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जनसँख्या पर निबंध (Population Essay in Hindi)

जनसंख्या एक विशेष क्षेत्र में रहने वाले जीवों की कुल संख्या को दर्शाती है। हमारे ग्रह के कुछ हिस्सों में आबादी का तेजी से विकास चिंता का कारण बन गया है। जनसंख्या को आमतौर पर किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या के रूप में जाना जाता है। हालांकि यह उन जीवों की संख्या को भी परिभाषित करता है जो इंटरब्रिड कर सकते हैं। कुछ देशों में मानव जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। इन देशों को मानव नियंत्रण उपायों को नियंत्रित करने की सलाह दी जा रही है।

जनसँख्या पर छोटे तथा लंबे निबंध (Short and Long Essay on Population in Hindi, Jansankhya par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द): जनसंख्या वृद्धि के कारण.

जनसंख्या एक जगह पर रहने वाले लोगों की संख्या को दर्शाने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आबादी का घनत्व भिन्न-भिन्न कारणों से अलग-अलग होता है।

जनसंख्या का असमान वितरण

धरती पर जनसंख्या असमान रूप से वितरित है। जहाँ कुछ देश ऐसे हैं जो आबादी विस्फोट की समस्या का सामना कर रहे हैं वही कई देश कम आबादी वाले भी हैं। ऐसा सिर्फ मानव आबादी के मामले में नहीं है। यही बात जानवरों और अन्य जीवों के मामलों में भी देखी जाती है। कुछ जगहों पर आपको अधिक संख्या में जानवर दिखाई देंगे जबकि कुछ जगहों पर आपको शायद ही कोई जानवर देखने को मिलेगा।

चीजें जो जनसंख्या घनत्व प्रभावित करती हैं

किसी भी क्षेत्र में आबादी के घनत्व की गणना उस क्षेत्र की कुल संख्या को लोगों द्वारा विभाजित करके की जाती है। कई कारणों से जनसंख्या का घनत्व अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होता है। कुछ कारक जो किसी क्षेत्र में आबादी की घनत्व को प्रभावित करते हैं वे इस प्रकार हैं:

अत्यंत गर्म या ठंडे मौसम वाले स्थान बहुत कम आबादी के हैं। दूसरी ओर जिन स्थानों पर लोग मध्यम जलवायु का आनंद लेते हैं वे घनी आबादी वाले हैं।

तेल, लकड़ी, कोयले जैसे संसाधनों की अच्छी उपलब्धता वाले क्षेत्रों में आबादी घनी होती है जहाँ इन बुनियादी संसाधनों की कमी होती है वे क्षेत्र कम आबादी वाले हैं।

  • राजनीतिक माहौल

जिन देशों में एक स्थिर सरकार और एक स्वस्थ राजनीतिक वातावरण है वे क्षेत्र घनी आबादी वाले हैं। ये देश दूसरे इलाकों से आबादी को आकर्षित करते हैं जिससे उस क्षेत्र की आबादी में बढ़ोतरी होती है। दूसरी ओर गरीब या अस्थिर सरकार वाले देश के कई लोग किसी अच्छे अवसर की उपलब्धता को देखकर उस जगह को छोड़कर चले जाते हैं।

विकसित देशों जैसे यू.एस.ए. बहुत सारे आप्रवासियों को आकर्षित करते हैं क्योंकि वे लोगों को बहुत बेहतर पैकेज और एक अच्छा मानक जीवन प्रदान करते हैं। दुनिया के विभिन्न हिस्सों के लोग ऐसे देशों में आकर बसते हैं। यही कारण है कि ऐसे देशों में आबादी का घनत्व बढ़ रहा है।

भले ही दुनिया भर में कुछ जगहों में जनसंख्या का घनत्व कम हो फिर भी पिछले कुछ दशकों में देश की कुल जनसंख्या में वृद्धि हुई है और आने वाले समय में कई गुना बढ़ने की संभावना है।

निबंध 2 (400 शब्द) – भारत में बढ़ती जनसंख्या व जनसंख्या नियंत्रण

जनसंख्या का मतलब एक विशेष स्थान पर रहने वाले कुल जीवों की संख्या है। दुनिया के कई हिस्सों में मुख्य रूप से गरीब देशों में मानव आबादी का विकास चिंता का विषय बन गया है। दूसरी ओर ऐसे भी स्थान हैं जहां जनसंख्या की दर बहुत कम है।

बढ़ती जनसंख्या – भारत में एक बड़ी समस्या

भारत को बढ़ती आबादी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। दुनिया की करीब 17% आबादी भारत में रहती है जिससे यह दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है। लगभग हर विकासशील देश की तरह भारत में जनसंख्या की वृद्धि के लिए कई कारण हैं। भारत में आबादी के विकास के मुख्य कारणों में से एक निरक्षरता है। अशिक्षित और गरीब वर्ग के लोग अधिक संख्या में बच्चों को जन्म देते हैं। इसके लिए दो कारण हैं।

सबसे पहले उनके लिए अधिक बच्चे काम करने और परिवार के लिए पैसे कमाने में मदद करते हैं। दूसरा उनमें से ज्यादातर जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में नहीं जानते हैं। प्रारंभिक विवाह के परिणामस्वरूप बच्चों की संख्या अधिक होती है। आबादी में वृद्धि की वजह से मृत्यु दर कम हो सकती है। विभिन्न बीमारियों के लिए इलाज़ और उपचार विकसित किए गए हैं और इस तरह मृत्यु दर में कमी आई है।

भारत में जनसंख्या नियंत्रण के लिए उठाए गए कदम

भारतीय जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • न्यूनतम विवाहयोग्य आयु

सरकार ने पुरुषों के लिए न्यूनतम विवाह योग्य आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 साल तय की है। हालांकि इस पर कोई कड़ी जांच नहीं है। देश के ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में लोग अभी भी कम उम्र में अपने बच्चों की शादी करते हैं। सरकार को शादी की न्यूनतम उम्र में वृद्धि करना चाहिए और इसके लिए जांच भी कड़ी करनी चाहिए।

  • मुफ्त शिक्षा

भारत सरकार ने बच्चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा कानून के अधिकार के जरिए देश के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई है। जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक और तरीका है निरक्षरता को समाप्त करना।

  • दत्तक ग्रहण को बढ़ावा देना

भारत सरकार बच्चों को गोद लेने को भी बढ़ावा दे रही है। ऐसे कई लोग हैं जो विभिन्न कारणों की वजह से अपने बच्चों को जन्म देते हैं। अपने स्वयं के बच्चे करने की बजाए बच्चों को अपनाना जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका है।

भारत में बढ़ती आबादी गंभीर चिंता का विषय है। हालांकि सरकार ने इस पर नियंत्रण रखने के लिए कुछ कदम उठाए हैं लेकिन ये नियंत्रण पर्याप्त प्रभावी नहीं हैं। इस मुद्दे को रोकने के लिए कई अन्य उपाय किए जाने की आवश्यकता है।

निबंध 3 (500 शब्द) – मानव विज्ञान, प्रौद्योगिकी व जनसंख्या विस्फोट

जनसंख्या सामान्यतः एक विशेष क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या को दर्शाती है। हालांकि आबादी शब्द का मतलब केवल मानव आबादी ही नहीं है बल्कि वन्यजीव आबादी और जानवरों तथा अन्य जीवित जीवों की कुल आबादी की पुनरुत्पादन करने की क्षमता है। विडंबना यह है कि जहाँ मानव आबादी तेजी से बढ़ रही है तो जानवरों की आबादी कम हो रही है।

कैसे मानव विज्ञान और प्रौद्योगिकी मानव जनसंख्या विस्फोट को बढ़ावा दिया है ?

कई कारक हैं जो पिछले कुछ दशकों से दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जनसंख्या विस्फोट को बढ़ावा दे रहे हैं। प्रमुख कारकों में से एक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति है। जहाँ पहले जन्म दर और मनुष्य की मृत्यु दर के बीच एक संतुलन था चिकित्सा विज्ञान में प्रगति ने उसमें असंतुलन पैदा कर दिया है। कई बीमारियों का इलाज करने के लिए दवाएं और आधुनिक चिकित्सा उपकरणों को विकसित किया गया है। इन की मदद से मनुष्य मृत्यु दर कम हो गई है और इससे जनसंख्या में वृद्धि हो गई है।

इसके अलावा तकनीकी विकास ने भी औद्योगीकरण को रास्ता दिखाया है। हालांकि पहले ज्यादातर लोग कृषि गतिविधियों में शामिल थे और उसी के माध्यम से अपनी आजीविका अर्जित करते थे पर अब कई अलग-अलग कारखानों में नौकरी करने की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे क्षेत्रों की आबादी, जहां इन उद्योगों की स्थापना की जाती है, दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

वन्यजीव जनसंख्या पर मानव जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव

जहाँ मानव आबादी विस्फोट के कगार पर है वहीं वन्यजीव आबादी समय गुज़रने के साथ कम हो रही है। पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों की आबादी काफी कम हो गई है जिसका केवल मनुष्य को ही जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इनमें से कुछ विवरण नीचे दिए गए हैं:

  • वनों की कटाई

वन्यजीव जानवर जंगलों में रहते हैं। वनों की कटाई का अर्थ है उनके आवास को नष्ट करना। फिर भी मनुष्य निर्दयता से अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जंगलों को काट और नष्ट कर रहा है। जानवरों की कई प्रजातियों में भी कमी आई है और कई लोग अन्य अपने निवास की गिरती गुणवत्ता या नुकसान के कारण विलुप्त हो गए हैं।

  • बढ़ता प्रदूषण

बढ़ता हवा, पानी और भूमि प्रदूषण एक और प्रमुख कारण है कि कई जानवरों की कम उम्र में मृत्यु हो जाती है। पशुओं की कई प्रजातियां बढ़ते प्रदूषण का सामना करने में सक्षम नहीं हैं। उन्हें इसके कारण कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है और उसके घातक परिणामों का सामना करना पड़ता है।

  • जलवायु में परिवर्तन

दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जलवायु काफी तेजी से बदल गई है। कई क्षेत्र जिनमें पहले मध्यम बारिश होती थी वहां अब हालात बाढ़ की तरह दिखाई देने लगे हैं। इसी तरह गर्मी के मौसम में हल्के गर्म रहने वाले क्षेत्र अब बेहद गर्म मौसम का अनुभव करते हैं। जहाँ मनुष्य ऐसी स्थितियों के अनुकूल होने के लिए तैयार होते हैं वहीं जानवर इसका सामना नहीं कर सकते।

मनुष्य ने हमेशा अपने पौधों, जानवरों और उनके आसपास के समग्र वातावरण पर प्रभाव की अनदेखी करते हुए अपने आराम और सुख के बारे में सोचा है। अगर मनुष्य इस तरह से व्यवहार करते रहे तो पृथ्वी मनुष्य के अस्तित्व के लिए अब फिट नहीं रहेगी। यह सही समय है कि हमें मानव आबादी को नियंत्रित करने और साथ ही हमारे ग्रह को बर्बाद कर रही प्रथाओं को नियंत्रित करने के महत्व को स्वीकार करना चाहिए।

Essay on Population in Hindi

निबंध 4 (600 शब्द) – जनसंख्या नियंत्रण क्यों आवश्यक है व इसके उपाय क्या हैं

जनसंख्या एक क्षेत्र में रहने वाले लोगों की कुल संख्या को दर्शाती है। यह न केवल मनुष्यों को संदर्भित करती है बल्कि जीवित जीवों के अन्य रूपों को भी संदर्भित करती है जिनमें पैदा करने और गुणा करने की क्षमता होती है। पृथ्वी के कई हिस्सों में जनसंख्या बढ़ रही है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकार विभिन्न तरीकों से इस मुद्दे को रोकने की कोशिश कर रही है लेकिन इसे नियंत्रित करने के लिए अभी भी बहुत कुछ करना होगा।

जनसंख्या को नियंत्रित करना क्यों आवश्यक है ?

आबादी की बढ़ती दर कई समस्याओं का कारण है। विकासशील देश विकसित देशों के स्तर तक पहुंचने में कड़ी मेहनत कर रहे हैं और इन देशों में जनसंख्या में तेजी से वृद्धि इस दिशा में मुख्य बाधाओं में से एक है। बढ़ती आबादी के कारण बेरोजगारी की समस्या उच्चतम स्तर पर है। नौकरियों की तलाश में कई लोग हैं लेकिन रिक्तियां सीमित हैं। बेरोजगारी गरीबी का कारण है जो एक और समस्या है। यह लोगों के बीच असंतोष पैदा करती है और अपराध को जन्म देती है। जो लोग अपनी वांछित नौकरियां प्राप्त नहीं कर पाते वे अक्सर पैसे कमाने के लिए अवांछित तरीके अपनाते हैं।

यह भी समझना चाहिए कि संसाधन सीमित हैं लेकिन लोगों की बढ़ती संख्या के कारण मांग बढ़ रही है। वनों को काटा जा रहा है और उनकी जगह विशाल कार्यालय और आवासीय भवन बनाए जा रहे हैं। क्यां करे? यह बढ़ती आबादी को समायोजित करने के लिए किया जा रहा है। प्राकृतिक संसाधन तेजी से कम हो रहे हैं क्योंकि अधिक संख्या में लोग उनका उपयोग कर रहे हैं। यह पर्यावरण में असंतुलन पैदा कर रहा है। लोगों की मांगों को पूरा करने के लिए अधिक से अधिक प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे पर्यावरण का क्षरण ही नहीं बल्कि जीवन की लागत भी बढ़ जाती है। इस प्रकार आबादी को नियंत्रित करना आज के समय की आवश्यकता बन गया है। पर्यावरण में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करने के लिए यह आवश्यक है। इससे लोगों के लिए बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित होगा।

मानव जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए संभावित कदम

मानव आबादी को नियंत्रित करने के लिए यहां कुछ संभावित कदम दिए गए हैं:

गरीब और अशिक्षित वर्गों के लोग अधिकतर परिवार नियोजन योजना नहीं बनाते हैं। वे महिलाओं को एक के बाद एक बच्चे पैदा करने की मशीन के रूप में देखते हैं। लोगों को शिक्षित करना आवश्यक है। सरकार को सभी के लिए शिक्षा आवश्यक बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए।

  • परिवार नियोजन

परिवार के नियोजन के महत्व के बारे में लोगों को संवेदनशील बनाना सरकार के लिए आवश्यक है। यह रेडियो, टेलीविजन, इंटरनेट और संचार के अन्य रूपों के माध्यम से बार-बार किया जाना चाहिए।

  • मौद्रिक लाभ

सरकार को करों से छूट या उन परिवारों को अन्य मौद्रिक लाभ प्रदान करना चाहिए जिनके पास एक बच्चा है। चूंकि आज लोग पैसे के पीछे भाग रहे हैं इसलिए आबादी को नियंत्रित करने की दिशा में यह एक प्रभावी कदम होगा। कुछ देशों की सरकारें पहले ही ऐसी नीतियों को लागू कर चुकी हैं।

  • जुर्माना या दंड

जैसे सरकार उन लोगों को मौद्रिक लाभ प्रदान कर सकती है जो समुचित परिवार नियोजन करते हैं उसी तरह उन पर पैसों के रूप में जुर्माना भी लगा सकती है जो ऐसा नहीं करती है। दो से अधिक बच्चों वाले परिवारों पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए।

  • सख्त मॉनिटरिंग

सरकार को केवल उपर्युक्त बिंदुओं को लागू नहीं करना चाहिए बल्कि इनकी एकदम सही जांच भी करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोग उनका पालन करें।

लोगों को आबादी नियंत्रित करने के महत्व को समझना चाहिए। यह न केवल उन्हें स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण तथा बेहतर जीवन स्तर प्रदान करेगा बल्कि अपने देश के समग्र विकास में भी मदद करेगा। सरकार को भी इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और जनसंख्या नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए उचित नियम और नीतियां बनानी चाहिए। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए दोनों सार्वजनिक और सरकार को एक साथ काम करने की आवश्यकता है।

FAQs: Frequently Asked Questions on Population (जनसँख्या पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- वेटिकन सिटी

उत्तर- उत्तर प्रदेश की

उत्तर- शिक्षा एवं परिवार नियोजन के प्रति जागरुकता।

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Jansankhya Essay in Hindi

Jansankhya Essay in Hindi: जनसंख्या पर निबंध

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Jansankhya Essay in Hindi

यहां हम आपको “Jansankhya Essay in Hindi” उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध/ स्पीच को अपने स्कूल या कॉलेज के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि आपको किसी प्रतियोगिता के लिए भी Population Essay in Hindi तैयार करना है तो आपको यह आर्टिकल पूरा बिल्कुल ध्यान से पढ़ना चाहिए. 

