पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Paryavaran Sanrakshan Essay In Hindi)

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Paryavaran Sanrakshan Essay In Hindi)

आज   हम पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Essay On Paryavaran Sanrakshan In Hindi) लिखेंगे। पर्यावरण संरक्षण पर लिखा यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

पर्यावरण संरक्षण पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Paryavaran Sanrakshan In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयो पर हिंदी में निबंध मिलेंगे , जिन्हे आप पढ़ सकते है।

पर्यावरण यानि ऐसा आवरण जो हमें चारों तरफ से ढंक कर रखता है, जो हमसे जुड़ा है और हम उससे जुड़े हैं और हम चाहें तो भी खुद को इससे अलग नहीं कर सकते हैं। प्रकृति और पर्यावरण एक दूसरे का अभिन्न हिस्सा हैं।

कोई भी व्यक्ति या वस्तु चाहे वो सजीव हो या निर्जीव, पर्यावरण के अन्तर्गत ही आती है। पर्यावरण से हमें बहुत कुछ मिलता है, लेकिन बदले में हम क्या करते हैं? हम अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए इस पर्यावरण और इसकी अमूल्य संपदा का हनन करने पर तुले हैं।

हमारे द्वारा कि गई हर अच्छी और बुरी गतिविधि का असर पर्यावरण पर पड़ता है। इस प्रकृति पर मानव ही सबसे अधिक बुद्धिशील प्राणी माना जाता है। अतः पर्यावरण के संरक्षण की जिम्मेदारी भी मनुष्य की ही है। आज हम पर्यावरण संरक्षण से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालकर समाज को इसके लिए जागृत करना चाहते हैं।

पर्यावरण अर्थात् जिस वातावरण में हम रहते हैं। हमारे आस पास मौजूद हर एक चीज, जीव-जंतु, पक्षी, पेड़-पौधे, व्यक्ति इत्यादि सभी से मिलकर पर्यावरण की रचना होती है। हमारा इस पर्यावरण से घनिष्ठ संबंध है और हमेशा रहेगा। प्रकृति और पर्यावरण की अद्भुत सुंदरता देखते ही हृदय में खुशी और उत्साह का संचार होने लगता है।

हरे भरे लहलहाते पेड़, आसमान में कलरव करते और चहचहाते पक्षी, जंगल में दौड़ते जीव जंतु, समन्दर में आती और जाती हुई लहरें, कल कल करके बहती हुई नदियां आदि जो मनोरम अहसास करवाते हैं, वो हमें अन्य कहीं से महसूस नहीं हो सकता।

फिर भी ये अफ़सोस की बात है कि लोग आज भी इसके महत्व को समझ नहीं पाए हैं और इसे नुकसान पहुंचाते रहते हैं। वे यह नहीं जान पा रहे कि पर्यावरण की हानि करके वे अपने सर्वनाश को निमंत्रण दे रहे हैं।

आज मानव नए नए आविष्कार कर रहा है और खूब तरक्की कर रहा है, परन्तु उसका हर्जाना भुगत रहा है ये पर्यावरण और इसमें रहने वाले अबोध जीव। आज सभी को पर्यावरण और प्रकृति का संरक्षण करने के लिए जागरूक होना पड़ेगा, अन्यथा पर्यावरण के साथ सारी मानव जाति का भी विनाश हो जाएगा।

पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता क्यों?

पर्यावरण ने मानव को अनंत काल से संसाधन प्रदान किए और मानव ने भी उनका भरपूर उपयोग किया। प्राचीन काल से लेकर अब तक जिस भी वस्तु की जरूरत हमें महसूस हुई, वो पर्यावरण से ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमें हासिल हुई है।

जैसे जैसे समय बीतता गया हमारी जरूरतें भी बढ़ती गई और इन जरूरतों को पूरा करने के लिए हम पर्यावरण के प्रति निर्दयता दिखाने लगे। हमने जनसंख्या वृद्धि पर पहले से रोक नहीं लगाई, जिससे लोगों को संसाधन कम पड़ने लगे और अत्यधिक रूप से पर्यावरण का विनाश होने लगा।

गांवों से लोग शहरों की ओर पलायन करने लगे, पेड़ पौधों और वनों का विनाश होने लगा, जीव जंतुओं को अपने फायदे के लिए मारा जाने लगा, हर तरफ प्रदूषण फैल गया। जिससे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा।

जिस प्रकृति ने हमें आश्रय दिया उसी को नष्ट करने पर तुल गए हम लोग और प्रकृति का संतुलन बिगड़ता चला गया। पर्यावरण प्रदूषण के बहुत से दुष्प्रभाव हैं जैसे अणु विस्फोट से रेडियोधर्मी पदार्थ निकलने से आनुवांशिक प्रभाव, ओजोन परत जो पराबैंगनी किरणों से रक्षा करती है उसका क्षरण, भूमि का कटाव, अत्यधिक ताप वृद्धि, हवा – पानी – परिवेश प्रदूषित होना, पेड़ पौधों का विनाश, नए नए रोग उत्पन्न होना इत्यादि कई बुरे प्रभाव हैं।

पर्यावरण संरक्षण का महत्व

प्राचीन काल से ही पर्यावरण का बहुत महत्व रहा है, वास्तव में प्रकृति का संरक्षण ही उसका पूजन है। हमारे भारत में पर्वत, नदियां, वायु, आग, ग्रह नक्षत्र, पेड़ पौधे आदि सभी से मानवीय संबंध जोड़े गए हैं।

वृक्षों को संतान स्वरूप और नदियों को मां स्वरूप माना गया है। हमारे ऋषि मुनियों को ज्ञात था कि मानव स्वभाव कैसा होता है, मानव अपने लालच में किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसलिए उन्होंने प्रकृति के साथ मानवीय सम्बन्धों को विकसित किया।

वे जानते थे कि पर्यावरण ही पृथ्वी पर जीवन का आधार है। अतः उन्होंने अपने ग्रंथो में प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण की ही बात कही। वेदों में भी कहा गया है –

‘ॐ पूर्णभदः पूर्णामिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते।

पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते॥’

अर्थात् हमें प्रकृति से उतना ही ग्रहण करना चाहिए, जितना की आवश्यक है। प्रकृति को पूर्णता से नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। हमारी माता और दादी इसी भावना से बिना पौधों को नुक़सान पहुंचाए तुलसी की पत्तियां तोड़ती हैं। कुछ ऐसा ही संदेश वेदों में भी दिया गया है।

आज कोई भी पर्यावरण के संरक्षण का महत्व नहीं समझ रहा है। निरंतर प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, जिससे सारी पृथ्वी प्रदूषित हो रही है और मानव सभ्यता का अंत होने को है। इन परिस्थितियों को देखते हुए सन् 1992 में ब्राजील में पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन भी किया गया।

जिसमें 174 देश शामिल हुए। उसके बाद जोहान्सबर्ग में भी सन् 2002 में पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसके अन्तर्गत सारे देशों को पर्यावरण संरक्षण करने के लिए उपाय समझाए गए।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय

पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें सर्वप्रथम इस धरती को प्रदूषण रहित करना होगा। जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रदूषण भी बढ़ता ही जा रहा है, जिसे नियंत्रण में लाना आवश्यक है तभी हमारे पर्यावरण का संरक्षण हो पाएगा।

मनुष्य दिन प्रतिदिन प्रगति करता जा रहा है और इस विकास के नाम पर प्रदूषण वृद्धि करता जा रहा है। ओजोन परत का क्षरण होने से धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है और ध्रुवों पर ग्लेशियर पिघल रहे हैं। अतः पर्यावरण संरक्षण हमारी नैतिक जिम्मेदारी बन जाता है।

सन् 1986 में भारत की संसद ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक अधिनियम बनाया जिसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कहते हैं। जब मध्यप्रदेश स्थित भोपाल में गैस लीक की दुर्घटना हुई थी, तब इसे पारित किया गया था।

यह बहुत बड़ी ओद्यौगिक दुर्घटना थी, जिसमें करीब 2,259 लोग वहीं मारे गए और 500,000 से ज्यादा व्यक्ति मिथाइल आइसोसाइनेट नामक गैस की चपेट में आ गए थे। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत पर्यावरण की सुरक्षा की ओर ध्यान देना, प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के बारे में सोचना और पर्यावरण में सुधार लाने हेतु कानून बनाना था।

पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। इसे रोकने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं।

  • फैक्ट्री और घरों से निकलने वाला गंदा पानी जो नदियों और समुद्र में निष्कासित किया जाता है उसे रोकना होगा। क्योंकि यही पानी पीने में, खेती बाड़ी में और दूसरे कार्यों में उपयोग में लाया जाता है। जिसके प्रदूषित होने से उपजाऊ ज़मीन भी धीरे धीरे बंजर हो जाती है और उस जमीन पर भी खाद्य पदार्थ उगाए जाते हैं, वह भी खाने पर शरीर को नुक़सान पहुंचाते हैं।
  • वायु प्रदूषण से भी निरंतर पर्यावरण दूषित ही हो रहा है। हमें वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए घर में उपयोग लाए जाने वाले लेटेक्स पेंट का प्रयोग बंद करना होगा।

पर्यावरण को सुरक्षित रखना उतना ही जरुरी है जितना हम अपने आप को रखते है। पर्यावरण से ही हमे वो सभी चीजे उपलभ्ध होती है, जिसका इस्तेमाल करके आज मानव जीवित है और आराम और सुखदायी जीवन व्यतीत कर रहा है।

पर्यावरण संरक्षण हमारा फर्ज है और इस जिम्मेदारी को हम सबको मिल कर निभाना चाहिए। हमे जितना हो सके उतना पर्यावरण को दूषित होने से बचाना चाहिए और प्रदुषण को रोकने के उपायों को अमल में लाना चाहिए।

इन्हे भी पढ़े :-

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तो यह था पर्यावरण संरक्षण पर निबंध , आशा करता हूं कि पर्यावरण संरक्षण पर हिंदी में लिखा निबंध (Hindi Essay On Paryavaran Sanrakshan) आपको पसंद आया होगा। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा है , तो इस लेख को सभी के साथ शेयर करे।

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Paryavaran Sanrakshan Essay In Hindi)

👀  पर्यावरण संरक्षण पर निबंध   पर लिखा हुआ यह निबंध  (Hindi Essay on environmental protection / Paryavaran Sanrakshan par Nibandh)  आप को अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए निबंध लिखने में सहायता कर सकता है। आपको हमारे इस वेबसाइट पर और भी कही विषयों पर हिंदी में निबंध मिलेंगे (👉  निबंध सूचकांक ), जिन्हे आप पढ़ सकते है, तथा आप उन सब विषयों पर अपना निबंध लिख कर साझा कर सकते हैं

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध Hindi Essay on environmental protection Paryavaran Sanrakshan par Nibandh Essay on Save Environment in Hindi

🗣️  पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Hindi Essay on environmental protection / Paryavaran Sanrakshan par Nibandh) पर यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए और अन्य विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए लिखा गया है।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध प्रारूप १

परिचय .

अगर व्यक्ति अपने चारों और देखें तो उसके आसपास का वातावरण उसे काफी हद तक प्रभावित करता है। कुछ जगह का वातावरण बहुत ही अच्छा होता है और वहां फूल, पत्ती, पक्षी और अन्य प्राकृतिक स्रोतों की मदद से वहां का माहौल हमेशा सुखद बना रहता है। वहीं दूसरी तरफ ऐसा भी माहौल होता है जहां का वातावरण बहुत ही प्रदूषित होता है। वहां पर लोगों को रहने में समस्या होती है, लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है। इसी के साथ पशु-पक्षियों का जीवन भी खतरे में होता है। लेकिन ऐसा होता क्यों है? इसका जवाब है पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान ना देना। पर्यावरण संरक्षण बहुत ज्यादा आवश्यक है। जब पर्यावरण साफ सुथरा और सुखद होता है तभी वहां पर लोगों और साथ ही पशु और पक्षियों का जीवन भी सुख दायक और आनंदमय होता है। अतः पर्यावरण संरक्षण की ओर ध्यान देने की अत्यंत आवश्यकता है।

पर्यावरण संरक्षण का अर्थ 

पर्यावरण संरक्षण से पहले यह जानने की आवश्यकता है कि पर्यावरण क्या होता है। सीधे शब्दों में कहें तो हमारे आसपास जो कुछ भी है यह सब पर्यावरण ही है। अर्थात हम आसपास जो भी फूल, पत्ती, पेड़, पशु, पक्षी, जानवर, छोटे जीव-जंतु आदि देखते हैं यह सब पर्यावरण के ही भाग हैं। हमारे पर्यावरण में कई प्रकार की ऐसी गैसें पाई जाती हैं जिनसे पर्यावरण को हानि हो रही है। हानि को रोकने व उसके बचाव के लिए किए गए सभी कार्यों को हम पर्यावरण संरक्षण के अंतर्गत मान सकते हैं। हमें जीने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है जो कि हमें पेड़-पौधों से मिलती है और अगर पेड़ पौधों को किसी भी प्रकार की हानि होती है तो कहीं ना कहीं मानव जाति अपनी हानि कर रहा है। इसीलिए मनुष्य का जीवन बचाने के लिए पेड़-पौधों की रक्षा करना पर्यावरण संरक्षण के अंतर्गत आता है। इसी तरह किसी भी प्राकृतिक स्रोत की रक्षा करना पर्यावरण संरक्षण कहलाता है। अतः यह हम सभी का फर्ज बनता है कि हम अपने पर्यावरण की सुरक्षा करें।

पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता

पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता क्यों है, यह सवाल ठीक उसी प्रकार प्रतीत होता है कि मनुष्य को खाने की आवश्यकता क्यों है। फिर भी अगर हम पर्यावरण संरक्षण के आवश्यकता की बात करें तो अनेक कारण निकल कर आ जाएंगे । जैसे कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली मुख्य गैसों में से सबसे खतरनाक गैस क्लोरोफ्लोरोकार्बन है, जो हमारी पृथ्वी को गर्म करती जा रही है। इसके कारण ठंडे प्रदेशों जैसे अंटार्कटिका जो कि पूर्णतया बर्फ से घिरा हुआ है, वहाँ पर हर साल कई प्रतिशत बर्फ पिघल कर समंदर में मिल जाती है, जिसके कारण वहां के जीव-जंतुओं की हानि हो रही है और समुद्र के जल स्तर पर दिन-ब-दिन बढ़ोतरी होती जा रही है। यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले समय में यही पृथ्वी के विनाश का कारण बन सकती है। पर्यावरण को संरक्षित ना किया गया तो हमारी फसलें, जीव जंतु और मानव जाति ये सभी बुरी तरह प्रभावित होते हैं। हालांकि नई-नई तकनीकें और एडवांस गाड़ियों का अविष्कार ये सब विकास के प्रतीक हैं लेकिन वर्तमान में यही अत्याधुनिक तकनीक और और गाड़ी कहीं न कहीं पर्यावरण के लिये खतरा साबित होती जा रही। गाड़ी-मोटर से निकलने वाला धुंआ, फैक्टरियों और कम्पनियों से निकलने वाले हानिकारक कण ये सभी पर्यावरण के लिए शाप के समान हैं। अतः यह बहुत ही आवश्यक है कि पर्यावरण की सुरक्षा की जाए अन्यथा पूरी मानव जाति खतरे में पड़ सकती है

पर्यावरण संरक्षण के उपाय

जब कोई समस्या होती है तो उसका उपाय भी होता है इसी तरह निश्चित ही पर्यावरण के संरक्षण के लिए भी कुछ जरूरी उपाय हैं जिन्हें अगर गंभीर तरीके से अपनाया जाए तो अपने पर्यावरण को बिल्कुल साफ-सुथरा और सुरक्षित रखा जा सकता है-

★ सभी लोगों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए क्योंकि पेड़ हमें ऑक्सीजन देते हैं और पर्यावरण को मजबूत बनाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसीलिए हर छोटे-बड़े व्यक्ति को कम से कम एक पौधा लगाने की शपथ जरूर लेनी चाहिए।

★ पिछले कुछ समय में ईंधन वाली गाड़ियों का ज्यादा उपयोग होने से भी पर्यावरण को काफी हानि हुई है। इसलिए लोगों को केवल जरूरत के समय ही गाड़ियों का इस्तेमाल करना चाहिए और हो सके तो ज्यादा से ज्यादा साइकिल का प्रयोग करना चाहिए, ताकि पर्यावरण प्रभावित ना हो।

★ स्कूलों और कॉलेजों में भी बच्चों को पर्यावरण से संबंधित ज्यादा से ज्यादा जानकारी देनी चाहिए और उन्हें इसकी महत्ता को समझाना चाहिए। इससे वो भी पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हो सकेंगे।

★ छोटे और बड़े स्तर पर पर्यावरण संरक्षण से संबंधित अभियान चलाने चाहिए और लोगों को इसके प्रति जागरूक करना चाहिए।

★ पेड़ों की कटाई पर कठोर नीति के द्वारा रोक लगाई जानी चाहिए क्योंकि पेड़ों की कटाई पर्यावरण को बहुत प्रभावित करती है। इसीलिए इसके लिए सख्त कानून होने चाहिए आदि। 

इन सभी प्रकारों से और सरकार के द्वारा लगाए गए सख्त कानूनों से हम पर्यावरण को सुरक्षित रखने में सफल हो सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार के कदम

पर्यावरण संरक्षण के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कदम उठाए गए हैं जैसे 1972 के स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में लोगों को जीव जंतुओं और पेड़ पौधों से संबंधित जानकारी दी गई थी और उन्हें इसकी महत्ता समझाते हुए पर्यावरण विभाग के गठन की सलाह दी गयी। इसके लिए UNEP ( United Nations Environment Programme ) का गठन किया गया जिसका उद्देश्य विकासशील देशों को पर्यावरण संरक्षण के बारे में जानकारी देना और उसे सुरक्षित रखने के लिए सुविधा मुहैया कराना था। इसके अलावा भारत में भी 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया और वायु प्रदूषण से संबंधित कानून बनाएंगे। इसी तरह और भी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण कदम उठाए गए और अच्छी बात यह है कि इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सरकारों को इसी तरह और भी कई प्रयास करते रहना चाहिए ताकि पर्यावरण को पूरी तरह सुरक्षित किया जा सके।

हमारा जीवन पर्यावरण से ही है। अगर पर्यावरण साफ-सुथरा रहेगा तो मानव जाति भी स्वस्थ तरीके से जीवन जी सकेगी। पर्यावरण संरक्षण की समस्या सबसे महत्वपूर्ण समस्याओं की सूची में आती है इसीलिए इसे अनदेखा करना बहुत हानिकारक हो सकता है। इसके संबंध में कई सारे नियम और कानून बनाए गए लेकिन अभी पर्यावरण संरक्षण के लिए और ज्यादा प्रयास करने की आवश्यकता है,ताकि सारी तकनीकों और प्रयासों से वातावरण को सुरक्षित और साफ सुथरा बनाया जा सके। अतः यह सभी का कर्तव्य बनता है कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए अपनी तरफ से प्रयास करें, परिणाम के रूप में निश्चित ही इस समस्या को जड़ से खतम किया जा सकता है।

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध प्रारूप २

दिसम्बर 30, 2021 by  Wasif Jauhar

🌳  पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Paryavaran Sanrakshan Essay In Hindi)  पर यह निबंध बच्चो (kids) और class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखा गया है।

पर्यावरण यानि हमारे चारों ओर का वातावरण, जिसमें, पेड़-पौधे, जानवर, वनस्पति आदि होते हैं। एक स्वच्छ और हरा-भरा पर्यावरण हमारे स्वस्थ जीवन का आधार होता है। लेकिन आजकल लोग बिना सोचे समझे पर्यावरण को नष्ट कर रहे हैं, इसे प्रदूषित कर रहे हैं। लोगों को यह पता नहीं होता कि एक अच्छे जीवन के लिए एक साफ-सुथरा हरा भरा पर्यावरण बहुत आवश्यक है। और इसके लिए पर्यावरण संरक्षण करके ही हम अपने पर्यावरण को नष्ट और प्रदूषित होने से बचा सकते हैं।

पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए हमें केवल कुछ बातों का ही ध्यान रखना होगा। जैसे – अधिक से अधिक पेड़ लगाना, पेड़-पौधों की अधाधुंध कटाई रोकना, इधर-उधर कचरा न करना आदि पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकता है। पर्यावरण किस तरह हमारे लिए महत्वपूर्ण है और कैसे हम इसको नष्ट होने से बचा सकते हैं, इन सबके बारे में हम इस पोस्ट में जानेंगे। इसलिए इस पर्यावरण संरक्षण पर निबंध को अंत तक ज़रूर पढ़ें।

प्रस्तावना (Introduction) –

यदि बात करें पर्यावरण की तो ईश्वर ने हमारे लिए सुंदर सुंदर पेड़ पौधे, फूल, नदी, पहाड़, तालाब, जीव-जंतु, पक्षी, और अन्य बहुत सी अद्भुत चीज़ें बनाई हैं, जो हमारे पर्यावरण की सुंदरता को बढ़ाते हैं और हमारे जीवन के लिए आवश्यक हैं। लेकिन मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पर्यावरण को नष्ट कर रहा है। अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऐसी-ऐसी चीज़ों का अविष्कार कर रहा है, जो हमारे पर्यावरण को प्रदूषित कर रही हैं। यदि मानव ने ऐसा करना बंद नहीं किया और पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाला समय हम सबके लिए बहुत कठिन होगा। 

हो सकता है कि पृथ्वी पर जीवन ही न बच पाए। क्योंकि मानव ने पर्यावरण को इतना ज़्यादा प्रदूषित कर दिया है कि उसमें सांस लेना ही मुश्किल हो रहा है। तो आगे क्या होगा किसी को नहीं पता। इसलिए हम सबको मिलकर अपने पर्यावरण को बचाना होगा।

पर्यावरण का अर्थ क्या है (What is the Meaning of Environment in Hindi)?

