकता को हम कई क्षेत्रों में महसूस कर सकते हैं।

लेकिन यह बात किसी से छुपी नहीं है कि वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन ने पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित किया है। राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अपना अंतरिक मुनाफा बढ़ाने के लिए पर्यावरण को हानि पहुंचाते जा रही हैं। दुनिया भर में प्रदूषण कंट्रोल में नहीं है। विश्व भर की कई औद्योगिक राजधानियां प्रदूषण की समस्या का सामना कर रही हैं।

प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों में भी इजाफा देखा गया है। छोटे-छोटे बच्चे भी आम प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। विश्व भर के सामान्य तापमान में भी वृद्धि आई है। धरती का तापमान लगातार गर्म होता जा रहा है।

हवा के साथ साथ पानी भी प्रदूषित होता जा रहा है। हालांकि कई वैश्विक कंपनियों ने इसके दुष्प्रभाव को कम करने की पूरी कोशिश की है। कंपनियां इसके नकारात्मक प्रभाव से निपटने के लिए अलग-अलग तरह के प्रयास कर रही हैं। कंपनियों को हरियाली सुरक्षित रखने का प्रयास करना चाहिए और ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे कि पर्यावरण को कुछ नुकसान ना हो।

यह बिल्कुल सच है कि वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन के कारण है हम एक नई किस्म की दुनिया से अवगत हुए हैं। आज के समय में सब कुछ काफी आसान हो गया है। दुनिया में हर चीज आज हमारे पास मौजूद होती है। यह सब वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन के बदौलत ही संभव हो पाया है।

वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन कई मायनों में हमारे लिए लाभदायक साबित हुआ है। लेकिन इसके दुष्प्रभावों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम इसके दुष्प्रभावों को कम कर सके।

बड़े स्तर पर पर्यावरण के प्रति जागरूक करने वाले कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित किए जाते रहते हैं। लेकिन तब भी किसी ऐसी तकनीक को विकसित करने की जरूरत है, जिससे कि वैश्वीकरण और पर्यावरण दोनों ही सुरक्षित रहे।

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तो यह था वैश्वीकरण पर निबंध , आशा करता हूं कि वैश्वीकरण पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Globalization) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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Globalization essay in hindi or (globalisation) वैश्विकरण या पर निबंध.

Read an essay on Globalization in Hindi language for students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Know more about Globalization in Hindi. वैश्विकरण पर निबंध

hindiinhindi Globalization Essay In Hindi

Globalization Essay In Hindi

वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन पर निबंध

वैश्वीकरण एक अंग्रेजी का शब्द हैं जिसे हिंदी में भूमंडलीकरण भी कहा जाता है। वैश्विकरण, भूमंडलीकरण या ग्लोबलाइजेशन के प्रक्रिया में किसी भी व्यापर, तकनीक और अन्य सेवाओं को पूरे संसार के विश्व बाजार में विस्तार करना है। किसी एक देश का दूसरे देशो के साथ किसी वस्तु, सेवा, पूंजी, विचार, बौद्धिक सम्पदा का अप्रतिबंधित लेन-देन को वैश्विकरण, भूमंडलीकरण या ग्लोबलाइजेशन कहा जाता है। जिस के तहत किसी भी देश की वास्तु, सेवा, पूंजी अदि बिना किसी रोक टोक के आवाजाही हो।

ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत – जब यूरोपीय देशों में करीब 16 वी शताब्दी में सम्राज्यवाद की शुरुआत हुई, ढीक उसी वक़्त से ग्लोबलाइजेशन की शुरुआत भी हो गयी थी। इतिहास में अगर इसे अपनाने की बात करे तो लगभग सभी देशो ने इसकी 1950-60 के दशक से शुरुआत की। मुख्य कारन था दूसरा विश्व युद्ध, जिसके बाद सभी देशो के राजनितिज्ञो और अर्थशास्त्रियो ने वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन के महत्व को समझा।

ग्लोबलाइजेशन का प्रभाव – वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन व्यवसाय और कारोबार के ऊपर बहुत प्रभाव डालता है। ग्लोबलाइजेशन से पड़ने वाले इन प्रभावों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है – बाजार वैश्विकरण या उत्पादन वैश्विकरण। बाजार वैश्विकरण के अंदर अपने देश के बने हुए उद्पादो को कम् कीमत पर दूरसे देशो में बेचा जाता है और उत्पादन वैश्विकरण के अंदर उन्ही उद्पादो को अपने ही देश में अधिक कीमत पर बेचा जाता है।

ग्लोबलाइजेशन के लाभ – व्यापार प्रणाली में ग्लोबलाइजेशन ने एक नई जान दाल दी है, जिसके बहुत सरे लाभ है। वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन के बाद ही विश्व की विभिन्न कंपनियों ने दूसरे देशो में अपनी जगह बनाई। नए उद्धयोगो की स्थापना के वजह से रोज़गार में वृद्धि हुई। ग्लोबलाइजेशन की वजह से कई देशों की जीडीपी, राजकोषीय घाटा, मुद्रास्फीति,निर्यात, साक्षरता और जन्म मृत्यु दर में सुधर देखा गया।

वर्तमान युग वैज्ञानिक युग है जिसमे विश्व की राजनीति नए सिरे से संचालित होने लगी है। पहले इसे सामान्य लोग सिर्फ आर्थिक रूप से ही देखते थे किन्तु आज इसका राजनीतिकी, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है।

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Essay on Globalization in Hindi – ग्लोबलाइजेशन पर निबंध

January 29, 2018 by essaykiduniya

यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में ग्लोबलाइजेशन पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraph and Short Essay on Globalization in Hindi Language for students of all Classes in 200 and 900 words.

Essay on Globalization in Hindi Language – ग्लोबलाइजेशन पर निबंध

Essay on Globalization in Hindi

Essay on Globalization in Hindi Language – ग्लोबलाइजेशन पर निबंध ( 300 words )

ग्लोबलाइजेशन का अर्थ हैं सभी देशों में वस्तु, विचारों, सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक स्तर पर सभी चीजों के बिना किसी रोक टोक के लेन देन की आवाजाही है। इसकी शुरूआत सबसे पहले 16वीं सदी में युरोपीय देशों से हुई थी और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सभी देशों ने वैश्विकरण को अपनाया था। आज के इंटरनेट के युग ने ग्लोबलाइजेशन को आसान करके उसे बढ़ावा दिया है। ग्लोबलाइजेशन से सभी देशों को लाभ हुआ है और आयात निर्यात में वृद्धि हुई है और इससे विकासशील देशों को प्रगति करने में सहायता हुई है। इससे हम किसी भी चीज को एक देश से दुसरे देश में भेजने के लिए आजाद है। ग्लोबलाइजेशन की वजह से भारत अपनी संस्कृति को खोता जा रहा है और पश्चिमी सभ्यता को अपनाता जा रहा है।

ग्लोबलाइजेशन को बढ़ावा देने में सबसे ज्यादा सहयोग संयुक्त राष्ट्र बैंक ने दिया है। ग्लोबलाइजेशन के कारण पूरा विश्व एक गाँव का रूप से चुका है। आज भारत के सोफ्टवेयर इंजीनियर की विदेशों में माँग है। ग्लोबलाइजेशन के कारण भारत के आईटी इंजीनियर दुनिया के हर  कोने में हैं। ग्लोबलाइजेशन से विश्व में शांति और भाईचारा बढ़ेगा। कोई भी राष्ट्र दुसरे राष्ट्र की सहायता के बिना प्रगति नहीं कर सकता है।

इसकी वजह से रोजगार के क्षेत्र में भी क्रांती आई है। शिक्षा में भी वृद्ध् हुई है। स्थानीय विद्यालयों को विदेशों के विश्व विद्यालयों से जोड़ा गया है। वैश्विकरण में अगर हम प्रतिस्पर्धा की भावना न रखकर एक दुसरे का सहयोग करे तो जल्दी ही पूरे विश्व में सभी लोग विकसित होंगे। ग्लोबलाइजेशन बहुत ही लाभदायक है लेकिन सभी देशों को इस पर नियंत्रण रखना चाहिए। बिना ग्लोबलाइजेशन के कोई भी देश पूरे तरीके से आत्म निर्भर नहीं बन सकता है और न ही उसका आर्थिक विकास संभव है। वैश्विकरण दुनिया को जोड़ने में सहायक है।

Essay on Globalization in Hindi Language – ग्लोबलाइजेशन पर निबंध ( 900 words )

दुनिया पहले से कहीं अधिक परस्पर निर्भर है। 1980 के दशक से, शीत युद्ध को समाप्त करने और पूर्व सोवियत संघ के विभाजन के साथ वैश्वीकरण के लोकप्रिय धारणा को बढ़ा दिया गया है। वैश्वीकरण शब्द समाज और अर्थव्यवस्थाओं के बीच बातचीत और एकीकरण की प्रक्रिया को दर्शाता है। इस घटना में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक डोमेन के साथ-साथ संचार, परिवहन, तकनीक और सीमाओं के विचारों के प्रवाह में बदलाव शामिल हैं। इन प्रवाहों की तीव्रता ने वैश्वीकरण के रुझान को बदल दिया है।

सूचना के तेजी से परिवर्तनों ने जीवन का एक नया पट्टा दिया है, इसलिए एक भी देश अलगाव में नहीं रह सकता; बातचीत की ज़रूरत है चूंकि बहुराष्ट्रीय कंपनियां कुछ देशों के उत्पादों का निर्माण करती हैं, लेकिन उन्हें दुनिया भर में बेचते हैं। वैश्वीकरण केवल अर्थव्यवस्थाओं में बाधाओं को दूर ही नहीं कर रहा है बल्कि इसके द्वारा संस्कृति और सामाजिक जीवन प्रभावित हो रहा है। टैरिफ और ट्रेड पर सामान्य समझौता (जीएटीटी), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और मुक्त व्यापार की पहल की स्थापना ने वैश्वीकरण को बढ़ाया है।

भूमंडलीकरण ने विकासशील दुनिया के लिए नई संभावनाएं लायी हैं इसने विकासशील देशों में अपनी मशीनरी को बेहतर आउटपुट और उच्च जीवन स्तर के आश्वासन के साथ स्थानांतरित करने के लिए विकसित बाजारों में महान शक्ति दी है। हालांकि, इसमें कठिनाइयां भी सामने आई हैं, जैसे कि, सामाजिक-आर्थिक वर्गों के बीच असमानता में वृद्धि, आर्थिक गिरावट और वित्तीय बाजार में अस्थिरता। नब्बे के दशक में, व्यापार और निवेश पर प्रतिबंध हटा दिया गया और इस बाधा को हटाने ने भारत में वैश्वीकरण की तीव्रता को तेज कर दिया।

1990 के दशक के शुरूआत में, भारत ने विदेशी मुद्रा संकट की वजह से अपनी अर्थव्यवस्था को दुनिया में अनलॉक कर दिया, जिससे अर्थव्यवस्था के कर्ज पर चूक हुई। भारत में लिबरलाइजेशन, निजीकरण और वैश्वीकरण के रूप में जाना जाने वाला नया आर्थिक मॉडल की धारणा के साथ भारत में अचानक नीतिगत बदलाव हुआ था (एलपीजी)।