Population Essay in Hindi 100 words 

किसी भी देश की बढ़ती हुई जनसंख्या सभी के लिए समस्या उत्पन्न करती है। जनसंख्या का अर्थ होता है, किसी देश में रहने वाले लोगों की संख्या। विश्व में ऐसे कई देश है, जो जनसंख्या के मामले में जाने जाते हैं जैसे की चाइना और भारत। पहले चीन जनसंख्या में पहले स्थान पर था। लेकिन अब भारत जनसंख्या में पहले स्थान पर आ चुका है। जनसंख्या बढ़ने के कारण कई सारी समस्याएं उत्पन्न होती है, जैसे कि बेरोजगारी, प्राकृतिक संसाधनों में कमी आदि। बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकना देश की सरकार ही नहीं बल्कि देश के नागरिकों का भी कर्तव्य है। लोगों को जनसंख्या नियंत्रण कानून का पालन सख्ती से करना चाहिए।

गर्मी की छुट्टी पर निबंध प्लास्टिक प्रदूषण पर निबंध My School Essay महात्मा गांधी पर निबंध विज्ञान के चमत्कार हिंदी में निबंध

Jansankhya Niyantran Par Nibandh 150 words 

जनसंख्या सभी देशों के लिए महत्व रखती है। जिस देश की जनसंख्या लगातार बढ़ रही हो उसके लिए यह चिंता की बात होती। जनसंख्या बढ़ने के कारण देश में सुविधाओं की कमी होने लगती है। कम जनसंख्या होने पर सभी लोगों को प्राकृतिक संसाधनों का सारा फायदा मिलता है। इसके अलावा सरकार द्वारा दी जाने वाली सभी सुविधाओं का लाभ देश के प्रत्येक व्यक्ति को मिलता है। भारत आज आबादी में विश्व का पहला देश बन चुका है।

आबादी बढ़ने के कारण सभी सार्वजनिक स्थल जैसे कि अस्पताल, मंदिर ,रेलवे स्टेशन ,बस स्टेशन हवाई अड्डा पर हमेशा भीड़ जमा रहती है। जनसंख्या बढ़ने के कारण लोगों को भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार आज भारत की कुल जनसंख्या 140.70 करोड़ है। इतनी जनसंख्या का होना देश के लिए चिंता की बात है। लोगों को जनसंख्या नियंत्रण कानून का पालन करना चाहिए। सभी लोगों को जनसंख्या नियंत्रण कर पृथ्वी को बचाए रखने में अपना योगदान देना चाहिए।

Jansankhya Visfot Par Nibandh 200 words

आज भारत जनसंख्या के मामले में सबसे आगे पहुंच चुका है। भारत में हर साल करीबन एक करोड़ की आबादी जनसंख्या में जुड़ जाती है। जनसंख्या बढ़ने के कारण लोगों को काफी तकलीफ हो रही है जैसे कि रहने के लिए आवास की कमी ,खाने के लिए भोजन की कमी, सरकारी सुविधाओं की कमी बेरोजगारी इत्यादि। यदि इस तरह आबादी बढ़ती रही तो एक समय बाद प्राकृतिक संसाधन भी खत्म हो जाएंगे जिसके बाद पृथ्वी पर जीवन जीना संभव नहीं होगा। भारत सरकार द्वारा जनसंख्या को नियंत्रण करने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।

लोगों को जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए बताया जा रहा है और लोगों से निवेदन किया जा रहा है कि वे 2 बच्चों से अधिक बच्चों को जन्म ना दें। दूसरी चिंता की सबसे बड़ी बात यह है कि जनसंख्या में ना केवल इंसान बल्कि जानवर भी शामिल होते हैं। लेकिन आज इंसानों की संख्या बढ़ती जा रही है और जानवरों की संख्या तेजी से कम होती जा रही है। धीरे-धीरे जनसंख्या बढ़ने का प्रभाव प्रकृति पर भी दिखाई दे रहा है। प्राकृतिक संसाधनों की सीमा भी सीमित है इसलिए, प्रकृति पर संतुलन बनाए रखने के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण जरूरी है।

Jansankhya Essay in Hindi

Increasing Population Essay in Hindi 300 words 

बढ़ती हुई आबादी की समस्या का सामना सभी देशों को करना पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की सारी आबादी का 17% से 19% हिस्सा केवल भारत में है। इसी कारण से भारत आबादी वाले देशों में सबसे पहले नंबर पर है। यह आबादी ना केवल देश के विकास में रुकावट पैदा कर रही है बल्कि प्रकृति के विकास में भी रुकावट पैदा कर रही है। जनसंख्या बढ़ने के कारण इंसानों के अलावा जानवरों को भी कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बढ़ती जनसंख्या से जलवायु में परिवर्तन हो रहा है क्योंकि जहां ज्यादा आबादी होती है वहां सामान्य से अधिक तापमान होता है।

जनसंख्या बढ़ने के नुकसान

जनसंख्या बढ़ने का सबसे बड़ा नुकसान यह है,कि प्राकृतिक संसाधन खत्म होते जा रहे हैं। पृथ्वी पर मौजूद जल भोजन एवं अन्य उपयोगी चीजें सीमित मात्रा में है। अगर हम इसी तरह अंधाधुन इनका इस्तेमाल करते रहे तो 1 दिन यह सब नष्ट हो जाएंगे। जनसंख्या बढ़ने का दूसरा सबसे बड़ा नुकसान यह है कि लोगों को सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता। आज भारत में हर शहर में इतनी आबादी है कि विश्व के कुछ देशों में इतनी आबादी नहीं है। जनसंख्या बढ़ने से बेरोजगारी, भुखमरी ,अपराध , अशिक्षा जैसी सभी चीजें उत्पन्न होती हैं।

भारत सरकार द्वारा लगातार लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के बारे में बताया जा रहा है। सभी लोगों को अब जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान देना चाहिए। लोगों को अब बच्चों को गोद लेने की तरफ अधिक ध्यान देना चाहिए। क्योंकि ऐसे कई सारे लोग होते हैं जो किसी कारण बस मां बाप नहीं बन पाते उन्हें बच्चों को गोद लेना चाहिए। इसके अलावा सरकार द्वारा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जनसंख्या नियंत्रण पर दिए गए निर्देशों का पालन भी करना चाहिए। अगर समय रहते हमने जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान नहीं दिया तो 1 दिन ऐसा आएगा कि हमारे पास सांस लेने के लिए खुली हवा तक नहीं होगी। 

Population Explosion Essay in Hindi 500 words

भारत एक प्रगतिशील देश है। जिस तरह भारत देश सभी चीजों में आगे बढ़कर देश दुनिया में अपना नाम रोशन कर रहा है,उसी तरह भारत आबादी में भी आगे बढ़ रहा है। पिछले सालों में भारत में आबादी का कुछ ऐसा विस्फोट हुआ है। जिससे कि भारत की आबादी काफी अधिक बढ़ गई है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार इतनी आबादी देश के विकास और देश के लोगों के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। बढ़ती हुई आबादी के कारण मानव जीवन खतरे में पड़ सकता है। इसके अलावा और भी कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

भारत में जनसंख्या की स्थिति

बात अगर भारत की जनसंख्या की की जाए तो आज 2023 में भारत की कुल जनसंख्या 140.70 करोड़ है। रिपोर्ट के अनुसार 2011 में हुई जनगणना में भारत की कुल आबादी 121 करोड़ थी,जो कि विश्व की कुल आबादी का 17% हिस्सा था। भारत की जनसंख्या में हर साल 15% से 17% की वृद्धि हो रही है। 2011 में हुई जनगणना के अनुसार भारत में 52% जनसंख्या पुरुषों की है और 48% जनसंख्या महिलाओं की गई। यह जनसंख्या का स्तर काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। अब भारत सरकार को भी अन्य देशों की तरह जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना चाहिए।

बढ़ती जनसंख्या के दुष्प्रभाव

बढ़ती हुई जनसंख्या का फायदा तो एक भी नहीं है, लेकिन दुष्प्रभाव कई सारे हैं। जनसंख्या के दुष्प्रभाव कुछ इस प्रकार है, प्राकृतिक संसाधनों की कमी , पर्यावरण पर दुष्प्रभाव, समाज पर दुष्प्रभाव, सरकारी सुविधाओं पर दुष्प्रभाव, प्राकृतिक खदानों पर दुष्प्रभाव। जैसा कि हम सभी जानते हैं बढ़ती हुई आबादी के कारण हम लगातार वनों की कटाई करते जा रहे हैं जिससे कि वन में रहने वाले प्राणियों का जीवन भी खतरे में पड़ता जा रहा है। मानव अपने विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रहा है लेकिन इसी तरह अगर आबादी बढ़ती रही तो 1 दिन सब कुछ नष्ट हो जाएगा।

जनसंख्या को बढ़ने से कैसे रोके (Jansankhya Niyantran ke Upay)

जनसंख्या को बढ़ने से रोकने के लिए सबसे पहले लोगों को जागरूक करना होगा। आज भी समाज में ऐसे कई लोग हैं जिनकी मानसिकता काफी पुरानी है लोग वंश बढ़ाने के लिए लड़के की चाह में लगातार बच्चे पैदा करते जा रहे हैं। लोगों को अब बच्चों को गोद लेने की तरफ आगे बढ़ना होगा। इसके अलावा यौन शिक्षा भी लोगों को देना चाहिए। भारत में सरकार को शादी की उम्र बढ़ा देनी चाहिए। प्रतिवर्ष 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन लोगों को परिवार नियोजन के बारे में बताया जाना चाहिए।

सभी लोगों को जनसंख्या नियंत्रण करने में अपना योगदान देना चाहिए। यदि आज हम समय पर जनसंख्या नियंत्रण पर ध्यान नहीं देंगे तो अभी समय हमें और हमारी आने वाली पीढ़ी को कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। पृथ्वी पर मौजूद सरदार और प्राण देने वाले तत्व सीमित मात्रा में है और बढ़ती आबादी के कारण या तो यह प्रदूषित हो रहे हैं या फिर नष्ट होते जा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार 2050 तक विश्व की आबादी 9 अरब से अधिक हो जाएगी। ऐसे में लोगों के पास रहने के लिए ना तो घर होगा और ना खाने के लिए भोजन।

Population Control Essay in Hindi

हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस “Jansankhya Essay in Hindi” जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह Population Essay in Hindi अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Jansankhya Essay in Hindi कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.

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भारत में जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर निबंध | जनसंख्या वृद्धि पर निबंध हिंदी में | essay on problem of population growth in hindi

समय समय पर हमें छोटी कक्षाओं में या बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में निबंध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध हमारे जीवन के विचारों एवं क्रियाकलापों से जुड़े होते है। आज hindiamrit.com   आपको निबंध की श्रृंखला में  भारत में जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर निबंध | जनसंख्या वृद्धि पर निबंध हिंदी में | essay on problem of  population growth in hindi प्रस्तुत करता है।

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इस निबंध के अन्य शीर्षक / नाम

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पहले जान लेते है भारत में जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर निबंध | जनसंख्या वृद्धि पर निबंध हिंदी में | essay on problem of  population growth in hindi की रूपरेखा ।

निबंध की रूपरेखा

(1) प्रस्तावना (2) जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न समस्याएं (3) जनसंख्या वृद्धि के कारण (4) जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के उपाय (5) उपसंहार

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जनसंख्या-वृद्धि की समस्या भारत के सामने विकराल रूप धारण करती जा रही है।

सन् 1930-31 में अविभाजित भारत की जनसंख्या 20 करोड़ थी, जो अब केवल भारत में 121.02 करोड से ऊपर पहुँच चकी है।

जनसंख्या की इस अनियंत्रित वृद्धि के साथ दो समस्याएँ मुख्य रूप से जुड़ी हुई हैं- (1) सीमित भूमि तथा (2) सीमित आर्थिक संसाधना अनेक अन्य समस्याएं भी इसी समस्या से अविच्छिन्न रूप से जुड़ी हैं: जैसे-समस्त नागरिकों की शिक्षा स्वच्छता, चिकित्सा एवं अच्छा बातावरण उपलब्ध कराने की समस्या।

इन समस्याओं का निदान न होने के कारण भारत क्रमशः एक अजायबघर बनता जा रहा है जहाँ चारा और व्याप्त अभावग्रस्त, अस्वच्छ एवं अशिष्ट परिवेश से किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को विरक्ति हो उठती है और मातृभूमि की यह दशा लज्जा का विषय बन जाती है।

जनसंख्या-वृद्धि से उत्पन्न समस्याएँ

आचार्य विनोबा भावे जी ने कहा था, “जो बच्चा एक मुँह लेकर पैदा होता है, वह दो हाथ लेकर आता है।”

आशय यह है कि दो हाथों से पुरुषार्थ करके व्यक्ति अपना एक मुँह तो भर ही सकता है । पर यह बात देश के औद्योगिक विकास से जुड़ी है। यदि देश की अर्थव्यवस्था बहुत सुनियोजित हो तो वहाँ रोजगार के अवसरों की कमी नहीं रहती।

लघु उद्योगों से करोड़ों लोगों का पेट भरता था। अब बड़ी मशीनों और उनसे अधिक शक्तिशाली कम्प्यूटरों के कारण लाखों लोग बेरोजगार हो गये और अधिकाधिक होते जा रहे हैं।

आजीविका की समस्या के अतिरिक्त जनसंख्या-वृद्धि के साथ एक ऐसी समस्या भी जुड़ी हुई है, जिसका समाधान किसी के पास नहीं; वह है सीमित भूमि की समस्या।

भारत का क्षेत्रफल विश्व का कुल 2.4 प्रतिशत ही है, जब कि यहाँ की जनसंख्या विश्व की जनसंख्या की लगभग 17.5 प्रतिशत है; अत: कृषि के लिए भूमि का अभाव हो गया है।

इसके परिणामस्वरूप भारत की सुख-समृद्धि में योगदान करने वाले अमूल्य जंगलों को काटकर लोग उससे प्राप्त भूमि पर खेती करते जा रहे हैं, जिससे अमूल्य वन-सम्पदा का विनाश, दुर्लभ वनस्पतियों का अभाव, पर्यावरण प्रदूषण की समस्या, वर्षा पर कुप्रभाव एवं अमूल्य जंगली जानवरों के बंशलोप का भय उत्पन्न हो गया है।

उधर हस्त-शिल्प और कुटीर उद्योगों के चौपट हो जाने से लोग आजीविका की खोज में, ग्रामों से भागकर शहरों में बसते जा रहे हैं, जिससे कुपोषण, अपराध, आवास आदि की विकट समस्याएँ उठ खड़ी हुई हैं।

जनसंख्या-वृद्धि का सबसे बड़ा अभिशाप है-किसी देश के विकास को अवरुद्ध कर देना; क्योंकि बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए खाद्यान्न और रोजगार जुटाने में ही देश की समस्त शक्ति लग जाती है, जिससे अन्य किसी दिशा में सोचने का अवकाश नहीं रहता।

ये समस्याएँ भी सुलझाना आसान नहीं; क्योंकि कृषि-भूमि सीमित है और औद्योगिक विकास भी एक सीमा तक ही सम्भव है।

प्रत्येक देश तेजी से औद्योगिक उन्नति कर रहा है और अपने देश में तैयार माल को दूसरे देशों के बाजारों में खपाना चाहता है।

फलत: औद्योगिक क्षेत्र में भयंकर स्पद्धा चल पड़ी है, जो राजनीति को भी गहराई तक प्रभावित कर रही है।

जनसंख्या-वृद्धि के कारण

प्राचीन भारत में आश्रम-व्यवस्था द्वारा मनुष्य के व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन को नियन्त्रित कर व्यवस्थित किया गया था। सौ वर्ष की सम्भावित आयु का केवल चौथाई भाग (25 वर्ष) ही गृहस्थाश्रम के लिए था।

व्यक्ति का शेष जीवन शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्तियों के विकास तथा समाज-सेवा में ही बीतता था। गृहस्थ जीवन में भी संयम पर बल दिया जाता था।

इस प्रकार प्राचीन भारत का जीवन मुख्यत: आध्यात्मिक और सामाजिक था,जिसमें व्यक्तिगत सुख-भोग की गुंजाइश कम थी। आध्यात्मिक वातावरण की चतुर्दिक् व्याप्ति के कारण लोगों की स्वाभाविक प्रवृत्ति ब्रह्मचर्य, संयम और सादे जीवन की ओर थी।

फिर उस समय विशाल भू-भाग में जंगल फैले हुए थे, नगर कम थे। अधिकांश लोग ग्रामों में या ऋषियों के आश्रमों में रहते थे, जहाँ प्रकृति के निकट-सम्पर्क से उनमें सात्त्विक भावों का संचार होता था।

आज परिस्थिति उल्टी है। आश्रम-व्यवस्था के नष्ट हो जाने के कारण लोग युवावस्था से लेकर मृत्युपर्यन्त गृहस्थ ही बने रहते हैं, जिससे सन्तानोत्पत्ति में निरन्तर वृद्धि हुई है।

दूसरे, हिन्दू धर्म में पुत्र प्राप्ति को मोक्ष या मुक्ति में सहायक माना गया है । इसलिए पुत्र न होने पर सन्तानोत्पत्ति का क्रम जारी रहता है तथा अनेक पुत्रियों का जन्म हो जाता है ।

ग्रामों में कृषि-योग्य भूमि सीमित है। सरकार द्वारा भारी उद्योगों को बढ़ावा दिये जाने से हस्तशिल्प और कुटीर उद्योग चौपट हो गये। उससे गांवों का आर्थिक ढाँचा लडखडा गया है।

इस प्रकार सरकार द्वारा गाँवों की लगातार उपेक्षा के कारण बहा विकास के अवसर अनुपलब्ध होते जा रहे है, जिससे ग्रामीण यवक नगरों की ओर भाग रहे हैं, जिससे ग्राम-प्रधान भारत शहरंकरण की कारण बनता जा रहा है।

उधर शहरो मे स्वस्थ मनोरंजन के साधन स्वल्प होने से अपेक्षाकृत सम्पन्न वर्ग को प्रायः सिनेमा या दूरदर्शन  पर ही निर्भर रहना पड़ता है, जो कृत्रिम पार्चात्य जीवन-पद्धति का प्रचार कर वासनाओं को उभारता है।

दूसरी ओर अपर्याप्त आय वालों को ये साधन भी उपलब्ध न होने से ये प्रायः स्त्री-संग को ही दिल बहलाव का एकमात्र साधन मान लेते है,जिससे उनके सन्ताने बहुत होती हैं ।

आँकडे सिद्ध करते हैं कि उन्नत जीवन-स्तर वालों की अपेक्षा निम्न जीवन-स्तर वालों की सन्ताने कहीं अधिक होती हैं।

इसके अतिरिक्त बाल-विवाह, गर्म जलवायु, रूढ़िवादिता, चिकित्सा-सुविधाओं के कारण मृत्यु-दर में कमी आदि भी जनसंख्या-वृद्धि की समस्या को विस्फोटक बनाने में सहायक हुए हैं।

जनसंख्या-वृद्धि को नियन्त्रित करने के उपाय

जनसंख्या-वृद्धि को नियन्त्रित करने का सबसे स्वाभाविक और कारगर उपाय तो संयम या ब्रह्मचर्य ही है।

इससे नर, नारी, समाज और देश सभी का कल्याण है, किन्तु वर्तमान भौतिकवादी युग में जहाँ अर्थ और काम ही जीवन का लक्ष्य बन गये हैं, वहाँ ब्रह्मचर्य-पालन आकाश-कुसुम हो गया है। फिर सिनेमा, पत्र-पत्रिकाएँ, दूरदर्शन आदि प्रचार के माध्यम भी वासना को उद्दीप्त करके पैसा कमाने में लगे हैं।

उधर अशिक्षा और बेरोजगारी इसे हवा दे रही है। फलत: सबसे पहले आवश्यकता यह है कि भारत अपने प्राचीन स्वरूप को पहचानकर अपनी प्राचीन संस्कृति को उज्जीवित करे।

प्राचीन भारतीय संस्कृति, जो अध्यात्म प्रधान है, के उज्जीवन से लोगों में संयम की ओर स्वाभाविक प्रवृत्ति बढ़ेगी, जिससे नैतिकता को बल मिलेगा और समाज में विकराल रूप धारण करती आपराधिक प्रवृत्तियों पर स्वाभाविक अंकश लगेगा; क्योंकि विश्वनी ही बैयक्तिक, पारिवारिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय समस्याएं व्यक्ति के चरित्रोन्नयन से हल हो सकती हैं।

भारतीय संस्कृति के के लिए अंग्रेजी की शिक्षा का बहुत सामित करके सस्कृत और भारतीय भाषाओं के अध्ययन-अध्यापन पर विशेष बल देना होगा।

इसके अतिरिक्त पश्चिमी देशों की होड़ में सम्मिलित होने का मोह त्यागकर अपने देशी उद्योग-धन्धों, हस्तशिल्प आदि को पुन: जीवनदान देना होगा।

भारी उद्योग उन्हों देशों के लिए उपयोगी है, जिनकी जनसंख्या बहुत कम हे; अंत: कम हाथों से अधिक उत्पादन के लिए भारी उद्योगों की स्थापना की जाती है।

भारत जैसे विपुल जनसंख्या वाले देश में लघु-कुटीर उद्योगों के प्रोत्साहन की आवश्यकता है, जिससे अधिकाधिक लोगों को रोजगार मिल सके और हाथ के कारीगरों को अपनी प्रतिभा के प्रकटीकरण एवं विकास का अवसर मिल सके, जिसके लिए भारत किसी समय विश्वविख्यात था।

इससे लोगों की आय बढ़ने के साथ-साथ उनका जीवन-स्तर भी सुधरेगा और सन्तानोत्पत्ति में निश्चय ही पर्याप्त कमी आएगी। जनसंख्या-वृद्धि को नियन्त्रित करने के लिए लड़के-लड़कियों की विवाह-योग्य आयु बढ़ाना भी उपयोगी रहेगा।