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बनाया गया है। “परि” एवं “आवरण”। परि शब्द का मतलब होता है जो चीज़ हमारे चारो तरफ स्थित है और आवरण का अर्थ है जो चीज़ हम सबको चारो तरफ से घेरे हुए है। यानि पर्यावरण का अर्थ होता है, वह चीज़ जो हमें चारो तरफ से घेरे हुए है।

यदि दूसरे शब्दों में कहें तो पर्यावरण हमारे आस-पास के वातावरण हैं, जिनमें हम जन्म से लेकर मृत्यु तक रहते हैं। जैसे – पेड़-पौधे, पहाड़, नदी, तालाब, मिट्टी, वायु, वन, मैदान आदि। अर्थात् जो भी प्राकृतिक चीज़ें हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं, वही पर्यावरण हैं।

पर्यावरण संरक्षण क्या है (What is Environmental Protection)?

पर्यावरण मतलब जिन चीज़ों के बीच हम रहते हैं और संरक्षण का अर्थ होता है ‘सुरक्षित’। अर्थात् जिन चीज़ों से हम घिरे हुए हैं, उन्हें सुरक्षित रखना, उन्हें नष्ट होने से रोकना, उनका गलत तरीके से इस्तेमाल न करना पर्यावरण संरक्षण होता है।

पर्यावरण संरक्षण क्यों आवश्यक है (Why Environmental Protection is Necessary)?

यदि हमारा पर्यावरण प्रदूषित होता है तो उससे अनेक प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती हैं। इसके अलावा अनेक प्रकार की समस्याएं भी हमें झेलनी पड़ती हैं। जैसे – वायु-प्रदूषण से सांस लेने में कठिनाई व घुटन होती है। जल प्रदूषण से अनेक प्रकार की बीमारियां फैलती हैं। इसी तरह अन्य प्रकार के प्रदूषण भी मनुष्य के लिए हानिकारक होते हैं। इसके अलावा आजकल जो कोरोना जैसी खतरनाक महामारी ने हमें बर्बाद करके रखा है, यह भी पर्यावरण प्रदूषण का ही एक हिस्सा है। 

इसलिए यदि हम अपने आपको भविष्य में आने वाली कठिनाइयों से बचाना चाहते हैं और कोरोना जैसी अन्य महामारी और बीमारियों से खुद को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो हमें पर्यावरण को संरक्षित रखना आवश्यक है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण (Cause of Environmental Pollution in Hindi) –

पर्यावरण प्रदूषण एक ऐसी समस्या है, जिसका ज़िम्मेदार केवल मनुष्य ही है। ईश्वर ने हमें एक साफ-सुथरा, सुंदर व हरा-भरा रहने योग्य पर्यावरण दिया और इंसानों ने ही उसे अपने फायदे और मतलब के लिए प्रदूषित कर दिया। आइए नीचे जानते हैं कि पर्यावरण किन-किन कारणों से प्रदूषित होता है, जिनमें इंसानों का हाथ है –

(1) वनों का नष्ट होना (Destruction of Forests) –

पर्यावरण प्रदूषण का सबसे पहला और मुख्य कारण जो है, वह वनों की बहुत अधिक कटाई है। लोग वनों को नष्ट करके वहां पर उद्योग लगा रहे हैं, जो कि पर्यावरण को प्रदूषित करने में अपनी मुख्य भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा वायु-प्रदूषण को कम करने में भी वनों का बहुत बड़ा योगदान होता है। वहीं प्रकाश संश्लेषण के द्वारा वन दुनिया के लोगों की आवश्यकताओं को भी पूरा करते हैं। जैसे – लकड़ी, ईधन, संश्लेषित धागों के लिए कच्चा माल आदि की सप्लाई। 

(2) जनसंख्या में वृद्धि के कारण (Due to Increase in Population) –

पर्यावरण प्रदूषण का दूसरा कारण जनसंख्या वृद्धि है। अधिक आबादी के कारण लोग कचरा ज्यादा करते हैं। रहने के लिए लोगों को निवास स्थान के रूप में घर चाहिए, इसलिए वो वनों की कटाई करते हैं। इसके अलावा अधिक जनसंख्या होने पर लोग नदियों और तालाबों को भी गंदा करते हैं।

(3) अशिक्षा एवं गरीबी (Illiteracy and Poverty) –

हमारे देश में अशिक्षित और गरीब लोग ज़्यादा हैं, जिनका पर्यावरण प्रदूषित करने में भी कुछ हद तक हाथ है। ज्यादातर अशिक्षित व गरीब लोग गांव में ही रहते हैं, जो अपने जीवनयापन के लिए ईधन के रूप में जंगलों की कटाई करते हैं। इसके अलावा अशिक्षित व्यक्ति जनसंख्या पर नियंत्रण करने में भी पीछे रहता है। 

(4) परिवहन में बढ़ोत्तरी (Increase in Transportation) –

आजकल अधिकतर लोग अपनी सुविधा के लिए ज़्यादा से ज़्यादा परिवहन का इस्तेमाल करते हैं, जो कि पर्यावरण को प्रदूषित करने में अपनी अहम भूमिका निभाता है।

(5) विभिन्न प्रकार की गैसें (Different Types of Gases) –

कारखानों से निकलने वाला विभिन्न प्रकार का धुआं व गैसें भी पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं। इसके अलावा अलग अलग तरह के अविष्कार से निकलने वाली जहरीली गैसें भी हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं।

(6) अन्य कारण (Other Reason) –

पर्यावरण प्रदूषण के अन्य कई कारण भी हैं, जैसे – उर्वरक एवं कीटनाशकों को अत्याधिक इस्तेमाल, विशाल सिंचाई, तीर्व व कर्कश ध्वनि, आधुनिक तकनीकों का तेज़ी से विस्तार इत्यादि।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय (Environmental Protection Measures) –

• वनों की अंधाधुंध कटाई पर सरकार और जनता दोनों को मिलकर रोक लगानी चाहिए। इसके अलावा पेड़ों की लकड़ियों से बने सामान का उपयोग कम मात्रा में करना चाहिए, जैसे – कागज़, लकड़ी के फर्नीचर इत्यादि।

• जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए लोगों को जागरूक करना चाहिए। इसके अलावा शिक्षा को बढ़ावा देकर भी जनसंख्या में हो रही वृद्धि को कम किया जा सकता है।

• अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। हो सके तो अपने घर की छत, आंगन और यहां तक कि लोगों को बर्थडे व शादी के गिफ्ट में भी पौधे दें।

• यदि कहीं पैदल जा रहे हैं तो बाइक या कार का इस्तेमाल न करके पैदल या साइकिल से जाएं। इससे आप धुएं वाले परिवहन का प्रयोग न करके वायु प्रदूषण को रोक सकते हैं।

• आधुनिक तकनीक का प्रयोग कम से कम करें। इसके अलावा बल्ब कि बजाए सीएफएल या एलईडी बल्ब का प्रयोग करें।

• पानी और बिजली की बर्बादी न करें। इसके अलावा प्लास्टिक का प्रयोग न करके शीशे व कपड़े की बनी चीजें इस्तेमाल करें।

• खुद की प्राइवेट गाड़ी कि बजाए ट्रेन, बस या मेट्रो का प्रयोग करें।

निष्कर्ष (Conclusion) –

हम जिस पर्यावरण में रहते हैं, उसकी रक्षा करना हमारा कर्तव्य है। यदि हमने ऐसा नहीं किया तो इसका दुष्प्रभाव हम सबको ही झेलना पड़ेगा। भविष्य में हमें और हमारी आने वाली पीढ़ी को जल, वायु, निवास स्थान आदि सभी चीज़ों के लिए तरसना पड़ सकता है। इसलिए हम सबको पर्यावरण संरक्षित करने के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे।

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👉 आप नीचे दिये गए  सामाजिक मुद्दे और सामाजिक जागरूकता पर निबंध  पढ़ सकते है तथा आप अपना निबंध साझा कर सकते हैं |

विनम्र अनुरोध:

इस तरह “ पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Hindi Essay on environmental protection / Paryavaran Sanrakshan par Nibandh) ” यहीं पूरा होता है। हमने अपना सर्वश्रेष्ठ देते हुए पूरी कोशिश की है कि इस हिंदी निबंध में किसी भी प्रकार की त्रुटि ना हो। फिर भी यदि आप को इस निबंध में कोई गलती दिखती है तो आप अपना बहुमूल्य सुझाव ईमेल के द्वारा दे सकते है। ताकि हम आपको निरन्तर बिना किसी त्रुटि के लेख प्रस्तुत कर सकें।

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

Essay on Save Environment in Hindi: हम सभी पर्यावरण से घिरे हुए हैं। पेड़-पौधे, जीव जंतु, पंछी, नदी, पहाड़, पर्वत, झरने इत्यादि सभी पर्यावरण है। मनुष्य तथा सभी जीव जंतुओं का पर्यावरण से बहुत ही घनिष्ट संबंध है और हमेशा रहेगा। पर्यावरण के साथ संतुलन बनाकर ही मनुष्य इस धरती पर अपने अस्तित्व को बनाए रख सकता है।

पर्यावरण और प्रकृति की सुंदरता मनुष्य को हर्षोउल्लासित कर देती है, मनुष्य में उत्साह का संचार होता है। प्रकृति के बीच मनुष्य अपने आप को बहुत शांत और स्वस्थ अनुभव करता है। लेकिन दिन प्रतिदिन मनुष्य अपनी तरह तरह के गतिविधियों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। जिससे धीरे-धीरे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ते जा रहा है, जिसका बुरा प्रभाव मनुष्य के जीवन पर पड़ रहा है।

यदि ऐसे ही चलता रहा तो वह समय दूर नहीं जब मनुष्य और सभी जीव जंतुओं का अस्तित्व इस धरती से खत्म हो जाएगा। जिस कारण अभी से ही हर मनुष्य को पर्यावरण संरक्षण के लिए सक्रिय हो जाना चाहिए।

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (Essay on Save Environment in Hindi)

यदि आप एक विद्यार्थी हैं तो निश्चित तौर पर आपके विद्यालय या कॉलेज में पर्यावरण के संरक्षण पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता होगा ताकि हर एक विद्यार्थी पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझ सके। इसीलिए आज के इस लेख में हम 250, 300, 500 और 1200 शब्दों में निबंध लेकर आए हैं।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 250 शब्द

यह सभी की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है क्योंकि देश में बढ़ती हुई जनसंख्या पर्यावरण के प्रदूषण के लिए बहुत ज्यादा जिम्मेदार होती जा रही है। पहले के जमाने में हमारी धरती पर अच्छा प्रदूषण मुक्त माहौल हुआ करता था, लेकिन जैसे-जैसे आधुनिक तकनीकीओ का विकास हुआ, जनसंख्या बढ़ी, वैसे ही वनों का विनाश होने लगा। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, वाहन प्रदूषण, वायु मंडल में भी ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग इन सभी की वजह से हमारा वातावरण बहुत प्रदूषित हो गया है।

हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान झेलना पड़ा है। इस वजह से आज सभी का जीवन संकट में पड़ता जा रहा है। क्योंकि हमें ना खाने को अच्छा मिल पा रहा है और ना हम अच्छी शुद्ध हवा ले सकते हैं। चारों तरफ प्रदूषण की मात्रा इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि हर इंसान का सांस लेना भी मुश्किल होता जा रहा है। पर्यावरण के संरक्षण के लिए हम सभी को कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। बहुत अधिक संख्या में प्रयास करने होंगे।

हालांकि हमारी सरकार के द्वारा भी पर्यावरण को बचाने के बहुत प्रयास किए जा रहे हैं। लोग अधिक से अधिक संख्या में लोग पेड़ लगा रहे हैं। पर्यावरण के संरक्षण के लिए हमको सभी को एकजुट होकर इसका सोशल मीडिया के द्वारा प्रचार करना होगा। लोगों में हमारे पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने होगी ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा जागरूक होकर पेड़ लगाएं तथा पर्यावरण को संरक्षित कर सके।

हमारे देश में जितने तीव्र गति से जनसंख्या में वृद्धि हो रही है, आधुनिक साधनों का लोग प्रयोग किए जा रहे हैं, उनकी वजह से हमारा वातावरण बहुत नुकसान हो रहा है। इन सभी से चीजों के हानिकारक प्रयोग से बचने के लिए एकजुट होकर सबको हमें अपने पर्यावरण को बचाना होगा।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 300 शब्द

पृथ्वी पर स्थित सभी जीव-जंतु, मनुष्य पर्यावरण से घिरे हुए हैं। हमारे आसपास मौजूद हरे भरे पेड़ पौधे, पंछियों की चहकान, नदियों की लहरों की कलरव करती आवाज, सुंदर सुंदर फूल, हर चीज हमें बहुत मनोरम एहसास दिलाता है। यह हर चीज पर्यावरण ही तो है। हमारे आसपास मौजूद जितनी भी चीजें है, सभी पर्यावरण संरचना में योगदान देता है। मनुष्य बिना पर्यावरण के लंबे समय तक जीवन नहीं जी सकता।

क्योंकि यदि एक व्यक्ति को बंद कमरे में हमेशा के लिए बंद कर दिया जाए और सारी सुख सुविधा दी जाए लेकिन उसे बाहर आने ना दिया जाए तो वह व्यक्ति लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता। क्योंकि धरती पर मौजूद हर मनुष्य हर और जीव जंतु इस पर्यावरण के साथ अपने आपको ढाल चुका है और अब बिना पर्यावरण के मनुष्य कहीं और नहीं रह सकता।

लेकिन अफसोस की बात है कि जिस पर्यावरण के बिना व्यक्ति लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता, उस पर्यावरण के महत्व को ही मनुष्य समझ नहीं पा रहा है। आज मानव नए-नए आविष्कार कर रहा है, विज्ञान के दुनिया में खूब तरक्की कर रहा है। लेकिन मनुष्य के तरक्की का हर्जाना पर्यावरण को भुगतना पड़ रहा है। आज मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पेड़ पौधों को काट रहा है, जानवरों की हत्या कर रहा है, पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है।

मनुष्य के इन गतिविधियों के कारण दिन-प्रतिदिन मानव जाति विनाश की ओर आगे बढ़ रही हैं। यदि लंबे समय तक मनुष्य ऐसा करता ही रहा तो मनुष्य को इसका हर्जाना भरना पड़ेगा। धीरे-धीरे धरती से मनुष्य और सभी जीव जंतुओं का भी अस्तित्व खत्म हो जाएगा। इसीलिए आज ही हर एक मनुष्य को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक होना जरूरी है। हर एक मनुष्य को पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए अन्यथा यह पर्यावरण पूरी तरीके से खत्म हो जाएगा और इसी के साथ मानव जाति भी खत्म हो जाएगी।

हालांकि पर्यावरण को लेकर हर देश चिंता में है, इसीलिए हर साल 5 जून को अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस दिन बढ़-चढ़कर लोग हिस्सा लेते हैं और पेड़ पौधों को लगाते हैं, पर्यावरण संरक्षण के लिए अन्य लोगों को भी जागरूक करते हैं। लेकिन केवल एक ही दिन नहीं बल्कि हर दिन लोगों को पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देना चाहिए।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 500 शब्द

पर्यावरण से मनुष्य का रिश्ता मनुष्य जाति की उत्पत्ति से ही हो चुका है। क्योंकि पर्यावरण नहीं होता तो मनुष्य जाति यहां तक कि अन्य जीव-जंतुओं का भी अस्तित्व नहीं होता। जब से धरती पर जीव उत्पन्न हो गए हैं तब से ही प्रकृति से जीवों को जीने के लिए संसाधन प्राप्त हो रहे हैं। मनुष्य जीवन जीने के लिए प्रकृति का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रयोग कर रहा है। प्रकृति ने मनुष्य को रहने के लिए आश्रय दिया है।

लेकिन शायद मनुष्य भूल चुका है। इसीलिए तो मनुष्य पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। जैसे जैसे समय बीतता गया मनुष्य की जरूरते बढ़ती गई और इन जरूरतों को पूरा करने के लिए मनुष्य पर्यावरण के प्रति निर्दय होने लगा। दिन प्रतिदिन जनसंख्या बढ़ रही है, जिस कारण लोगों की आवश्यकता भी बढ़ रही है और इसी कारण मनुष्य कई प्रकार के जीव जंतुओं को अपने फायदे के लिए मार रहा है, बढ़ती शहरीकरण के कारण पेड़ पौधों को काटा जा रहा है।

पर्यावरण संरक्षण का महत्व

पर्यावरण जो ईश्वर के द्वारा बनाई गई है। पर्यावरण में मौजूद तरह-तरह के रंग-बिरंगे सुंदर फूल, पेड़-पौधों की हरियाली, पंछियों की चहकती आवाज और पर्यावरण के सुंदर नजारे हमारी आंखों को खूब लुभाते हैं और इन्हें देख मनुष्य का मन प्रफुल्लित हो जाता है। इन सुंदर दृश्य को देख मनुष्य चिंता मुक्त हो सकता है और अंदर ही अंदर वो खुशी महसूस करता है।

पर्यावरण में मौजूद जीव-जंतु, पेड़-पौधे, पर्वत, नदियां सभी से मानव का संबंध है। पर्यावरण से ही तो मनुष्य को जीने के लिए सभी तरह के संसाधन प्राप्त होते हैं। इसीलिए प्राचीन काल से ही भारत में वृक्षों को संतान स्वरूप एवं नदियों को मां स्वरूप माना गया है।

प्राचीन काल के ऋषि मुनि भी प्रकृति की पूजा करते थे। क्योंकि वे जानते थे कि मनुष्य और पर्यावरण का नाता लंबे समय से है और हमेशा ही रहेगा। इन्हीं पर्यावरण के बदौलत मनुष्य इस धरती पर अपना जीवन यापन कर पाएगा, इसीलिए पर्यावर संरक्षण महत्वपूर्ण है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय

  • यदि पर्यावरण को संरक्षित करना है तो सबसे पहले मनुष्य को पर्यावरण को प्रदूषित करने से रोकना होगा।
  • प्रदूषण को रोकने के लिए फैक्ट्री और घरों से निकलने वाली गंदगी को नदियों और समुद्रों में निष्कासित करने से रोकना होगा। क्योंकि इन्हीं पानी को पीने से कई प्रकार के जीव जंतुओं की मौत हो जाती है। मनुष्य चाहे तो इन गंदे पानी को पेड़ पौधे और फसल उगाने में प्रयोग कर सकता है।
  • मनुष्य अपनी सुविधा के कारण कई तरह के इलेक्ट्रॉनिक सामान का इस्तेमाल करता है जैसे कि एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर इत्यादि जिनसे क्लोरोफ्लोरोकार्बन निकलता है, जो पर्यावरण में तापमान को और भी ज्यादा बढ़ा रहा है और इस बढ़ते तापमान के कारण ध्रुव पर ग्लेशियर पिघल रहा है। इसलिए इन इलेक्ट्रॉनिक सामान के इस्तेमाल पर कटौती करना जरूरी है।
  • पर्यावरण को संरक्षित रखना है तो पेड़ पौधों के कटाई पर रोक लगाना जरूरी है और यदि मनुष्य पेड़ पौधों की कटाई करता है तो उसका दोगुना पेड़ पौधे भी उसको उगाना जरूरी है।

सरकार के द्वारा पर्यावरण संरक्षण में भूमिका

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में गैस लिक दुर्घटना होने के बाद सरकार ने भी संसद में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सन 1986 में एक अधिनियम जारी किया, जिसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कहते हैं।

अब इस अधिनियम का उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा करना, प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के बारे में सोचना और पर्यावरण में सुधार लाना है। इसके अतिरिक्त विश्वभर में पर्यावरण सरंक्षण के लिए हर साल 5 जून को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस मनाया जाता है ताकि लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक कर सके और खुद भी योगदान दे सके।

मनुष्य जिस घर में रहता है मनुष्य उस घर को कभी भी नुकसान नहीं पहुंचाता है। क्योंकि वह उसका आश्रय है। ठीक उसी तरह पर्यावरण भी तो मनुष्य और सभी जीव-जंतुओं का आश्रय है। यदि पर्यावरण ना हो तो मनुष्य और सभी जीव जंतुओं का अस्तित्व भी ना होता। इसलिए पर्यावरण की सुरक्षा करना उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना आप अपने आप और अपने घरों को सुरक्षित रखते हैं।

जिससे जीवन यापन के लिए सभी तरह की चीजें प्राप्त होती है, उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाया जाता। क्योंकि यदि वही चीजों को नुकसान पहुंचाएंगे तो फिर जीवन जीने के लिए आवश्यक सभी चीजें कहां से प्राप्त होगी? और मनुष्य को जीवन जीने के लिए जितनी भी चीजें हैं सभी चीजें पर्यावरण से ही तो प्राप्त होती है। इसीलिए पर्यावरण का संरक्षण करना हर एक मानव की जिम्मेदारी है।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध (1200 शब्द)

पर्यावरण का संरक्षण करना बहुत अत्यधिक जरूरी हो गया है, क्योंकि संपूर्ण मानव जीवन पर्यावरण पर निर्भर है। जब हमारा पर्यावरण सही नहीं रहेगा तो हमारा जीना बहुत मुश्किल हो जाएगा, इसलिए पर्यावरण का संरक्षण करना बहुत जरूरी है।

ऐसी चीजों का प्रयोग नहीं करना होगा, जिन से हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचे, तभी हम अपने पर्यावरण को संरक्षित कर पाएंगे। इसके लिए लोगों को भी अधिक से अधिक संख्या में जागरूक करना होगा। नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को जागरूक कर हम अपने पर्यावरण को बचा पाएंगे उसको संरक्षित कर पाएंगे।

पर्यावरण शब्द का अर्थ

यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है पर+ आवरण। मतलब चारों तरफ से गिरा हुआ या ढका हुआ, उसको पर्यावरण कहते हैं। जिस तरह से पहले पृथ्वी हमारे चारों तरफ हरियाली से ढकी हुई रहती थी, बढ़ती जनसंख्या के कारण आज वनों से पेड़ पौधों से विहीन हो गई है।

पर्यावरण कैसे बनता है?