नब्बे के दशक के शुरुआती दिनों में, महत्वपूर्ण उपायों ने नीति के एक हिस्से के रूप में उभारा, जैसे उद्योगों के लाइसेंस छोड़ने, सार्वजनिक क्षेत्र के क्षेत्रों में कमी, एकाधिकार में संशोधन और नियंत्रित व्यापार प्रणाली का कार्य, निजीकरण कार्यक्रम आरंभ, टैरिफ कम करना शुल्क और सबसे महत्वपूर्ण बाजार निर्धारित विनिमय दर पर स्विच करना था। नीति में यह बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था के विस्तार पर नाटकीय प्रभाव डालता था। यह सभी परिवर्तन वास्तव में वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था के संलयन की घोषणा थे। नीति में बदलाव के साथ, अधिक से अधिक क्षेत्र विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और पोर्टफोलियो निवेश शुरू करते हैं और दूरसंचार, हवाई अड्डों, बीमा, सड़कों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों, परिवहन और बहुत कुछ में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करते हैं।

भारतीय नई तकनीकों और जीने के नए तरीकों से उभर रहे हैं वैश्वीकरण के कारण, संचार बहुत आसान है क्योंकि सेल फोन उपयोगकर्ताओं की संख्या भारत में बढ़ी है। यूटीवी टेकट्री के मुताबिक, 2014 के साल तक, 97% भारतीयों का अपना सेल फोन होगा इससे पता चलता है कि यहां तक कि ग्रामीणों को भी इस उन्नति के साथ ही होगा। शहरों में अपने रिश्तेदारों के साथ बातचीत करना उनके लिए बहुत आसान होगा। सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट जैसे कि फेसबुक, याहू मैसेंजर आदि ने इंटरनेट एक्सप्लोरर भी उसी गति से बढ़ रहे हैं, जिससे संचार अंतराल लगभग खत्म हो गया है।

उसी समय, जहां संस्कृति लोगों के लिए एक स्वस्थ और शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करती है, क्योंकि वे अपने सांस्कृतिक विचारों, विचारों को वैश्वीकरण के साथ साझा करते हैं, अतीत से सांस्कृतिक मूल्यों में कमी आई है। उपभोक्तावाद और भौतिकवाद की एक पूरी तरह से नई संस्कृति, यह धन के संचय पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। लोग सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों पर कंप्यूटर पर अपना समय व्यतीत कर रहे हैं या सेल फोन पर मैसेजिंग या वीडियो गेम खेलने या टीवी देखने के बजाए उत्पादक आउटडोर गतिविधियों में अपने समय का उपयोग करने और असली लोगों के साथ बातचीत करने के बजाय टीवी देख रहे हैं।

खाद्य संस्कृति भी अतीत से बदल गई है पिज्जा झोपड़ी, एमसी डोनाल्ड और अधिक जैसे पश्चिमी रेस्तरां के आक्रमण के साथ, लोगों को भारतीय भोजन के बदले ऐसे जंक फूड की ओर झुकाया जाता है, जो पोषण से भरा होता है। भारतीय साहित्य लगभग कम हो गया है क्योंकि अधिक से अधिक लोग अंग्रेजी भाषा में सीखने में दिलचस्पी रखते हैं और यहां तक कि स्कूलों को उनकी संस्कृति भाषा पर अंग्रेजी भाषा पसंद है इसलिए क्षेत्रीय भाषा की किताबें किसी भी अन्य अंग्रेजी पुस्तक की तुलना में कम सफल होती हैं। शास्त्रीय संगीत की अवधारणा लगभग भारत से गायब हो गई है। टेबल और सितार जैसे शास्त्रीय उपकरणों को सीखने में रुचि रखने वाले किसी भी छात्र नहीं हैं। इसके अलावा, वैश्वीकरण के साथ, किशोर पीने के पश्चिमी संस्कृति अपना रहे हैं और कुछ पत्रिका और टीवी चैनल ऐसी जानकारी प्रदर्शित करते हैं, जो युवा पाठकों के लिए अनुचित है।

सामान्य तौर पर, रोजगार पर वैश्वीकरण के प्रभाव परस्पर विरोधी है। जैसा कि भारत में दूसरी सबसे बड़ी आबादी है, इसलिए बेरोजगारी की सही दर जानने के लिए मुश्किल है। बड़ी संख्या में श्रम असंगठित या अज्ञात कार्यकर्ताओं के समूह के लिए धकेल दिया जाता है, ताकि आपूर्ति के अधिशेष श्रम बाजार में असंतुलित स्थिति या अपघटन को जन्म दे। बड़ी उत्पादन फर्म नैसर्गिक संसाधनों का दुरुपयोग कर सकता है और इनका उपयोग अक्षमतापूर्वक कर सकता है और घरेलू उत्पादक को बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा हावी जा रहा है जो पहले से ही भारत में घरेलू उद्योगपति पर प्रतिस्पर्धात्मक लाभ ले रहे हैं, निवेश करने के लिए अधिक धन है। इससे स्थानीय व्यवसायों को और अधिक बंद करना होगा।

निष्कर्ष निकालने के लिए, यह दावा किया जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर आर्थिक सुधारों के फायदे प्राप्त किए जा सकते हैं, यदि तभी से ऊपर उल्लिखित नकारात्मक प्रभावों जैसे कि बेरोजगारी, बढ़ती आबादी पर, स्थानीय व्यवसायों को बंद करना और अधिक कम हो जाएंगे। साथ में, वैश्वीकरण और आर्थिक नीतियों को सुधारने, संभावित श्रम बल को समझने और काम, आय और जीवन के लिए आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए ताकि वे एक तरफ उस प्रक्रिया में और दूसरे पर भी लाभान्वित हो|

हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध (  Essay on Globalization in Hindi Language – ग्लोबलाइजेशन पर निबंध ) को पसंद करेंगे।

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वैश्विकरण या ग्लोबलाइजेशन पर निबंध – Essay on Globalization in Hindi

Essay on Globalization in Hindi: वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन से तात्पर्य लोगों, कंपनियों और सरकारों के बीच एकीकरण से है। अधिकांश उल्लेखनीय, यह एकीकरण वैश्विक स्तर पर होता है। इसके अलावा, यह पूरी दुनिया में कारोबार के विस्तार की प्रक्रिया है। ग्लोबलाइजेशन में, कई व्यवसाय विश्व स्तर पर विस्तारित होते हैं और एक अंतर्राष्ट्रीय छवि ग्रहण करते हैं। नतीजतन, अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को विकसित करने के लिए भारी निवेश की आवश्यकता है।

कैसे ग्लोबलाइजेशन अस्तित्व में आया?

सबसे पहले, सभ्यता शुरू होने के बाद से लोग माल का व्यापार करते रहे हैं। पहली शताब्दी ईसा पूर्व में चीन से यूरोप तक माल का परिवहन होता था । सिल्क रोड के साथ माल परिवहन हुआ। सिल्क रोड मार्ग की दूरी बहुत लंबी थी। यह ग्लोबलाइजेशन के इतिहास में एक उल्लेखनीय विकास था। ऐसा इसलिए है, क्योंकि पहली बार माल महाद्वीपों में बेचा गया था।

Essay on Globalization in Hindi

1 ई.पू. के बाद से ग्लोबलाइजेशन धीरे-धीरे बढ़ता रहा। 7 वीं शताब्दी ईस्वी में एक और महत्वपूर्ण विकास हुआ। यह वह समय था जब इस्लाम धर्म का प्रसार हुआ। सबसे उल्लेखनीय, अरब व्यापारियों ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का तेजी से विस्तार किया । 9 वीं शताब्दी तक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर मुस्लिम व्यापारियों का वर्चस्व था। इसके अलावा, इस समय व्यापार का ध्यान मसाला था।

15 वीं शताब्दी में एज ऑफ डिस्कवरी में ट्रू ग्लोबल ट्रेड शुरू हुआ। पूर्वी और पश्चिमी महाद्वीप यूरोपीय व्यापारियों द्वारा जुड़े हुए थे। इस काल में अमेरिका की खोज थी। नतीजतन, वैश्विक व्यापार यूरोप से अमेरिका तक पहुंच गया।

19 वीं शताब्दी से, पूरी दुनिया में ग्रेट ब्रिटेन का वर्चस्व था। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का तेजी से प्रसार हुआ। अंग्रेजों ने शक्तिशाली जहाज और ट्रेनें विकसित कीं। नतीजतन, परिवहन की गति बहुत बढ़ गई। वस्तुओं के उत्पादन की दर में भी काफी वृद्धि हुई। संचार भी तेज हो गया जो वैश्विक व्यापार के लिए बेहतर था ।

अंत में, २० वें और २१ वें हिस्से में ग्लोबलाइजेशन ने अपना अंतिम रूप ले लिया। इन सबसे ऊपर, प्रौद्योगिकी और इंटरनेट का विकास हुआ। यह ग्लोबलाइजेशन के लिए एक बड़ी सहायता थी। इसलिए, ई-कॉमर्स वैश्वीकरण में एक बड़ी भूमिका निभाता है।

ग्लोबलाइजेशन का प्रभाव

सबसे पहले, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) एक महान दर से बढ़ता है। यह निश्चित रूप से ग्लोबलाइजेशन का बहुत बड़ा योगदान है। एफडीआई के कारण औद्योगिक विकास होता है। इसके अलावा, वैश्विक कंपनियों की वृद्धि है। साथ ही, कई तीसरी दुनिया के देशों को भी एफडीआई से फायदा होगा।

तकनीकी नवाचार ग्लोबलाइजेशन का एक और उल्लेखनीय योगदान है। सबसे उल्लेखनीय, ग्लोबलाइजेशन में प्रौद्योगिकी विकास पर बहुत जोर दिया गया है। इसके अलावा, ग्लोबलाइजेशन के कारण प्रौद्योगिकी हस्तांतरण भी है। तकनीक से निश्चित रूप से आम लोगों को फायदा होगा।

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ग्लोबलाइजेशन के कारण उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि निर्माता उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को बनाने की कोशिश करते हैं। यह तीव्र प्रतिस्पर्धा के दबाव के कारण है। यदि उत्पाद अवर है, तो लोग आसानी से दूसरे उच्च-गुणवत्ता वाले उत्पाद पर स्विच कर सकते हैं।

इसे योग करने के लिए, ग्लोबलाइजेशन वर्तमान में एक बहुत ही दृश्यमान घटना है। सबसे उल्लेखनीय, यह लगातार बढ़ रहा है। इन सबसे ऊपर, यह व्यापार के लिए एक महान आशीर्वाद है।  ऐसा इसलिए है क्योंकि यह इसके लिए बहुत सारे आर्थिक और सामाजिक लाभ लाता है।

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निबंध : वैश्वीकरण का महत्व एवं दुष्प्रभाव | Hindi essay

निबंध : वैश्वीकरण महत्व एवं दुष्प्रभाव

निबंध : वैश्वीकरण का महत्व एवं दुष्प्रभाव

( Importance of globalisation and its side effect : Hindi essay )

प्रस्तावना  :-

वैश्वीकरण शब्द अंग्रेजी भाषा के ग्लोबलाइजेशन का हिंदी रूपांतरण है। वर्तमान समय में इसका अर्थ संपूर्ण वैश्विक भूखंड से लिया जाता है। इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले एंथोनी गिड्डेंस ने किया था। दुनिया के विभिन्न विचारकों के मध्य वशीकरण अलग-अलग रूप से देखा जाता है।