साथ ही समाज में पुत्र और पुत्री के सामाजिक भेदभाव को कम करना होगा। पुत्र-प्राप्ति के लिए सन्तानोत्पत्ति का क्रम बनाये रखने की अपेक्षा छोटे परिवार को ही सुखी जीवन का आधार बनाया जाना चाहिए तथा सरकार की ओर से सन्तति निरोध का कड़ाई से पालन कराया जाना चाहिए।

इसके अतिरिक्त प्रचार-माध्यमों पर प्रभावी नियन्त्रण के द्वारा सात्त्विक, शिक्षाप्रद एवं नैतिकता के पोषक मनोरंजन उपलब्ध कराये जाने चाहिए।

ग्रामों में सस्ते-स्वस्थ मनोरंजन के रूप में लोक-गीतों, लोक-नाट्यो (नौटंकी, रास, रामलीला, स्वांग आदि),कश्ती, खो-खो आदि की पुरानी परम्परा को नये स्वरूप प्रदान करने की आवश्यकता है। साथ ही जनसंख्या-वृद्धि के दुष्परिणामी से भी ग्रामीण और अशिक्षित जनता को भली-भाँति अवगत कराया जाना चाहिए।

जहाँ तक परिवार-नियोजन के कृत्रिम उपायों के अवलम्बन का प्रश्न है, उनका भी सीमित उपयोग किया जा सकता है। वर्तमान युग में जनसंख्या की अति त्वरित-वृद्धि पर तत्काल प्रभावी नियन्त्रण के लिए गर्भ-निरोधक ओषधियों एवं उपकरणों का प्रयोग आवश्यक हो गया है।

परिवार-नियोजन में देशी जड़ी-बूटियों के उपयोग पर भी अनुसन्धान चल रहा है।

सरकार ने अस्पतालों और चिकित्सालयों में नसबन्दी की व्यवस्था की है तथा परिवार-नियोजन से सम्बद्ध कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए केन्द्र एवं राज्य स्तर पर अनेक प्रशिक्षण-संस्थान भी खोले हैं।

जनसंख्या-वृद्धि को नियन्त्रित करने का वास्तविक स्थायी उपाय तो सरल और सात्त्वक जीवन-पद्धति अपनाने में ही निहित है, जिसे प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को ग्रामों के आर्थिक विकास पर विशेष ध्यान देना चाहिए, जिससे ग्रामीणों का आजीविका की खोज में शहरों की ओर पलायन रुक सके।

वस्तुत: ग्रामों के सहज प्राकृतिक वातावरण में संयम जितना सरल है, उतना शहरों के घुटन भरे आडम्बरयुक्त जीवन में नहीं।

शहरों में भी प्रचार-माध्यमों द्वारा प्राचीन भारतीय संस्कृति के प्रचार एव स्वदेशी भाषाओं की शिक्षा पर ध्यान देने के साथ-साथ ही परिवार-नियोजन के कृत्रिम उपायों-विशेषतः आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के प्रयोग पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

समान नागरिक आचार-संहिता प्राथमिक आवश्यकता है, जिसे विरोध के बावजूद अविलम्ब लागू किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि जनसंख्या-वृद्धि की दर घटाना आज के युग की सर्वाधिक जोरदार माँग है, जिसकी उपेक्षा आत्मघाती होगी।

दोस्तों हमें आशा है की आपको यह निबंध अत्यधिक पसन्द आया होगा। हमें कमेंट करके जरूर बताइयेगा आपको भारत में जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर निबंध | जनसंख्या वृद्धि पर निबंध हिंदी में | essay on problem of  population growth in hindi कैसा लगा ।

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  • Essays in Hindi /

Jansankhya Visfot Par Nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) कैसे लिखें और जानिए जनसंख्या विस्फोट पर निबंध पर आधारित सैंपल्स

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  • Updated on  
  • अप्रैल 20, 2023

Jansankhya Visfot Par Nibandh

भारत अब दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी की गई ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार भारत ने जनसँख्या के मामले में चीन को पछाड़ पहला स्थान प्राप्त कर लिया है। एक साल में भारत की जनसंख्या में 1.56 फीसदी तक बढ़त देखी गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार अब भारत की आबादी 142.86 करोड़ तक पहुँच गई है जबकि 142.57 करोड़ के साथ चीन दूसरे नंबर पर खिसक चुका है। आईये इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ें और जानिए जनसंख्या विस्फोट पर निबंध, jansankhya visfot par nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) पर आधारित सैंपल्स, जनसंख्या विस्फोट पर निबंध 300 शब्दों में। 

जनसँख्या विस्फोट किसे कहते हैं?

किसी विशेष क्षेत्र में मनुष्यों की जनसंख्या में अचानक निरंतर वृद्धि को जनसँख्या विस्फोट कहते हैं। यह किसी शहर या देश दोनों में हो सकता है। विश्व की मानव आबादी के सन्दर्भ में इस शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। जनसँख्या विस्फोट भारत में एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है क्योंकि जनसँख्या में वृद्धि से गरीबी और निरक्षरता में बढ़त देखी जा रही है। ऐसे में, देश की अर्थव्यवस्था संकट में पड़ सकती है। इस समस्या को पहचानते हुए, भारत सरकार और कई राज्य सरकारों द्वारा इसके निवारण के लिए कानून बनाए गए हैं।  

जनसँख्या विस्फोट पर निबंध कैसे लिखें?

Jansankhya visfot par nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) लिखते समय इन बातों का ध्यान रखें –

  • निबंध की भाषा जनसँख्या विस्फोट विषय के अनुरूप होनी चाहिए।
  • जनसँख्या विस्फोट से संबंधित समस्त तथ्यों की चर्चा की जानी चाहिए।
  • विचारों में क्रमबद्धता एवं तारतम्यता होनी चाहिए।
  • वाक्यों की पुनरावृति से बचना चाहिए।
  • वर्तनी की अशुद्धियां नहीं होनी चाहिए।
  • निबंध के अंतिम अनुच्छेद या उप संहार के अंतर्गत पूरे निबंध का सारांश दिया होना चाहिए।
  • निर्धारित शब्द सीमा का ध्यान रखते हुए निबंध लिखा जाना चाहिए।

जनसँख्या विस्फोट से जुड़े कुछ तथ्य

Jansankhya visfot par nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) लिखने से पहले जनसँख्या विस्फोट से जुड़े कुछ तथ्य जान लेना आवश्यक है। 

  • साल 2023 की गणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 142 करोड़ हैं। 
  • भारत में, पूरी आबादी में 48.04 प्रतिशत महिलाएं और 51.96 प्रतिशत पुरुष हैं।
  • उत्तर प्रदेश सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है। 
  • अरुणाचल प्रदेश सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य है।
  • केरल राज्य में महिलाओं का अनुपात सबसे अधिक हैं। 
  • हरियाणा में यह अनुपात सबसे कम है। 

Jansankhya Visfot Par Nibandh

जनसँख्या विस्फोट के मुख्य कारण

जनसंख्या विस्फोट का प्रमुख कारण मृत्यु दर और जन्म दर के बीच बड़ा अंतर होता है, इसके अलावा, अन्य कारण भी हैं जिनसे जनसंख्या विस्फोट हुआ है जैसे:

  • चिकित्सा क्षेत्र में विकास के कारण, हमने जीवन प्रत्याशा दर में वृद्धि और साथ ही मृत्यु दर में कमी देखी है जो लोगों को लंबे समय तक जीने में मदद कर रही है।
  • अशिक्षा के कारण आम जनता में जानकारी और जागरूकता की कमी होने से जनसंख्या में वृद्धि देखी गई है।
  • शिक्षित लोग जन्म नियंत्रण- बर्थ कण्ट्रोल मेथड्स के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, लेकिन देश में एक बड़ी आबादी के पास सेक्स एजुकेशन और उचित बर्थ कण्ट्रोल मेथड्स तक पहुंच नहीं है। 
  • पारंपरिक लोग जो संतान रूप में एक लड़की की अपेक्षा एक लड़के को पसंद करते हैं, परिवार में एक लड़के के पैदा होने तक बच्चे को जन्म देने की कोशिश करते हैं।
  • बाल विवाह भी जनसंख्या में तीव्र वृद्धि के लिए एक आवश्यक कारक है।

जनसंख्या विस्फोट से बचने के कुछ उपाय

जनसँख्या विस्फोट से बचने के कुछ उपाय हैं –

  • जनसँख्या निवारण नीतियाँ- योजनाएँ 
  • जनसँख्या विस्फोट के बारे में जागरूकता फैलाना 
  • स्कूल लेवल से ही स्टूडेंट्स को सेक्स एजुकेशन देना 
  • जनसँख्या कानूनों का दृणता से पालन 
  • कानून का उलंघन करने वालों के प्रति कार्यवाही 
  • अलग से एक जनसँख्या मंत्रालय की स्थापना 
  • बाल विवाह प्रतिबंध 
  • परिवार नियोजन कार्यक्रम का ज़ोर-शोर से प्रचार- प्रसार 

Population Explosion Essay in Hindi 100 शब्दों में

जैसा कि आप सभी जानते हैं, भारत की जनसंख्या में निरंतर वृद्धि होने के कारण भारत चीन को पछाड़कर दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। यह एक ऐसी उपलब्धि होगी जिस पर गर्व करना संभव नहीं होगा। यही वजह है कि भारत में 2 चाइल्ड पालिसी को लागू करना कंसीडर किया जा रहा है। सरल शब्दों में कहा जाए तो जब किसी देश की जनसँख्या की मृत्यु दर में कमी होती है, बाल मृत्यु दर में कमी होती है और जन्मदर और जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेक्टेंसी) में वृद्दि होती है तो इन सबके कंबाइंड इफ़ेक्ट के कारण जनसंख्या में बहुत तेज़ी से बढ़ोत्तरी देखी जाती है। इसको ही जनसँख्या विस्फोट कहते हैं। 

यह अक्सर कम विकसित देशों में देखने को मिलता है। भारत में यह स्थिति 1970 के दशक में देखी गई थी। वर्तमान में, भारत की जनसँख्या वृद्धि दर में कमी आई है। भारत विश्व का सबसे युवा देश माना जाता है। 

यह था जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Jansankhya Visfot par Nibandh) 100 शब्दों में। 

जनसँख्या विस्फोट निबंध 250 शब्द

भारत के लिए जनसँख्या का विषय काफ़ी चिंताजनक बन चुका है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की हर 10 साल के अंतराल में जनगणना की जाती है। इस जनगणना में जनसँख्या वृद्धि दर, जनसँख्या घनत्व, जनसँख्या और उपभोक्ता, मृत्यु- दर, जन्म- दर के आंकड़े भी शामिल होते हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं कि पिछली जनगणना 2011 में की गई थी। इसके बाद 2021 में अगली जनगणना आयोजित की जानी थी लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया। जनसँख्या वृद्धी एक ओर जहाँ देश के विकास में सहायक साबित होती है वहीं यह शोषण का बहुत बड़ा कारण भी बनती है। 

जनसँख्या विस्फोट प्राकर्तिक संसाधनों और पर्यावरण की दृष्टि से बहुत हानिकारक है। जनसँख्या में वृद्धि होना, प्राकर्तिक संसाधनों की खपत में वृद्धि से सीधा सम्बंधित है। यह सभी जानते हैं कि चीन को पछाड़कर वर्तमान में सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाला देश भारत ही है। भारत दुनिया की 17.5% आबादी के साथ दुनिया के 2.4% भूमि क्षेत्र को घेरता है। आंकड़ों के अनुसार, दुनिया का हर छठा व्यक्ति भारतीय है। रिपोर्ट्स के अनुसार ऐसा अनुमानित है कि 2030 तक दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। 

बाल विवाह, अशिक्षा, गरीबी, रूढ़िवादिता आदि जैसी समस्याओं के निवारण से ही भारत की बढ़ती जनसँख्या दर में रोकथाम संभव है। व्यग्तिगत स्तर पर हम सरकार से आग्रह कर सकते हैं कि जनसँख्या से जुड़े सख्त कानून बनाए जाएं और उनका दृणता से पालन किया जाए। इसके साथ ही हमें जन-जन तक जनसँख्या वृद्धि से सम्बंधित जागरूकता फैलानी चाहिए। 

तो यह था 250 शब्दों में जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Jansankhya Visfot par Nibandh) का हमारा सैंपल। 

जनसँख्या विस्फोट निबंध 400 शब्द

किसी भी चीज़ का विस्फोट होना तब कहा जाता है जब वह अनियंत्रित तरीके से बढ़ती है। जब इस तरह इंसानों की जनसँख्या में वृद्धि होती है तो इसे जनसँख्या विस्फोट कहा जाता है। यह चिंताजनक बात है कि जनसँख्या 5 अरब के पार पहुँच चुकी है। इसके साथ ही स्त्री- पुरुष लिंगानुपात में बहुत बड़ा अंतर आ चुका है। 

जनसंख्या विस्फोट का मुख्य कारण शिक्षा की कमी, निरक्षरता, उचित सेक्स एजुकेशन की कमी, कर्मकांड, और अंधविश्वास है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश और बिहार को देख लीजिए- यह दोनों राज्य देश के सबसे अधिक जनसँख्या वाले क्षेत्र हैं और यहीं पर सबसे अधिक अंधविश्वास का प्रचलन होता है। भविष्य में अधिक जनसंख्या संसाधनों के विकास और शोषण की कमी की ओर ले जाती है। भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है लेकिन विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक दुनिया में ताकत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। 

इस तरह की स्थिति में हमारा देश भारत 70 के दशक में फंस गया था। इसके ही कारण है भारत की नीति निर्माताओं द्वारा उस समय “हम दो हमारे दो” का नारा दिया था और जनसंख्या नियंत्रण के लिए नशबंदी अभियान चलाया गया था। 

इस प्रकार यह बात स्पष्ट होती है कि जनसँख्या विस्फोट की स्थिति सभी देशों के विकास में बाधक होती है। यह इस तरह की वृद्धि है जिस पर अल्प विकसित देशों को घमंड करने की वजाय शर्म आती है। दूसरी तरफ़ विश्व में जापान, रूस और फ़्रांस जैसे देश हैं जहाँ की जनसँख्या वृद्धि नकारात्मक दौर में पहुँच गयी है। ऐसे देशों की सरकारों द्वारा लोगों से जनसँख्या बढ़ाने की रिक्वेस्ट करी जा रही है और कुछ देशों में एक से अधिक बच्चे पैदा करने पर सरकार के द्वारा नागरिकों को पैसा भी दिया जा रहा है। 

जनसंख्या विस्फोट में बहुत नकारात्मक तत्त्व हैं और इसमें कुछ भी सकारात्मक देखने को नहीं मिलता है। इसका नियंत्रण करने के लिए हमें एक निश्चित नियम लाना चाहिए। हालाँकि केंद्र सरकार द्वारा कई लाभ प्रदान किए जाते हैं, फिर भी कई ऐसे हैं जो इसके बारे में जानते भी नहीं हैं। लोगों में इसके प्रति जागरूकता विकसित करने के लिए विभिन्न तरह के कार्यक्रम और अभियानों को चलाया जाना चाहिए। इसके अलावा, जन जागरूकता बढ़ाकर और विभिन्न सख्त जनसंख्या नियंत्रण मानदंडों का आयोजन करके इन समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। हमें व्यक्तिगत स्तर पर बस इतना करना है कि संभव उपाय करें और देश के अच्छे नागरिक बनें। 

तो यह था जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Jansankhya Visfot par Nibandh) पर 400 शब्दों में हमारा सैंपल। 

एक शोध के अनुसार भारत में प्रति मिनट 250 से अधिक बच्चे पैदा होते हैं, और हर साल औसतन 120 मिलियन बच्चे पैदा होते हैं।  साल 2023 की गणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 142 करोड़ हैं।

मृत्यु दर में तेज़ गिरावट भारत की जनसंख्या में वृद्धि की दर का मुख्य कारण देखा गया है। 

बेबी बूम- जनसँख्या विस्फोट का अच्छा उदाहरण है। अमेरिका में, 1946 और 1964 के बीच जन्म दर में वृद्धि; साथ ही, उस अवधि के दौरान अमेरिका में पैदा हुई पीढ़ी।

आशा करते हैं कि आपको Jansankhya Visfot par Nibandh (Population Explosion Essay in Hindi) पर आधारित यह ब्लॉग अच्छा लगा होगा। यदि आप हिंदी के इसी तरह के और भी आकर्षक ब्लॉग्स पढ़ना चाहते हैं तो आप Leverage Edu Hindi Blogs इस लिंक के द्वारा पढ़ सकते हैं।

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विशाखा सिंह

A voracious reader with degrees in literature and journalism. Always learning something new and adopting the personalities of the protagonist of the recently watched movies.

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दा इंडियन वायर

बढ़ती जनसंख्या एक समस्या पर निबंध – दुष्परिणाम

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By मनीष कुमार साहू

बढ़ती जनसंख्या पर निबंध

जनसंख्या वृद्धि मतलब, एक ऐसी स्थिति उत्पन्न होना जिसमें लोगों की संख्या ना चाहते हुए भी इतनी ज्यादा हो जाए कि खाने रहने के लिए स्रोतों की कमी पड़ने लगे।

आज विश्व की कुल आबादी 7 अरब से ज्यादा है जिनमें से सबसे ज्यादा चीन और उसके बाद भारत का नंबर आता है। बढ़ती जनसंख्या इतनी बड़ी समस्या है, कि जिसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल होता है।

अगर मोटे तौर पर देखा जाए तो किसी देश की जनसंख्या जितनी ज्यादा होगी उस देश की में प्राकृतिक संसाधनों और स्त्रोतों की ज्यादा जरूरत होगी।

और इस स्थिति में उस देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति बिगड़ जाती है। चीन ने इस समस्या को पहले ही भांप लिया था, इसीलिए कई दशक पहले उसने एक बच्चे से अधिक पैदा करने पर कई तरह के दण्ड लगा दिए थे। जिसकी वजह से ज्यादातर लोग एक ही बच्चा पैदा करते थे। हालांकि अब इसमें कुछ बदलाव किया गया है।

खैर, कुछ आंकड़ों पर भी नजर डाल लेते हैं। उत्तरी अमेरिका दुनिया के 16 प्रतिशत भू भाग में है जबकि दुनिया की सिर्फ 6% जनता वहां निवास करती है। उससे भी हैरानी की बात तो यह है कि दुनिया की 45% इनकम उन्ही के पास है।

दूसरी तरफ एशिया दुनिया के 18% भूभाग पर फैला हुआ है जबकि दुनिया की 67 प्रतिशत जनता इसी भू भाग पर निवास करती है। लेकिन फिर भी विश्व के इनकम का सिर्फ 12% हिस्सा इनके पास है। अगर अफ्रीकी देशों की बात करें तो वहां की स्थिति और भी खराब है।

इन आंकड़ों से एक बात जो आसानी से समझी जा सकती है, वह यह कि अतिक्रमी आबादी वाले देशों की आर्थिक सामाजिक स्थिति हमेशा चिंताजनक ही रहती है। उनके नागरिकों को ना सिर्फ भरपेट भोजन मिलने में दिक्कत होती बल्कि जो भोजन मिलता भी है उसकी गुणवत्ता बहुत कम दर्ज की होती है।

इस अतिक्रमी आबादी का दुष्प्रभाव दक्षिण एशियाई देशों जैसे चीन, बांग्लादेश, फिलीपींस, भारत और पाकिस्तान में आसानी से देखा जा सकता है।

7 अरब की आबादी वाले विश्व में 1.3 अरब जनसंख्या के साथ भारत आबादी के मामले में दूसरे नंबर पर आता है। और देश की तमाम गंभीर समस्याओं के साथ यह भी एक गंभीर समस्या है। भारत में कई प्रदेशों की जनसंख्या तो विश्व के कई देशों की जनसंख्या से भी ज्यादा है। और उनमें सबसे आगे है-उत्तर प्रदेश। जिसमें 166 मिलियन यानी 16 करोड़ से भी ज्यादा की जनसंख्या निवास करती। जो की रूस की जनसंख्या से ज्यादा है। क्योंकि रूस की कुल जनसंख्या लगभग 15 करोड़ के आस-पास की है। इसी प्रकार उड़ीसा कनाडा से छत्तीसगढ़ ऑस्ट्रेलिया से ज्यादा आबादी वाले प्रदेश हैं।

विषय-सूचि

बढ़ती जनसंख्या के कारण

1. मृत्यु दर के मुकाबले जन्मदर में अधिकता.