जिस वातावरण में हम रहते हैं, वहां पर पेड़-पौधे, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, मनुष्य आदि प्रकृति के द्वारा प्रदान सभी चीजों से मिलकर हमारा पर्यावरण बनता है, इसीलिए हमारा बहुत गहरा रिश्ता होता है पर्यावरण के साथ में। प्रकृति और पर्यावरण का घनिष्ठ संबंध देख कर मन में बहुत उत्साह और प्रसन्नता का अनुभव याद दिलाता है।

पर्यावरण के संरक्षण की जरूरत

जिस प्रकार से मनुष्य प्रकृति के द्वारा प्रदान की गई चीजों को नुकसान पहुंचाने लग रहा है, उससे मनुष्य जीवन बिल्कुल खतरे में पड़ चुका है। मनुष्य भूल चुका है कि जिस प्रकृति ने उसको आश्चर्य दिया जीवन दिया, वह उस प्रकृति को ही नुकसान पहुंचा रहा है।

जिस तेज गति से संसाधन बढ़ते जा रहे हैं, लोगों की आवश्यकता है, बढ़ती जा रही हैं, उसे हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंच रहा है, आज मनुष्य को सबसे ज्यादा पर्यावरण के संरक्षण की आवश्यकता पड़ गई है क्योंकि उसका खुद का जीवन संकट में आ गया है। दिन प्रतिदिन मनुष्य अपने स्वार्थ और अपने फायदे के लिए हमारे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचाता जा रहा है।

पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए हम सभी का दायित्व

यह संपूर्ण विश्व के लोगों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए हम को बहुत छोटी छोटी बात पर ध्यान देना होगा और हमारे पर्यावरण को उन हानिकारक चीजों से बचाना होगा, जिससे पर्यावरण हमारा प्रदूषित हो रहा है। यह हम सब को एकजुट जागरूक होकर करना होगा। जैसे लोग प्लास्टिक के थैलों का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं, पेट्रोल डीजल युक्त साधनों का प्रयोग कर रहे हैं, वनों की अंधाधुंध कटाई कर रहे हैं, इन सभी चीजों को बंद करना होगा।

तभी हम पर्यावरण को सुरक्षित संरक्षित रख पाएंगे। यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं होता। इसके लिए सभी को जागरूक होकर एक साथ काम करना होगा। लोगों को पर्यावरण के संरक्षण के महत्व को समझाना होगा। यह हम सबका दायित्व है कि हम अपने पर्यावरण को संरक्षित और सुरक्षित रखें।

पर्यावरण संरक्षण में लोगों की भूमिका

संरक्षण के लिए सबसे अधिक लोगों की भूमिका होती है, क्योंकि हम खुद अपने पर्यावरण को संरक्षित रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। सबसे पहले हमें इको फ्रेंडली चीजों का निर्माण कर उनको उपयोग में लाना होगा, क्योंकि इको फ्रेंडली चीजें हमारे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती है।

इसीलिए लोगों को भी अधिक से अधिक संख्या में इन चीजों का प्रयोग करने के लिए बताना होगा। इनके महत्व को समझाना होगा तभी हम अपने पर्यावरण को संरक्षित कर पाएंगे। इको फ्रेंडली का मतलब यह होता है कि मनुष्य उन वस्तुओं का निर्माण करता है, जो हमारे पर्यावरण के अनुरूप हो हमारे पर्यावरण को किसी प्रकार का कोई नुकसान ना पहुंचाएं।

मनुष्य जीवन में पर्यावरण के संरक्षण का महत्व

आज से ही नहीं बल्कि प्राचीन समय से हमारे देश में पर्यावरण का बहुत महत्व रहा है, क्योंकि प्रकृति का संरक्षण करना मतलब उसका पूजन करने के समान होता है। हमारे देश में पर्वत, नदी, वायु, आग, ग्रह नक्षत्र, पेड़ पौधे यह सभी कहीं ना कहीं मानव के साथ जुड़े हुए हैं। मनुष्य के साथ एक गहरा रिश्ता है, क्योंकि यह सभी हमें प्रकृति के द्वारा प्रधान हुए हैं। हम खुद भी प्रकृति की ही देन है।

हमारे देश में वृक्षों को संतान के स्वरूप नदियों को मां के समान माना गया है। हमारे देश में ऋषि-मुनियों को पहले से ही पता था कि मनुष्य का स्वभाव किस प्रकार से होता है। मनुष्य अपने स्वार्थ और लालच के लिए किस हद तक जा सकते हैं, इसीलिए मनुष्य ने प्रकृति के साथ भी अपने संबंधों को कभी विकसित नहीं किया।

हमारे पुराने ग्रंथों में भी कहा गया है कि प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण कितना जरूरी है। हमारे वेदों में भी कहा गया है:

ॐ पूर्णभदः पूर्णमीदम पूर्णातपुर्णमुदच्यते। पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।।

अर्थात हमारी प्रकृति से उतना ही ग्रहण करो जितना आवश्यक है, लेकिन अपनी जरूरतों के लिए अपनी प्रकृति को नुकसान बिल्कुल मत पहुंचाओ।

पर्यावरण के संरक्षण का उपाय

सबसे पहले हमें पर्यावरण के संरक्षण के लिए जनसंख्या की दृष्टि से वृद्धि हो रही है, उस पर रोक लगानी होगी। सरकार को इसके लिए सख्त कदम उठाने होंगे तभी यह काम आसान हो पाएगा और हमें अपने पर्यावरण को संरक्षित कर पाएंगे।

फैक्ट्रियों बड़े-बड़े कारखाने के द्वारा निकला हुआ प्रदूषित जल सागरों नदियों में छोड़ा जा रहा है, जिससे जल प्रदूषित होता जा रहा है। उस जल का उपयोग खेती में पीने में भी किया जाता है। इस वजह से लोग बहुत बीमार हो जाते हैं, वह जल पीने योग्य नहीं होता उपजाऊ जमीन भी बंजर हो जाती है। इन सब पर रोक लगानी होगी। इस पानी को नदी और सागरों में छोड़ने के प्रयास नहीं करने होंगे।

पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार ने कई विषयों की भी शुरुआत की है, जिसमें स्वच्छ भारत अभियान नदियों की सफाई का कार्यक्रम प्रमुख रहे हैं। आज सरकार के द्वारा ही बहुत अच्छे अच्छे प्रयास किए जा रहे हैं, जिनसे हमारा पर्यावरण को नुकसान होने से बचाया जा सके।

हमारी प्रकृति का संरक्षण करना उतना ही जरूरी होता है, जिस प्रकार हम अपने जीवन को सुरक्षित रखते हैं। हमारी बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है कि हम अपने तरह ही अपने प्रकृति के जीवन को भी बचा है। क्योंकि जिस प्रकार से आज हमारी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, इसलिए हम लोगों को जागरूक होकर उसके संरक्षण की जरूरत है।

पर्यावरण का संरक्षण करना हम सभी का कर्तव्य है और इसको सभी लोगों को एक साथ एकजुट होकर पूरा करना होगा, जितना अधिक हो सके। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना होगा। इसके रोकने के पूरे प्रयास सभी को मिलकर करने होंगे तभी हम  पर्यावरण को सुरक्षित रख पाएंगे और खुद भी सुरक्षित रह सकेंगे।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध PDF (Paryavaran Sanrakshan Essay in Hindi)

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Rahul Singh Tanwar

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पर्यावरण का महत्व: एक स्वस्थ भविष्य की खोज। Paryavaran ka Mahatva Nibandh: The Search for a Healthy Future

पर्यावरण का महत्व: एक स्वस्थ भविष्य की खोज। Paryavaran ka Mahatva Nibandh: The Search for a Healthy Future

प्रकृति की संरक्षा और मानवीय विकास के बीच संतुलन स्थापित करने के लिए पर्यावरण का महत्व (paryavaran ka mahatva) अपार है। पर्यावरण का महत्व पर यह निबंध (Paryavaran ka Mahatva Nibandh) पर्यावरण कि मानव जीवन में आवश्यकता को व्यापक रूप से वर्णित करता है और हमें प्रेरित करता है कि हमें इसकी संरक्षण के प्रति दृढ़ संकल्प होना चाहिए।

पर्यावरण के बारे में निबंध या पर्यावरण पर निबंध (paryavaran ke bare mein nibandh or essay on environment in hindi) पर्यावरण के महत्व को व्यापक रूप से वर्णित करता है और हमें प्रेरित करता है कि हमें पर्यावरण की संरक्षण के प्रति दृढ़ संकल्प लेना चाहिए।

पर्यावरण के महत्व के इस निबंध में (paryavaran ka mahatva nibandh) हम इसके महत्व के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के प्रदूषण जैसे जल, वायु, ध्वनि, और प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में भी चर्चा करेंगे। इसे पढ़कर हमें पर्यावरण संरक्षण की महत्ता (paryaavaran sanrakshan kee mahatta or importance of environmental protection in hindi) समझ में आएगी और हम अपनी पृथ्वी की रक्षा के लिए एकजुट होंगे।

पर्यावरण का महत्व पर निबंध। Paryavaran ka Mahatva Nibandh or paryavaran essay in hindi

Table of Contents

पर्यावरण हमारे आस-पास की सभी चीजों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और हमारा पूरा जीवन इस पर निर्भर है। हमें सांस लेने के लिए हवा, पीने के लिए पानी, खाने के लिए भोजन और रहने के लिए जमीन यह सब इसी पर्यावरण से मिलते हैं। यहाँ तक कि वनस्पतियां, पेड़-पौधे, जानवर इत्यादि इस पर्यावरण का हिस्सा है। पर्यावरण जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमें उन सभी चीज़ों को प्रदान करता है जो हमें सुरक्षित रहने और उन्नति करने के लिए चाहिए। 

पर्यावरण कई कारणों से महत्वपूर्ण है। यह हमें स्वच्छ हवा और पानी प्रदान करता है, मौसम को नियंत्रित करने में मदद करता है और जैव विविधता ( Jaiv Vividhata ) को संतुलित करता है। यह हमें खाद्य और अन्य संसाधनों  को भी प्रदान करता है।  साथ ही साथ यह सौंदर्य और प्रेरणा का स्रोत भी है। नीचे दिए गए कुछ बिंदुओं से हम पर्यावरण के महत्व को विस्तार पूर्वक समझेंगे:

वायु या हवा:

शायद यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि हमें हवा की आवश्यकता हमारे जन्म से लेकर अंतिम क्षणों तक होती है। हम आपके द्वारा सांस ली जाने वाली हवा जोकि ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और अन्य गैसों से मिलकर बनी होती है इस पर्यावरण से ही मिलती है। पर्यावरण हवा को साफ़ करने में मदद करता है और प्रदूषकों को हटाता है।

पानी या जल:

हमें पानी की जरूरत प्यास बुझाने, खाना पकाने और स्नान इत्यादि कार्यों में पड़ती है। पर्यावरण हमें नदियों, झीलों और अन्य जलस्रोतों  के माध्यम से हमें अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए पानी प्रदान करता है।

खाद्य सामग्री:

हम अपने भोजन या खाद्य को पौधों और जानवरों से प्राप्त करते हैं। पर्यावरण हमें पौधों के लिए ज़मीन, पानी और सूर्य की रोशनी प्रदान करता है। यह जानवरों के लिए आवास प्रदान करता है ताकि वे जीवित रह सकें और प्रजनन कर सकें।

हम अपनी रोजमर्रा की चीजों के लिए जैसे परिवहन, गर्मी और शीतलन या वातानुकूल (hot and cold or air conditioning)  इत्यादि के लिए ऊर्जा का उपयोग करते हैं। पर्यावरण हमें सौर और हवा ऊर्जा (Solar and wind power)  जैसे नवीनीकरणशील ऊर्जा स्रोत प्रदान करता है। यह हमें कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे फोसिल या जीवाश्म ईंधन ( fossil fuel) से भी ऊर्जा प्रदान करता है।

हम पर्यावरण में समय बिताने का आनंद लेते हैं। पर्यावरण हमें ट्रेकिंग, साइकिल चलाने, तैराकी, मछली पकड़ने और अन्य बाहरी गतिविधियों के लिए अवसर प्रदान करता है।

पर्यावरणीय संरक्षण के महत्व को समझने के लिए यह आवश्यक है कि हम पर्यावरण को सही ढंग से देखें और समझें। हमें अपने आस-पास के पेड़-पौधों, जल, जन्तुओं और पृथ्वी की सुंदरता का महत्व समझना चाहिए।

पर्यावरण को खतरा:

प्रदूषण, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन इत्यादि सभी पर्यावरण को क्षति पहुंचा रहे हैं। ये खतरे मानव स्वास्थ्य को भी हानि पहुंचा रहे हैं, पारिस्थितिकी को बिगाड़ रहे हैं, और पृथ्वी को निवास के लिए  धीरे-धीरे कम  अनुकूल बना रहे हैं। 

पर्यावरण हमारा घर है। इसे संरक्षित करना ना केवल हमारी जिम्मेदारी है  बल्कि पर्यावरण का संरक्षण जीवन के लिए अनिवार्य है। हमें पर्यावरण में संतुलन बनाए रखना चाहिए ताकि हमारी पीढ़ियाँ भी एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य का आनंद ले सकें।

हमें अपने आपको और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए अभी से ठोस और उचित कदम उठाने पड़ेंगे। 

पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए हमें निम्नलिखित कार्रवाई लेनी चाहिए:

 पेड़ लगाएँ:

हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। पेड़ हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं।

 बिजली की बचत करें:

हमें विद्युत ऊर्जा की बचत करनी चाहिए। बिजली की बचत के लिए हमें अपनी बत्ती और उपकरणों को बंद करना चाहिए जब हम उनका उपयोग नहीं कर रहे होते हैं।

 जल संरक्षण करें:

हमें पानी की बचत करनी चाहिए। हमें स्नान के समय पानी का उपयोग कम करना चाहिए और लीक टैप और पाइपों  की तुरंत मरम्मत करनी चाहिए।

 प्रदूषण कम करें:

हमें वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना चाहिए। हमें इंजन की सर्विसिंग समय-समय पर करानी चाहिए ताकि यह अच्छी तरह से काम कर सके और प्रदूषण को कम कर सके।  

समुद्री जीवन की संरक्षा करें:

हमें समुद्री जीवन की संरक्षा करनी चाहिए ताकि वे हमारे पर्यावरण के साथ संतुलन बनाए रख सकें।

  रीसाइकल करें:

हमें कचरे को रीसाइकल करना चाहिए। हम इस्तेमाल की गई सामग्री को पुनर्चक्रण करके उसका उपयोग कर सकते हैं और भूमि को कचरे (waste landfill) से बचा सकते हैं।

संक्षेप में पर्यावरण की संरक्षण के लिए हम अपनी खपत को कम करके, रीसाइकलिंग और कम्पोस्टिंग करके, कम ऊर्जा का उपयोग करके,  सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करके, पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों  और व्यवसायों का समर्थन करके कर सकते हैं। हम पर्यावरणीय क्रांति और पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय होकर और दूसरों को जोड़कर इस क्षेत्र में बेहतर प्रयास कर सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें उदारवादी सोचने की आवश्यकता है। हमें अपने आस-पास की प्रकृति के साथ संघर्ष करने की बजाय उसकी सहायता करनी चाहिए। हमें प्राकृतिक संसाधनों का समय पर उपयोग करना चाहिए और उन्हें संरक्षित रखना चाहिए। हमें उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का उपयोग करना चाहिए और विकास को सतत रखने की आवश्यकता है, लेकिन हमें इसे पर्यावरण के नुकसान के बिना करना चाहिए।

पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें एकजुट होकर काम करना चाहिए। हमें अपनी सरकार को प्रदूषण नियंत्रण के लिए कठोर कानून बनाने के लिए उचित दबाव डालना चाहिए और इसे पूरे देश में लागू करना चाहिए। हमें इसके लिए विभिन्न अभियानों का आयोजन करना चाहिए और लोगों को पर्यावरण संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करना चाहिए।

 इस प्रकार, हमें पर्यावरण का महत्व (paryavaran ka mahatva) समझने और इसकी रक्षा करने के लिए कठोर कानून बनाने, जागरूकता फैलाने, और अपनी आदतों को बदलने की आवश्यकता है। हमारा पर्यावरण (hamara paryavaran) हमारे आने वाली पीढ़ियों के लिए आश्रय है और  हम पर इसे संरक्षित रखने की जिम्मेदारी है। हमें अपनी छोटी-छोटी कार्रवाइयों  और प्रयासों से शुरूआत करनी चाहिए और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अपना योगदान देना चाहिए। 

पर्यावरण का महत्व पर निबंध का निष्कर्ष। Conclusion of Paryavaran ka mahatva par nibandh: 

पर्यावरण हमारे जीवन का अटूट हिस्सा है। हमारा पर्यावरण हमें ऊर्जा, शुद्ध वायु, पानी, खाद्य और अन्य जीवन संसाधनों की प्रदान करता है। हमें पर्यावरण की सुरक्षा करने की जरूरत है ताकि हम इन संसाधनों का उचित उपयोग कर सकें और इसे अपने आनंद के लिए बनाए रख सकें। पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें अपनी आदतों को बदलने, संयुक्त कार्रवाई करने और उदारवादी सोचने की आवश्यकता है। इस प्रकार, हम सभी मिलकर पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं और स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य की गारंटी कर सकते हैं।

Essay No. 2: पर्यावरण पर निबंध। Paryavaran Essay in Hindi or Essay on environment in hindi: 

पर्यावरण हमारे जीवन की रक्षक है, जिसकी महत्ता को हमें समझना चाहिए। पर्यावरण पर निबंध (paryavaran ke upar nibandh or paryavaran essay in hindi ) के माध्यम से हम पर्यावरण के महत्व (paryavaran ka mahatva) पर गहराई से विचार करेंगे और इसके विभिन्न पहलुओं को जानेंगे। प्रदूषण, जल, वायु, ध्वनि, और प्लास्टिक प्रदूषण जैसे मुद्दों पर भी विचार किया जाएगा। इसे पढ़कर हमें यह अनुभव होगा कि हमारा प्रत्येक कदम पर्यावरण संरक्षण के लिए कितना महत्वपूर्ण है और हमें अपने भूमि की देखभाल करने के लिए सक्रिय होना चाहिए।