कुछ लोग इसे आर्थिक दृष्टि से समझते हैं तो कुछ लोग सामाजिक और राजनैतिक रूप से आते हैं। भारतीय कथन के अनुसार वसुधैव कुटुंबकम आज संपूर्ण विश्व में प्रचलित है। यह संपूर्ण विश्व वैश्वीकरण के माध्यम से चरितार्थ हो रहा है।

सामान्य अर्थों में इसका विस्तार विश्व एक परिवार के रूप में एकीकृत होकर अपनी भौगोलिक आर्थिक राजनैतिक सामाजिक दूरियों को मिटाकर मानव समाज के एकीकरण की प्रक्रिया में अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

वैश्विकरण ने भौगोलिक दूरी को कम किया है साथ ही इससे प्रदेशिक सीमाओं का महत्व भी धीरे-धीरे कम होने लगा है।

सामान्यता वैश्वीकरण एक जटिल आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक प्रक्रिया है। वर्तमान समय में यह पूंजीश्रम उत्पाद प्रयोग की सूचना के माध्यम से आधुनिकीकरण राष्ट्र निर्माण एवं राष्ट्र के बीच गठबंधन के रूप में उत्पन्न हो रहा है।

वैश्वीकरण की विशेषताएं –

वैश्वीकरण को एक संसार की दृष्टि से देखा जाए तो उसके मुद्दे को समझने के लिए विश्वव्यापी संबंधों को बनाए रखने हेतु प्रयास किया जाता है।

वैश्वीकरण राज्यों के मध्य वस्तुओं मानवीय संघ संसाधनों सूचनाओं आदि का खुला आदान-प्रदान होता है। इसके प्रमुख विषय विशेषताएं इस प्रकार से है –

पारस्परिक निर्भरता –

वैश्वीकरण आपस मे जुडने का एक प्रयास है। इसमें पारस्परिक सहयोग निर्भरता संबंधों को व्यवहार में बदलने की प्रक्रिया शामिल होती है।

भूकंप, बाढ़, सुनामी जैसी दैवी आपदा के समय अंतरराष्ट्रीय सहायता परस्पर सहयोग के रूप में सामने आते हैं।

विकसित देशों पर नियंत्रण –

वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिस का स्वरूप दो मुखी है – सामाजिक सांस्कृतिक बौद्धिक और तकनीकी। यह सब वैश्वीकरण में शामिल है।

आज वैश्वीकरण राज्यों की अर्थव्यवस्थाओं को निकट लाने की एक सरल प्रक्रिया बन गया है। यह विकासशील देशों को अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने में मदद करता है।

मानवता का विकास –

वैश्वीकरण ने दूरियों को कम कर दिया जिससे संस्कृतियों का आदान प्रदान संभव हुआ और जीवनशैली को एक दूसरे से जोड़ने के साथ विश्व सभ्यता का निर्माण हुआ।

आज मानवतावादी विचार को महत्व दिया जाने लगा है। कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं मानव कल्याण के लिए बन गई हैं। जिसमें प्रमुख रुप से यूनिसेफ का नाम शामिल है।

वैश्वीकरण का महत्व

वर्तमान समय में वैश्वीकरण सभी देशों की एक आवश्यकता बन गई है। आज कोई भी देश पूर्ण रूप से विकसित नहीं है। प्रत्येक देश प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक-दूसरे पर परस्पर निर्भर हैं।

इस निर्भरता को ही वैश्वीकरण का नाम दिया जाता है। वैश्वीकरण की आवश्यकता एवं महत्व निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से स्पष्ट की जा सकती है –

  • वैश्वीकरण के परिणाम स्वरूप विश्व व्यापार संभव हो गया है। प्रत्येक देश विकसित और विकासशील अपने आप में पूर्ण नहीं है। वे परस्पर निर्भर हैं और वैश्वीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से व्यापार को राष्ट्रीयता से निकालकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्तर पर किया जा रहा है। जिससे प्रतिस्पर्धा और संसाधनों का प्रयोग संभव हो सका है।
  • वैश्वीकरण को ही आज खुली अर्थव्यवस्था का नाम दिया जाता है।
  • वशीकरण वैश्वीकरण के इस दौर में कोई भी देश आत्मनिर्भर नहीं है सभी देश किसी न किसी संसाधन के लिए एक दूसरे पर निर्भर है और इस निर्भरता को वैश्वीकरण के द्वारा पूरा किया जाता है।
  • समाज व्यक्तियों का समूह होता है जहां पर तरह तरह की समस्याएं होती हैं। इन समस्याओं के निवारण के लिए संपूर्ण विश्व को मिलकर काम करना होता है। जैसे बेरोजगारी, अशिक्षा, गरीबी, स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के लिए आज प्रत्येक राष्ट्र एक दूसरे पर निर्भर हैं।
  • राष्ट्रीय विकास के लिए वैश्वीकरण आवश्यक है। एक राष्ट्र अपनी अर्थव्यवस्था और देश की सुरक्षा के लिए चिंतित होता है। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आर्थिक विकास समस्त समस्याओं का हल है। आर्थिक रूप से मजबूत राष्ट्र अपने देश का विकास कर सकने में सक्षम होता है। आर्थिक मजबूती के लिए वैश्वीकरण की प्रक्रिया बेहद महत्वपूर्ण है। इसकी मदद से एक राष्ट्र का विकास संभव हो पाता है।

वैश्वीकरण के दुष्प्रभाव

वैश्वीकरण के जहां अपने सकारात्मक प्रभाव हैं वहीं इसके दुष्प्रभाव भी हैं। वैश्वीकरण के दुष्प्रभाव इस प्रकार से हैं –

  • सभी राष्ट्र जो आपसे सहयोग की प्रक्रिया पर आज विकास कर रहे थे। उनकी सहयोगात्मक प्रक्रिया को इससे धक्का लगा है। क्योंकि प्रत्येक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र के विकास के साथ पहले वैश्वीकरण में अपना स्थान सुनिश्चित करने में लग गया है।
  • वैश्वीकरण के फल स्वरुप नैतिक मूल्य में गिरावट आ गई है। इस प्रक्रिया द्वारा वस्तुओं का उत्पादन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने लगा है। फलस्वरुप राष्ट्र नागरिक राष्ट्रीय वस्तुओं का उपयोग करने के बजाय दूसरे देश की वस्तुओं पर निर्भर रहने लगे हैं। इस प्रकार से नैतिक मूल्यों का ह्रास होने लगा है।
  • वशीकरण प्रक्रिया द्वारा विकासशील देशों के नागरिक विकसित राष्ट्रों के बारे में जान पाते हैं। ऐसे देशों में व्यापार तथा रोजगार अधिक मात्रा में उपलब्ध होते हैं। ऐसे में विकासशील देशों के नागरिक विकसित देशों में चले जाते हैं और राष्ट्रों में प्रतिभा पलायन की समस्या देखने को मिलती है।

लेखिका :  अर्चना  यादव

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वैश्वीकरण का अर्थ,कारण,इतिहास, आयाम | Meaning, Causes, History, Dimensions of Globalization in Hindi

वैश्वीकरण क्या है ( what is globalization).

वैश्वीकरण एक प्रक्रिया (Process) है, जबकि वैश्विकृत विश्व (Globalized World) लक्ष्य है, जिसे हासिल किया जाना है। साधारणत: यह एक आर्थिक संकल्पना है परंतु इसके राजनीतिक, सांस्कृतिक, प्रोद्योगिकी आयाम भी हैं। वैश्वीकरण आखिरकार क्या है? इसके प्रमुख घटक क्या है? इसके लिए वैश्वीकरण की कोई सार्वभौमिक एवं निश्चित परिभाषा नहीं है। सामान्य अर्थों में वैश्वीकरण से तात्पर्य भौगोलिक सीमाओं का न होना तथा भौगोलिक दूरियों की समाप्ति को माना जा सकता है। अर्थात् अलग-अलग राष्ट्रों (देशों) एवं व्यक्तियों से संबंधित विचारों, तकनीकों, संस्कृतियों तथा अर्थव्यवस्थाओं के बीच घटती दूरियां तथा अदान-प्रदान है।

वैश्वीकरण के कारण (Reasons Behind Globalization)

  दुनिया के राष्ट्रों और लोगों के बीच कम होते इस फासले के कई कारण है, जैसे कि :-

  • विज्ञान एवं तकनीक का विकास
  • देशो के बीच आपसी निर्भरता
  • घटनाओं का विश्वव्यापी प्रभाव
  • बड़े पैमाने पर उत्पादन एवं नये बाजारों की तलाश
  • उत्पादन, औद्योगिक संरचना एवं प्रबंधन का लचीलापन
  • अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय एवं वाणिज्यिक संस्थाए (विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व व्यापार संगठन)

वैश्वीकरण का इतिहास (History of Globalization)

वैश्वीकरण की उत्पत्ति को लेकर कुछ विद्वानों का मत है कि वैश्वीकरण बीसवीं शताब्दी की देन है, किंतु हमें यह भी बात ध्यान रखनी चाहिए कि वैश्वीकरण अलादीन के चिराग के जिन की तरह अचानक से बीसवीं शताब्दी में उत्पन्न नहीं हुआ। बल्कि इसका स्वरूप तो प्राचीन काल से ही विकसित होता चला आ रहा है। इतिहासकार, साधु-महात्मा तथा राजा तब धन, शक्ति और ज्ञान की तलाश में नए-नए मार्गों की तलाश करते हुए दूर-दराज की यात्राएं करते थे। उदाहरण स्वरूप रेशम मार्ग जो चीन से लेकर यूरोप तक फैला हुआ था, जो दुनिया के एक बड़े भू-भाग को आपस में जोड़ता था और आर्थिक रूप से लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा था।

मध्यकाल में भी चंगेज खान तथा तैमूर लंग के साम्राज्य ने विश्व के एक बड़े भू-भाग को जोड़ा जिसे आधुनिक वैश्वीकरण का अल्पविकसित रूप माना जा सकता है। परंतु वास्तविक वैश्वीकरण की शुरुआत आधुनिक काल में विशेषकर औद्योगिकरण के बाद शुरू हुई। जिसने विश्व को समेटकर एक वैश्विक गांव (Global Village) का रूप देने की कोशिश की।

कुछ विद्वानों का मानना है कि प्रथम विश्व युद्ध से पूर्व वैश्वीकरण का नेतृत्व ब्रिटेन ने किया और दूसरे विश्व युद्ध के बाद उसका नेतृत्व अमेरिका ने किया। वैश्वीकरण शब्द का प्रचलन बीसवीं शताब्दी के अंतिम दो दशकों यानी 1980 एवं 1990 के दशक में जब शीत युद्ध का अंत और सोवियत संघ के बिखराव के बाद आम हो गया। इस प्रक्रिया में पूरे विश्व को एक वैश्विक गांव की संज्ञा दी जाती है। वैश्वीकरण के संदर्भ में अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वैश्वीकरण के चार अंग होते हैं…

अर्थशास्त्रियो के मतानुसार वैश्वीकरण के 4 अंग होते है…

  • व्यापार-अवरोधों को कम करना जिससे उत्पादों एवं वस्तुओ का विभिन्न राष्ट्रों के बीच बिना बाधा के आदान-प्रदान हो सके।
  • ऐसी स्थिति का निर्माण करना, जिसमे विभिन्न राष्ट्रों के बीच पूंजी/धन का स्वतंत्र प्रवाह हो सके।
  • ऐसा वातारण कायम करना, जिसमे विभिन्न राष्ट्रों के बीच तकनीक का मुक्त प्रवाह हो सके, और;
  • ऐसा वातारण कायम करना, जिसमे विभिन्न राष्ट्रों के बीच श्रम का निर्बाध प्रवाह हो सके।