किसी भी देश की जनसंख्या में उतार-चढ़ाव के मुख्य और प्राकृतिक कारण होता है, जन्म दर और मृत्यु दर। भारत में अभी स्थिति यह है कि जन्म दर मृत्यु दर के मुकाबले बहुत अधिक है। 2016 के हिसाब से देखें तो 2016 में जन्म दर 19.3 प्रति 1000 था। अर्थात किसी एक निश्चित समय अवधि में 1000 लोगों को बीच 19.3 नए बच्चे जन्म ले रहे हैं।

जबकि उतनी ही समय अवधि में 1000 लोगों के मध्य 7.3 लोगों की ही मृत्यु हो रही है। यानी हर पल लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। ये नही कहा जा रहा है कि मृत्यु दर को बढ़ाया जाए बल्कि ध्यान इसपर देना चाहिये कि जन्मदर को कैसे कम किया जाय।

2. परिवार नियोजन की कमी

भारत में अधिकतर लोगों के पास अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए कोई योजना नहीं होती। उन्हें लगता है कि 15 से 45 वर्ष की आयु में कभी भी बच्चे पैदा कर सकते हैं, और इस प्रकार उनके कई बच्चे हो जाते हैं।

जिससे उनके घर की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर तब पड़ता है, जब वह बच्चे बड़े होने लगते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होते ही साड़ी व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है।

3. धार्मिक रूढ़िवादिता

भारत जैसे देश में आज भी रूढ़िवादी मानसिकता वाले लोगों की कमी नहीं है, जो यह सोचते हैं कि परिवार बढ़ाने की योजना बनाना गलत है। जो कुछ भी है भगवान की देन है।

अधिकतर वह महिला जो बच्चे को जन्म देने वाली है उनसे इस विषय में कुछ नही कर पाती क्योंकि ऐसा करना भगवान के खिलाफ जाने जैसा हो जाता है।

वहीं मुस्लिम धर्म का तो अलग ही फंडा है, हिंदू के मुकाबले मुस्लिमों का जन्मदर कई गुना ज्यादा है।कुछ सर्वेक्षणों की मानें तो पुराने ख्यालात के साथ-साथ अपनी कौम को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने के चक्कर में मुसलमान दर्जनों का परिवार खड़ा कर लेते हैं।

4. कम उम्र में शादी

कम उम्र में शादी भी जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक हैं। आज के इस आधुनिक युग में भी बहुत सारे बच्चे-बच्चियों की शादी कम उम्र में ही हो जाती है।

उनकी शादी तभी कर दी जाती है, जब वह ना तो शारीरिक और मानसिक तौर पर फिट होते हैं और ना ही आर्थिक और भावनात्मक तौर पर मजबूत होते हैं। इस स्थिति में उनके भी कई सारे बच्चे हो जाते हैं जो कि जनसंख्या वृद्धि को और बढ़ावा देते हैं।

5. गरीबी

गरीबी भी देश की जनसंख्या बढ़ाने में अहम किरदार निभाती है। बहुत सारे परिवार के लोग इसलिए भी कई बच्चे पैदा कर लेते हैं क्योंकि उन्हें अपना जीवन चलाने के लिए बच्चों की सहायता की जरूरत पड़ती है।

उनकी गरीबी उनको मजबूर करती रहती है कि वो कई बच्चे पैदा करें। बच्चे तो हो जाते हैं हैं लेकिन उनका भरण-पोषण वो अच्छे से नहीं कर पाते, जिससे वो गरीब से और गरीब होते चले जाते हैं।

6. शिक्षा की कमी

यहाँ तक जो भी कारण अभी बताए गए हैं, उनका एक कारण है शिक्षा की कमी। अगर पर्याप्त शिक्षा मिले तो परिवार नियोजन की कमी, धार्मिक रूढ़िवादिता, कम उम्र में शादी और गरीबी जैसे मुद्दों पर लड़ाई लड़ी जा सकती है। परिवार नियोजन ना सीधे-सीधे अशिक्षा और अज्ञानता की कमी की ओर इशारा करते हैं, खासकर महिलाओं में।

जो लोग अशिक्षित होते हैं उन्हें आँकड़े नही समझ में आते। उनको ये बात समझना मुश्किल हो जाता है कि देश में जनसंख्या विस्फोट से कितनी समस्याओं का जन्म होता है।

ये तो हो गए अतिक्रमी आबादी (जनसंख्या विस्फोट) के कुछ प्रमुख कारण, अब उनके दुष्परिणाम पर नजर डालते हैं।

बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणाम

1. प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव.

अधिक आबादी मतलब, प्राकृतिक संसाधनों की अधिकतम दोहन। अगर ज्यादा लोग होंगे तो उनके खाने-पीने से लेकर रहने और पहनने तक के लिए ज्यादा चीजों की जरूरत पड़ेगी।

सभी चीजों को उपलब्ध कराने के लिए लोग तरह-तरह के जुगाड़ लगाएंगे और वही जुगाड़ पृथ्वी पर अपना दबाव बनाता रहेगा। फलस्वरुप ग्लोबल वार्मिंग और खाने-पीने की चीजों की कमी जैसे तमाम मुद्दों पर चिंता बढ़ने लगेगी

2. गरीबी में बढ़ोतरी

जाहिर सी बात है कि लोग ज्यादा होंगे तो प्राकृतिक संसाधनों का दोहन ज्यादा होगा। लेकिन प्रकृति भी एक सीमित मात्रा में संसाधन दे सकती है।

उसके अलावा भी बहुत सारी चीजों की जरूरत पड़ती है। गरीबी के चलते लोगों के बच्चे ना तो पढ़ पाते हैं और ना ही आगे बढ़ पाते हैं। इस दशा में वो गरीब के गरीब ही रह जाते हैं।

3. पलायन की मजबूरी

इस देश में बहुत सारी जगह ऐसी है जहां पर पानी खाना जैसी तमाम प्राकृतिक संसाधनों की कमी है लोग पहले से ही गरीब रहते हैं और बढ़ती पीढ़ी के साथ गरीब चले जाते हैं क्योंकि उनकी जनसंख्या बढ़ती जाती है।

लेकिन जब किसी एक विशेष स्थान पर बहुत ज्यादा लोग निवास करने लगते हैं, वो भी कम संसाधन वाले क्षेत्र में तो जीवन चलना भी दूभर हो जाता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए वहाँ के लोगों को मजबूरी वश पलायन करना पड़ता है।

4. अमीर गरीब का अंतर

एक आदमी अपने घर में आधे दर्जन बच्चे पैदा कर लेता है, क्योंकि वह अशिक्षित है। वह शिक्षित इसलिए है क्योंकि वह गरीब था। और कभी भी लिख पढ़ नहीं पाया था।

अब ये जो आधे दर्जन बच्चे हैं यह भी गरीब ही रहेंगे, क्योंकि यह भी पढ़ लिख नहीं पाएंगे और शिक्षित नहीं हो पाएंगे। ये फिर वही पूरी प्रक्रिया दोहराएंगे जो इनके पूर्वजों ने दोहराया था। इस प्रकार वह हमेशा गरीब ही रहेंगे।

वही अमीर शिक्षित हैं और उसे पता है कि परिवार नियोजन के क्या-क्या उपाय हैं। इसलिए सीमित परिवार ही रखेगा और हर बढ़ती पीढ़ी के साथ अमीर होता चला जाएगा। इस प्रकार अतिक्रमी जनसंख्या से अमीर और गरीब के बीच का फर्क भी बढ़ता ही जाता है

तो यह थे समाज के कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अतिक्रमी जनसंख्या के पड़ने वाले प्रभाव। अब उनके निस्तारण की ओर चला जाए। आज के इस आधुनिक युग में अतिक्रमी जनसंख्या यानी जनसंख्या विस्फोट पर रोक लगाने में सफलता पा लेने का मतलब है- गरीबी, अशिक्षा बेरोजगारी आर्थिक पिछड़ापन जैसे तमाम समस्याओं से दूर कर देना।

हालांकि यह सब कुछ कर पाना इतना आसान नहीं है, लेकिन अगर कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान दिया जाए तो काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।

बढ़ती जनसँख्या का समाधान

1. परिवार नियोजन.

एक समृद्ध और खुशहाल देश के लिए यह जरूरी होता है कि उस देश के आम आदमी स्वस्थ रहें और उनकी जनसंख्या देश की आर्थिक स्थिति के अनुरूप हो।

यह तभी संभव है जब उस देश के आम आदमी इस बात को समझेंगे और परिवार नियोजन के उपाय अपनाकर जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में अपना योगदान देंगे।

2. नियंत्रित दर

नियंत्रित दर का मतलब यह है कि बच्चों के जन्म के बीच निश्चित अवधि का अंतर होना। जो कि बहुत जरूरी होता है। ऐसा करने पर जन्मदर को भी कम करने में सहायता मिलेगी।

दो बच्चों के बीच एक निश्चित अवधि का अंतर होता है तो माता-पिता के साथ साथ बच्चों के स्वास्थ्य भी ठीक-ठाक रहेगा। जब स्वास्थ्य ठीक रहेगा तो उनकी शिक्षा-दीक्षा भी सही रह पाएगी।

3. अल्पायु में शादी

जैसा की हमने अभी बताया था कि कम उम्र में शादी करना भी अतिक्रमी जनसंख्या का बहुत बड़ा कारण होता है, तो अगर कम उम्र में शादी ना हो तो अतिक्रमी जनसंख्या पर नियंत्रण करने में सहायता मिलेगी।

हालांकि हमारे देश के संविधान में लड़कियों की शादी 18 और लड़कों की 21 वर्ष में शादी का प्रावधान है, लेकिन देश के कई हिस्सों में अभी भी लोग बहुत कम उम्र में शादी कर देते हैं। जो कि समाज के लिए काफी घातक होता है।

4. महिलाओं का सशक्तिकरण

महिलाओं के सशक्तिकरण से देश बढ़ रही जनसंख्या को कम करने में आसानी मिल सकेगी। बहुत सारे मामलों में देखा जाता है कि परिवार बढ़ाने के मामले में महिलाओं की कोई राय नहीं ली जाती।

महिलाओं को तो इतना अधिकार भी नहीं दिया जाता कि वह अपनी राय सबके सामने रख सकें। वो बस बच्चे पैदा करने की मशीन भर बनकर रह जाती हैं।

ऐसे में अगर महिलाओं में सशक्तिकरण का विकास होगा तो उनमें भी निर्णय लेने की क्षमता का विकास होगा। और उन निर्णयों को अमल में लाने की क्षमता का भी विकास होगा।

5. प्राथमिक स्वास्थ्य में सुधार

वैसे तो सरकारें हमेशा से ही अच्छी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने का दावा करती है लेकिन ऐसा हो पाना मुश्किल ही रहता है। जब लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा तो वह अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने में पूरे जोर-शोर के साथ लगेंगे।

और जब उनकी आर्थिक स्थिति ठीक रहेगी तभी वह अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा, अच्छा खाना और अच्छी परवरिश दे पाएंगे। जब उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा अच्छी परवरिश मिलेगी तो वो जनसंख्या विस्फोट से होने वाले दुष्प्रभावों को अच्छे से समझ पाएंगे। और उसको कम करने की कोशिश करेंगे।

6. शिक्षा में सुधार

शिक्षा एक ऐसी कड़ी है जिसके बिना कुछ भी संभव पाना मुश्किल ही है। शिक्षा अगर नहीं है तो समाज के किसी भी वर्ग का उत्थान नहीं हो पाएगा। शिक्षा रहेगी तो लोगों को अच्छे-बुरे में फर्क करना समझ में आ जाएगा।

साथ ही उनकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति में भी सुधार होगा। उदाहरण के तौर पर किसान को ले लेते हैं क्योंकि किसान एक कमजोर आर्थिक स्थिति से आते हैं। अगर उनको अच्छी शिक्षा ना मिली तो वह वैसे ही रह जाएंगे जैसे उनकी पिछली पीढ़ी थी।

लेकिन अगर उनको अच्छी शिक्षा मिली तो अच्छी पढ़ाई करके वो किसान में ही अमूल चूल परिवर्तन करके अच्छा पैसा कमा सकेंगे या फिर किसान के अलावा भी बहुत कुछ कर सकेंगे ऐसे ही समाज के सभी वर्गों में होगा।

अतः अच्छी शिक्षा से जनसंख्या विस्फोट को कम करने में बहुत बड़ी सहायता मिलेगी।

7. जागरूकता फैलाकर

हमारे देश और समाज में एक बड़ी संख्या में ऐसी आयु वर्ग के लोग हैं जिन्हें अब स्कूल भेज पाना मुश्किल है। लेकिन अगर उन्हें अच्छे से समझाया जाय कि अधिक आबादी के दुष्परिणाम क्या होते हैं तो स्थिति को सुधारा जा सकता है।

अगर देश पिछड़े इलाकों में लोगों के बीच जाकर किसी भी माध्यम (ऑडियो,वीडियो,प्रिंट,नाटक) से उनके दिमाग में ये बात बैठा दी जाय कि जनसंख्या विस्फोट उनके लिए हानिकारक है तो इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

[ratemypost]

मनीष साहू, केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद से पत्रकारिता में स्नातक कर रहे हैं और इस समय अंतिम वर्ष में हैं। इस समय हमारे साथ एक ट्रेनी पत्रकार के रूप में इंटर्नशिप कर रहे हैं। इनकी रुचि कंटेंट राइटिंग के साथ-साथ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी में भी है।

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it is very nice

??Tomorrow is my hindi exam hope this topic will come in the exam and I can do my best as I have no hindi tuition in private and so I have taken a idea from this . The writings that are written in the essay is easy and for me it is helpful also. Pray for me for tomorrow’s exam.??

Thanking You Priyanka

Bahut accha

Tomorrow is my hindi half yearly examination and my hindi book has this topic and the language of our book is very difficult so I searched the topic in Google and I guess it’s the easiest way to learn and understand the topic OVER POPULATION..Hope dis will help,,, THANKYOU 💖👍

It’s nice essay very useful

Bhai sahab ye bachche itne kyon paide hotel Hain? Karan bataen👩‍❤️‍💋‍👨

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nice essay well done

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Election 2024: जलवायु परिवर्तन जैसे पर्यावरण संबंधी समस्याएं भारत मे चुनावी मुद्दा क्यों नहीं बनतीं?

Katchatheevu island: प्रधानमंत्री मोदी आखिर इस ‘गड़े मुर्दे’ को क्यों उखाड़ रहे हैं, kangana ranaut row: महिलाओं के प्रति द्वेष वाली राजनीति का एक नमूना., मॉस्को में आतंकवादी हमला, isis ने ली जिम्मेदारी.

Hindi Essay on “Jansankhya ki Samasya aur Samadhan”, “जनसंख्या की समस्या और समाधान”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

जनसंख्या की समस्या और समाधान

Jansankhya ki Samasya aur Samadhan

हमारे देश में विभिन्न प्रकार की समस्या सिर उठाती रही है। मूल्यवृद्धि की ” समस्या, जाति-प्रथा की समस्या, दहेज-प्रथा की समस्या, सती प्रथा की समस्या, – बेरोजगारी की समस्या, बाल-विवाह की समस्या, क्षेत्रवाद-सम्प्रदायवाद की समस्या,भाई-भतीजावाद की समस्या, निर्धनता की समस्या आदि अनेक समस्याओं ने हमारे देश की विकास की गति में टांगें अड़ा दी हैं। इन सभी समस्याओं में जनसंख्या की समस्या सबसे अधिक दुःखद और चिन्ताजनक है।

भारत में जनसंख्या की समस्या सबसे विकट समस्या है। इस समस्या का विकट रूप तव और बढ़ता हुआ दिखाई देता है; जब हम इसकी इस प्रकार की तीव्र गति देखते हैं कि यह दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ती जा रही है। यह इतनी तीव्र गति से बढ़ती जा रही है कि अब जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व का दूसरा देश हो गया है। अभी तक तो चीन विश्व का सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है, लेकिन भारत की जनसंख्या जितनी तेजी से बढ़ती जा रही है उसे देखते । हुए यह कुछ ही वर्षों में चीन की जनसंख्या के बराबर हो जाएगी। कुछ वर्षों के बाद यह चीन से भी अधिक हो जायेगी।

प्राप्त आंकड़ों के अनुसार सन् 1941 में भारत की जनसंख्या 31 करोड़ 90 लाख थी, जो आँधी की तरह बढ़ने के कारण सन् 1981 में 68 करोड़ 50 लाख हो गई। सन् 1990 में भारत की जनसंख्या 80 करोड़ के

आस-पस है। इन आँकड़ों के आधार पर यह अनुमान किया जा रहा है कि यदि जनसंख्या वृद्धि की यही गति रही, तो सन् 2000 ई. तक भारत की जनसंख्या 100 करोड़ हो जाएगी। इस प्रकार से हम देखते हैं कि भारत की जनसंख्या पिछले चार दशकों में दुगुनी हुई है। हमारे देश में जनसंख्या की वृद्धि के कई कराण हैं। पहला कारण है कि हमारे देश में बाल-विवाह अथवा अल्पायु विवाह की परम्परा है। औसतन 14 वर्ष की अल्पायु में ही विवाह के बन्धन में हर किशोर-किशोरी को बंध जाना पड़ता है। युवावस्था के आते-आते प्रजनन-शक्ति का विस्तार और अधिक तीव्र हो जाता है। परिणामस्वरूप संतान की अधिकता होती ही जाती है और इस प्रकार जनसंख्या में वृद्धि हो जाती है।