पर्यावरण हमारे चारों तरफ विद्यमान है और हमारे जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। पर्यावरण में हमारे वायुमंडल, धरती, पानी, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और अन्य जीव-जंतु आदि शामिल हैं। हमारे पर्यावरण में न केवल स्वच्छ वायु, नदियों और झीलों का पानी, बल्कि वनस्पति और जानवरों की अपार संपदा भी शामिल है। पर्यावरण हमें जीने के लिए सभी आवश्यक संसाधन प्रदान करता है।

पर्यावरण का महत्व पर निबंध।। Paryavaran Essay in Hindi or Essay on environment in hindi or paryavaran ka nibandh: 

पर्यावरण का महत्व समझने के लिए हमें इसके विभिन्न पहलुओं को समझना चाहिए। पहला महत्वपूर्ण पहलू है पर्यावरण का जल के संरक्षण । पानी हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमारी प्यास बुझाने के लिए जरूरी है, हमारे खाने में इसका उपयोग होता है और इसे साफ रखना हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। पानी की गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जैसे जलसंकट, जलाशयों की प्रदूषण और जल संपदा की कमी जिसके लिएहमें जागरूक  होने की आवश्यकता है। हमें पानी का सही उपयोग करना चाहिए और इसकी बचत भी करनी चाहिए।

दूसरा महत्वपूर्ण पहलू है वायुमंडल के संरक्षण का । हमारे पर्यावरण में स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त वायु का होना बहुत आवश्यक है। वायुमंडल में विषाणुओं, धूल, धुंध और अन्य प्रदूषक पदार्थों के जलने से प्रदूषण होता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए योजनाबद्ध ढंग से जीना चाहिए, जैसे प्रदूषण करने वाले पदार्थों का उपयोग कम करना, गैर-प्राकृतिक ऊर्जा का उपयोग कम करना और वैश्विक तापमान में कमी करने के लिए सही कदम उठाना।

पेड़-पौधों का संरक्षण भी पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है। पेड़-पौधे हमारे जीवन का आधार हैं। वे हमें ताजी हवा, ऑक्सीजन, शांति और सौंदर्य प्रदान करते हैं। हमें वृक्षारोपण करना चाहिए और पेड़ों का संरक्षण करना चाहिए। हमें वन्य जीवों की संरक्षा करनी चाहिए और अपने आस-पास के प्राकृतिक माहौल की देखभाल करनी चाहिए।

पर्यावरण का संरक्षण करने के अलावा, हमें प्रदूषण को कम करने के लिए भी कदम उठाने चाहिए। जल, हवा और भूमि प्रदूषण की समस्याओं से निपटने के लिए हमें गैर-प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग कम करना चाहिए। हमें सभी प्रदूषण योग्य औद्योगिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए उचित कानूनों का पालन करना चाहिए।

इसके अलावा, हमें अपने स्वास्थ्य और सुख-शांति के लिए पर्यावरण की देखभाल करनी चाहिए। हमें स्वस्थ भोजन खाना चाहिए और प्राकृतिक उपचार का उपयोग करना चाहिए। हमें ध्यान देना चाहिए कि हम अपनी आदतों को बदलकर, विचार करके और सही निर्णय लेकर पर्यावरण की सुरक्षा कर सकते हैं।

इस प्रकार, पर्यावरण का महत्व हमारे जीवन में अन्यों चीजों से कहीं ज्यादा है। हमें पर्यावरण के साथ संतुष्ट और संतुलित रहकर इसकी देखभाल करनी चाहिए। हमारा पर्यावरण हमें जीने के लिए सभी संसाधन प्रदान करता है और हमें इसके लिए आभारी होना चाहिए। हमें सावधान रहकर अपने पर्यावरण का सम्मान करना चाहिए, ताकि हम और हमारी आने वाली पीढ़ियां सुरक्षित और स्वस्थ जीवन बिता सकें।

इस प्रकार, हमारा पर्यावरण हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और हमें इसकी देखभाल करनी चाहिए। हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए संघर्ष करना चाहिए और इसे हर संभव तरीके से सुरक्षित रखना चाहिए। हमारे छोटे कदम भी पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। हमें पर्यावरण पर केवल बातें नहीं करनी चाहिए, बल्कि इसे समझना और इसकी देखभाल करना चाहिए। हमारे छोटे कदम बड़े परिवर्तन लाने में सहायता करेंगे और हमें एक स्वस्थ, सुरक्षित और सुखी पर्यावरण में जीने की संभावना प्रदान करेंगे।

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बृजेश कुमार स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और समुदाय (Occupational Health, Safety, Environment and Community) से जुड़े विषयों पर लेख लिखते हैं और चाय के पल के संस्थापक भी हैं।वह स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और सामुदायिक मामलों (Health, Safety, Environment and Community matters) के विशेषज्ञ हैं और उन्होंने पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम (Portsmouth University, United Kingdom) से व्यावसायिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण प्रबंधन में मास्टर डिग्री (Master's degree in Occupational Health, Safety & Environmental Management ) हासिल की है। चाय के पल के माध्यम से इनका लक्ष्य स्वास्थ्य, सुरक्षा, पर्यावरण और समुदाय से संबंधित ब्लॉग बनाना है जो लोगों को सरल और आनंददायक तरीके से स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण के बारे में जानकारी देता हो।

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Paryavaran Sanrakshan “पर्यावरण संरक्षण” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 12 Students.

पर्यावरण संरक्षण, paryavaran sanrakshan.

पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- परि + आवरण। परि का अर्थ है ‘चारों ओर’ तथा आवरण का अर्थ है ‘ढंका हुआ’। पूरे शब्द का तात्पर्य हुआ चारों ओर से ढंका हुआ। हमारी पृथ्वी चारों ओर से जिन तत्वों

और वस्तुओं से ढंकी या आच्छादित है, वही हमारा पर्यावरण है। हमारे पर्यावरण में पेड-पौधे, जीव-जन्त, नदी-तालाब समुद्र-जंगल, हवा-पानी, सूर्य का प्रकाश आदि सभी कुछ सम्मिलित हैं।

पृथ्वी ग्रह हमारा वास स्थान है और इस पर हम जीवित इसी कारण है कि प्रकृति ने पर्यावरण में संतुलन बना रखा है। जीवन की रक्षा और विकास के लिये हवा, पानी, भोजन, प्रकाश, पेड-पौधों और अन्य जीव प्रजातियों की जितनी और जिस मात्रा में आवश्यकता है, प्रकृति उन्हें उस मात्रा में बनाये रखती है।

यह संतुलन अब बिगड़ रहा है। इसे हम मनुष्यों ने ही बिगाड़ा है। मनुष्य प्रकृति के अनुरूप जीवन-यापन न करने वाला एकमात्र घटक है, शेष सभी प्राणी प्रकृति के अनुरूप जीवन-यापन करते हैं। मनुष्य ने यही नहीं किया, बल्कि प्रकृति को अपने अनुरूप बनाने के प्रयास भी किये।

मनुष्य में स्वामी बनने की जबरदस्त भावना है, इसी भावना ने पर्यावरण का विनाश कर समूचे पृथ्वी ग्रह को ही विनाश के मुँह में पहुँचा दिया है। उसने जंगलों को देखा और सोचा कि यह मेरे लिये है, नदियाँ मेरे लिये हैं, जीव-जंतु मेरे लिये हैं।

पेड़ काटे और उनका फर्नीचर, दरवाजे, खिड़कियाँ बना लीं। नदियों पर बाँध बाँधे और जल का अंधाधुंध दोहन किया। जीव-जन्तु को या तो अपना गुलाम बना लिया या उन्हें भोजन की तरह प्रयोग करने लगा।

आरम्भ में जब मनुष्यों की संख्या कम और प्रकृति की सम्पदा अपार थी, तो इस दोहन का प्रभाव दिखाई नहीं दिया, किन्तु धीरे-धीरे ऐसी स्थिति आई कि मनुष्यों की संख्या निरंतर बढ़ती चली गई और प्रकृति की सम्पदा उसी अनुपात में घटती गई।

इससे असंतुलन पैदा हो गया। मनुष्य को जीवित रहने के लिये सबसे पहले प्राणवायु चाहिये। यह प्राणवायु हमें पेड़-पौधों से मिलती है, परंतु हमने ही अपने लालचीपन के कारण जंगलों को काटकर नष्ट कर दिया। अब हालात यह है कि प्राणवायु देने वाले घट रहे हैं, जबकि प्राणवायु लेने वाले निरंतर बढ़ रहे हैं। पर्यावरणवादियों का अनुमान है कि दुनिया में अब पच्चीस वर्षों के लिये ही प्राणवायु बची है।

यही दशा पानी की है। पानी भी इतना घट चुका है कि भूमिगत जल स्रोत समाप्त हो रहे हैं। पीने के पानी का संकट सारी दुनिया के सामने आ गया है। भोजन के लिये भी मनुष्य को बड़े संकट का सामना करना पड़ेगा। शहरीकरण बढ़ने के कारण खेती की जमीन लगातार कम हो रही है। शहरीकरण ने कचरे की समस्या, शोर, प्रदूषण और अस्वास्थ्यकर परिस्थितियाँ पैदा कर दी हैं।

ऐसी सभी गतिविधियों ने मिलकर हमारे पर्यावरण को प्रदूषित कर दिया है। पर्यावरण इतना बिगड़ चुका है कि अब पृथ्वी ग्रह का बचा रहना असंभव होता जा रहा है। हमारा जीवन ही खतरे में पड़ गया है। जरूरत है समय रहते हमारे चेतने की। चेतना से तात्पर्य है कि हम पर्यावरण के संकटों को समझें और उसे सुधारने में अपना योगदान दें। पर्यावरण रक्षा के उपाय बहुत सरल हैं। हमें अपनी जीवन शैली में थोड़ा सा बदलाव लाना होगा, बस।

हम प्रतिवर्ष दस-पाँच पेड़ लगाएँ; पानी का दुरुपयोग न करें; किसी प्राणी की हत्या न करें। मच्छर, चींटी, साँप, बिच्छुओं का जीवित रहना भी हमारे जीवित रहने के लिये जरूरी है।

प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग संतुलित रूप से करें। जानवरों को मारकर उनकी खाल, बाल, सींग आदि से बनी वस्तुएँ उपयोग न करें। सभी जीव और वनस्पति प्रजातियों का जीवित रहना पर्यावरण के लिये अनिवार्य है। इसे ही जैवविविधता का संरक्षण कहा जाता है।

हमें पर्यावरण-संरक्षण की भावना से ही अपनी जीवन-शैली बनाना होगी, तभी पर्यावरण की रक्षा हो सकेगी।

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“पर्यावरण” हमारा दायित्व पर निबंध

प्रस्तावना : पर्यावरण का अर्थ है , प्रकृति , पेड़ -पौधे , वनस्पति ,पशु -पक्षी, मनुष्य और हम सब प्राणी। पर्यावरण नहीं तो हम सभी का कोई अस्तित्व नहीं है। मनुष्य के लिए पर्यावरण महत्वपूर्ण है। औद्योगीकरण और तकनीकी उन्नति तो मनुष्य ने खूब की परन्तु प्रकृति के महत्व को समझने में  असमर्थ रहा है।  ज़्यादातर लोग इसे  समझकर भी इसकी अवहेलना कर रहे है। फैक्ट्रियों और इमारतों के निर्माण के लिए कई वर्षो से वृक्ष काटे जा रहे है।  वनो की अंधाधुंध कटाई की जा रही है , ताकि बड़े कल कारखानों , कार्यालय , स्कूल इत्यादि का निर्माण हो  सके । हम यह भूल रहे है कि अगर हम बिना सोचे समझे प्रकृति को नुकसान पहुंचाएंगे , तब प्रकृति और पर्यावरण जीवित नहीं रह पायेगा।  इन सब गतिविधियों की वजह से आज पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है । ऐसे ही चलता रहा तो इसके भयंकर परिणाम देखने को मिलेंगे।

सभी प्राणी , पेड़ , पौधे और सभी तरह की वनस्पति पर निर्भर है। हमे पेड़ पौधों से फल , सब्ज़ी , अनाज इत्यादि प्राप्त होते है। पेड़ो से हमे अनगिनत फायदे मिलते है। पेड़ पौधों से वातावरण में ऑक्सीजन का निर्माण  होता   है। प्रकाश संश्लेषण को अंग्रेजी में फोटोसिंथेसिस कहते है। प्रकाश संश्लेषण में पेड़ -पौधे अपना भोजन खुद बनाते है।  इसमें कार्बन डाइऑक्साइड , पानी और सूर्य के किरणों की ज़रूरत होती है। कार्बन डाइऑक्साइड मनुष्य छोड़ते है जिसे पेड़- पौधे अपने प्रकाश  संश्लेषण प्रक्रिया  में उसका उपयोग करते है।

प्रकाश संश्लेषण की सहायता से वातावरण में ऑक्सीजन बनता है। वातावरण  में मौजूद ऑक्सीजन के सहारे मनुष्य और अन्य प्राणी जीवित है। ऑक्सीजन के बिना जिन्दा रहना नामुमकिन है।  अगर पेड़ पौधे नहीं होंगे तो ऑक्सीजन गैस भी नहीं होगा।  अतः पर्यावरण का संरक्षण करना अत्यंत ज़रूरी है। अन्य प्राणी जैसे गाय , भैंस , बकरी , हिरण इत्यादि पशु वनस्पति खाकर जीवित है।  इसलिए मनुष्य को समझना होगा कि पर्यावरण को सुरक्षित रखना कितना आवश्यक  है।

मनुष्य स्वार्थी बनकर उन्नति के चक्कर में स्वंग अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मार रहा है। औद्योगीकरण और प्रगति के नशे में वह पर्यावरण के  संतुलन को बिगाड़ रहा है।  जनसंख्या  तेज़ी से बढ़ रही है।  लोगो को रहने के लिए घर इत्यादि चाहिए। जमीन पाने के लिए वनो को धरल्ले से काटा  जा रहा है। वृक्षारोपण किया जा रहा है  मगर फिर भी वन कटाव अत्यधिक बढ़ गया है। वनो को साफ़ करके किसान कृषि कर रहा है।  अगर वन नहीं होंगे तो पशु पक्षी कहाँ  रहेंगे।  उनका घर तो वन है। कई प्रकार की कीमती लकड़ी प्राप्त करने के लिए वृक्षों और वनो की कटाई हो रही है।  पर्यावरण को इतनी चोट पहुँच रही है कि लगातार मानव जाति को प्राकृतिक आपदाओं का शिकार होना पड़ रहा है। सभी जलशयों और नदियों के जल को साफ़ और संरक्षित रखना भी मनुष्य की जिम्मेदारी है।

जिस प्रकार वृक्षों की कटाई हो रही है , मनुष्य के समक्ष कई समस्याएं उत्पन्न हो गयी है।  आये दिन कल कारखानों और फैक्टरियों से निकलता हुआ धुंआ वातावरण को प्रदूषित कर रहा है।  इस प्रदूषित वातावरण में मनुष्य को कई प्रकार की बीमारियां हो रही है। सांस लेने में तकलीफ और फेफड़ो से संबंधित बीमारियों से लोग ग्रसित है । हम सभी को मिलकर वृक्षारोपण करने की ज़रूरत है।  जितना हम वृक्ष लगाएंगे , उतना ही पर्यावरण को हम बचा पाएंगे।

अगर वन नहीं होंगे तो तब हम भी जीवित नहीं रह पाएंगे। कल कारखानों से निकलता हुआ कचरा , नदियों में प्रवाहित किया जा रहा है। इससे नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है।  प्रदूषण को नियंत्रित करना  ज़रूरी है। सरकार ने प्रदूषण को रोकने के लिए कई कदम उठाये हैं। वन खत्म होंगे तो भूमि की उपजाऊ शक्ति खत्म हो जायेगी।

भूमि कटाव को रोकना और बाढ़ पर अंकुश लगाने का कार्य पर्यावरण करता है। अगर वन नहीं होंगे  , तो धरती पर वर्षा नहीं होगी। वर्षा नहीं होगा तो सूखा / अकाल पड़ेगा।  जब पानी नहीं होगा , तो पशु -पक्षी भी जीवित नहीं रहेंगे ।

प्रकृति में वायुमंडल एक अहम हिस्सा है।  प्रदूषण से वायुमंडल निरंतर  प्रदूषित होने लगा है | अगर ऐसे ही  चलता रहा , तो प्रकृति पर कितना भयावह असर पड़ेगा। पर्यावरण की रक्षा करना मनुष्य का परम कर्त्तव्य है। जैसे -जैसे उद्योगों का विकास हो रहा है , प्रकृति और पर्यावरण अशुद्ध हो गया है। प्रदूषण के कारण प्राकृतिक संसाधनों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

बगीचों और वनो को संग्रह करके रखने की ज़रूरत है।  वन महोत्सव जैसे कार्यक्रम आयोजित करके लोगो को जागरूक करने की ज़रूरत है। जिस प्रकार देश और दुनिया की जनसंख्या बढ़ रही है , उनके रहने के लिए जमीन कम पड़ रही है।  इससे वनो और पर्यावरण को नष्ट करके घरो का निर्माण किया जा रहा है। लोग उन्नति करने हेतु और सुख सुविधा के साधनो को पाने के लिए फैक्टरियां डाल रहे है। इससे उत्पादन में तेज़ी आ रही है। हम इतने स्वार्थी नहीं हो सकते कि हम अपने सुख के लिए पर्यावरण को समाप्त कर दे।  लगातार प्रकृति हमे चेतावनी दे रही है , इसे  हमे गंभीरता और जिम्मेदारी से लेना होगा।

मनुष्य को जीने के लिए शुद्ध जल , स्वास्थ्यवर्धक आहार और शुद्ध वायु की ज़रूरत है । अगर हम यह सब कुछ पाना चाहते है तो हमे पर्यावरण को सहज कर रखना होगा।  सीमित मात्रा में अपने दैनिक गतिविधियों को करना होगा  ताकि प्रदूषण कम हो। प्रदूषण कम होगा तो सभी जीव जंतु और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचेगा। आज समस्त दुनिया पर्यावरण को लेकर चिंतित और परेशान है। अगर हम सब अभी सचेत नहीं हुए , तब प्रकृति अपना रौद्र रूप धारण कर लेगा और सब कुछ खत्म हो जाएगा। हम सभी को अपने दायित्व को समझकर , प्रकृति के हित में कार्य करने होंगे।  जब प्रकृति सुन्दर रहेगी , तब हमारे चारो ओर हरियाली होगी। अगर प्रकृति सुरक्षित है , तब हम और यह पृथ्वी भी सुरक्षित है।

"पर्यावरण" हमारा दायित्व पर निबंध 1

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100, 200, 300, 500 और 1000 शब्दों में | Essay on Pollution in Hindi

आज हम पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध लेकर आये हैं। यह प्रदूषण पर निबंध बहुत ही सरल शब्दों में लिखा गया है। अक्सर स्कूल, कॉलेज में विद्यार्थियों को प्रश्न पूछे जाते हैं: पर्यावरण प्रदूषण के बारे में हिंदी में लिखिए, Write essay on pollution in Hindi, पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 200 शब्द में लिखिए आदि। निचे दिए गये निबंध को हमने 100, 200, 300 शब्द, 500 words और 1000 शब्दों में लिखा है जिसे class 5,6,8, या क्लास 10, class 12 आदि का कोई भी विद्यार्थी लिख सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 100 शब्दों में

प्रकृति में फैलने वाली गंदगियाँ ही प्रदूषण का कारण बनती हैं। जब ये गंदगियाँ और अशुद्धियाँ पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं तो उसे ही पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। हमारे पर्यावरण में अलग-अलग तरह से प्रदूषण हो सकते हैं जैसे: वायु, जल, ध्वनी, मृदा प्रदूषण आदि।

प्रदूषण से हवा, पानी, मौसम चक्र और जलवायु खराब होते हैं जिससे हमारे स्वास्थ्य को बहुत नुकसान होता है और हम रोगों के शिकार हो जाते हैं। प्रदूषण फैलने के कई कारण हैं जैसे: पेड़ों की कटाई, औद्योगीकरण, रसायनों का प्रयोग आदि।

ज्यादातर हम इंसानों की वजह से ही पर्यावरण प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण रोकना हम इंसानों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इसके लिए हमें लोगों को जागरूक करना होगा ताकि हम ऐसी कोई भी गतिविधि न करें जिससे प्रदूषण फैले और प्रकृति को नुकसान हो।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 200 शब्दों में