इस प्रकार वैश्वीकरण के चार अंग होते हैं, किंतु विकसित राष्ट्र अमेरिका एवं फ्रांस जैसे यूरोपीय राष्ट्र वैश्वीकरण की परिभाषा पहले तीन अंगों तक ही सीमित कर देते हैं और अपने-अपने राष्ट्रों में विकासशील और अविकसित राष्ट्रों से आने वाले श्रमिकों पर कठोर वीजा नीति के माध्यम से कड़ा प्रतिबंध लगाते हैं। इस कारण से वैश्वीकरण की खूब आलोचनाएं भी होती है।

इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि विश्व स्तर पर आया खुलापन, आपसी मेल-जोल और परस्पर निर्भरता के विस्तार को ही वैश्वीकरण कहा जा सकता है।

वैश्वीकरण के आयाम ( Dimensions of Globalization)

वैश्वीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है, जिसके आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक एवं प्रौद्योगिकी आयाम है। इसके विभिन्न आयामों पर विश्लेषण निम्नलिखित है:-

1. आर्थिक आयाम ( Economic Dimensions)

वैश्वीकरण का सबसे महत्वपूर्ण आयाम आर्थिक आयाम है। इसमें बाजार, निवेश, उत्पादन एवं पूंजी का प्रवाह आते हैं। विश्व के लगभग तमाम विकासशील और अविकसित राष्ट्रों के पास निवेश के लिए पूंजी का अभाव था। इस निवेश की कमी को पूरा करने के लिए इन राष्ट्रों में विदेशी पूंजी यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की चाहत लगातार बढ़ती जा रही थी, ताकि वे अपने राष्ट्र का विकास कर सकें। ऐसी परिस्थितियों का लाभ उठाते हुए वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने पूरे विश्व को विश्व व्यापार के दायरे में घसीट लिया। वैश्वीकरण के आर्थिक आयाम को हम निम्न प्रकार से समझ सकते हैं।

सकारात्मक प्रभाव

वैश्वीकरण के कारण दुनिया के राष्ट्रों के बीच व्यापार काफी बढ़ा है, जिस कारण वैश्वीकरण में शामिल इन राष्ट्रों के बीच आपसी निर्भरता भी काफी बढ़ी है। अलग-अलग राष्ट्रों की जनता, व्यापार और सरकार के बीच जुड़ाव बढ़ता जा रहा है। इस खुलेपन के कारण दुनिया के ज्यादातर आबादी की खुशहाली बढी है। इस कारण से वैश्वीकरण के समर्थक इसको दुनिया के लिए वरदान मानते हैं।

आज वैश्वीकरण के कारण पूरी दुनिया में वस्तुओं के व्यापार में बढ़ोतरी हुई है। पहले अलग-अलग राष्ट्र अपने यहां दूसरे राष्ट्रों से होने वाले आयात पर प्रतिबंध और भारी भरकम टैक्स लगाते थे, लेकिन अब यह प्रतिबंध कम हो गए हैं। जिसका लाभ यह हुआ है कि अमीर राष्ट्रों के निवेशक अपना पैसा गरीब राष्ट्रों में लगा सकते हैं, खासकर विकासशील और अविकसित राष्ट्रों में जहां मुनाफा अधिक होगा। इस निवेश से इन पिछड़े राष्ट्रों में ढांचागत संरचनात्मक विकास, तकनीक और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है। जिससे राष्ट्र विशेष की जनता का जीवन स्तर भी ऊपर उठता है।

वैश्वीकरण की इस प्रक्रिया में विश्व व्यापार संगठन जैसे संगठन ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार नीति निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पहले अंतरराष्ट्रीय व्यापार में ‘जिसकी लाठी उसकी भैंस’ की परिस्थितियां थी, लेकिन आज सभी राष्ट्र व्यापारिक एवं श्रम कानूनों से बंधे हुए हैं। जिसका उल्लंघन करने पर विश्व समुदाय द्वारा उस राष्ट्र विशेष पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।

नकारात्मक प्रभाव

वैश्वीकरण पूंजीवादी व्यवस्था मुक्त व्यापार एवं खुला बाजार पर आधारित है। मुक्त व्यापार एवं खुला बाजार की नीति ने जहां व्यापार के लिए रास्ते खोले वहीं उसी रास्ते से अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस जैसे विकसित राष्ट्रों की बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विकासशील राष्ट्रों में अपने पांव जमा लिए, जहां नुकसान की भरपाई के लिए मुख्य रूप से राष्ट्र जिम्मेदार होता है, जबकि फायदा बड़ी-बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां ले उड़ती है। उदाहरण स्वरूप आप भारत में घटी भोपाल गैस त्रासदी की घटना को देख सकते हैं।

वैश्वीकरण के कारण जहां बड़ी-बड़ी कंपनियां राष्ट्र में आती हैं, वहीं छोटी-छोटी देसी कंपनियां एवं स्थानीय स्तर पर होने वाले लघु एवं कुटीर उद्योग धीरे-धीरे तकनीक और गुणवत्ता की रेस में पिछड़ते हुए समाप्त होते जा रहे हैं। वैश्वीकरण की प्रक्रिया में उत्पादन बड़ी-बड़ी मशीनों द्वारा बड़े स्तर पर किया जा रहा है। जिस काम को जहां पहले कई-कई लोग मिलकर करते थे, आज यह मशीनें उन कामों को आसानी से कम समय एवं लागत पर करने में सक्षम है। जिसके कारण विकासशील राष्ट्रों में एक बड़ी जनसंख्या के सामने बेरोजगारी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। वैश्वीकरण की प्रक्रिया के अंतर्गत संगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसर कम हुए हैं। इसीलिए गरीब राष्ट्रों की अधिकांश जनता असंगठित क्षेत्रों में काम करने के लिए विवश है। जहां पर उत्पादकता एवं जीवन स्तर भी काफी निम्न है। यहां रोजगार से जुड़ा एक तथ्य यह भी है कि वैश्वीकरण मुख्यतः वस्तु , पूंजी, तकनीक और श्रम के स्वतंत्र प्रभाव पर आधारित है । लेकिन विकसित राष्ट्र वैश्वीकरण के चौथे अंग श्रम का स्वतंत्र प्रवाह की नीति को अनदेखा कर दूसरे राष्ट्रों से रोजगार की तलाश में आने वाले प्रवासियों के प्रति नकारात्मक रवैया अपनाते हैं और अपनी कठोर वीजा नीति के माध्यम से इन पर नियंत्रण रखते हैं।

2. राजनीतिक आयाम ( Political Dimensions)

वैश्वीकरण के कारण राष्ट्र द्वारा किए जाने वाले कार्यों में व्यापक बदलाव आया है। वैश्वीकरण की इस अंधी दौड़ में शामिल सरकारों को यह तय करने का अधिकार कम कर दिया है कि अपने राष्ट्रवासियों के लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा। इस परिस्थिति ने राष्ट्रों के अंदर एक अजीब से हालात पैदा कर दिए हैं। सरकारें वैश्वीकरण के आगे घुटने टेकते नजर आ रही है। प्रत्येक राष्ट्र में कुर्सी पर बैठे लोगों की जनता द्वारा कड़ी आलोचना की जाती है परंतु फिर भी सरकार बदलने के बाद भी मौजूदा हालातों में कोई खास परिवर्तन होता नहीं दिख रहा है। वैश्वीकरण के राजनितिक आयाम को हम निम्न प्रकार से समझ सकते हैं।

वैश्वीकरण के समर्थकों का मानना है कि वैश्वीकरण के कारण राष्ट्र पहले की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली हुए हैं। तकनीक के विकास एवं सूचना तथा विचारों की तीव्र गतिशीलता ने राष्ट्रों की क्षमता में बढ़ोतरी की है और वह अपने जरूरी कामों उदाहरण स्वरूप कानून व्यवस्था बनाए रखना, बाहरी आक्रमणों से राष्ट्र की सुरक्षा करने जैसे कार्यो को पहले से अधिक अब ज्यादा अच्छे और बेहतर तरीके से कर पा रहे हैं। आज उत्पादन वैश्विक स्तर पर किया जा रहा है। विश्व के तमाम राष्ट्र परस्पर निर्भर है। ऐसे में कोई भी राष्ट्र अपना आर्थिक नुकसान करके युद्ध का खतरा नहीं उठाना चाहता। तमाम राष्ट्र अपने कूटनीतिक संबंधों द्वारा अपने आपसी विवादों को हल करना चाहते हैं। साथ ही साथ इस आर्थिक जुड़ाव के कारण वैश्विक समस्याओं जैसे आतंकवाद और अभी देखे तो कारोना जैसी वैश्विक महामारी से निपटने के लिए साझा कार्रवाई को प्रोत्साहित किया है।

वैश्वीकरण के आलोचकों का मानना है कि इसके कारण राष्ट्रों के कार्य करने की क्षमता में कमी आई है। अब विभिन्न राष्ट्रों की संप्रभुता यानी निर्णय करने की शक्ति कमजोर हुई है। पूरे विश्व में कल्याणकारी राष्ट्र की जन-कल्याण नीतियां प्रभावित हुई है। अब न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राष्ट्र की धारणा को विस्तार मिल रहा है। आज के समय में राष्ट्र कुछ महत्त्वपूर्ण कार्यों तक ही अपने आपको सीमित रख रहे हैं। उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के इस दौर में राष्ट्रों ने पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को अपनाया है। जिसमें उनको अहस्तक्षेप की नीति अपनानी पड़ती है। जिसके कारण गरीब और कमजोर वर्गों के लिए किए जाने वाले सुधार कार्य प्रभावित हुए हैं।

आज के दौर में लगभग सभी राष्ट्र अपनी विदेश नीति को अपनी इच्छा अनुसार तय नहीं कर पा रहे हैं। जिसका प्रमुख कारण इन राष्ट्रों की घटती शक्ति को माना जा रहा है। पूरे विश्व में विकसित राष्ट्रों की बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने पैर पसार चुकी हैं। यह तमाम बहुराष्ट्रीय कंपनियां विकासशील राष्ट्रों में सरकारों को प्रभावित कर राष्ट्र की नीतियों को अपने फायदे के लिए परिवर्तित करवा रहीं हैं। जिस कारणवश सरकारों की स्वयं निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित हुई है।

3. सांस्कृतिक आयाम ( Cultural Dimensions)

वैश्वीकरण के इस तूफान ने दुनिया के हर हिस्से, समाज एवं समुदाय को प्रभावित किया है। संस्कृतियों का फैलाव अब केवल कला या संगीत के जरिए नहीं, बल्कि विश्व व्यापार संगठन जैसे संगठनों के नेटवर्किंग के जरिए हो रहा है। वैश्वीकरण के सांस्कृतिक आयाम को हम निम्न प्रकार से समझ सकते हैं।