जनसंख्या-वृद्धि का एक कारण यह भी है कि हमारे देश की जलवायु भी कुछ ऐसी विशेषता है, जिसमें प्रजनन-शक्ति की अधिकता है। जलवायु की ऐसी विशेषता में एक विशेषता यह भी है कि यहाँ लड़कों की तुलना में लड़कियाँ तो सर्वप्रथम परिपक्व हो जाती हैं। इसके साथ-ही-साथ इस जलवायु की यह भी विशेषता है कि लड़कियों की ही पैदाइश अधिक होती है। भारतवासियों की एक यह भी विशेषता होती है कि उनको एक पुत्र अवश्य होना चाहिए, जो उनका उत्तराधिकारी के साथ-साथ वंश-वृद्धि का आधार बनते हुए श्राद्ध-पिण्डदान करने के लिए भी उपयुक्त सिद्ध हो सके। इस प्रकार पुत्र-प्राप्ति के प्रयास में लड़कियों की वृद्धि होते रहने से भी जनसंख्या की बाढ़ में कोई रुकावट नहीं होती है।

जनसंख्या-वृद्धि के अन्य कारणों में निर्धनता, बेरोजगारी, अशिक्षा, रूढ़िवादिता, अंधविश्वास, हीन-भावना, संकीर्ण-विचार, अज्ञानता आदि हैं।

जनसंख्या वृद्धि होने के कारणों में एक कारण यह भी है कि हमारे देश में जन्मदर की वृद्धि हुई है और मृत्युदर में कमी आई है। महामारी, बाढ़, जानलेवा रोग, महारोग, खाद्य समस्या आदि दैवी आपदाओं को लगभग नियंत्रित कर लिया गया है। इससे मत्य की विभीषिका का भय अथवा खतरा लगभग अब टल-स गया है। अब जनसंख्या आकाश बेल की तरह बेरोकटोक और बिना परवाह किए बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य नियमों के पालन से संतानोत्पन्न करने की क्षमता और शक्ति सहित अभिरुचि और वांछानीय घटना भी जनसंख्या की बढ़ोत्तरी के लिए विशेष सम्बन्ध है। संतान उत्पन्न होने से पहले स्वस्थ्य-संतान के लिए सहायक और उचित पौष्टिक आहारों के सुझाव और स्वस्थ्य संतान को उत्पन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार की दवाइयों सहित चिकित्सा की अन्य सुविधाओं की उपलब्धि भी जनसंख्या वृद्धि के आधारभूत तत्त्व हैं।

बढ़ती हुई जनसंख्या पर अंकुश लगानी नितान्त आवश्यक हो गया है; क्योंकि इससे हमारा चतुर्विक विकास अभावग्रस्त जीवन जीने से नहीं हो पा रहा है। जनसंख्या की बाढ़ को रोकने के लिए यह आवश्यक है कि चिकित्सकों के परामर्श के अनुसार हम परिवार नियोजन के कार्यक्रमों को यथासंभव अवश्य अपनाएँ। बेरोजगारी, अशिक्षा, निर्धनता, अंधविश्वास, परम्परावादी दृष्टिकोण, नशाबंदी, रूढ़िवादिता, हीन-भावना, अज्ञानता, संकीर्ण मनोवृत्ति आदि का परित्याग करने से जनसंख्या की वृद्धि को काबू में किया जा सकता है। जनसंख्या को काबू में कर लेने से ही हमारा जन-मानस जीवन को अभावों से उबर कर संतुष्ट जीवन जी सकेगा।

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1 Best Essay on Jansankhya Vriddhi in Hindi | जनसंख्या वृद्धि पर निबंध

हैल्लो दोस्तों कैसे है आप सब आपका बहुत स्वागत है इस ब्लॉग पर। हमने इस आर्टिकल में Essay on Jansankhya Vriddhi Par Nibandh | जनसंख्या वृद्धि पर निबंध लिखे है जो कक्षा 5 से लेकर Higher Level के बच्चो के लिए लाभदायी होगा। आप इस ब्लॉग पर लिखे गए Essay को अपने Exams या परीक्षा में लिख सकते हैं ।

क्या आप खुद से अच्छा निबंध लिखना चाहते है या अच्छा निबंध पढ़ना चाहते है तो – Essay Writing in Hi ndi

जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | Essay on Jansankhya Vriddhi in Hindi

विगत 50 वर्षों से भारत में बहुत तेजी से Jansankhya Vriddhi हो रही है। चीन को छोड़कर भारत की जनसंख्या विश्व के किसी भी देश से अधिक है यदि हम पूर्व सोवियत संघ अमेरिका ग्रेट ब्रिटेन स्वीडन आस्ट्रेलिया और घाना इन 6 देशों की कुल संख्या को जोड़ने तो भारत की जनसंख्या थोड़ी अधिक हिट होती है किंतु विचित्र विडंबना है कि यदि क्षेत्रफल का अवलोकन करें तो भारत का क्षेत्रफल अमेरिका के क्षेत्रफल का एक तिहाई ही होगा।

1921 के पश्चात तो जनसंख्या में वृद्धि ही है किंतु उसी दशक के दौरान मृत्यु दर अधिक हो जाने से जनसंख्या में कमी आ गई लेकिन तब से आर्थिक विकास और वैज्ञानिक साधनों के कारण मृत्यु दर पर रोक लगी और इस समय या दर घटकर 13 प्रति हजार रह गया है तथा वर्तमान में जन्म दर 34 प्रति हजार है जन्मदर और मृत्युदर के बीच की खाई ही जनसंख्या विस्फोट है। देश में मानव और जीवन निर्वाह संसाधनों के मध्य संतुलन निरंतर स्खालित होता जा रहा है।

भारत का क्षेत्रफल विश्व के कुल भूभाग का 2.4 प्रतिशत है जबकि जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का 15% है। Jansankhya Vriddhi का ही आर्थिक विकास पर प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि विकास का भी जनसंख्या पर प्रभाव पड़ता है किसी भी देश की जनसंख्या का वहां के आर्थिक विकास से गहरा संबंध है

जनसंख्या का ना केवल परिणाम आत्मक पहलू भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है कि देश की जनसंख्या का कितना भाग कार्यशील है और निर्भरता अनुपात कितना है कार्यशील लोगों में कितने लोग कार्य कुशल हैं इसका भी बहुत असर पड़ता है यदि जितनी जनसंख्या बढ़ती है और उस बढ़ती हुई जनसंख्या को रोजगार उपलब्ध होता है देश का उत्पादन बढ़ रहा हो तथा कोई भी व्यक्ति अनूप आदत नहीं है तो यह कोई जनसंख्या समस्या नहीं कही जा सकती लेकिन अपने देश की स्थिति तो प्रदीप उल्टी है।

देश में केवल 33 परसेंट लोग कार्यशील हैं और उनमें भी अधिकांश और कुशल कार्य करता है यहां उत्पादन करने वाले कम तथा उपयोग करने वाले अधिक लोग हैं पर अब जी भी ज्यादा हैं फल स्वरुप आर्थिक विकास के लिए जितना विनियोग किया जाता है उसका 65% जनसंख्या विनीयोग (Population Investment) अर्थात सम्प्रति जनसंख्या के जीवनस्तर को बनाए रखने में ही लग जाता है।

जनसंख्या वृद्धि के कारण – Jansankhya Vriddhi ke Karan

अतः आर्थिक विकास के लिए केवल 35% भाग ही बचता है जिससे विकास दर का नीचा होना स्वाभाविक है और जन वृद्धि का हमारी आर्थिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। विस्मय कारी तथ्य है कि भारत की जनसंख्या बाढ़ क्यों नहीं थम रही है? अनेक कारण उत्तरदाई है। इनमें यहां के लोगों की गरीबी एवं उनके साथ अनिवार्य रूप से जुड़े कारक जैसे अशिक्षा, अंधविश्वास, रूढ़िवादिता, आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

आमतौर पर निर्धन लोगों के अधिक बच्चे होते हैं, गरीब लोगों का कोई निश्चित जीवन स्तर नहीं होता है। बौद्धिक स्तर नीचा होने के कारण निर्धन व्यक्ति के संतान सामाजिक और निजी व्यय को भली प्रकार समझ नहीं पाते। आम धारणा होती है कि ईश्वर ने यदि संतान दी है तो आहार देगा ही। विवाह, प्रजनन धार्मिक एवं सामाजिक बंधन माने गए हैं। विवाह प्रथा के व्यापक चलन के अतिरिक्त देश में अपेक्षाकृत छोटी आयु में ही विवाहित जीवन प्रारंभ हो जाता है। जनन क्षमता का अनियंत्रित रूप से उपयोग होता है।

इस कारण जन्मदर ऊंची है। औद्योगिकरण की कमी, बाल श्रम का उपयोग, संयुक्त परिवार प्रणाली तथा सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था का संतोषजनक ना होना आदि जन वृद्धि के मूल कारकों में है। साक्षरता और शिक्षा के स्तर का प्रभाव भी समाज पर पड़े बिना नहीं रहता है। आज जो शिक्षा की व्यवस्था है, वह दोषपूर्ण एवं अवैज्ञानिक है। यदि वर्तमान शिक्षा स्तर में तीव्र गति से वृद्धि लाई जाए तो निश्चितमेव जन-नियंत्रण में सहायता मिलेगी।

देश में आधे पुरुष और तीन चौथाई स्त्री अभी भी अशिक्षित हैं। कुल जनसंख्या में लगभग 66% लोग अभी भी अशिक्षित हैं, उच्च शिक्षा प्रतिशत के साथ-साथ जनसंख्या प्रतिशत भी घटा चला जाता है। ब्रिटेन, अमेरिका, रूस और पश्चिमी जर्मनी में शिक्षा का प्रतिशत लगभग 99% है यही कारण है कि वहां जनसंख्या वृद्धि का प्रतिशत 1% से भी नीचा है। भारत के केरल प्रांत में साक्षरता भारत के साक्षरता औसत की दुगनी है।

Jansankhya Vriddhi को रोकने के उपाय

यही कारण है कि जन वृद्धि दर यहां बहुत कम है। जन वृद्धि में यह हर्ष बिना जोर-जबर्दस्ती के लोगों की स्वेच्छा से है इसलिए जन वृद्धि की बाढ़ को थामने के लिए अधिक से अधिक लोगों को साक्षर करना होगा। सामंती व्यवस्था भी जनवृद्धि का मूल कारण है। पर्दा प्रथा होने के कारण भारतीय स्त्रियां घर में ही रहती है और उनका मुख्य व्यवसाय बच्चा उत्पन्न करना है। हालांकि अब कुछ स्त्रियां खेती कार्यों और नौकरी में भी लग गई है।

यदि वे खेतों पर, उद्योगों में तथा नौकरियों में लग जाए तो अधिक बच्चे के पालन पोषण के उत्तरदाई से स्वयं ही दूर भागने लगेगी। पश्चिमी देशों में स्त्रियों का आर्थिक क्रियाओं में भाग लेना वहां की कम जनसंख्या वृद्धि के लिए उत्तरदाई है। ना केवल सरकार को अपितु समाज सुधारक को तथा जन सामान्य को भी इस ओर ध्यान देना चाहिए कि कम से कम 18 वर्ष की लड़की तथा 21 वर्ष से कम आयु के लड़के की शादी नहीं की जाए।

भारत की परिस्थितियों में जनसंख्या नीति को मुल्त: संतति निग्रह का रूप देना होगा। ताकि कम से कम समय के भीतर जन वृद्धि को यथासंभव कम किया जा सके। इसके लिए परिवार नियोजन के संबंध में सुनिश्चित कार्यक्रम निर्धारित करना होगा। और कारगर तौर से उसे अमल में लाना होगा। परिवार नियोजन के संबंध में देश भर के लोगों को समुचित जानकारी देनी होगी। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 80% लोग बसे हुए हैं।ध्यातव्य है कि जनसंख्या समस्या एवं परिवार कल्याण कार्यक्रम का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।

दलीय भावना से ऊपर उठकर एक राष्ट्रीय अभियान के रूप में इसे स्वीकार किया जाना चाहिए। विरोधी दलों को चाहिए कि अपने निहित स्वार्थ के लिए जनता को गुमराह ना करें। ऐसा करना राष्ट्र विरोधी कार्य होगा लोगों के सक्रिय सहयोग के अभाव में जनसंख्या कार्यक्रम को आसानी से नहीं चलाया जा सकता है।

यह Essay on Jansankhya Vriddhi Par Nibandh | जनसंख्या वृद्धि पर निबंध हिंदी में कैसा लगा। कमेंट करके जरूर बताये। अगर आपको इस निबंध में कोई गलती नजर आये या आप कुछ सलाह देना चाहे तो कमेंट करके बता सकते है।

1 thought on “1 Best Essay on Jansankhya Vriddhi in Hindi | जनसंख्या वृद्धि पर निबंध”

I don’t think the title of your article matches the content lol. Just kidding, mainly because I had some doubts after reading the article.

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Essay on population in hindi जनसँख्या पर निबंध.

Friends, we are going to talk about Essay on Population in Hindi. जनसँख्या पर निबंध। What’s the population of India in Hindi? We will tell you everything about Population in Hindi. What is the solution of Jansankhya Vridhi? We added some slogan on Population in Hindi which will help you get good score in exam . Essay on Population in Hindi is one of the most frequently asked questions in school and colleges.

Read long essay on Population in Hindi in 200, 500 and 1000 words

hindiinhindi Essay on Population in Hindi

Essay on Population in Hindi 200 Words

बढ़ती जनसंख्या का भयावह रूप – विचार – बिंदु – • जनसंख्या वृद्धि – एक भयावह समस्या • परिणाम • कारण और समाधान।

भारतवर्ष की सबसे बड़ी समस्या है – जनसंख्या वृद्धि। भारत की आबादी 109 करोड़ का आँकड़ा पार कर चुकी है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के अनेक कारण हैं। पहला कारण है अनपढ़ता। दूसरा कारण है-अंधविश्वास। अधिकतर लोग बच्चे को भगवान की देन मानते हैं। इसलिए वे परिवार नियोजन को अपनाना नहीं चाहते। लड़के-लड़की में भेदभाव करने से भी जनसंख्या बढ़ती है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर समस्या आज हमारे सामने खड़ी है। कृषि योग्य भूमि का क्षय हो रहा है। वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। भौगोलिक संतुलन बिगड़ रहा है। बेकारी बढ़ रही है। परिणामस्वरूप लूट, हत्या, अपहरण जैसी वारदातें बढ़ रही हैं। भ्रष्टाचार का चारों तरफ बोलबाला है। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा। जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार को चाहिए कि परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति दे। सरकार को चाहिए कि इस दिशा में कठोरता से नियम लागू करे अन्यथा आने वाली पीढ़ी को भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है।

Essay on Population problem in India in Hindi

How to improve living conditions in slums in Hindi

Essay on Population in Hindi 500 Words

रूपरेखा : बढ़ती जनसंख्या – भारत की प्रमुख समस्या, बढ़ती जनसंख्या –प्रगति में बाथक, जनसंख्या वृधि के दुष्परिणाम – साधनों में कमी, बेरोज़गारी, सामाजिक बुराइयों का जन्म, जनसंख्या नियंत्रण के प्रति चेतना, उपसंहार।

भारत को स्वतंत्र हुए आधी सदी बीत गई। इन वर्षों में देश ने अनेक क्षेत्रों में प्रगति की। कृषि, विज्ञान, उद्योग-धंधे आदि में हमारा देश बहुत तेज़ी से प्रगति कर रहा है, किंतु फिर भी उसका लाभ दिखाई नहीं पड़ रहा है। आम आदमी आज भी गरीब है। देश में आज भी कुछ लोग भूख से मर रहे हैं। बहुतों के पास तन ढकने के लिए पर्याप्त वस्त्र नहीं हैं। वे झुग्गी-झोपड़ियों में रहते है। सहज ही प्रशन उठता है कि इसका कारण क्या है? और इस प्रश्न का सीधा-सरल उत्तर है – भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या।

आज हमारी हर बड़ी समस्या के मूल में जनसंख्या की समस्या है। यातायात और परिवहन के साधनों में अपार वृधि हुई है। रेलों-बसों की संख्या अधिक है फिर भी भीड़-भाड़ दिखाई पड़ती है। आप शांति और सुविधा से यात्रा नहीं कर सकते। भीड़-भाड़ तो जैसे हमारी पहचान बन गई है। अस्पतालों में, प्लेटफ़ार्मों पर, विद्यालयों में, बाज़ारों में, कार्यालयों में, किसी भी सार्वजनिक स्थान पर दृष्टि डालिए आपको लोगों के सिर ही सिर दिखाई पड़ेंगे।

इस भीड़-भाड़ का परिणाम यह है कि हमारी सारी आधारभूत सुविधाएँ, हमारे सारे संसाधन कम पड़ते जा रहे हैं। अस्पताल जितने खोले जाते हैं, मरीज़ों की संख्या उससे कई गुना बढ़ जाती है। हर वर्ष हज़ारों नए विद्यालय खुलते हैं, पर अनेक छात्रों को मनचाहे विद्यालय में प्रवेश नहीं मिलता। कक्षाओं में छात्रों की संख्या इतनी हो जाती है कि बैठने को पर्याप्त स्थान नहीं होता। यह दशा तब है जब आज भी लाखों बच्चे विद्यालय में प्रवेश नहीं लेते हैं।

बेरोज़गारी की समस्या जनसंख्या वृद्धि की समस्या की ही उपज है। अनेक प्रकार के उद्योग धंधे खुले हैं। कृषि क्षेत्र में आशा से बढ़कर प्रगति हुई है। नए रोज़गार के लाखों अवसर बने, फिर भी बेरोज़गारों की संख्या में कमी नहीं हुई, बल्कि बेरोज़गारी की समस्या और अधिक भयंकर होती जा रही है। बेरोज़गारी से अनेक सामाजिक बुराइयाँ जन्म लेती हैं। अपराध बढ़ते हैं, असामाजिक तत्त्व पनपते हैं। सुख-चैन और शांति भरा जीवन सपना हो जाता है।

हमारा देश जनसंख्या की दृष्टि से संसार का दूसरा सबसे बड़ा देश है। सारे विश्व की जनसंख्या का लगभग छठा भाग भारत में बसा है जबकि भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का लगभग 2.4 प्रतिशत ही है। आज हमारी जनसंख्या एक अरब से अधिक हो चुकी है। यदि इस पर शीघ्र ही अंकुश नहीं लगाया गया तो भीषण संकटों का सामना करना पड़ेगा।

जनसंख्या की वृद्धि रोकने के लिए कुछ ठोस उपाय करने होंगे। सबको इस समस्या के प्रति सजग करना होगा। देशवासियों को बताना होगा कि जनसंख्या वृद्धि को रोकना क्यों आवश्यक है। जनसंख्या रोकना हमारा परम कर्तव्य है और इस कर्तव्य का पालन सच्ची देशभक्ति है।

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Essay on Population in Hindi 1000 Words

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जिसके सामने प्रदूषण, अशिक्षा और बढ़ती जनसंख्या आदि अनेक समस्याएँ हैं। इन समस्याओं में बढ़ती हुई जनसंख्या देश की प्रगति और विकास में सबसे बड़ी बाधक है, जिसके कारण सरकार की अच्छी-से-अच्छी योजनाएँ भी विफल होती जा रही हैं।

बढ़ती जनसंख्या के कारण देश के सभी नागरिकों को सर्वाधिक आवश्यक वस्तुएँ- अन्न, जल, वस्त्र और आवास आदि की सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो पातीं। आज देश के लाखों लोगों को न भर पेट भोजन मिल पाता है, न पीने को स्वच्छ जल, न तन ढकने को वस्त्र और न रहने के लिए घर।