आज के समय में मनुष्य आधुनिकता की ओर लगातार बढ़ रहा है और इसी होड़ में हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मानव अपनी सुख-सुविधाओं को पूरा करने के लिए लगातार ऐसी गतिविधियाँ कर रहा है जिससे पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है। प्रदूषण प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रही हैं और इससे भविष्य में भयानक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण कई प्रकार के हो सकते हैं जैसे:

वायु प्रदूषण:  वातावरण में उपस्थित वायु को दूषित करना वायु प्रदूषण कहलाता है। जहरीली गैस और धुआं हवा में मिल जाती है और वायु प्रदूषण को जन्म देती है। प्रदूषित वातावरण में सांस लेने से गंभीर बीमारियाँ होती हैं।

जल प्रदूषण:  जल में गंदगियाँ फैलाने जल प्रदूषण होता है। कल-कारखानों से निकली गंदगियाँ जल स्त्रोत में बहा दिए जाते हैं परिणामस्वरूप पानी उपयोग के लिए हानिकारक हो जाता है।

भूमि/मृदा प्रदूषण:  खेती में खतरनाक रसायनों का लगातार उपयोग, प्लास्टिक और अजैविक कचरे से मिट्टी या भूमि प्रदूषण होता है। इन सभी की वजह से मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म हो जाती है।

प्रदूषण रोकने के उपाय

  • पेड़ कटाई पर लगाम लगानी चाहिए और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए। 
  • कल-कारखानों से निकलने वाले हानिकारक अपशिष्टों को नष्ट करना चाहिए। 
  • हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। 
  • रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिए
  • पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की जगह विद्युत से चलने वाले वाहनों को प्राथिमिकता देनी चाहिए। 
  • निजी वाहनों के बजाए ज्यादा-से-ज्यादा सार्वजानिक परिवहनों का उपयोग करना चाहिए।  

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध – 300 शब्द

विज्ञान के क्षेत्र में आज हम बहुत ही तेजी से तरक्की कर रहे हैं, आधुनिक विज्ञान ने जहाँ हमारी जीवनशैली को सुविधाओं से युक्त बना दिया है वहीं इससे हमें पर्यावरण प्रदूषण जैसा भयानक अभिशाप भी मिला है। आज पेड़ों की कटाई, प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, खतरनाक रसायनो के उपयोग ने प्रकृति में असंतुलन पैदा कर दिया है। समय रहते इस ओर यदि ध्यान न दिया गया तो परिणाम विनाशकारी हो सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण

  • जनसँख्या वृद्धि: पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण हम इंसान है जो अपनी सुविधाओं के लिए प्रदूषण फैलाते रहते हैं। मनुष्य की बढती जनसंख्या और उनके जीवनयापन, सुख-सुविधाओं के लिए प्राकृतिक संसाधनों का दोहन पर्यावरण प्रदूषण को कई गुना बढ़ा रहा है।
  • औद्योगीकरण:  बड़े उद्योग, कल-कारखाने अपशिष्ट पदार्थों को पानी में और हवा में जहरीली गैस छोड़ते हैं। पर्यावरण प्रदूषण के लिए औद्योगीकरण एक बहुत बड़ा कारण है।
  • आधुनिकीकरण:  आधुनिक सुख-सुविधाओं ने हमें अँधा बना दिया है हम अप्राकृतिक चीजों का भरपूर उपयोग कर रहे हैं। मोटर-वाहन, एसी, फ्रिज, प्लास्टिक, केमिकल युक्त पदार्थ आदि के उपयोग से लगातार प्रदूषण फ़ैल रहा है।
  • रसायनों का प्रयोग: अधिक मुनाफा कमाने के लालच में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग बढ़ रहा है जिससे मिट्टी प्रदूषित होकर अनउपजाऊ हो रही है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव

पर्यावरण प्रदूषण का परिणाम बेहद खतरनाक है इससे लगातार वातावरण का तापमान बढ़ रहा है, जलवायु परिवर्तन हो रहे हैं, मौसम का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण प्रदूषण की वजह से हम इंसानों के सेहत पर भी असर पड़ रहा है अलग-अलग प्रकार के रोग पैदा हो रहे हैं। प्रदूषण से मनुष्य, पशु-पक्षी और प्रकृति को बहुत नुकसान हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण निबंध – 500 शब्द (Essay on Pollution in Hindi)

आज के समय में प्रदूषण एक गंभीर विषय है। प्रदूषण से प्रकृति को भारी नुकसान हो रहा है इसका रोकथाम बहुत ही जरुरी है। कई बार हमें यह प्रत्यक्ष रूप से दिखाई नही देते उदाहरण के लिए, आप हवा में मौजूद प्राकृतिक गैसों (ऑक्सीजन, कार्बन-डाइऑक्साइड) को देखने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, हालांकि वे अभी भी मौजूद हैं। धीरे-धीरे वातावरण में प्रदूषक जो हवा को मार रहे हैं और कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को बढ़ा रहे हैं, वे मनुष्यों और पूरी धरती के लिए बहुत ही घातक हैं। प्रदूषण रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाने की जरूरत है अन्यथा इसके भयानक दुष्परिणाम हो सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारक

प्रदूषण एक धीमा जहर है जो हमारे पर्यावरण और हमारे जीवन को दिन-ब-दिन नष्ट करता रहता है, इसे मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है: वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण।

वायु प्रदूषण वाहनों, कारखानों से निकलने वाले धुएं, उड़ती धूल आदि के कारण होता है।

ध्वनि प्रदूषण वाहनों के हॉर्न, मशीनों के चलने और अन्य ध्वनि उत्पन्न करने वाली वस्तुओं के कारण होता है।

जल प्रदूषण कारखानों के अपशिष्ट पदार्थ और प्लास्टिक के कचरे और अन्य चीजों को नदियों और तालाबों में डालने से होता है।

प्रदूषण के रोकथाम के उपाय

  • वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अधिक मात्रा में पेड़-पौधे लगाने चाहिए, साथ ही जहां पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही हो, वहां इन्हें रोका जाना चाहिए। वायु प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग व्यवसायों को नई तकनीक अपनानी चाहिए जिससे प्रदूषण कम हो।
  • जल प्रदूषण को कम करने के लिए हमें स्वच्छता पर अधिक ध्यान देना होगा। हम नदियों और तालाबों में कचरा फेंकते हैं, जल प्रदूषण के लिए जिम्मेदार फैक्ट्रियां बंद होनी चाहिए।
  • ध्वनि प्रदूषण ज्यादातर मनुष्य द्वारा ही किया जाता है, इसलिए यदि हम स्वयं हॉर्न का उपयोग बंद कर दें और यदि हम नियमित रूप से मशीनों की देखभाल करते हैं, तो वे कोई ध्वनि उत्पन्न नहीं करेंगे और ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी।
  • वाहनों और मशीनों का रखरखाव बहुत महत्वपूर्ण है यदि उनका रखरखाव नहीं किया जाता है, तो वे बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं।
  • यदि हम एक ही कार्यालय में जाते हैं तो हम सार्वजनिक वाहनों का उपयोग कर सकते हैं या कार साझा करने से ईंधन की बचत होगी और वायु प्रदूषण कम होगा।
  • हमें प्लास्टिक का उपयोग बंद करना है, सरकार भी प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा रही है, लेकिन प्लास्टिक का उपयोग तब तक बढ़ता रहेगा जब तक हम जागरूक नहीं हो जाते।

जिस तरह से हमारी धरती पर प्रदूषण बढ़ रहा है, आने वाले कुछ सालों में यह विनाश का रूप ले लेगा, अगर जल्द ही प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ सख्त नियम नहीं बनाए गए तो हमारी धरती का पूरा पर्यावरण खराब हो जाएगा और हमारा जीवन बर्बाद हो जाएगा।

अगर हमें प्रदूषण कम करना है तो सबसे पहले हमें खुद को सुधारना होगा और लोगों को प्रदूषण से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करना होगा। अगर हमें प्रदूषण कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे और लोगों को भी पेड़ लगाने के प्रति जागरूक करना होगा तभी हम एक अच्छे भविष्य की कामना कर सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध 1000 शब्दों में

जहां एक ओर आज मानव प्रगति कर रहा है और संसार काफी आधुनिक हो गया है। वहीं दूसरी ओर लगातार पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। यह पृथ्वी और पर्यावरण हम सबके लिए बहुत ज्यादा कीमती है इसलिए हम सब का यह कर्तव्य हो जाता है कि हम इनकी रक्षा करें।

तो ऐसे में सवाल यह है कि आखिर पर्यावरण प्रदूषण क्यों होता है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें अपने आसपास होने वाली गतिविधियों को देखना होगा। इस तरह से हम पर्यावरण प्रदूषण को अच्छे से समझ सकते हैं और प्रकृति की रक्षा भी कर सकते हैं। अगर आप इसके बारे में सारी जानकारी जानना चाहते हैं तो पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध के इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। इस पोस्ट में हम आपको सारी जरूरी बातों की जानकारी देंगे।

पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है ?

सबसे पहले हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि पर्यावरण प्रदूषण का मतलब होता है जब मनुष्य द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों से दूषित चीजें पर्यावरण में जाकर मिल जाती हैं। इसकी वजह से हर व्यक्ति की दिनचर्या काफी हद तक प्रभावित होती है और उसे उसके कार्य करने में बाधा होती है।

लेकिन पर्यावरण प्रदूषण को फैलाने के जिम्मेदार मनुष्य ही होते हैं जो कि हर दिन ऐसे बहुत सारे काम करते हैं जिससे कि प्रदूषक तत्व वातावरण में फैल जाते हैं। इस प्रकार से प्रदूषण की वजह से अनेकों बीमारियां भी जन्म लेने लगती हैं और हर व्यक्ति का जीवन इससे काफी अधिक प्रभावित होता है। इसलिए जरूरी है कि समय रहते प्रदूषण को रोकने का काम किया जाए जिससे कि सभी स्वस्थ जीवन जी सकें। 

पर्यावरण प्रदूषण फैलने के मुख्य कारण 

प्रकृति ने मनुष्य को बहुत सारे प्राकृतिक संसाधन दिए हैं लेकिन अपने स्वार्थी स्वभाव के कारण वह उन्हें नष्ट करते जा रहे हैं। कोई भी व्यक्ति इस बात को नहीं समझना चाहता कि अगर यह पूरा पर्यावरण ही प्रदूषित हो गया तो ऐसे में भविष्य में जो पीढ़ियां आएंगीं उनके स्वास्थ्य पर गंभीर रूप से बुरा प्रभाव पड़ेगा।

इस प्रकार से एक दिन ऐसा भी आ जाएगा जब इस संसार में जीवित रहने के लिए पृथ्वी पर कोई भी प्राकृतिक संसाधन नहीं रहेगा। इसलिए यह बहुत जरूरी हो जाता है कि पर्यावरण प्रदूषण के जो भी मुख्य कारण हैं उन्हें जानकर उन्हें दूर करने की कोशिश की जाए। पर्यावरण प्रदूषण के कुछ सबसे प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं – 

  • लोगों द्वारा वाहन का बहुत ज्यादा प्रयोग करने से
  • हर जगह औद्योगिक गतिविधियों में तीव्रता होने से
  • जनसंख्या के बढ़ने की वजह से
  • कल-कारखानों और कृषि अपशिष्टों के कारण से
  • शहरीकरण और औद्योगीकरण में तेजी की वजह से
  • हद से ज्यादा वैज्ञानिक साधनों का इस्तेमाल करने से
  • पेड़ों को अंधाधुंध काटने से और घनी आबादी वाले इलाकों में हरियाली ना होने की वजह से
  • सड़कों और बांधों का निर्माण करने से
  • खनिज पदार्थों के अत्यधिक दोहन की वजह से 

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रकार 

वैसे तो पर्यावरण प्रदूषण के बहुत सारे प्रकार हैं जिनकी वजह से हमारा वातावरण काफी अधिक नकारात्मक हो गया है। लेकिन इसके जो मुख्य प्रकार हैं उनके बारे में जानकारी इस तरह से है – 

वायु प्रदूषण 

हर व्यक्ति को जिंदा रहने के लिए स्वच्छ वायु की आवश्यकता होती है। इतना ही नहीं पृथ्वी पर जितने भी पेड़ पौधे और जानवर हैं उनके लिए भी हवा बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। वायुमंडल में मौजूद ऑक्सीजन सांस लेने के लिए बहुत जरूरी होती है। लेकिन लोग अब अपनी भौतिक जरूरतों की पूर्ति करने के लिए वायुमंडल में मौजूद सभी गैसों के बैलेंस को खत्म करने में लगे हुए हैं। विशेषतौर से शहरों की हवा तो बहुत ही ज्यादा जहरीली और घुटन वाली होती जा रही है। वायु प्रदूषण के पीछे सबसे प्रमुख घटक है वाहनों से निकलने वाला धुआं, फैक्ट्रियों का धुआं, जीवाश्म ईंधन को जलाना इत्यादि।

जल प्रदूषण 

वैसे तो हर कोई कहता है कि जल हमारा जीवन है लेकिन फिर भी आज मानव उसे प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। हर कोई जानता है कि पानी के बिना कोई भी जीव जिंदा रहने की सोच भी नहीं सकता फिर चाहे वह मनुष्य हो, पशु पक्षी हो या फिर पेड़ पौधे। जितने भी पानी के प्राकृतिक सोर्स हैं उनमें प्रदूषक तत्व जैसे खनिज, अपशिष्ट पदार्थ, गैस, कचरा आदि मिल जाते हैं। ऐसे में जल पीने योग्य नहीं रह जाता क्योंकि उसमें गंदगी की वजह से वायरस पैदा हो जाते हैं। ऐसे में अगर कोई भी दूषित जल को पी लेता है तो वह उसके लिए काफी हानिकारक होता है। 

ध्वनि प्रदूषण 

ध्वनि प्रदूषण भी पर्यावरण को प्रदूषित करने में काफी हद तक जिम्मेदार है। हद से ज्यादा शोर किसी को भी पसंद नहीं होता लेकिन कई बार बहुत से लोग अपने मनोरंजन के लिए इस बात की परवाह नहीं करते कि कोई दूसरा व्यक्ति इससे परेशान हो सकता है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि हद से ज्यादा तेज आवाज व्यक्ति की सुनने की क्षमता को धीरे-धीरे बहुत ज्यादा कम कर देता है। इतना ही नहीं एक समय ऐसा भी आता है जब व्यक्ति की सुनने की शक्ति पूरी तरह से खत्म हो जाती है। शोर की वजह से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर तो कोई बुरा असर नहीं होता लेकिन तेज आवाज सहन कर पाना अत्यधिक मुश्किल होता है। ध्वनि प्रदूषण की वजह से इंसान किसी भी काम पर फोकस नहीं कर पाता और बहुत से कामों में उसे असफलता का मुंह देखना पड़ता है। 

पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के उपाय 

जिस प्रकार से पर्यावरण में प्रदूषण फैलाने का कार्य मनुष्य कर रहे हैं तो पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए भी इंसान को ही आगे आना होगा। यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए प्रयास किए जाएं। पर्यावरण प्रदूषण इस समस्या को कम करने के कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं जैसे कि – 

  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोक देना चाहिए। इसके अलावा अपने आसपास वृक्ष जरूर लगाएं ‌
  • पर्यावरण प्रदूषण को लेकर युवाओं में जागरूकता फैलानी चाहिए। 
  • अपने आसपास गंदगी और कूड़े के ढेर को इकट्ठा ना होने दें। 
  • पेट्रोलियम के साथ-साथ कोयला जैसे उत्पादों का भी इस्तेमाल कम से कम करें। 
  • कारखाने शहर से दूर बनाएं जाने चाहिएं जिससे कि उनमें से निकलने वाला धुआं वायु में घुल कर लोगों में बीमारी ना फैला सके।
  • यातायात के लिए ऐसे वाहनों का इस्तेमाल करना चाहिए जो कम धुआं छोड़ते हों।
  • नदियों में कचरा ना फेंके। 
  • जितना ज्यादा हो सके कपड़े और जूट के बने हुए थेलों का इस्तेमाल करें और प्लास्टिक बैगों को ना कहें। 

निष्कर्ष 

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध के इस लेख में हमने आपको बताया कि पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है और इससे जुड़ी दूसरी जरूरी बातें भी बताईं। इसमें कोई शक नहीं कि लोगों में जागरूकता फैला कर हम अपने पर्यावरण को काफी हद तक स्वच्छ बना सकते हैं। इसके लिए केवल एक व्यक्ति को नहीं बल्कि हर इंसान को प्रयास करना होगा। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई सारी बातों की जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। 

प्रदूषण पर निबंध :

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हमें उम्मीद है की प्रदूषण पर लिखा गया यह निबंध (Essay on Pollution in Hindi) आपके काम आएगा। आपको यह निबंध कैसा लगा हमें कमेंट करके जरुर बताएं।

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पर्यावरण पर निबंध | Essay on Environment in Hindi

पर्यावरण पर निबंध – पर्यावरण मानव जीवन के लिए बहुत महत्त्व रखता है। पर्यावरण पर सिर्फ मनुष्य ही आश्रित नहीं है, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि सभी निर्भर हैं। जो हमारे चारों ओर विद्धमान है वही पर्यावरण है। पर्यावरण के बिना जीवन यापन कारण असंभव है।

पर्यावरण में वो सभी प्राकृतिक संसाधन सम्ल्लित होते हैं जीवों के लिए बहुत जरुरी होता है। पानी, हवा, भूमि, प्रकाश, आग आदि सभी पर्यावरण के अन्तर्गत आते हैं। पृथ्वी ही एक मात्र ग्रह है जिस पर जीवन यापन करना संभव है और जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए पर्यावरण बहुत आवश्यक है।

हम सभी लोगों ने पर्यावरण के संसाधनों का भरपूर इस्तेमाल किया है। आज हमने जो भी तरक्की की है उसके पीछे पर्यावरण का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पर्यावरण हमें सब कुछ प्रदान करता है जो पृथ्वी पर जीवन यापन करने के लिए जरुरी है।

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पर्यावरण का अर्थ

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परि + आवरण। यहाँ पर परि का अर्थ होता है चारो ओर और आवरण का मतलब है ढका हुआ अर्थात जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा वातावरण जो हमें चरों ओर से घेरे हुए है पर्यावरण कहलाता है।

मिट्टी, पानी, हवा, आग और प्रकाश पर्यावरण के मुख्य घटक हैं, जिन्हें पंचतत्व भी कहा जाता है। पर्यावरण हम सभी के जीवन को नियंत्रित करता है और सभी जीव पर्यावरण में रह कर ही अपना जीवन यापन करते हैं।

पर्यावरण के प्रकार

पर्यावरण के मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं –

1. प्राकृतिक पर्यावरण

ऐसे संसाधन जो हमें प्रकृति से प्राप्त होते है जिनमे मानव जीवन का कोई हाथ नहीं होता है प्राकृतिक पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं। प्राकृतिक पर्यावरण के अंतर्गत आने वाले संसाधन जैसे जल, हवा, रेगिस्तान, पर्वत, जंगल, गुफा, मरुस्थल, समुद्र आदि चीजें शामिल हैं।

प्राकृतिक पर्यावरण पृथ्वी के सभी जीव गतिविधि को प्रभावित करता हैं। प्राकृतिक पर्यावरण के द्वारा पृथ्वी पर अनेक प्रकार की गतिवितियाँ होती हैं। ये सभी हमारे जीवन के क्रियाकलापों और विकास के स्वरूप पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालते हैं।

2. मानव निर्मित पर्यावरण

प्राकृतिक पर्यावरण के विपरीत मानव द्वारा निर्मित मानव निर्मित पर्यावरण होता है। यातायात के साधन, अन्तरिक्ष स्टेशन, खेत ,‌ कृत्रिम झील, बांध, इमारतें, सड़क, पुल, पार्क, बगीचे, उद्योग, कल-कारखाने आदि सभी मानव निर्मित पर्यावरण है।

मनुष्य ने अपना जीवन को सुविधाजनक बनाने के लिए नए-नए आविष्कार कर रहा है। यातायात के साधन होने से पूरी दुनिया के लोगों का आपसी संपर्क बढ़ गया। अब हम लोगो ने दूसरे ग्रहों पर भी जीवनयापन की खोज शुरू कर दी है।