वैश्वीकरण की प्रक्रिया में लोगों का एक राष्ट्र से दूसरे राष्ट्र में आवागमन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उदाहरण स्वरूप भारतीय लोग थाईलैंड, मलेशिया, मॉरिशस, सिंगापुर, वेस्टइंडीज गए और अपने साथ-साथ वहां भारतीय संस्कृति को भी ले गए। जिसे उन्होंने सुरक्षित रखते हुए उसे व्यवहारिक एवं जीवित रखा। सांस्कृतिक वैश्वीकरण में वेशभूषा जैसे जींस, साड़ी, कुर्ता-पजामा इत्यादि एवं खान-पान का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उदाहरण स्वरूप मैकडॉनल्ड का बर्गर आपको दुनिया के किसी भी राष्ट्र की राजधानी में मिल जाएगा। वैश्वीकरण की इस प्रक्रिया को बर्गराजेशन कहा जाता है।

आज वैश्वीकरण के इस दौर में टीवी और इंटरनेट जैसे माध्यमों से विकासशील राष्ट्रों की जनता को विज्ञापनों से इतना प्रभावित कर दिया जाता है कि उनके पास कोई विकल्प ही नहीं बचता। टीवी और इंटरनेट के माध्यम से बहुराष्ट्रीय कंपनियां उपभोक्तावाद और पश्चिमी मूल्यों का प्रचार-प्रसार कर रही है।

विकासशील और अविकसित राष्ट्र खासकर अमेरिकी सांस्कृतिक पर प्रभुत्व के शिकार है। सीएनएन जैसे समाचार चैनलों के माध्यम से अमेरिका अपने सांस्कृतिक मूल्यों को विस्तार देने में लगा हुआ है। इसके अलावा पेप्सी, कोका-कोला, रीबोक, एडिडास जैसे उत्पाद; एमटीवी, एचबीओ जैसे मनोरंजन चैनल्स; मिकी माउस, बैटमैन, सुपरमैन जैसे काल्पनिक चरित्र; मैकडॉनल्ड जैसी फास्ट फूड श्रखंलाए; एमवे जैसे उत्पाद अमेरिकी जीवन मूल्यों को विश्व के राष्ट्रों पर थोपने के साधन साबित हुए हैं। इससे विकासशील और अविकसित राष्ट्रों की मौलिक संस्कृति पर पहचान का संकट खड़ा हो गया है।

इसके नकारात्मक पक्षों में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि पश्चिमी जीवन मूल्यों ने विकासशील राष्ट्रों की जनता खासकर बच्चे और युवा जल्द से जल्द अमीर बन पाश्चात्य दैनिक जीवन की सभी सुख सुविधाएं हासिल करना चाहते हैं। इस तरह उनको आसानी से गलत रास्ते पर ले जाया जा सकता है और उनका शोषण किया जा सकता है।

4. प्रौद्योगिकी आयाम ( Technology Dimension)

हमने उपरोक्त चर्चा की कि वैश्वीकरण एक ऐसी व्यवस्था है जिसका उदय विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में हुए विकास के कारण हुआ एवं जिसका उपयोग व्यापार तथा वाणिज्य के क्षेत्र में हुआ। इस दृष्टिकोण से वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वैश्वीकरण के प्रौद्योगिकी आयाम को हम निम्न प्रकार से समझ सकते हैं।

प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए क्रांतिकारी परिवर्तनों ने दुनिया को वास्तव में एक वैश्विक ग्राम बना दिया है। संचार व्यवस्था में आई क्रांति ने विश्वव्यापी संपर्क को काफी तेज कर दिया है। टेलीफोन, मोबाइल, इंटरनेट सिस्टम और वेबसाइटों के माध्यम से लोगों, व्यापारियों एवं राजनेताओं में मानो कोई दूरी ही नहीं रह गई। आज हम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विश्व के किसी भी कौने में होने वाले कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी कर सकते हैं। इससे हमारे समय और धन दोनों की बचत होती है।

प्रौद्योगिकी के विकास ने राष्ट्रों की क्षमता को भी बढ़ाया है। राष्ट्र अपने अनिवार्य कार्य जैसेकि कानून व्यवस्था बनाए रखना, बाहरी आक्रमण से राष्ट्र की सुरक्षा करने जैसे मामलों को बेहतर और अधिक प्रभावशाली तरीके से कर सकते हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास का प्रभाव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में भी दिखाई देता है। आज घातक से घातक बीमारियों का ईलाज ढूंढ कर मानव को स्वस्थ रखने के उपाय ढूंढ लिए गए हैं। इसका प्रभाव हमें कृषि, परिवहन, शिक्षा के क्षेत्रों में भी हुए क्रांतिकारी परिवर्तनों के रूप में देखने को मिलता है।

सूचना क्रांति के इस दौर में साइबर क्राइम या सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा होने वाले आर्थिक अपराध चिंता के नए विषय है। अगला विश्वयुद्ध साईबर युद्धों का हो सकता है। दुश्मन राष्ट्र की समूची रक्षा प्रणाली को घर बैठे ध्वस्त किया जा सकता है। इसका एक और महत्वपूर्ण नकारात्मक प्रभाव यह है कि आतंकवाद के विस्तार में इसकी बहुत बड़ी भूमिका रही है। सेटेलाइट फोन, इंटरनेट, मोबाइल फोन आदि का इस्तेमाल आतंकवादियों ने आतंक फैलाने के लिए किया है।

शिक्षा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा है। आज शिक्षा एक आयामी होता जा रहा है। आज शिक्षण संस्थाएं व्यवसायिक शिक्षा को प्रमुखता दे रही है, जो बाजार के लिए उपयोगी कौशल प्रदान कर सकें। आपने देखा होगा कि आजकल के छात्र बी.ए., एम.ए. करने की जगह 10वीं 12वीं की पढ़ाई करते समय आईआईटी, पॉलिटेक्निक की तैयारी में जुट जाते हैं और वहीं पर एडमिशन लेना चाहते हैं। जबकि सामाजिक विज्ञान से संबंधित विषय जैसे इतिहास, राजनीति विज्ञान जैसे विषयों पर सरकार और जनता उदासीन प्रतीत होती दिख रही है। इसकी एक और आलोचना यह है कि वैश्विकृत विश्व में विज्ञान एवं तकनीकी के विकास की सबसे भारी कीमत हमारे पर्यावरण को चुकानी पड़ी है। ओजोन परत का रिक्तिकरण, ग्लोबल-वॉर्मिंग जैसे परिणाम वैश्वीकरण की ही देन है। विकास की इस अंधी दौड़ में शहरीकरण एवं औद्योगिकरण के नाम पर विशेष आर्थिक क्षेत्र के लिए लाख-लाखों पेड़ काट दिए जाते हैं। जो कि हमेशा चिंता का विषय रहे हैं। इसका सबसे नकारात्मक प्रभाव गरीब राष्ट्रों की जनता खासकर किसानों एवं आदिवासियों के जीवन पर पड़ा है।

निष्कर्ष   (Conclusion)

संक्षेप में , उपरोक्त विवरण में हमने जाना कि वैश्वीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है, जिसके चार आयाम है; आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और प्रौद्योगिकी। इन चारों आयामों के जहां कुछ सकारात्मक प्रभाव एवं परिणाम है, वहीं इनके कुछ नकारात्मक प्रभाव एवं परिणाम भी है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वैश्वीकरण पर उपरोक्त चर्चा से हमें ज्ञात होता है कि वैश्वीकरण का मानव जीवन के समस्त क्षेत्रों में व्यापक बदलाव आया है। एक तरफ शासन व्यवस्था, दूरसंचार, शिक्षा, स्वास्थ्य क्षेत्र में हुए क्रांतिकारी परिवर्तनों ने मानव जीवन को सरल और सुविधा युक्त बना दिया है, वहीं दूसरी तरफ गरीब राष्ट्रों एवं खासकर विभिन्न राष्ट्रों के कमज़ोर तबको पर भयानक नकारात्मक प्रभाव पड़े हैं। उनके रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति एवं गुणवत्ता में आई गिरावट देखने को मिलती है।

“मुफ्त शिक्षा सबका अधिकार आओ सब मिलकर करें इस सपने को साकार”

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  • मनु का सामाजिक कानून
  • द्वितीय विश्व युद्ध क्यों हुआ, कारण
  • प्रथम विश्वयुद्ध के कारण
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वैश्वीकरण पर निबंध Globalization Essay In Hindi

Globalization Essay In Hindi: आज हम वैश्वीकरण पर निबंध आपकों यहाँ बता रहे हैं. ग्लोबलाइजेशन के दौर क्या है, यहाँ कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए 5, 10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में छोटा बड़ा एस्से Globalization In Hindi को हम यहाँ पढेगे.

इस निबंध की मदद से आप समझ पाएगे वैश्वीकरण क्या है इसका इतिहास आदि पर सरल निबंध भाषण लिख पाएगे.

वैश्वीकरण पर निबंध Globalization Essay In Hindi

वैश्वीकरण एक अंग्रेजी का शब्द हैं, जिन्हें हिंदी में भूमंडलीकरण भी कहा जाता हैं. वैश्वीकरण का अर्थ- किसी वस्तु, सेवा, पूंजी, विचार, बौद्धिक सम्पदा और सिद्धातो का विश्वव्यापी होना.

संसार के सभी देशों का दुसरे देशों के साथ वस्तु सेवा विचार, पूंजी और सिद्धांतो का अप्रतिबंधित लेन-देन. दुसरे शब्दों में ग्लोबलाइजेशन / वैश्वीकरण वह हैं, जिनके तहत कोई वस्तु या विचार अथवा पूंजी की एक देश से दुसरे देश बिना रोकटोक आवाजाही हो.

ग्लोबलाइजेशन / वैश्वीकरण क्या हैं ? –

यह एक ऐसी प्रक्रिया हैं, जिन्हें सामान्यता लोग आर्थिक रूप से ही देखते हैं. यानि पूंजी और वस्तुओ के बेरोक-टोक आवाजाही को ही वैश्वीकरण का नाम देते हैं.

मगर हकीकत में यह एक आर्थिक क्षेत्र तक सिमित न होकर राजनीतिकी, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी इसका व्यापक प्रभाव पड़ता हैं.

वैश्वीकरण ऐसी प्रक्रिया का नाम हैं जिसमे संसार के सभी लोग आर्थिक, तकनिकी, सामाजिक और राजनितिक साधनों के समन्वयित विकास हेतु प्रयास कर रहे हैं.

वैश्वीकरण की शुरुआत

लगभग 16 वी शताब्दी से जब यूरोपीय देशों में सम्राज्यवाद की शुरुआत हुई. उसी के साथ ही वैश्वीकरण का आरम्भ हो गया था. यदि इसकी विधिवत शुरुआत के इतिहास पर नजर डाले तो अमूमन अधिकतर देशों में इसे 1950-60 के दशक से अपनाया जाने लगा.

इसका मुख्य कारण दुसरे विश्वयुद्ध के बाद सभी देशों के राजनितिज्ञो और अर्थशास्त्रियो द्वारा परस्पर सहयोग और सांझे हित के महत्व को समझा.

इसी का नतीजा था, कि एक के बाद एक सभी देशों ने धीरे-धीरे वैश्वीकरण को अपनाना शुरू कर दिया. वर्तमान की संचार पद्दति के कारण पूरा संसार एक गाँव के रूप में तब्दील हो चूका हैं.

इस प्रक्रिया को अंजाम तक पहुचाने में विश्व बैंक जैसी अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं. विश्व बैंक के सहयोग से ही वैश्वीकरण के तहत सभी देशों के मध्य मुक्त व्यापार का प्रदुभाव हो पाया.