हमारे देश ने स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् कृषि, उद्योग और व्यवसाय आदि अनेक क्षेत्रों में आशातीत सफलता पाई है। देश की अधिकांश उपजाऊ भूमि पर खेती हो रही है। सिंचाई के लिए देश की अनेक नदियों का उपयोग किया जा रहा है। स्वतंत्रता के बाद भाखड़ा नंगल, दामोदर घाटी, नागार्जुन सागर और नाथपा घाकड़ी आदि अनेक बाँध बन चुके हैं, जो देश की कृषि को संपन्न बनाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

देश के अनेक भागों में नहरों का जाल बिछ गया है। किसानों को खेती के लिए ट्रैक्टर, नलकूप और पंपिंग सेट आदि नए-नए संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। वैज्ञानिकों ने नई-से-नई किस्म की खाद और बीज किसानों तक पहुँचाने का सफल प्रयास किया है। अनेक किसान वैज्ञानिक ढंग से खेती करने का प्रशिक्षण भी ले चुके हैं और अपनी बुद्धि तथा परिश्रम के बल पर अधिक-से-अधिक अन्न भी उपजा रहे हैं। स्वतंत्रता के बाद कृषि के लिए किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप ही देश में हरित क्रांति संभव हुई है। इतना सब होने पर भी बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण समस्त कृषि-संबंधी उपलब्धियाँ कम जान पड़ती हैं। कैसी विडंबना है, अन्न उत्पन्न करने वाला खेतिहार ही आज भूखा है। देश के कुछ भागों में तो जनता आज भी भूख के कारण दम तोड़ देती है।

स्वतंत्रता के बाद हमारे देश में यातायात के साधनों का भी बहुत विकास हुआ है। साइकिल, स्कूटर, कार, बस, रेल आदि ने मनुष्य के आवागमन को गति प्रदान की है। देश की सड़कों पर लाखों स्कूटर, कारें और बसें दिन-रात दौड़ती हैं। फिर भी देश की जनसंख्या जिस गति से बढ़ रही है, उस गति से देश में यातायात के संसाधन नहीं बढ़ पा रहे हैं। बसों और रेलगाड़ियों में लोगों को भयंकर भीड़ का सामना करना पड़ता है। नौकरी करने वालों को अनेक बार बसों और रेलगाड़ियों में यात्राएँ खड़े-खड़े ही करनी पड़ती है। विद्यालयों की संख्या भी दिन पर दिन बढ़ रही है, किंतु बढ़ती जनसंख्या के कारण लाखों बच्चों को विद्यालय में प्रवेश ही नहीं मिल पाता । शिक्षित बेरोजगारों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। कोई भी देश जब शिक्षित बेरोज़गार नवयुवकों के लिए रोजगार की व्यवस्था नहीं कर सकता, तो देश में अनेक सामाजिक बुराइयाँ पैदा हो जाती हैं, जो देश के लिए खतरा बन जाती हैं। देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण नागरिकों को रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ जो अन्य छोटी-छोटी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनके कारण देश की प्रगति में बाधा पड़ती है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण ही हम अपने जीवन को सुखी नहीं बना पाते।

जनसंख्या की दृष्टि से आज हमारे देश का स्थान विश्व में दूसरा है। आज हमारे देश की आबादी एक अरब (सौ करोड़) से भी अधिक है। स्वतंत्रता के बाद देश की जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ी है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। अत: देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह देश की जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर गंभीरता से विचार करे और ऐसे प्रयत्न करे कि आगे आने वाली पीढ़ियों को कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।

अज्ञान के अंधकार में फँसे हमारे देश के अधिकांश नागरिक अपनी संतान के जीवन-स्तर को ऊँचा नहीं उठा पाते। अज्ञान ही अनेक प्रकार की सामाजिक कुरीतियों को जन्म देता है। गली-सड़ी रूढ़ियों और अंधविश्वासों में फंसे लोग देश के विकास में सहायक नहीं हो सकते । पुत्र प्रप्ति की कामना और बहु-विवाह प्रथा भी जनसंख्या वृद्धि के कारण हैं, जिन्हें समय रहते रोकना होगा।

उपर्युक्त अनेक समस्याओं का मुख्य कारण में बढ़ती जनसंख्या ही है। हमें जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के लिए जन-आंदोलन चलाने होंगे। परिवार नियोजन और परिवार कल्याण कार्यक्रमों को सफल बनाना होगा। बाल-विवाह प्रथाओं को रोकना होगा। सरकार ने देश के प्रत्येक प्रांत में लोगों को अधिकाधिक जानकारी देने के लिए तथा उन्हें जागरूक बनाने के उद्देश्य से अनेक प्रशिक्षण केंद्र खोले हैं। ताकि देश का प्रत्येक नागरिक इस समस्या को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए तैयार हो सके। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए प्रत्येक गाँव में सरकार की ओर से प्रशिक्षित कर्मचारी भी उपलब्ध हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही अनेक योजनाओं से हमारी जनसंख्या वृद्धि दर में कुछ कमी आई है। सरकार को पूरी सफलता तभी प्राप्त हो सकती है, जब सरकारी योजनाओं को जनता का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो।

बढ़ती जनसंख्या के कारण आम आदमी की आय में जो कमी आती जा रही हैं, उसे भी रोकना आवश्यक है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए अब हमें युद्धस्तर पर काम करना होगा। प्रत्येक व्यस्क को इस योजना के प्रति जागरूक करना होगा। शिक्षित युवक और युवतियों को गाँवों, कस्बों और छोटे-बड़े शहरों में जाकर जनता को सचेत करना होगा, तभी हमें सफलता मिल सकेगी।

जनसंख्या वृद्धि आज के युग की सर्वाधिक गंभीर समस्या है। यदि हम अपना, अपने परिवार का, अपने समाज का और देश का कल्याण करना चाहते हैं। तो हमें जनसंख्या वृद्धि के राक्षस से लड़ना होगा। देश के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य भी है और धर्म भी कि वह जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए जी-जान से जुट जाए। आज के युग में यही सच्ची देशभक्ति है।

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Hindi Essay on “Jansankhya, Samasya aur Shiksha ” , ”जनसंख्या, समस्या और शिक्षा” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

जनसंख्या, समस्या और शिक्षा

Jansankhya, Samasya aur Shiksha  

भारत एक विशाल देश है। आजादी के बाद से ही हमारा विकास प्रारंभ हुआ। विज्ञान और प्रोद्योगिकी कृषि और चिकित्सा  तकनीकी तथा संचार के क्षेत्र में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है, किंतु यह सब प्रगति जनसंख्या वृद्धि की लगातार बढ़ती गति के सामने समन्वित विकास के रूप में नहीं दिखाई देती। 11 मई सन 2000 को जनसंख्या घड़ी के अनुसार हमारी जनसंख्या एक अरब की सीमा को पार कर चुकी है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती जा रही है हर क्षेत्र में भीड़ बढ़ रही है यहां तक कि रोटी-कपड़ा और मकान की समस्या से हमारे अधिकांश देशवासी जूझ रहे हैं।

हमारे देश के पिछड़े हुए राज्यों में जनसंख्या का घनत्व लगातार बढ़ा है और यहां के जनजीवन पर इसका अत्यंत बुरा प्रभाव पड़ा है। भ्रष्ट सामाजिक व्यवस्था के चलते विकास की किरणें गांवों तक नहीं पहुंची। गांव के लोगों ने अपनी समसयाओं से निपटने के लिए शहरों की ओर पलायन शुरू कर दिया है। यही कारण है कि महानगरों में आवासीय समस्या एक ज्वलंत प्रश्न बन गई है। पेय जल संकट गहरा गया है। बेरोजगारी घटने का नाम नहीं ले रही है। चारों और प्रदूषण फैल रहा है। आश्चर्य की बात है कि चिकित्सा, शिक्षा पौष्टिक भोजन, आवास जैसी समस्याओं से ग्रस्त लोग ही जनसंख्या वृद्धि करने की दिशा में लगातार अग्रसर हैं।

सरकार ने नई जनसंख्या नीति 2000 में अनेक ऐसी योजनाओं का निर्माण किया है जिनसे जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करने में पहल हो सकती है। जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में सभी योजनांए तब तक कोई महत्वपूर्ण परिणाम नहीं दे सकतीं जब तक हम शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक विकास नहीं करते। आंकड़ों के अनुसार 1999 तक भारत में कुल 6.27 लाख प्राथमिक तथा 1.90 लाख माध्यमिक विद्यालय हैं, जिनमें लगभग 22 लाख शिक्षक हैं। जिस देश में विद्यालयों और शिक्षकों का यह अनुपात जनसंख्या की आवश्यकता को देखते हुए बहुत कम है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 1999 तक प्राथमिक विद्यालयों में केवल 11.09 लाख तथा माध्यमिक विद्यालयों में केवल 4.03 लाख छात्र ही नामांकित हुए हैं।

शिक्षा और जागृति द्वारा ही जनसंख्या की दिशा में कोई कदम उठाया जा सकता है। यद्यपि सरकार सर्वशिक्षा अभियान द्वारा ग्रामीण तथा दूरदराज के क्षेत्रों में गैरसरकारी संस्थाओं के सहयोग से लगातार इस दिशा में काम करती जा रही है। परंतु आज हमारे जीवन में पैसे का महत्व बढ़ा है। राष्ट्रीय व सामाजिक कर्तव्य की भावना का ह्रास हुआ है। इस युग में लगातार अमी अमीर हुआ हैर गरीब गरीब हुआ है। गरीबी रेखा से नीचे जीवन जी रहे लोगों के बच्चे पेट भरने के लिए भीख मांगने या फिर मेहनत मजदूरी करने के लिए विवश हैं। सरकार ने ऐसे बच्चों की शिक्षा और पोषण के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों और सर्वशिक्षा अभियान जैसे आंदोलनों से लाभ भी हुआ है परंतु जिस गति से जनसंख्या में वृद्धि हुई है उस गति से शिक्षा के क्षेत्र में विकास संभव नहीं हो पा रहा है।

बढ़ती हुई जनसंख्या को स्थित करने की दिशा में कुछ दंडात्मक कार्यवाही भी सरकार को करनी चाहिए। दूसरी ओर शिक्षा के व्यापक प्रचार-प्रसार की दिशा में, देश के बड़े से बड़े नेताओं, अफसरों, खिलाडिय़ों, अभिनेताओं, शिक्षकों, चिकित्सकों तथा गैर-सरकारी क्षेत्र से जुड़े संस्थाओं के कार्यकर्ताओं का भरपूर सहयोग लिया जाना चाहिए। इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालयों की भांति देश में उच्च शिक्षा की सर्वसुलभता भी दूरदराज के लोगों के लिए बनाई जानी चाहिए। विद्यालयों में छात्रों के इस भयंकर समस्या से निपटने के लिए वाद-विाद, भाषण प्रतियोगिता, चित्र प्रदर्शनी, नाटक आदि के द्वारा प्रेरित किया जाना चाहिए। मीडिया का हमारे समाज पर लगातार गहरा प्रभाव पड़ रहा है। जनसंख्या नियंत्रण तथा साक्षरता के प्रचार-प्रसार की दिशा में दूरदर्शन, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिकाओं विज्ञापनों का अधिकाधिक उपयोग इस कार्य के लिए किया जाना चाहिए।

इस विकराल समस्या से निपटने के लिए स्वरोजगार योजनाओं को बढ़ावा देना होगा। कक्षा 12 तक पूरे देश में निशुल्क शिक्षा कर दी जानी चाहिए ताकि अशिक्षा के अंधकार से होने वाली बुराइयों एंव बीमारियों से लडऩे की शक्ति हमें मिल सके। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा अधिकाधिक लोगों को नसबंदी तथा अन्य कारगर साधन अपनाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। हमारी शिक्षा वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप बनाई जाए। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था व पाठयक्रम आदि में विभिन्न सामाजिक आवश्यकताओं को देखते हुए सुधार किए जाने की आवश्यकता है। देश के विकास के लिए स्त्री शिक्षा पर विशेष बदल दिया जाना चाहिए। क्योंकि पढ़ी-लिखी मातांए जनसंख्या नियंत्रण में अच्छी भूमिका निभा रही हैं। कुल मिलाकर हमें ऐसी शिक्षण-पद्धति और शिक्षण-व्यवस्था का निर्माण करना होगा जो न केवल जनसंख्या नियंत्रण में उपयोगी हो वरन देश के लिए जिम्मेदार नागरिकों का निर्माण कर सके।

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विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध 2022 -23 World Population Day Essay in Hindi – 11 जुलाई वर्ल्ड पॉपुलेशन डे एस्से

विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध 2018

विश्व जनसंख्या दिवस 2022 : विश्व जनसंख्या दिवस एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है| जैसा की हम जानते ही है की पृथ्वी पर धीरे धीरे जनसंख्या रेट बढ़ता जा रहा है जिसके वजह से बहुत सी समस्या उत्पन्न हो गई है| इसकी वजह से भारी मात्रा में पेड़ काटे जा रहे है जिसके चलते प्रदुषण बढ़ता जा रहा है और ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बनने लगा है| हर साल पूरे विश्व में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है| इस दिवस को मनाने का मुख्या कारण सभी लोगो को जनसंख्या संतुलन और बढ़ती आबादी एक बारे में जागरूक करवाना है| आज के इस पोस्ट में हम आपको वर्ल्ड पापुलेशन डे पर एस्से, विश्व जनसंख्या दिवस इंग्लिश निबंध, वर्ल्ड पापुलेशन डे एस्से इन हिंदी, विश्व जनसंख्या दिवस पर एस्से इन मराठी, हिंदी, इंग्लिश, बांग्ला, गुजराती, तमिल, तेलगु, आदि की जानकारी देंगे जिसे आप अपने स्कूल के स्पीच प्रतियोगिता, debate competition, कार्यक्रम या भाषण प्रतियोगिता में प्रयोग कर सकते है| ये निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए दिए गए है|

विश्व जनसंख्या दिवस निबंध

World population day theme 2020: इस साल की विश्व जनसंख्या दिवस 2020 थीम है “Family Planning is a Human Right” यानी की “पारिवारिक योजना एक मानव अधिकार है”| आज हमारे द्वारा दिए गए वर्ल्ड पॉपुलेशन डे पर कुछ संक्षिप्त निबंध (short essays) और लंबे निबंध (long essays), Posters on World Population Day with Slogans , essay writing in school, ये विश्व जनसंख्या दिवस पर भाषण , विश्व जनसंख्या दिवस पर स्पीच, विश्व जनसंख्या दिवस पर नारे , जागतिक लोकसंख्या दिवस निबंध, विश्व जनसंख्या दिवस पर कविता , एस्से ओं वर्ल्ड पापुलेशन डे, Pictures of world population day , topic on world population day, विश्व जनसंख्या निश्चित रूप से आयोजन समारोह या बहस प्रतियोगिता (debate competition) यानी स्कूल कार्यक्रम में स्कूल या कॉलेज में निबंध में भाग लेने में छात्रों की सहायता करेंगे। इन वन महोत्सव पर हिंदी स्पीच हिंदी में 100 words, 150 words, 200 words, 400 words जिसे आप pdf download भी कर सकते हैं|

11 जुलाई को सालाना पूरे विश्व में विश्व जनसंख्या दिवस के रुप में एक महान कार्यक्रम मनाया जाता है। पूरे विश्व में जनसंख्या मुद्दे की ओर लोगों की जागरुकता को बढ़ाने के लिये इसे मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालक परिषद के द्वारा वर्ष 1989 में इसकी पहली बार शुरुआत हुई। लोगों के हितों के कारण इसको आगे बढ़ाया गया था जब वैश्विक जनसंख्या 11 जुलाई 1987 में लगभग 5 अरब (बिलीयन) के आसपास हो गयी थी। 2012 विश्व जनसंख्या दिवस उत्सव के थीम (विषय) के द्वारा पूरे विश्व भर में ये संदेश “प्रजनन संबंधी स्वास्थय सुविधा के लिये सार्वभौमिक पहुँच” दिया गया था जब पूरे विश्व की जनसंख्या लगभग 7,025,071,966 थी। लोगों के चिरस्थायी भविष्य के साथ ही ज्यादा छोटे और स्वस्थ समाज के लिये सत्ता द्वारा बड़े कदम उठाये गये थे। प्रजनन संबंधी स्वास्थ देख-रेख की माँग और आपूर्ति पूरी करने के लिये एक महत्वपूर्णं निवेश किया गया है। जनसंख्या घटाने के द्वारा सामाजिक गरीबी को घटाने के साथ ही जननीय स्वास्थ्य बढ़ाने के लिये कदम उठाये गये थे। ये विकास के लिये एक बड़ी चुनौती थी, जब वर्ष 2011 में पूरे धरती की जनसंख्या 7 बिलीयन के लगभग पहुँच गयी थी। वर्ष 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के संचालक परिषद के फैसले के अनुसार, ये अनुशंसित किया गया था कि हर साल 11 जुलाई को वैश्विक तौर पर समुदाय द्वारा सूचित करना चाहिये और आम लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने के लिये विश्व जनसंख्या दिवस के रुप में मनाना चाहिये तथा जनसंख्या मुद्दे का सामना करने के लिये वास्तविक समाधान पता करना चाहिये। जनसंख्या मुद्दे के महत्व की ओर लोगों का जरुरी ध्यान केन्द्रित करने के लिये इसकी शुरुआत की गयी थी।

Vishwa Jansankhya Diwas Par Nibandh

विश्व जनसंख्या दिवस कब मनाया जाता है : संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस जिसे वर्ल्ड पापुलेशन डे भी कहते हैं प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को मनाया जाता है| इस साल भी यह दिन 11 जुलाई 2020 को मनाया जाएगा| अक्सर class 1, class 2, class 3, class 4, class 5, class 6, class 7, class 8, class 9, class 10, class 11, class 12 के बच्चो को कहा जाता है विश्व जनसंख्या दिवस पर निबंध लिखें| यहाँ हमने हर साल 2009, 2010, 2011, 2012, 2013, 2014, 2015, 2016, 2017 व 2020 के अनुसार World Population Day essay for school, world population day essay pdf, essay on world population day in 150 words, Thoughts on World Population Day in Hindi , paragraph on world population day, Vishwa Jansankhya Diwas nibandh , विश्व जनसंख्या दिवस पर लेख, विश्व जनसंख्या दिवस 2020 का थीम, essay on world population day for class 9, world population day essay for class 5, world population day essay for students, world population day essay 500 words, वर्ल्ड पापुलेशन डे एस्से, world population day essay hindi दिया हुआ जिसे आप अपने स्कूल कम्पटीशन में लिख सकते है|