पर्यावरण का महत्व

पर्यावरण सभी जीवों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पृथ्वी हमारे सौरमंडल का एक मात्र ग्रह है जिस पर जीवन संभव है। पर्यावरण सभी जीवो के लिए आवश्यक सभी वस्तुएं और सुरक्षा प्रदान करता है। पर्यावरण हमें हवा, पानी, प्रकाश आदि चीजें प्रदान करता है जिसका उपभोग धरती के सभी जीव-जंतु कर रहा है।

आज मनुष्य ने दुनिया में खूब विकास कर लिया है तो दूसरी तरफ पर्यावरण को नुकसान पहुचा रहा है। मनुष्य अपने फायदे के लिए पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है और प्राकृतिक संसाधनों को लगातार नष्ट कर रहा है जिसके परिणाम स्वरुप आज कई समस्याएं उत्पन्न हो रही है जैसे ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषण जैसी कई समस्याएं शामिल है।

आज विज्ञान ने भले ही बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन प्रकृति ने जो संसाधन हमे उपलब्ध किया है, उसकी कोई तुलना नहीं की जा सकती है। इसलिए मनुष्य को पर्यावरण के महत्व को समझना चाहिए और पर्यावरण को बचाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण

आज के आधुनिक युग के में मानव जितनी तरक्की कर रहा है उतना ही पर्यावरण को नुकसान पहुचा रहा है जिससे पर्यावरण प्रदूषण फ़ैल रहा है। लगातार पेड़ो की कटाई होने से जंगल समाप्त होते जा रहे हैं। इसका सीधा असर जंगल में रहने वाले प्राणियों के जीवन पर पड़ रहा है। जंगली जीव धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रहे हैं। जंगलो की कटाई होने से कई प्राणियों बेघर हो रहे है और यहाँ वहाँ भाग रहे हैं।

शेर, चीता, हाथी जैसे घातक जंगली जानवर ग्रामीण क्षेत्रों में घुस रहे हैं और वहां रहने वाले लोगो को हानि पंहुचा रहे हैं। आजकल नदी और समुद्र तटों की सफाई न हो होने से जल प्रदूषण हो रहा है। जल प्रदूषित होने के कारण कई बीमारियां फैलती हैं जैसे हैजा, पेचिस, अतिसार, पीलिया, क्षय रोग आदि।

वाहनों और कारखानो से निकलने वाला धुँआ वायु को प्रदूषित कर रहा है जिसके कारण कई स्वास्थ्य संबंधी बीमारियाँ होती हैं जैसे खांसी ,दमा ,जुकाम ,निमोनिया, फेफड़े का संक्रमण, रक्त क्षीणता, उच्च रक्तचाप ,ह्रदय रोग आदि। शहरीकरण और आधुनिकीकरण पर्यावरण प्रदूषण का मुख्य कारण हैं। मनुष्य बिना सोचे समझे लगातार पर्यावरण को नुकसान पहुचा रहा है।

पर्यावरण संरक्षण

पर्यावरण को स्वच्छ व साफ-सुथरा रखना चाहिए। पेड़ पौधों को काटने से रोकना चाहिए। ऐसे नियम बनाने चाहिए जिनसे ज़हरीले और दूषित करने वाले पदार्थ नियंत्रित किए जा सकें। रासायनिक खादों , कीटनाशक पर नियंत्रण करके कर मृदा प्रदूषण को कम करने का प्रयास करना चाहिए है।

वाहनों और कारखानों से निकलने वाले धुएं की जांच होनी चाहिए। इसलिए लिए सरकार को उचित व्यवस्था करनी चाहिए और समय-समय पर चेकिंग होना चाहिए। मनुष्य की इच्छाएं असीमित है लेकिन प्राकृतिक संसाधन सीमित है इसलिए इसका इस्तेमाल सीमित मात्रा में करना चाहिए।

बढती हुई जनसँख्या हमारे पर्यावरण के प्रदूषण का भी एक मुख्य कारण है। मनुष्य जिस गति से प्राकृतिक संसाधनो का उपभोग कर रहा है ऐसा लग रहा है कि आने वाले विगत वर्षो में इन संसाधनो की कमी हो सकती है।

पर्यावरण पर 10 लाइन

  • हमारे चारों ओर फैले हुआ वातावरण पर्यावरण कहलाता हैं।
  • पर्यावरण के मुख्य रूप से पाँच घटक होते हैं मृदा, पानी, हवा, आग और प्रकाश।
  • पर्यावरण हमें जीवनयापन करने के लिए संसाधन और सुरक्षा उपलब्ध करता है।
  • पर्यावरण से हमें भोजन, ऑक्सीजन और पीने के लिए पानी मिलता है।
  • पर्यावरण दिवस हर वर्ष 5 जून को मनाया जाता है।
  • पर्यावरण के दूषित होने से मनुष्य और अन्य जीवो को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
  • पर्यावरण को बचाने के लिए सरकार को कड़े नियम बनाने चाहिए।
  • धुंआ, कचरा और हानिकारक रसायनिक पदार्थ पर्यावरण को प्रदूषित करते है।
  • पर्यावरण को बचाने के लिए हमे वृक्षरोपण करना चाहिए।
  • पर्यावरण को बचाने के लिए नदी, समुद्र तटों और अपने आसपास सफाई करनी चाहिए।

इन्हें भी पढ़े –

  • भ्रष्टाचार पर निबंध
  • प्रदूषण पर निबंध
  • सदाचार पर निबंध
  • परोपकार पर निबंध
  • राष्ट्रीय एकता पर निबंध

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पर्यावरण पर निबंध इन हिंदी

दोस्तों आज के इस लेख पर्यावरण पर निबंध में पर्यावरण में हो रही असंतुलित घटनाक्रम को हम सब अनदेखा नहीं कर सकते इसलिए हमें इस पर विचार करने की जरूरत है इसलिए हमने इस निबंध में पर्यावरण की कुछ मुख्य बिंदुओं को केंद्र में रखा है जिसका अनुसरण हमारे लिए बहुत जरूरी है। 

पर्यावरण पर निबंध

paryavaran par nibandh

पर्यावरण सीधे तौर पर हमारी जिंदगी से जुड़ा हुआ है यदि हम पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएंगे और उसे प्रदूषित करेंगे तो यह हमारी जिंदगी को संकट में डालने जैसा होगा इसलिए संयुक्त राष्ट्र का पर्यावरण दिवस पर वर्तमान नारा पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर करने का है। 

यह तब ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है जब कोविड-19 ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा कर रखा है। यह पूरी तरह सच है कि कोरोना वायरस को पर्यावरण के बिगड़ते सूचक के रूप में समझना चाहिए क्योंकि शायद आज यह भी है कि हम इस बड़ी महामारी को अगर प्रकृति के साथ जोड़ कर देखें तो भविष्य में इसे कुछ हद तक रोका जा सकता है। 

पर्यावरण का सम्मान करें : पर्यावरण पर निबंध

आज हमें अपनी सीमा अवश्य खींच लेनी चाहिए आज समय है कि हम प्रभु प्राकृतिक प्रवृत्ति को अलग न करें वैसे भी हमारे  शास्त्रों में हवा मिट्टी जल अग्नि को देवता तुल्य माना गया है।

यह भी समझना जरूरी है प्राकृतिक हमारी प्रवृत्ति को भी तैयार करता है आज बिगड़ती पर्यावरण के साथ साथ अलग-अलग चीजें ही पैदा नहीं हो रही बल्कि उसके साथ-साथ कई कुरीतियों का भी जन्म हो रहा है। 

उदाहरण के लिए आज से दुनियाभर में फास्ट फूड स्टोर जैसे दुकानों ने जगह बना लिया है इनमें परोसे जा रहे अलग-अलग तरह के भोजन निश्चित रूप से ही हमारी प्रवृत्ति एवं हमारे स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है। इस तरह के फास्ट फूड से शरीर में तमाम तरह की बीमारियां उत्पन्न होती है और इसका सीधा असर हमारे व्यवहार पर भी देखने को मिलता है। इस तरह  पर्यावरण का पूरा  असर हमारे शरीर एवं व्यवहार पर देखने को मिलता है।

अभी के समय में वन्य जीवों को भोजन के रूप में लोग अपना रहे हैं।  वर्तमान समय में जीवों को भोजन के रूप में खाए जाने का प्रचलन ही चल पड़ा है इसे  कई बड़े-बड़े  व्यापार चलते हैं और इसका सीधा असर हमारे आने वाले समय में दिखेगा।

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पर्यावरण ने हमें सब कुछ दिया है हम जहां पैदा होते हैं वहां की मिट्टी से हम लोग भोजन भी प्राप्त कर सकते हैं और यह हमारे सेहत के लिए भी अच्छा होता है यदि हम वन्य जीवों को भोजन के रूप में इस्तेमाल ना करें तो हम पर्यावरण को बचाने में एक और सफलता हासिल कर लेंगे। 

हम सब पर्यावरण पर आश्रित हैं यह हमें समझने की जरूरत है

इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस इस बात पर केंद्रित है कि हम किस तरह से अपने पारिस्थितिक तंत्र को दोबारा अपनी मेहनत  एवं व्यवहार से कैसे वापस ला सकते हैं। 

इसके बड़े बड़े कारणों में यह स्पष्ट है कि हम अपने पूरे तंत्र वह इकोसिस्टम को समझने में फेल हो चुके हैं और पर्यावरण के नियमों और कानूनों से पूरी तरह दूर हैं। प्राकृतिक हमारी शिक्षा एवं व्यवहार का एक हिस्सा है। 

आज यह सबसे बड़ी चुनौती बन गई है कि हम पर्यावरण के नियमों को एक नए सिरे से समझें। हमें  जानना होगा कि हमारी सीमाएं क्या है? किसी भी तरह की हलचल व लाभ के लिए हमें अंत में पृथ्वी पर ही निर्भर होना पड़ता है।  

इसलिए हमे अपने पारिस्थितिक तंत्र को समझें और अपनी बदलती चाल चलन पर अंकुश लगाएं। पर्यावरण के प्रति हमारी समझ जितनी बढ़ेगी उतना ही हमारे पर्यावरण के लिए बेहतर कर पाएंगे जिससे हमें एक स्वस्थ पर्यावरण मिल सकता है।

सामूहिक प्रयासों से पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध

आज हम सब ऐसी मुश्किल में है जिसे हम सब मिलकर भी सुलझा नहीं सकते। पर्यावरण ने कोविड-19 जैसे अदृश्य वायरस को भी हमारे सामने लाकर खड़ा कर दिया है

अतः  पर्यावरण हमें समझाने की कोशिश कर रही है कि कोई भी वैज्ञानिक प्रयत्न को विफल कर सकती है यदि हम पर्यावरण को केंद्र में ना रख कर काम करें तो पर्यावरण को बचाने में रिफर्बिश्ड सामानों का इस्तेमाल भी एक अच्छी कदम है। । 

प्राकृतिक हमें बार-बार यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि हमें संतुलन को बनाए रखना चाहिए और यह तभी सफल हो सकता है जब हम एक साथ मिलकर  पर्यावरण के नियमों  को  समझें और  पर्यावरण के स्वरूप ही अपनी प्रवृत्ति को बदलें। 

अभी जिस परिस्थिति में हम सभी खड़े हैं वह हमारी गलतियों का नतीजा है क्योंकि हमने पर्यावरण को इतना प्रदूषित कर दिया है कि वह हमारे लिए रोज रोज एक नई समस्याएं लेकर आ रही है। 

इसलिए हमें अब पछतावा करनी चाहिए और अपनी गलती को सुधारने के लिए एवं पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सब मिलकर साथ आएं और पर्यावरण के हितों में कार्य करें। 

प्रश्न और उत्तर : पर्यावरण पर निबंध

हमारे आसपास वातावरण में मौजूद वायुमंडल जलमंडल जीवमंडल के मिश्रण को पर्यावरण कहा जाता है।

हमे अपने आसपास साफ़ सफाई का ध्यान रखना चाहिए कूड़े कचरे को उसकी जगह डस्टबिन में रखनी चाहिए जहाँ तहँ कूड़ा कचरा न फेकें घर की गन्दगी को किसी निश्चित स्थान पे ही फेंके इसके अलावा हम कम से कम गैस प्लांट कारखानों का इस्तेमाल kar के पर्यावरण को बचा सकते है।

2 thoughts on “पर्यावरण पर निबंध इन हिंदी”

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Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi : पढ़िए पर्यावरण और हम पर निबंध

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  • Updated on  
  • फरवरी 21, 2024

Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi

मनुष्य स्वच्छ हवा, पानी, भोजन और आश्रय सहित विभिन्न आवश्यक संसाधनों के लिए पर्यावरण पर निर्भर है। पर्यावरण मानव स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। पर्यावरण प्राकृतिक परिदृश्य मनोरंजक और सौंदर्य संबंधी लाभ प्रदान करता हैं जो जीवन की गुणवत्ता में योगदान करते हैं। मानवीय गतिविधियों का पर्यावरण पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, जिससे अक्सर प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण होता है, इसलिए कई बार पर्यावरण और पर निबंध तैयार करने को दिया जाता है। Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें। 

This Blog Includes:

पर्यावरण और हम पर 100 शब्दों में निबंध , पर्यावरण और हम पर 200 शब्दों में निबंध , पर्यावरण हमारी जीवन समर्थन प्रणाली , पर्यावरणीय क्षरण से होने वाले परिणाम, पर्यावरण और हम पर 10 लाइन्स.

पर्यावरण का मानव कल्याण से गहरा संबंध है। यह हमें जीवित रहने के लिए आवश्यक हवा, पानी, भोजन और आश्रय प्रदान करता है। वनों की कटाई, प्रदूषण और अत्यधिक उपभोग जैसी मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण को ख़राब कर रही हैं। के कारण जैव विविधता के लिए ख़तरा है, पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करता है और जलवायु परिवर्तन को बढ़ाता है। परिणामस्वरूप, मनुष्यों को स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और आजीविका के लिए जोखिम का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए स्थायी समाधानों को किया जाना चाहिए। संरक्षण के प्रयास, नवीकरणीय ऊर्जा को उपयोग में लेना और अपशिष्ट को कम करने के प्रयास किए जाने चाहिए।

इसके अलावा पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए जागरूकता बढ़ाना और पर्यावरणीय प्रबंधन को बढ़ावा देना भी महत्वपूर्ण है। एक स्थायी और सामंजस्यपूर्ण संबंध को बढ़ावा देने के लिए मनुष्यों और पर्यावरण के बीच के संबंध को पहचानना आवश्यक है।

पर्यावरण हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पर्यावरण हमें आवश्यक संसाधन प्रदान करता है और पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने वाले पारिस्थितिक तंत्र को भी बनाए रखता है। हमारे कार्यों का पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जिससे जलवायु परिवर्तन होता है। प्रदूषण, वनों की कटाई और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपभोग पर्यावरणीय के क्षरण के प्रमुख योगदानकर्ताओं में से हैं।

यह गिरावट मानव स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण खतरा पैदा करती है। उदाहरण के लिए, वायु और जल प्रदूषण से श्वसन संबंधी बीमारियाँ और जलजनित बीमारियाँ हो सकती हैं। इन बीमारियों से दुनिया भर में लाखों लोग प्रभावित होंगे। जलवायु परिवर्तन मौसमी घटनाओं को बढ़ाता है, खाद्य उत्पादन को खतरे में डालता है और समुदायों को भी विस्थापित करता है।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए, टिकाऊ प्रयास करना आवश्यक है जो हमारे पर्यावरणीय प्रभाव को कम करें।  इसमें उत्सर्जन को कम करना, प्राकृतिक आवासों का संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन जैसे कार्य शामिल है। पर्यावरण प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता बढ़ाना और पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।

मानव और पर्यावरण के बीच अंतर्संबंध को पहचानकर, हम एक स्थायी भविष्य की दिशा में काम कर सकते हैं। हमें संरक्षण प्रयासों को प्राथमिकता देना होगा। वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की सुरक्षा करने वाली नीतियों को लागू करना आवश्यक है। केवल सामूहिक मेलजोल और जिम्मेदार नेतृत्व के माध्यम से ही हम सभी के लिए एक स्वस्थ ग्रह बना हैं।

पर्यावरण और हम पर 500 शब्दों में निबंध 

Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi 500 शब्दों में निबंध नीचे दिया गया है:

पर्यावरण मानव को पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक संसाधन और जीविका प्रदान करता है। पर्यावरण के साथ हमारा रिश्ता केवल लेन-देन का नहीं है, बल्कि गहराई से एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। इसका हमारी भलाई और ग्रह के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। क्योंकि पर्यावरण का संरक्षण अत्यधिक आवश्यक है इसलिए यह निबंध पर्यावरण और मानव के बीच संबंध पर प्रकाश डालता है। 

पर्यावरण में ऑक्सीजन शामिल है जिसमें हम सांस लेते हैं, जो पानी हम पीते हैं, वह भूमि जिसमें हम रहते हैं, और वह जैव विविधता जो हमारे चारों ओर है। ये तत्व सामूहिक रूप से हमारी जीवन समर्थन प्रणाली बनाते हैं, पारिस्थितिक तंत्र को बनाए रखते हैं और मानव अस्तित्व के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करते हैं। हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से लेकर जिन दवाइयों पर हम निर्भर हैं, पर्यावरण पर हमारी निर्भरता निर्विवाद है। दुर्भाग्य से बीते कुछ दशकों की मानव की गतिविधियों ने पर्यावरण पर भारी असर डाला है, जिससे व्यापक गिरावट और पारिस्थितिक असंतुलन पैदा हुआ है।  वनों की कटाई, प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपभोग और जलवायु परिवर्तन ग्रह के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करने वाली प्रमुख चुनौतियों में से हैं। ये गतिविधियाँ न केवल पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता को खतरे में डालती हैं, बल्कि पर्यावरणीय आपदाओं को भी बढ़ाती हैं और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करती हैं।

पर्यावरणीय क्षरण के परिणाम दूरगामी होते हैं। जैव विविधता के नुकसान से पारिस्थितिक तंत्र का लचीलापन कम हो जाता है। इससे पर्यावरण प्राकृतिक आपदाओं जैसी गड़बड़ी के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। वायु, जल और मिट्टी का प्रदूषण महत्वपूर्ण संसाधनों को दूषित करता है, जिससे मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र की अखंडता खतरे में पड़ती है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन मौसमी घटनाओं को बढ़ाता है, खाद्य सुरक्षा को खतरे में डालता है, और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को बढ़ाता है, विशेष रूप से यह कमजोर समुदायों को प्रभावित करता है। इस कारण से पर्यावरण संरक्षण एक वैश्विक मुद्दा बन गया है। पृथ्वी पर जीवन की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जैव विविधता का संरक्षण, जलवायु परिवर्तन को कम करना और पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा करना सबसे अधिक आवश्यक है। संरक्षण के प्रयासों में कई कार्य किए जा सकते हैं, जिनमें आवास संरक्षण, पुनर्वनीकरण, संसाधन प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाना शामिल है।

Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi पर 10 लाइन्स नीचे दी गई है:

  • पर्यावरण हवा, पानी और भोजन जैसे आवश्यक संसाधन प्रदान करके जीवन को बनाए रखता है।
  • प्रदूषण और वनों की कटाई सहित मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण के स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं।
  • पर्यावरणीय क्षरण मानव स्वास्थ्य, जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र के लिए जोखिम पैदा करता है।
  • जलवायु परिवर्तन चरम मौसम की घटनाओं को बढ़ा देता है, जिससे दुनिया भर के समुदायों पर असर पड़ता है।
  • हमारे पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए सतत प्रयास आवश्यक हैं।
  • पर्यावरण संरक्षण के लिए संरक्षण प्रयास, जैसे आवास संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा अपनाना महत्वपूर्ण हैं।
  • पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता बढ़ाना और पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
  • पर्यावरण और मानव कल्याण आपस में जुड़े हुए हैं, जो प्रकृति के संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हैं।
  • हमारे आज के कार्य पर्यावरण के भविष्य को आकार देंगे और आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करेंगे।
  • पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने और एक स्थायी भविष्य के निर्माण के लिए सहयोग और सामूहिक कार्रवाई आवश्यक है।

पर्यावरण और मानवता के बीच का संबंध हमारे स्वास्थ्य, समृद्धि और अस्तित्व के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं। वर्तमान के समय में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देना अत्यधिक आवश्यक है। वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों की भलाई सुनिश्चित करने वाले स्थायी प्रयासों को अपनाना हमारे लिए आवश्यक है। हमें पृथ्वी के संरक्षक के रूप में अपनी भूमिका को पहचानना होगा। पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोगात्मक रूप से काम करके, हम सभी के लिए अधिक स्वस्थ और टिकाऊ दुनिया का निर्माण कर सकते हैं।

वनों की कटाई, प्रदूषण और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता जैसी मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरणीय क्षरण में योगदान करती हैं।