वैश्वीकरण के लाभ

इस मुक्त व्यापार प्रणाली के कई प्रत्यक्ष लाभ हैं.वैश्वीकरण के कारण ही विश्व के बाजार तक विभिन्न कंपनियों की पहुच संभव हो पाई. इसी कारण विकसित और विकासशील देशों को अत्यंत आर्थिक लाभ हुआ.

परस्पर व्यापार से विश्व् शांति की दिशा में महत्वपूर्ण मदद मिल सकी हैं. अधिक संख्या में नए उद्धयोगो की स्थापना  रोजगार के नए अवसरों का सर्जन हुए.

लोगो के जीवन स्तर में सुधार के साथ ही क्रय शक्ति को भी बढ़ावा मिला हैं. इस आधार पर कहा जा सकता हैं, वैश्वीकरण से विकास की राह पर विकासशील देशों को अधिक मदद मिली.

यदि वैश्वीकरण से पूर्व विकास शील देशों की सामाजिक और आर्थिक स्थति के बारे सूक्ष्म अवलोकन किया जाए, तो निष्कर्ष के तौर पर इन देशों की जीडीपी, राजकोषीय घाटा, मुद्रास्फीति,निर्यात, साक्षरता और जन्म मृत्यु दर में अच्छे सुधार देखने को मिले हैं.

वैश्वीकरण से नुकसान (हानि)

वैश्वीकरण से अधिकतर राष्ट्रों और वर्गो को निश्चित रूप से फायदा तो मिला. मगर इस उ पभोक्तावादी संस्कृति से भारत जैसे विकासशील देशों पर अत्यधिक बुरा असर पड़ा.

वैश्वीकरण के कारण भारत साहित अन्य देशों में पश्चिमी सभ्यता का बोलबाला कायम हो गया. दूसरी तरफ शहरी विकास को महत्व देने के कारण गाँवों से लोगो का शहरों की ओर पलायन ओर तेज हो गया. 

भारतीय अर्थव्यस्था का मूल आधार गाँव ही तो हैं, इसके कारण गाँवों की हालत बद से बदतर होती चली गईं. साधारण व्यक्ति के जीवन का निर्वाह करना बेहद मुश्किल हो गया. दूसरी तरफ कम या अल्पविकसित देशों को अधिक नुक्सान उठाना पड़ा. मजदूरों को पहले से कम वेतन पर नौकरी करनी पड़ी.

यदि इस स्थति में वे अधिक रोजगार पाने की मांग करते तो उन्हें उसी से हाथ धोने का डर सताने लगा. क्युकि उनसे कम कीमत पर भाड़े के मजदूरों द्वारा काम करवा लिया जाता था. भारत में इसका परोक्ष उदहारण बीपीओ उद्योग को देखा जा सकता हैं.

भारत में वैश्वीकरण

विश्व के अधिकतर देशों द्वारा वैश्वीकरण प्रणाली अपनाने के साथ ही कालान्तर में भारत को भी अन्य देशों के लिए रास्ते खोलने पड़े. इसी दौरान 1991 के आर्थिक संकट में भारत को पूंजीपति राष्ट्रों के पास सोना-चांदी गिरवी रखकर लोन लेना पड़ा.

जब भारत ने इस वैश्वीकरण की प्रणाली के लिए अपने द्वार खोल दिए. तो बड़ी विदेशी कम्पनियों के निवेश भारत में किये जाने लगे. भारत में वैश्वीकरण से आयात और निर्यात दोनों में विशेष तौर पर फायदा मिला.

अब तक भारत सूचना और प्रद्योगिकी के साथ ऑटोमोबाइल में भी अन्य देशों के मुकाबले पीछे था इस क्षेत्र में विशेष उन्नति हुई. अब भारत के सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की विश्वभर में मांग बढ़ने लगी. वैश्वीकरण का ही परिणाम हैं, आज विश्व के हर देश में आईटी के क्षेत्र में भारतीय विषेयज्ञो की भरमार हैं.

वैश्वीकरण ने सभी देशों को तीव्र आर्थिक विकास का एक मंच प्रदान किया हैं. हालाँकि इसके कुछ दुष्परिणाम भी हैं. मगर कुल-मिलाकर एक-दुसरे देश के सहयोग के बिना किसी राष्ट्र की प्रगति उसका आर्थिक विकास संभव नही हैं.

यदि सभी देश राष्ट्रिय भावना के साथ-साथ वैश्विक सोहार्द और परस्पर सहयोग की दिशा में काम करे तो न सिर्फ इससे विकासशील देशों को फायदा होगा, बल्कि विकसित राष्ट्र भी वैश्वीकरण से लाभान्वित होंगे.

यदि प्रतिस्पर्धी राष्ट्र के रूप में न देखकर व्यापार में इन्हे सहयोगी समझकर आगे बढ़ा जाए तो इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार होने के साथ साथ अंतराष्ट्रीय शांति और भाईचारे को बढाने में भी कारगर होगा.

आज संचार और सुचना की क्रांति के कारण आज पूरी दुनियाँ एक गाँव का रूप ले चुकी हैं. यदि सकारात्मक द्रष्टि से देखा जाए तो आर्थिक द्रष्टि से वैश्वीकरण महत्वपूर्ण हैं.

आज की वैश्विक जटिलता की स्थति में कोई भी राष्ट्र अलग रहकर कभी भी पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर नही बन सकता हैं. किसी न किसी क्षेत्र में उन्हें पड़ोसी या सहयोगी राष्ट्र पर निर्भर रहना पड़ता हैं. इसकी वजह यह अंतराष्ट्रीय व्यापार और सहयोग को बढ़ावा तेजी से आर्थिक विकास के लिए वैश्वीकरण आवश्यक हैं.

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वैश्वीकरण पर निबंध, तथ्य, प्रभाव Essay on Globalization in Hindi

वैश्वीकरण पर निबंध, तथ्य, प्रभाव Essay on Globalization in Hindi, Its Facts and Effects

वैश्वीकरण पर निबंध, तथ्य, प्रभाव Essay on Globalization in Hindi, Its Facts and Effects

वैश्वीकरण अंतरराष्ट्रीय व्यापार, निवेश, सूचना प्रौद्योगिकी और संस्कृतियों के वैश्विक एकीकरण का प्रतिनिधित्व करता है। वैश्वीकरण  दुनिया भर में लोगों, कंपनियों और सरकारों के बीच बातचीत और एकीकरण की प्रक्रिया है। परिवहन और संचार प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण वैश्वीकरण बढ़ गया है।

बढ़ती वैश्विक बातचीत के साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार , विचारों और  संस्कृति की वृद्धि हुई है । हालांकि, विवाद और कूटनीति वैश्वीकरण के इतिहास के बड़े हिस्से रहे है।

Table of Content

वैश्वीकरण से जुड़े मुख्य तथ्य Facts about Globalization

प्रौद्योगिकी: संचार की गति को कई गुना कम कर दिया है। हाल ही की दुनिया में सोशल मीडिया ने दूरी को महत्वहीन बना दिया है। भारत में प्रौद्योगिकी के एकीकरण ने उन नौकरियों को बदल दिया है, इसके परिणामस्वरूप, लोगों के लिए अधिक नौकरी के अवसर पैदा किए गए हैं।

तेज़ परिवहन:  बेहतर परिवहन ने वैश्विक यात्रा को आसान बनाया है। उदाहरण के लिए, हवाई यात्रा में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे दुनिया भर में लोगों और सामानों की अधिक गतिशीलता बढ़ रही है।

पूंजी की बेहतर गतिशीलता: पिछले कुछ दशकों में पूंजी बाधाओं में सामान्य कमी आई है, जिससे विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के बीच पूंजी प्रवाह आसान हो गया है। इसने फर्मों की वित्त प्राप्त करने की क्षमता में वृद्धि की है।

बहुराष्ट्रीय कंपनियों का उदय: विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में चल रहे बहुराष्ट्रीय निगमों ने सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रसार किया है। दुनिया भर से एमएनसी स्रोत संसाधन अपने उत्पादों को वैश्विक बाजारों में बेचते हैं जिससे अधिक स्थानीय बातचीत होती है।

वैश्वीकरण और भारत Globalization and India

विकसित देश व्यापार को उदार बनाने के लिए विकासशील देशों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं और व्यापार नीतियों में अधिक लचीलापन की अनुमति देते हैं ताकि वे अपने घरेलू बाजार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को समान अवसर प्रदान कर सकें। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक ने उन्हें इस प्रयास में मदद की।

लिबरलाइजेशन ने निश्चित समय सीमा में इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर उत्पाद शुल्क में कटौती के माध्यम से भारत जैसे विकासशील देशों की बंजर भूमि पर अपना पैर पकड़ना शुरू कर दिया है। भारत में सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों पर वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव दोनों रहे हैं।

भारत में वैश्वीकरण के विभिन्न प्रभाव Effect of Globalization in India

आर्थिक प्रभाव-

  • नौकरियों की बड़ी संख्या: विदेशी कंपनियों के आगमन और अर्थव्यवस्था में वृद्धि ने नौकरी निर्माण का नेतृत्व किया है।
  • उपभोक्ताओं के लिए अधिक विकल्प: वैश्वीकरण द्वारा उत्पादों के बाजार में तेजी आई है। हमारे पास अब सामान चुनने में कई विकल्प हैं।
  • उच्च आय: उच्च भुगतान नौकरियों में काम करने वाले शहरों में, लोग सामानों पर खर्च करने के लिए अधिक आय रखते हैं। परिणामस्वरूप मांस, अंडे, दालें, कार्बनिक भोजन जैसे उत्पादों की मांग में वृद्धि हुई है। इसने प्रोटीन मुद्रास्फीति को भी जन्म दिया है।

प्रोटीन खाद्य मुद्रास्फीति भारत में खाद्य मुद्रास्फीति के लिए एक बड़ा हिस्सा योगदान देता है। यह अंडे, दूध और मांस के रूप में दालों और पशु प्रोटीन की बढ़ती कीमतों से स्पष्ट है। जीवन स्तर और बढ़ती आमदनी के स्तर में सुधार के साथ, लोगों की खाद्य आदतों में परिवर्तन होता है।

लोग अधिक प्रोटीन गहन खाद्य पदार्थ लेने की ओर जाते हैं। बढ़ती आबादी के साथ आहार पैटर्न में यह बदलाव प्रोटीन समृद्ध भोजन की जबरदस्त मांग में परिणाम देता है, जो आपूर्ति पक्ष पूरा नहीं कर सका। इस प्रकार मुद्रास्फीति के कारण मांग आपूर्ति में कमी आई।

  • कृषि क्षेत्र: वैश्वीकरण का कृषि पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके विपरीत, इसके कुछ हानिकारक प्रभाव हैं क्योंकि सरकार हमेशा अनाज, चीनी इत्यादि आयात करने के इच्छुक है। जब भी इन वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होती है,सरकार कभी किसानों को अधिक भुगतान करने का विचार नहीं करती है।  दूसरी तरफ, सब्सिडी घट रही है इसलिए उत्पादन की लागत बढ़ रही है। उर्वरकों का उत्पादन करने वाले खेतों को भी आयात के कारण पीड़ित होना पड़ता है। जीएम फसलों, हर्बीसाइड प्रतिरोधी फसलों आदि की शुरूआत जैसे खतरे भी हैं।
  • बढ़ती स्वास्थ्य देखभाल लागत:  वैश्वीकरण ने बीमारियों की बढ़ती संवेदनशीलता को भी जन्म दिया है। चाहे यह पक्षी-फ्लू विषाणु या इबोला है, बीमारियों ने वैश्विक मोड़ लिया है, जो दूर-दूर तक फैल रहा है। इस तरह की बीमारियों से लड़ने के लिए स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में अधिक निवेश होता है।