विश्व जनसंख्या दिवस आज 11 जुलाई को पूरी दुनिया में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। विश्व जनसंख्या दिवस, विश्व आबादी से जुड़े मुद्दों और जागरुकता को लेकर मनाया जाता है। यूं तो मानव ने हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है और यह प्रक्रिया लगातार जारी है। नए-नए तकनीकि अविष्कार ने मानव जीवन को बिल्कुल बदल कर रख दिया है, लेकिन इस अंधाधुंध विकास के बीच के कई समस्याएं भी चुनौती के रूप में सामने खड़ी हुई हैं। इनमें एक समस्या है तेजी से बढ़ती जनसंख्या। इसको नियंत्रित करने के लिए लंबे समय से प्रयास जारी हैं, लेकिन बावजूद इसके जनसंख्या में वृद्धि लगातान बढ़ती जा रही है। खासकर विकासशील देशों में जनसंख्या विस्फोट गहरी चिंता का विषय है। कब हुई शुरुआत विश्व जनसंख्या दिवस की शुरूआत 11 जुलाई 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा की गई थी। उस वक्त विश्व की जनसंख्या लगभग 5 अरब थी। इस जनसंख्या की ओर ध्यान देते हुए 11 जुलाई 1989 को वर्ल्ड पॉपूलेशन डे की घोषणा की गई। क्यों और कैसे मनाया जाता है इस दिवस का उद्देश्य ये है कि विश्व का हर नागरिक इस ओर ध्यान दे और जनसंख्या नियंत्रण में अपना योगदान दे। इस दिन बढ़ती जनसंख्या के समाधान और इस ओर जागरुकता फैलाने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई क्रियाकलाप किए जाते हैं। इनमें शैक्षणिक जानकारी सत्र, निबंध लेखन प्रतियोगिता, विभिन्न विषयों पर लोक प्रतियोगिता, पोस्टर वितरण, सेमिनार और चर्चा शामिल हैं। इन क्रियाकलापों द्वारा परिवार नियोजन और गर्भ से जुड़ी तमाम जानकारियों से लोगों को जागरुक किया जाता है। जनसंख्या से जुड़े भारत के आंकड़े भारत जनसंख्या वृद्धि में दुनिया के कई देशों से बहुत आगे। बढ़ती जनसंख्या भारत के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय है। आजादी के वक्त (1947) भारत की आबादी 34.20 करोड़ थी जो आज बढ़ कर 1 अरब 25 करोड़ से भी ऊपर पंहुच चुकी है। भारत में दुनिया की 15 फीसद आबादी रहती है और भारत के पास विश्व का 2.4 प्रतिशत भू- भाग है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है जनसंख्या वृद्धि किस तरह एक विकराल समस्या है।

Essay on World Population Day in Hindi language

यद्यपि आपको इस कारण के बारे में पता होना चाहिए कि हमने क्यों यहां सबको इकट्ठा किया है लेकिन उन सभी के लिए जो अभी भी यहाँ मौजूद होने के बारे में सोच रहे हैं मैं जल्दी ही इस मीटिंग के उद्देश्य को आपके साथ साझा करूँगा। असल में हमें इस साल संयुक्त राष्ट्र द्वारा शुरू किए गए विश्व जनसंख्या दिवस के जश्न के लिए स्थानीय एजेंसियों से एक पत्र प्राप्त हुआ है। यह दिन हर साल 11 जुलाई को लोगों के अधिकारों के प्रचार के लिए मनाया जाने वाला एक वार्षिक उत्सव है और साथ ही उन्हें अपने परिवार की बेहतर तरीके से योजना बनाने में मदद करने के लिए मनाया जाता है। यह लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए घटनाओं, गतिविधियों और सूचनाओं का समर्थन करता है ताकि वे अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें और अपने परिवार के बारे में उचित निर्णय ले सकें। हमारा संगठन पूरे शहर में उत्साहपूर्वक विश्व जनसंख्या दिवस का जश्न मनाने के लिए प्रसिद्ध है। मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि स्थानीय और साथ ही राज्य सरकार ने हमें अपने अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने और पारिवारिक नियोजन के बारे बात करने के लिए हमारी प्रशंसा की है। सौभाग्य से इस बार हमारे पास लोगों को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों से अवगत कराने के अलावा व्यापक योजनाएं हैं। हम उन्हें उन कुछ बीमारियों के बारे में भी सूचित करेंगे जो आपके परिवार के गैर-नियोजन के कारण आक्रमण कर सकती हैं। हम सभी जानते हैं कि हमारे देश में छोटी उम्र में लड़की का विवाह करना अभी भी प्रचलित है। लड़कियों की शादी करने के बाद से ही उनसे बच्चों को जन्म देने की उम्मीद की जाती है और अगर वे लड़की को जन्म देते हैं तो उनसे लड़के को जन्म देने की उम्मीद की जाती है। यह प्रयास उस समय तक चलता है जब तक वे एक लड़के को जन्म नहीं दे देती। दुर्भाग्य से हमारे देश में लिंग असमानता अभी भी एक प्रमुख मुद्दा है। लोगों को शायद ही कभी यह महसूस हो कि अगर एक नाबालिग़ लड़की गर्भवती हो गई तो उसे कई स्वास्थ्य समस्याओं से गुजरना पड़ सकता है और यह अंततः उसके अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ उसके गर्भ में पल रहे बच्चे को भी प्रभावित कर सकता है जिसे वह जन्म देने वाली है। कुपोषण ऐसी गर्भावस्था से उत्पन्न सबसे प्रमुख रोगों में से एक है।

World Population Day Essay in Hindi

World Population Day Essay in Hindi

आज 11 जुलाई को पूरी दुनिया में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। विश्व जनसंख्या दिवस, विश्व आबादी से जुड़े मुद्दों और जागरुकता को लेकर मनाया जाता है। यूं तो मानव ने हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है और यह प्रक्रिया लगातार जारी है। नए-नए तकनीकि अविष्कार ने मानव जीवन को बिल्कुल बदल कर रख दिया है, लेकिन इस अंधाधुंध विकास के बीच के कई समस्याएं भी चुनौती के रूप में सामने खड़ी हुई हैं। इनमें एक समस्या है तेजी से बढ़ती जनसंख्या। इसको नियंत्रित करने के लिए लंबे समय से प्रयास जारी हैं, लेकिन बावजूद इसके जनसंख्या में वृद्धि लगातान बढ़ती जा रही है। खासकर विकासशील देशों में जनसंख्या विस्फोट गहरी चिंता का विषय है। विश्व जनसंख्या दिवस की शुरूआत 11 जुलाई 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा की गई थी। उस वक्त विश्व की जनसंख्या लगभग 5 अरब थी। इस जनसंख्या की ओर ध्यान देते हुए 11 जुलाई 1989 को वर्ल्ड पॉपूलेशन डे की घोषणा की गई। इस दिवस का उद्देश्य ये है कि विश्व का हर नागरिक इस ओर ध्यान दे और जनसंख्या नियंत्रण में अपना योगदान दे। इस दिन बढ़ती जनसंख्या के समाधान और इस ओर जागरुकता फैलाने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई क्रियाकलाप किए जाते हैं। इनमें शैक्षणिक जानकारी सत्र, निबंध लेखन प्रतियोगिता, विभिन्न विषयों पर लोक प्रतियोगिता, पोस्टर वितरण, सेमिनार और चर्चा शामिल हैं। इन क्रियाकलापों द्वारा परिवार नियोजन और गर्भ से जुड़ी तमाम जानकारियों से लोगों को जागरुक किया जाता है। भारत जनसंख्या वृद्धि में दुनिया के कई देशों से बहुत आगे। बढ़ती जनसंख्या भारत के लिए बहुत बड़ी चिंता का विषय है। आजादी के वक्त (1947) भारत की आबादी 34.20 करोड़ थी जो आज बढ़ कर 1 अरब 25 करोड़ से भी ऊपर पंहुच चुकी है। भारत में दुनिया की 15 फीसद आबादी रहती है और भारत के पास विश्व का 2.4 प्रतिशत भू- भाग है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है जनसंख्या वृद्धि किस तरह एक विकराल समस्या है।

World population day short essay in Hindi

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विश्व जनसंख्या 11 जुलाई को मनाया जाता है और आज इसे दुनिया भर में मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य वैश्विक जनसंख्या मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाना है। लोगों को परिवार के नियोजन, मातृ स्वास्थ्य, गरीबी के महत्व जैसे विभिन्न मुद्दों से अवगत होना चाहिए। आंकड़ों के मुताबिक 2016 तक विश्व की आबादी 7 अरब तक पहुंच गई है जो वाकई विश्व के लिए एक गंभीर मुद्दा है। ईश्वर की कृपा से हमें पृथ्वी पर कई संसाधनों का आशीर्वाद मिला है लेकिन क्या हम वास्तव में उन संसाधनों को बनाए रखने में सक्षम हैं या हम इस तरह के संसाधनों को संभाल सकते हैं। नहीं हम इतना सब कुछ नहीं कर सकते। अच्छे भविष्य के लिए हमें इस बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने की जरूरत है। इस दिन का जश्न मनाने के उद्देश्य को भी स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से जोड़ा जाता है क्योंकि हर साल महिलाएं प्रजनन अवधि में प्रवेश कर रही हैं और प्रजनन स्वास्थ्य के प्रति ध्यान देना जरूरी है। लोगों को परिवार नियोजन, गर्भ निरोधकों और सुरक्षा उपायों के उपयोग के बारे में पता होना चाहिए जो सेक्स से संबंधित मुद्दों को रोक सकते हैं। हाल के अध्ययन के अनुसार यह देखा गया था कि 15-19 आयु वर्ग के बीच के युवा यौन संबंध बनाने की ओर आकर्षित हो रहे हैं जिससे यौन संचारित बीमारियों का जन्म हो रहा है।

World population day essay in English

Welcome to the celebration of 7th World Population Day. As you know, like every year we are celebrating this day with equal enthusiasm and new theme. In 1989, the Governing Council of United Nations Development Programme recommended to celebrate World Population Day on 11th July with the objective to highlight the importance and urgency to population related issues. As you all know that every year our NGO selects a theme based on population and try to create awareness about the same. So this year’s theme would be gender equality and protection of girl child. Since our establishment, we have been fighting against female foeticide. Girls are equally important as that of boys and perhaps even more because the entire humanity owes its existence to them and they help strike a social balance in our society. There was a great reduction in the number of women compared to men, till few years ago. Due to an increase in crimes rate against women such as dowry deaths, female foeticide, rape, forced illiteracy, gender-based discrimination, etc women have always been suppressed. In order to equalize the boy-girl ratio, it is important that people start saving the girl child. We travel in rural and semi-urban areas in order to identify such cases where women unfortunately become the victims of evil forces in our society. Female trafficking, domestic violence, forced prostitution and female foeticide have become serious threats for the safety of women. Therefore, we try to provide possible assistance to women who are living under deprived conditions so that they can liberate themselves from these inhuman conditions. We also try to make them aware of various acts implemented by the government such as gender equality, protection of women from domestic violence act 2005, proper education, ban of female infanticide, immoral traffic (prevention) act, etc in order to protect them in the society. World population day essay in Malayalam 7-ാം ലോക ജനസംഖ്യാ ദിനത്തിൻറെ ആഘോഷത്തിലേക്ക് സ്വാഗതം. നിങ്ങൾക്ക് അറിയാവുന്നതുപോലെ, ഓരോ വർഷവും ഞങ്ങൾ സമാനമായ ആവേശവും പുതിയ തീമഹാസവും ആഘോഷിക്കുന്നു. 1989-ൽ ഐക്യരാഷ്ട്ര വികസന പരിപാടിയുടെ ഭരണസംവിധാന സമിതി ജനസംഖ്യാ സംബന്ധമായ പ്രശ്നങ്ങളിൽ പ്രാധാന്യം നൽകിക്കൊണ്ട് ജനാധിപത്യ ദിനാചരണം ജൂലൈ 11 ന് ആഘോഷിച്ചു. എല്ലാ വർഷവും നമ്മുടെ എൻജിഒ ജനസംഖ്യാടിസ്ഥാനത്തിലുള്ള ഒരു തീം തിരഞ്ഞെടുക്കുകയും അത് സംബന്ധിച്ച് അവബോധം സൃഷ്ടിക്കാൻ ശ്രമിക്കുകയും ചെയ്യുമെന്ന് നിങ്ങൾക്ക് അറിയാം. ഈ വർഷത്തെ തീം ലിംഗ സമത്വവും പെൺകുട്ടിയുടെ സംരക്ഷണവും ആയിരിക്കും. നമ്മുടെ സ്ഥാപനം മുതൽ, നമ്മൾ പെൺ ഭ്രൂണഹത്യയ്ക്കെതിരേ പോരാടുകയാണ്. പെൺകുട്ടികൾ ആൺകുട്ടികളുടേതുപോലും ഒരുപോലെ പ്രാധാന്യമർഹിക്കുന്നു. കാരണം, മുഴു മനുഷ്യവർഗ്ഗവും അവരുടെ നിലനിൽപ്പിന് കടപ്പെട്ടിരിക്കുന്നതിനാൽ അവർ സമൂഹത്തിൽ ഒരു സാമൂഹിക ബാലൻസ് നിർത്താൻ സഹായിക്കുന്നു. സ്ത്രീകളെ അപേക്ഷിച്ച് വളരെ കുറവ് സ്ത്രീകളായിരുന്നു. സ്ത്രീധന മരണങ്ങൾ, സ്ത്രീ ഭ്രൂണഹത്യ, ബലാത്സംഗം, നിർബന്ധിത നിരക്ഷരത, ലിംഗഭേദം അടിസ്ഥാനത്തിലുള്ള വിവേചനങ്ങൾ മുതലായവ സ്ത്രീകൾക്കെതിരായ കുറ്റകൃത്യ നിരക്ക് വർദ്ധിച്ചതിനാൽ എല്ലായ്പ്പോഴും അടിച്ചമർത്തപ്പെട്ടിട്ടുണ്ട്. ആൺകുട്ടികളുടെ അനുപാതം തുല്യമാക്കുന്നതിന് പെൺകുട്ടി കുഞ്ഞിനെ സംരക്ഷിക്കാൻ തുടങ്ങും. നമ്മുടെ സമൂഹത്തിലെ ദുർബല ശക്തികളുടെ ഇരകളായ സ്ത്രീകളെ അത്തരം സാഹചര്യങ്ങളിൽ തിരിച്ചറിയുന്നതിനായി ഗ്രാമീണ, അർധനഗര മേഖലകളിൽ ഞങ്ങൾ സഞ്ചരിക്കുന്നു. സ്ത്രീകളെ കടത്തൽ, ഗാർഹിക അതിക്രമങ്ങൾ, നിർബന്ധിത വേശ്യാവൃത്തി, പെൺ ഭ്രൂണഹത്യ എന്നിവ സ്ത്രീകളുടെ സുരക്ഷയ്ക്കായി ഗുരുതരമായ ഭീഷണി ഉയർത്തുന്നു. അതുകൊണ്ട്, ദുർബലമായ സാഹചര്യങ്ങളിൽ ജീവിക്കുന്ന സ്ത്രീകൾക്ക് ഈ മനുഷ്യത്വരഹിതമായ സാഹചര്യങ്ങളിൽ നിന്നും തങ്ങളെ മോചിപ്പിക്കുവാൻ കഴിയുമെന്ന് ഞങ്ങൾ ശ്രമിക്കുന്നു. 2005 ലെ ഗാർഹിക അതിക്രമങ്ങൾ, സ്ത്രീകൾക്ക് സംരക്ഷണം, വനിതാ ശിശുഹത്യ നിരോധനം, അധാർമിക ട്രാഫിക് (പ്രിവൻഷൻ) നിയമം മുതലായവയിൽ നിന്നും സംരക്ഷിക്കുന്നതിനായി ഗവൺമെൻറ് നടപ്പിലാക്കിയ വിവിധ പ്രവൃത്തികളെക്കുറിച്ച് അവരെ ബോധവാനായി ശ്രമിക്കുന്നു. സമൂഹം.

World population day essay in gujarati

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7 મી વર્લ્ડ પોપ્યુલેશન ડેની ઉજવણીમાં આપનું સ્વાગત છે. જેમ તમે જાણો છો, દર વર્ષે આપણે સમાન ઉત્સાહ અને નવી થીમ સાથે આ દિવસ ઉજવણી કરીએ છીએ. 1989 માં, યુનાઈટેડ નેશન્સ ડેવલપમેન્ટ પ્રોગ્રામની ગવર્નિંગ કાઉન્સિલે વસ્તી સંબંધિત મુદ્દાઓની મહત્વ અને તાકીદને પ્રકાશિત કરવાના ઉદ્દેશ સાથે 11 મી જુલાઇએ વિશ્વ વસતી દિવસની ઉજવણી કરવાની ભલામણ કરી હતી. જેમ તમે બધા જાણો છો કે દર વર્ષે અમારા એનજીઓ વસ્તી પર આધારિત થીમ પસંદ કરે છે અને તે વિશે જાગૃતિ લાવવાનો પ્રયાસ કરો. તેથી આ વર્ષની થીમ જાતિ સમાનતા અને છોકરીનું રક્ષણ કરશે. અમારી સ્થાપનાથી, અમે સ્ત્રી ભ્રૂણ હત્યા સામે લડતા છીએ. છોકરાઓ એ છોકરાઓની જેમ અને કદાચ વધુ મહત્વનું છે કારણ કે સમગ્ર માનવતા તેમના અસ્તિત્વને બાકી છે અને તેઓ આપણા સમાજમાં સામાજિક સંતુલનને હડતાલ કરવા માટે મદદ કરે છે. પુરૂષોની તુલનામાં સ્ત્રીઓની સંખ્યામાં ઘણો ઘટાડો થયો હતો, થોડા વર્ષો પહેલા. દહેજની મોત, સ્ત્રી ભ્રૂણહત્યા, બળાત્કાર, ફરજ પડી નિરક્ષરતા, લિંગ આધારિત ભેદભાવ વગેરે જેવી સ્ત્રીઓ સામે ગુનાખોરીના દરમાં વધારો થવાને કારણે મહિલાઓ હંમેશા દબાવી દેવામાં આવી છે. છોકરા-છોકરીના ગુણોત્તરને સરખાવવા માટે, તે મહત્વનું છે કે લોકો બાળકને બચાવવા શરૂ કરે છે. અમે આવા કિસ્સાઓ ઓળખવા માટે ગ્રામીણ અને અર્ધ-શહેરી વિસ્તારોમાં મુસાફરી કરીએ છીએ જ્યાં મહિલાઓ કમનસીબે આપણા સમાજમાં દુષ્ટ બળોના ભોગ બને છે. મહિલા વેપાર, ઘરેલું હિંસા, ફરજિયાત વેશ્યાગીરી અને સ્ત્રી ભ્રૂણહત્યા મહિલાઓની સલામતી માટે ગંભીર જોખમ બની ગઇ છે. તેથી, અમે વંચિત પરિસ્થિતિઓ હેઠળ જીવેલા સ્ત્રીઓને શક્ય સહાય પૂરી પાડવાનો પ્રયાસ કરીએ છીએ જેથી તેઓ પોતાને આ અમાનવીય પરિસ્થિતિઓથી મુક્ત કરી શકે. અમે તેમને સરકાર દ્વારા અમલમાં આવતાં વિવિધ કૃત્યો જેમ કે જાતિ સમાનતા, ઘરેલુ હિંસા અધિનિયમ 2005, યોગ્ય શિક્ષણ, સ્ત્રી બાળહત્યા પર પ્રતિબંધ, અનૈતિક ટ્રાફિક (નિવારણ) અધિનિયમ, વગેરેના રક્ષણ માટે તેમને પરિચિત બનાવવાનો પ્રયત્ન પણ કરીએ છીએ. સમાજ.