पर्यावरणीय क्षरण से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं जैसे वायु प्रदूषण से श्वसन संबंधी समस्याएं और दूषित जल स्रोतों से जलजनित रोग।

व्यक्ति ऊर्जा संरक्षण, अपशिष्ट को कम करने और रीसाइक्लिंग और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने जैसी स्थायी उपायों को करके अपने पर्यावरणीय प्रभाव को कम कर सकते हैं।

सरकारी नीतियां प्रदूषण को कम करने, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान के लिए नियम और प्रोत्साहन निर्धारित करती हैं।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में Paryavaran Aur Hum Essay in Hindi के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी प्रकार के निबंध से जुड़े ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Paryavaran Sanrakshan Essay in hindi

इस लेख में हमने पर्यावरण संरक्षण Paryavaran Sanrakshan Essay In Hindi पर निबंध के बारे में जानकारी प्रदान की हैं। यहॉं पर दी गई जानकारी बच्‍चों से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए उपयोगी साबित होगी।

पर्यावरण प्रकृति का हमसे जुड़ा एक ऐसा आवरण है जो हमें चारों तरफ से ढक कर रखता है और हम से जुड़ा हुआ है हम चाहे कर भी इससे अलग नहीं हो सकते हैं प्रकृति और पर्यावरण एक दूसरे का अभिन्न हिस्सा है।,

पर्यावरण से हमें बहुत कुछ मिलता है लेकिन बदले में हम अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए इस पर्यावरण और इसकी अमूल्य संपदा का हनन करने पर तुले हुए है।

हमारे द्वारा की गई हर गतिविधि का असर पर्यावरण पर पड़ता ही है इस प्रकृति पर मानव ही सबसे अधिक बुद्धिशाली प्राणी माना जाता है।

अतः पर्यावरण के संरक्षण की जिम्मेदारी भी मनुष्यों की ही है और हम सब का यह कर्तव्य है कि हम आगे बढ़ कर इसके संरक्षण के लिए कदम उठाएं।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Paryavaran Sanrakshan Essay in hindi

Table of Contents

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 100 शब्दों मे

21वीं सदी में पर्यावरण की चिंता ने दुनिया के नेताओं और ग्रह पर रहने वाले समस्त लोगों को सदमे में डाल दिया है अभूतपूर्व जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएं समकालीन समय की एक प्रमुख वैश्विक महामारी बन गई है।

जहां दुनिया की महाशक्ति यहां अपने खोजों और अनुसंधानों पर गर्व कर रही है वहीं दूसरी तरफ है पर्यावरण से जुड़े मामलों को कुशलता से हल करने में असहाय सी दिखाई पड़ती हैं।

हम पर्यावरणीय स्थिरता के बिना इस ग्रह पर निवास करने की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं पर्यावरण को बचाने की सख्त जरूरत है खासकर जब शहरीकरण की गतिविधियां बहुत तेजी के साथ बढ़ रही है और पेड़ों को बेरहमी के साथ काटा जा रहा है तथा जहरीली गैसों की सघनता धरती की प्राणवायु को जहरीला बना रही है।

पता आवे यह वह समय है जब हमें पर्यावरण को और अधिक संरक्षण देना ही होगा अगर हम अपने आप को और अपनी आने वाली पीढ़ियों को खुशहाल जीवन देना चाहते हैं तो हमें पर्यावरण का संरक्षण हर हाल में करना ही होगा।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 250 शब्दों में

हम सभी की यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि हम पर्यावरण संरक्षण की ओर ध्यान दें क्योंकि देशों में बढ़ती हुई जनसंख्या पर्यावरण के प्रदूषण के लिए बहुत ज्यादा जिम्मेदार होती जा रही है।

पहले की तरह हमारी धरती पर अब अच्छा प्रदूषण मुक्त माहौल नहीं है जैसे-जैसे आधुनिक तकनीकों का विकास हुआ जनसंख्या बढ़ती गई वैसे ही वनों का विनाश होने लगा जल वायु प्रदूषण ग्रीन हाउस प्रभाव ग्लोबल वार्मिंग जैसी घटनाओं से हमारा वातावरण बहुत दूषित हो चुका है।

इन सभी गतिविधियों से पर्यावरण को बहुत नुकसान झेलना पड़ रहा है जिसकी वजह से आम जनजीवन भी संकट की ओर बढ़ रहा है अतः हम सभी को पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत अधिक संख्या में प्रयास करने होंगे।

हमारे देश की जनसंख्या की बात की जाए तो उसमें लगातार तेजी के साथ वृद्धि हो रही है जिससे प्राकृतिक संसाधनों का दोहन बहुत तेजी से बढ़ा है जो कि हमारी पर्यावरणीय स्थिति के लिए एक गंभीर चुनौती खड़ी करता है।

हालांकि हमारी सरकार के द्वारा पर्यावरण को बचाने के लिए बहुत सारे प्रयास किए जा रहे हैं किंतु यह बिना आम लोगों की भागीदारी के मुमकिन नहीं है।

इसलिए हम सभी को आगे बढ़ना होगा और हम सभी को यह समझना चाहिए कि पर्यावरण से ही मानव जीवन जुड़ा हुआ है इसीलिए हमें इसके संरक्षण के लिए एकजुट होना ही होगा और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के हर संभव प्रयास करने होंगे और पर्यावरण संरक्षण के प्रति सावधान होना होगा।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 300 शब्दों में

पर्यावरण एक ऐसा आवरण है जो हमारे जीवित रहने के लिए अत्यंत आवश्यक है इससे हम हर समय गिरे हुए रहते हैं और हम चाह कर भी ऐसे अलग होने की कल्पना नहीं कर सकते।

आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाए नदी- नाले, पेड़ -पौधे ,पहाड़, वायु, मिट्टी आदि को अपने समीप ही पाएंगे यही पर्यावरण का स्वरूप है या कहें कि इनसे ही पर्यावरण का अस्तित्व है।

प्रकृति और मानव ईश्वर द्वारा बनाई गई सबसे सुंदर रचनाओं में से है ईश्वर की इस रचित प्रकृति को देखें तो हमें जीव-जंतुओं, पक्षियों की चहचहाहट, हरे लहराते पेड़, बर्फ से ढके हिमालय सभी मिलकर हमारे मन को आनंदित कर देते हैं।

पहले के समय में मानव और प्रकृति एक दूसरे के सच्चे दोस्त हुआ करते थे तथा एक दूसरे का भली-भांति ख्याल रखते थे जिससे प्राकृतिक वातावरण स्वच्छ और पूर्ण संसाधनों से युक्त रहता था हर जगह शुद्ध शीतल जल और शुद्ध वायु मिल जाती थी।

परंतु आज के समय में ऐसी भावना केवल एक स्वप्न मात्र रह गई है क्योंकि आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएं आपको किसी ना किसी प्रकार से पर्यावरण का विनाश करते हुए लोग दिख ही जाएंगे।

परंतु इतना सब कुछ होने के बावजूद भी मानव को इसके महत्व को ना समझना और इसे लगातार नुस्कान पहुंचाना उसे आने वाले समय में सर्वनाश की ओर ले जा रहा है।

मानव पर्यावरण के संसाधनों से अनंत लाभ उठा रहा है मगर उसका कर्ज चुकाने में ना तो उसकी कोई इच्छा जाहिर होती है और ना ही वह इसके लिए कोई प्रयास करने के मूड में दिख रहा है जिसे देखो वह केवल पर्यावरण का क्षरण ही कर रहा है।

अतः हम सभी को चाहिए कि हम अपनी इस नींद से जागे और अपने आसपास के पर्यावरण को देखें कि हम जिस पर्यावरण पर अपने जीवन के लिए आश्रित हैं हमने उसका किस तरह से दोहन किया है और किस हद तक उसे हानि पहुंचाई है।

अगर अभी भी इंसान अपनी गलतियों को नहीं सुधारते और अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है तो वह जल्द ही अपने पतन को अपनी आंखों से देखेगा इसलिए हम सभी को अपने पर्यावरण के संरक्षण की और ज्यादा से ज्यादा ध्यान होगा।

पर्यावरण संरक्षण को लेकर कड़े कानून बनाने चाहिए और पर्यावरण संरक्षण को हर हाल में किया जाना ही मनुष्य एवं उसकी आने वाली पीढ़ियों के लिए लाभकारी है।

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध 500 शब्दों में

मानव एवं पृथ्वी पर उपस्थित अन्य कारकों से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान की भरपाई करना ही पर्यावरण संरक्षण के रूप में जाना जाता है मनुष्य द्वारा निर्मित रूप से की जा रही विभिन्न अनियंत्रित और चरम गतिविधियों के कारण अभी वातावरणीय परिस्थितियां प्रतिकूल स्थिति में है।

आज की स्थिति को देखते हुए पर्यावरण संरक्षण के मामले को बिना किसी देरी के तुरंत संबोधित करने की आवश्यकता है सरकार को लोगों के लिए कुछ जरूरी पर्यावरणीय जरूरतों को पूरा करना अनिवार्य बनाना चाहिए।

इसके अलावा पारिस्थितिक संरक्षण विस्थापन अभ्यास के लिए विभिन्न ने प्रभावी नीतियों और कार्यक्रमों को लागू किया जाना चाहिए जिससे मानव अपने जीवन को खुशहाली और समृद्धि के साथ निरंतरता से आगे बढ़ा सके।

पर्यावरण क्या है?

पर्यावरण शब्द दो शब्दों परी और आवरण के संयोग से मिलकर बना है जिसमें परी का अर्थ होता है- चारों तरफ! और आवरण का अर्थ होता है- घेरे हुए! अर्थात हमारे चारों ओर से घेरे हुए आवरण को पर्यावरण कहते हैं।

दूसरे शब्दों में कहें तो पर्यावरण वनस्पतियों प्राणियों और मानव जाति सहित सभी सजीवो तथा निर्जीवो और उनसे संबंधित भौतिक परिसर को पर्यावरण कहते हैं।

पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता क्यों है ?

जिस प्रकार से मनुष्य को प्रकृति के द्वारा प्रदान की गई चीजों को नुकसान पहुंचाने में लगा हुआ है उसे मनुष्य का जीवन बिल्कुल खतरे में पड़ चुका है मनुष्य भूल चुका है कि जिस प्रकृति ने उसे आश्रय दिया है वह उस प्रकृति को ही नुकसान पहुंचा रहा है।

जिस तेज गति से संसाधन बढ़ते जा रहे हैं लोगों की आवश्यकता बढ़ती जा रही है उससे हमारे पर्यावरण को निरंतर बहुत मुस्कान पहुंच रहा है आज मनुष्य को सबसे ज्यादा पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता पड़ गई है क्योंकि उसका खुद का जीवन संकट में आ गया है।

मनुष्य द्वारा प्रकृति का अपने स्वार्थ के लिए दिन प्रतिदिन मुस्कान पहुंचाना ही आज प्रकृति संरक्षण के लिए जिम्मेदार सबसे एक महत्वपूर्ण कारण है और मनुष्य को अपनी और अपनी पीढ़ियों अच्छे और खुशहाल जीवन के लिए पर्यावरण संरक्षण करना ही होगा।

पर्यावरण संरक्षण का महत्व

आज से ही नहीं बल्कि प्राचीन काल से ही पर्यावरण का बहुत महत्व रहा है जो कि प्रकृति का संरक्षण करना मतलब उसके पूजन करने के समान होता है हमारे देश में पर्वत, नदी, वायु ,आग, ग्रह- नक्षत्र, पेड़ -पौधे यह सभी कहीं ना कहीं मानव जीवन के साथ जुड़े हुए हैं।

परंतु आज के मनुष्य बढ़ते विकास और अपने स्वार्थ के कारण इसमें लगातार नुकसान पहुंचा रहे हैं, पर्यावरण संरक्षण के महत्व से जुड़े कुछ बिंदु इस प्रकार हैं-

  • पर्यावरण संरक्षण वायु जल और भूमि प्रदूषण आदि को कम करता है।
  • बायोडायवर्सिटी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण संरक्षण बहुत अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
  • हम सभी के सतत विकास के लिए पर्यावरण संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है।
  • हमें अपने ग्रह को ग्लोबल वार्मिंग जैसे हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिए भी पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता है।
  • पर्यावरण संरक्षण के जरिए ही हम अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।
  • पर्यावरण संरक्षण के साथ ही हम अपने और अपने आने वाली पीढ़ियों को उनके जीवन यापन के लिए एक अच्छे वातावरण को देने में सक्षम होंगे।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम संसद द्वारा 23 मई 1986 को पारित किया गया था और 19 नवंबर 1986 को लागू किया गया था।

यह दुनिया में 4 अध्याय तथा 26 धाराएं हैं इसे पारित करने का मुख्य उद्देश्य युक्त राष्ट्र द्वारा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों को भारत में विधि (कानून) बनाकर लागू करना है।

पर्यावरण संरक्षण के प्रकार / तरीके / पर्यावरण संरक्षण कैसे करें ?

हम सभी निम्न बिंदुओं के तहत पर्यावरण संरक्षण के प्रयास कर सकते हैं –

वन संरक्षण द्वारा

हम सभी यह अच्छी प्रकार से जानते हैं कि पेड़- पौधे, हवा भोजन के साथ-साथ हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले दैनिक उत्पादों के आवश्यक स्रोतों में से हैं वन विभिन्न जीवित प्राणियों का निवास स्थान भी है।

वन संरक्षण का तात्पर्य यह है कि अधिक से अधिक पेड़ लगाने से है और साथ ही मौजूदा लोगों को पेड़ काटने से रोकना क्योंकि पेड़ पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मृदा संरक्षण द्वारा

पृथ्वी पर मिट्टी मुख्य तत्व है जो कि सभी जीव जंतुओं को एक आधार प्रदान करती है उर्वरकों और जहरीले रसायनों के न्यूनतम उपयोग को सुनिश्चित करके हम मृदा संरक्षण कर सकते हैं।

इसी प्रकार वन्य जीव संरक्षण, जल संरक्षण, जैवविविधता संरक्षण आदि के द्वारा पर्यावरण उनको सुरक्षित किया जा सकता है अतः हम सभी का यह कर्तव्य है कि हम पर्यावरण संरक्षण की ओर ध्यान दें।

उपसंहार / निष्कर्ष

मनुष्य जिस जिस प्रकार अपने घर को नमस्कार नहीं पहुंचाता क्योंकि वह उसका आश्रय है ठीक उसी तरह उसी तरह उसे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए क्योंकि पर्यावरण भी मनुष्य और सभी जीव जंतुओं का आश्रय है।

यदि पर्यावरण ना हो तो मनुष्य और जीव-जंतुओं का अस्तित्व ही नहीं रहेगा। इसलिए पर्यावरण की सुरक्षा करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना आप अपने घरों की करते हैं।

जिससे जीवन यापन की सभी सभी जरूरतमंद चीजें प्राप्त होती है उसे नुस्कान नहीं पहुंचाते क्योंकि यदि वह उन्हीं चीजों को नुकसान पहुंच आएंगे तो फिर जीवन यापन के लिए आवश्यक वस्तुएं कहां से प्राप्त होंगी।

मनुष्य को जीवन जीने के लिए जितने भी चीजों की आवश्यकता होती है वह हम पर्यावरण से ही प्राप्त होती है इसलिए पर्यावरण का संरक्षण करना हर एक मानव की जिम्मेदारी है।

पर्यावरण संरक्षण क्‍या हैं?

प्राकृतिक आवास और प्रजातियों की रोकथाम, प्रबंधन और संरक्षण को पर्यावरण संरक्षण के रूप में जाना जाता हैं।

पर्यावरण संरक्षण के क्‍या उपाय हैं?

पर्यावरण संरक्षण के उपाय – 1. सूती बैग का प्रयोग करें और प्‍लास्टिक को ना कहें 2. कम पानी का प्रयोग करें और पानी बचाने के तरीके खोजें 3. रीसाइक्लिंग 4. वेस्‍ट मैनेजमेंट 5. सस्‍टेनेबल डेवलपमेंट

पर्यावरण को कैसे बचाएं?

प्रदूषण को कम करके, वनों के दोहन को कम करके और अधिक सावधान और जागरूक रहकर पर्यावरण को बचाया जा सकता हैं।

यह भी पढ़ें –

  • राष्‍ट्रीय एकता के महत्‍व पर निबंध
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध
  • शिक्षा में खेल-कूद का स्‍थान पर निबंध
  • मेरे जीवन का लक्ष्‍य पर निबंध

तो आप सभी को “राष्ट्रीय एकता के महत्व पर निबंध | Importance of National Integration Essay in Hindi” के बारे में सारी जानकारी प्राप्‍त हो गई होगी। हमें पूरी उम्‍मीद हैं कि आपको यह जानकारी बहुत पसंद आयी होगी। अगर आपके कोई प्रश्‍न हो तो नीचे कमेंट करके जरूर पूछे और पोस्‍ट को अपने सोशल मीडिया और दोस्‍तों के साथ जरूर शेयर करें।

Suneel

नमस्‍कार दोस्‍तों! Hindigrammar.in.net ब्‍लॉग पर आपका हार्दिक स्‍वागत हैं। मैं Suneel Kevat इस ब्‍लॉग का Writer और Founder हूँ. और इस वेबसाइट के माध्‍यम से Hindi Grammar, Essay, Kavi Parichay, Lekhak Parichay, 10 Lines Nibandh and Hindi Biography के बारे में जानकारी शेयर करता हूँ।

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पर्यावरण-संरक्षण

Paryavaran Sanrakshan

जिस वायुमंडल में हम साँस लेते हैं, उसे पर्यावरण कहते हैं। इसी पर्यावरण के कारण ही हम जीवित हैं। यदि इसमें आवश्यकता से अधिक गर्मी या ठंडक बढ़ जाए तो जीवन का अंत हो सकता है। यदि प्राकृतिक रूप से मिलने वाला जल मिलना बंद हो जाए, धरती दूषित फसलें उगाने लगे तो हमारा जीना दूभर हो जाएगा। हम मानव और जीव सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में ही जी सकते हैं। इसलिए यह हमारा दायित्व बनता है कि हम अपने पर्यावरण को स्वस्थ बनाए रखें। इसके लिए हमें धरती को हरा-भरा रखना होगा। इसके जल-संसाधनों को पवित्र बनाए रखना होगा। हम अपनी आकांक्षाओं के लिए जो अंधाधुंध प्रदूषण फैला रहे हैं, उसे रोकना होगा।

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जल संरक्षण पर निबंध (Save Water Essay in Hindi)

जल संरक्षण

भविष्य में जल की कमी की समस्या को सुलझाने के लिये जल संरक्षण ही जल बचाना है। भारत और दुनिया के दूसरे देशों में जल की भारी कमी है जिसकी वजह से आम लोगों को पीने और खाना बनाने के साथ ही रोजमर्रा के कार्यों को पूरा करने के लिये जरूरी पानी के लिये लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। जबकि दूसरी ओर, पर्याप्त जल के क्षेत्रों में अपने दैनिक जरुरतों से ज्यादा पानी लोग बर्बाद कर रहें हैं। हम सभी को जल के महत्व और भविष्य में जल की कमी से संबंधित समस्याओं को समझना चाहिये। हमें अपने जीवन में उपयोगी जल को बर्बाद और प्रदूषित नहीं करना चाहिये तथा लोगों के बीच जल संरक्षण और बचाने को बढ़ावा देना चाहिये।

जल संरक्षण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Save Water in Hindi, Jal Sanrakshan par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द) – जल का संरक्षण.