भारतीय समाज पर सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव Effect of Globalization on Indian Society and Cultural

परमाणु परिवार उभर रहे हैं।  तलाक की दर दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। नमस्कार और नमस्ते के बावजूद लोगों को बधाई देने के लिए ‘हाय’, ‘हैलो’ का इस्तेमाल किया जाता है। वैलेंटाइन्स दिवस जैसे अमेरिकी त्यौहार पूरे भारत में फैल रहे हैं।

  • शिक्षा तक पहुंच: वैश्वीकरण ने वेब पर जानकारी के विस्फोट में सहायता की है जिसने लोगों के बीच अधिक जागरूकता में मदद की है।
  • शहरों की वृद्धि: यह अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक भारत की 50% से अधिक आबादी शहरों में रहेगी। सेवा क्षेत्र और शहर केंद्रित नौकरी निर्माण के उछाल से ग्रामीणों के शहरी प्रवास में वृद्धि हुई है।
  • भारतीय व्यंजन: हमारे व्यंजन दुनिया भर में सबसे लोकप्रिय व्यंजनों में से एक है। ऐतिहासिक रूप से, भारतीय मसालों और जड़ी बूटियों का व्यापार सबसे रहता है। और हमारे यहाँ पिज्जा, बर्गर और अन्य पश्चिमी खाद्य पदार्थ काफी लोकप्रिय हो गए हैं।
  • वस्त्र:   महिलाओं के लिए पारंपरिक भारतीय कपड़े साड़ी, सूट इत्यादि हैं और पुरुषों के लिए पारंपरिक कपड़े धोती, कुर्ता हैं। हिंदू विवाहित महिलाओं ने लाल बिंदी और सिंधुर को भी सजाया, लेकिन अब, यह एक बाध्यता नहीं है।भारतीय लड़कियों के बीच जींस, टी-शर्ट, मिनी स्कर्ट पहनना आम हो गया है।
  • भारतीय प्रदर्शन कला:  भारत के संगीत में धार्मिक , लोक और शास्त्रीय संगीत की किस्में शामिल हैं। भारतीय नृत्य के भी विविध लोक और शास्त्रीय रूप हैं। भरतनाट्यम, कथक, कथकली, मोहिनीट्टम, कुचीपुडी, ओडिसी भारत में लोकप्रिय नृत्य रूप हैं। संक्षेप में कलारिपयट्टू या कालारी को दुनिया की सबसे पुरानी मार्शल आर्ट माना जाता है।  लेकिन हाल ही में, पश्चिमी संगीत भी हमारे देश में बहुत लोकप्रिय हो रहा है। पश्चिमी संगीत के साथ भारतीय संगीत को फ्यूज करना संगीतकारों के बीच प्रोत्साहित किया जाता है। अधिक भारतीय नृत्य कार्यक्रम विश्व स्तर पर आयोजित किए जाते हैं।  भरतनाट्यम सीखने वालों की संख्या बढ़ रही है। भारतीय युवाओं के बीच जैज़, हिप हॉप, साल्सा, बैले जैसे पश्चिमी नृत्य रूप आम हो गए हैं।
  • वृद्धावस्था भेद्यता : परमाणु परिवारों के उदय ने सामाजिक सुरक्षा को कम कर दिया है जो संयुक्त परिवार प्रदान करता है। इसने बुढ़ापे में व्यक्तियों की अधिक आर्थिक, स्वास्थ्य और भावनात्मक भेद्यता को जन्म दिया है।
  • व्यापक मीडिया: दुनिया भर से समाचार, संगीत, फिल्में, वीडियो तक अधिक पहुंच है। विदेशी मीडिया घरों ने भारत में अपनी उपस्थिति में वृद्धि की है। भारत हॉलीवुड फिल्मों के वैश्विक लॉन्च का हिस्सा है। यह हमारे समाज पर एक मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव है।

निष्कर्ष Conclusion

हम यह नहीं कह सकते कि वैश्वीकरण का प्रभाव पूरी तरह से सकारात्मक या पूरी तरह से नकारात्मक रहा है।  ऊपर वर्णित प्रत्येक प्रभाव को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों के रूप में देखा जा सकता है। हालांकि, यह चिंता का मुद्दा तब बन जाता है, जब भारतीय संस्कृति पर वैश्वीकरण का खराब प्रभाव देखा जाता है।

प्रत्येक शिक्षित भारतीय मानता हैं कि भारत में, भूतकाल या वर्तमान में, बाहर से कुछ भी स्वीकृत नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि वह उचित प्राधिकारी द्वारा मान्यता प्राप्त और अनुशंसित न हो। भारत की समृद्ध संस्कृति और विविधता को संरक्षित रखने के लिए हर पहलू की पर्याप्त जांच की जानी चाहिए। आशा करते हैं आपको “वैश्वीकरण पर निबंध, तथ्य, प्रभाव Essay on Globalization in Hindi” यह आर्टिकल पसंद आया होगा।

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Globalization of Indian Economy | Hindi | Essay | Economics

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Here is an essay on the ‘Globalization of Indian Economy’ especially written for school and college students in Hindi language.

भारत में भी वैश्वीकरण की प्रक्रिया धीरे-धीरे गति पकड़ रही है ।

भारत में वैश्वीकरण की प्रक्रिया 1991 में शुरू हुई जब नई आर्थिक नीति के अन्तर्गत अर्थव्यवस्था के खुलेपन के लिए निम्नलिखित क्षेत्रों का उदारीकरण किया गया:

(a) नई व्यापार नीति के अन्तर्गत व्यापार का वैश्वीकरण

ADVERTISEMENTS:

(b) नई औद्योगिक नीति के अन्तर्गत उद्योग व निवेश का वैश्वीकरण

(c) नई निवेश नीति के अन्तर्गत वित्त का वैश्वीकरण

सक्षेप में भारतीय अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण हेतु निम्नलिखित उपाय किये गये हैं:

1. दुहरे कराधान को यथासम्भव समाप्त किया गया है ।

2. विदेशी ईक्विटी के अन्तर्प्रवाह को अत्यधिक सुगम तथा उदार बना दिया गया है । अब विदेशी निवेशकों को वे समस्त सुविधाएँ मिल रही हैं जो घरेलू निवेशकों को प्राप्त हैं ।

3. रुपये को चालू खाते पर पूर्ण परिवर्तनीय बना दिया गया है । अब धीरे-धीरे रुपया पूँजी खाते पर पूर्ण परिवर्तनीयता की ओर बढ़ रहा है ।

4. प्रारम्भिक दौर में आयातों को अत्यधिक उदार बनाया गया और अब तो आयातों पर से सभी प्रकार के मात्रात्मक प्रतिबन्ध उठा लिये गये हैं ।

5. विश्व व्यापार संगठन के प्रति वचनबद्धताओं को पूरा करते हुए सीमा शुल्कों को 300 प्रतिशत, 400 प्रतिशत की उच्चतम दर से घटाते हुए 0-25 प्रतिशत के स्तर पर ले आया गया है ।

6. विदेशी प्रौद्योगिकी करार किये जाने, विदेशी कम्पनियों के ब्राण्ड नामों तथा ट्रेडमार्कों को बिना प्रौद्योगिकी हस्तान्तरण के ही प्रयुक्त किये जाने की छूट प्रदान कर दी गयी है ।

7. देशी एवं विदेशी कम्पनियों पर निगम कर अब लगभग बराबरी के स्तर पर है ।

भारत में वैश्वीकरण की प्रक्रिया गति पकड़ रही है ।

इसके कुछ प्रमुख संकेतक निम्नलिखित हैं:

(i) MNC s बड़ी संख्या में भारत में प्रवेश कर रही हैं ।

(ii) अमरीकी ऋण बाजार में भारतीय निगम सक्रिय हो रहे हैं ।

(iii) लगभग 2,000 भारतीय कम्पनियों ने ISO 9,000 प्रमाण-पत्र प्राप्त किये हैं जो कि उच्च गुणवत्ता की गारण्टी हैं ।

(iv) पिछले कुछ वर्षों में व्यापार और निर्यात गहनता दोनों में भारी वृद्धि हुई है ।

(v) केवल तटकरों में ही कमी नहीं की गयी वरन् अर्थव्यवस्था को विदेशी प्रत्यक्ष विनियोग (FDI) तथा विदेशी प्रौद्योगिकी के लिए खोल दिया गया ।

(vi) 1994-95 के बजट में भुगतान सन्तुलन के चालू खाते में रुपये को पूर्व परिवर्तनीय कर दिया गया ।

अन्तर्राष्ट्रीय विदेश नीति से सम्बन्धित एक अमरीकी पत्रिका के अनुसार भूमण्डलीकरण (Globalization) के मामले में भारत अभी बहुत पीछे है ।

ए.टी. कीमी (A. T. Keamy) नाम की पत्रिका द्वारा जिन चुनिन्दा 50 विकसित एवं अल्पविकसित राष्ट्रों को भूमण्डलीकरण के स्तर की जाँच के लिए सर्वेक्षण में शामिल किया है, उनमें भारत का इस मामले में 49वाँ स्थान घोषित किया गया है । भारत से पीछे इस सूची में एकमात्र राष्ट्र ईरान बताया गया है । पत्रिका के सर्वेक्षण में भूमण्डलीकरण में अग्रणी स्थान सिंगापुर का बताया गया है ।

प्रतिकूल प्रभाव ( Adverse Effects):

उपर्यक्त लाभों के होते हुए भी वैश्वीकरण का हमारी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है ।

जैसा कि निम्न तथ्यों से स्पष्ट हो जायेगा:

(1) भारतीय उद्योग बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से मुकाबला करने के स्थान पर उनके सामने हथियार डाल रहे हैं और अपने उद्योगों को उन्हें बेच रहे हैं, जैसे – हल्के पेय थम्सअप, गोल्ड स्पॉट, लिम्का । भारतीय उद्योगपतियों ने Rs. 120 करोड़ में कोकाकोला को बेच दिया है और अब बिसलरी मिनरल वाटर को भी बेचा जा रहा है । यह प्रक्रिया देश के लिए हानिकारक है ।

ऐसा अनुमान है कि अब तक लगभग पाँच लाख लघु इकाइयाँ बन्द हो चुकी हैं जिससे 25 लाख व्यक्ति बेरोजगार हो गए हैं ।

बजाज ऑटो के अध्यक्ष प्रबन्ध निदेशक राहुल बजाज और आर.पी.जी. इण्टरप्राइजेज के उपाध्यक्ष संजीव गोयनका के अनुसार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से नवीनतम् प्रौद्योगिकी प्रबन्ध कौशल, निर्यात, वृद्धि आदि का जो आकलन किया गया था, वे खरे नहीं उतरे हैं बल्कि इससे कई क्षेत्रों में स्वदेशी उपकरण नष्ट हो गए हैं और उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में विदेशी कम्पनियों ने बिना ज्यादा निवेश के ही बाजा पर सम्पूर्ण कब्जा कर लिया है ।