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जनसंख्या पर निबंध - Essay on Population in Hindi - Jansankhya Essay in Hindi - Jansankhya par Nibandh

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रूपरेखा : प्रस्तावना - जनसंख्या में वृद्धि - जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम - बेरोजागारी - गरीबी - महंगाई - शिक्षा का अभाव - जनसंख्या को रोकने के लिए सरकार के प्रयास - उपसंहार।

जनसंख्या में वृद्धि किसी भी देश के विकास में बाधा बनती है। भारत की यह बढ़ती हुई जनसंख्या चिंता का विषय बन गई है क्योंकि हम प्रत्येक वर्ष एक करोड़ से अधिक व्यक्ति अपने पहले से ही बहुत बड़ी जनसंख्या में जोड़ देते हैं। बढ़ती हुई जनसंख्या ने स्थान की समस्या उत्पन्न कर दी है। आवास की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। सड़कों पर भीड़ रहती है और ट्रैफिक जाम रहते हैं। इसलिए जनसंख्या को देश का साधन एवं साध्य दोनों माना जाता है लेकिन जरूरत से ज्यादा जनसंख्या किसी भी देश के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक विकास में रुकावट पैदा करती है।

आज हमारे देश भारत में लगातार बढ़ रही जनसंख्या एक विकराल समस्या बन चुकी है। जनसंख्या वृद्धि की वजह से आज देश विकास के मामले में अन्य देशों की तुलना में काफी पीछे हो रहा हैं। भारत में जनसंख्या बढ़ने से गरीबी, बेरोजगारी की समस्या पैदा हो रही है, व्यापार विकास और विस्तार गतिविधियां जरूरत से ज्यादा धीमी होती जा रही है, आर्थिक मंदी आ रही है। यही नहीं वन, जंगल, वनस्पतियां, जल संसाधन समेत तमाम प्राकृतिक संसाधनों का भी कमी हो रही है और तो और खाद्य उत्पादन और वितरण भी, जनसंख्या के मुकाबले नाकामी साबित हो रहा है। वहीं बढ़ती महंगाई भी जनसंख्या वृद्धि के सबसे मुख्य कारणों में से एक है। जनसंख्या वृद्धि के कारण ही आज लोगों को हर जगह घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ा रहा है, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों, अस्पतालों, धार्मिक या सामाजिक समारोह पर इतनी भीड़ रहती है कि कई बार पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती है।

भारत में बढ़ती जनसंख्या का दुष्परिणाम यह है कि आज भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। पापी पेट की आग बुझाने के लिए भोजन नहीं, गर्मी में लू और सर्दी में हड्डियां चूर कर देने वाली शीत लहरों (हवाओं) से बचने के लिए वस्त्र नहीं। खुले नील गगन के नीचे फैली हुई भूमि ही उसका आवास-स्थल है।

हमारे देश में बेरोजगारी की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । देश में लगातार बढती जनसंख्या के कारन जितने व्यक्तियों को काम दिए जाते हैं उनसे दुगने लोग बेरोजगार हो जाते हैं। सरकार ने जनसंख्या को कम करने के कई अप्राकृतिक उपाय खोजे हैं लेकिन इसके बाद भी जनसंख्या लगातार बढती ही जा रही है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश का संतुलन बिगड़ रहा है। जनसंख्या में वृद्धि के अनुपात की वजह से रोजगारों की कमी हो रही है इसी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है।

देश में आबादी के बढ़ते, देश में लोगों के हिसाब से साधन जुटा पाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि एक सीमित मात्रा में ही हमें प्रकृति से संसाधन मिल पाते हैं। इसकी वजह से गरीबी की समस्या पैदा हो रही है।

भारत में महंगाई के बढने के अनेक कारण हैं जैसे जनसंख्या का बढ़ना, उत्पादों की कम आपूर्ति होना, वस्तुओं और उत्पादों की कालाबाजारी करना, वस्तुओं और उत्पादों की कीमत बढ़ा देना, आदि । महंगाई की समस्या हमारे ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की एक बहुत ही गंभीर समस्या बन गयी है जो लगातार बढती जा रही है। जिस तरह से देश की जनसंख्या बढ़ रही है उस तरह से फसलों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। बिजली उत्पादन भी महंगाई को प्रभावित करता है। उपज की कमी से भी महंगाई बढती जाती है।

देश में उचित शिक्षा प्रणाली न होने के कारण से भी बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। उचित शिक्षा की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, कौशल की कमी, प्रदर्शन संबंधी मुद्दे और बढ़ती आबादी सहित कई कारक भारत में इस समस्या को बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में रोजगार उन्मुख शिक्षा की व्यवस्था नहीं होती है जिससे बेरोजगारी और अधिक बढती है। इसी वजह से जो व्यक्ति आधुनिक शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके पास नौकरियां ढूंढने के अलावा और कोई उपाय नहीं होता है। शिक्षा पद्धिति में परिवर्तन करने से विद्यार्थी शिक्षा का समुचित प्रयोग कर पाएंगे। विद्यार्थियों को तकनीकी और कार्यों के बारे में शिक्षा देनी चाहिए ताकि वे अपनी शिक्षा के बल पर नौकरी प्राप्त कर सकें। सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के साथ व्यापार का भी ज्ञान देना चाहिए जिससे आगे चलकर नौकरी ना मिलने पर स्वंय का व्यापार स्थापित कर सके।

भारतीय जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। सरकार ने पुरुषों के लिए न्यूनतम विवाह योग्य आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 साल तय की है। भारत सरकार ने बच्चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा कानून के अधिकार के जरिए देश के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई है। जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक और तरीका है निरक्षरता को समाप्त करना। भारत सरकार बच्चों को गोद लेने को भी बढ़ावा दे रही है। ऐसे कई लोग हैं जो विभिन्न कारणों की वजह से अपने बच्चों को जन्म देते हैं। अपने स्वयं के बच्चे करने की बजाए बच्चों को अपनाना जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका साबित होता नजर आ रहा है।

जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए अगर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो, देश विकास के मामले में पिछड़ता जाएगा और जीवन स्तर में लगातार कमी आती जाएगी। लोगों को आबादी नियंत्रित करने के महत्व को समझना चाहिए। यह न केवल उन्हें स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण तथा बेहतर जीवन स्तर प्रदान करेगा बल्कि अपने देश के समग्र विकास में भी मदद करेगा। वहीं सरकार को भी इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सख्त नियम कानून बनाना चाहिए। ताकि देश विकास के पथ पर आगे बढ़ सके और देश में जनसंख्या को नियंत्रण में रह सकें।

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Badhti Jansankhya Essay In Hindi | Essay on Population Growth in Hindi

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Read this article in Hindi to learn about:- 1. जनसंख्या का परिचय (Introduction to Population) 2. जनसंख्या वृद्धि एवं वितरण (Population Growth and Its Distribution) 3. क्रम पर प्रभाव (Impact on Ecosystem) 4.  भारतीय परिदृश्य (Indian Scenario).

जनसंख्या का परिचय (Introduction to Population):

पारिस्थितिकविदों के अनुसार जनसंख्या से तात्पर्य समान प्रकार के जीवों का सामूहिक समूह है जो एक निश्चित स्थान पर रहता है । अर्थात् प्रत्येक जीव चाहे वह जीव-जंतु हो, पक्षी हो, वनस्पति हो, सभी की संख्या होती है और यह संख्या पारिस्थितिक चक्र द्वारा परिचालित होती है तथा उस चक्र को प्रभावित करती है ।

वनस्पति एवं जंतुओं की संख्या एवं पारिस्थितिकी से संबंधों का अध्ययन वनस्पति विज्ञान, जीव विज्ञान एवं पारिस्थितिकी विज्ञान में विशदता से किया जाता है । जनसंख्या से तात्पर्य मानवीय जनसंख्या से है जो अपने क्रिया-कलापों से पर्यावरण को प्रभावित करती है और पारिस्थितिक चक्र में व्यवधान उपस्थित कर संकट का कारण बनती है ।

जनसंख्या का निवास एवं वृद्धि पर्यावरण की परिस्थितियों पर निर्भर करता है । आज भी विश्व में अंटार्कटिका जैसा प्रदेश है जहाँ वर्ष भर हिमानी के जमाव के कारण मानव का निवास नहीं है, उच्च पर्वतीय क्षेत्र भी मानव रहित हैं ।

टुंड्रा प्रदेश की विपरीत परिस्थितियाँ एवं विषुवत्‌रेखीय वन न्यूनातिन्यून जनसंख्या के क्षेत्र हैं । शुष्क मरुस्थली क्षेत्रों में भी अपेक्षाकृत कम जनसंख्या है तो दूसरी ओर समतल मैदानी प्रदेश जहाँ उपयुक्त जलवायु है मानव संख्या का वहाँ केन्द्रीकरण है ।

तात्पर्य यह है कि जनसंख्या पर्यावरण के तत्वों द्वारा नियंत्रित है । तकनीकी विकास एवं वैज्ञानिक उपलब्धियां से मानव अनेक क्षेत्रों को अपने रहने योग्य बना लेता है । इसी क्रम में जब वह पर्यावरण से छेड़-छाड़ करता है तो वहाँ की पारिस्थितिकी को प्रभावित करता है जिससे अनेक समस्याओं का जन्म होता है ।

जनसंख्या का पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी से सीधा संबंध होता है अर्थात यदि जनसंख्या अधिक होगी तो पर्यावरण का अधिक शोषण होगा और पारिस्थितिक- संकट अधिक हानिकारक होंगे । इस तथ्य की विस्तार से विवेचना से पूर्व जनसंख्या वृद्धि, वितरण, शहरीकरण आदि तथ्यों का विवेचन आवश्यक है ।

जनसंख्या वृद्धि एवं वितरण (Population Growth and Its Distribution):

मानव के अस्तित्व में आने के पश्चात् उसकी संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है । प्रारंभ में निश्चित ही जनसंख्या सीमित थी एवं उपयुक्त क्षेत्रों में निवास करती थी, किंतु उसकी क्रमिक वृद्धि आज एक ऐसे बिंदु पर पहुँच गई है कि वह अनेक राष्ट्रों के लिये चिंता का कारण बनी हुई है ।

किसी भी प्रदेश की जनसंख्या वृद्धि वहाँ की जन्म और मृत्यु दर के अंतर से जानी जाती है । यदि जन्म दर अधिक और मृत्यु दर कम होगी तो जनसंख्या की तीव्र वृद्धि होगी । इसके विपरीत यदि दोनों में आनुपातिक संबंध होगा तो वृद्धि सामान्य होगी एवं यदि जन्म से मृत्यु दर अधिक हो जाती है तो जनसंख्या में कमी आ जाती है ।

ADVERTISEMENTS:

एक प्रदेश अथवा देश में समय के साथ जो जनसंख्या वृद्धि का प्रारूप चलता है उसे नौरिस हैरिस एवं विटेक ने अपनी पुस्तक- ‘Geography : An Introductory Perspective’ में जनसांख्यिकीय संक्रमण का नाम दिया इसकी चार अवस्थायें व्यक्त की हैं । प्रथम अवस्था में जन्म और मृत्यु दर दोनों अधिक होती हैं अत: जनसंख्या वृद्धि नहीं होती या नगण्य होती है । इस अवस्था में वर्तमान में कोई देश नहीं है, यह मात्र इतिहास का उदाहरण है ।

द्वितीय अवस्था वाले देशों में जन्म दर अधिक होती है और मृत्यु दर घटती है, फलस्वरूप तेजी से जनसंख्या वृद्धि होती है जैसा कि भारत, बोलिवीया, सऊदी अरब आदि में है । तृतीय अवस्था वाले देशों में मंद वृद्धि अर्थात् जन्म दर कम होने की प्रवृत्ति तथा मृत्युदर भी कम होती है जैसा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में हैं ।

चतुर्थ अवस्था वाले देशों में स्थिर जनसंख्या अर्थात् जन्म एवं मृत्यु दर दोनों ही कम होने से वास्तविक वृद्धि कम होती है जैसा कि स्वीडन, ग्रेट ब्रिटेन एवं अन्य यूरोपीय देशों में है । संपूर्ण विश्व में जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्ति है । यह वृद्धि विगत 45 वर्षों में और तीव्र है । स्पष्ट है कि विश्व की जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है । प्रति सैकण्ड में दुनिया में 117 शिशुओं का जन्म होता है और लगभग 46 व्यक्तियों की मृत्यु अर्थात् वास्तविक वृद्धि 71 की होती है ।

दूसरे शब्दों में प्रतिदिन 200,000 व्यक्तियों की या प्रतिवर्ष 7.5 करोड़ जनसंख्या अधिक हो जाती है । यदि यही क्रम चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब न खाने के लिये पर्याप्त भोजन होगा, न रहने को आवास और यह स्थिति निस्संदेह संपूर्ण विश्व के पारिस्थितिक-तंत्र को झकझोर कर रख देगी ।

विश्व जनसंख्या की एक अन्य महत्वपूर्ण प्रवृत्ति है सीमित प्रदेशों में जनसंख्या का जमाव अर्थात् जहाँ भी उपयुक्त पर्यावरण होता है वहीं जनसंख्या का केन्द्रीकरण होने लगता है । वर्ष 2011 में विश्व की कुल जनसंख्या 7,167,705,600 अंकित की गई है ।

विभिन्न महाद्वीपों की जनसंख्या तालिका 9.2 के अनुसार निम्न प्रकार से रही :

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जनसंख्या वृद्धि हमारी बहुत सारी समस्याओं में से एक है कहते हैं किसी भी चीज की अति बहुत बुरी होती है हम किसी भी क्षेत्र में देखें अति तो बुरी होती है इसी तरह जनसंख्या वृद्धि होना हमारे लिए एक बहुत ही गंभीर समस्या है,सरकार अपनी पूरी कोशिश कर रही है जनसंख्या को नियंत्रण में रखने के लिए लेकिन फिर भी जनसंख्या बहुत ही तेजी से बढ़ रही है,दोस्त पहले के मुकाबले जनसंख्या बहुत ही तेज गति से बढ़ रही है इस और सरकार ने भी बहुत से कदम उठाए हैं.

जनसंख्या के संदर्भ में बहुत सारे नारे भी दिए हैं हम दो हमारे दो और साथ में बहुत से प्रशिक्षण केंद्र भी खोले हैं साथ में देश के लोगों को टी वी चैनल रेडियो के माध्यम से इसके बारे में जानकारी दी जाती है,दरअसल एक बहुत ही गंभीर समस्या है,आज हमारे देश में वैसे भी बेरोजगारी है सोचीये कि जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ती गई तो लोगों को रोजगार कैसे मिलेगा,हमें इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

कुछ लोग तो ऐसा मानते हैं कि बच्चे भगवान की देन होते हैं उन्हें समझाने की जरुरत है जनसंख्या नियंत्रण करना हमारे हाथ में ही है,दोस्तों एक अनुमान के अनुसार 2025 तक भारत की जनसंख्या लगभग 15 अरब हो जाएगी,अगर जनसंख्या इतनी बढ़ेगी तो कितनी समस्या हमारे देश में पैदा होंगी आज हम देखें तो पूरी दुनिया में सबसे बड़ी आबादी बाला एक देश है चीन लेकिन एक अनुमान के अनुसार 2025 या 2030 तक भारत चीन से भी जनसंख्या के मुकाबले में आगे निकल जाएगा क्योंकि भारत की वृद्धि दर बहुत ही तेजी से है.

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दोस्तों लोगों को सोच बदलने की जरूरत है जनसंख्या वृद्धि से होने वाले नुकसानों के बारे में सोचने की जरूरत है दरअसल यह हमारे लिए एक बहुत बड़ी परेशानी पैदा कर सकती है कहते हैं एक से कुछ नहीं होता है लेकिन अगर हर एक इंसान अपने आप को बदलने की कोशिश करें तो देखते हुए पूरी दुनिया बदल सकती है

इसलिए हम सभी को बारी-बारी से इस ओर सोचने की जरूरत है और हम दो हमारा एक जैसे नारे की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि अगर जनसंख्या बढ़ेगी तोह हमारे देश में बेरोजगारी होगी,अगर जनसंख्या बढ़ेगी तो बच्चों को पढ़ाने की समस्याएं आएंगी,अगर जनसंख्या बढ़ेगी तो खेती-किसानी हमारे देश में लोगो की जरुरत के हिसाब से कम होती जाएगी जिससे लोग खेती किसानी पर डिपेंड नहीं रह सकेंगे.

दोस्तों हमारे देश में पहले के मुकाबले में बहुत सारी सेवाएं जेसे की स्वास्थ्य सेवाएं पहले से बेहतर हैं लेकिन जनसंख्या वृद्धि बढ़ती जा रही है इसको रोकने की जरूरत,आज हम इस दुनिया में हैं तो हमारी जरूरत भी हैं और उन जरूरतों को पूरा होना भी जरूरी है लेकिन अगर जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ती गई तो सोचिये हमारी जरूरते कैसे पूरी होंगी क्योंकि इतने संसाधन हमारे बीच में नहीं पहुंच पाएंगे जिससे हमारी पूरी आवष्यकताओं की पूर्ति कर सकें

दोस्तों हमको इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है और जनसंख्या विस्फोट होने से पहले इसे रोकने की जरूरत है वरना लोगों के सामने रहने की प्रॉब्लम हो सकती है खाने की प्रॉब्लम आ सकती है और तो और परिवार में लड़ाई झगड़े की समस्या आ सकती है.

दोस्तों जनसंख्या वृद्धि के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि अशिक्षित होना हैं जिसके कारण लोग बहुत सारे बच्चे पैदा करते हैं उनको उसके नुकसान के बारे में जानकारी नहीं है उनको नुकसान के बारे में जानकारी होना चाहिए और इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए तभी हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि कम हो सकती है इसके अलावा लोगों को रोजगार,अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई के बारे में सोचने की जरूरत है अगर ज्यादा बच्चे होंगे तो उनकी पढ़ाई और उनकी देखरेख की जिम्मेदारी घरवाले सही से नहीं कर पाएंगे लेकिन अगर कम बच्चे होंगे तो उनकी जिम्मेदारी मां बाप अच्छे से निभा सकेंगे,इससे उनका और उनके बच्चों का भविष्य बन सकेगा लेकिन अगर जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ती गई तो हम सब का भविष्य खराब हो सकता है

जनसंख्या वृद्धि के कारण हमारी जमीन भी कम होती जाएगी जैसे जैसे बहुत सारे लोग आते जाएंगे जमीन भी कई हिस्सों में विभाजित होती चली जाएगी जिससे लोगों में झगड़े हो सकते हैं और रहने और कृषि करने के बारे में बहुत सी प्रॉब्लम आ सकती हैं इस ओर हम सभी को विशेष रुप से सोचना चाहिए,इससे हमारे देश में जनसंख्या नियंत्रण हो सके.

दोस्तों जनसंख्या विस्फोट की तरह हैं और अगर इसे ना रोका गया तो दुनिया के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देशों में सबसे पहला नाम हमारा होगा क्योंकि जनसँख्या वृद्धि हमारे भारत देश की बहुत तेज है इस और हम सभी को सोचने की जरूरत है और पढ़े लिखे लोगों को अनपढ़ गरीब लोगों को इस और जानकारी देने की जरूरत है जिससे लोग इस और लोग ध्यान दे और आने वाली जनसंख्या प्रॉब्लम को रोका जा सकता सके.

ये भी पढें- गरीबी एक अभिशाप निबंध Hindi essay on garibi ek abhishap

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