धरती पर जीवन के अस्तित्व को बनाये रखने के लिये जल का संरक्षण और बचाव बहुत जरूरी होता है क्योंकि बिना जल के जीवन सभव नहीं है। पूरे ब्रह्माण्ड में एक अपवाद के रुप में धरती पर जीवन चक्र को जारी रखने में जल मदद करता है क्योंकि धरती इकलौता अकेला ऐसा ग्रह है जहाँ पानी और जीवन मौजूद है।

जल का संरक्षण

पानी की जरुरत हमारे जीवन भर है इसलिये इसको बचाने के लिये केवल हम ही जिम्मेदार हैं। संयुक्त राष्ट्र के संचालन के अनुसार, ऐसा पाया गया है कि राजस्थान में लड़कियाँ स्कूल नहीं जाती हैं क्योंकि उन्हें पानी लाने के लिये लंबी दूरी तय करनी पड़ती है जो उनके पूरे दिन को खराब कर देती है इसलिये उन्हें किसी और काम के लिये समय नहीं मिलता है।

राष्ट्रीय अपराध रिकार्डस् ब्यूरो के सर्वेक्षण के अनुसार, ये रिकार्ड किया गया है कि लगभग 16,632 किसान (2,369 महिलाएँ) आत्महत्या के द्वारा अपने जीवन को समाप्त कर चुकें हैं, हालांकि, 14.4% मामले सूखे के कारण घटित हुए हैं। इसलिये हम कह सकते हैं कि भारत और दूसरे विकासशील देशों में अशिक्षा, आत्महत्या, लड़ाई और दूसरे सामाजिक मुद्दों का कारण भी पानी की कमी है। पानी की कमी वाले ऐसे क्षेत्रों में, भविष्य पीढ़ी के बच्चे अपने मूल शिक्षा के अधिकार और खुशी से जीने के अधिकार को प्राप्त नहीं कर पाते हैं।

भारत के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते, पानी की कमी के सभी समस्याओं के बारे में हमें अपने आपको जागरुक रखना चाहिये जिससे हम सभी प्रतिज्ञा ले और जल संरक्षण के लिये एक-साथ आगे आये। ये सही कहा गया है कि सभी लोगों का छोटा प्रयास एक बड़ा परिणाम दे सकता है जैसे कि बूंद-बूंद करके तालाब, नदी और सागर बन सकता है।

जल संरक्षण के लिये हमें अतिरिक्त प्रयास करने की जरुरत नहीं है, हमें केवल अपने प्रतिदिन की गतिविधियों में कुछ सकारात्मक बदलाव करने की जरुरत है जैसे हर इस्तेमाल के बाद नल को ठीक से बंद करें, फव्वारे या पाईप के बजाय धोने या नहाने के लिये बाल्टी और मग का इस्तेमाल करें। लाखों लोगों का एक छोटा सा प्रयास जल संरक्षण अभियान की ओर एक बड़ा सकारात्मक परिणाम दे सकता है।

निबंध 2 (400 शब्द) – जल को कैसे बचायें

जीवन को यहाँ संतुलित करने के लिये धरती पर विभिन्न माध्यमों के द्वारा जल संरक्षण ही जल बचाना है।

धरती पर सुरक्षित और पीने के पानी के बहुत कम प्रतिशत के आंकलन के द्वारा, जल संरक्षण या जल बचाओ अभियान हम सभी के लिये बहुत जरूरी हो चुका है। औद्योगिक कचरे की वजह से रोजाना पानी के बड़े स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। जल को बचाने में अधिक कार्यक्षमता लाने के लिये सभी औद्योगिक बिल्डिंगें, अपार्टमेंटस्, स्कूल, अस्पतालों आदि में बिल्डरों के द्वारा उचित जल प्रबंधन व्यवस्था को बढ़ावा देना चाहिये। पीने के पानी या साधारण पानी की कमी के द्वारा होने वाली संभावित समस्या के बारे में आम लोगों को जानने के लिये जागरुकता कार्यक्रम चलाया जाना चाहिये। जल की बर्बादी के बारे में लोगों के व्यवहार को मिटाने के लिये इसकी त्वरित जरुरत है।

गाँव के स्तर पर लोगों के द्वारा बरसात के पानी को इकट्ठा करने की शुरुआत करनी चाहिये। उचित रख-रखाव के साथ छोटे या बड़े तालाबों को बनाने के द्वारा बरसात के पानी को बचाया जा सकता है। युवा विद्यार्थियों को अधिक जागरुकता की आवश्यकता है साथ ही इस मुद्दे के समस्या और समाधान पर एकाग्र होना चाहिये। विकासशील विश्व के बहुत से देशों में रहने लोगों को जल की असुरक्षा और कमी प्रभावित कर रही है। आपूर्ति से बढ़कर माँग वाले क्षेत्रों में वैश्विक जनसंख्या के 40% लोग रहते हैं। और आने वाले दशकों में ये परिस्थिति और भी खराब हो सकती है क्योंकि सबकुछ बढ़ेगा जैसे जनसंख्या, कृषि, उद्योग आदि।

जल को कैसे बचायें

रोजाना पानी को कैसे बचा सकते हैं उसके लिये हमने यहाँ कुछ बिन्दु आपके सामने प्रस्तुत किये हैं:

  • लोगों को अपने बागान या उद्यान में तभी पानी देना चाहिये जब उन्हें इसकी जरुरत हो।
  • पाइप से पानी देने के बजाय फुहारे से देना अधिक बेहतर होगा जो प्रति आपके कई गैलन पानी को बचायेगा।
  • पानी को बचाने के लिये सूखा अवरोधी पौधा लगाना अच्छा तरीका है।
  • पानी के रिसाव को बचाने के लिये पाइपलाइन और नलों के जोड़ ठीक से लगा होना चाहिये जो प्रतिदिन आपके लगभग 20 गैलन पानी को बचाता है।
  • कार को धोने के लिये पाइप की जगह बाल्टी और मग का इस्तेमाल करें जो हर आपके 150 गैलन पानी को बचा सकता है।
  • फुहारे के तेज बहाव के लिये अवरोधक लगाएँ जो आपके पानी को बचायेगा।
  • पूरी तरह से भरी हुई कपड़े धोने की मशीन और बर्तन धोने की मशीन का प्रयोग करें जो प्रति महीने लगभग 300 से 800 गैलन पानी बचा सकता है।
  • प्रति दिन अधिक पानी को बचाने के लिये शौच के समय कम पानी का इस्तेमाल करें।
  • हमें फलों और सब्जियों को खुले नल के बजाय भरे हुए पानी के बर्तन में धोना चाहिये।
  • बरसात के पानी को जमा करना शौच, उद्यानों को पानी देने आदि के लिये एक अच्छा उपाय है जिससे स्वच्छ जल को पीने और भोजन पकाने के उद्देश्य के लिये बचाया जा सकता है।

निबंध 3 (600 शब्द) – जल बचाव के तरीके

पृथ्वी पूरे ब्रह्माण्ड का एकमात्र ऐसा ग्रह है जहाँ पानी और जीवन आज की तारीख तक मौजूद है। इसलिये, हमें अपने जीवन में जल के महत्व को दरकिनार नहीं करना चाहिये और सभी मुमकिन माध्यमों के प्रयोग से जल को बचाने की पूरी कोशिश करनी चाहिये। पृथ्वी लगभग 71% जल से घिरी हुई है हालांकि, पीने के लायक बहुत कम पानी है। पानी को संतुलित करने का प्राकृतिक चक्र स्वत: ही चलता रहता है जैसे वर्षा और वाष्पीकरण। हालांकि, धरती पर समस्या पानी की सुरक्षा और उसे पीने लायक बनाने की है जोकि बहुत ही कम मात्रा में उपलब्ध है। जल संरक्षण लोगों की अच्छी आदत से संभव है।

Essay on Save Water in Hindi

हमें जल क्यों बचाना चाहिये

नीचे, हमने कुछ तथ्य दिये हैं जो आपको बतायेगें कि आज हमारे लिये साफ पानी कितना मूल्यवान बन चुका है:

  • बहुत सारे लोग जो पानी से होने वाली बीमारियों के कारण मर रहें हैं, 4 मिलियन से ज्यादा हैं।
  • साफ पानी की कमी और गंदे पानी की वजह से होने वाली बीमारियों से सबसे ज्यादा विकासशील देश पीड़ित हैं।
  • एक दिन के समाचार पत्रों को तैयार करने में लगभग 300 लीटर पानी खर्च हो जाता है, इसलिये खबरों के दूसरे माध्यमों के वितरण को बढ़ावा देना चाहिये।
  • पानी से होने वाली बीमारियों के कारण हर 15 सेकेण्ड में एक बच्चा मर जाता है।
  • पूरे विश्व में लोगों ने पानी के बॉटल का इस्तेमाल शुरु कर दिया है जिसकी कीमत $60 से $80 बिलियन प्रति साल है।
  • भारत, अफ्रीका और एशिया के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को साफ पानी के लिये लंबी दूरी (लगभग 4 कि.मी. से 5कि.मी.) तय करनी पड़ती है।
  • भारत में पानी से होने वाली बीमारी के वजह से लोग ज्यादा पीड़ित हैं जिसकी वजह से बड़े स्तर पर भारत की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है।

जल बचाव के तरीके

जीवनशैली में बिना किसी बदलाव के पानी बचाने के कुछ बेहतरीन तरीकों को हमने आपसे साझा किये। घर का कोई सदस्य घरेलू कार्यों के लिये रोज लगभग 240 लीटर पानी खर्च करता है। एक चार सदस्यों वाला छोटा मूल परिवार औसतन 960 लीटर प्रतिदिन और 350400 लीटर प्रतिवर्ष खर्च करता है। रोजाना पूरे उपभोग का केवल 3% जल ही पीने और भोजन पकाने के लिये उपयोग होता है बाकी का पानी दूसरे कार्यों जैसे पौधों को पानी देना, नहाना, कपड़े धोना आदि में इस्तेमाल होता है।

जल बचाव के कुछ सामान्य नुस्ख़े:

  • सभी को अपनी खुद की जिम्मेदारी को समझना चाहिये और पानी और भोजन पकाने के अलावा पानी के अधिक उपयोग से बचना चाहिये।
  • अगर धीरे-धीरे हम सभी लोग गार्डन को पानी देने से, शौच में पानी डालने से, साफ-सफाई आदि के लिये पानी की बचत करने लगेगें, प्रति अधिक पानी का बचत संभव होगी।
  • हमें बरसात के पानी को शौच, लाँड्री, पौधौ को पानी आदि के उद्देश्य लिये बचाना चाहिये।
  • हमें बरसात के पानी को पीने और भोजन पकाने के लिये एकत्रित करना चाहिये।
  • हमें अपने कपड़ों को केवल धोने की मशीन में धोना चाहिये जब उसमें अपनी पूरी क्षमता तक कपड़े हो जाएँ। इस तरीके से, हम 4500लीटर पानी के साथ ही बिजली भी प्रति महीने बचा लेंगे।
  • फुहारे से नहाने के बजाय बाल्टी और मग का प्रयोग करें जो प्रति वर्ष 150 से 200लीटर पानी बचायेगा।
  • हमें हर इस्तेमाल के बाद अपने नल को ठीक से बंद करना चाहिये जो 200 लीटर पानी हर महीने बचायेगा।
  • होली त्योहार के दौरान पानी के अत्यधिक इस्तेमाल को कम करने के लिये सूखी और सुरक्षित को बढ़ावा देना चाहिये।
  • जल बर्बादी से हमें खुद को बचाने के लिये अपने जीने के लिये जल की एक-एक बूंद के लिये रोज संघर्ष कर रहे लोगों की खबरों के बारे में हमें जागरुक रहना चाहिये।
  • जागरुकता फैलाने के लिये हमें जल संरक्षण से संबंधित कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिये।
  • गर्मी के मौसम में कूलर में अधिक पानी बर्बाद न होने दें, केवल जरुरत भर का ही इस्तेमाल करें।
  • हमें पाइप के द्वारा लॉन, घर या सड़कों पर पानी डालकर नष्ट नहीं करना चाहिये।
  • पौधारोपण को वर्षा ऋतु में लगाने के लिये प्रेरित करें जिससे पौधों को प्राकृतिक रुप से पानी मिलें।
  • हमें अपने हाथ, फल, सब्जी आदि को खुले हुए नल के बजाय पानी के बर्तन से धोने की आदत बनानी चाहिये।
  • हमें दोपहर के 11 बजे से 4 बजे तक पौधों को पानी देने से बचना चाहिये क्योंकि उस समय उनका वाष्पीकरण हो जाता है। सुबह या शाम के समय पानी देने से पौधे पानी को अच्छे से सोखते हैं।
  • हमें पौधरोपण को बढ़ावा देना चाहिये जो सुखा सहनीय हो।
  • हमें पारिवारिक सदस्यों, बच्चों, मित्रों, पड़ोसियों और सह-कर्मचारियों को सकारात्मक परिणाम पाने के लिये अपने अंत तक यही प्रक्रिया अपनाने या करने के लिये प्रेरित करना चाहिये।

धरती पर जीवन का सबसे जरूरी स्रोत जल है क्योंकि हमें जीवन के सभी कार्यों को निष्पादित करने के लिये जल की आवश्यकता है जैसे पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़ा धोने, फसल पैदा करने आदि के लिये। बिना इसको प्रदूषित किये भविष्य की पीढ़ी के लिये जल की उचित आपूर्ति के लिये हमें पानी को बचाने की जरुरत है। हमें पानी की बर्बादी को रोकना चाहिये, जल का उपयोग सही ढंग से करें तथा पानी की गुणवत्ता को बनाए रखें।

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पर्यावरण की सुरक्षा | paryvaran ki suraksha hindi essay.

Paryvaran Ki Suraksha Hindi Essay

icse question -  पर्यावरण है तो मानव है’ विषय को आधार बनाकर पर्यावरण सुरक्षा को लेकर आप क्या-क्या प्रयास कर रहे हैं ? विस्तार से लिखिए।

100 Words - 150 Words 

पर्यावरण सुरक्षा विश्वास का विषय है जो हमारे प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करता है । यह मानव और सभी प्राणियों के जीवन के लिए आवश्यक है । प्रदूषण , वनों का कटाव , जलवायु परिवर्तन , और विकास के लिए अनुशासनहीनता पर्यावरण को खतरे में डालते हैं । हमें अपने उच्च जीवन शैली को संतुलित करने और प्रकृति के साथ सद्भाव से रहने की आवश्यकता है ।  

पर्यावरण सुरक्षा के लिए हमें संबंधित विषयों पर शिक्षा , संगठन , और कानूनी कदम उठाने की आवश्यकता है । वन्यजीवन की संरक्षण , बिजली और पानी के सही उपयोग , और विकासी योजनाओं की पर्याप्त पर्यावरणीय प्रतिबद्धता हमारे लिए आवश्यक हैं । हम सभी को इस बड़े परिवर्तन में अपना योगदान देना होगा और सुरक्षित पर्यावरण का आनंद उठाने के लिए एकजुट होना होगा ।  

200 Words - 250 Words

पर्यावरण सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है जो हमारे प्राकृतिक संसाधनों, जीवजंतुओं, और मानव समृद्धि की रक्षा करता है। पर्यावरण हमारे जीवन के लिए अनमोल है और उसकी रक्षा हमारा कर्तव्य है। हालांकि, आधुनिक जीवनशैली, विकास, और औद्योगिकी के कारण पर्यावरण को कई तरीकों से नुकसान पहुंचा रहा है।  

वन्यजीवन का नष्ट होना, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, और जमीन का अतिक्रमण कुछ मुख्य पर्यावरण समस्याएं हैं। इन समस्याओं का समाधान न केवल सरकारी तंत्रों द्वारा बल्कि हर व्यक्ति के सहयोग से किया जा सकता है।  

पर्यावरण सुरक्षा के लिए हमें अपने उत्पादन और उपभोग के तरीकों में सुधार करने की आवश्यकता है। हमें बचाते और पुनर्चक्रण की अधिक प्रवृत्ति करनी चाहिए। विद्युत् ऊर्जा और पेयजल के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए और अनावश्यक उपभोग से बचना चाहिए। वन्यजीवन को संरक्षित करने और प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग करने का ध्यान रखना भी जरूरी है।  

वैश्विक स्तर पर, हमें संगठित रूप से सहयोग करके पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। विभिन्न देशों को आपसी समझदारी से परस्पर सहायता करनी चाहिए।  

इस प्रकार, हम सभी को साथ मिलकर पर्यावरण सुरक्षा के लिए संघर्ष करना होगा। हमारे छोटे-छोटे कदम भी बड़े परिवर्तन का हिस्सा बन सकते हैं और एक स्वच्छ और हरित पर्यावरण के निर्माण में सहायक साबित हो सकते हैं।  

पर्यावरण हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसका हमारे स्वास्थ्य, समृद्धि, और समस्त प्राकृतिक जीवन के साथ सीधा संबंध होता है। यह हमें ऊर्जा, खान-पान, और विभिन्न अन्य जीवन जरूरियतों के रूप में सबकुछ प्रदान करता है। यहां तक कि प्राचीन समय से ही मनुष्य ने पर्यावरण की संरक्षण की जिम्मेदारी को समझा और विभिन्न तरीकों से इसे सुरक्षित रखने का प्रयास किया है। हालांकि, आधुनिक जीवनशैली, विकास, और तकनीकी प्रगति के साथ, मानव ने पर्यावरण को अधिक भयंकर रूप में प्रभावित किया है और इससे उसकी सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। इसलिए, पर्यावरण की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी है जिसका समाधान हमें जल्द से जल्द ढूंढना होगा।  

प्राकृतिक आपदाएं, जैसे भूकंप, बाढ़, तूफ़ान, और जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक बड़ी चिंता का विषय हैं। इनके प्रभाव से लाखों लोग घातक रूप से प्रभावित होते हैं और अपनी जान गंवा देते हैं। भूकंपों के कारण भूमि के तहस-नहस हो जाने से इमारतें ढह जाती हैं, बाढ़ और तूफ़ान से फ़सलों का नुकसान होता है और जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर घटते जा रहे हैं और समुद्र तटों के स्तर में बढ़ोतरी हो रही है। ये सभी पर्यावरण के खिलाफ असर के उदाहरण हैं जिनसे हमें समझना चाहिए कि हमें पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की ज़रूरत है।  

प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है जो पर्यावरण को हानि पहुंचाती है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, और ध्वनि प्रदूषण जैसे रूपों में अपना प्रभाव दिखाता है। वायु प्रदूषण के कारण वायुमंडल की गर्मी बढ़ जाती है जिससे जलवायु परिवर्तन होता है और मौसम की परिवर्तनशीलता बढ़ती है।

जल प्रदूषण के कारण जल की गुणवत्ता खराब होती है और इसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। ध्वनि प्रदूषण बड़े शहरों में अधिक होता है जो हमारे कानों को भी प्रभावित करता है। इससे सभी प्राकृतिक प्रक्रियाओं पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है, जैसे कि वृक्षारोपण, पानी के संचयन, और जलवायु नियंत्रण। वनों की कटाई और वृक्षारोपण की कमी से हमारे प्राकृतिक पर्यावरण के संतुलन में बदलाव होता है और जलवायु को प्रभावित करने के लिए उसके नियंत्रण को भी खतरा पड़ता है।  

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सरकारों, संगठनों, और व्यक्तियों के सहयोग की ज़रूरत है। सरकारों को सख्त नियमों और कानूनों के रूप में पर्यावरण संरक्षण के लिए कदम उठाने चाहिए और इनके पालन का प्रतिबंधी तरीके से सुनिश्चित करना चाहिए। साथ ही, संगठनों को अपने कामकाज में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देनी चाहिए, उन्हें सुस्ताई नहीं करनी चाहिए और पर्यावरण के साथ जिम्मेदारी उठानी चाहिए।  

व्यक्तियों को भी पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझना चाहिए और उन्हें अपने स्तर पर छोटे-मोटे कदम उठाने की ज़रूरत है। वृक्षारोपण, वन्यजीवन का समर्थन, और जल संचयन जैसे छोटे-मोटे कदम हमारे पर्यावरण की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं।  

इसके अलावा, पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता पैदा करना भी आवश्यक है। लोगों को पर्यावरण की समस्याओं के बारे में शिक्षित करना चाहिए और उन्हें इससे जुड़े समाधानों के बारे में बताना चाहिए। शिक्षा के माध्यम से जागरूकता फैलाने से लोग स्वयं भी सक्रिय रूप से पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान करते हैं और दूसरों को भी जागरूक करते हैं।  

समाप्ति में, पर्यावरण की सुरक्षा हम सभी की ज़िम्मेदारी है। हमारा कर्तव्य है कि हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठाएं और आने वाले पीढ़ियों को एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण छोड़ें। हमें अपने आसपास के पर्यावरण का ध्यान रखना होगा, संवेदनशीलता से समझना होगा और उसे सुरकषित रखने के लिए सामाजिक एवं आर्थिक रूप से समर्थ उपाय अपनाने होंगे।

हमें पर्यावरण संरक्षण को अपने जीवन का एक मूल्यांकन बनाना होगा और इसे व्यक्तिगत, परिवारिक, सामाजिक, और राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता देनी होगी।  

सरकारों को विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारी को गहराई से समझना होगा। पर्यावरण के संरक्षण के लिए सशक्त नीतियों और क़ानूनों को बनाएंगे और उन्हें नियमित रूप से जांचने और पालन करने का सुनिश्चित करेंगे। इसके साथ ही, संगठनों को अपने उत्पादन और प्रोसेस को पर्यावरण के साथ समन्वयित करने के लिए उत्साहित करना होगा। पर्यावरण के साथ संरक्षण करने वाले संगठनों को इन्सेंटिव और प्रोत्साहन भी मिलना चाहिए ताकि वे इस मामले में और सक्रिय बन सकें।  

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