ऐसा अनुमान है कि उपभोग क्षेत्र में भारतीय कम्पनियों का हिस्सा घटकर 30 प्रतिशत रह गया है । विदेशी कम्पनियों ने रंगीन टेलीविजन, फ्रिज, वाशिंग मशीन और इसी प्रकार के अन्य उत्पादों में अपना हिस्सा 70 फीसदी तक बढ़ा लिया है ।

(2) भारत में कुछ कम्पनियाँ ऐसी हैं जिनका प्रबन्ध नियन्त्रण उनके पास नहीं है, जैसे – कायनेटिक होण्डा (Kinetic Honda), एस.आर.एफ. (S.R.F.) व एल.एम.एल. (L.M.L.) । अब ये नवीनतम तकनीक देने के बहाने प्रबन्ध नियन्त्रण व पूँजी में हिस्सा ले सकते हैं । इस प्रकार कई बहुराष्ट्रीय निगम जो पहले भारत की नीति के कारण यहाँ से चले गए थे ।

जैसे – कोकाकोला (Coca Cola) व आई.बी.एम. (I.B.M.), अब पुनः भारत में आ गये हैं । यहाँ, पहले से भी कई निगम हैं जो कार्यशील हैं, जैसे – ए.बी.बी. (A.B.B.), प्रोक्टर एवं गेम्बर, लिप्टन, मदुरा कोट्स आदि । अब यह पुराने बहुराष्ट्रीय निगम भी पूँजी का प्रतिशत बढ़ाकर प्रबन्ध नियन्त्रण अपने अधिकार में ले सकते हैं ।

(3) अधिकांश नवीन स्वीकृतियाँ जो विदेशियों को दी गयी हैं, उसका 51 प्रतिशत निवेश महाराष्ट्र, पश्चिमी बंगाल व दिल्ली राज्यों में उद्योग स्थापित करने के लिए है । इससे क्षेत्रीय असन्तुलन को बढ़ावा मिल रहा है जो देशहित में नहीं है ।

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  1. ग्लोबलाइजेशन पर निबंध

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  2. Explanation of globalisation in hindi class 12 political science

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  3. Globalization Essay In Hindi (Globalisation) 500 Words ग्लोबलाइजेशन पर

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  4. Globalization in Hindi || वैश्वीकरण इन हिंदी

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  5. What is Globalisation? (in Hindi)

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  6. वैश्वीकरण पर हिंदी निबंध Essay On Globalization In Hindi

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  1. 4 1 1 Globalisation essay plan

  2. Lecture : 11 Essay on Globalisation

  3. Global Warming Essay in Hindi-ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध

  4. भारत की विदेश नीति|Chapter 1|India foreign policy in a Globalizing World |Semester 6|Part 1|

  5. Economic Lesson 4 Globalisation And The Indian Economy (Summary) in hindi

  6. This essay argues globalisation has a bussin effect on noodles 🔥🍜

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  1. Globalization Essay in Hindi

    निबंध 1 (300 शब्द) प्रस्तावना. ग्लोबलाइजेशन पूरे विश्वभर में किसी वस्तु को फैलाने से संबंधित है। हालांकि, आमतौर पर यह उत्पादों, व्यापार, तकनीकी, दर्शन, व्यवसाय, कारोबार, कम्पनी आदि का वैश्विकरण (ग्लोबलाइजेशन) करना है। यह देश-सीमा या समय-सीमा के बिना बाजार में एक सफल आन्तरिक सम्पर्क का निर्माण करता है।.

  2. Essay on Globalization in Hindi: जानिए ...

    वैश्वीकरण पर 100 शब्दों में निबंध - Essay on Globalization in Hindi. वैश्वीकरण पर 200 शब्दों में निबंध. वैश्वीकरण पर 500 शब्दों में निबंध. प्रस्तावना ...

  3. वैश्वीकरण पर निबंध

    Essay on Globalization in Hindi (वैश्वीकरण पर निबंध). वैश्वीकरण क्या है, इसकी विशेषतायें, भारत में वैश्वीकरण का प्रभाव,लाभ तथा हानि

  4. वैश्वीकरण

    भूमंडलीकरण (Globalization) एक प्रक्रिया है जिसमें दुनिया भर में विभिन्न देशों और संस्थाओं के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और तकनीकी संबंधों में समन्वय बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न देशों के बीच व्यापार, निवेश, पर्यटन, प्रौद्योगिकी, सूचना और संचार, शिक्षा, संगठनात्मक विकास और साझा सांस्कृतिक मानचित्र को मजबूत करना...

  5. globalisation essay in hindi language: वैश्वीकरण या भूमंडलीकरण पर निबंध

    वैश्वीकरण निबंध, essay on globalisation in hindi language (150 शब्द) आज के युग में व्यवसाय तेजी से बढ़ रहे हैं और ये केवल एक देश में सीमित न होकर कई देशों तक ...

  6. वैश्वीकरण पर निबंध (Globalization Essay In Hindi)

    आज हम वैश्वीकरण पर निबंध (Essay On Globalization In Hindi) लिखेंगे। वैश्वीकरण पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के ...

  7. Globalization Essay In Hindi (Globalisation) 500 Words ग्लोबलाइजेशन पर

    Globalization Essay In Hindi or (Globalisation) वैश्विकरण या पर निबंध. Hindi In Hindi | October 30, 2017 | Essay In Hindi | No Comments. Read an essay on Globalization in Hindi language for students of class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Know more about Globalization in Hindi.

  8. Essay on Globalization in Hindi

    Essay on Globalization in Hindi - ग्लोबलाइजेशन पर निबंध. January 29, 2018 by essaykiduniya. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में ग्लोबलाइजेशन पर निबंध मिलेगा। Here you will get Paragraph and Short Essay on Globalization in Hindi Language for students of all Classes in 200 and 900 words.

  9. Essay on Globalization in Hindi

    Essay on Globalization in Hindi: वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन से तात्पर्य लोगों, कंपनियों और सरकारों के बीच एकीकरण से है। अधिकांश उल्लेखनीय, यह एकीकरण ...

  10. निबंध : वैश्वीकरण का महत्व एवं दुष्प्रभाव

    ( Importance of globalisation and its side effect : Hindi essay ) प्रस्तावना :- वैश्वीकरण शब्द अंग्रेजी भाषा के ग्लोबलाइजेशन का हिंदी रूपांतरण है। वर्तमान समय में इसका अर्थ संपूर्ण वैश्विक भूखंड से लिया जाता है। इस शब्द का प्रयोग सबसे पहले एंथोनी गिड्डेंस ने किया था। दुनिया के विभिन्न विचारकों के मध्य वशीकरण अलग-अलग रूप से देखा जाता है।.

  11. वैश्वीकरण का अर्थ,कारण,इतिहास, आयाम

    वैश्वीकरण क्या है? (What is Globalization?) वैश्वीकरण एक प्रक्रिया (Process) है, जबकि वैश्विकृत विश्व (Globalized World) लक्ष्य है, जिसे हासिल किया जाना है। साधारणत: यह एक आर्थिक संकल्पना है परंतु इसके राजनीतिक, सांस्कृतिक, प्रोद्योगिकी आयाम भी हैं। वैश्वीकरण आखिरकार क्या है? इसके प्रमुख घटक क्या है?

  12. essay on Globalisation in hindi

    essay on Globalisation in hindi | वैश्वीकरण या ग्लोबलाइजेशन पर निबंध | Globalisation essay in Hindi. Reading club. 6.59K subscribers. Subscribe. 0. Share. 4 views 25 minutes ago...

  13. वैश्वीकरण पर हिंदी निबंध Essay On Globalization In Hindi

    Essay On Globalization In Hindi वैश्वीकरण पूरे विश्व में व्यापार और वाणिज्य को एकीकृत करने की एक प्रक्रिया है। सरकारें, निजी कंपनियां और यहां तक कि ...

  14. वैश्वीकरण का अर्थ कारण प्रभाव

    वैश्वीकरण का अर्थ (Meaning of globalization In Hindi) वैश्वीकरण का अर्थ है अंतर्राष्ट्रीय एकीकरण, विश्व व्यापार का खुलना, उन्नत संचार साधनों का विकास, वित्तीय बाजारों का अंतर्राष्ट्रीयकरण, बहुराष्ट्रीय कम्पनी का महत्व बढ़ना, जनसंख्या का देशांतर गमन, व्यक्तियों, वस्तुओं, पूंजी आकड़ों व विचारों की गतिशीलता का बढ़ना.

  15. Essay on Globalisation

    Essay on Globalisation | Hindi | India | Economics. Article shared by: Here is an essay on 'Globalisation' for class 9, 10, 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on 'Globalisation' especially written for school and college students in Hindi language. Essay # 1. वैश्वीकरण का अर्थ (Meaning of Globalisation):

  16. वैश्वीकरण पर निबंध Globalization Essay In Hindi

    Globalization Essay In Hindi: आज हम वैश्वीकरण पर निबंध आपकों यहाँ बता रहे हैं.ग्लोबलाइजेशन के दौर क्या है, यहाँ कक्षा 1, 2,3,4,5,6,7,8,9,10 के

  17. वैश्वीकरण क्या है?

    वैश्वीकरण (Globalization) का शाब्दिक अर्थ होता है "दुनिया भर में फैलाव" या "दुनियावाद"। इस शब्द का उपयोग किसी गति या प्रक्रिया को दर्शाने के लिए किया जाता है जिसमें दुनिया के विभिन्न हिस्सों के बीच संबंध और योग्यताएं बढ़ती हैं। वैश्वीकरण (Globalization) का अर्थ होता है कि दुनियां भर में हम जुड़ सकें लोगो से व्यापार संचालन आदि की अनुमति हो साथ ही...

  18. वैश्वीकरण पर निबंध, तथ्य, प्रभाव Essay on Globalization in Hindi

    वैश्वीकरण से जुड़े मुख्य तथ्य Facts about Globalization. प्रौद्योगिकी: संचार की गति को कई गुना कम कर दिया है। हाल ही की दुनिया में सोशल मीडिया ने दूरी को महत्वहीन बना दिया है। भारत में प्रौद्योगिकी के एकीकरण ने उन नौकरियों को बदल दिया है, इसके परिणामस्वरूप, लोगों के लिए अधिक नौकरी के अवसर पैदा किए गए हैं।.

  19. Rise And Fall of Globalisation

    First was offshoring of manufacturing and low-end services jobs to developing countries. Second, developed countries run large trade deficits by acting as the market for the increased output of developing countries. Third, developing countries financing the trade deficit of the developed countries by accumulating large foreign exchange reserves.

  20. Essay @ Globalization and Indian Society

    Read this essay in Hindi to learn about the effects of globalization on Indian society.

  21. वैश्वीकरण पर सबसे आसान निबंध

    वैश्वीकरण पर सबसे आसान निबंध | vaishvikaran par nibandh hindi mein | globalization essay in hindi. Surendra Study Store. 27.8K subscribers. Join. Subscribe. 1. Share. 3 views 2 minutes ago.

  22. Globalization of Indian Economy

    Globalization of Indian Economy | Hindi | Essay | Economics. Here is an essay on the 'Globalization of Indian Economy' especially written for school and college students in Hindi language.

  23. ग्लोबलाइजेशन पर निबंध

    ग्लोबलाइजेशन पर छोटा व बड़ा निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के विद्यार्थियों के लिए। Short and Long Single on Globalization in Hindoo Language. Vaishvikaran value Nibandh Hindi mein.